Wednesday 12 July 2023

Article: शिव क्यों महाकाल!

शिव क्यों महाकाल!


सावन का महीना चल रहा है, महादेव जी की पूजा आराधना का पावन महीना... 

पर आज यूं ही विचार आया कि हिन्दू धर्म में अनेकानेक देवी व देवता हैं। पर शिव ही महादेव या महाकाल क्यों?

और जब वो महाकाल हैं तो वो भोले भंडारी कैसे?

अगर आप समस्त वेद-पुराण, धर्म व ग्रंथ का अध्ययन करेंगे तो आपको एहसास होगा कि शिव शंभू, सम्पूर्ण हैं, सनातन हैं, आदि हैं, अनन्त हैं, जहां उन्होंने समस्त ब्रह्माण्ड के हितार्थ हलाहल धारण कर लिया था, वहीं वह क्रोध में तांडव नृत्य कर समस्त सृष्टि का विध्वंस भी कर देते हैं। वो जितने सौम्य और सरल हैं, उतने ही प्रचंड और प्रबल भी।इसलिए ही उन्हें देवों में देव महादेव कहा गया है।

जो कोई उनकी शरण में हो, उसका काल बाल भी बांका नहीं कर सकता है, इसलिए उन्हें महाकाल कहा गया है...

और इसका ही जीता जागता उदाहरण है, आज से दस साल पहले, साल 2013 में रुद्र प्रयाग ज़िले में केदारनाथ मंदिर के आस-पास बाढ़ की विभीषिका और कल मंडी में स्थित महादेव जी के पंचवक्त्र मंदिर पर आयी प्रचंड बाढ़....

16, 17 जून 2013 में बादलों के फटने से सम्पूर्ण केदारनाथ धाम, उसके आस-पास के शहर व गांव जल निमग्न हो गये थे।

भीषण आंधी तूफान बनकर आए काल ने त्राहि-त्राहि मचा दी, पर वो केदारनाथ मंदिर का बाल भी बांका ना कर सका। 

उस आंधी तूफान के कारण आयी बाढ़ की ऊंची-ऊंची लहरें केदारनाथ मंदिर के चरणों को धोती रही, पर मंदिर को कुछ भी क्षति ना पहुंचा सकी। 

जब आंधी तूफान व बाढ़ का प्रचंड तंडाव समाप्त हुआ तो सबने देखा कि केदारनाथ मंदिर, अपनी भव्यता और दिव्यता के साथ यथावत खड़ा अपनी विजय को प्रदर्शित कर रहा था।

जहां महाकाल स्वयं विराजे हों, उसका काल कब कुछ बिगाड़ सकता है, इसका ही जीता जागता उदाहरण था वो तूफ़ान...

केदारनाथ मंदिर के साथ घटित हुई प्राचीन घटना भी, दिखाती है कि जहां महाकाल स्वयं विराजे हों उसका काल कब कुछ बिगाड़ सकता है और वो घटना है कि केदारनाथ मंदिर 400 साल तक बर्फ में दबा रहा था पर जब बर्फ हटी तो केदारनाथ मंदिर अपनी सम्पूर्णता के साथ प्रकट हुआ था।

अभी दो दिन से व्यास नदी ने अपने प्रचंड स्वरूप को धारण कर लिया है, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में भीषण बाढ़ आ गई है। 

मंडी में स्थित महादेव जी का पंचवक्त्र मंदिर भी 10 और 11 जुलाई में 20 फीट तक जल में डूब गया था। पर बाद में जब जल उतरा तो देखा गया कि काल जो व्यास नदी का प्रचंड रूप धारण करके आया था, इस बार भी वो महाकाल के चरणों को धोकर ही आगे बढ़ गया। मंदिर अपनी सम्पूर्णता के साथ यथावत खड़ा था, उसमें नाममात्र को भी क्षति नहीं थी।

यह घटनाएं सिद्ध करती हैं, जिसके चरणों को धोकर, काल हार स्वीकार करता हो, वो शिव ही महादेव या महाकाल हो सकते हैं।

महेश, शंभू, भोलेनाथ, भोलेभंडारी, महादेव, महाकाल, आदि, सब भगवान शिव जी के ही स्वरूप हैं, जो इनकी शरण में हो, उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। 

यह घटनाएं यह भी सिद्ध कर रही हैं कि ईश्वर की शरण में रहने से क्या होता है, मंदिर निर्माण से क्या होता है, ईश्वर में विश्वास और आस्था से क्या होता है। 

जिनको ईश्वरीय ताकत में, उनके अस्तित्व में विश्वास नहीं है, उन्हें भी अपने जवाब मिल गए होंगे... 

शिव में अपनी आस्था, श्रृद्धा और विश्वास बनाए रखें। उनकी भक्ति में लीन रहें, सच्चे भक्तों के साथ महादेव सदा रहते हैं...

हर हर महादेव 🚩 

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