वही लोग आज मेरे पास फटकना तो दूर, देख भी नहीं रहे थे...
कहीं तुम भी बदल तो नहीं जाओगे? मुझसे मुंह तो नहीं मोड़ लोगे?
आह! कैसी बात करती हो श्वेता?
प्यार पर घात (भाग-1) के आगे…
प्यार पर घात (भाग-2)
तुमने मेरे प्यार को खोखला समझ लिया है क्या? या खाली खूबसूरती पर टिका समझ लिया है।
मेरी पहली और आखिरी पसंद हो तुम... तुम जैसी हो, वैसी ही मेरी हो...
I love you, यह कहकर श्वेता, श्लोक के गले लग गई...
कुछ देर बाद श्लोक तो गहरी नींद में सो गया, पर श्वेता उसको देख-देखकर निहाल हुई जा रही थी, कि उसे कितना प्यार करने वाला मिला है।
शादी के दस साल बीत गए थे। उनका परिवार पूरा हो गया था, शौर्य और शिप्रा दो प्यारे बच्चों के साथ, पर श्वेता की व्यस्तता समय के साथ बढ़ती गई।
श्वेता ने परिवार और काम में अपने आपको इतना डुबा दिया था कि अब वो अपना तनिक भी ध्यान नहीं देती थी। नतीजतन 30 की उम्र होने के बावजूद वो 45 साल की दिखने लगी थी।
बेडोल शरीर, कच्चे-पक्के बाल, बिना glow का चेहरा... कोई कह नहीं सकता था कि यह वही श्वेता है, जो अपने college की miss fresher and farewell रही थी।
श्लोक भी श्वेता के प्यार की एक झलक पाने को तरस जाता था। घर से बाहर वो जाते नहीं थे, क्योंकि बच्चे बाहर निकलते ही restaurant, mall, खिलौने और dresses की ज़िद्द करने लगते थे।
मतलब जिंदगी को खूबसूरत कहने को कुछ नहीं रह गया था।
एक दिन श्वेता श्लोक के कपड़े धोने के लिए डाल रही थी तो हमेशा की तरह सब जेबें खंगालने लगी कि जरूरत का कुछ है तो नहीं..
उसे श्लोक की jeans में एक गुलाबी, खूशबूदार काग़ज़ और एक दस का सिक्का मिला।
काग़ज़ को पढ़कर श्वेता के पैरों तले जमीन खिसक गई...
आगे पढ़ें, प्यार पर घात (भाग-3) में...
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