Friday, 29 March 2019

Story of Life: लालसा (भाग-२)


अब तक आपने पढ़ा, सुमित को उसके बचपन के दोस्त, रजत का फ़ोन आता है, कि सभी दोस्त एकत्रित हो रहे हैं, वो भी आ जायेपर सुमित दुविधा में है, क्योंकि उसे रचना को हीरे का हार दिलवाने जाना है जब रचना को reunion की बात पता चलती है, तो वो बिना क्रोधित हुए सुमित को जाने को कह देती है....... 
अब आगे.....   

लालसा (भाग-२)

रचना बोली आप अपने दोस्तों से मिल आइये, ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते हैं।

पर तुम्हारा set…, उसका क्या होगा, क्या पहनोगी फिर?
उसका कुछ सोचते हैं, मैं jeweller से बात करूंगी, कुछ सोचती सी बोली "रचना, 

मैं फिर time नहीं निकाल पाऊँगा", मैंने उसे याद दिलाते हुए बोला, जिससे वो आखिरी क्षण मैं मुझसे कोई उम्मीद ना लगाए। पर अभी भी रचना ने उन्हीं सधे शब्दों में कहा, कि ठीक है, आप मिल आइये।

मैं बहुत खुश था, अपने दोस्तों से मिलने की बात सोच-सोच कर, साथ ही इस बात से भी की रचना ने अपनी खुशी को पीछे रखकर मेरी खुशी को प्राथमिकता दी।

सारे ही दोस्तों ने खूब मज़े किए, वक़्त तो जैसे हमे अपने बचपन में ही ले गया था। चार घंटे हम उसी दौर में रहे। फिर सभी अपने अपने घर जाने को ready हो गए।

जब मैं लौट रहा था, तो रजत भी साथ हो लिया। उसे, मैंने अपने और रचना से हुई बात के बारे में बताया।

सुनकर रजत बोला, मतलब आज भाभी के कारण हमारी team जुड़ पायी। तभी हम उसी jeweller के showroom के सामने से गुजर रहे थे।   

मैंने रजत से कहा, भाई तू यहाँ से cab कर ले। मुझे रचना के लिए set लेना है अभी तो showroom खुला है, पर घर जा कर रचना को लाऊँगा, तब तक में बंद हो जाएगा। क्या करूँ, कुछ सूझ नहीं रहा है।

अरे यार, क्या छोटा करने वाली बात बोल दी, रजत गुस्से में भर कर बोला। अरे मैं भी तेरी मदद करना चाहता हूँ। तू जा jeweller के showroom पर set पसंद कर, मैं तब तक भाभी को लेकर आता हूँ। आज हमारी लालसा पूरी करने में उन्होंने अपनी इतनी बड़ी लालसा का त्याग कर दिया था।

मुझे तो मन मांगी मुराद मिल गयी थी। मैंने रजत को कहा, क्या खूब idea दिया है, मेरे दोस्त! जा, जल्दी से रचना को ले आ। तब तक मैं कुछ set पसंद करके रखता हूँ।

थोड़ी ही देर में रजत और रचना आ गए। रचना जब showroom पहुंची, तो बहुत surprise थी। आते ही बोली, आपने मुझे यहाँ के लिए बुलाया था?...... क्यों रजत ने तुम्हें बताया नहीं था? मैंने रजत की तरफ देखते हुए पूछा।

नहीं! मुझे तो रजत भैया, बस इतना ही बोले, चलिये भाभी, आज धन्यवाद देने की रात है। मैं सारे रास्ते पूछती रही, कि इसका क्या मतलब है। पर ये कुछ बताएं तब ना, रचना कुछ झुंझलाती सी बोली।

अरे भाई, तुम दोनों के प्यार के बीच में क्यूँ हड्डी बनूँ, रजत शरारत भरी आवाज़ में बोला।

रचना के सामने मैंने दो set रख दिये, उन्हें देखकर रचना खुश होते हुए बोली, ओह! ये बात थी?
Courtesy: Shutterstock

हाँ, पसंद कर लो, मैंने रचना को बैठाते हुए बोला। मुझे तो दोनों ही बहुत पसंद आ रहे हैं, अब क्या करूँ? रचना असमंजस में पड़ कर बोली।

तो तुम दोनों ही ले लो। आज मैं बहुत खुश हूँ, जिसके पास इतना अच्छा हमसफर हो, जिसे अपनी लालसा से बढ़कर मेरी लालसा की चिंता हो, उसके लिए 1 set कम होगा।

फिर मैं रजत की तरफ मुड़ गया, धन्यवाद! मेरे दोस्त, आज ये तुम्हारे कारण ही संभव हो पाया।

अरे यार, मुझे शर्मिंदा मत कर, आज भाभी ने सिर्फ तेरी ही नहीं, हम सबकी लालसा पूरी की है, तो इतना फर्ज़ तो मेरा भी बनता है ना।

सब हँसने लगे, सच आज का दिन बहुत अच्छा था।

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