Wednesday, 29 November 2023

Article: हौसले हों साथ, तो सब है हाथ..

 हौसले हों साथ, तो सब है हाथ.. 


"मौत भी जाती है हार, हौसले हो जिनके पास", "हौसले हो साथ, तो सब है हाथ", ऐसे बहुत से बड़े बड़े विचार सुनने को मिलते हैं।

पर उत्तरकाशी में फंसे हुए वो 41 मज़दूर, भारत की सशक्त और सक्षम rescue team, उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, ऐसे हौसले और जज्बे का परिचय दिया कि स्वयं ईश्वर ने साथ देकर 17 दिन से चल रहे, इस rescue mission को सफल बनाया और पूरे 41 मजदूर पूर्णतः सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए। 

पर यह ऐसी कौन सी बात है जो इस बात को सिद्ध करती है कि "हौसले हो साथ, तो सब है हाथ" 

चलिए आपको सिलसिलेवार बताते हैं, साथ ही यह भी, कि यह पूरा rescue किस तरह से अपने अंजाम पर पहुंचा।

आप जब, यह सब जानेंगे तो आप को नाज़ होगा, उन सब योद्धाओं पर, साथ ही अपने भारत देश पर, कि अब हम कितने सशक्त हो गये हैं।


सिलक्यारा की सुरंग घटना :

सिलक्यारा से बड़कोट के बीच एक tunnel  बनाई जा रही थी। जो कि 4 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग बन रही थी। 12 November को दिवाली के दिन जब यह tunnel धंसी तो उस वक्त 41 श्रमिक सिलक्यारा गेट से करीब 250 मीटर अंदर थे। अचानक उनके सामने करीब 60 मीटर का मलबा आ गिरा और वे उसी में फंस कर रह गए।

उत्तरकाशी की सुरंग धसने से फंसे 41 मजदूरों के लिए सुरंग के भीतर हफ्तों गुजार देना बेहद चुनौतीपूर्ण था। वह पूरे 17 दिन के लिए इसमें फंस गए। 

जब 41 मजदूर उस सुरंग में फंस गए थे तो उनकी प्राणों की रक्षा किस प्रकार हुई? सरकार द्वारा क्या कुछ प्रयास किए गए? 

चलिए जान लेते हैं सब...


उत्तराखंड सरकार का कार्य :

ऐसा नहीं है कि, कोई सुरंग पहली बार ऐसे धंसी है। ऐसी दुर्घटना पहले भी होती रही हैं और कई बार लोगों की सुरंग धंसने के कारण मृत्यु भी हुई है।

पर इस बार ऐसा नहीं हुआ, इतना बड़ा और कठिन काम हौसलों के कारण सफल रहा। एक भी जान का नुक़सान नहीं हुआ, ना कोई बहुत गंभीर रूप से बीमार हुआ।

और ऐसा, सिर्फ उन जीवट श्रमिकों के हौसले, rescue team के योद्धाओं के अनवरत प्रयास व सफलता को प्राप्त करने की जिद्द और उत्तराखंड की सरकार और उसके मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के पूर्ण सहयोग से संभव हो सका।

मजदूरों के फंसने के साथ ही सरकार तुरंत action में आ गई।

मलबा 60 मीटर तक था, साथ ही वो ऐसा मलबा था, कि जरा उस पर हाथ लगा नहीं, कि वो और तेजी से धंसने लगता था। 

पर उधर वो 41 मजदूर हिम्मत नहीं हार रहे थे और यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी rescue team।

मजदूरों के पास पाइप के जरिए एक माइक भेजी गई, जिसके जरिए वो अपने परिवारवालों और डॉक्टरों से बात कर रहे थे।

Rescue operation site पर पांच doctors की team फंसे हुए मजदूरों से दिन में दो बार बात कर रही थी। और उनके हौसलों को बनाए रखने के लिए, positive attitude बनाएं रखने के लिए, उन्हें यह आश्वासन दिलाया जाता था कि एक दिन वो जरुर से अपने परिवार से मिलेंगे, और वो दिन बहुत जल्द आएगा। बस हिम्मत और ईश्वर पर विश्वास बनाए रखना है... 

जहां मजदूर फंसे थे, सौभाग्य से वहां Jio textile sheet के bundle पड़े हुए हैं। मजदूर उन्हें ही बिछाकर सो रहे थे। 

साथ ही एक बहुत अच्छी राहत यह भी थी, कि इस दुर्घटना में सुरंग की बिजली व्यवस्था पूर्णतः सुरक्षित रही और सरकार ने यह ध्यान रखा कि 24 घंटे बिजली की व्यवस्था बनी रहे...


मजदूरों के खाने-पीने और ज़रूरत के सामान की व्यवस्था :

मजदूरों को पहले liquid diet दी जाती थी। फिर कुछ दिन बाद जब लगा कि उन्हें solids भी दिया जा सकता है तो उन्हें नाश्ते में चाय, अंडा और दलिया दिया जाता था, खाने में दाल चावल रोटी सब्जी दिया जाता था।

उन्हें biscuit, energy drink and dry fruits भी दिये गये। सब तरह की दवाएं‌ और vitamins दिए गए। Oxygen की व्यवस्था सुचारू रूप से रही, इसकी व्यवस्था की गई। साथ ही उनको अन्य आवश्यक सामग्री जैसे toothpaste, toothbrush, towel, undergarments, और कपड़े आदि दिए गए थे। उन्हें मोबाइल फोन भी दिए गए जिसमें video games and movies download थी, जिससे वो उस condition में फंस कर depression में ना जाए। 

इन मजदूरों के साथ ही, पूरी team, उनके परिवार वालों से भी बराबर touch में रही, उन्हें हर क्षण, हर पल की खबर देती रही, साथ ही उन्हें आश्वस्त करती रही कि वो सभी मजदूर जल्दी ही अपने परिवार वालों से मिलेंगे।

इस rescue operation में जो जो rescue team सहायक थी, उनका नाम इस chart में है। 


17 दिन तक अनवरत यह सभी अपने कार्य को इस तरह से अंजाम दे रहे थे कि शीघ्र अति शीघ्र एक-एक मज़दूर, पूर्णतः सुरक्षित बाहर निकले। 

क्योंकि सुरंग बन्द थी अतः वहां temperature 20-22°C था, पर सुरंग के बाहर पूर्ण व्यवस्था करने वाले योद्धा और मजदूरों का बाहर इंतजार करने वाले उनके परिवार के सदस्यों के लिए ठंडक बढ़ती जा रही थी... फिर भी सब डटे रहे ठंड, भूख-प्यास और थकान की परवाह किए बिना... 


Rescue team का कठिन कार्य :

जिस सुरंग से मजदूरों को बाहर आना था, उससे बाहर निकालने के लिए rescue team को संकरे पाइप से घुस कर पहले उस मलबे को बाहर निकालना था जो कि 60 मीटर लंबा था और बहुत ही जर्जर अवस्था में था।  

उसके बाद tunnel के बाहर और अंदर एक ऐसा system बनाना था, जिससे tunnel में एक stretcher भेजा जा सके और फिर उसमें एक-एक श्रमिक को लिटाकर खींचा जाए और उन्हें बाहर निकाला जाए...

इस कार्य को करने जाना, अर्थात मौत से दो-चार हाथ करना था। मतलब situation ऐसी थी कि मौत की सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए खुद भी मौत का सामना करना था। 

पर अब भारत में इतने सशक्त और सक्षम equipment हैं और उतने ही वीर योद्धा, जो इस कठिन काम को अंजाम देने में जुट गए।

पहले बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा यह कार्य सम्पन्न किया जा रहा था, पर उसमें बहुत वक्त लग रहा था। अंत में rat miners आए और उन्होंने अपने तेज़ हाथों से घंटों का काम मिनटों में कर दिखाया... 

सलाम है इन सभी योद्धाओं को, जिन्होंने 41 श्रमिकों की जान बचाने के लिए, अपनी जान की बाजी लगा दी, और इस rescue mission को सफल कर दिया... ईश्वर से प्रार्थना है कि वह, अपना आशीर्वाद सदैव हमारे देश के योद्धाओं पर बनाएं रखें 🙏🏻

Rescue team तो प्रयासरत रहती है, पर अगर बड़े-बड़े नेता और अधिकारी भी शामिल हों तो कार्य के संभव होने की प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, ना केवल हर तरह से सहयोग प्रदान कर रहे थे, बल्कि वो समय-समय पर घटना स्थल पर आकर situation को समझते थे और साथ ही उन श्रमिकों से बात भी करते थे, जो tunnel में फंसे हुए थे।

इन सब ने हमें सिखा दिया कि बड़ी से बड़ी समस्या का निदान किया जा सकता है। अगर हौसला, हिम्मत, अनवरत लगन, निष्ठा और पूर्ण सहयोग हो, तो मौत भी हार सकती है और जिसने मौत को हरा दिया, उससे सशक्त और सक्षम कोई नहीं...

और अब यह हमारे भारत में सफलतापूर्वक संभव है...

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Thursday, 23 November 2023

Article : देव उठनी एकादशी व एकादशी उद्यापन

देव उठनी एकादशी व एकादशी का उद्यापन



हम हिन्दुओं में बहुत से व्रत-त्यौहार होते हैं, जिनमें कुछ साल में एक बार या दो बार होते हैं तो कुछ मासिक और कुछ साप्ताहिक...

हर महीने होने वाले व्रतों में एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। बारह मासी होने वाली एकादशी में देव उठनी एकादशी व देवशयनी एकादशी का बहुत महत्व है। 

देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है। ऐसी मान्‍यता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु चार महीने तक सोने के बाद दवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इसी दिन भगवान विष्‍णु शालीग्राम रूप में तुलसी से विवाह करते हैं। देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, नामकरण, मुंडन, जनेऊ और गृह प्रवेश की शुरुआत हो जाती है।

हम आपको पहले ही देव उठनी व देवशयनी एकादशी के विषय में बता चुके हैं। आप इनकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए, देव उठनी एकादशीदेवशयनी एकादशी पर click कर सकते हैं।

आज देव उठनी एकादशी है, अतः आज से ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। हे जगदीश्वर, हे परमपिता परमेश्वर आप से कर जोड़ कर प्रार्थना है कि सर्वत्र मंगल कार्य सम्पन्न करें। 

आज के दिन हम आपके साथ एकादशी व्रत से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण विधि विधान के विषय में चर्चा करेंगे।

एकादशी उद्यापन :

एकादशी व्रत एक तप है तो उद्यापन उसकी पूर्णता। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि हे पार्थ, कष्ट से रखा गया एकादशी व्रत निष्फल है, यदि उसका उद्यापन ना किया जाए। अर्थात व्रत की पूर्णतः उद्यापन के साथ ही होती है।

दोनों पक्ष के 24 एकादशी व्रतों का उद्यापन किसी भी पक्ष की एकादशी को कर सकते हैं (लेकिन चौमासे में एकादशी उद्यापन नहीं करना है)। शास्त्रों के अनुसार एकादशी उद्यापन दो दिन का कार्यक्रम होता है पहले दिन एकादशी को व्रत के साथ पूजा होती है तथा द्वादशी को हवन करके 24 या 12 ब्राह्मणों को दान देकर भोजन करवाया जाता है।

जो लोग एकादशी व्रत रखते हैं वो अच्छी तरह जानते हैं कि इस व्रत को रखने का कार्य यूं ही बंद नहीं कर दिया जाता है। इसका पहले उद्यापन किया जाता है, उसके बाद ही व्रत का पारण होता है। 

इस व्रत को रखना जितना श्रेष्ठकर है, इसके उद्यापन का भी उतना ही महत्व है। और इसके उद्यापन के बहुत-से नियम कानून भी हैं, साथ ही बस यही एक ऐसा व्रत है, जिसका उद्यापन करने के पश्चात् भी आप व्रत रख सकते हैं। और इस व्रत का उद्यापन अपने जीते-जी करना बहुत शुभ भी मानते हैं।

आप कहेंगे कि आज देव उठनी एकादशी व्रत है और हम इस समय में उद्यापन की बात कर रहे हैं।

तो आप को बता दें कि एकादशी व्रत का उद्यापन किसी भी एकादशी में नहीं कर दिया जाता है, बल्कि देव उठनी एकादशी ही इस व्रत के उद्यापन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। 

देव उठनी एकादशी से देवशयनी एकादशी तक के बीच की कोई भी एकादशी में आप एकादशी व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। लेकिन देवशयनी एकादशी के दिन व उससे देव उठनी एकादशी के आने तक की एकादशी में कभी भी एकादशी व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है। यह दिन ही चौमासे कहलाते हैं।

माना जाता है कि जब आप देवताओं के लिए रखे जाने वाले सर्वश्रेष्ठ व्रत का पालन कर रहे हैं तो उसे सम्पूर्ण करने का उद्यापन भी उनके जाग्रत अवस्था में ही करें, जिससे ईश्वर आपको सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान कर के मुक्ति प्रदान करें और मुक्ति मिलने तक का आपका शेष जीवन  सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहे। 

एकादशी उद्यापन के नियम के विषय में विस्तार से आपको फिर कभी जानकारी देंगे।

तब तक के लिए आप सभी अपने घरों में मंगल कार्यों को सम्पन्न करें, श्रीहरि विष्णु जी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

Wednesday, 22 November 2023

Short story: चंद रुपए

 चंद रुपए



बूढ़ा हरिया, मजदूरी कर के एक-एक रुपए जोड़ रहा था, अपनी लाडली लक्ष्मी बेटी की शादी के लिए। 

साहूकार का लड़का दिनेश जो कि एक डॉक्टर था, लक्ष्मी से विवाह करना चाहता था। लक्ष्मी, पढ़ी-लिखी, बहुत सुन्दर और सुघड़ थी तो साहूकार भी तैयार था। बस उसे दहेज की मोटी रकम चाहिए थी।

हरिया, बिटिया के अच्छे भविष्य के लिए अपना जी जान लगा रहा था। 

वो साहूकार से बोला, मैं 50 हजार और दो बीघा जमीन आपको दे सकता हूं। बाकी कुछ रुपए स्वागत सत्कार के लिए रखें हैं। तो इससे ज्यादा कुछ नहीं दे सकूंगा मालिक...

हालांकि रुपए तो बहुत कम लग रहे थे पर एकलौते पुत्र के प्रेम और लक्ष्मी के शांत और आज्ञाकारी स्वभाव के कारण साहूकार ने हाँ कर दी, वो जानता था, ऐसी लड़कियां ही घर परिवार को लेकर चलती हैं। 

पर साथ ही हिदायत दी कि इससे एक रुपए कम में शादी नहीं होगी... 

हरिया ने खुशी खुशी स्वीकार कर लिया।

हरिया बैंक से 100 की पांच गड्डी एक झोले में रखकर ले आया और स्वागत बारात की तैयारी में लग गया। 

साहूकार शादी के एक दिन पहले आया और बोला, तू पचास हजार रुपए दे दे। मुझे लक्ष्मी के लिए जेवर बनवाने हैं। कोई खाली श्रंगार हमारी बहू मंडप में थोड़ी ना बैठेगी। 

हरिया बोला, आप की अमानत है, जब चाहे तब ले लीजिए। आप ले जाएंगे तो मुझे भी चोरी का डर नहीं होगा। शादी का घर है, पचास काम हैं....

जब उसने झोले में हाथ डाला तो चार गड्डी तो थी पर एक नदारद हो गई थी। झोले में एक छेद था, जिससे रुपए लाते वक्त एक गड्डी कहीं गिर गई थी। 

साहूकार को जैसे ही रुपए के बारे में पता चला, बोला 40 हजार, ले जा रहा हूं। सुबह तक 10 हज़ार मिल जाए तो बता देना, बारात ले आऊंगा, वरना यह रुपए भी ले जाना।

अब हरिया को कांटों तो खून नहीं, उसने रुपए बहुत ढूंढे, पर मिले नहीं... 

उधर वो रुपए बिनेश को मिल गये थे, उसका बेटा बहुत बीमार था। जब उसे वो रुपए मिले तो, उसकी आंखें चमक उठीं, वो उसे भगवान की कृपा समझ कर घर ले गया।

उसकी पत्नी, मालती रुपए देखकर चौंक गयी, बोली इतने रुपए कहां से मिले?

बिनेश बोला, भगवान ने दिए हैं अपने राजू के लिए, अब सवाल मत पूछ, चल जल्दी डॉक्टर साहब को दिखा दें।

मालती ने साफ मना कर दिया, ना जाने किसके रुपए हैं, उनके खो जाने से उसका क्या हाल हो रहा होगा। ले जा जहां से लाया है।

जिसके हैं, उसको मिल जाएंगे तो उसकी दुआ से हमारा राजू अपने आप ठीक हो जाएगा। 

बिनेश बड़बड़ाता हुआ चला गया कि मिला रुपया कौन वापस करता है, मूर्ख है मेरी पत्नी... ले जाता हूं, फिर राजू को कुछ हो जाए तो रोती डोलना...

बिनेश वहीं पहुंच गया, जहां पर उसे रुपए पड़े मिले थे, उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी फांसी लगाने जा रहा था।

अररररे.. क्या कर रहे हो बाबा? उसने उसे रोकते हुए कहा...

हरिया बोला, क्या करूं बेटा, मेरी बेटी की बहुत अच्छे घर शादी हो रही थी, पर चंद रुपए गिर जाने के कारण अब कभी नहीं हो सकेगी। तो मैं अब जीकर क्या करुंगा?

रुपए गिर गये? कितने थे? 

बेटा, कुछ दस हजार होंगे...

दस हजार रुपए!....

अब आपकी बेटी की शादी जरुर से होगी, मैं आपको दस हजार रुपए देने ही आया हूं...

तुम क्यों?..

मुझे ही पड़े मिले थे...

आह! तुम महान हो, वरना मिले हुए रुपए और सामान कौन लौटाता है? आज भी अच्छे लोग हैं..

नहीं बाबा, मैं नहीं.. मेरी पत्नी... दरअसल मेरा बेटा बहुत बीमार था, इसलिए मिलने पर उठाने से अपने आप को रोक नहीं पाया, मुझे माफ़ कर दीजियेगा। फिर बिनेश ने अपनी पत्नी की बात बताई...

पर अच्छा हुआ जो मैं जल्दी आ गया, वरना आपकी हत्या का पाप कर बैठता... 

तुम्हारी पत्नी बहुत अच्छी है, मैं ईश्वर से तुम्हारे बच्चे के लिए दुआ करुंगा। 

फिर हरिया कुछ सोचते हुए बोला, मेरा दामाद डॉक्टर है, तुम अपने बेटे को लेते आओ, वो उसे देख लेगा। 

हरिया और बिनेश, राजू को लेकर साहूकार के घर पहुंचे और सारी बात बता दी।

दिनेश ने राजू को देखकर दवा दे दी, राजू ठीक हो गया। लक्ष्मी का विवाह धूमधाम से सम्पन्न हुआ।

बिनेश को साहूकार के घर नौकरी मिल गई, बिनेश ने मालती से कहा, तुम सही कहती हो,  कभी दूसरे का कुछ नहीं लेना चाहिए, गिरा हुआ मिलने से वो अपना नहीं होता और दुआओं से सब अच्छा हो जाता है।

सच में बिनेश, चंद रुपए भी किसी की दुनिया बर्बाद कर सकते हैं... अपना छोड़ो मत, दूसरे का लो मत... इसी में सुख है...

Monday, 20 November 2023

Article: थम गया विजय रथ

सोचा था कि आज के article की शुरुआत कुछ इस तरह से करेंगे....


सफलता और कामयाबी

की पहचान है भारत

जीत का पर्याय है भारत

 तिरंगा हर ओर लहराएगा

जहां जहां भी जाएगा भारत  


जिस तरह से रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम आगे बढ़ रही थी, अपने एक-सूत्री विजय लक्ष्य को लेकर, उससे यही प्रतीत हो रहा था कि एक बार फिर world cup भारत में ही आएगा।

पर आह रे! यह संभव ना हो सका... हमारा विजय रथ अपने सफलता को प्राप्त करने से चंद पल पहले ही रुक गया और हम करोड़ों भारतीयों का सपना चकनाचूर हो गया... 

थम गया विजय रथ 


कल का मैच देखकर कुछ समझ ही नहीं आया, कि क्या हुआ, लगातार जीतती आ रही भारतीय टीम को अचानक से क्या हो गया ? 

किसकी नज़र लग गई?

क्या हमारी प्रार्थना में असर कुछ कम रह गया? 

जो सर्वश्रेष्ठ टीम, सर्वश्रेष्ठ कप्तान, सर्वश्रेष्ठ batters and bowlers होने के बावजूद, हम वो ना कर सके, जिसका सब को यकीन था...

India के world cup नहीं जीतने के बाद भी, Best player of the World Cup, Virat Kohli and best bowler of the world cup, Mohammad Shami को मिला।

यह अपने आप में सिद्ध करता है कि भारत सर्वश्रेष्ठ है

अब बात करते हैं, हम अपने उन भारतीयों की, जिन्हें भारत के लगातार जीतते जाने पर संदेह था। जिन्हें भारतीय टीम की performance पर यकीन नहीं था। वो उसमें भी राजनीतिक दखल देख रहे थे... उनको तो आखिरी पड़ाव पर हार ही सत्यता प्रतीत हो रही होगी?...

पर आखिर कब तक किया जाएगा काबिलियत पर शक?

जवानों पर, खेल के मैदान पर? और किसी भी अच्छी स्थिति पर?.... 

जिन्हें भारत पर विश्वास नहीं है, क्या लगता है उन लोगों को ? क्या भारत कभी आगे नहीं आ सकता? क्या वो सफलता का परचम लहरा नहीं सकता?... 

विश्वास कीजिए, लगातार जीतते हुए आज उपविजेता बने हैं, कल विजेता भी बनेंगे... जब यहां तक आए हैं, कल जीत भी जाएंगे...


ग़म है हार का 

पर इस हार को

भूल ना जाना

जो हो सका ना 

उसे अगली बार

कर के दिखाना 

दिखाना की है

वो बात तुममें

जिसके आगे

झुकता है जमाना


जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Sunday, 19 November 2023

Article : छठ महापर्व

 छठ महापर्व 


सालभर के इंतजार के बाद पुनः छठ महापर्व  आ गया है। यह पर्व आज भी अपनी पौराणिकता को समेटे हुए है। आज भी इसमें किए जाने वाले सभी क्रियाकलाप अपनी गरिमा के साथ यथावत हैं।

छठ पर्व के आते ही सभी बिहारी अपने घर की ओर लौट जाते हैं, चाहे वो कोई भी काम करते हों और विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। 

आज भी छठ पर्व में सम्पूर्ण कुनबा जुड़ जाता है। यहां तक देखा है कि किसी कारण वश यदि कुछ लोग नहीं पहुंच पा रहे होते हैं, तो बाकी सब भी उसकी जगह एकत्रित हो जाते हैं। और उसी जगह धूमधाम से पर्व को मनाया जाता है, अर्थात जगह विशेष को लेकर लकीर नहीं पीटते हैं। उनके लिए पर्व की प्रतिष्ठा और सब लोगों का एकत्रित रहना महत्वपूर्ण है ना कि जगह विशेष का... 

उनकी इसी प्रेम की भावना ने सबको जोड़े रखा है साथ ही त्यौहार की महत्ता को भी पूर्ववत बनाए रखा है। 

छठ पर्व की विशिष्ट झलक आपको बंगाल और बिहार में देखने को मिलेगी। यहां दीपावली की उतनी धूम नहीं होती है, जितनी छठ पूजा की होती है।

एक अलग ही माहौल होता है, सब भक्तिमय हो जाते हैं।

नाक से मांग तक नारंगी सिन्दूर इनको सबसे अलग दिखाता है। शायद जो बिहारी ना हो, उन्हें इस तरह से सिन्दूर लगाना थोड़ा अटपटा और शर्मशार लगे। पर बिहारियों के लिए ऐसे सिन्दूर लगाना गरिमा और प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

आज भी तीन दिन तक छठी मैय्या के भजन ही बजते हैं, कोई भी फिल्मी गाने, अंग्रेजी गाने या अन्य किसी तरह के गाने नहीं सुनाई देंगे।

यह देशज नजरिया ही आपको आपकी संस्कृति और सभ्यता से जोड़े रखता है।

ठेकुआ, खजुरिया आदि इतने स्वादिष्ट हैं कि इनके आगे एक से बढ़कर एक मिठाई fail हैं और विदेशी chocolate and cookies तो किसी गिनती में ही नहीं आते हैं। 

कहा जाता है कि सब व्रत और त्यौहार में छठ पूजा सबसे कठिन होती है। वास्तव में ऐसा होता भी है, क्योंकि यह व्रत चार दिन का होता है, जिसमें तीन दिन कठिन निर्जला व्रत होता है और इस व्रत के नियम कानून भी कठिन हैं।

पर इस पर्व की एक विशेषता और होती है कि इसे स्त्री और पुरुष दोनों में से कोई भी एक यह व्रत रख सकता है। मुख्यतः परिवार में कोई एक ही सदस्य ही व्रत रखता है और बाकी सब व्रत रखने में उसकी सहायता करते हैं। व्रत रखने वाले को विशेष स्थान और सम्मान दिया जाता है।

आप को छठ पूजा से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी लेनी हो तो click करें छठ पूजा

इस व्रत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे आने वाली पीढ़ी ले लेती है और व्रत यथावत चलता रहता है। 

पवित्र प्रतिष्ठित और गरिमामय छठ पर्व को शत् शत् नमन 🙏🏻

धन्य है वो बिहारी जो इसका विधिवत पालन कर रहे हैं।

छठी मैय्या, आप की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻😊 

छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻

Tuesday, 14 November 2023

Poem : जिंदगी में बचपन

 जिंदगी में बचपन




जिंदगी में बचपन, जैसे चंदन 

पल पल को महकाए 

यह पल है सबसे खूबसूरत

फिर कभी पलट के ना आए


ना कोई फ़िक्र ना कोई चिंता 

मन जैसे हो उड़ता परिंदा 

उमंग उत्साह में वो 

बस उड़ता जाए 


आइसक्रीम, टॉफी, चॉकलेट

गुब्बारे, खिलौने, झूला, पिकनिक 

यह सब थे सतरंगी सपने 

चाहत थी सब हो जाए अपने 


कितनी छोटी सी दुनिया

होती थी अपनी

जो खुशियां दे जाती थी 

मुट्ठी में सब सिमट जाती थी 


मां-पापा, दोस्त, रिश्तेदार 

सब होते थे जीवन में ऐसे

जैसे हर सुबह पार्टी

हर शाम त्यौहार 


ना जाने सब चले गए कहां 

बचपन के बीतने के बाद 

मिल जाए बचपन फिर से

हो जाए फिर सब एक साथ 


आप सभी को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐


सारे चुन्नू मुन्नू को बहुत सारा प्यार


Happy Children's Day👶🏻👧🏻💃🏻

Sunday, 12 November 2023

Poem: दीप से दीप जलाकर

दीप से दीप जलाकर



दीप से दीप जलाकर

घर आंगन में लगा लेना 

उनकी जगमग रोशनी से 

कोने कोने में प्रकाश फैला लेना


फ़ूल से फूल मिलाकर 

सुंदर लड़ी बना लेना 

हर द्वार चौखट सजे उससे 

पूरे घर को खूशबू से महका लेना 


थोड़ा थोड़ा ही सही

पर कुछ पकवान बना लेना 

हैं दीपावली, त्यौहार बड़ा 

अपनों के संग मना लेना 


बहुत नहीं, बस चंद सही 

पटाखों पर भी खर्चा कर लेना

यह दीपावाली की रौनक हैं 

पटाखे, बच्चों को चलवा लेना  


छोटी छोटी सी बातें हैं 

पर हैं अनमोल बड़ी 

इन से ही त्यौहार सजा 

यही सुखद जीवन की घड़ी


आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की कृपा दृष्टि सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

Saturday, 11 November 2023

Article: दीपावली पर पटाखे

 दीपावली पर पटाखे 



क्या कहते हैं आप सब, क्या दिल्ली में pollution level कम हो गया है?

क्या इस बार दीपावली में पटाखे जलाने की छूट मिल जाएगी?

इस बार तो पंजाब में पराली भी नहीं जल रही है...

और अगर जल भी रही है, तो उस पर atleast, pollution levels बढ़ाने का आरोप तो बिल्कुल भी नहीं लगाया जा रहा है।

वैसे यह तो रही, हमारी पृथ्वी की बात...

पर अगर बात ईश्वर की करें तो उनकी तरफ से तो हरी झंडी ही दिखाई दे रही है।

देखिए ना ईश्वर, अपने घर की खूब धुलाई करा रहे हैं, नतीजतन बिन मौसम, इतनी वर्षा हो रही थी कि दिल्ली क्या पूरा उत्तर प्रदेश भी pollution free होता दिख रहा है। 

और एक बात और पहले खूब बारिश कर के प्रदूषण नियंत्रण कर दिया, अब भरपूर धूप दे रहे हैं, जिससे पटाखे अच्छी तरह से सूख जाए और जब जलाया जाए तो खूब मस्त चलें।

अभी कुछ दिन बाद ही रामलाल के मंदिर का निर्माण अपनी भव्यता के साथ पूरा हो चुका है। शायद उसी से रामलाल प्रसन्न हैं और दीपावली के चंद दिनों पहले से ही खूब वर्षा कर के दिल्ली, यूपी सबको प्रदूषण से मुक्त कर दिया है। जिससे जैसा स्वागत उनके आने से अयोध्या में हुआ था। उससे भी ज्यादा स्वागत दीपावली के आने पर किया जाए। 

हर ओर फूल, तोरण से घर आंगन सजाया जाए, दीपों से हर शहर को जगमगाया जाए, पकवानों की खुशबू से हर गली को महकाया जाए और खूब सारे पटाखों की धूम धड़ाके से खुशियां मनाई जाए। 

जब यह सब हो, तभी तो लगता है कि दीपावली का पावन पर्व आया है, इनमें से कोई भी एक ना हो तो, सूनी रह जाती है दीपावली.. 


आप सभी को छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻

Friday, 10 November 2023

Article : धनतेरस में क्यों खरीदते (बर्तन, सोना और झाड़ू )

आज से सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली का प्रारंभ हो रहा है। यह पंच दिवसीय त्यौहार धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज पर पूर्ण होता है। हालांकि इस बार यह त्यौहार छः दिन में पूर्ण होता है।

कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।  


धनतेरस में क्‍यों खरीदते (बर्तन, सोना-चांदी, झाड़ू) 


हम सब लोग, दीपावली में बर्तन, सोना-चांदी के आभूषण और झाड़ू सदियों से खरीदते आ रहे हैं। पर क्यों? आपने कभी सोचा? 

चलिए आज यही साझा करते हैं...


बर्तन खरीदने का कारण :

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान धन्‍वं‍तरि प्रकट हुए तब उनके हाथ में पीतल का कलश था। ये दिन भगवान धन्‍वंतरि की पूजा करने का दिन है, उन्हें खुश करने का दिन होता है, इसलिए लोग उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदते थे। लेकिन समय के साथ पीतल के बर्तनों का चलन बंद सा हो गया और स्‍टील के बर्तन का चलन शुरू हो गया। इसलिए आज के समय में लोग बर्तन खरीदने की प्रथा तो निभाते हैं, लेकिन वे ज्‍यादातर स्‍टील के बर्तन खरीदते हैं।


क्‍यों खरीदा जाता है सोना-चांदी :

सोना-चांदी को धन माना जाता है और माता लक्ष्‍मी को धन की देवी कहा जाता है। मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन अगर सोना-चांदी खरीदा जाए तो माता लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और घर में समृद्धि बनी रहती है। इसलिए लोग इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदते हैं‌।


झाड़ू खरीदने की वजह :

झाड़ू को लक्ष्‍मी का स्‍वरूप कहा जाता है क्‍योंकि ये घर की गंदगी को साफ करती है। गंदगी को दरिद्र माना गया है और जहां गंदगी होती है, वहां कभी लक्ष्‍मी नहीं रहतीं। इसलिए लोग धनतेरस के दिन झाडू लेकर आते हैं। दीपावली से एक दिन पहले यानी नरक चौदस को झाड़ू से घर की सफाई करते हैं और दरिद्र को दूर करते हैं। इसके बाद घर को बहुत सुंदर सा सजाकर माता लक्ष्‍मी के आगमन की तैयारी करते हैं और दीपावली के दिन विधिवत उनकी पूजा करते हैं।

तो चलिए आज के शुभ दिन में आप भी यह सब लाएं। माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद प्राप्त करें 🙏🏻 

शुभ धनतेरस 🙏🏻

Thursday, 9 November 2023

Article: So called sophisticated

So called sophisticated 



Diwali आ रही है और इसके आते ही एक वर्ग बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है। 

इस वर्ग में विभिन्न धर्मों के लोग शामिल होते हैं। बाकी धर्म के लोग शामिल हों तो कौन बड़ी बात है, जब इसमें बहुतायत से वो लोग भी शामिल होते हैं, जिस धर्म के लोगों का यह सबसे बड़ा त्यौहार है। 

बाकी धर्म के लोग दीपावली को मद्धम करें या धूमिल करें तो उन्हें भी नहीं करने देना चाहिए। पर उन हिन्दूओं को क्या समझायें जो अपने आपको बहुत ही hi-fi समझते हैं और हिन्दू त्यौहारों को कैसे मद्धम किया जाए, यही सोचते हैं। यह होते हैं so called sophisticated लोग...

जो बच्चों को हर साल यही समझाते हैं कि, पटाखे बिल्कुल ना चलाएं, वो हमारे पर्यावरण को बहुत नुक्सान पहुंचाते हैं, और इस मुहिम में वो भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने बचपन में खूब पटाखे चलाए हैं। तब उसी खुशी की अहमियत जानते थे, पर अब सब भूल गए।

मुर्गी, मछली, बकरा, सबकी हड्डियां तक चबा जाने वालों को तब इन जानवरों पर इन्हें कोई दया नहीं आती है, लेकिन पटाखे चलाने से पशु-पक्षियों को परेशानी होती है, यह तुरन्त समझ आ जाता है। रोक जो लगानी बच्चों की खुशियों पर... 

AC चलाएं, एक अकेला कार चलाए, बारहों मासी गीज़र चले, तो उससे बढ़ता प्रदूषण भी नहीं दिखेगा, पर पटाखे... अरे बाप रे... एक चला नहीं कि पूरी दुनिया धुएं से भर जाएगी...

Cigarette smoking, use liquor and tobacco are injurious to health. शरीर के लिए हानिकारक होती है, यह चेतावनी लिखी रहती है, लेकिन इससे होता क्या है? तब भी साल भर यह सब धड़ल्ले से बिकता है और लोग इस्तेमाल करते हैं। जबकि cigarette smoking से तो passive smoker को भी बहुत ज्यादा नुकसान करती है। पर वो सब चल सकता है, पूरे साल भर... नहीं चल सकते हैं तो पटाखे, वो भी सिर्फ एक दिन, दीपावली में.... क्योंकि बाकी त्यौहारों में तो पटाखे कोई प्रदूषण नहीं फैलाते हैं।

Christmas, New year, किसी की शादी हो, मैच जीता हो, कोई भी बड़ा event हो तब... नहीं नहीं, तब पटाखे, पर्यावरण को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाते हैं, उस समय तो वो खुशी और status के पर्याय हो जाते हैं। 

सोचिए, कितना भेदभाव है हमारे सबसे बड़े त्यौहार के साथ.... वो भी हमारे हिन्दू बाहुल्य देश में.. जब यहां ऐसा है तो बाकी जगह क्या होगा...

Ban हमेशा हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही क्यों लगता है?

क्योंकि हम खुद उसके लिए तैयार रहते हैं.... 

क्यों?...

आखिर हम खुद क्यों अपने ही धर्म को मद्धम करते जा रहे हैं? और कब तक करेंगे?  क्या तब तक, जब तक सब खत्म ना हो जाए?...

कुछ सालों से हम इस topic पर लिख रहे हैं और तब तक लिखते रहेंगे, जब तक लोग, हिन्दुओं के त्यौहारों को मद्धम करते रहेंगे। फिर चाहे वो बात दीपावली की हो, होली की हो या अन्य त्यौहारों की हो... 

बंद कीजिए त्यौहारों को मद्धम करना, यह चंद दिन ही जिन्दगी है, बाकी दिन तो बस कट जाते हैं ऐसे ही...

जीवन खूबसूरत तभी तक है, जब तक उसमें जिंदगी शामिल है... और पूरे जीवन में बचपन सबसे ज्यादा जिंदगी से भरपूर रहता है। 

तो जीने दीजिए अपने बच्चों को जीवन के सबसे खूबसूरत जिंदगी के पल.. त्यौहारों को वैसे ही रहने दीजिए, जैसे हमारे बचपन में थे।

उत्साह, उमंग और मस्ती से भरे हुए... 

पर्यावरण रक्षा के लिए पेड़ लगाए, शहरों को कांक्रीट की दुनिया बनने से रोकें, बाकी जिन कारणों से पर्यावरण प्रदूषित होता है आपके सुख के लिए, उस पर रोक लगाएं...

हम सब हमेशा यही कहते हैं, हम इतना सब कुछ किसके लिए कर रहे हैं, बच्चों के लिए ही ना....

तो कीजिए बच्चों के लिए...

लाइए, वैसे ही खुशियों भरे पल त्यौहार के, जैसे हमने जीए थे बचपन में... तब हमारे मां-पापा के पास संसाधन कम थे, पर वो जानते थे कि बच्चों के लिए खुशियां कैसे लाई जाती है।

बहुत कुछ सीखा है, मां-पापा से, तो यह करना क्यों भूल गए? 

उत्साह उमंग और मस्ती से भरे हुए दीपावली के पंच दिवसीय त्यौहार को मनाएं...

ईश्वर सब पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻

Tuesday, 7 November 2023

Article: दीपावली में इस बार

दीपावली में इस बार  



हम हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है दीपावली... इसमें घरों के अलावा बाजारों में भी खूब रौनक रहती है। 

दीपावली की जगमगाहट को बरकरार रखने का बहुत बड़ा योगदान दुकानदारों का ही होता है।

हर साल, दुकानदार कुछ ऐसा लाने की कोशिश करते हैं कि so called sophisticated लोगों के प्रयासों द्वारा मद्धम पड़ती दीपावली फिर से जगमगा उठे। 

जिसमें पिछले कुछ सालों से green cracker लाकर, इन्होंने बच्चों के बचपन को सुरक्षित रखा है। वहीं इस साल दीपावली की सजावट और जगमगाहट को बढ़ाने के लिए कुछ नये और स्वदेशी product लाए हैं। तो चलिए जान लेते हैं उन special चीजों को.. 

पानी से जलने वाला दिया

इस बार पानी से जलने वाले दीयों से भी दिपावली रोशन होगी। पारंपरिक दीपक की तरह इन्हें जलाने के लिए तेल नहीं, पानी की जरूरत पड़ेगी। पानी की थोड़ी मात्रा से ही ये पूरी रात रोशन रह सकते हैं। यह उनके लिए भी अच्छा है, जो pollution के चलते दिया जलाना भी avoid करते हैं। उनके लिए तो यह वरदान स

इनके अलावा पानी में तैराने वाले दीपक भी आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। ये सभी भारतीय product हैं। बाजार में चीनी सामान भी बिक रहा है, लेकिन अब वो लोगों को आकर्षित नहीं कर रहा है, उन्हें वो महंगा लग रहा है, और अगर सस्ता भी है तो भी लोग स्वदेशी product की तरफ रुझान दिखा रहे हैं।

जगमगाते दीयों के साथ झालर व लड़ियों की जुगलबंदी दीपावली पर घर को एक अलग ही रूप देती है। 

इस बार बाजार में made in india सामान की अधिक मांग है। Electronic market में 20 रुपये से 850 रुपये तक की Indian LED लड़ियां मौजूद हैं। 

इस बार सबसे ज्यादा धूम electric Indian lamp,  , दीपक, lazer lights, लड़ियां, लट्टू, लटकन और झूमर की है। 

व्यापारियों ने बताया कि कुछ साल से Chinese products के बहिष्कार की मुहिम, WhatsApp, Facebook, Instagram, etc. से चलती आ रही है। इसके चलते स्वदेशी products की बाजार में मांग बढ़ी है।


बाजार में LED लड़ियों की सैकड़ों varieties :

यदि तेज लाइट से परहेज है तो रंग-बिरंगी लडिय़ां भी विकल्प के रूप में मौजूद हैं। Electronic market में artificial flowers की लड़ियों से लेकर मिट्टी के छोटे-छोटे खिलौने भी आए हैं। दस मीटर से लेकर 100 मीटर तक की लड़ी उपलब्ध है, जिनके दाम 20 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये तक है।

जो लोग बिजली के बिल को लेकर चिंतित रहते हैं, उनके लिए इस बार खास light LED लड़ी भी बाजार में आई है, जिनकी रोशनी तो ज्यादा है लेकिन बिजली की खपत कम है।


इनसे घर को सजाइए खास :

Electronic market में घर को सजाने के लिए बहुत कुछ है। बाजार में सुंदर decorative items और artificial flowers की लड़ियों के साथ ही घरों के द्वार को सजाने के लिए आकर्षक light, LED शुभ-लाभ, जय माता दी light आपका मन मोह लेगी। रंग-बिरंगी लाइट के showpiece भी इस बार बाजार में आए हैं, जिन्हें घर के किसी भी कोने में रखकर सजावट को पूरा किया जा सकता है। यह सब made in india होने के साथ किफायती भी हैं। इनकी कीमत 100 रुपये से 500 रुपये तक है। 

दुकानदारों का कहना है कि कोरोना काल के बाद बाजार में पहले सी तेजी आ रही है। 

वहीं जो दुकानदार गांवों के नज़दीक हैं, उनका कहना है कि इस बार दिवाली 15 दिन पहले आ गई है। लोग धान के सीजन व चुनाव में व्यस्त है। जिस कारण लोग market में नहीं पहुंच रह हैं।

खैर कहीं मंदी तो कहीं तेजी तो market में होती ही रहती है। 

लेकिन जो अनुकरणीय है, वो यह कि इस बार दीपावली में हम, मिटटी के दीए और स्वदेशी सामानों को खरीद कर ही दीपावली मनाएंगे। उससे होगा यह, कि देश का पैसा देश में रहेगा और हमारा देश का राजकोष बढ़ेगा।

राजकोष बढ़ेगा तो देश विकास करेगा और सुदृढ़ बनेगा। हमारे देश की जिम्मेदारी हम सब पर है, किसी एक पर नहीं...

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Friday, 3 November 2023

Memories : Sanchita - संचय जीवन का

21 October को हमारी प्यारी दोस्त संचिता हम से इतनी दूर चली गई, जहां ना चिट्ठी भेजी जा सकती है ना कोई संदेश.... 

आज उसकी याद में, उसकी श्रद्धांजलि में यह लिख रहे हैं। पर यह इसलिए नहीं लिख रहे हैं, क्योंकि वो हमारी दोस्त थी या उसने इतनी जल्दी अलविदा कह दिया...

नहीं बिल्कुल नहीं... 

क्योंकि जाना तो सब को ही है, आगे-पीछे... पर जो अपने पीछे, अपनी पहचान छोड़ जाएं, जिंदगी बस उसी की है, बाकी सब तो बस नम्बर हैं...

हम आज इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि वो एक मिसाल थी, एक प्रेरणा थी, उसने अपने नाम को सार्थक किया था, संचिता.. जिसने जिंदगी के इतने सालों में ही जीवन संचय कर लिया था। 

Sanchita - संचय जीवन का 

कैसे बताते हैं आपको... 

आप सभी को super hit movie सफ़र तो याद ही होगी, उसमें राजेश खन्ना ने एक ऐसे पात्र को निभाया था, जिसे blood cancer  था, पर वो बहुत जीवन्त था और ज़िन्दगी के हर लम्हों को जीभर कर जी लेना चाहता था।

उसका एक बहुत hit dialogue था, बाबू मोशाय, जिंदगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए.... 

पर पर्दे पर यह किरदार निभाना और बड़े बड़े dialogue बोलना बहुत आसान होता है, लेकिन अगर वो आपकी जिंदगी की वास्तविक हो तो, शायद....

पर इसी वास्तविकता को जिया था, संचिता ने...

उसे जब पहली बार blood cancer के बारे में पता चला था तो वो पूरी तरह हिल गई थी, इतनी बड़ी बात सुनकर कौन स्थिर रह सकता है?  पर बहुत जल्दी वो संयत हो गई थी।

उसे अपने आप पर, अपने पति, अपने परिवार और doctors पर पूर्ण विश्वास था। 

Cancer का treatment easy नहीं होता है, उसकी पूरी process बहुत painful होती है, trauma में ले जाने वाली होती है। फिर उसका cancer कोई organ specific नहीं था कि उस organ को निकाल देने से easily cure हो जाता... उसे blood cancer था, जो cure के point of view से सबसे difficult होता है।

First stage पर cancer था, treatment शुरू हो गया। और साथ ही सारी problems and intolerable  pain भी...

पर वो उन सबसे लड़ी और हमारी वीरांगना ने जीत हासिल ली। 

उन पलों में उससे जिसने भी बात की, सब यही कहते थे कि हम से ज्यादा तो वो healthy and lively sound करती है। 

हम सब 12th तक एक साथ थे, उसके बाद कौन कहां, किसी को नहीं पता.... क्योंकि जब हमने school छोड़ा था, तब ना Facebook था ना ही कोई WhatsApp और insta, etc...

वो हम लोगों के लिए वो डोर साबित हुई, जिसने हम सब बिखरे मोतियों को समेट कर दोस्ती के अटूट बंधन में फिर से जोड़ दिया... हम सब सहेलियों का दिल एक बार फिर से एक दूसरे के लिए धड़कने लगा...

उसके ठीक होने के चंद सालों बाद ही कोरोना का कठिन समय शुरू हो गया था। इस समय अच्छे अच्छे लोग की हिम्मत पस्त हो गई थी। घर में ही कैद होकर रहना और सारे काम खुद करना लोगों को बेचैन कर रहा था। लोग रोज खाना भी नहीं बनाना चाह रहे थे। 

पर ऐसे में हमारी प्रिय सखी, 56 भोग और पूरे उत्साह के साथ इस कठिन समय के साथ भरपूर जी रही थी। कचौड़ी, चाट, घेवर, जलेबी, इमरती, बालूशाही जैसी ना जाने और कितनी, dishes बना कर वो अपने परिवार को खिला रही थी, अपने परिवार के हर दिन को खुशनुमा बना रही थी। उसकी कुछ dishes मेरे blog पर भी है, उसकी अमिट छाप और मीठी याद बनकर... 

Instant Jalebi 

Instant Imarti

साथ ही इन दिनों उसने हम सब दोस्तों से भी खूब बातें की और हम सब को भी उत्साहित और प्रेरित किया...

चांद सालों बाद कोरोना का खौफ नगण्य हो गया और सब अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त और खुशहाल हो गये... 

किस को खबर थी कि आने वाला वक्त अपने संग अनहोनी लेकर आया है.. 

यह समय उसके लिए, एक बार फिर से काल बनकर आया....

उसे फिर से blood cancer detect हो गया। इस बार situation और गम्भीर रूप लेकर आयी। अबकी बार bone marrow transplant की जरूरत थी।

पर डर उसके चेहरे पर लेश मात्र भी नहीं था। उसने सबके साथ बहुत किया था, तो सब उसके लिए खड़े थे।

उसकी बहन से उसका bone marrow match कर गया और transplant की सब तैयारी भी हो गई। 

एक बार संचिता को फिर भयंकर दर्द का सामना करना था और सब कुछ हाथ से छूटने का अहसास भी, साथ ही hospital में isolated रहना भी....

पर उसने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर केंसर को हरा दिया। 100% bone marrow transplant हुआ। 

वो वापस घर लौट आई, पूरी जिंदादिली के साथ, full confidence के साथ...

उसे दवाइयों के साथ तीन महीने गुजारने थे, जिनके बाद वो पूरी तरह से ठीक हो जाती... सब सही भी चल रहा था....

पर इस जिंदगी की लड़ाई के बस एक हफ्ते पहले वो फिर से बीमारी के चक्रव्यूह में फंस गई और इस बार वो उस चक्रव्यूह को भेद नहीं पाई और उस लोक में चली गई, जहां से वापस लौटना असंभव था।

और पीछे छोड़ गई, अपने प्यारे परिवार और हम सब को, यह कहते हुए...

रहे ना रहे हम, महका करेंगे.... 

उसने जिंदगी के कम सालों में भी, जीवन को कैसे जिया जाता है, सबको सीखा दिया... 

कि ज़िन्दगी के हर पल को भरपूर जीएं, दुःखी होकर, डरकर नहीं, बल्कि डटकर, पूरे confidence के साथ, एक एक लम्हे को खुशी की वजह बनाकर... यही है जो मौत को भी हरा सकता है...  उसके आने से पहले बहुत कुछ कर गुजरने का नाम जीवन है। 

उसने जीवन को संचय करना सीखा दिया। सच में वो अपना नाम सार्थक कर गई, संचिता- संचय जीवन का..

हे ईश्वर आप से प्रार्थना है कि उसे आप अपने साथ स्वर्ग में स्थान देना, वो उसके लिए ही बनी है...

और साथ ही आपसे से यह करबद्ध निवेदन है कि आप सभी को जिंदगी इतनी लम्बी अवश्य दीजिए कि वो अपने सब कर्तव्य पूर्ण कर के जाए और इतनी सामर्थ्य भी कि हम अपनी जिंदगी को बड़ी भी बना सके... 

संचिता तुम हमेशा हम लोगों के साथ रहोगी, एक प्रेरणा बनकर, मीठी सी याद बनकर...

Thursday, 2 November 2023

Article : Famous Cloth Markets in Delhi (Part-2)

आपको कुछ दिन पहले Famous Clothe Markets in Delhi में दिल्ली के famous budget friendly markets बताए थे, जिन्हें बहुत पसंद किया गया था।

साथ ही आप से कहा था कि कुछ और markets आप को जल्दी ही बताएंगे। तो चलिए आज वही share कर रहे हैं।

Article : Famous Cloth Markets in Delhi (Part-2)



1. Khan Market :

खान market दिल्ली के सबसे पुराने बाजार में से एक है, यह बाजार किताबों का भंडार है। यहां आपको हर तरह की किताबे मिल जाएंगी। यहां सड़क की दुकानों में सिर्फ सही कीमतों पर कपड़े, जूते और सामान ही नहीं उपलब्ध हैं, बल्कि यहां के tops जैसे कहीं और नहीं मिल सकते और यदि आप कम कराने में माहिर हैं तो आप 300 रुपये में कुछ भी चुन सकते हैं। Sandal बेचने वाली दुकान की कीमत ज्यादा होती है, लेकिन ये हमेशा सौदा करने के लिए तैयार होते हैं। यहां का सामान बहुत उत्तम हैं और 150 रुपये से शुरू होते हैं।

पता - 61A, खान market, रवीन्द्र नगर, नई दिल्ली, दिल्ली 110003

समय - सप्ताह के सभी दिनों में रविवार को छोड़कर 10:00 से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है

क्या खरीदें - Garments, books, trendy items, cosmetic and medicines etc.


2. Palika Market :

Perfumes, shoes, handbags, electronic products, watches, kurti, sarees, यह सारा सामान पालिका बाज़ार में मिलता है। पालिका बाजार में उचित कीमतों पर चीज़ों को खरीदने के लिए मोल भाव करने की क्षमता होनी चाहिए। सबसे अच्छी बात यह है कि बाजार सुंदर चूड़ियों, जूते, tattoo की दुकानें से अच्छी तरह से allied है, इसलिए किसी भी दिन किसी भी समय कुछ भी खरीदने के लिए यहां जाया जा सकता है।

पता - पालिका बाजार, connaught place, नई दिल्ली, दिल्ली 110001

समय - सोमवार को छोड़कर हर दिन 10:00 से 7:00 बजे से खुला।

क्या खरीदें - Perfumes, shoes, handbags, electronic products, watches, kurti, sarees

Price limit - 600 रुपए से शुरू 2000 तक होती है।


4. Monestry, Kashmiri gate :

इसे आप लड़कों के लिए best shopping अड्डे के तौर पर मान सकते हैं. यहां लड़कों के लिए एक से बढ़कर एक collection मौजूद होता है। Winter-wear से लेकर summer-wear तक, हर मौसम के लिए यहां best कपड़े मिल जाएंगे, वो भी आपके budget में। यहां पर कपड़ों के अलावा लड़कों के लिए shoes, belts जैसी accessories भी मिल जाएंगी। ये market भी सोमवार को बंद रहती है।


5. Karol Bagh :

दिल्ली के करोल बाग market को shopping के लिए बहुत पसंद किया जाता है। यहां traditional wear से लेकर ethnic wear और western wear की भी बहुत varieties और option मिल जाते है। चांदनी चौक की तरह करोल बाग भी दिल्ली के सबसे पुराने markets में से एक है। 

पता - block 1, करोल बाग, नई दिल्ली, दिल्ली 110060

समय - सोमवार को छोड़कर रोजाना सुबह 10:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है।

क्या खरीदें - पारंपरिक वस्त्र, electronics, सौंदर्य प्रसाधन, दुल्हन पहनने, gadgets और किताबें।

मूल्य सीमा - 500 रुपए


6. गांधी नगर मार्केट :

यह market दिल्‍ली का सबसे बड़ा wholesale market माना जाने वाला market है। यह shopping के लिए बहुत ही अच्‍छी जगह है। गांधी नगर market की खासियत है कि यहां पर हर सामान की अलग लेन होती है। अगर आपको coat चाहिए तो यहां पर coat का market है, jacket चाहिए तो jacket market है, sweater, jeans, गरम pajama ये सभी यहाँ आपको बहुत सस्‍ते दामों पर मिल जाएंगे। 

जब इतने सारे markets की list हो पास में, तो दीपावली की shopping list का बड़ा होना तो लाजमी है।

फिर किसी भी सपने के पूरा नहीं होने की कोई वजह ही नहीं है। चलिए अब सोचने में समय मत गंवाए... दीपावली चंद दिनों में ही है।

खूब धूमधाम से त्यौहार बनाएं, खुशियां ही खुशियां जीवन में लाएं...

Wednesday, 1 November 2023

Article: चांद तुम निकलोगे कब?

आज करवाचौथ का पावन व्रत है, जिसमें सुहागिनें निर्जला व्रत रखती और चंद्रदेव को अर्क देकर अपना व्रत पूर्ण करती हैं।

पर क्या कारण है, जिसके कारण करवाचौथ में चांद की पूजा की जाती है।

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि करवाचौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की मुख्य वजह है कि जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस दौरान उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। 

पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, कहा जाता है कि उनका सिर आज भी वहां मौजूद है। चूंकि गणेश जी को वरदान था कि हर पूजा से पहले उनकी पूजा की जाएगी इसलिए इस दिन गणेश की पूजा तो होती है साथ ही गणेश जी का सिर चंद्रलोक में होने की वजह से इस दिन चंद्रमा की खास पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान प्राप्त है। मान्यता है कि चंद्रमा ब्रह्मा जी का रूप माना जाता है। चंद्रमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है। यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।

यह व्रत पति-पत्नी के लिए प्रणय निवेदन व एक-दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण, अपार प्रेम, त्याग व विश्वास की चेतना लेकर आता है।

जब चांद की इतनी बात हो गई है तो चलिए वो भी जान लेते हैं, जिसका व्रत रखने वाली हर सुहागन को इंतज़ार रहता है, कि आज चंद्रदेव कितने बजे दर्शन देंगे। 


चांद तुम निकलोगे कब?





दिल्ली - 8: 15

गाजियाबाद  -  8: 09

नोएडा -  8: 09

गुरुग्राम -  8: 21

चंडीगढ ‌‌‌‌-  8: 21

लुधियाना - 8: 10

जम्मू - 8: 08

शिमला - 8: 01

अमृतसर - 8: 15

जयपुर - 8: 19 

उदयपुर - 8: 41 

आगरा -  8: 10 

मेरठ - 8: 07

प्रयागराज - 7: 58

कानपुर -  8: 02

लखनऊ - 7: 58

बनारस - 7: 53 

गोरखपुर - 7: 48

भोपाल -  8: 06

ग्वालियर - 8: 26

इंदौर - 8: 37

अहमदाबाद - 8: 50

पुणे - 8: 56

मुंबई - 8: 59 

कोलकाता - 7 : 46 

पटना - 7: 51 

चेन्नई - 8: 43

आप जिस भी शहर में या दिए हुए शहरों के पास रहते हैं तो accordingly time देखकर चंद्रदेव के दर्शन कर लीजिए।

हम सब पर करवा माता का आशीर्वाद बना रहे और सभी अखंड सौभाग्यवती रहें।