Monday, 30 September 2019

Kids Story : Advay the hero : Bad habits


Advay the hero: Bad habits


Advay जिस apartment में रहता है वहाँ कई सारे guard security के लिए रहते हैं। advay बहुत प्यारा बच्चा है इसलिए उसके सारे guard uncle भी उसको बहुत प्यार करते हैं।

रामू भी वहाँ guard था। उसका परिवार apartment के पास ही रहता था। उसकी पत्नी रूपा apartment के लोगों के कपड़े iron करती थी।

रूपा के साथ अक्सर उसका बेटा राजू भी आता था। जब तक रूपा सबसे कपड़े लेने-देने का काम करती, राजू apartment के सारे बच्चों के साथ खेलने लगता था।

रामू बहुत अच्छा था पर उसमें बीड़ी पीने और तंबाकू खाने की गंदी आदत थी। वो कई बार बच्चों के सामने भी बीड़ी पीता था और तंबाकू खाता था।

एक दिन advay के स्कूल में बताया गया कि smoking करना और तंबाकू खाना bad habits हैं। और उन्हें उससे होने वाली बीमारी मुँह के cancer की photo भी दिखाई गई।

शाम को जब advay खेलने आया तो उसने रामू को बीड़ी पीते और तंबाकू खाते हुए देखा। उसने रामू से कहा ये, bad habits हैं आप इसे छोड़ दीजिये, पर रामू ने advay की बात को अनसुना कर दिया।

तो advay ने अपनी वही बात रूपा और राजू से कही कि अंकल की ये bad habits हैं तो उन्हें ये छोड़ देना चाहिए वरना बहुत खराब बीमारी हो जाती है। दोनों बोले हम लोगों ने कई बार माना किया है, लेकिन वो नहीं सुनते हैं।

अगले दिन जब advay खेलने आया तब उसको idea सूझा। उसने रामू uncle से कहा मेरे पास new mobile आया है, आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, क्या मैं आपकी photo खीच सकता हूँ? रामू ने हाँ कर दी। advay ने रामू uncle की 2-3 photo खींच ली।

अगले दिन उसने रामू uncle को photo दिखाई, अपनी photo देख कर रामू uncle advay से बहुत गुस्सा हो गए। वो बोले तुम ने मेरी photo में क्या गंदा-गंदा बना दिया है!

Advay बोला आप बीड़ी और तंबाकू को ऐसे ही पीते-खाते रहे तो आपका face ऐसा ही हो जाएगा, कह कर advay वहाँ से चला गया।

उस पूरी रात रामू को नींद नहीं आई, उसके दिमाग में अपनी खराब photo ही घूमती रही। वह बुरी तरह घबरा गया। अगले दिन से ही उसने बीड़ी और तंबाकू छोड़ दिया।

उसके एक हफ्ते बाद रूपा और राजू advay के पास गए, उन्होंने उसे बहुत धन्यवाद दिया और कहा जो काम हम सालों से नहीं कर सके, वो तुमने कर दिखाया। तुम्हारे रामू uncle ने हमेशा के लिए अपनी bad habits छोड़ दी।

Sunday, 29 September 2019

Poem : शुभ नवरात्रि ( Devotional)

शुभ नवरात्रि


शरदोत्सव के आगमन पर, 
है, मां के आने की खबर,
पथ निहार रहे भक्त सारे,
मां आएंगी उनके घर। 
पुष्पों से घर को सजाया,
बंदनवार द्वार पर लगाया,
मां के स्वागत के लिए,
भोग प्रसाद है बनाया। 
कहीं ढाकी बाजे,
कहीं बाजे हैं मृदंग,
धूम से देखो आ रही हैं,
मां अपने सिंह संग। 
नौ रूपों में,  मां सजी हैं,
हर रूप ही निराला है,
दर्श जिस जिस को मिले,
वो भक्त किस्मत वाला है। 
खुशियां सबको मिलेंगी,
मां झोली भरने आईं हैं,
सबके लिए मां का सानिध्य,
शुभ नवरात्रि लाई है। 


आप सभी को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकानाएँ 

Saturday, 28 September 2019

Story Of Life : एक श्राद्ध ऐसा भी


एक श्राद्ध ऐसा भी


मंगलू अपनी ही धुन में साइकिल पर सवार बहुत सारी कॉपी, पेन्सिल और मिठाई ले कर चला जा रहा था, सामने से रामदीन पंडित चले आ रहे थे।  मंगलू को देखकर बोले, अरे मंगलू कहाँ चला जा रहा है अपना हवाईजहाज उड़ाते हुए?

अरे! पगले तुझे नहीं पता, आज कल पितरपक्ष चल रहे हैं। कितने दिन हो गए तेरे बाबू जी को गए हुए, उनके नाम से कब श्राद्ध कराएगा? बेचारे कितना चाहते थे तुझे, तू भी तो बहुत चाहता था उन्हें। अब जरा भी चिंता नहीं है, तुझे कि उन्हें स्वर्ग में सुख मिले।

पंडित जी जानते थे, मंगलू अपने बाबू जी को बहुत चाहता था, तो एक बार भी बातों में फंस गया, तो जीवन भर श्राद्ध कराएगा, इसलिए जब से उसके बाबू जी गए थे, पंडित जी को जब भी मंगलू पितरपक्ष में दिख जाता, वो उसे समझाते जरूर।

दो पितरपक्ष निकल गए थे, कहते-कहते, पर मंगलू एक कान से सुनता और दूसरे से निकाल देता। पर आज मंगलू का धैर्य जवाब दे गया। वो बोला, आ जाओ पंडित, आज हिसाब समझ ही लेते हैं। 

हाँ तो पंडित, पहले तो ये बताओ, प्रभू श्री राम जी और भगवान श्री कृष्ण जी के श्राद्ध की कौन सी तिथि आई है, इस साल?

राम राम राम! कैसी नीच जैसी बात करते हो, वो तो भगवान हैं, उनका भी कोई श्राद्ध करता है। पंडित गुस्से में बोला। 

काहे, जन्म-मरण तो उनका भी हुआ था ना?

का भाई, भांग खाकर आए हो? कैसी मूर्खता भरी बात कर रहे हो! पंडित का गुस्सा बढ़ने लगा।

वही तो पंडित, हम तो भगवान राम, कृष्ण को देखे नहीं हैं, तुम भी नहीं देखे हो, तब 
भी भगवान मानते हो। हम तो बाबू जी को देखे हैं, उही हमको जन्म दिये, पाले-पोसे, का-का नहीं किए, तो हमारे तो उही भगवान हैं। जब तक बाबू जी जिंदा थे, हम खूब सेवा किए। तुम भी जानते हो, कि किए हैं। का हम झूठ बोल रहे हैं?

नहीं, बहुत सेवा किए हो, सारा गाँव जानता है, पंडित ने हामी भरी।

तो ये बताओ भगवान का श्राद्ध कहाँ होता है?

पर, पंडितों को इन दिनों में खिलाना, दान देना बहुत पुण्य होता है, तुम्हारे पिता जी की आत्मा तृप्त हो जाएगी, पंडित अपनी बात पर अड़ा था।  

अच्छा, तुम जे बताओ कि, तुम जानते हो, हमारे बाबू जी को सबसे ज्यादा का भाता था?

पंडित, चुप रह गया।

अरे भाई, जब तुम्हें पता ही नहीं है, तो हम तुम्हें काहे भोजन कराएँ, दान दें? बाबू जी टीचर थे, तो उन्हें कॉपी, पेन्सिल बहुत पसंद थी। इसी कारण हर साल, जे सब, अनाथ बच्चों को देने जाते हैं। साथ ही बाबू जी को हमारे हाथ के बने लड्डू बहुत पसंद थे, इसलिए प्रसाद के लिए वो भी ले जाते हैं

हमारे बाबू जी, हमारे भगवान हैं। जब थे, तब तक उनकी खूब सेवा की, अब नहीं हैं तो हम उनका श्राद्ध नहीं करते हैं, उन्हें बस तिथि में याद करते हैं। उन्होंने, हमारे लिए जो किया उसके लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं। दान भी देते हैं, प्रसाद भी देते हैं, पर गरीब और अनाथ बच्चों को।  

तो पंडित तुम तो, बहुत तेज़ निकल लो, किसी ने अगर हमारी बात सुन ली, और वो भी मात-पितृ भक्त हुआ, तो तुम्हारी पंडिताई वहाँ से भी जाएगी।

पंडित तेज़ी से आगे बढ़ गया, उसने फिर कभी मंगलू को नहीं रोका, आज उसे एक नयी परिभाषा पता चली - एक श्राद्ध ऐसा भी

Friday, 27 September 2019

Story Of Life : सास बहू और वो (भाग-3)




सास बहू और वो (भाग-3)

एक दिन दादी सास का आना हुआ। वो बड़ी ही रौबदार और समझदार थीं। उनकी बात सास और बहू दोनों ही सुनते थे।
दो दिन में ही उन्हें चतुरी की सारी चतुराई समझ आ गई। उन्हें अपनी बहुओं पर बहुत क्रोध आया।

फिर मन शांत करके उन्होंने सास बहू दोनों को बुलाया, और बोलीं, मुझे तुम दोनों की सोच पर बहुत तरस आ रहा है।

ऐसा क्यों बोल रहीं हैं आप? दोनों एक साथ बोले।

वो बोलीं बहू तुम्हें कितने दिनों का अनुभव है, और पोता बहू, तुम कितनी पढ़ी लिखी हो, बाहर नौकरी भी करती हो।

दोनों फिर एक साथ बोलीं, "हाँ।"

तब भी, तुम दोनों को चतुरी कितने दिनों से बेवकूफ बना रही है। अब दोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगीं।

एक दूसरे को क्या देख रही हो, कभी दो बिल्ली और बन्दर की कहानी नहीं सुनी तुम लोगों ने?

वही कहानी इस घर में चल रही है, तुम दोनों बिल्लियों की लड़ाई में चतुरी बंदरिया लाभ उठा रही है।

आप क्या कह रहीं हैं? हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है। दोनों उत्सुकता से उन्हें देख रहीं थीं।

अरे ये चतुरी अपना उल्लू सीधा करने के लिए, तुम दोनों से एक दूसरे की बुराई करती है, और तो और जब एक से लड़ती या चिल्लाती है, तो दूसरी चुप रह कर उसका ही support करती हो।

तुम लोगों में मतभेद है, वो तो समझ आता है, पर इतना भी क्या कि दूसरे उसका लाभ ले जाएँ। जब भी घर के किसी भी सदस्य पर कोई बाहर का हावी हो, तो सबको मिलकर उसे नीचा कर देना चाहिए।

दोनों सास बहू को सब समझ आ गया। अब तो वो चतुरी को किसी पर चिल्लाने या चढ़ने नहीं देती थीं। जब भी ऐसा होता, सास-बहू दोनों एक हो जातीं।

जिसका नतीजा ये हुआ, कि थोड़े ही दिन में चतुरी सुधर गयी, अब वो बहुत कम छुट्टी लेने लगी, और काम भी सफाई से करने लगी।

और उसके बाद से वो कभी भी सास और बहू के बीच नहीं आई।

Thursday, 26 September 2019

Story Of Life : सास बहू और वो (भाग-2)



सास बहू और वो (भाग-2) 





जब कभी बहू kitchen में होती, तो कहती, क्या भाभी आपके माँ-बाप ने ठीक से देखा नहीं था? कैसे कंगलों में शादी कर दी।

कभी कहती, आपकी तो किस्मत ही खराब है, ऐसी हट्टी-कट्टी सास के रहते हुए भी आपको उनका काम करना पड़ता है। अब छोटे-मोटे काम तो वो खुद भी कर सकती हैं, जब देखो, तब आपको हर काम के लिए आवाज़ लगा देती हैं। 
बहू को सास पहले ही पसंद नहीं थीं, ऊपर से चतुरी की बातें और दिमाग खराब कर देती थीं।
कुछ ही दिनों में चतुरी ने गंदा काम करना, और आए दिन छुट्टी लेना शुरू कर दिया। दोनों सास-बहू उससे कुछ ना कहते, दोनों की मुँहलगी जो हो चुकी थी।

और कभी बहू इतनी छुट्टी के लिए कुछ बोलती, तो चतुरी खूब तेज़ - तेज़ चिल्लाने लगती, गरीब का दुख - दर्द भी समझ लिया करो, एक - एक छुट्टी ना गिना करो भाभी, अच्छा नहीं लगता। यह देखकर सास का मन घी के दीपक जलाने लगता, कि चलो कोई तो है, जो बहू पर चिल्लता है।

और कभी सास गंदे बर्तन देखकर मीन-मेख निकालती, तो चतुरी उस पर चढ़ बैठती, बर्तन तो भिगोते नहीं हो आप लोग, और मुझको बोल रहीं हैं। ये देखकर बहू का मन बल्लियों उछलने लगता, चलो कोई तो है, जिससे दबती हैं।

ऐसे ही दिन कट रहे थे। एक दिन दादी सास का आना हुआ। वो बड़ी ही रौबदार, समझदार थीं, उनकी बात सास और बहू दोनों ही सुनते थे। दो दिन में ही उन्हें चतुरी की सारी चतुराई समझ आ गयी। उन्हें अपनी बहुओं पर बहुत क्रोध आया।

फिर मन शांत करके उन्होंने सास बहू दोनों को बुलाया, और बोलीं...... 

आगे पढ़िए सास बहू और वो (भाग-3 ) 

Wednesday, 25 September 2019

Story Of Life : सास बहू और वो

सास बहू और वो


निखला जी ने अपने बेटे की शादी क्या तय कर दी, वे मान बैठी, कि बहू आ रही है तो उनके तो सुख के दिन शुरू हो गए। अब तो वो अपने आप को महारानी ही समझने लगीं। सोचने लगीं, अब वो सास बन जाएंगी, तो बरसों से कर रहीं बहुत सारे काम, अब बहू संभालेंगी।

इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं थी, वो जब बहू बनकर आयीं थीं, तो उन्हें भी सारी बागडोर थमा कर उनकी सास भी महारानी बन गईं थी।

पर हाय रे! उनकी किस्मत... आज कल कहाँ ऐसी बहुएँ।

तो बस, उनकी भी ऐसी नहीं आई। 

बहू तो सपने सजा कर आई थी, कि अब अपने घर जा रही हूँ, तो रानी बनकर रहूँगी।

बस फिर क्या था, शुरू हो गया घमासान, कि घर के काम कौन करे? 

ना सास झुके ना बहू। बहुत सोच विचार कर, सलाह-मशविरा करके यह बात तय की गई कि एक maid रख ली जाए।

बस वहीं से सिलसिला शुरू हो गया, सास बहू और वो का...

उनके घर काम करने आई चतुरी, जस नाम-तस गुण, महा चालक।

आते ही वो बहुत जल्दी समझ गई, कि दोनों सास बहू में एकदम 
भी नहीं पटती है। उसने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया।

जब kitchen में सास होती, वो बहू की खूब बुराई करती, और 
सास को खूब चढ़ाती, माता जी, आज कल की कैसी बहुएँ हो गई हैं।

अरे काम तो मैं सारे ही कर देती हूँ, पर भाभी से इतना भी ना 
होवे है, कि आपको थाली लगा कर दे दें। बताओ आपको वो भी इस उम्र में करना पड़ता है।

कभी कहती, क्या माता जी, कैसी बहू ले आयीं, आप हमारे सीधे-साधे भैया जी के लिए? पूछताछ नहीं कारवाई थी क्या?

उसकी ऐसी बातें सुनकर निखिला जी का दिमाग और गरम हो 
जाता। वो अपनी बहू से और ही खार खाने लगतीं।

जब कभी बहू kitchen में होती, तो कहती, क्या भाभी......

आगे पढ़े सास बहू और वो (भाग- 2) में 

Tuesday, 24 September 2019

Article: Trolling


Trolling






Trolling! आज कल ये शब्द इतनी तेज़ी से famous हो गया है, कि जरा सी कोई घटना हुई नहीं, कि trolling start.

कभी कभी तो ये लगता है, अपने को busy-busy कहने वाले, सब के पास बहुत समय है, तब ही तो सबको इंतज़ार रहता है, कोई issue मिले और troll करके बात का बतंगड़ बना दिया जाए।

आज कल whatsapp, facebook, twitter, instagram सब जगह एक ही बात का शोर है, कि सोनाक्षी सिन्हा ये नहीं बता पाई कि, हनुमान जी किसके लिए संजीवनी बूटी लाये थे

पर आप ये बताइये, ऐसी बातों पर उँगली उठाना कहाँ तक सही है?

मेरी नज़र में तो बिल्कुल गलत है।

नहीं ये मत समझिएगा कि मैं सोनाक्षी की fan हूँ, इसलिए ऐसा बोल रही हूँ।

ऐसा कुछ भी नहीं है।

मेरा ऐसा बोलने का कारण यह है, कि किसी की कमी को इंगित आप तब करें, जब आप खुद सक्षम हैं।

चलिये बताइये, क्या आप सब, अपने दिल पर हाथ रखकर confidently यह बोल सकते हैं, कि आप के बच्चे इसे बता पाएंगे? बच्चों की छोड़िए, क्या हम सभी रामायण, महाभारत के सभी प्रश्नों के उचित जवाब दे सकते हैं?

मुझे पूर्ण विश्वास है, कि इसमें अधिकतर का जवाब “ना” ही होगा।

जानते हैं, इसका कारण क्या है?

बहुत दुख के साथ बोलना पड़ रहा है, हम सब।

आप कहेंगे, कैसे?

हम सभी अपने बच्चों को विदेशी बनाकर बहुत खुश हो रहे हैं, जब बच्चों को 3rd language select करनी होती है, तो option होता है, French, German और संस्कृत का।

सच सच बताइएगा, कितने अपने बच्चों को संस्कृत दिलाते हैं?

फिर बहाना ये बनाएँगे, कि संस्कृत हमे आती नहीं है, इसलिए नहीं दिलाई। तो French, Germen आपको आती है?

कुछ ये बोलेंगे, अरे कुछ दिन की संस्कृत से क्या होगा? तो कुछ दिन Germen, French पढ़ने से हो जाएगा क्या?

आइये बताते हैं, क्या होगा संस्कृत कुछ दिन ही पढ़ लेने से :

संस्कृत बहुत ही वैज्ञानिक भाषा है, इसे पढ़ने के लिए पूर्णत: सही ही पढ़ना होता है, वरना अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जिससे आपका लिखना, पढ़ना, उच्चारण सब शुद्ध हो जाएगा। आप अपने महाग्रंथ, रामायण व महाभारत को पढ़ सकेंगे।

अंग्रेजों ने हमारे इतिहास के साथ बहुत बड़ी कूटनीति खेली।

उन्होंने हिन्दू इतिहास को mythology बना दिया। जिससे वो एक विषय की तरह ना पढ़ाया जाए, और उसका ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ना बढ़े।

ऐसा करके, वो कामयाब भी हो गए। आज हमारे बच्चे नहीं जानते, भगवान राम के सतयुग को, ना प्रभु कृष्णा के द्वापर युग को, ना ऋषि वशिष्ठ को, ना वाल्मीकि को, ना दधीचि को, ना अहिल्या को, ना शबरी को, ना चरक को, ना विश्वकर्मा को....... और किस किस को याद दिलाएँ?

सही बात है ना?

अब तो नहीं हैं अंग्रेज़, तो उनकी नीतियाँ अभी तक क्यों मानी जा रही है?

पर अभी भी हम अपने बच्चों को अँग्रेजी पढ़ाते हैं, वो पटर-पटर बोलने भी लगते हैं। उसके साथ ही दूसरी विदेशी भाषाओं का भी बोल बाला हो गया है। History में भी विदेशों का इतिहास पढ़ाया जा रहा है, तो विदेशों का इतिहास पूछिये, बच्चे आप से ज्यादा बता देंगे।

यही सोनाक्षी के साथ भी हुआ, वो और शत्रुघन सिन्हा हमसे इतर थोड़ी ना हैं। 

तो बंद कीजिये Troll करना बेकार की बातों को। अगर सच्चे हिंदुस्तानी हैं, तो बढ़ावा दीजिये, संस्कृत भाषा के लेने पर, और अपनी संस्कृति को बढ़ाने पर ज़ोर दीजिये।

Troll नहीं forward कीजिये, कि हिन्दुओं के इतिहास को mythology का नाम देकर आने वाली पीढ़ियों से वंचित ना किया जाए। उसे भी बच्चों को पढ़ाया जाए।

जब बच्चे जानेंगे, हमारा इतिहास, जो कि विश्व के सभी इतिहासों से सर्वोपरि है, तो वो भी गर्व करेंगे।

पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया

जय भारत जय भारती