Monday, 20 July 2020

Bhajan : निराले भोला

आप सभी को सावन के तीसरे सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻🔱🕉️

आज आप सब के साथ मुझे रायपुर छत्तीसगढ़ की मंजू सरावगी मंजरी जी  का भेजा हुआ भजन साझा करते हुए अपार प्रसन्नता रही है।

🌹निराले भोला🌹



शीश गंगे की धार, गले मुण्ड की माल
भोले भाले, मेरे भोला सबसे निराले

बारह बार धरती पे  शिव आये
द्वादश ज्योति लिंग में समाये
सुन भक्तों की पुकार, आये नन्दी पे सवार
दिये दर्शन,  भोले जगत के रखवाले
मेरे भोला सबसे निराले....... 

मस्तक पे चंदा बिराजे
जटाओं में गंगा साजै
है त्रिनेत्र धारी, शिव भोला त्रिपुरारी 
पहने बिच्छू ततैया, गले में सर्प काले
मेरे भोला सबसे निराले........ 

ऊंचे हिमालय में बैठे
संग गौरा गनेश लेके
तन में भस्म रमाय, मन मृगछाला भाय
भोले बाघाम्बर वाले
मेरे भोला सबसे निराले..... 

कांवरिया मन को भाते
शीश पे कांवड़ जल चढा़ते
दूध दही से नहाते,पंचमेवा पंचामृत लाते
फूल धतूरा कनेर, बेल पतियां, जनेऊ दुशाले
मेरे भोला सबसे निराले........ 

हाथ में डमरू धारी
भूत प्रेत  से इनकी यारी
नृत्य तांडव किया, हलाहल पिया
कैलास वासी, बनारस बसाने वाले
मेरे भोला सबसे निराले.... 

शीश गंगे की धार, गले मुण्ड की माल
भोले भाले, मेरे भोला सबसे निराले

✍✍



यह भजन मंजू जी ने इस धुन में गाया है, आप चाहें तो इसे किसी और धुन में भी गा सकते हैं।


Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

2 comments:

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