Sunday, 31 July 2022

Poem : तीज की छटा निराली

 तीज की छटा निराली


तीज की है, 

 छटा निराली।

छाई है,

हर ओर हरियाली।

मेहंदी से हर,

हाथ रच गये।

दिल के हर,

जज़्बात सज गये।।

हरी हरी चूड़ी,

हरी हरी चुनरी,

हरी ही बिंदी,

होठों पर लाली,

नारी ने प्रकृति सी,

छवि बना ली।।

सज-धज के सारी,

लगे दुल्हनिया।

प्रीत के रंग में,

रंगी है दुनिया।। 

भोलेबाबा का,

अजब रुप है।

माँ पार्वती का,

मोहक स्वरुप है।।

घेवर, अनरसे की, 

सुगंध सुहानी। 

सबको बना रही, 

दिवानी।।

रिमझिम फुहारों की,

 झड़ी लगी है।

झूले पर सखियों की,

पींग बढ़ी है।।

पंछियों के कलरव से,

 समा सुहाना। 

हर्षित हो रहा,

 सारा ज़माना।।

आओ मिल जुल,

हम कजरी गाएं।

सुहागिनों वाला, 

तीज पर्व मनाएं।।

आप सभी को हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🎉

ईश्वर सभी को अखण्ड सौभाग्य प्राप्त करें 🙏🏻🙏🏻


Friday, 29 July 2022

Article : Rooftop Solar Power Scheme

  Rooftop Solar Power Scheme


बढ़ती गर्मी के कारण, बिजली के बढ़ते खर्चों से हर कोई परेशान है। बिना AC or cooler के काम नहीं चलता है, और इन्हें चलाएं तो, बिजली का बिल और दिल की धड़कन दोनों बहुत तेजी से बढ़ती है।

पर कर क्या सकते हैं? सहन करने के अलावा दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है! 

जब आप Shades of Life के साथ हैं तो solution बताना तो बनता ही है...

जी हाँ, उपाय है, वो भी बहुत अच्छा, और हाँ, वो भी एक दो दिन, हफ्ते या महीने के लिए नहीं, बल्कि सालों के लिए...

क्या हुआ, सुनकर चौंक गए? 

बिल्कुल हैरान मत होइए, ऐसा हो सकता है, बल्कि हम तो कहेंगे कि सब को इसे अपनाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे पैसे बचाने के साथ ही environment protection के लिए भी बहुत अच्छा साबित होगा...

चलिए, अब और बात करने के बजाए सीधे मुद्दे पर आते हैं... 

हम बात कर रहे हैं, Solar panel की।

Central government द्वारा अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए Central government द्वारा rooftop solar power scheme चलाई जा रही है। इस scheme के तहत यदि आप अपने घर की छत पर Solar panel लगवाते हैं। तो आपको घर की खपत के लिए काफी ही कम दाम पर बिजली प्राप्त होगी। 

Central government के द्वारा चलाई जा रही, इस योजना में rooftop solar power subsidy plan की जा रही है। अगर आप इस योजना का लाभ उठाते हैं, तो बिजली की लागत लगभग, तीस से पच्चास प्रतिशत तक कम हो जायेगी।

इस plan के द्वारा 25 वर्ष तक बिजली उपलब्ध होगी। जिसमे आपको starting के करीब, पांच वर्षो तक भुगतान करना पड़ेगा। इसके बाद आप करीब बीस वर्षो तक free में बिजली का फायदा उठा सकते है। जिसके लिए आपको कुछ भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 

इस scheme को प्राप्त करने के लिए आपको Electricity Distribution And Billing Office से संपर्क करना पड़ेगा।

बिना एक रूपए खर्च करे, free में भी आप Solar panel लगवा सकते हैं।  उसकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए, आपको mnre.gov.in पर login करना होगा, इससे आप सभी जानकारी प्राप्त कर सकते है। 

वहीं इस scheme में apply करने के लिए आपको rooftop solar power scheme पर जाना होगा। जहां सभी जानकारी आपको विस्तार से प्राप्त हो जायेगी। जो कि आपको solarrooftop.gov.in पर login करने से मिलेगा। 

इसके बाद आप उस form पर apply करें। वहां आपको अपना State select करना होगा। जिसके बाद आप अपने सभी details fill करेंगे। इस प्रकार से आप easily solar rooftop subsidy plan के लिए  registration कर सकेंगे। इसके बाद आपको company संपर्क करेगी। 

एक बार details में इस योजना को ज़रुर पढ़ें और अगर यह आप को यह plan लाभदायक लगे तो फिर बिना किसी देरी के इसका भरपूर लाभ उठाएं।

Wednesday, 27 July 2022

Tip : Fake paneer vs Real paneer

हम vegetarian लोगों के लिए, party में कुछ special arrangements करना हो तो सबसे पहले जो याद आता है तो वो है पनीर...

हमारी हर दावत की शान होता है पनीर। फिर वो चाहे कोई official party हो या unofficial.

बच्चों की birthday party हो, हम लोगों की anniversary party हो या marriage party. 

मतलब ज़रा कुछ special events हुए नहीं कि, पनीर की एक recipe तो पक्की। 

इसका बहुत बड़ा कारण यह है कि, मौसम कोई हो, state कोई हो, पनीर हमेशा मिल जाता है, सबको बहुत पसंद आता है, और सबकी बड़ी बात, premium dish मानी जाती है।

लेकिन आज हम आपको इसकी कोई recipe बताने नहीं जा रहे हैं, बल्कि उससे भी important बात बताने जा रहे हैं, जो हर पनीर‌ lover को जाननी चाहिए। 

पनीर, असली है या नकली? 

जानना चाहते हैं कि क्यों? 

क्योंकि, कई बार पनीर खाने की वजह से बदहजमी हो जाती है या फिर सेहत बिगड़ जाता है ऐसे में आपको समझ जाना चाहिए कि जो पनीर आप ने खरीदा था, क्या वो वह असली नहीं है? 

अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि इसकी पहचान कैसे की जाए? तो यह बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है इसका हल हम आपको बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं असली और नकली पनीर की पहचान कैसे करते हैं 

नकली पनीर की पहचान

 

By Rubbing

जब भी बाजार से पनीर खरीद कर लाए तो उसके एक टुकड़े को हाथ से मसलकर देखिए, अगर वह एक ही बार में चूरा बन जाता है, तो समझ लें मिलावटी है। इसे skimmed milk Powder से बनाया जाता है जिसकी वजह से ऐसा होता है।

Treat with Iodine 

पनीर के एक block को पानी में डाल कर उबालिए और Iodine tincture की कुछ बूंदें डालकर कुछ सेकंड के लिए छोड़ दीजिए, अगर यह नीला पड़ जाएगा इसका मतलब आप ने नकली पनीर खरीदा है

By taste and texture

सबसे आसान तरीका है कि पनीर का एक टुकड़ा खा कर देखें, अगर खाने में यह रबड़ की तरह खींचता है तो समझ जाइए यह नकली है इसके अलावा यह छूने में सख्त है तो भी पनीर नहीं खरीदना चाहिए 

Treat with soyabean or arhar dal powder

एक तरीका यह भी है, पनीर के एक block को उबाल लीजिए, जब पनीर ठंडा हो जाएगा तब इस पर सोयाबीन या अरहर की दाल का पाउडर छिड़क 10 मिनट के लिए रखें अगर पनीर लाल पड़ जाता है इसका मतलब इसमें Urea की मिलावट की गई है। 

तो अब से पहले आप पनीर की जांच कर लें, उसके बाद ही उससे अपनी favourite dish बनाएं।

Tuesday, 26 July 2022

Poem: माँ का अस्तित्व

अभी बच्चों के दसवीं और बारहवीं के परिणाम घोषित हुए हैं, जिसमें ईश्वर की कृपा और अपने सभी लोगों के आशीर्वाद से बच्चों के बहुत अच्छे परिणाम आए हैं। सभी बच्चों को बहुत सारी बधाइयां, शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद...

उन सभी माँ के प्रेम, समर्पण और प्रसन्नता को समर्पित आज की कविता...

माँ का अस्तित्व 



बच्चे की सफलता पर, 

किसी ने माँ से पूछा।

उसके सफल होने से,

आप ने क्या है पाया? 

नाम, यश, कीर्ति सब उसकी, 

आपके हिस्से क्या आया? 

माँ ने बड़े प्यार से, 

अपने बच्चे का माथा चूमा।

फिर अपने अस्तित्व को टटोला,

कुछ देर बाद, उसने बोला,

मेरे पंखों को परवाज़ मिल गये। 

सुर को मेरे, साज मिल गये। 

जो सपने थे अधूरे,

पूरे वो आज हो गए।

जी रही थी मैं,

 आज तक जिस आस में, 

उस आस को मायने मिल गये।

माँ के अस्तित्व को,  

जीने के बहाने मिल गये।।

Monday, 18 July 2022

Article: शिव जी को भांग और धतूरा प्रिय क्यों?

सावन का पवित्र महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू हो चुका है जोकि 12 अगस्त 2022 तक रहेगा। 

भगवान शिव को सावन माह अति प्रिय होता है। इस माह शिवभक्त महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। इस पूजा में उन्हें ऐसी चीजें अर्पित की जाती है जो शिवजी को अत्यंत प्रिय है। 

वैसे तो शिवलिंग पर कई चीजें चढ़ाई जाती हैं। लेकिन शिवजी की प्रिय चीजों में बेलपत्र, भांग और धतूरा शामिल है। 

कहा जाता है कि इन चीजों को पूजा में अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सर्वमनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों शिवलिंग पर भांग और धतूरा चढ़ाया जाता है। 

सावन के पूरे महीने में भगवान शिवजी की पूजा की जाती है। इस माह पड़ने वाले सोमवार का सावन के व्रत में सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है, क्योंकि भगवान शिव को माह में सबसे प्रिय माह, सावन लगता है और दिन में सोमवार। इसलिए जो शिव भक्त, सावन के पूरे महीने व्रत नहीं रख पाते हैं, वो सावन के सारे सोमवार को अवश्य व्रत रखते हैं।

आज सावन का पहला सोमवार है, अतः हमने सोचा, कि आज यही लेख डालें कि भगवान शिव को भांग और धतूरा क्यों चढ़ाते हैं? आखिर क्यों भोलेनाथ को भांग और धतूरा अति प्रिय है?

शिव जी को भांग और धतूरा प्रिय क्यों?

शिव जी को भांग और धतूरा चढ़ाने का संबंध समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी हुई है। भगवान शिव को भांग और धतूरा चढ़ाने का अर्थ यह भी है कि मन से कड़वाहट तो दूर करें और अपने वाणी व व्यवहार में मधुरता लाएं। यदि मन में कड़वाहट नहीं होगी तो ईश्वर तो स्वतः ही मिल जाएंगे।

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें हलाहल नाम का विष निकला। 

जब विष निकला तो, सब एक दूसरे की ओर देखने लगे, क्योंकि अच्छी चीज निकलने से दानव और देव दोनों लेना चाहते थे। पर विष कोई नहीं लेना चाहता था।

फिर विष, कोई साधारण विष नहीं बल्कि हलाहल विष था, जिसका बहुत घातक असर था। तभी, जो बहुत ही भोले और मस्त मलंग हैं, जो अभय हैं, ऐसे गुणों से युक्त हमारे भोलेनाथ, ने सृष्टि को इस विष से बचाने के लिए स्वयं यह विष पी लिया। 

जिससे भोलेनाथ का कंठ नीला पड़ गया इस कारण शिवजी को नीलकंठ भी कहा जाता है। विष का सेवन करते ही शिवजी व्याकुल होने लगे।  

देवताओं और अश्विनी कुमारों ने शिवजी को भांग, धतूरा और बेलपत्र को दूध में मिलाकर औषधि के रूप में पिलाया। इसके बाद शिवजी की व्याकुलता दूर हुई। तब से ही भगवान शिव को भांग धतूरा अतिप्रिय है और भक्त पूजा में उन्हें उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं। इसलिए शिवजी की पूजा में भांग और धतूरा चढ़ाने का विधान है।

आप सभी को सावन के पहले सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

भगवान शिव, हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻🙏🏻

बम बम भोले🕉️ 🔱

Friday, 15 July 2022

Article : 'One Nation, One Number’

सरकार की नीति, आज कल यही रह रही है कि किस तरह से पूरे देश को एक किया जाए। जिससे कोई भी किसी भी राज्य में रहे, उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो। 

उसी के तहत पूरे देश में एक कानून व्यवस्था रखने की तरफ़ ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

सम्पूर्ण देश को एक करने की मुहिम में ही, एक देश, एक नंबर का नियम भी बनाया गया है।

यह योजना, transfer होते रहने वाले लोगों के लिए बहुत कारगर साबित होगी। क्योंकि जिनके transfer, हर दो साल, चार साल में हो जाते हैं, या जो private sector में होते हैं और growth के लिए job change करते रहते हैं, उनके लिए गाड़ियों के नंबर की समस्या बहुत बड़ी होती है।

तो जिनको भी, यह समस्या होती है, आज का article, उनकी इस problem का solution है।

अब 'एक देश, एक नंबर' की scheme के तहत, देश भर में आप कहीं भी अपना vehicle चला सकेंगे और आप को पुलिस नहीं रोकेगी... 

कैसे? क्या करना होगा?... 

इन सब जवाबों को पढ़ने के लिए, पूरा article अवश्य पढ़ें... 

‘ एक देश, एक नंबर ’



BH Series Number Plate: 

Transport department 'एक देश, एक नंबर' policy पर काम कर रहा है। एक देश एक नंबर policy के आने से देश में कहीं भी वाहन चलाने में सुविधा होगी। 

इस योजना के मुताबिक BH series number plate, vehicle पर लगी होगी। इस नंबर के लगे होने से आप किसी भी राज्य में बिना किसी रोक-टोक के गाड़ी चला सकते हैं। इस registration number की शुरुआत में BH लिखा होगा।

Bharat series number plate का purpose अन्य राज्यों में काम करने वाले employees को benifit देना है। इस series के number का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिनका transfer किसी अन्य राज्यों में होता रहता है। आइये BH series number plate से जुड़ी हुई सभी महत्वपूर्ण बातों पर गौर करें और जानें इस number plate को पाने की पूरी process क्या है। 


क्या होता है Bharat series number?

Ministry of Road Transport and  Highways ने पिछले साल सितंबर 2021 में  non transport vehicles के लिए new launch की गई BH series (Bharat series) number plate के तहत vehicle registration शुरू किया था। अगर आप सिर्फ एक बार ‘BH series’ का number register करवा लेंगे तो, उन्हें दूसरे राज्यों में इसे बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

सेना के जवानों सहित कुछ नौकरियों के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों को हर 2-3 साल में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना पड़ता है, जिससे हर बार नया नंबर खरीदना मुश्किल हो जाता है। इसे खत्म करने के लिए BH series number plate को पेश किया गया है, जिसके लिए हर बार मालिक के दूसरे राज्य में जाने पर नए registration की आवश्यकता नहीं होती है। 


Registration :

इससे पहले Motor Vehicle Act की धारा 47 के अनुसार, Owners को केवल 12 महीने के लिए अपने vehicle को दूसरे राज्य (जिस राज्य में वे registered हैं से अलग) में रखने की अनुमति थी। इस duration के बाद vehicle का registration नए राज्य में transfer करना पड़ता था। हालांकि, BH series के साथ vehicle owner पूरे देश में कही भी घूम सकते हैं। यह नंबर प्लेट पूरे देश में मान्य रहेगी।


BH series number plate कैसे प्राप्त करें?

BH series number plate को लेने के लिए आपको online apply करना पड़ेगा।

Vehicle portal के माध्यम से purchase के समय dealer द्वारा वाहनों को online registered किया जा सकता है। Registration process पूरी होने के बाद vehicle owner को BH series की number plate मिल जाएगी। इसके अलावा, apply करने के लिए सबसे पहले Ministry of Road Transport and Highways Vehicle Portal पर Logon करें।

Wednesday, 13 July 2022

Article : गुरु पूर्णिमा पर्व, विशेष क्यों?

 गुरु पूर्णिमा पर्व, विशेष क्यों? 



गुरु पूर्णिमा पर्व है, गुरु का सम्मान करने का दिन, उनका आभार व्यक्त करने का दिन, अपना जीवन समर्पित करने का दिन और गुरु में ईश्वर के साक्षात्कार करने का दिन...

गुरु पूर्णिमा पर्व, हमारी भारतीय संस्कृति का विशिष्ट पर्व है, जिसकी महत्ता, हमारे जीवन में बहुत अधिक है। 

सदियों पुरानी यह परंपरा, आज कुछ चंद जगहों पर ही पर्व के रूप में मनाई जा रही है। जबकि कितने तो ऐसे हिन्दू लोग भी हैं, जो इसके विषय में जानते तक नहीं हैं। 

आज का हमारा यह लेख, आप को अवगत करायेगा, कि गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाते हैं? गुरु की हमारे जीवन में आवश्यकता क्या है?


गुरु पूर्णिमा, कब और क्यों?

महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। उन्हें आदिगुरु भी कहा जाता है। 

उनके सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवत पुराण का ज्ञान दिया था। 


बौद्धों में गुरु पूर्णिमा की आस्था :

एक अन्य किंवदंती के अनुसार, बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के पांच सप्ताह बाद, भगवान बुद्ध, बोधगया से सारनाथ, उत्तर प्रदेश गए। वहां उन्होंने पूर्णिमा के दिन प्रवचन दिया। यही कारण है कि गौतम बुद्ध के अनुयायी उनकी पूजा करने के लिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं और आषाढ़ पूर्णिमा तिथि बौद्धों के लिए महत्वपूर्ण है।  


गुरु और शिक्षक में अंतर :

हम सभी को शिक्षक दिवस तो पता है, हर साल, स्कूलों में यह दिन, हम अपने शिक्षकों के सम्मान में 5 सितंबर को मनाते हैं। 

पर गुरु पूर्णिमा की विशेषता बहुत ही कम  स्कूल में समझी जाती है।

अब आप के मन में सवाल उठ रहा होगा कि गुरु और शिक्षक में अंतर क्या होता है? दोनों ही तो ज्ञान देते हैं...

जी हांँ, दोनों ही ज्ञान देते हैं, पर गुरु और शिक्षक में, देखें तो सूक्ष्म अंतर है और सोचें तो बहुत बड़ा अंतर है। गुरु ज्ञान देता है, शिक्षक शिक्षण करता है। 

गुरु-शिष्य की एक परंपरा है, जिसमे गुरु के पीछे जुड़कर शून्य या नगण्य (अ) भी विशिष्ट हो जाता है - गुरु +अ = गौरव। 

शिक्षक तो शिक्षा के निमित्त (अर्थ) आए हर शिक्षार्थी के लिए शिक्षण का कार्य करता है। 


गुरु क्यों आवश्यक हैं?

गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जा मय बनाते हैं। जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। 

अर्थात गुरु ही हमारा ईश्वर से साक्षात्कार कराते हैं, और इस नश्वर संसार के आवागमन से मुक्त करा के मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं।

मनुष्य जीवन, का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति ही है, ना कि मोह माया में उलझ कर काम और अर्थ की प्राप्ति करना। मोक्ष गुरु ज्ञान बिना असंभव है, अतः गुरु, हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। तो सोचिए, जब गुरु मूलभूत आवश्यकता हैं तो गुरु पूर्णिमा पर्व, कितना ज्यादा विशेष है...


गुरु पूर्णिमा पर्व :

भारत के कुछ स्कूलों में बच्चे अपने गुरुओं के पैर छूकर और सम्मान के प्रतीक के रूप में उन्हें कुछ उपहार देकर इस दिन को मनाते हैं। गुरु पूर्णिमा कई साल पहले देश में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक था। 

हम सभी भारतीयों को प्रयास करना चाहिए कि भारत में गुरु पूर्णिमा, पुनः एक पर्व के रूप में प्रतिष्ठित हो।

कहा भी गया है 

करता करे न कर सके, गुरु करे सो होए,

तीन लोक, नौ खंड में, गुरु से बड़ा ना कोए।


आप सभी को गुरु पूर्णिमा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएंँ 💐

हे गुरुदेव, हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻🙏🏻

Tuesday, 12 July 2022

Poem : तुझको परिणाम मिलेगा

आज हमारे बच्चे, युवावस्था की दहलीज पर कदम रखने जा रहे हैं। इसमें से कुछ NEET, JEE, BHABHA, Agnipath, और भी बहुत से competition दें रहे हैं।

उन सभी में, साथ ही आने वाले समय में और भी युवावस्था की दहलीज में कदम रखने वाले सभी बच्चों में, जोश, उत्साह और हिम्मत को प्रेरित करने वाले एक गीत को प्रस्तुत कर रहे हैं।

सारे ही बच्चों को all theक्ष best, साथ ही बहुत सारा आशीर्वाद... सभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें...

तुझको परिणाम मिलेगा  


मेहनत तू किए जा,

तुझको परिणाम मिलेगा।

कोई चाहे या ना चाहे,

तुझको तो नाम मिलेगा।।


लम्बी कितनी डगर हो,

चाहे कितना कठिन सफर हो।

तू रुकना नहीं, तू झुकना नहीं,

तुझको मुकाम मिलेगा।।


मेहनत तू किए जा,

तुझको परिणाम मिलेगा।

कोई चाहे या ना चाहे,

तुझको तो नाम मिलेगा।।


वक्त लगे, लग जाए, 

तेरी हिम्मत हार ना पाए।

तू डरना नहीं, तू गिरना नहीं, 

मनचाहा काम मिलेगा।।


मेहनत तू किए जा,

तुझको परिणाम मिलेगा।

कोई चाहे या ना चाहे,

तुझको तो नाम मिलेगा।।


जो हार कभी ना माने

ईश्वर, भी साथ हैं उसके।।

यह विश्वास जिसने किया है

उसको पैगाम मिलेगा 


मेहनत तू किए जा

तुझको परिणाम मिलेगा

कोई चाहे या ना चाहे 

तुझको तो नाम मिलेगा 




Thursday, 7 July 2022

India's Heritage. : Churu Fort - An Interesting Tale

आज आप के लिए India's Heritage segment में, एक ऐसी कहानी लाएं हैं जो भारत की समृद्धि और सुदृढ़ता की जीती जागती मिसाल है।

एक ऐसी कहानी जिसमें, देशप्रेम भी है, सुरक्षा व्यवस्था की अनुपम छटा भी है और समृद्धि तो ऐसी कि आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे।

चूरू किले की अद्भुत कहानी


बात बहुत पुरानी है, जब भारत में राजे-रजवाड़ों का राज्य था।

उस समय में राजा अपने राज्य या किले की रक्षा के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे। यहां तक कि राज्य प्रेम के आगे, वो सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात की भी कीमत नहीं समझते थे। 

आज हम आपको एक ऐसे ही एतिहासिक किले की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो इतिहास में अमर है, क्योंकि वहां जो घटना घटी थी, वो न तो दुनिया में कहीं और घटी है और न ही कभी घटेगी।  

इस घटना की वजह से ही किले का नाम विश्व इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।

तो चलिए और पहेली नहीं बुझाते हैं, हम बात कर रहे हैं चूरू किले की, जो राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष 1694 में ठाकुर कुशल सिंह ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले के निर्माण के पीछे मकसद आत्मरक्षा के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी सुरक्षा प्रदान करना था। 

यह किला दुनिया का एकमात्र ऐसा किला है, जहां युद्ध के समय गोला बारूद खत्म हो जाने पर तोप से दुश्मनों पर चांदी के गोले दागे गए थे। 

यह इतिहास की बेहद ही हैरान कर देने वाली घटना थी, जो वर्ष 1814 में घटी थी। उस समय इस किले पर ठाकुर कुशल सिंह के वंशज ठाकुर शिवजी सिंह का राज था। 

इतिहासकारों के मुताबिक, ठाकुर शिवजी सिंह की सेना में 200 पैदल और 200 घुड़सवार सैनिक थे, लेकिन युद्ध के समय सेना की संख्या अचानक से बढ़ जाती थी, क्योंकि यहां रहने वाले लोग अपने राजा के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहते थे और इसलिए वो एक सैनिक की तरह दुश्मनों से लड़ते थे। 

इस का अर्थ यह है कि राज्य में सभी को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था। जिससे राज्य पर दुश्मन के आक्रमण करने पर, सब डटकर मुकाबला कर सके। और जब राज्य में शांति व्यवस्था रहे, तब कुछ लोग सेना का हिस्सा बने रहे और बाकी जीवन यापन से जुड़े अन्य कार्य, जैसे खेती, व्यापार, दुग्ध उत्पादन आदि जैसे अन्य कार्य करते थे। जिससे राज्य समृद्ध और सुदृढ़ रहे।

वहां की प्रजा केवल सेना का हिस्सा नहीं बनती थी, बल्कि वह अपने राजा ठाकुर शिवजी सिंह और राज्य की रक्षा के लिए अपनी धन-दौलत तक लुटा देती थी।

1814, अगस्त का महीना था। जो चूरू के किले पर काल बनकर आया था।

बीकानेर रियासत के राजा सूरत सिंह ने अपनी सेना के साथ चूरू किले पर हमला बोल दिया। इधर, ठाकुर शिवजी सिंह ने भी अपनी सेना के साथ उनका डटकर मुकाबला किया, लेकिन कुछ ही दिनों में उनके गोला-बारूद खत्म हो गए।

गोला-बारूद की कमी देख राजा चिंतित हो गए, लेकिन उनकी प्रजा ने उनका भरपूर साथ दिया और राज्य की रक्षा के लिए अपना सोना-चांदी, सब राजा पर न्यौछावर कर दिए। 

जिसके बाद ठाकुर शिवजी सिंह ने अपने सैनिकों को आदेश दिए कि दुश्मनों पर तोप से चांदी के गोले दागे जाएं। इसका असर ये हुआ कि दुश्मन सेना ने हार मान ली और वहां से भाग खड़े हुए। यह घटना चुरू के इतिहास में अमर है।

अगर आप समझ सकें तो हमारा इतिहास, हमें यह शिक्षा दे रहा है कि देश की सुदृढ़ सुरक्षा के लिए यह आवश्यक नहीं है कि सेना विशाल हो।

बल्कि कोई भी देश तब ज़रुर सुदृढ़ और सुरक्षित रहता है, जब उस देश का हर नागरिक, देशप्रेमी हो, सैनिक हो- अर्थात हर नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण दिया गया हो। 

जिससे, जब दुश्मन आक्रमण करे तो हर नागरिक, दुश्मन की ईंट से ईंट बजा देने में सक्षम हो। 

और जब शांति रहे, तब कुछ सैनिकों को छोड़कर अन्य लोग जीवन की आवश्यकताओं से जुड़े कार्य करके देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करके देश को सफलता के शीर्ष पर पहुंचा दें।

यही है अग्निपथ योजना, जिसमें देश के हर युवा (चाहे पुरूष हो या महिला) को अग्निवीर बनाने की कोशिश की जा रही है। 

जिससे देश इतना सशक्त हो जाए कि दुश्मन हमारे देश पर आक्रमण करने की सोच भी ना रख सके। और साथ ही हम अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ते जाएं, जिससे अर्थव्यवस्था भी इतनी सुदृढ़ रहे कि देश सफलता के शीर्ष पर रहे। 

देश के दुश्मन, चाहे वो बाहर के हों या देश के भीतर हों, कोई नहीं चाहेगा कि भारत सफ़ल और सुदृढ़ बनें।

तो यह हमें सोचना है कि क्या उचित है, क्या अनुचित, क्योंकि हम तभी सुखी होंगे, जब देश सफ़ल और सुदृढ़ रहेगा।


जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Tuesday, 5 July 2022

Short Story: Car की सफाई

 कार की सफ़ाई


रघु गांव से अपने परिवार के साथ नया आया था। उसे खेती-किसानी के अलावा कोई काम नहीं आता था। 

उसने मेहनत मजदूरी का काम पकड़ लिया, पर कुछ ही दिनों बाद उसकी तबियत बिगड़ गई।

अब उससे मेहनत मजदूरी नहीं हो पा रही थी, उसकी पत्नी रत्ना ने दो घरों में काम पकड़ लिया। उसी से जैसे तैसे गुजर हो रही थी।

एक दिन रघु को अपने गांव का घनश्याम मिल गया, वो रघु को देखकर बड़ा खुश हुआ, उसने रघु पर प्रश्नों की झड़ी लगा दी, बोला यहां क्या कर रहा है? अभी तक मिलने क्यों नहीं आया? कोई काम धंधा कर रहा है या मजबूरी की रोटी तोड़ रहा है?

रघु दुःखी होता हुआ बोला, सौ बात की एक बात, आए थे गांव की गरीबी से बाहर निकलने के लिए, यहां भूखमरी ने घेर लिया। 

चल कोई नहीं, तेरे यार के रहते तू भूखा नहीं मरेगा। मैं यहां कार सफाई का काम करता हूं। तुझे भी 8-10 cars की सफाई का काम दिला देता हूं। सुकून से जिंदगी कट जाएगी। 

रघु ने 8-10 कारों की सफाई का काम शुरू कर दिया। रत्ना और रघु के पैसों से जिंदगी ठाठ-बाट से तो नहीं पर चैन से कटने लगी।

रघु का बेटा राघव बड़ा मेहनती और पढ़ने में होशियार था। एक सरकारी स्कूल में वो लगन से पढ़ाई-लिखाई कर रहा था।

बारहवीं की परीक्षा में अव्वल आने पर वह सीधे रघु के पास पहुंच गया, उसे अपने अच्छे नंबरों से पास होने की खुशखबरी सुनाने।

वहां रघु, खन्ना जी की कार साफ कर रहा था। और खन्ना जी कार का wiper टूटने की वजह से रघु की खूब फटकार लगा रहे थे। 

रघु बोला रहा था, साहब यह पहले से टूटा होगा, मैंने नहीं तोड़ा, वैसे भी काफी पुराना हो गया था। 

खन्ना जी का स्वर और तेज़ हो गया, अच्छा चोरी ऊपर से सीना जोरी... एक तो तोड़ दिया, ऊपर से बहस कर रहा है। बहुत दिमाग ख़राब हो गये हैं, तेरे...

आखिरकार वो रघु की उस महीने की तनख्वाह काटकर ही माने। सब बात ख़त्म कर खन्ना जी, फोन पर अपनी पत्नी से बातें करने लगे, खन्ना जी बताने लगे, कैसे उल्लू बनाकर, पहले से टूटे हुए whipper का पैसा, अनपढ़ गवांर मूर्ख रघु से वसूल लिया। फिर बोले, तुम बहुत दिनों से pizza के लिए बोल रही थीं, आज उन पैसों से pizza मंगाएंगे। 

फिर मक्कारी से भरी हंसी के साथ gate से बाहर चले गए।

राघव, दूर खड़ा खन्ना जी की सारी हरकतें देख और सुन रहा था। उसके तन बदन में आग लग गई। उसके पास होने की खुशी काफूर हो चुकी थी।

अगले दिन से राघव दिन भर, घर से बाहर रहता और रात को भी बहुत late आता।

रघु और रत्ना, दोनों इस बात से बहुत परेशान थे, पर राघव उन्हें कुछ नहीं बताता। 2 साल बीत गए।

एक दिन रात के 9 बजे, रघु के घर के आगे एक कार आकर खड़ी हुई और बहुत तेज हॉर्न बजाने लगी।

बार बार हॉर्न की आवाज सुनकर, रघु और रत्ना दोनों बाहर आए, उनके बाहर आते ही हॉर्न की आवाज बंद हो गई।

उन्होंने देखा, एकदम नयी चमचमाती आलीशान कार घर के बाहर खड़ी हुई थी। और इधर उधर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। तभी राघव सामने से चला आ रहा था।

राघव को देखकर, रघु बोला, ना जाने किस की नई कार है।

राघव बोला, आज से आप को बस यही कार बहुत मन लगाकर साफ करनी है। मैंने सुना है, जिस कार की सफाई आप करते हैं, वो कभी पुरानी नहीं होती है।

हां, तू परेशान मत हो, मैं बहुत मन से इसकी सफाई करुंगा। पर यह तो बता, यह किसकी कार है। 

राघव ने कार की चाभी, रघु को देते हुए कहा, आपकी...

मेरी!?...

हां आप की!

अब से आप और मां कोई काम नहीं करेंगे।

यह कह कर राघव ने पिछले 2 साल की सारी बातें बताते हुए कहा, जिस दिन खन्ना जी आप की डांट लगा रहे थे। उसी दिन मैंने सोच लिया था कि बहुत मेहनत करुंगा, लेकिन बहुत जल्द ऐसी कार दूंगा आप को।

अब से आप सिर्फ इस कार की सफाई करेंगे, और मैं मेहनत कर के आप को जमाने की सारी खुशियां दूंगा।

अगले दिन से रघु, कार की सफ़ाई के काम के लिए नहीं गया।

खन्ना जी उसके घर गये, देखा रघु नयी चमचमाती कार की सफाई कर रहा था।

वो गुस्से से चिल्लाने लगे, यहां कार की सफाई कर रहा है और हमारे यहां नहीं आया।

रघु बोला, अब से मैं सिर्फ इसी कार की सफाई करूंगा।

अबे, ऐसे कौन से रईस की कार है कि जो तू किसी और की कार की सफाई नहीं करेगा।

राघव बोला, मेरे पिता जी की।

रघु! तुमने कार खरीद ली?

मैं कहां साहब, बेटे ने दी है...

खन्ना का मुंह छोटा सा रह गया क्योंकि यह कार उसकी कार से ज्यादा आलीशान थी।

वो समझ गया कि अब उसे अपनी कार की सफाई खुद ही करनी पड़ेगी।

Monday, 4 July 2022

Article : First Steel Road

 पहली स्टील की सड़क

आज हम एक ऐसा article, share कर रहे हैं, जिससे आपको अवगत होगा कि हमारा देश, दिन-प्रतिदिन कैसे विकास की ओर अग्रसित हो रहा है। 

हमारा देश आज उस direction में भी सोच रहा है, जिस तरफ़ कभी सोचा ही नहीं गया था। बल्कि यह कहना चाहिए कि ना केवल सोच रहा है, अपितु उससे देश को सफलता की ओर ले जा रहा है।

आज हम बात कर रहे हैं, first steel road की। एक ऐसी सड़क, जो कंकड़-पत्थर से नहीं बल्कि steel से बनी है।

आप सोच रहे होंगे कि, क्या ज़रूरत है, steel की सड़क बनाने की? वैसे ही देश में खर्चा कम है, जो बेकार में steel की सड़कें बनाने की योजना बनाई जा रही हैं।

अगर हम आप से कहें कि खर्च बढ़ेगा नहीं, बल्कि उचित उपयोग होगा, साथ ही देश में स्वच्छता, सुदृढ़ता व सुरक्षा और अधिक बढ़ जाएगी।

क्या हुआ, सुनकर चौंक गए? 

तो चलिए आप को बताते हैं, यह किस तरह से मुमकिन है।

First Steel Road :

गुजरात के सूरत में steel की सड़क बनाई गई है। देश में पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया है। यह सड़क हजीरा industrial area में बनाई गई है। वैसे, ये पढ़कर आपको लग रहा होगा कि पूरी सड़क steel की है और इसे बनाने के लिए steel की कई चादर बिछाई गई होंगी, तो करोड़ों का खर्चा हो गया होगा, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है।

दरअसल, इसे देश भर में steel plants से निकलने वाले कचरे(slag) से बनाया गया है। आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल अलग-अलग steel plants से करीब 19 million tons कचरा (steel waste) निकलता है। जिससे हालात ये हो गए हैं कि steel के कचरे के पहाड़ बन गए हैं। 

First time experiment

इन पहाड़ों से निजात पाने के लिए, ये नया प्रयोग शुरू किया गया है। कई research के बाद गुजरात में steel के कचरे से 6 lane road पर प्रयोग के तौर पर बनाई गई है। 

Steel कचरे से फिलहाल केवल एक किलोमीटर लंबी सड़क ही बनाई गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि सबकुछ ठीक रहा तो भविष्य में देश में Highway और road आदि बनाने के लिए steel कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे विकास कार्य को तेज़ी तो मिलेगी ही, साथ ही steel के कचरे से भी निजात मिल सकेगी।

यह Council Of Scientific And Industrial Research (CSIR) और Central Road Research Institute (CRRI) सहित Ministry of Steel और नीति आयोग की सहायता से तैयार किया गया है। यह परियोजना भारत सरकार के waste to walth और स्वच्छ भारत अभियान से भी जुड़ी है।

How to create a road with steel waste :

स्टील कचरे से सड़क बनाने के लिए सबसे पहले एक लंबी प्रक्रिया के बाद steel के कचरे से गिट्टी बनाई गई। इसके बाद इसका प्रयोग सड़क बनाने में किया गया। CSIR के अनुसार बनाई गई सड़क की मोटाई को भी 30 प्रतिशत तक घटाया गया है। ऐसी उम्मीद है कि स्टील कचरे की तकनीक से बनी सड़क ज़्यादा मज़बूत होगी और मानसून सीजन में इसके खराब होने की संभावना बेहद कम होगी।

CRRI के प्रिंसिपल वैज्ञानिक सतीश पांडेय ने बताया, ‘भारी ट्रकों के चलते हजीरा पोर्ट पर एक किलोमीटर लंबी सड़क पहले बेहद खराब स्थिति में थी। इसके बाद सरकार ने प्रयोग के तहत सड़क की मरम्मत के लिए steel waste का प्रयोग किया। अब हर दिन करीब 1000 से ज़्यादा ट्रक 18 से 30 टन का वज़न लेकर इससे गुज़रते हैं लेकिन इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है। सतीश पांडेय के अनुसार इस प्रयोग के बाद अब देश के हाइवे और दूसरी सड़कें स्टील के कचरे से बनाई जा सकेंगी क्योंकि इससे बनी सड़के काफी मज़बूत और टिकाऊ हैं। भारत भर में steel plants से हर साल 19 million tons steel waste निकलता है और एक अनुमान के अनुसार इसके 2030 तक 50 million tons मिलियन टन तक बढ़ने की संभावना है।

अब आप समझें, हमारा किस ओर इशारा था?

जी बिल्कुल सही समझे, best out of waste. आज हमारा भारत, waste से भी सुअवसर, विकास और सफलता प्राप्त कर सकता है। उसका भी सदुपयोग कर सकता है। समृद्धि तभी आती है, जब हमे हर एक चीज़ का सदुपयोग कर रहे हों। 

यह है हमारा नया भारत, सुदृढ़ भारत, सफल भारत...

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳