Monday, 31 January 2022

Article : बेरोज़गारी, किस की जिम्मेदारी

बेरोज़गारी, किस की जिम्मेदारी




मोदी हाय, हाय......

मुर्दाबाद, मुर्दाबाद, बीजेपी मुर्दाबाद......

बेरोज़गारी के मुद्दे को लेकर यही किया जा रहा है। जगह-जगह आगजनी, तोड़-फोड़... 

यही सब तो किया जाता है ना? अपनी उचित अनुचित मांगों को पूरा करने के लिए...

विपक्ष इस भड़कती आग में घी डालने के लिए, इल्ज़ाम लगाने से बाज़ नहीं आता है कि इस सरकार में बेरोज़गारी दर बहुत अधिक हो गई है।

हमें सत्ता में लाएं तो हम बेरोज़गारी मुक्त देश बना देंगे।

अगर इन सब बातों पर गौर किया जाए तो, एक प्रश्न जो whatsapp और facebook पर घूम रहा है कि,

 मोदी जी तो पिछले सात साल से देश के प्रधानमंत्री हैं, तो ऐसे कौन से बच्चे हैं, जो सात साल में 21 साल के हो गए और उन्हें नौकरी नहीं मिली? क्योंकि पिछले 70 सालों से तो केंद्र में कांग्रेस की सत्ता थी और उन्होंने तो सबको नौकरी दे दी था। तो इतने सारे बेरोज़गार आए कहाँ से?

तो जनाब, बेरोज़गारी, महंगाई और भुखमरी भारत की दशकों की समस्या है, ऐसा नहीं है कि बीजेपी के सत्ता में आने से हुई है। 

इस समस्या का बहुत बड़ा कारण है, भारत की जनसंख्या.. शायद आप जानते ही होंगे कि भारत में 139 करोड़ जनसंख्या है।

भारत के राज्यों में जितनी जनसंख्या है, उतनी जनसंख्या तो कितने ही देशों की पूरी जनसंख्या नहीं है। 

आप को पता है कि भारत में प्रतिदिन 68,500 बच्चे जन्म लेते हैं, जो दुनिया में जन्‍म लेने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा है। सोचिए ऐसे में कौन सी सरकार सबको सरकारी नौकरी दे देगी?

पर इस समस्या का कोई समाधान कर सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ बीजेपी ही है।

आप कहेंगे, ऐसा क्यों बोल रहे हैं हम? बाकी सरकारें भी सक्षम हैं।

तो हमारा दृढ़ता के साथ फिर वही जवाब है कि सिर्फ बीजेपी।

क्योंकि, कांग्रेस और सपा का एकमात्र ध्यान चंद चुने हुए लोगों के विकास, व्यर्थ के व्यय, जैसे सैफई महोत्सव, aeroplane में जन्मोत्सव, छुट्टियां मनाने विदेश जाना, इत्यादि...अपने व अपने परिवार वालों के लिए धन-संपत्ति का अथाह भंडार एकत्र करने में ही रहता है।

साथ ही, कांग्रेस, बसपा और सपा के काल में ना तो refugees के आने पर रोक थी, ना कोई NRC law था। ना जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए कोई सख्त कानून। जिस पर बीजेपी ने संज्ञान लिया है।

जो कि भारत की बेइंतहा बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए बहुत आवश्यक है। साथ ही देश के हित के लिए इन सबका कड़ाई से पालन होना बहुत जरूरी है।

हमें आए दिन देखने को मिल रहा है कि रिक्त पदों की संख्या हजारों में है और आवेदन करने वालों की संख्या लाखों में है। ऐसे में यह तो सोचने वाली बात है कि चंद हज़ार नौकरी को लाखों लोगों में बांटना असंभव है। तो आभाव से बेरोजगारी भी होगी, मंहगाई भी होगी और भुखमरी भी।  

इस समस्या के समाधान के लिए भी हमें बीजेपी सरकार को ही पुनः लाना होगा और उनकी हाय-हाय करने और मुर्दाबाद के नारे लगाने के बजाय, उनके द्वारा बनाए कानून का समर्थन करना होगा, उसे देश में लाने में सहयोग देना होगा।

मोदी जी हम आपके साथ हैं, आप ने देश की सदियों और दशकों की समस्या समाप्त की है, जैसे राम मंदिर का निर्माण करना और 370 कानून, तीन तलाक़ को हटाना आदि...

आप से करबद्ध निवेदन है कि अब सर्वप्रथम देश से बेरोजगारी, मंहगाई और भुखमरी जैसी कठिन समस्याओं का अंत कीजिए। साथ ही देश से आरक्षण को भी समाप्त कर दीजिए, जिससे जो भी पद प्राप्त करें वो विशुद्ध उनकी प्रतिभा के बल पर मिले ना कि सिफारिशों और आरक्षण के बल पर...

जब तक देश में बेरोज़गारी एक विकट समस्या बनी रहेगी, तब तक देश का युवा वर्ग कमज़ोर रहेगा। जिस देश का युवा सुदृढ़ ना हो, उस देश को सुदृढ़ बनाना अति कठिन है। 

अतः युवाओं को रोज़गर के अवसर प्रदान कीजिए साथ ही पद प्राप्ति को आरक्षण मुक्त कर दीजिए, जिससे भारत सुदृढ़ व समृद्धशाली देश बने।

आपकी राष्ट्र प्रथम सोच, दूरदर्शिता और नेतृत्व से भारत अवश्य ही इस समस्या से निजात पा जाएगा।

Friday, 28 January 2022

Article : भारत का बदलता स्वरूप

 भारत का बदलता स्वरूप 




कहा जाता है, जैसा देश वैसा भेष...

या साहित्य समाज का दर्पण है...

जो बिकता है वही दिखता है, ऐसे बहुत से slogan हैं। 

आप ने देखा होगा, कि गणतंत्र दिवस परेड पर भी राज्यों की झांकियों में वही दिखाया जाता है, जो हाल में ही घटित हुआ हो या निकट भविष्य में होने वाला हो। 

इस बार की गणतंत्र दिवस परेड पर बहुत कुछ बदलाव थे, शायद आप का भी उस पर ध्यान  गया हो... 

झांकियों के प्रदर्शन में, ताजमहल, चारमीनार, कुतुबमीनार, गांधी, नेहरू आदि शामिल नहीं थे।

बल्कि इस बार की झांकियाँ, भारत की अपनी संस्कृति के रंगों में रंगी हुई थी। हर state की झांकियों में ईश्वर, मंदिरों या संतों की प्रतिमा थी। 

जहाँ एक ओर श्री कृष्ण जी का पांचजन्य शंख था, हनुमानजी की मूर्ति थी। काशी-विश्वनाथ का कोरिडोर था, स्वामी विवेकानंद जी और अरबिंदो घोष की प्रतिमा थी, वहीं  देश के अमर सेनानी, सुभाष चन्द्र बोस व सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति भी थी। साथ ही खेल से जुड़े देश को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलवाने वाले खिलाड़ियों के cutout भी थे। 

जम्मू-कश्मीर की झांकी कभी Republic day parade में शामिल होगी, अपनी समृद्धि और माता वैष्णो देवी मंदिर को दर्शाते हुए। 

ऐसा हमने तो क्या, इसकी कल्पना तो कश्मीर में रहने वालों ने भी नहीं की होगी। 

पर ऐसा इस बार हुआ।

पर साथ में एक चीज़ और देखने को मिली, कि भारतीय संस्कृति और धर्म की झांकियांँ थी, वहीं उनके साथ विज्ञान से हुए विकास भी दृष्टिगोचर हो रहा था। क्योंकि एक और गोधन का प्रदर्शन था तो दूसरी तरफ virtual reality.

विरासत और विज्ञान का अनोखा संगम था, इस बार की गणतंत्र दिवस परेड में।

Army's parade और Bike stunts में ladies का भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना, महिला सशक्तिकरण और उनके आत्मनिर्भरता और विकास की कहानी कह रहा था। 

भारत के स्वदेशी arms and weapons और भी हथियारों की विविधता भारत की सुरक्षा के प्रति सुदृढ़ीकरण और आत्मनिर्भरता को दर्शा रहा था।

इस बार की गणतंत्र दिवस परेड में cockpit से दिखाए जाने वाले दृश्य यह सिद्ध कर रहे थे कि हम technology में भी बहुत आगे बढ़ गये हैं।

कम शब्दों में कहा जाए तो, इस गणतंत्र दिवस परेड में भारत का बदलता स्वरूप स्पष्ट इंगित हो रहा था। 

एक नया सशक्त, समृद्ध, उन्नत, संस्कृति और विरासत को सहेजा हुआ भारत। विश्व गुरु भारत, सम्पूर्ण भारत। ऐसा भारत, जिसके पैर जमीन पर और नजरें आसमान पर हैं।

जिसके पास भक्ति भी है और शक्ति भी...

क्या आप को भी Republic day parade देखकर ऐसा ही लगा, बताइएगा जरुर 🙏🏻

हमेशा निज स्वार्थ में पड़कर, कोसते मत रहिए, कभी सकारात्मक दृष्टि से, देशभक्त होकर भी देखिए तो आप को देश समृद्ध भी दिखेगा और सशक्त भी।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Wednesday, 26 January 2022

Poem : गणतंत्र दिवस मनाने के

आप सभी को 73 वे गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏🏻🎉

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

गणतंत्र दिवस मनाने के 




गणतंत्र दिवस मनाने के

हम तभी अधिकारी हैं

देश में सेना सम्मान पाए 

यह हम सब की ज़िम्मेदारी है 


7 दशकों तक कश्मीर में

सेना पर पत्थर बरसाते थे 

जो रक्षक हैं, हम उनका 

बेवजह सम्मान घटाते थे 


370 कानून को देश से 

हटाना जरूरी था

राष्ट्र प्रथम सोच की

देशभक्त सरकार लाना ज़रूरी था 


गणतंत्र दिवस मनाने के

हम तभी अधिकारी हैं

देश में नारी को सम्मान मिले

यह हम सब की जिम्मेदारी है 


 सदियों तक मात्र

तीन शब्दों से ही नारी

मजबूर हो जाती थी

अपने अधिकारों से दूर हो जाती थी


3 तलाक को देश से

हटाना जरूरी था

इसी खातिर भारत में 

 संवेदनशील सरकार लाना जरूरी था 


गणतंत्र दिवस मनाने के

हम तभी अधिकारी हैं

देश से आतंक हटे

यह हम सब की जिम्मेदारी है  


कितने ही दशकों से

चीन और पाकिस्तान 

हम पर भारी था 

हर ओर आतंक जारी था


चीन और पाकिस्तान को 

उनकी औकात दिखाना ज़रूरी था

इसी खातिर भारत में

निडर सरकार लाना जरूरी था 


गणतंत्र दिवस मनाने के

हम तभी अधिकारी हैं

विश्व में भारत को सम्मान मिले

यह हम सब की ज़िम्मेदारी है  


कितने ही दशकों तक भारत

विश्व पर निर्भर था 

दवा से लेकर हथियारों तक 

हर एक आयात उन्हीं से करता था


भारत को 

आत्मनिर्भर बनाना जरूरी था

इसी खातिर भारत में

बुद्धिमान सरकार लाना जरूरी था 


गणतंत्र दिवस मनाने के

हम तभी अधिकारी हैं

देश में ईश्वर को सम्मान मिले

यह हम सब की जिम्मेदारी है  


सदियों तक अपने ही देश में

राम को मान नहीं मिला 

जो सेवक थे उनके 

उनकी श्रद्धा को सम्मान नहीं मिला


भारत को एक बार पुनः

सनातन बनाना जरूरी था

इसी खातिर भारत में

भारतीय सरकार लाना जरूरी था 


गणतंत्र दिवस मनाने के

हम तभी अधिकारी हैं

देश सही हाथों में रहे

यह हम सब की जिम्मेदारी है   


भारत सशक्त बना रहे

हमेशा वो प्रथम बना रहे

इसी खातिर भारत को

सही हाथों में रहना जरूरी है 


हम सभी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए देश को सही हाथों में रखते हुए अपने देशभक्ति का परिचय देना चाहिए। 🇮🇳🎉

Sunday, 23 January 2022

Poem : नेता जी सुभाष चन्द्र बोस

आप सभी को पराक्रम दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻💐

भारत के वीर सपूत, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, उनकी साहसी आज़ाद हिन्द फौज व झांसी की रानी रेजीमेंट के अथक प्रयासों से भारत को स्वतंत्रता मिली, आज उनकी पावन जयंती पर उन्हें शत शत नमन🙏🏻

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस




मोदी जी आपके कार्य ने,

भारत को चेताया है;

वॉर मेमोरियल को बनवाकर,

सेना को सम्मान दिलवाया है।


जो बन जाना था 

आज़ादी के आरंभ से,

सदियों बीत गयी देखो,

उसके बनने के प्रारंभ में।


सुभाष चन्द्र बोस,

जिन्होंने आज़ादी दिलवाई है;

किया शुभ कार्य,

मूर्ति उनकी प्रतिस्थापित करवाई है।


मिलनी असंभव थी आज़ादी,

गर नेता जी, आगे ना आते।

अंग्रेजों की कुटिल नीतियों से,

हम हरगिज़ जीत न पाते।


बहुत कुटिल थे अंग्रेज़,

और सुभाष थे वीर सैनानी;

उन्हें देश से बाहर निकालने की,

सुभाष ने थी ठानी।


तुम मुझे खून दो,

मैं तुमको आज़ाद कराऊंगा;

देश के चप्पे-चप्पे से,

मैं अंग्रेजों को भगाऊंगा। 


जो कहा था नेता जी ने,

वो कर के भी दिखलाया,

उनके अथक प्रयासों से,

भारत ने स्वतंत्रता को पाया।


आप की पावन जयंती पर,

हम नतमस्तक हो जाते हैं,

कोटि-कोटि धन्यवाद आपका,

हम शीश आपको नवाते हैं। 


जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Friday, 21 January 2022

Recipe : Pearl Millet Cookies


आप सभी को सकट चौथ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ💐
भगवान गणेश जी, हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं 🙏🏻🙏🏻 

सकट चौथ पर्व में बाजरे के आटे की टिक्की को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है, अतः इसका विशेष महत्व है। 

यह Recipe मेरी माँ डॉ. गीता लाल जी के खज़ाने से है।
प्रसाद होने के साथ-साथ यह शरद ऋतु में बनने वाली बहुत ही healthy dessert है। इसलिए आप इसे हर उम्र के लोगों को serve कर सकते हैं।
इसको बनाने के लिए सिर्फ 4 ingredients की आवश्यकता होती है। 
अगर आप भी चाहते हैं कि, आप के बच्चे unhealthy biscuit, cookies नहीं खाएं तो आप इन्हें जरुर बनाएं। इन्हें airtight container में रखने से यह आठ से दस दिन चल जाते हैं।

बाजरे के आटे की टिक्की 

Ingredients :
  1. Millet - 2 cup.
  2. Jaggery - ½ cup 
  3. White Sesame seeds - 1 tbsp.
  4. Clarified butter (ghee) - for frying

Method :
  1. गुड़ को पतला-पतला काट लीजिए।
  2. Sauce pan में ½ cup पानी में गुड़ डालकर medium flame पर गर्म होने रख दीजिए।
  3. गुड़ पिघलने तक बराबर चलाते रहें। 
  4. जब गुड़ पिघल जाए तो gas off कर दीजिए।
  5. बाजरे का आटा छान लीजिए।
  6. बाजरे के आटे में गुड़ की चाशनी व सफेद तिल डालकर smooth and semi stiff dough बना लीजिए। 
  7. 5 min के लिए रख दें।
  8. 5 minutes बाद खूब अच्छे से गूंथ कर soft dough prepare कर लीजिए।
  9. 1 wok(कड़ाही) में घी डालकर गर्म कर लीजिए।
  10. थोड़ा सा आटा लेकर उसका गोला बनाकर हथेली से चपटा कर लीजिए (disc shaped). 
  11. अब इसे medium flame पर दोनों तरफ से सुनहरा fry कर लें।

Your favourite Pearl Millet cookies is ready to serve.

आपकी cookies, perfect बने, इसके कुछ tips and tricks का ध्यान रखिएगा।

Tips and Tricks :
  • गुड़ काटने के पहले देख लीजिए कि, गुड़ साफ़ हो, उसमें किसी भी तरह की कोई गंदगी ना लगी हो। 
  • बाजरे के आटे को अच्छे से छान लीजिए, जिससे वह smooth हो जाए।
  • चाशनी को आटे में डालने से पहले, उसका temperature जरुर से check कर लीजिएगा, जिससे आप का हाथ ना जले।
  • आटे में चाशनी धीमे-धीमे डालकर dough, prepare कीजिए, जिससे वो गीला ना हो। 
  • आप जब cookies बना रहे हों, तो ध्यान रखिएगा कि उसके गोले को जब flat करें तो वो टूटे नहीं।
  • ध्यान रखिएगा कि medium flame ही रखिएगा। High flame पर cookies जल जाएगी और slow flame पर cookies घी में फ़ैल जाएगी। 
  • जब आप उसे घी से बाहर निकालेंगे वो थोड़ी soft होगी। पूरी तरह से hard, वो ठंडी होकर ही होगी।
  • अगर आप diet conscious हैं तो, 1 tbsp. Clarified butter आटे में डालकर अच्छे से mix कर के dough prepare कीजिए।
  • फिर इस dough से flat disc shape prepare करके microwave oven में bake कर के cookies बना लीजिए। 
  • आप अपने taste के according, jaggery and sesame seeds की quantity, change कर सकते हैं। 
  • आप चाहें तो cookies को mustard oil में भी fry कर सकते हैैं।
  • जब cookies पूरी तरह से ठंडी होकर hard हो जाए तभी उसे Air container में रखें, जिससे वो soggy ना हो।
  • इन cookies के सारे ingredients, (millet, jaggery, sesame seeds, and ghee) health के point of view से बहुत ही अच्छे हैं, अतः इन्हें most healthy cookies कहा जा सकता है।
  • यह healthy होने के साथ ही बहुत tasty भी होती है, इसलिए इसे जरूर से बनाएं।

Wednesday, 19 January 2022

Article : U.P. का vote, जनता के पास है remote

U.P. का vote, जनता के पास है remote

आज कल राजनीति, पुरजोर पर है। अभी India में, कोई किसी भी state में रह रहा हो, पर बात सब U.P. election की ही कर रहे हैं, जबकि election 5 states में है।

हर एक को इंतजार है कि U.P. में किस की government आ रही है?

ऐसा क्यों है, आपने सोचा है कभी?

ऐसा इसलिए है क्योंकि, U.P, India का एक important state है। वहाँ सबसे ज़्यादा population है, लोकसभा के प्रतिनिधित्व का % भी सबसे ज्यादा है, इसलिए वहाँ की government का effect, central government पर भी पड़ता है। 

अतः सभी चाहते हैं कि U.P. में ऐसी सरकार आए, जो सबका विकास करे।

अब थोड़ा सा ध्यान इस तरफ डाल लेते हैं कि कौन सी सरकार कैसी हैं?

राजनीति के मैदान में चार मुख्य पार्टियों की सरकारें अपनी-अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं, जिनमें सभी का कार्य देखा जा चुका है।

तो पहले उन सरकारों के बारे में देख लेते हैं, जिनका कार्यकाल अभी के पांच साल से, पहले का था।

The main parties :

कांग्रेस, बसपा और सपा इन सबके कार्यकाल में विकास कितना हुआ है? सब जानते हैं। हाँ उनमें जात-पात और धर्म आदि पर विशेष जोर दिया जाता था, अतः सबका विकास तो नहीं हो रहा था, साथ ही भ्रष्टाचार और अत्याचार का बोलबाला जरुर था।

अब बात करते हैं BJP की, जिसका कार्यकाल 2017 से अभी तक का रहा है- 

BJP ने अपने manifesto में जो कहा था, वो काफी कुछ होता हुआ दिखाई दे रहा है...


राम मंदिर निर्माण : 

राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास रखा जा चुका है, निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।


सुरक्षित राज्य :

बहुत सारे गुंडे और माफियाओं को जेल के अंदर पहुंचा कर, उनके अवैध संरचनाओं पर बुलडोजर चलवाकर यह कार्य भी काफी हद तक कर रहे हैं। साथ ही कालाबाजारी और भ्रष्टाचार भी काफी हद तक कम हुआ है। इस काम से public अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रही है और बहुत खुश भी है।


तीन तलाक़ :

तीन तलाक़ का मुद्दा था, वो भी पूरा कर दिया गया है।


बेरोज़गारी मुक्त :

यह मुद्दा अब भी चर्चा का विषय बना हुआ है, हालांकि इतनी बड़ी जनसंख्या में बेरोज़गारी मुक्त राज्य बना पाना मुश्किल भी है, पर यह मुद्दा अभी भी अपनी मंजिल पाने को आतुर है। 


मंहगाई :

महंगाई पर काबू पाना शायद सभी सरकारों के लिए सबसे कठीन मुद्दा रहता है, उस पर इस बार भी अंकुश नहीं लगाया जा सका है। हाँ पर यह कहा जा सकता है कि मंहगाई बढ़ी है तो आय भी बढ़ी है। लोगों के रहन-सहन, खान-पान के स्तर में सुधार दिखाई दे रहा है।


किसानों पर ध्यान :

इस मुद्दे पर बहुत ध्यान दिया गया है, किसानों को अच्छे बीज, उनके खातों में राशि भेजना, उन्हें कृषि क्षेत्र में ज्ञान देना आदि...। पर इस क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।


प्रदेश का विकास :

प्रदेश का बहुत से क्षेत्रों में विकास किया गया है, जैसे अच्छी सड़कें, flyover, metro station, electricity, etc.. देखने को मिल रही है, जिससे नगर और गांवों के लोग खुश हैं।


स्वास्थ्य सेवा‌ : 

कोरोना के महाकाल के अवसर पर vaccination project और स्वास्थ्य सेवाओं पर अच्छा ध्यान दिया गया है।


प्रयागराज में कुंभ :

कोरोना काल से पहले, प्रयागराज में कुंभ का भव्य आयोजन किया गया था, जो देखने योग्य था, और उससे अच्छा revenue भी आया था।


इस तरह से देखा जाए तो कार्यों की list में, कुछ अच्छा, कुछ ठीक-ठाक और कुछ कार्य अभी भी अपने होने का इंतजार कर रहे हैं।

पर यहाँ यह भी कहना होगा कि जितना भी विकास हुआ है, उसमें किसी जात-पात, धर्म आदि पर विशेष ध्यान ना देकर सब पर ध्यान दिया गया है।

शायद इसीलिए, BJP के supporters सभी धर्मों और सभी जात से हैं। 

इसीलिए BJP से चाहे, सभी खुश ना हों, तथापि जिस किसी से पूछो, कौन सी government आ रही है?

तो लोग एकसुर में एक ही बात बोल रहे हैं कि आएंगे तो योगी ही, खिलेंगे तो कमल ही🌷...

India एक democratic देश है, इसलिए यहाँ पर देश में किस की सरकार हो, इसका निर्णय public द्वारा लिया जाता है।

India में vote देने का right, 18 years के बाद सभी को है। पर हम सब का यह कर्तव्य है कि हम सब वोट दें, साथ ही सही हाथों में देश की बागडोर दें। 

वोट अवश्य दीजिए, वोट हमारा सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और हमारे देश के प्रति सबसे बड़ा फर्ज है।

तो U.P. वाले सभी बहुत सोच समझकर सरकार का चुनाव करें, क्योंकि देश के विकास की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है..

U.P. का vote, जनता के पास remote

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳

Monday, 17 January 2022

Satire : गृहणी के लिए, quarantine के 14 दिन

 House wife के लिए, quarantine के 14 दिन

लोगों के careless approach के कारण आज कल फिर से corona अपना ज़ोर पकड़ रहा है। ऐसे में quarantine होना पड़े, यह कोई बड़ी बात नहीं है। पर हमारी रचना रानी के लिए बड़ी बात ही हो गई। 

कैसे? 

चलिए उनकी आपबीती उनसे ही जानते हैं...

हाँ तो रचना जी बताइए, कैसा रहा आपका अनुभव?

रचना जी नहीं, हमार नाम रचना रानी है। 

हाँ हाँ, बताइए रचना रानी क्या कहना चाहेंगी आप?

हमारे यहाँ बच्चा लोग सकूल, पति और देवर-देवरानी सब ही दफतर जाते हैं। बस हम ही घर चौका-बर्तन, खाना- कपड़ा के लाने घर पर इक्कली रह जाती थीं। 

पर जब से मुआ कोरोना चला है ना, तब ही से सब घर से ही काम-काज करें हैं। इन लोगन का तो काम आधा और हमार दुगना भै गओ है।

का बताएं जिज्जी, जई काम को भार लाने कोरोना, हम से ही चपेट गयो।

फिर...

बस फिर का... वही का कहत हैं, जिस में इक्कले कमरे में रहन होता है।

Quarantine...

हओ जिज्जी, एकदम ही ठीक समझी।

हम कहे, हम ना रहेंगे, ऐसे इक्कले में, हमार तो प्राण सूख जावेंगें बहाँ इक्कले में..

फिर...?

फिर का? कोई ने हमार ना सुनी, ससुरा भेज दओ, मुआ मोबाइल के साथ।

अरे तब तो तुम बहुत परेशान हो गयी होगी, अकेले 14 दिन कैसे काटे? कितना कठिन होता है ना ऐसे रहना?

अरे जिज्जी, जई तो बात है, हम मेहरारू लोग की, दिन भर काम के साथ इक्कले ही तो रहत हैं, कौनों नहीं होता, साथ देने लाने, सारे काम इक्कले ही करन पड़त है, फिर भी कोई इज़्ज़त नही, कोई नाम नहीं।

सब बस छोटिहे की तारीफें करत हैं, देखो कितना काम करे रही, रुपया-पैसा हाथ में रहे, सो अलग...

तो जिज्जी, का भओ, हम जब कमरा में थीं, तो ई ससुरा मोबाइलवा भी साथ था। तो बस कहे बात के अकेले?

बिटिया अपना फ़ेसबुकआ समझा दीहिं, वटसअप में दोई तीन गूरप बना दीन।

बस दिन भर उसमें ही निकल गई, उसमें करना ही का है, 

बस टिपर- टिपर उंगलियन चलत रहो बस।

और कुछ मन करे तो ऊटूब, इंटरनेट भी चला लें। 

काय जिज्जी, ऐसे ही आज कल के लोग, बिज़ी रहत हैं ना, सोई हम हो गए।

का? 

नहीं समझी?

अरे, बिज़ी...

किसी से बात नहीं करती थीं?

काहे नहीं करते थे, बहुते ही बात करते थे। दिन भर फ़ोन पर बतियावत थे। सारे रिश्तेदार, बिरादरी वाले, एकदम बीआईपी बनाएं हुए थे।

सुबह शाम फोन आते थे, ऐसे लग रहो था कि हिरोइन बन गए हों।

दिन भर आराम, खूब सारे फोन, फिर मोबाइल में सारे दिन मज़े, उस पर घर वालों का बहुत ज्यादा ध्यान रखना, मजा ही आ गओ।

सच्ची, ऐसो लग रहा था जिज्जी, मायके पहुंच गए हों

क्यों?

काहे कि जब से ब्याह के आए ना, बिल्कुले आराम नहीं मिला, ना ही कोई ध्यान रखता था, इही बात के लाने और का?...

और बताएं जिज्जी, देवरानी की तो बात ही ना पूछो, बिचारी काम करत करत...

आज बाको और बाकियन को भी समझ आए रहा था कि, सबसे ज्यादा काम हमहीं करते थे।

सो कठिन दिन, हमारे लाने ना थे, उनके लाने थे, जो बाहर कामकाज कर रहे थे...

आज 14 दिन बाद, जब कमरा से बाहर आए ना तो, सबहिं के तेवर बदल गये हैं, सब बहुत मान देने लगे, सबहिं अच्छे से जान जो गये हैं कि हम बहुत काम करत हैं।

तो हम से पूछोगी जिज्जी कि कैसे रहे बे दिन, तो हम तो जेई बोलेंगे कि बहुते ही अच्छे... 

तो रचना रानी की बातें तो यही बताती हैं कि गृहणियों के लिए, जो दिन भर अकेले काम करती रहतीं हैं, फिर भी ना ध्यान मिलता है, ना मान मिलता है, ना नाम...

तो गृहणी के लिए, quarantine के 14 दिन... 

दाग अच्छे हैं....

Friday, 14 January 2022

Recipe : Til Gud Laddoo

शरद ऋतु में होने वाले सभी त्यौहारों में तिल के लड्डू का विशेष महत्व होता है। फिर चाहे वो लोहड़ी पर्व हो, मकर संक्रांति पर्व हो या सकट पर्व हो। सब में ही तिल के लड्डू का प्रसाद बनाया जाता है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, यह लड्डू जितने tasty होते हैं, उतने ही healthy भी। 

भारत के लगभग सभी प्रांतों में जनवरी माह में तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। 

जिसमें तिल और गुड़ तो सभी लोग डालते हैं, हाँ प्रांत के अनुसार, इन्हीं लड्डूओं में कहीं मूंगफली, कहीं नारियल, कहीं काजू, बादाम, गुलाब की पंखुड़ियों, आदि डालकर भी बनाया जाता है।

पहले तो यह घर-घर में बनाए जाते थे, पर अब तो बाजार से ही मंगवा लिया जाता है। कोई बनाना भी चाहे तो उसे इसे बनाना नहीं आता है। 

इन लड्डुओं को बनाने की recipe आपको बहुत मिलेगी, पर उस तरह से बनाने से लड्डू, ज़्यादातर कड़े बनते हैं। जिससे उन्हें खाना भी एक बड़ी चुनौती या समस्या बन जाती है।

तो चलिए आज इसकी authentic recipe ही share कर देते हैं। इनको बनाना बहुत easy है, साथ ही यह ऐसे बनेंगे कि कोई भी एक खाकर, दूसरा मांगे बिना नहीं रहेगा।

तिल-गुड़ लड्डू



Ingredients :

White Sesame seeds - 300 gm.

Jaggery - 250 gm.

Green cardamom - 3 to 4.

Clarified butter (ghee) - 1 tbsp.


Method :

  1. तिल को अच्छे से साफ करके, धोकर सूखने के लिए फैला दीजिए।
  2. एक heavy bottom wok(कड़ाही) लीजिए। 
  3. सूखे हुए तिल को धीमी-धीमी आंच पर 3 to 5 minutes तक लगातार चलाते हुए हल्का सा भून लीजिए।
  4. गुड़ को मोटा-मोटा (coarsely) काट लीजिए।
  5. अब mortar and pestle, इमाम दस्ता या ओखली व मूसल, जो भी आप के पास हो, उसमें गुड़ और तिल डालकर दोनों को अच्छे से कूट लीजिए। 
  6. इसे तब तक कूटना है, जब तक गुड़ और तिल मिल ना जाएं, साथ ही गुड़ कूटने से ऐसा soft हो जाएगा कि आप इससे लड्डू बना सकेंगे। 
  7. अब तिल और गुड़ mix को निकाल कर उसमें cardamom seeds और घी मिला दीजिए।
  8. अब हाथों में हल्का-सा घी लगाकर तिल-गुड़ mix से लड्डू बना लीजिए।

Now, mouth melting, healthy and tasty Til gud laddoo is ready to serve. 


Tips and Tricks :

  • कूटकर बनाने से लड्डू कड़े नहीं बनते हैं। 
  • अगर आप को मूंगफली, काजू और बादाम आदि भी डालना है, तो उन्हें भी भूनकर ही डालिए।
  • गुलाब की पंखुड़ियों को भी लड्डू बनाते समय डालते हैं।
  • आप cardamom seeds को दरदरा पीस कर या महीन पीस कर भी डाल सकते हैं।
  • भूनने से, taste and aroma, दोनों ही enhance हो जाते हैं, साथ ही लड्डूओं की shelf life भी बढ़ जाती है।
  • आप तिल और गुड़ की quantity दोनों को अपने taste के according कम ज्यादा कर सकते हैं।
  • तिल भूनते समय ध्यान रखिएगा कि उसे लगातार चलाते हुए भूनें, अन्यथा तिल बहुत जल्दी जल जाते हैं। 
  • अगर तिल जल जाते हैं, तो उससे बने लड्डू कड़वे लगेंगे। अतः अगर तिल जल गये हैं तो उससे लड्डू ना बनाएं।
  • आप तिल को बिना भूनें भी लड्डू बना सकते हैं। पर भुने हुए तिल से बने लड्डू ज्यादा सौंधे बनते हैं। जिससे उसका taste भी enhance होता है और लड्डू की shelf life भी increase होती है।
  • आप सफ़ेद की जगह काले तिल भी use कर सकते हैैं, पर याद रखियेगा कि काले तिल में बहुत धूल होती है। अतः इन्हें अच्छी तरह से धोकर साफ करना बहुत जरूरी है, वरना लड्डू किसकिसाने लगेगा। जिससे आपकी सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी। 
  • यह लड्डू आप की immunity boost करेंगे तो यह आप को corona virus से भी बचाएगा।

बस तो अब सोच क्या रहे हैं, आज ही बनाएं, तिल-गुड़ के स्वादिष्ट लड्डू और पूरे परिवार को healthy बनाएं।  

तिल-गुड़ लड्डू को जनवरी माह में आने वाले सभी त्यौहार में क्यों बनाते हैं? और तिल-गुड़ लड्डू के health benefits क्या हैं? किस तरह के patience के लिए, तिल-गुड़ लड्डू रामबाण औषधि के समान हो जाएगा, अगर आप भी यह सब जानना चाहते हैं तो मकर संक्रांति पर click करें।

आप सभी को लोहड़ी, मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻

Tuesday, 11 January 2022

Article : मोदी जी की पंजाब रैली???

मोदी जी की पंजाब रैली???




मोदी जी का पंजाब रैली से वापसी, एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है...

हर party उसको अलग-अलग तरह से present कर रही है।

BJP वाले बोल रहे हैं कि मोदी जी की सुरक्षा व्यवस्था में बहुत बड़ी चूक की गई है। मोदी जी की जान को दांव पर लगाया गया था।

वहीं कांग्रेस वाले बोल रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है, जब मोदी जी का किसी तरह का अनिष्ट ही नहीं हुआ, तो किस बात की चूक? 

वहीं कुछ यह भी कह रहे थे कि प्रधानमंत्री जी के काफिले को, एक बार 20 minutes खड़े रहना पड़ा, तो कौन सी बड़ी बात हो गई? आम आदमी को तो कितनी बार इससे ज्यादा देर भी खड़े होना पड़ता है।

इस तरह की और भी बहुत सी बयानबाज़ी की जा रही है...

आप लोगों का क्या सोचना है? 

अगर BJP की बात पर ध्यान दिया जाए तो वो पूरी तरह से ग़लत नहीं हैं, क्योंकि जहाँ मोदी जी के काफिले को रुकना पड़ा था, वहाँ से पाकिस्तान border लगभग 30 km दूरी पर था और यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है और हमेशा हमारे देश, भारत को खतरा पहुंचाने और उसे नीचा दिखाने को तत्पर रहता है। 

तो उनकी काफ़िले का रुकना, उनकी जान से एक तरह का दांव खेलना तो था ही....

फिर, जिसने देश की सुरक्षा को इतना सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो, ऐसे इंसान की अपने ही देश में, सुरक्षा में कमी, क्या किसी विडंबना से कम है?

अब कांग्रेस की बात देखते हैं, वो कह रहें हैं कि कुछ अनिष्ट तो नहीं हुआ, फिर चूक की क्या बात है?

तो क्या अनिष्ट हो जाने के बाद ही यह माना जा सकता है कि सुरक्षा में चूक हुई है? क्या संभावना होने पर उसे चूक नहीं माना जा सकता है?

अगर अनिष्ट होता, तो क्या हो सकता था?

काफ़िला आगे बढ़ता और किसानों से झड़प होती तो कुछ लोग मर जाते, जिससे देश में कोहराम मच जाता।

या, भगवान ना करे, पर कुछ अनिष्ट मोदी जी के साथ हो जाता, तो देश में गृहयुद्ध छिड़ जाता या इंदिरा गांधी जी के मरणोपरांत जैसा दृश्य तो हो ही जाता।

दोनों ही सूरत में बड़ा अनिष्ट ही होता, जो देश के लिए किसी भी तरह से हितकर नहीं है।

ऐसे में कांग्रेस का कहना किस हद तक सही है, यह तो आप सभी समझ रहे होंगे...

अब बात करते हैं उनकी जो कह रहे हैं कि, "एक बार 20 minutes खड़े रहे तो कौन सी बड़ी बात हो गई? आम आदमी को तो कितनी बार इससे ज़्यादा देर भी खड़े होना पड़ता है"...

वैसे आम आदमी को तो छोड़ दीजिए, यह सोचिए आम मंत्री के काफिले को कितनी देर खड़े रहना पड़ता है सड़क पर? बिल्कुल भी नहीं...

वैसे तो, एक आम आदमी और मंत्री में ही फर्क होता है, फिर वो तो देश के प्रधानमंत्री हैं।

काम की जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों ही प्रधानमंत्री की सबसे ज़्यादा होती है।

उनका पद, बाकी सब से ज़्यादा ऊंचा होता है, तो उनका सम्मान भी ज़्यादा होगा और उनकी सुरक्षा भी ज़्यादा होनी चाहिए।

वैसे भी देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री केवल किसी एक party के नहीं होते हैं, वो उससे ऊपर होते हैं। ‌वो देश का गर्व होते हैं और उनकी सुरक्षा देश का सम्मान होता है।

इंदिरा गांधी जी, राजीव गांधी जी या मोदी जी, किसी के भी साथ हुई इस तरह से सुरक्षा में  चूक, वो भी अपने ही देश में, निंदनीय है, अशोभनीय है, अस्वीकार्य है...

ऐसा हमारा मानना है, आप का क्या सोचना है बताइएगा ज़रुर...

Monday, 10 January 2022

Poem : ना जाने कब तक....

 ना जाने कब तक....


यह मास्क जब चेहरे से हटेंगे,

दुनिया के रुख बदल चुके होंगे,

किसी का बचपन गुजर चुका होगा,

कहीं जवानी ढल चुकी होगी।

कहीं रौनक-ए-बहार होगी,

कहीं ढल चुकी बयार होगी,

शायद कुछ चेहरे,

इतने भी बदल जाएं कि,

वो पहचान में भी ना आएं।

ना जाने कब तक हमें,

यूं कैद में रहना होगा,

ना जाने कब तक,

अपनों के बिना जीना होगा।

ना जाने कब तक हमें हसरतें,

यूं सीने में दबानी होगी,

ना जाने कब तक मास्क को,

अपनी निशानी बनानी होगी,

ना जाने कब तक....।।

Friday, 7 January 2022

Story of Life : बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-3)

बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-1) तथा

बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-2) के आगे...

बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-3)




जब नरेंद्र राजा के पास पहुंचा, तब तक तीनों ठग अपनी शिकायत, राजा से कर चुके थे।

राजा ने नरेंद्र के आते ही फरमान सुना दिया कि, उसे  सभी को हर्जाना देना होगा।

एक तो अंजाना नगर, ऊपर से राजा जी का फरमान, नरेंद्र अपने साथ लाए, तीनों सोने के हार को हर्जाने के रूप में गंवा चुका था। तीनों ठग सोने का हार हड़प के बहुत खुश थे।

वो बहुत दुखी था कि उसने अपने पिता जी की आज्ञा की अवहेलना क्यों की।

तभी राजकुमार सभा में आ गया और राजा की गोद में आकर बैठ गया, राजा उसे देखकर दुलार करने लगे।

उन्हें देखकर नरेंद्र को अपने पिता जी की याद आ गई, वो भी उसे ऐसे ही दुलार करते थे। उसी समय नरेंद्र को अपने पिता जी द्वारा दी गई शिक्षा याद आ गई कि जब कभी मुसीबत में फंसो तब अपने बुद्धि और धैर्य से काम लेना, उससे अधिक बलवान कोई नहीं होता है।

उसे एक युक्ति सूझी, उसने तुरंत आगे बढ़ कर अपने गले के मोती के हार को राजकुमार को दे दिया। राजकुमार उसे देखकर बहुत खुश हो गया, राजकुमार को खुश होता देखकर, राजा भी खुश हो गया। राजा को खुश हुआ देखकर, राजसभा में मौजूद सभी लोग भी खुश हो गये। 

नरेंद्र ने सबसे पूछा, क्या राजा जी को खुश देखकर आप सभी मुझसे खुश हैं। सबने हामी भर दी।

अब नरेंद्र ने भोजनालय वाले से पूछा, क्या आप भी मुझसे खुश हैं? भोजनालय वाले को झक मारकर हाँ कहना पड़ा।

राजा जी, मैंने इन्हें खुश कर दिया है तो, अब इन्हें सोने का हार देने की आवश्यकता नहीं है?

हाँ नहीं है, अब तो यह तुम से खुश हो चुका है।

भोजनालय वाला, भुनभुनाता हुआ वहांँ से चल गया।

नरेंद्र की युक्ति काम कर गर्ई, अब राजा, नरेंद्र की बात सुन रहा था। 

वह बोला महाराज, मेरे पिता जी मरकर मछली बन गए थे, मैं उनसे मिलने ही यहाँ आया था, पर बगुले ने मेरे पिताजी को खा लिया था, तो मैंने अपने पिता जी को बचाने के लिए ही बगुले को मारा था। अब बताइए, अपने पिता जी के जीवन की रक्षा करना कौन सा गुनाह किया है और उसका कैसा हर्जाना?

तुम सही कह रहे हो, तुम्हें मछुआरे को कोई हर्जाना देने की आवश्यकता नहीं है।

मछुआरे के मुंह से कुछ नहीं निकला। वो भी वहाँ से चलता बना।

अब नरेंद्र कान कटे व्यक्ति की तरफ मुड़ा और बोला, भाई मेरे पिता जी ने बहुत लोगों के कान लिए थे, तो तुम्हारा कौन सा है, यह मैं पहचान नहीं पाऊंगा, तो तुम एक काम करो, अपना दूसरा कान‌ काटकर दे दो तो मैं उससे मिलाकर तुम्हारा कान दे दूंगा।

यह सुनकर कान कटा व्यक्ति बोला, मुझे हर्जाना नहीं चाहिए ना ही कान चाहिए, उसके बाद वो ऐसा भागा कि उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। 

राजा, नरेंद्र की बुद्धि और धैर्य से प्रसन्न हो गए और बोले, नरेंद्र तुम्हारे जैसा बुद्धिमान और धैर्यवान व्यक्ति मैंने आज तक नहीं देखा। मैं चाहता हूं कि तुम एक सप्ताह मेरे महल में मेहमान बनकर रहो।

नरेंद्र बोला, माफ़ कीजियेगा महाराज, मेरे नगर में सब मेरा इंतजार कर रहे होंगे अतः मुझे जाना ही होगा।

महाराज मान जाते हैं तथा नरेंद्र को खूब सारे उपहार के साथ अपने महल से विदा करवाते हैं। 

उसके बाद नरेंद्र ने हमेशा ही अपने पिता जी की दी हुई शिक्षा पर विशेष ध्यान रखा कि बुद्धि और धैर्य सबसे बलवान होते हैं। साथ ही यह भी कि माता पिता की कही हुई बातों पर विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि उनका कहा हुआ मानने से जीवन में कभी भी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता है...

Thursday, 6 January 2022

Story of Life : बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-2)

बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग -1) के आगे...

बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-2)


नरेंद्र, श्रंखला नगर की सीमा पर पहुंचा, तो वो बहुत भूखा और प्यासा हो गया, उसने देखा, पास ही एक नदी थी। उसने सोचा नदी है, तो उसकी भूख-प्यास शांत करने की व्यवस्था हो सकती है, अतः उसने अपना डेरा वहीं डाल  दिया। 

उसने मछली पकड़ने का मन बना लिया, पर कुछ देर तक प्रयास के बाद भी उसके हाथ एक भी मछ्ली नहीं लगी, वो हताश होकर लौट ही रहा था कि उसे एक बगुला दिखाई दे गया। नरेंद्र ने सोचा, आज इसी का भोजन करते हैं, इसके साथ ही उसने बाण चला दिया, एक तीर से ही बगुला ढेर हो गया।

नरेंद्र, बगुले को उठाने ही वाला था कि एक आदमी वहाँ चला आया और नरेंद्र से लड़ने लगा, तुमने मेरे पिता को मार दिया...

यह तुम्हारे पिता, कैसे हो सकते हैं? नरेंद्र गुस्से में भरकर बोला..

मेरे पिता ने मरकर बगुले का जन्म लिया है, वो मछली पकड़ कर, मेरी मदद करते थे, जिससे मेरा भरण-पोषण होता था।

अब तुम मुझे हर्जाना दो, नहीं तो मैं राजा जी से तुम्हारी शिकायत करुंगा।

जाओ कर दो, नरेन्द्र क्रोधित होते हुए बोला।

नरेंद्र ने सोचा, अब नगर चल कर ही भोजन किया जाए।

नगर में उसे एक कान कटा व्यक्ति मिला। नरेंद्र को देखते ही बोला, अरे तुम आ गए। मुझे मेरा कान वापिस कर दो।

तुम्हारे पिता जी ने मेरे कान के बदले में मुझे 10 रुपए उधार दिए थे। तुम यह 10 रुपए ले लो, और मुझे मेरा कान लौटा दो।

बकवास मत करो, मेरे पिता जी ने ऐसा कुछ नहीं किया..

तुम मेरा कान वापस करो या हर्जाना दो, अन्यथा मैं राजा जी के पास जाऊंगा।

जा जा, जिसके पास जाना है जा, मैं तुम्हें कुछ नहीं देने वाला..

अब नरेंद्र भूख और ठग लोगों की बातें सुनकर चकराने लगा था।

एक भोजनालय के आगे पहुंच कर उसने खाने के लिए दो रोटी और थोड़ी सी सब्जी खरीदी। जब उसने खाने का मूल्य पूछा तो भोजनालय का मालिक बोला, आप से क्या लेना, आप बस मुझे खुश कर देना।

नरेंद्र ने भोजन खाकर उचित दाम के अनुसार 10 रुपए दिए।

भोजनालय का मालिक बोला, बस इतने से? मैं खुश नहीं हुआ...

नरेंद्र ने 20, 50, 100 तक उसे देने चाहा, पर भोजनालय का मालिक अड़ा रहा, मैं खुश नहीं हुआ। तुम मुझे खुश करो, वरना मैं राजा जी से तुम्हारी शिकायत करुंगा...

नरेंद्र ने 10 रुपए दिए और कहा कि यह उचित मूल्य है, मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं दूंगा, तुम्हें जिससे जो कहना है, कहो। 

नरेंद्र दुःखी होकर, अपने खेमे की ओर लौट आया, उसे अच्छे से समझ आ गया था कि क्यों उसके पिता जी यहाँ आने को मना करते थे। इस नगर में तो ठगों की पूरी श्रृंखला है और उनसे बचना भी मुश्किल...

वो इसी उधेड़बुन में था कि उसनेे देखा, राजा के सैनिक पहले ही खड़े थे। नरेंद्र के आने से वो उसे राजा के पास ले गए। 

जहाँ वो तीनों दुष्ट व्यक्ति पहले से ही मौजूद थे।

आगे पढ़ें बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग -3) अंतिम भाग में...

Wednesday, 5 January 2022

Story of Life: बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान

 बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान


बात बहुत पुरानी है, जब राजा, महाराजा हुआ करते थे। उनके द्वारा किए गए फैसले सर्वमान्य होते थे। उन्होंने जो कह दिया, वो पत्थर की लकीर। 

वो खुश तो सब सही, वरना कुछ किसी के बस में नहीं।

तो चलिए उस ज़माने में चलते हैं...

एक व्यापारी था, घना होशियार। अपने काम में परांगत, जितना होशियार, उतना ही धैर्यवान।

अपने राज्य में सबसे अधिक अमीर और बहुत ज्यादा सुखी।

उसका एक ही बेटा था, नरेन्द्र। जब वो जवान हुआ तो व्यापारी ने अपने बेटे में अपना सारा ज्ञान उड़ेल दिया। बेटा अपने पिता से भी ज्यादा घना होशियार, शांत और धैर्यवान और आज्ञाकारी था।

दोनों पिता-पुत्र दिन-दूनी, रात-चौगुनी तरक्की कर रहे थे। एक दिन व्यापारी को अंदेशा हुआ कि उसका अंत निकट आ गया है। 

उसने नरेंद्र से कहा, बेटा मैंने तुम्हें जो भी ज्ञान दिया, उसका अनुपालन करना, तो तुम्हें कभी धन की कमी नहीं होगी। 

मैंने बहुत मेहनत से यह धन कमाया है, तुम इसकी वृद्धि करते जाना। और हाँ व्यापार करने श्रंखला नगर कभी ना जाना। साथ ही मेरा एक मंत्र सदैव याद रखना, जब कभी मुसीबत में फंसो, तब सिर्फ अपनी बुद्धि और धैर्य पर विश्वास करना। इससे बड़ा दुनिया में कोई बल नहीं है। 

नरेंद्र ने पिता जी की सारी बातें ध्यान से सुनीं तथा सब बातें उसने गांठ-बांध ली, पर श्रंखला नगर में ऐसा क्या है, जो वहाँ व्यापार को नहीं जाना है।

यह वो समझ नहीं पाया, उसने पिता जी से पूछना भी चाहा, पर पिता जी यह कहकर हमेशा के लिए शांत हो गये।

पिता जी के विधिवत संस्कार के पश्चात नरेंद्र ने कुशलता पूर्वक व्यापार करना शुरू कर दिया।

उसकी मेहनत, कुशलता व पिता जी के द्वारा मिले ज्ञान से वो और अधिक धनवान और प्रसिद्ध व्यापारी बन गया। पर श्रंखला नगर उसे अपनी ओर आकर्षित करता रह रहा था। 

एक दिन उसने अपने पिता जी से क्षमा मांगी और कहा कि आज आपकी आज्ञा के विरुद्ध, श्रंखला नगर जा रहा हूँ। मेरा मार्ग प्रशस्त कीजिएगा।

उसने एक संदूक लिया, उसमें अपनी दुकान से तीन स्वर्ण हार लिए। अपना खानदानी मोतियों का हार पहना और श्रंखला नगर को रवाना हो गया...

आगे पढ़े, बुद्धि, धैर्य सबसे बलवान (भाग-2) में...

Monday, 3 January 2022

India's Heritage : पुष्यमित्र शुंग

आज आपको ऐसे यौद्धा के विषय में बताने जा रहे हैं, जिनको कुछ लोग सही तो कुछ ग़लत ठहराएंगे।

आपका क्या पक्ष है, comments के जरिए बताइएगा। अगर हमसे पूछेंगे तो हम तो यही कहेंगे कि पुष्यमित्र शुंग हैं, इसलिए भारत है।

कौन हैं यह पुष्यमित्र शुंग, यह हम आपको बताते हैं, पर पहले आप से कुछ प्रश्नों के उत्तर चाहते हैं।

जैसा कि सब जगह यही कहा जाता है कि जीवन का मूल शांति और ईश्वर प्राप्ति है। आप इससे किस हद तक सहमत हैं?

क्या कहा? 

पूर्णतः सहमत हैं... 

जी बिल्कुल सही!

अच्छा अब दूसरा प्रश्न, यदि आप रक्षक हैं, दुश्मन देश आप के देश पर हमला करने आ रहा है, जिसमें विजय के पश्चात वो आपके देश को बुरी तरह रौंद डालेगा। बच्चों-बूढ़ों पर अत्याचार करेगा, स्त्रियों के साथ दुराचार करेगा।

क्या तब भी आप के लिए शान्ति और ईश्वर भक्ति सर्वोपरी होगी? और देश की रक्षा के लिए तलवार उठाना अनुचित? 

या आप के लिए, देश से बढ़कर कुछ नहीं है, ना स्वयं ना ईश्वर। 

आप को गुलामी से बेहतर प्राण न्यौछावर करना ज्यादा उचित लगेगा? 

बस इसी कशमकश में वीरता की मिसाल हैं पुष्यमित्र शुंग।

पुष्यमित्र शुंग, जिसने मौर्य साम्राज्य के साथ-साथ बौद्ध धर्म का भी अंत कर दिया!

पुष्यमित्र शुंग





भारत वर्ष में कई महान राजा हुए हैं। हिंदू धर्म ग्रंथ और ऐतिहासिक साहित्य इनका वर्णन करते हैं।

ऐसे ही एक प्रतापी राजा हुए पुष्यमित्र शुंग।

 शुंग वंश की शुरूआत करने वाले पुष्यमित्र शुंग जन्म से एक ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय थे। इन्हें मौर्य वंश के आखिरी शासक राजा बृहद्रथ ने अपना सेनापति बनाया था।

हालांकि, पुष्यमित्र शुंग ने बृहद्रथ की हत्या कर मौर्य साम्राज्य का खात्मा कर भारत में दोबारा से वैदिक धर्म की स्थापना की थी। इससे पहले इन्होंने बौद्ध धर्म का लगभग विनाश कर ही दिया था।

आखिर क्यों और कैसे पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य साम्राज्य का खात्मा किया? आइए, जानते हैं-


वैदिक धर्म का पतन :

कहानी की शुरूआत, भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल से होती है। चन्द्रगुप्त मौर्य के आचार्य चाणक्य ने सदैव हिंदु धर्म का विस्तार करने की प्रेरणा दी।

आचार्य चाणक्य की मौत के बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म अपना लिया और उसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दिया।

चंद्रगुप्त की मौत के बाद मौर्य साम्राज्य की कमान उनके पुत्र बिन्दुसार के हाथों में आ गई। बिन्दुसार ने अपनी दीक्षा आजीविक संप्रदाय से ली। जिसके चलते वह भी वेद विरोधी सोच वाले बन गए। उन्होंने इसी सोच का प्रसार किया।

जब बिन्दुसार के पुत्र 'चंड अशोक' राजगद्दी पर बैठे, तो शुरुआत में उन्होंने खूब हिंसा का सहारा लिया। अपने साम्राज्य की सीमा विस्तार के लिए उन्होंने पूरे कलिंग को तबाह कर दिया। इसके बाद उन्होंने अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया।

बौद्ध धर्म अपनाने से पहले अशोक का साम्राज्य आज के म्यांमार से लेकर ईरान और कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक स्थापित था। हालांकि कलिंग विजय के बाद इनका सीमा विस्तार कार्यक्रम से मोहभंग हो गया और इन्होंने अपना पूरा जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में लगा दिया।

...और बिखर गया मौर्य साम्राज्य 

अशोक द्वारा अपनाए गए बौद्ध धर्म के कारण पूरा मौर्य साम्राज्य हिंसा से दूर हो गया था। इसका फायदा उठाते हुए साम्राज्य के छोटे-छोटे राज्य अपने आपको स्वतंत्र बनाने की कोशिशों में लग गए।

इसी के फलस्वरूप, अशोक की मौत और वृहद्रथ के अंतिम मौर्य शासक बनने तक मौर्य साम्राज्य बेहद कमजोर हो गया था। वहीं, इस समय तक पूरा मगध साम्राज्य बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गया।

यकीन करना मुश्किल था, लेकिन जिस धरती ने सिकंदर और सैल्युकस जैसे योद्धाओं को पराजित किया, वह अब अपनी वीर वृत्ति खो चुकी थी। अब विदेशी भारत पर हावी होते जा रहे थे। कारण केवल एक था बौद्ध धर्म की अहिंसात्मक नीतियां।

इस समय भारत की खोई हुई पहचान दिलाने के लिए एक शासक की जरूरत थी। जल्द ही उसे पुष्यमित्र शुंग नाम का वो महान शासक मिल ही गया।

राजा बृहद्रथ की सेना की कमान संभालने वाले ब्राह्मण सेनानायक पुष्यमित्र शुंग की सोच राजा से काफी अलग थी। जिस प्रकार बीते कुछ वर्षों में भारत की वैदिक सभ्यता का हनन हुआ था, उसे लेकर पुष्यमित्र के मन में विचार उठते रहते थे।

इसी बीच राजा के पास खबर आई कि कुछ Greek शासक भारत पर आक्रमण करने की योजना बना रहे हैं। इन Greek शासकों ने भारत विजय के लिए बौद्ध मठों के धर्म गुरुओं को अपने साथ मिला लिया था।

सरल शब्दों में कहा जाए तो, बौद्ध धर्म गुरु राजद्रोह कर रहे थे। भारत विजय की तैयारी शुरू हो गई। वह Greek  सैनिकों को भिक्षुओं के वेश में अपने मठों में पनाह देने लगे और हथियार छिपाने लगे।

ये खबर जैसे ही पुष्यमित्र शुंग को पता चली, उन्होंने राजा से बौद्ध मठों की तलाशी लेने की आज्ञा मांगी। मगर राजा ने पुष्यमित्र को आज्ञा देने से इंकार कर दिया।

पुष्यमित्र शुंग ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि आप देश को बड़ा मानते हैं या राजा को...

सेना असमंजस में पड़ गई...

पुष्यमित्र शुंग ने पुनः कहा, कि मेरे लिए ना राजा बड़ा है, ना मैं बड़ा हूँ, मेरे लिए, मेरा देश  सबसे बड़ा है। वो देश हम सब का है, मेरा भी और आप का भी। आप के देश को बचाने के लिए, देश के बच्चे, बूढ़े और स्त्रियों को सम्मान जनक जीवन देने के लिए, मुझे आप का सहयोग चाहिए। 

क्या आप मेरा साथ देंगे...

आज तक किसी ने सेना को यह सम्मान नहीं दिया था, उन्हें कभी यह एहसास नहीं दिलाया था कि वो देश के रक्षक है, देश के भविष्य निर्माता हैं। उन्हें मात्र सेवक की ही मान्यता प्राप्त थी।

ऐसा सम्मान पाकर सेना जोश से परिपूर्ण हो गई और पुष्यमित्र शुंग के साथ Greek सेना का काल बनने को सहर्ष तैयार हो गई। 

सेनापति पुष्यमित्र राजा की आज्ञा के बिना ही अपने सैनिकों समेत मठों की जांच करने चले गए। जहां जांच के दौरान मठों से Greek सैनिक पकड़े गए। इन्हें देखते ही मौत के घाट उतार दिया गया।

वहीं, उनका साथ देने वाले बौद्ध गुरुओं को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर राज दरबार में पेश किया गया।


बृहद्रथ की हत्या कर पुष्यमित्र बने सम्राट :

बृहद्रथ को सेनापति पुष्यमित्र का यह बर्ताव अच्छा नहीं लगा। एक सैनिक parade के दौरान ही राजा और सेनापति के बीच बहस छिड़ गई। बहस इतनी बढ़ गई कि राजा ने पुष्यमित्र पर हमला कर दिया, जिसके पलटवार में सेनापति ने बृहद्रथ की हत्या कर दी।

वहीं माना ये भी जाता है कि एक रात पुष्यमित्र ने राजा बृहद्रथ को अकेले दरबार में बुलाकर धोखे से मारा था।

बहरहाल, बृहद्रथ की हत्या हो चुकी थी। हत्या के बाद सेना ने पुष्यमित्र का साथ दिया और उसे ही अपना राजा घोषित कर दिया।

राजा का पद संभालते ही पुष्यमित्र ने सबसे पहले राज्य प्रबंध में सुधार किया। 

पुष्यमित्र शुंग अपंग हो चुके साम्राज्य को दोबारा से खड़ा करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक सुगठित सेना का निर्माण शुरू कर दिया।

पुष्यमित्र ने धीरे-धीरे उन सभी राज्यों को दोबारा से अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया, जो मौर्य वंश की कमजोरी के चलते इस साम्राज्य से अलग हो गए थे।

ऐसे सभी राज्यों को फिर से मगध के अधीन किया गया और मगध साम्राज्य का विस्तार किया।

इसके बाद पुष्यमित्र ने भारत में पैर पसार रहे Greek शासकों को भारत से खदेड़ा। राजा ने Greek सेना को सिंधु पार तक धकेल दिया। जिसके बाद वह दोबारा कभी भारत पर आक्रमण करने नहीं आए।

इस तरह राजा पुष्यमित्र ने भारत से Greek सेना का पूरी तरह से सफाया कर दिया था।

भारत में वैदिक धर्म की पुन: स्थापना

दुश्मनों से आजादी पाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने भारत में शुंग वंश की शुरूआत की और भारत में दोबारा से वैदिक सभ्यता का विस्तार किया। इस दौरान जिन लोगों ने भय से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था, वह फिर से वैदिक धर्म की ओर लौटने लगे।

वहीं, इतिहास में कुछ जगहों पर इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि पुष्यमित्र ने बौद्ध धर्म के लोगों पर बहुत अत्याचार किए थे। माना ये भी जाता है कि बौद्ध धर्म के लोगों ने Greek शासकों की मदद कर राजद्रोह किया था। इसी के आरोप में पुष्यमित्र शुंग ने ऐसे देशद्रोही क्रूर बौद्ध धर्म अनुयायियों को सजा दी थी।

भारत में वैदिक धर्म के प्रचार और साम्राज्य की सीमा विस्तार के लिए पुष्यमित्र शुंग ने अश्वमेध यज्ञ भी किया था। भारत के अधिकतर हिस्से पर दोबारा से वैदिक धर्म की स्थापना हुई।

इस तरह से पूरे हिंदुस्तान में वैदिक धर्म की विजय पताका लहराने वाले पुष्यमित्र शुंग ने कुल मिलाकर 36 वर्षों तक शासन किया था।

Saturday, 1 January 2022

Poem : सुखद नववर्ष आया

सुखद नववर्ष आया 




सुखद नववर्ष आया है,

नवयौवना सा वो देखो,

हर दिल को भाया है।

नयी उमंगें, नयी चाहतें,

खुशियों के आने की आहटें;

नयी भोर सा उज्जवल शीतल,

सुखद स्वप्न ले अपने भीतर।

सबको हर्षित करने आया है ,

सुखद नववर्ष आया है।

विगत वर्ष जो बीत गया,

सुख-दुःख अपने में समेटे;

जा रहा है, यह आशीष देकर।

हो नववर्ष सुखद सुन्दर,

तारों सा झिलमिल झिलमिल,

हर एक को मिल जाए इसमें,

अपनी-अपनी मंज़िल।

मिले सभी को अपनों का साथ,

ना छूटे कहीं, किसी का हाथ।

नववर्ष आए लेकर,

सबके लिए खुशियों की सौगात।।


💐Happy New Year to all of you 🎉