Sunday, 31 December 2023

Article: Online की दुनिया

साल 2023 भी जा रहा है और आ रहा है नया साल 2024...

2023 ने हमें बहुत कुछ दिया, कुछ नया और कुछ पुराना...

जी हां, एक ऐसा पुराना, जिस में हम अटक कर रह गए हैं, या यूं कहें कि भटक कर रह गए हैं। 

Online की दुनिया 


जी बिल्कुल, सही समझे। आप online के जंजाल में अटक गए हैं या कहें कि हमारी दुनिया ही online हो गई है।

2019 जाते-जाते online की नई दुनिया से अवगत करा गया था, कोरोनावायरस की चपेट के कारण...

तब उसकी आवश्यकताएं भी थीं, पर अब तक भी इतना ज़्यादा क्यों online?

कोरोना वायरस तो चला गया, पर हम online के गुलाम बन गए, वैसे ही जैसे अंग्रेज तो चले गए, पर अंग्रेजी को पकड़ कर हम आज भी उनके गुलाम ही बने हुए हैं।

आज तो सब्जी चाहिए, online मंगा लो, वो छांटना, मोलभाव करना सब खत्म। सब्जी लेने जाने से सिर्फ सब्जी ही घर नहीं आती है, बल्कि उसके संग एक ताजगी भी आती है ज़िन्दगी में, और सुकून भी कि हम अपनी मनपसंद की सब्जियां लेकर आए। 

कपड़े चाहिए, online है ना varieties के कपड़े लेने के लिए, फिर दुकान-दुकान घूम कर, हाथों से छूकर, निगाहों से टटोल कर, थककर अपनी पसंद के कपड़े पाने की खुशी कोसों दूर हो गई। आप कितना ही online से कपड़े खरीद लें, पर वो बात नहीं आती है जो दुकान पर जाकर लेने से आती है।

कुछ भी खाने के लिए मन को टटोलने की कवायद ख़त्म, लाइन लगी है, online में खाने-पीने की चीजों की। हर प्रांत के हर देश के...घर बैठे, सब सामान हाजिर... पर गोलगप्पे के ठेले पर खड़े होकर खाना, ना जाने कब unhygienic हो गया...खाने की गर्माहट ही उसका स्वाद है, उसकी खासियत है, वो कहीं गुम हो गई। 

Dry items मंगाना और बात है, लेकिन prepared food, उसमें मंगाने से कभी वो बात नहीं आती है।

Railway की टिकट के लिए, लगने वाली line तो बहुत तेजी से कब online में तब्दील हो गई, पता ही नहीं चला। हाँ पहले सा bookings window पर खड़े होकर घंटों के इंतजार में आस-पास के लोगों से पहचान हो जाने की बात ना जाने कहां लुप्त हो गई। पहले कितने लोग यहां आते थे और ऐसे ही कुछ रिश्ते बन जाते थे।

कुछ भी books-copy चाहिए, दुकानदार से निकलवाने के लिए लम्बी लाइन की ज़रूरत नहीं है, बस एक online purchase और books and copies का ढेर, आपके घर की table पर। लेकिन ऐसे आप सिर्फ उन्हीं books से जुड़ते हैं, जो आप मंगाते हैं, जबकि दुकान पर आकर चार books देखकर सही चुनाव करते हैं।

शादी, ब्याह के लिए भी कुछ घूमना भटकना नहीं है, बस online marriage app पर जाएं, खूब लम्बी लाइन मिल जाएगी, लड़के-लड़कियों... साथ ही wedding planner की भी। पर ऐसी शादियों में जोश, उत्साह, उमंग कहीं पीछे छूट जाता है।

ना जाने कितने ही office अब online चल रहे हैं, और कितनी सारी meeting and VC, सबके लिए वही online... 

छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े बच्चों तक सब की online classes मतलब अब ज्ञानार्जन के लिए घर से बाहर निकलने की ज़रूरत ही नहीं, सब online है ना। जब बाहर ही नहीं निकलेंगे तो सर्वांगीण विकास कैसे संभव होगा, कभी सोचा है आपने? 

खेल भी सारे online चल रहे हैं, नतीजन आंखें खराब, चिड़चिड़ापन, depression, साथ ही physical health एकदम zero। सोचिए इतना ज़्यादा online करा के हम लोग, बच्चों के भविष्य को कहां ले जा रहे हैं?

Online, online... सब online...

इस online से गांव-शहर, देश-विदेश सबकी दूरियां घट गई है पर इंसानों की आपस की दूरी बहुत बढ़ गई। 

पूरी दुनिया कंक्रीट और online हो गई, जिससे रिश्तों में मिठास ना जाने कहां लुप्त हो गई है? पर आखिर यह कब तक चलेगा?

क्या हम लोग, फिर से offline होना नहीं बढ़ाएंगे। क्या इस नए साल में फिर से पहले सा, सब से जुड़ जाएंगे? क्या रिश्ता और प्यार का सुखद नववर्ष मनाएंगे?

सोचिएगा ज़रूर...

नववर्ष सबके लिए मंगलमय हो, शुभ हो, सुखद हो।

Tuesday, 26 December 2023

Article : बहू को कैसे लगे ससुराल अपना घर

बहू को कैसे लगे ससुराल अपना घर  

आज कल शादियों का season चल रहा है। शादी होने के साथ ही होता है, नई बहू का गृह-प्रवेश... 

गृह प्रवेश, यह केवल घर में प्रवेश करनी की रस्म नहीं होती है, बल्कि इस का सही अर्थ होता है कि क्या आपकी बहू, बेटी बनेगी और इस घर को अपना समझेगी? या हमेशा के लिए उसके लिए यह एक ससुराल ही बना रहेगा, जहां वो कभी अपने आप को comfortable नहीं समझेगी? 

यह सब निर्भर करता है बहुत सी छोटी-छोटी बातों पर, जिनके नज़रअंदाज़ से ही आपकी अपनी बहू, कभी बेटी नहीं बन पाती है। 

आइए उन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।




Physically harassment :

यदि आप की बहू के कान या नाक नहीं छिदे हैं, तो उन्हें सामाजिक मान्यताओं के कारण या अपनी जिद्द के कारण मत छिदवाएं। कभी भी किसी को कष्ट देकर आप उसके नजदीक नहीं जा सकते हैं, बल्कि उसकी परेशानियां को समझ कर उसके निदान से उसके बन सकते हैं।


Financial support :

अगर आप के एक से अधिक बेटे हैं तो, जिस बहू के मायके से जो आया हो, उसे वो दे दीजिए। उससे तीन फायदे होंगे;

पहला, वो उन सामानों में कोई मीन-मेख नहीं निकालेगी, बाकी निकाल सकते हैं।

दूसरा, उसके मायके का दिया पैसा और सामान उसके ही गृहस्थ जीवन को संवारने के लिए दिया गया था।

सबसे बड़ी बात, उसकी अपनी ससुराल से bonding अच्छी होगी कि उसका उसे देकर ससुराल वालों ने अपनापन दिखाया।


Attachment :

बहू-बेटा, चाहे किसी दूसरे शहर में रहते हों, पर ससुराल में उनका भी एक कमरा होना चाहिए। जिसमें उनका सामान होना चाहिए और वो सब सुख-सुविधाएं जो बाकी कमरों में हो। जिससे जब भी वो आएं, सीधे उसी कमरे में आकर रहें। उन्हें आकर हर बार यह ना सोचना पड़े कि हम कहां रहेंगे और हमारा सामान कहां रहेगा। 

अपना fix कमरा होने से उन्हें लगेगा कि यह घर उनका भी है, यहां उनके लिए जगह, उनकी अनुपस्थिति में भी है।


Detachment :

जब लड़की ससुराल आती है तो पीछे सबको छोड़ कर नहीं आती है, उनके साथ ही नए लोगों को भी अपनाने आती है। तो अपनी बहू को उसके मायके से अलग करके नहीं बल्कि उसे अपने आप से जोड़ कर, उसे अपनी बेटी बना सकते हैं।

उसके मायके वालों की तरह, अगर आप उसकी hobby, उसकी खुशी, उसकी परेशानियां और बेचैनी को समझ गए, तब वो आपकी बन जाएगी।


Patience :

बहू आते से आपसे नहीं जुड़ जाएगी, उसे थोड़ा समय चाहिए होगा, आप से जुड़ने में... वो समय कितना लगेगा, यह आप दोनों की compatibility से होगा। तो धैर्य से काम लीजिए, सब वही होगा, जैसा आप चाहते हैं, क्योंकि हर बहू, धीरे-धीरे अपने ससुराल में रम ही जाती है। कुछ जल्दी, कुछ थोड़ा देर से।


Allegation :

बहू के बेटा हो या बेटी, उसकी तोहमत उस पर ना लगाएं, बेटा-बेटी दोनों एक समान हैं। जो भी है वो आपका है, उसे पूरे मन से अपनाएं। अगर किसी भी माँ के बच्चे को कोई प्यार करता है तो वो उसके लिए हमेशा प्रेम भाव में ही रहती है। तो बस अगर आप अपने पोते-पोतियों को प्यार देंगे तो बहू तो अपने आप ही आपकी हो जाएगी।

वैसे आपकी information के लिए बता दें, scientifically बच्चे का gender, पिता से ही decide होता है, माँ से ही नहीं... 

बस इन जैसी ही और भी छोटी-छोटी बातें हैं, जिस पर ध्यान देने से आपकी बहू कब आपकी बेटी बन जाएगी, यह ना आपको पता चलेगा ना उसको... 

क्योंकि सच तो यही है कि ससुराल ही बहू का अपना घर होता है तो जल्दी या देर से वो रम ही जाती है अपने ससुराल में... 

उसके मुंह से बहुत जल्दी निकलने लगता है, ऐसा हमारे यहां होता है और ऐसा हमारे यहां नहीं होता है, और ऐसा वो अपने ससुराल के reference में उसके नियम कानून के संदर्भ में बोलती है। 


हर घर में

खुशियों का वास हो

रिश्तों में मिठास का 

एहसास हो 

हर घर में बेटी सी बहू

और माँ सी सास हो  

अगर आप को लगता है और भी कुछ ऐसी ही छोटी बातें हैं तो उन्हें comment box में जरूर लिखें..


सबके सुख की कामना 🙏🏻

Friday, 22 December 2023

Article: Christmas celebration

Christmas  Celebration  

अभी कल ही market जाना हुआ तो देखा पूरा market तो Christmas celebration के लिए ready था।

Shop अगर clothes की थीं तो वहां ज़्यादातर dresses red colour के थे, चाहे वो kids collection हो या ladies dresses। और हां साथ में हर size की Santa Claus dress तो available थी हीं...

Shop अगर general store थी, तो उसमें plum cake, Christmas cake, cup cakes, cookies etc. सजी हुई थीं। ध्यान दीजिएगा हमने general store लिखा है, cake and confectionery and sweets की shops पर तो भरमार थी cakes, cookies etc. की...

जो shops, books and decorative items की थीं, वहां पर तो X-mas tree व उससे related gift items थे।

मतलब हर दुकान पर कुछ ना कुछ Christmas celebration से related सामान ज़रूर था।

कुछ देर बाद कुछ schools का dispersal time हो गया और देखते क्या हैं, बहुत से बच्चे Red colour की dress और Santa Claus dress पहने हुए थे।

यह सब देखकर हम सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर आज दिन क्या है?

फिर याद आया कि आज तो 21 तारीख है, means Christmas आने में पूरे चार दिन और... 

फिर सोचा हैं कहाँ? India में ही ना? 

इतने दिन पहले से ही पूरा market लालिमा लिए हुए था। जैसे हम India में ना होकर European countries में हो...

फिर सोचा कि अगर किसी celebration के लिए लोग इतने excited हैं तो क्या हमारा कुढ़ना ठीक है?

खुश रहने के बहाने ही तो होते हैं, festival and celebrations। फिर सब खुश ही तो हैं, कोई दंगे फसाद तो नहीं हो रहे हैं।

साथ ही, Red colour dress या Santa Claus dress पहनने से, cake cutting और cookies खाने से, Christmas tree सजाने या बच्चों को surprise gifts देने भर से लोग Christian बन जाएंगे। 

ऐसा तो बिल्कुल नहीं है...

जब तक कोई regularly church ना जाए, Bible ना पढ़े या Jesus Christ को follow ना करे, वो कैसे Christian बन जाएगा? 

तो किसी भी तरह के celebration से चिढ़ने-कुढ़ने का क्या औचित्य?

खुशियां तो जिस भी बहाने से आए, अच्छी ही हैं। हाँ बस अपने धर्म से जुड़े नियम, कानून और परंपराओं का नियमित रूप से पालन होना चाहिए। उसके celebration के उत्साह, उमंग और जोश में किसी तरह की कोई कमी नहीं आनी चाहिए। 

साथ ही हमें दूसरे धर्मों के लोगों को भी अपने धर्म में रंगना चाहिए, पर जबरदस्ती नहीं बल्कि उसकी छटा को इतना बिखरा कर कि हर कोई दिल से हमारे रंग में हमारे उत्सव में घुल-मिल जाएं... 

तो चलिए उत्साह के थोड़े लाल रंग में हम भी रंग जाते हैं, पहले Christmas and New year मनाते हैं। फिर पतंग उड़ानें से लेकर पटाखों को फोड़ने तक देश को त्यौहारों के रंग में रंगते चले जाते हैं....

अभी दिल्ली में 25 December से 1 January तक बहुत सारी जगहों में carnival arrange किए जाते हैं। जिसके कारण ठंड के यह दिन बहुत खूबसूरत होते हैं।

Tuesday, 19 December 2023

Short story: Neglect

 Neglect 




 शक्ति और बॉबी एक चाल में रहते थे, बचपन तंगी में बीत रहा था। हर जरुरत की चीजें भी बहुत मुश्किल से दिलाते थे, दोनों के माता-पिता...

जब दोनों जवान हुए तो, उन दोनों को अच्छे काम मिल गए, जिससे उन्होंने अपने घर की जिम्मेदारी पूरी करनी शुरू कर दी। 

पूरे चाल में दोनों की  समझदारी, सूझ-बूझ और मेहनत की तारीफ होने लगी।

ना जाने कब और कैसे दोनों एक-दूसरे से आकर्षित होने लगे। 

अब तो अपने-अपने काम से लौट कर दोनों एक घंटा एक दूसरे को भी देने लगे। और बहुत से छोटे छोटे तोहफे देने लगे।

प्यार परवान चढ़ने लगा, दोनों के घर वालो की तरफ़ से भी रिश्ते को मंजूरी थी। शादी भी हो गई दोनों की।

दोनों ही लोग एक-दूसरे के लिए first night के लिए एक gift लाए थे और बहुत खुशी से दोनों ने एक-दूसरे को बहुत से वादों के साथ में दे दिया। 

पर शायद यह gift, एक वज्रपात था, दोनों के रिश्ते पर...

ऐसा भी क्या दे दिया था एक-दूसरे को?...

वही जो हम सबके रिश्तों पर घात है। 

शक्ति और बॉबी से सब पूछ रहे थे, क्या दिया पहला तोहफा? 

शक्ति बहुत शान से और बॉबी शरमाते हुए कहती, touch वाला mobile...

पर आह रे किस्मत!  उन दोनों ने ही एक-दूसरे को बहुत ग़लत तोहफा दे दिया था...

चंद ही महीनों में दोनों के रिश्तों में बहुत दूरी आ गई थी, दोनों को ही एक-दूसरे का साथ बंधन लगने लगा था।

पहले वो घंटों एक-दूसरे को दिया करते थे, आज कुछ पल भी साथ नहीं गुज़ारते थे, उन्हें अब बस केवल एक चीज की चाह थी, अपने मोबाइल की...वो एक-दूसरे को neglect करने लगे थे।

झूठी दुनिया के जंजाल में वो इस कदर फंसे कि अपने अटूट प्यार को भूल गए। 

यह दूरियां, इस क़दर बढ़ीं कि दोनों ने एक-दूसरे से रिश्ता तोड़ दिया।

पर चंद ही महीनों में उन्हें एहसास हो गया कि उन्होंने कितना गलत तोहफा दे दिया था, एक-दूसरे को...

उनका अनमोल प्यार जितनी तेजी से परवान चढ़ा था, उससे भी जल्दी टूट गया। 

काश! उन्होंने एक-दूसरे को मोबाइल ना दिया होता, झूठी दुनिया के जंजाल में ना फंसा होता, एक दूसभरे को neglect ना किया होता तो आज भी उनके पास वो धरोहर होती, जिसके लिए सात जन्म भी कम हैं।

दोनों ने ही touch mobile, अपने-अपने मां-पापा को दे दिया।

खुद के घर पर उन्होंने landline phone लगवाया, जिससे सब से जुड़े रहे। उसके बाद दोनों ने कभी एक-दूसरे को neglect नहीं करने की कसम खाई और बहुत प्यार से जीने लगे। 



कहीं आप का रिश्ता भी मोबाइल की भेंट तो नहीं चढ़ रहा है? ध्यान रखिएगा कि अनमोल आपका प्यार है, मोबाइल नहीं... 

वो एक सुविधा यंत्र है, उसकी सीमा वहीं तक रहे, आप पर हावी होकर आपको आपके अपनों से दूर ना ले जाए....

Monday, 18 December 2023

Tip : Swelling of Hands and Feet in Winters

Winter Care Tips :

सर्दी में हाथ और पैरों की उंगलियां सूजने लगी हैं, तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे, मिलेगा तुरंत आराम।

Swelling of Feet (Home Remedies) :

खान पान के मामले में वैसे तो ठंड (Winter) का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन ये मौसम कई सारी बीमारियां भी अपने साथ लेकर आता है। उनमें से एक बेहद common समस्या है उंगलियों में सूजन (Swelling of Feet) जो की अक्सर सर्दियों में ज्यादा देखने को मिलती है। 

Swelling in Winter :

उंगलियां में सूजन आने से काफी दर्द होता है और कई बार skin भी उतरने लगती है। उंगलियों में सूजन (Swelling of Feet) आने की वजह से कई बार काम करने में दिक्कत होने लगती है जिसके चलते लोग कई तरह की दवाइयों के जरिये इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं रसोई घर में रखी कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में जो आप को आसानी से इस समस्या से छुटकारा दिला सकती है।

Swelling of Hands and Feet in Winters 



1. Turmeric :

आधा चम्मच हल्दी में जैतून का तेल( olive oil)मिलाकर swelling वाली जगह पर लगाएं। इसको लगाने से सूजन (Swelling of Fingers) के साथ-साथ खुजली, जलन और दर्द से भी राहत मिलेगी।


2. Mustard oil :

चार चम्मच सरसों के तेल में एक चम्मच सेंधा नमक मिलाकर अच्छे से गर्म कर लें। सोने से पहले हाथ या पैर की सूजी हुई उंगलियों पर ये तेल लगाएं। कोशिश करें कि मोज़ा पहन कर सोएं, इससे जल्दी आराम मिलेगा। सरसों का तेल लगाने के कुछ समय में ही उंगलियों की swelling दूर हो जाएगी। आप चाहें तो सरसो के तेल की जगह जैतून के तेल को गर्म करके उससे भी सूजन (Swelling of Fingers) वाली जगह पर मालिश भी कर सकते हैं।


3. Onion :

प्याज़ में antibiotic and antiseptic गुण होते हैं जिसकी वजह से प्याज़ का रस आपकी उंगलियों में होनी वाली सूजन (Swelling of Fingers) को दूर कर सकता है। प्याज़ के रस को swelling वाली जगह पर लगाकर कुछ देर रहने दें। प्याज़ का रस लगाने के कुछ देर बाद ही आपको राहत महसूस होगी।


4. Lemon :

नींबू का रस swelling कम करने में बहुत फायदेमंद है। उंगलियों में सूजन (Swelling of Fingers) आ जाने पर नींबू का रस लगाएं। ऐसा करने से बहुत जल्दी आपको सूजन से राहत मिलेगी।


5. Pea : 

अगर आप सूजन से परेशान हैं तो मटर उसका इलाज बन सकता है। इसके लिए मटर को पानी में अच्छी तरह से उबाल लें और उसी पानी से हाथ-पैर को अच्छे से धो लें। ऐसा करने से आप महसूस करेंगे कि आपकी सूजन कम हो रही है। 

Disclaimer : यह सभी घरेलू उपाय हैं, जिनसे अगर आप को शीघ्र आराम ना मिले तो जान लीजिए कि आप की problem, serious हो चुकी है। 

आपको शीघ्र ही doctor के पास जाने की आवश्यकता है।

स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें 💗💞💐

Tuesday, 12 December 2023

Recipe: Paneer Noodles Wrap

आज आपके लिए, paneer की ऐसी recipe share कर रहे हैं, जिसे जो कोई खाता है, wow! It's amazing, कहे बिना रह नहीं पाता है। 

और इसके लिए जो ingredients चाहिए, वो तो आपके घर में easily available होंगे।

तो इस easily prepare होने वाली instant recipe को आज ही try कीजिए...

Paneer Noodles Wrap


Ingredients :

  • Paneer - 250 gm.
  • Maggi - 2 packets
  • Kashmiri lal mirch - ½ tsp.
  • Salt - ½ tsp. or as per your taste
  • Ginger garlic paste - 1 tsp.
  • Butter - 1 tbsp.
  • Cornflour powder - 3 tbsp.
  • Ghee - for frying


Method :

  1. एक bowl में butter और ginger-garlic paste डालकर इसको 30 second के लिए microwave कर लीजिए। उससे butter melt हो जाएगा और ginger-garlic paste sauté हो जाएगा।
  2. अब butter में 1.5 tbsp. cornflour, Maggi tastemaker के दोनों sachet और Kashmiri lal mirch डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  3. अब पनीर की blocks काट लीजिए और अब इन्हें butter mix में marinate होने के लिए रख दीजिए।
  4. अब maggi noodles को बिना तोड़े boil कर लीजिए जिससे कि उसके लंबे-लंबे threads आएँ।
  5. Noodles को पानी में डालकर निकाल लें, जिससे उसकी over cooking रुक जाए।
  6. इन noodles में ½ tbsp. cornflour powder डालकर कर अच्छे से toss कर लीजिए। 
  7. इससे noodles' threads खिले-खिले हो जाएंगे। साथ ही जब इन्हें पनीर पर roll करेंगे तो टूटेंगे नहीं और पनीर को एक binding भी provide करेंगे।
  8. अब इन noodles को एक-एक finger पर roll करते जाइए।
  9. अब इन्हें, golden brown होने तक deep fry कर लीजिए।
  10. Now your appetizing, mouth-watering, crunchy and juicy Paneer Noodles Wrap are ready. Serve them with your favourite sauces, ketchups, chutneys or cheese dips.
Perfect Paneer Noodles Wrap के लिए इन tips and tricks को follow जरुर से कीजिए।

Tips and tricks : 

  • आप के पास अगर microwave ना हो तो आप butter को gas पर भी melt कर सकते हैं।
  • हमने इसको deep fry किया है पर अगर आप health conscious हैं तो shallow fry भी कर सकते हैं। लेकिन deep fry करने से ज़्यादा अच्छा crisp आता है।
  • आप घी की जगह olive oil or refined oil भी ले सकते हैं। पर क्योंकि हमने marinate करने के लिए butter use किया है, इसलिए घी का ज़्यादा अच्छा स्वाद आएगा। साथ ही साथ, घी और butter का combination भी ज़्यादा अच्छा बनता है।
  • पनीर के blocks bite-sized ही काटिएगा क्योंकि फिर वो ज़्यादा presentable लगेगा और अगर आप उसे as a starter serve कर रहे हैं तो ज़्यादा appropriate भी लगेगा।
  • अगर आप के पास cornflour नहीं है तो आप उसकी जगह rice flour भी use कर सकते हैं।
  • अगर आप garlic नहीं खाते तो उसे आप discard भी कर सकते हैं।
  • पनीर fresh ही लीजिएगा क्योंकि फिर वो ज़्यादा juicy बनेगा।
  • Noodles को बिना तोड़े ही boil कीजिएगा क्योंकि हम उनको as a thread use कर रहे हैं, तो वो जितने लंबे होंगे, उन्हें लपेटना उतना ही easy होगा।
  • ठंडक के दिनों में noodles ठंडे हो जाने से बहुत ज्यादा, आपस में चिपकते हैं। अगर ऐसा हो तो आप 30 second के लिए microwave कर सकते हैं। 
  • Butter mix के साथ भी ठंड में same problem आती है। मतलब butter भी बहुत जल्दी जमने लगता है, जिसके कारण, Paneer को marinate करना difficult होता है। अब जब problem same है तो solution भी same ही होगा। Means 30 second microwave कर लीजिएगा।
एक बार बना के तो देखिए, Taste में resturant की dishes को टक्कर देगा।

Friday, 8 December 2023

Article: Housewife का कठिन जीवन

Housewife का कठिन जीवन 


अभी हाल ही में सिलक्यारा tunnel में 41 मजदूर मलबा गिरने से उसमें फंस गए थे। जो कि लगभग 2 km. के दायरे में थी। 

क्योंकि वह एक tunnel थी, अतः वहां बिजली की अच्छी व्यवस्था थी, अर्थात अंधेरे में जीवन नहीं काटना पड़ रहा था। हां पंखा AC इत्यादि नहीं था। 

क्योंकि वो tunnel में बंद थे, इसलिए बाहर की दुनिया में निकलने को नहीं मिल रहा था, तो वो केवल 2 किलोमीटर के दायरे तक ही सीमित थे। 

उन श्रमिकों के लिए, हर ओर कहा जा रहा था कि वो बेहद कठिन जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्होंने अपने जीवन के बहुत कठिन 17 दिन व्यतीत किए हैं।

बेशक बहुत कठिन होता है ऐसा जीवन, जब आपको अपनी जिंदगी एक दायरे में गुजारनी होती है।

पर क्योंकि यह मजदूर जहां फंसे हुए थे, वो राज्य BJP सरकार के अंतर्गत आता है तो यह देख लेते हैं कि उनके इस कठिन जीवन को जितना भी सरल किया जा सकता था, उसके लिए BJP सरकार ने क्या-क्या किया।

श्रमिकों को दी गई सुविधा


Proper Illumination :

Tunnel में घुप अंधेरा ना हो, इसके लिए 24 hours के लिए बिजली की व्यवस्था की गई थी। Means उनके लिए सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचा सकते थे पर रोशनी पूरे समय बरकरार थी।


Food arrangements :

श्रमिकों को सुबह चाय, अंडा और दलिया दी जाती थी। दोपहर व रात के खाने में दाल, चावल, रोटी, सब्जी दिया जाता था। 

उसके अलावा, बिस्कुट, मेवा, energy drink आदि भी दिया जाता था।


Medical facilities : 

सभी तरह की दवाएं‌ उपलब्ध कराई जा रही थी। Oxygen का proper arrangement रहे, इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा था।


Mental health :

मजदूरों से दिन में 2 बार doctors बात करते थे, उनके moral को boost करते थे। उनको सफलता मिलेगी बाहर निकलने में, वो एक बार फिर normal life lead करेंगे, ऐसा उनमें विश्वास जगाया जाता था। वो भीतर रहकर, कितना हिम्मत का परिचय दे रहे हैं, यह कहकर उनके हौसलों को बुलंद किया जाता था।


Conversation with family :

दिन में दो बार उन्हें परिवार वालों से बात कराई जाती थी जिससे उन श्रमिकों से परिवार वाले और परिवार वालों से श्रमिक आपस में जुड़े रहे। इससे उन्हें दूर रहने का तो एहसास था, लेकिन अकेलेपन व परिवार से कट जाने का एहसास नहीं होता था। वैसे mostly mining के लिए जाने वाले मजदूर हों या officer, सबको अपनी family से तो दूर रहना ही होता है।


Entertainment : 

मजदूरों को mobile दिए गए थे, जिसमें video games and movies download थी, जिससे उनको भरपूर entertainment मिल रहा था, जो उन्हें सुख तो दे ही रहा था, साथ ही कहीं ना कहीं वो उनको depression में जाने से भी रोक रहा था।


41 companion : 

अंदर फंसे मजदूरों की संख्या 41 थी, मतलब एक अच्छा बड़ा समूह, जो एक दूसरे को support करने के लिए काफी हद तक सहायक था। एक-दूसरे के support के लिए, एक-दूसरे को entertain करने के लिए, एक-दूसरे को हौसला व हिम्मत दिलाने के लिए। दूसरे शब्दों में एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ देने के लिए।


No work :

वो समय जब वो बंद हो गये थे, तब उनके पास कोई काम नहीं था। वो relaxing position में थे, हां पर यह बात भी पूरी तरह से सही है कि इतनी सुविधाएं होने के बाद भी, क्योंकि जान मुश्किल में थी, तो बस एक ही ख्याल, सबके मन में था कि जल्द से जल्द tunnel से बाहर आएं और सामान्य जीवन व्यतीत करें ...

यह एक छोटी सी cutting है, जो कि आपको बताएगी कि क्या-क्या कर रही थी BJP सरकार उन मजदूरों के लिए 👇🏻

यह सब पढ़कर आपको समझ आ रहा होगा कि मजदूरों का जीवन उन 17 दिन कितना कठिन था और BJP सरकार किस तरह से काम करती है और क्यों उनके काम के देश-विदेश में डंके बजते हैं।

खैर यह तो रही उन श्रमिकों और BJP सरकार की बात..

पर हमारा आज का मुद्दा ना तो वो श्रमिक है, उनके विषय में हम इस article हौसले हों साथ, तो सब है हाथ.. में पहले ही लिख चुके हैं। 

ना ही BJP सरकार के काम गिनाने थे। क्योंकि, उनके बेहतरीन प्रदर्शन के विषय में भी हम, समय-समय पर जिक्र करते ही रहते हैं।

आज का मुद्दा तो हमारी housewife हैं और उनका कठिन जीवन...अब आप कहेंगे कि फिर श्रमिकों की बात क्यों उठाई? 

वो इसलिए कि आप comparison कर सकें कि house wife की life कितनी कठिन होती है। 

  • मजदूरों को सूर्य की रोशनी 17 days नहीं मिली, वो केवल 2 km. के दायरे में रहे तो उनका जीवन सबको कठिन दिखा। Housewife भी कितने दिनों तक अपने घर की चारदीवारी में रहती हैं। ना जाने कितने दिन तक कहीं बाहर नहीं निकलती हैं, तब क्या आपको, उनका जीवन कभी कठिन लगा?
  • वे भी दिन में नाश्ता, दोपहर व रात में खाना खाती हैं, लेकिन यह सब उन्हें बिना काम के नहीं मिलता है, बल्कि मिलता है, दिन भर की हाड़-तोड़ मेहनत के बाद, जिसमें घर परिवार व्यवस्थित रखना, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई देखना, उनका सर्वांगीण विकास देखना, नाते-रिश्तेदारी निभाना, घर का रख-रखाव और बजट में सब रखना, उसमें भी बहुत सारे घरों में housewife वही खाती हैं जो घर के बाकी लोगों के खाना खाने के बाद बचता है। क्या कभी आपने उनकी इस मेहनत और sacrifice को सम्मान दिया?
  • घर में जो job कर रहे हों, जो बच्चे पढ़ने जाते हैं, उनकी तो physical health and mental health का ध्यान हर housewife रख लेती है, पर कितने घरों में यह सोचा जाता है कि health की परवाह तो उनकी भी करनी चाहिए? 
  • उन श्रमिकों को tunnel में फंसे होने पर इतनी limelight मिल रही थी कि राजनीति से लेकर media तक और लोगों के बातचीत के मुद्दों में शामिल थी। पर house wife, जिसने अपने अस्तित्व, अपने भविष्य, अपने सपने सबको नकार कर केवल परिवार को महत्व दिया...,  क्या उन सब को यह कहकर तुच्छ नही कर दिया जाता कि तुम दिन भर करती ही क्या हो? तुम्हारे तो मज़े है, दिन भर ऐश करती हो घर पर, महारानी हो पूरे घर की, आदि आदि ...
  • पर आपने कभी सोचा है कि वो घर पर हैं, इसलिए ही बाकियों के सपने पूरे हो रहे हैं, उसने अपने आप को गुमनामी में खो दिया, इसलिए ही आपका नाम है। चाहती तो वह भी working woman बनकर सब हासिल कर सकती थी, पर उसने Housewife बनना चुना, सिर्फ आप और बच्चों के लिए...
  • जीवन जब दायरे में जीना पड़े तभी कठिन है, वरना खुले आसमान में तो छोटा सा परिंदा भी क्षितिज के उस पार चला जाता है।
  • समझिए House wife के कठिन जीवन को, क्योंकि दायरे में रहकर भी वो उफ्फ तक नहीं करतीं हैं, हंसती मुस्कुराती हुई अपने फ़र्ज़ को निभाती हैं। बिना यह सोचे कि वो कितना कठिन जीवन जी रही हैं, बिना किसी शिकायत के... 
  • पर वो सम्मान, प्रेम और अपनी पहचान की अधिकारिणी तो है ही...
  • उनका सम्मान कीजिए, उनके अस्तित्व को स्वीकार कीजिए, उनके द्वारा की गई मेहनत, त्याग और तपस्या को सिर-माथे रखिए, क्योंकि उन्हीं के कारण ही आपका और आपके बच्चों का अस्तित्व है। मान-सम्मान है। 

Wednesday, 6 December 2023

Recipe: Hot chocolate fudge

आज मम्मी पापा की marriage anniversary है तो सोचा कुछ मीठा हो जाए। पर क्या जो easily and instantly बन जाए।

कुछ ऐसा जिसे देखकर मुंह में पानी आ जाए और खाते ही सब कहें कि वाह मज़ा आ गया! 

In short ऐसा कि बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी मांगे और कहें कि दिल मांगे more...

तो बस Hot chocolate fudge बनाया जो सभी मापदंडों पर खरा उतरा।

बस आप भी झटपट recipe note कीजिए और अगली बार जब भी मीठा बनाएं तो यही बनाएं और यकीन मानिए एक बार बना लिया तो यह favourite dish बन जाएगी, आपकी बनाने में और उनकी demand करने में...

Hot chocolate fudge

Ingredients :

  • Full cream milk - 1½ cup 
  • Milk powder - 30 gm.
  • Choco powder - 1 tbsp.
  • Cream - ½ cup
  • Sugar - 2 tbsp. 
  • Milk chocolate block - 100 gm. 
  • Biscuit - 1 packet
  • For garnishing - Dry fruits, sugar balls, chocochips, colourful sprinklers...


Method : 

  1. एक vessel में 1 cup milk, milk powder choco powder, sugar add कर दीजिए।
  2. इसे medium flame पर continuous चलाते हुए पकाएं 
  3. 5 mins. बाद इसमें cream add कर दें और थोड़ा गाढ़ा होने तक पकाएं।
  4. अब इसमें chocolate block को काटकर डाल दें व chocolate पूरी अच्छी तरह melt होने और गाढ़ी होने तक पकाएं (इतना की ladle से solution pour करने के बाद भी solution, ladle में अच्छे से लगा रहे)।
  5. ½ cup milk में एक-एक biscuit, dip करते जाएं और एक कांच के baking vessel पर रखते जाएं। 
  6. अब इन biscuit पर thick chocolate solution डाल दें।
  7. अब इन biscuits की एक और layer लगा दीजिए।
  8. उस पर thick chocolate solution को डाल दें। 
  9. अब इस baking vessel को microwave oven में microwave setting पर 4 to 5 mins तक और set होने तक bake कर लें।
  10. अब इस पर आप जिस से भी decoration करना चाहें, कर लीजिए। 
  11. Hot chocolate fudge is ready to serve.

इसे hot or cold जैसा भी पसंद है, serve कर सकते हैं, दोनों ही variant में tasty लगता है। 

Perfect hot chocolate fudge बने, उसके लिए इन tips and tricks का ध्यान रखिएगा।


Tips and Tricks :

  • Thick chocolate solution बनाते समय बराबर चलाते रहें, जिससे जले नहीं, वरना पूरा taste ख़राब हो जाएगा। 
  • आपके पास cream ना हो तो आप दूध की thick मलाई भी use कर सकते हैं।
  • आप अपने flavour के किसी भी biscuits की layering कर सकते हैं। वैसे butter bite, chocolate biscuit, choco chips biscuits, Marie biscuits, fruit and nuts biscuits, etc. अच्छे taste देते हैं। 
  • Biscuit बस इतना ही dip करना है कि वो दूध soak कर लें, पर उसका shape, intact रहे। 
  • आप के पास milk chocolate block ना हो तो आप dairy milk chocolate भी ले सकते हैं।
  • आप decoration में सारे decorative items डाल सकते हैं। अपने taste and availability के according कम या ज्यादा कर सकते हैं। बिना किसी decorative items के भी बहुत अच्छा taste आता है।
  • Authentic taste में choco chips ज़रूर से डालते हैं।

तो बस, अपने event को memorable बनाने के लिए इसे बनाएं और सब के दिल में बस जाएं।

Happy Anniversary Mummy and Papa 💞💐🙏🏻🙏🏻

Friday, 1 December 2023

Article : Good news : vision re-generated

Hello friends...

एक good news है जो आप सबके साथ share करनी है... 

ईश्वर की कृपा से हमारी left eye का vision पूरी तरह से ठीक हो गया है।

आप में से बहुत लोग कहेंगे कि lucky you...

Definitely I am the luckiest person in the world. क्योंकि मेरी family, relatives, friends, near and dear ones and of course my blog family, आप सभी से इतना प्यार, आशीर्वाद और best wishes मिली, जिससे हमारी problem इतनी जल्दी solve हो गई। 

मात्र दो injection में ही हमें पूरी तरह से आराम मिल गया...

जबकि कुछ लोगों को बहुत अधिक injection लगते हैं, वहीं कुछ लोगों का vision, फिर लौटता ही नहीं है...

जब मेरी left eye का vision चला गया था, तो उसके लिए मैंने एक article डाला था, जिसमें कारण लिखा था की ऐसा कैसे हो गया, इससे कैसे बचा जा सकता है, आदि... जिसे आप में से बहुत लोगों ने पढ़ा और appreciate भी किया। अगर आपने नहीं पढ़ा है, तो इस link पर click कर लीजिए 

Loss of Vision

बहुत लोगों के मेरे पास replies आए, कुछ के blog में, कुछ के whatsapp में, कुछ के facebook में, कुछ के emails में और कुछ के phone भी आए थे। 

इसमें से कुछ लोगों की कुछ queries भी थीं। कुछ लोगों के मन में डर था और कुछ लोगों के इस तरह के comments भी थे जिसमें लिखा था की जिसको यह problem हो जाती है, वह दोबारा ठीक नहीं हो पाता है। 

इसलिए आज यह article डाल रहे हैं क्योंकि जो मेरा अनुभव है वो इस problem के solution की तरफ बहुत positive रहा है। 

अव्वल तो हम चाहते ही नहीं हैं, कि किसी को यह problem हो और अगर हो तो वह भी पूरे तरीके से ठीक हो जाए। तो चलिए जानते हैं की अगर किसी को यह problem हो जाए, तो क्या करना चाहिए।

Good news : vision re-generated

हम अपनी बात शुरू करने से पहले एक बार फिर से कहना चाहेंगे कि हमारा यह article 

Loss of Vision जरुर से पढ़ लीजिए और उसमें जो बताया है, वो करते भी रहिएगा। बहुत कम लोग या कहें केवल 1% लोग ही अपनी इस problem को जल्दी पकड़ पाते हैं। 

और इस बात को तो आप सब मानते होंगे कि problem जल्दी detect हो जाती है, उसका treatment उतनी ही जल्दी problem को ठीक कर पाता है। 

जो हमारे case में हुआ, इसलिए ही मात्र दो ही injection में हम ठीक हो गये...



चलिए अब बात कर लेते हैं कि, अगर किसी को यह problem हो गई है और वो किसी hospital में जाते हैं, तो सब जगह, इस problem के लिए doctors injection ही prescribe करेंगे। 

लेकिन कुछ hospitals में steriods लगाए जाते हैं और कुछ में दवाई का injection लगाते हैं। 

ध्यान रखिएगा की गलती से भी आँखों में steroid के injection नहीं लगवाने हैं। Steroid से आँखें सिर्फ कुछ समय के लिए अच्छी होती हैं पर finally वो पूरी तरह से बर्बाद हो जाती हैं। 

आँखें पूरी तरह से ठीक हो जाएँ, इसलिए उनमें दवाई पड़नी चाहिए और कुछ अच्छे hospitals, जिनका इस क्षेत्र में बहुत नाम है, वो injection से दवाई ही डालते हैं। 

Famous hospitals में चेन्नई का शंकर नेत्रालय, हैदराबाद का प्रसाद hospital शामिल है। 

लेकिन हर एक वहाँ तक नहीं पहुँच पाता है। तो अगर आप वहाँ तक नहीं पहुंचेंगे तो क्या आप की आँख ठीक नहीं हो पाएगी? 

नहीं, ऐसा नहीं है...

अब बहुत से बड़े शहरों में बहुत से ऐसे eyes के hospitals खुल गए हैं जहां injection से steroid नहीं बल्कि दवाई ही दी जा रही है। 

आपको बस इतना पता करना है कि आपके शहर में ऐसा कौन सा hospital है जहां eyes के injection में steroid नहीं बल्कि दवाई ही दी जाती है।

अगर आपके शहर में ऐसा कोई hospital नहीं है, तो अपने शहर के आसपास के बड़े शहरों में पता कर लीजिए, वैसे आपकी जानकारी के लिए बता रहे हैं कि दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में इस तरह के बड़े hospital आपको ज़रूर से मिल जाएँगे।

आपके शहर से जो भी बड़ा शहर, नजदीक हो उसमें आप अपना treatment करा सकते हैं।

अगर आपको दवाइयों के नाम पता करने हैं तो हमें comment box में लिख कर बता दीजिएगा...

हमारे doctor ने इस problem के regarding जो तीन तरह की दवाइयाँ बताईं थीं, जिनके अलग-अलग दाम हैं, वो हम आपको बता सकते हैं, उसे फिर आप अपने doctor से discuss कर लीजिएगा और अपनी pocket के हिसाब से उस injection को लगवा लीजिएगा। More or less, सभी effective हैं...

ऐसा नहीं है कि सिर्फ वही तीन दवाएं हैं और भी बहुत सी दवाएं doctors को पता होगी, जो कि effective होंगी। 

पर हां, हमें जिन तीन दवाओं के नाम पता है, उसमें वो तो सबसे ज्यादा effective है, जिसके injection हमें लगे थे पर वो थोड़ा ज़्यादा costly है। पर बाकी जो दो हैं, उनके effects भी अच्छे रहते हैं, ऐसा उन लोगों ने कहा था, जिन लोगों के बाकी दोनों में से कोई भी injection लगे थे...

हमने जहां से treatment करवाया है, वहाँ पर हमें जितने भी patient मिले थे, सभी के इस problem के solution के regarding positive feedback था। 

अगर आप उसी hospital और उसी doctor से treatment कराना चाहते हैं, जिनसे हमने अपना treatment करवाया था तो आपको बता दें हमने Centre for Sight, Preet Vihar में Dr. Tushar Agarwal से अपना treatment कराया था। 

वैसे अगर आप हम से पूछेंगे तो हम यही कहेंगे कि हमारा treatment करने वाले doctor and centre दोनों ही बहुत अच्छे थे।

Dr. Tushar Agarwal, बहुत ही efficient and genuine doctor हैं।

वो treatment में जितने efficient हैं उतने ही patiently आपकी सारी query भी solve करते हैं।

मेरे इस article को पढ़कर अगर किसी को भी अपनी इस problem का solution मिल जाएगा और उसका vision वापस आ जाएगा, तो मेरा लिखना सार्थक हो जाएगा। 

अगर आपको यह problem है तो आप इस treatment को follow कर सकते हैं, अगर आपके किसी परिचित को है तो उसे बता सकते हैं और इसका link अपने group में साझा भी कर सकते हैं। 

जिस किसी को भी यह problem diagnose हुई है, वो जितना जल्दी हो सके, अपना treatment शुरू करा लें, क्योंकि जितना ज्यादा देर लगेगी, recovery की chances उतनी ही कम होती जाती है।

Let's hope for the best!

हमारी ईश्वर से सदैव यही प्रार्थना है:

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः


DISCLAIMER : यह article मेरे निजी अनुभव व कुछ और लोगों  के अनुभव पर आधारित है।

Wednesday, 29 November 2023

Article: हौसले हों साथ, तो सब है हाथ..

 हौसले हों साथ, तो सब है हाथ.. 


"मौत भी जाती है हार, हौसले हो जिनके पास", "हौसले हो साथ, तो सब है हाथ", ऐसे बहुत से बड़े बड़े विचार सुनने को मिलते हैं।

पर उत्तरकाशी में फंसे हुए वो 41 मज़दूर, भारत की सशक्त और सक्षम rescue team, उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, ऐसे हौसले और जज्बे का परिचय दिया कि स्वयं ईश्वर ने साथ देकर 17 दिन से चल रहे, इस rescue mission को सफल बनाया और पूरे 41 मजदूर पूर्णतः सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए। 

पर यह ऐसी कौन सी बात है जो इस बात को सिद्ध करती है कि "हौसले हो साथ, तो सब है हाथ" 

चलिए आपको सिलसिलेवार बताते हैं, साथ ही यह भी, कि यह पूरा rescue किस तरह से अपने अंजाम पर पहुंचा।

आप जब, यह सब जानेंगे तो आप को नाज़ होगा, उन सब योद्धाओं पर, साथ ही अपने भारत देश पर, कि अब हम कितने सशक्त हो गये हैं।


सिलक्यारा की सुरंग घटना :

सिलक्यारा से बड़कोट के बीच एक tunnel  बनाई जा रही थी। जो कि 4 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग बन रही थी। 12 November को दिवाली के दिन जब यह tunnel धंसी तो उस वक्त 41 श्रमिक सिलक्यारा गेट से करीब 250 मीटर अंदर थे। अचानक उनके सामने करीब 60 मीटर का मलबा आ गिरा और वे उसी में फंस कर रह गए।

उत्तरकाशी की सुरंग धसने से फंसे 41 मजदूरों के लिए सुरंग के भीतर हफ्तों गुजार देना बेहद चुनौतीपूर्ण था। वह पूरे 17 दिन के लिए इसमें फंस गए। 

जब 41 मजदूर उस सुरंग में फंस गए थे तो उनकी प्राणों की रक्षा किस प्रकार हुई? सरकार द्वारा क्या कुछ प्रयास किए गए? 

चलिए जान लेते हैं सब...


उत्तराखंड सरकार का कार्य :

ऐसा नहीं है कि, कोई सुरंग पहली बार ऐसे धंसी है। ऐसी दुर्घटना पहले भी होती रही हैं और कई बार लोगों की सुरंग धंसने के कारण मृत्यु भी हुई है।

पर इस बार ऐसा नहीं हुआ, इतना बड़ा और कठिन काम हौसलों के कारण सफल रहा। एक भी जान का नुक़सान नहीं हुआ, ना कोई बहुत गंभीर रूप से बीमार हुआ।

और ऐसा, सिर्फ उन जीवट श्रमिकों के हौसले, rescue team के योद्धाओं के अनवरत प्रयास व सफलता को प्राप्त करने की जिद्द और उत्तराखंड की सरकार और उसके मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के पूर्ण सहयोग से संभव हो सका।

मजदूरों के फंसने के साथ ही सरकार तुरंत action में आ गई।

मलबा 60 मीटर तक था, साथ ही वो ऐसा मलबा था, कि जरा उस पर हाथ लगा नहीं, कि वो और तेजी से धंसने लगता था। 

पर उधर वो 41 मजदूर हिम्मत नहीं हार रहे थे और यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी rescue team।

मजदूरों के पास पाइप के जरिए एक माइक भेजी गई, जिसके जरिए वो अपने परिवारवालों और डॉक्टरों से बात कर रहे थे।

Rescue operation site पर पांच doctors की team फंसे हुए मजदूरों से दिन में दो बार बात कर रही थी। और उनके हौसलों को बनाए रखने के लिए, positive attitude बनाएं रखने के लिए, उन्हें यह आश्वासन दिलाया जाता था कि एक दिन वो जरुर से अपने परिवार से मिलेंगे, और वो दिन बहुत जल्द आएगा। बस हिम्मत और ईश्वर पर विश्वास बनाए रखना है... 

जहां मजदूर फंसे थे, सौभाग्य से वहां Jio textile sheet के bundle पड़े हुए हैं। मजदूर उन्हें ही बिछाकर सो रहे थे। 

साथ ही एक बहुत अच्छी राहत यह भी थी, कि इस दुर्घटना में सुरंग की बिजली व्यवस्था पूर्णतः सुरक्षित रही और सरकार ने यह ध्यान रखा कि 24 घंटे बिजली की व्यवस्था बनी रहे...


मजदूरों के खाने-पीने और ज़रूरत के सामान की व्यवस्था :

मजदूरों को पहले liquid diet दी जाती थी। फिर कुछ दिन बाद जब लगा कि उन्हें solids भी दिया जा सकता है तो उन्हें नाश्ते में चाय, अंडा और दलिया दिया जाता था, खाने में दाल चावल रोटी सब्जी दिया जाता था।

उन्हें biscuit, energy drink and dry fruits भी दिये गये। सब तरह की दवाएं‌ और vitamins दिए गए। Oxygen की व्यवस्था सुचारू रूप से रही, इसकी व्यवस्था की गई। साथ ही उनको अन्य आवश्यक सामग्री जैसे toothpaste, toothbrush, towel, undergarments, और कपड़े आदि दिए गए थे। उन्हें मोबाइल फोन भी दिए गए जिसमें video games and movies download थी, जिससे वो उस condition में फंस कर depression में ना जाए। 

इन मजदूरों के साथ ही, पूरी team, उनके परिवार वालों से भी बराबर touch में रही, उन्हें हर क्षण, हर पल की खबर देती रही, साथ ही उन्हें आश्वस्त करती रही कि वो सभी मजदूर जल्दी ही अपने परिवार वालों से मिलेंगे।

इस rescue operation में जो जो rescue team सहायक थी, उनका नाम इस chart में है। 


17 दिन तक अनवरत यह सभी अपने कार्य को इस तरह से अंजाम दे रहे थे कि शीघ्र अति शीघ्र एक-एक मज़दूर, पूर्णतः सुरक्षित बाहर निकले। 

क्योंकि सुरंग बन्द थी अतः वहां temperature 20-22°C था, पर सुरंग के बाहर पूर्ण व्यवस्था करने वाले योद्धा और मजदूरों का बाहर इंतजार करने वाले उनके परिवार के सदस्यों के लिए ठंडक बढ़ती जा रही थी... फिर भी सब डटे रहे ठंड, भूख-प्यास और थकान की परवाह किए बिना... 


Rescue team का कठिन कार्य :

जिस सुरंग से मजदूरों को बाहर आना था, उससे बाहर निकालने के लिए rescue team को संकरे पाइप से घुस कर पहले उस मलबे को बाहर निकालना था जो कि 60 मीटर लंबा था और बहुत ही जर्जर अवस्था में था।  

उसके बाद tunnel के बाहर और अंदर एक ऐसा system बनाना था, जिससे tunnel में एक stretcher भेजा जा सके और फिर उसमें एक-एक श्रमिक को लिटाकर खींचा जाए और उन्हें बाहर निकाला जाए...

इस कार्य को करने जाना, अर्थात मौत से दो-चार हाथ करना था। मतलब situation ऐसी थी कि मौत की सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए खुद भी मौत का सामना करना था। 

पर अब भारत में इतने सशक्त और सक्षम equipment हैं और उतने ही वीर योद्धा, जो इस कठिन काम को अंजाम देने में जुट गए।

पहले बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा यह कार्य सम्पन्न किया जा रहा था, पर उसमें बहुत वक्त लग रहा था। अंत में rat miners आए और उन्होंने अपने तेज़ हाथों से घंटों का काम मिनटों में कर दिखाया... 

सलाम है इन सभी योद्धाओं को, जिन्होंने 41 श्रमिकों की जान बचाने के लिए, अपनी जान की बाजी लगा दी, और इस rescue mission को सफल कर दिया... ईश्वर से प्रार्थना है कि वह, अपना आशीर्वाद सदैव हमारे देश के योद्धाओं पर बनाएं रखें 🙏🏻

Rescue team तो प्रयासरत रहती है, पर अगर बड़े-बड़े नेता और अधिकारी भी शामिल हों तो कार्य के संभव होने की प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, ना केवल हर तरह से सहयोग प्रदान कर रहे थे, बल्कि वो समय-समय पर घटना स्थल पर आकर situation को समझते थे और साथ ही उन श्रमिकों से बात भी करते थे, जो tunnel में फंसे हुए थे।

इन सब ने हमें सिखा दिया कि बड़ी से बड़ी समस्या का निदान किया जा सकता है। अगर हौसला, हिम्मत, अनवरत लगन, निष्ठा और पूर्ण सहयोग हो, तो मौत भी हार सकती है और जिसने मौत को हरा दिया, उससे सशक्त और सक्षम कोई नहीं...

और अब यह हमारे भारत में सफलतापूर्वक संभव है...

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Thursday, 23 November 2023

Article : देव उठनी एकादशी व एकादशी उद्यापन

देव उठनी एकादशी व एकादशी का उद्यापन



हम हिन्दुओं में बहुत से व्रत-त्यौहार होते हैं, जिनमें कुछ साल में एक बार या दो बार होते हैं तो कुछ मासिक और कुछ साप्ताहिक...

हर महीने होने वाले व्रतों में एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। बारह मासी होने वाली एकादशी में देव उठनी एकादशी व देवशयनी एकादशी का बहुत महत्व है। 

देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है। ऐसी मान्‍यता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु चार महीने तक सोने के बाद दवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इसी दिन भगवान विष्‍णु शालीग्राम रूप में तुलसी से विवाह करते हैं। देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, नामकरण, मुंडन, जनेऊ और गृह प्रवेश की शुरुआत हो जाती है।

हम आपको पहले ही देव उठनी व देवशयनी एकादशी के विषय में बता चुके हैं। आप इनकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए, देव उठनी एकादशीदेवशयनी एकादशी पर click कर सकते हैं।

आज देव उठनी एकादशी है, अतः आज से ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। हे जगदीश्वर, हे परमपिता परमेश्वर आप से कर जोड़ कर प्रार्थना है कि सर्वत्र मंगल कार्य सम्पन्न करें। 

आज के दिन हम आपके साथ एकादशी व्रत से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण विधि विधान के विषय में चर्चा करेंगे।

एकादशी उद्यापन :

एकादशी व्रत एक तप है तो उद्यापन उसकी पूर्णता। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि हे पार्थ, कष्ट से रखा गया एकादशी व्रत निष्फल है, यदि उसका उद्यापन ना किया जाए। अर्थात व्रत की पूर्णतः उद्यापन के साथ ही होती है।

दोनों पक्ष के 24 एकादशी व्रतों का उद्यापन किसी भी पक्ष की एकादशी को कर सकते हैं (लेकिन चौमासे में एकादशी उद्यापन नहीं करना है)। शास्त्रों के अनुसार एकादशी उद्यापन दो दिन का कार्यक्रम होता है पहले दिन एकादशी को व्रत के साथ पूजा होती है तथा द्वादशी को हवन करके 24 या 12 ब्राह्मणों को दान देकर भोजन करवाया जाता है।

जो लोग एकादशी व्रत रखते हैं वो अच्छी तरह जानते हैं कि इस व्रत को रखने का कार्य यूं ही बंद नहीं कर दिया जाता है। इसका पहले उद्यापन किया जाता है, उसके बाद ही व्रत का पारण होता है। 

इस व्रत को रखना जितना श्रेष्ठकर है, इसके उद्यापन का भी उतना ही महत्व है। और इसके उद्यापन के बहुत-से नियम कानून भी हैं, साथ ही बस यही एक ऐसा व्रत है, जिसका उद्यापन करने के पश्चात् भी आप व्रत रख सकते हैं। और इस व्रत का उद्यापन अपने जीते-जी करना बहुत शुभ भी मानते हैं।

आप कहेंगे कि आज देव उठनी एकादशी व्रत है और हम इस समय में उद्यापन की बात कर रहे हैं।

तो आप को बता दें कि एकादशी व्रत का उद्यापन किसी भी एकादशी में नहीं कर दिया जाता है, बल्कि देव उठनी एकादशी ही इस व्रत के उद्यापन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। 

देव उठनी एकादशी से देवशयनी एकादशी तक के बीच की कोई भी एकादशी में आप एकादशी व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। लेकिन देवशयनी एकादशी के दिन व उससे देव उठनी एकादशी के आने तक की एकादशी में कभी भी एकादशी व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है। यह दिन ही चौमासे कहलाते हैं।

माना जाता है कि जब आप देवताओं के लिए रखे जाने वाले सर्वश्रेष्ठ व्रत का पालन कर रहे हैं तो उसे सम्पूर्ण करने का उद्यापन भी उनके जाग्रत अवस्था में ही करें, जिससे ईश्वर आपको सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान कर के मुक्ति प्रदान करें और मुक्ति मिलने तक का आपका शेष जीवन  सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहे। 

एकादशी उद्यापन के नियम के विषय में विस्तार से आपको फिर कभी जानकारी देंगे।

तब तक के लिए आप सभी अपने घरों में मंगल कार्यों को सम्पन्न करें, श्रीहरि विष्णु जी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

Wednesday, 22 November 2023

Short story: चंद रुपए

 चंद रुपए



बूढ़ा हरिया, मजदूरी कर के एक-एक रुपए जोड़ रहा था, अपनी लाडली लक्ष्मी बेटी की शादी के लिए। 

साहूकार का लड़का दिनेश जो कि एक डॉक्टर था, लक्ष्मी से विवाह करना चाहता था। लक्ष्मी, पढ़ी-लिखी, बहुत सुन्दर और सुघड़ थी तो साहूकार भी तैयार था। बस उसे दहेज की मोटी रकम चाहिए थी।

हरिया, बिटिया के अच्छे भविष्य के लिए अपना जी जान लगा रहा था। 

वो साहूकार से बोला, मैं 50 हजार और दो बीघा जमीन आपको दे सकता हूं। बाकी कुछ रुपए स्वागत सत्कार के लिए रखें हैं। तो इससे ज्यादा कुछ नहीं दे सकूंगा मालिक...

हालांकि रुपए तो बहुत कम लग रहे थे पर एकलौते पुत्र के प्रेम और लक्ष्मी के शांत और आज्ञाकारी स्वभाव के कारण साहूकार ने हाँ कर दी, वो जानता था, ऐसी लड़कियां ही घर परिवार को लेकर चलती हैं। 

पर साथ ही हिदायत दी कि इससे एक रुपए कम में शादी नहीं होगी... 

हरिया ने खुशी खुशी स्वीकार कर लिया।

हरिया बैंक से 100 की पांच गड्डी एक झोले में रखकर ले आया और स्वागत बारात की तैयारी में लग गया। 

साहूकार शादी के एक दिन पहले आया और बोला, तू पचास हजार रुपए दे दे। मुझे लक्ष्मी के लिए जेवर बनवाने हैं। कोई खाली श्रंगार हमारी बहू मंडप में थोड़ी ना बैठेगी। 

हरिया बोला, आप की अमानत है, जब चाहे तब ले लीजिए। आप ले जाएंगे तो मुझे भी चोरी का डर नहीं होगा। शादी का घर है, पचास काम हैं....

जब उसने झोले में हाथ डाला तो चार गड्डी तो थी पर एक नदारद हो गई थी। झोले में एक छेद था, जिससे रुपए लाते वक्त एक गड्डी कहीं गिर गई थी। 

साहूकार को जैसे ही रुपए के बारे में पता चला, बोला 40 हजार, ले जा रहा हूं। सुबह तक 10 हज़ार मिल जाए तो बता देना, बारात ले आऊंगा, वरना यह रुपए भी ले जाना।

अब हरिया को कांटों तो खून नहीं, उसने रुपए बहुत ढूंढे, पर मिले नहीं... 

उधर वो रुपए बिनेश को मिल गये थे, उसका बेटा बहुत बीमार था। जब उसे वो रुपए मिले तो, उसकी आंखें चमक उठीं, वो उसे भगवान की कृपा समझ कर घर ले गया।

उसकी पत्नी, मालती रुपए देखकर चौंक गयी, बोली इतने रुपए कहां से मिले?

बिनेश बोला, भगवान ने दिए हैं अपने राजू के लिए, अब सवाल मत पूछ, चल जल्दी डॉक्टर साहब को दिखा दें।

मालती ने साफ मना कर दिया, ना जाने किसके रुपए हैं, उनके खो जाने से उसका क्या हाल हो रहा होगा। ले जा जहां से लाया है।

जिसके हैं, उसको मिल जाएंगे तो उसकी दुआ से हमारा राजू अपने आप ठीक हो जाएगा। 

बिनेश बड़बड़ाता हुआ चला गया कि मिला रुपया कौन वापस करता है, मूर्ख है मेरी पत्नी... ले जाता हूं, फिर राजू को कुछ हो जाए तो रोती डोलना...

बिनेश वहीं पहुंच गया, जहां पर उसे रुपए पड़े मिले थे, उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी फांसी लगाने जा रहा था।

अररररे.. क्या कर रहे हो बाबा? उसने उसे रोकते हुए कहा...

हरिया बोला, क्या करूं बेटा, मेरी बेटी की बहुत अच्छे घर शादी हो रही थी, पर चंद रुपए गिर जाने के कारण अब कभी नहीं हो सकेगी। तो मैं अब जीकर क्या करुंगा?

रुपए गिर गये? कितने थे? 

बेटा, कुछ दस हजार होंगे...

दस हजार रुपए!....

अब आपकी बेटी की शादी जरुर से होगी, मैं आपको दस हजार रुपए देने ही आया हूं...

तुम क्यों?..

मुझे ही पड़े मिले थे...

आह! तुम महान हो, वरना मिले हुए रुपए और सामान कौन लौटाता है? आज भी अच्छे लोग हैं..

नहीं बाबा, मैं नहीं.. मेरी पत्नी... दरअसल मेरा बेटा बहुत बीमार था, इसलिए मिलने पर उठाने से अपने आप को रोक नहीं पाया, मुझे माफ़ कर दीजियेगा। फिर बिनेश ने अपनी पत्नी की बात बताई...

पर अच्छा हुआ जो मैं जल्दी आ गया, वरना आपकी हत्या का पाप कर बैठता... 

तुम्हारी पत्नी बहुत अच्छी है, मैं ईश्वर से तुम्हारे बच्चे के लिए दुआ करुंगा। 

फिर हरिया कुछ सोचते हुए बोला, मेरा दामाद डॉक्टर है, तुम अपने बेटे को लेते आओ, वो उसे देख लेगा। 

हरिया और बिनेश, राजू को लेकर साहूकार के घर पहुंचे और सारी बात बता दी।

दिनेश ने राजू को देखकर दवा दे दी, राजू ठीक हो गया। लक्ष्मी का विवाह धूमधाम से सम्पन्न हुआ।

बिनेश को साहूकार के घर नौकरी मिल गई, बिनेश ने मालती से कहा, तुम सही कहती हो,  कभी दूसरे का कुछ नहीं लेना चाहिए, गिरा हुआ मिलने से वो अपना नहीं होता और दुआओं से सब अच्छा हो जाता है।

सच में बिनेश, चंद रुपए भी किसी की दुनिया बर्बाद कर सकते हैं... अपना छोड़ो मत, दूसरे का लो मत... इसी में सुख है...

Monday, 20 November 2023

Article: थम गया विजय रथ

सोचा था कि आज के article की शुरुआत कुछ इस तरह से करेंगे....


सफलता और कामयाबी

की पहचान है भारत

जीत का पर्याय है भारत

 तिरंगा हर ओर लहराएगा

जहां जहां भी जाएगा भारत  


जिस तरह से रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम आगे बढ़ रही थी, अपने एक-सूत्री विजय लक्ष्य को लेकर, उससे यही प्रतीत हो रहा था कि एक बार फिर world cup भारत में ही आएगा।

पर आह रे! यह संभव ना हो सका... हमारा विजय रथ अपने सफलता को प्राप्त करने से चंद पल पहले ही रुक गया और हम करोड़ों भारतीयों का सपना चकनाचूर हो गया... 

थम गया विजय रथ 


कल का मैच देखकर कुछ समझ ही नहीं आया, कि क्या हुआ, लगातार जीतती आ रही भारतीय टीम को अचानक से क्या हो गया ? 

किसकी नज़र लग गई?

क्या हमारी प्रार्थना में असर कुछ कम रह गया? 

जो सर्वश्रेष्ठ टीम, सर्वश्रेष्ठ कप्तान, सर्वश्रेष्ठ batters and bowlers होने के बावजूद, हम वो ना कर सके, जिसका सब को यकीन था...

India के world cup नहीं जीतने के बाद भी, Best player of the World Cup, Virat Kohli and best bowler of the world cup, Mohammad Shami को मिला।

यह अपने आप में सिद्ध करता है कि भारत सर्वश्रेष्ठ है

अब बात करते हैं, हम अपने उन भारतीयों की, जिन्हें भारत के लगातार जीतते जाने पर संदेह था। जिन्हें भारतीय टीम की performance पर यकीन नहीं था। वो उसमें भी राजनीतिक दखल देख रहे थे... उनको तो आखिरी पड़ाव पर हार ही सत्यता प्रतीत हो रही होगी?...

पर आखिर कब तक किया जाएगा काबिलियत पर शक?

जवानों पर, खेल के मैदान पर? और किसी भी अच्छी स्थिति पर?.... 

जिन्हें भारत पर विश्वास नहीं है, क्या लगता है उन लोगों को ? क्या भारत कभी आगे नहीं आ सकता? क्या वो सफलता का परचम लहरा नहीं सकता?... 

विश्वास कीजिए, लगातार जीतते हुए आज उपविजेता बने हैं, कल विजेता भी बनेंगे... जब यहां तक आए हैं, कल जीत भी जाएंगे...


ग़म है हार का 

पर इस हार को

भूल ना जाना

जो हो सका ना 

उसे अगली बार

कर के दिखाना 

दिखाना की है

वो बात तुममें

जिसके आगे

झुकता है जमाना


जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Sunday, 19 November 2023

Article : छठ महापर्व

 छठ महापर्व 


सालभर के इंतजार के बाद पुनः छठ महापर्व  आ गया है। यह पर्व आज भी अपनी पौराणिकता को समेटे हुए है। आज भी इसमें किए जाने वाले सभी क्रियाकलाप अपनी गरिमा के साथ यथावत हैं।

छठ पर्व के आते ही सभी बिहारी अपने घर की ओर लौट जाते हैं, चाहे वो कोई भी काम करते हों और विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। 

आज भी छठ पर्व में सम्पूर्ण कुनबा जुड़ जाता है। यहां तक देखा है कि किसी कारण वश यदि कुछ लोग नहीं पहुंच पा रहे होते हैं, तो बाकी सब भी उसकी जगह एकत्रित हो जाते हैं। और उसी जगह धूमधाम से पर्व को मनाया जाता है, अर्थात जगह विशेष को लेकर लकीर नहीं पीटते हैं। उनके लिए पर्व की प्रतिष्ठा और सब लोगों का एकत्रित रहना महत्वपूर्ण है ना कि जगह विशेष का... 

उनकी इसी प्रेम की भावना ने सबको जोड़े रखा है साथ ही त्यौहार की महत्ता को भी पूर्ववत बनाए रखा है। 

छठ पर्व की विशिष्ट झलक आपको बंगाल और बिहार में देखने को मिलेगी। यहां दीपावली की उतनी धूम नहीं होती है, जितनी छठ पूजा की होती है।

एक अलग ही माहौल होता है, सब भक्तिमय हो जाते हैं।

नाक से मांग तक नारंगी सिन्दूर इनको सबसे अलग दिखाता है। शायद जो बिहारी ना हो, उन्हें इस तरह से सिन्दूर लगाना थोड़ा अटपटा और शर्मशार लगे। पर बिहारियों के लिए ऐसे सिन्दूर लगाना गरिमा और प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

आज भी तीन दिन तक छठी मैय्या के भजन ही बजते हैं, कोई भी फिल्मी गाने, अंग्रेजी गाने या अन्य किसी तरह के गाने नहीं सुनाई देंगे।

यह देशज नजरिया ही आपको आपकी संस्कृति और सभ्यता से जोड़े रखता है।

ठेकुआ, खजुरिया आदि इतने स्वादिष्ट हैं कि इनके आगे एक से बढ़कर एक मिठाई fail हैं और विदेशी chocolate and cookies तो किसी गिनती में ही नहीं आते हैं। 

कहा जाता है कि सब व्रत और त्यौहार में छठ पूजा सबसे कठिन होती है। वास्तव में ऐसा होता भी है, क्योंकि यह व्रत चार दिन का होता है, जिसमें तीन दिन कठिन निर्जला व्रत होता है और इस व्रत के नियम कानून भी कठिन हैं।

पर इस पर्व की एक विशेषता और होती है कि इसे स्त्री और पुरुष दोनों में से कोई भी एक यह व्रत रख सकता है। मुख्यतः परिवार में कोई एक ही सदस्य ही व्रत रखता है और बाकी सब व्रत रखने में उसकी सहायता करते हैं। व्रत रखने वाले को विशेष स्थान और सम्मान दिया जाता है।

आप को छठ पूजा से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी लेनी हो तो click करें छठ पूजा

इस व्रत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे आने वाली पीढ़ी ले लेती है और व्रत यथावत चलता रहता है। 

पवित्र प्रतिष्ठित और गरिमामय छठ पर्व को शत् शत् नमन 🙏🏻

धन्य है वो बिहारी जो इसका विधिवत पालन कर रहे हैं।

छठी मैय्या, आप की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻😊 

छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻

Tuesday, 14 November 2023

Poem : जिंदगी में बचपन

 जिंदगी में बचपन




जिंदगी में बचपन, जैसे चंदन 

पल पल को महकाए 

यह पल है सबसे खूबसूरत

फिर कभी पलट के ना आए


ना कोई फ़िक्र ना कोई चिंता 

मन जैसे हो उड़ता परिंदा 

उमंग उत्साह में वो 

बस उड़ता जाए 


आइसक्रीम, टॉफी, चॉकलेट

गुब्बारे, खिलौने, झूला, पिकनिक 

यह सब थे सतरंगी सपने 

चाहत थी सब हो जाए अपने 


कितनी छोटी सी दुनिया

होती थी अपनी

जो खुशियां दे जाती थी 

मुट्ठी में सब सिमट जाती थी 


मां-पापा, दोस्त, रिश्तेदार 

सब होते थे जीवन में ऐसे

जैसे हर सुबह पार्टी

हर शाम त्यौहार 


ना जाने सब चले गए कहां 

बचपन के बीतने के बाद 

मिल जाए बचपन फिर से

हो जाए फिर सब एक साथ 


आप सभी को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐


सारे चुन्नू मुन्नू को बहुत सारा प्यार


Happy Children's Day👶🏻👧🏻💃🏻

Sunday, 12 November 2023

Poem: दीप से दीप जलाकर

दीप से दीप जलाकर



दीप से दीप जलाकर

घर आंगन में लगा लेना 

उनकी जगमग रोशनी से 

कोने कोने में प्रकाश फैला लेना


फ़ूल से फूल मिलाकर 

सुंदर लड़ी बना लेना 

हर द्वार चौखट सजे उससे 

पूरे घर को खूशबू से महका लेना 


थोड़ा थोड़ा ही सही

पर कुछ पकवान बना लेना 

हैं दीपावली, त्यौहार बड़ा 

अपनों के संग मना लेना 


बहुत नहीं, बस चंद सही 

पटाखों पर भी खर्चा कर लेना

यह दीपावाली की रौनक हैं 

पटाखे, बच्चों को चलवा लेना  


छोटी छोटी सी बातें हैं 

पर हैं अनमोल बड़ी 

इन से ही त्यौहार सजा 

यही सुखद जीवन की घड़ी


आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की कृपा दृष्टि सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

Saturday, 11 November 2023

Article: दीपावली पर पटाखे

 दीपावली पर पटाखे 



क्या कहते हैं आप सब, क्या दिल्ली में pollution level कम हो गया है?

क्या इस बार दीपावली में पटाखे जलाने की छूट मिल जाएगी?

इस बार तो पंजाब में पराली भी नहीं जल रही है...

और अगर जल भी रही है, तो उस पर atleast, pollution levels बढ़ाने का आरोप तो बिल्कुल भी नहीं लगाया जा रहा है।

वैसे यह तो रही, हमारी पृथ्वी की बात...

पर अगर बात ईश्वर की करें तो उनकी तरफ से तो हरी झंडी ही दिखाई दे रही है।

देखिए ना ईश्वर, अपने घर की खूब धुलाई करा रहे हैं, नतीजतन बिन मौसम, इतनी वर्षा हो रही थी कि दिल्ली क्या पूरा उत्तर प्रदेश भी pollution free होता दिख रहा है। 

और एक बात और पहले खूब बारिश कर के प्रदूषण नियंत्रण कर दिया, अब भरपूर धूप दे रहे हैं, जिससे पटाखे अच्छी तरह से सूख जाए और जब जलाया जाए तो खूब मस्त चलें।

अभी कुछ दिन बाद ही रामलाल के मंदिर का निर्माण अपनी भव्यता के साथ पूरा हो चुका है। शायद उसी से रामलाल प्रसन्न हैं और दीपावली के चंद दिनों पहले से ही खूब वर्षा कर के दिल्ली, यूपी सबको प्रदूषण से मुक्त कर दिया है। जिससे जैसा स्वागत उनके आने से अयोध्या में हुआ था। उससे भी ज्यादा स्वागत दीपावली के आने पर किया जाए। 

हर ओर फूल, तोरण से घर आंगन सजाया जाए, दीपों से हर शहर को जगमगाया जाए, पकवानों की खुशबू से हर गली को महकाया जाए और खूब सारे पटाखों की धूम धड़ाके से खुशियां मनाई जाए। 

जब यह सब हो, तभी तो लगता है कि दीपावली का पावन पर्व आया है, इनमें से कोई भी एक ना हो तो, सूनी रह जाती है दीपावली.. 


आप सभी को छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻

Friday, 10 November 2023

Article : धनतेरस में क्यों खरीदते (बर्तन, सोना और झाड़ू )

आज से सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली का प्रारंभ हो रहा है। यह पंच दिवसीय त्यौहार धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज पर पूर्ण होता है। हालांकि इस बार यह त्यौहार छः दिन में पूर्ण होता है।

कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।  


धनतेरस में क्‍यों खरीदते (बर्तन, सोना-चांदी, झाड़ू) 


हम सब लोग, दीपावली में बर्तन, सोना-चांदी के आभूषण और झाड़ू सदियों से खरीदते आ रहे हैं। पर क्यों? आपने कभी सोचा? 

चलिए आज यही साझा करते हैं...


बर्तन खरीदने का कारण :

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान धन्‍वं‍तरि प्रकट हुए तब उनके हाथ में पीतल का कलश था। ये दिन भगवान धन्‍वंतरि की पूजा करने का दिन है, उन्हें खुश करने का दिन होता है, इसलिए लोग उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदते थे। लेकिन समय के साथ पीतल के बर्तनों का चलन बंद सा हो गया और स्‍टील के बर्तन का चलन शुरू हो गया। इसलिए आज के समय में लोग बर्तन खरीदने की प्रथा तो निभाते हैं, लेकिन वे ज्‍यादातर स्‍टील के बर्तन खरीदते हैं।


क्‍यों खरीदा जाता है सोना-चांदी :

सोना-चांदी को धन माना जाता है और माता लक्ष्‍मी को धन की देवी कहा जाता है। मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन अगर सोना-चांदी खरीदा जाए तो माता लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और घर में समृद्धि बनी रहती है। इसलिए लोग इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदते हैं‌।


झाड़ू खरीदने की वजह :

झाड़ू को लक्ष्‍मी का स्‍वरूप कहा जाता है क्‍योंकि ये घर की गंदगी को साफ करती है। गंदगी को दरिद्र माना गया है और जहां गंदगी होती है, वहां कभी लक्ष्‍मी नहीं रहतीं। इसलिए लोग धनतेरस के दिन झाडू लेकर आते हैं। दीपावली से एक दिन पहले यानी नरक चौदस को झाड़ू से घर की सफाई करते हैं और दरिद्र को दूर करते हैं। इसके बाद घर को बहुत सुंदर सा सजाकर माता लक्ष्‍मी के आगमन की तैयारी करते हैं और दीपावली के दिन विधिवत उनकी पूजा करते हैं।

तो चलिए आज के शुभ दिन में आप भी यह सब लाएं। माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद प्राप्त करें 🙏🏻 

शुभ धनतेरस 🙏🏻