Friday, 17 January 2025

India's Heritage : संकष्टी गणेश चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी। महिलाएं आज अपने बच्चों की सलामती की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है। 

संकष्टी चतुर्थी पर बचपन से एक कहानी सुनते आ रहे हैं, जिससे हमें पता चलता है कि प्रभु श्री गणेश जी, भक्तों की किस बात को सबसे अधिक महत्व देते हैं। 

आज उसी कहानी को share कर रहे हैं, शायद आप में से बहुत लोगों के घर में यही कहानी कही जाती हो... गर नहीं सुनी है आपने, तो आप भी यह कहानी सुनें, और साथ ही यह भी कि यह कहानी क्यों कही जाती है...

संकष्टी गणेश चतुर्थी


एक जेठानी और देवरानी थीं। जेठानी माला धनाढ्य, लालची और दुष्ट प्रवृत्ति की स्त्री थी, जबकि देवरानी सुधा गरीब, सरल ह्रदय की, भक्त प्रवृत्ति की स्त्री थी।

क्योंकि देवरानी गरीब थी, तो वो जेठानी के घर पर बर्तन, झाड़ू-पोंछा आदि का काम करती थी।

एक दिन वो काम करके लौट रही थी, तो उसकी नयी पड़ोसन रेखा, तिल धोकर साफ कर रही थी।

सुधा ने रेखा से पूछा कि तिल क्यों धो रही है?

तो रेखा बोली, संकष्टी चतुर्थी व्रत आ रहा है, इसमें गणेश जी के चंद्रभाल रूप की पूजा, व्रत आदि किया जाता है। यह पूजा संतान की लंबी आयु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए की जाती है।

उसके लिए ही तिल धोकर साफ कर रही हूँ, जब यह सूख जाएंगे, तब गुड़ के साथ कूट कर इनका प्रसाद बनाऊंगी।

पूजा विधि, और प्रसाद के विषय में जानकारी लेकर सुधा भी तिल, गुड़ ले आई। 

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुधा माला को बोल आई कि “दीदी, आज शाम मैं काम पर नहीं आऊंगी।”

दिन भर व्रत रखकर रात को सुधा ने पूजा की तैयारी की व तिल-गुड़ कूटकर उसने प्रसाद तैयार कर लिया। और बहुत ही श्रद्धाभाव से गणेश जी पूजा आरंभ कर दी।

अभी उसे पूजा आरंभ किए हुए आधे घंटे ही हुए थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई।

उसने दरवाजा खोला तो सामने एक छोटा-सा बालक खड़ा था।

सुधा को देखते ही वह बालक बोल उठा, माँ बहुत भूख लगी है, कुछ खाने को दे दो...

सुधा ने उसे अंदर आने को कहा, और बोला मेरे पास इस तिलकुट प्रसाद के आलावा, तुम्हें देने को और कुछ नहीं है।

पूजा आरंभ कर दी है, थोड़ी देर में पूर्ण हो जाएगी, तब तुम खा लेना।

वो बालक पूजा समाप्त होने की प्रतीक्षा करने लगा।

पूजा समाप्त होने के बाद सुधा ने उस बालक को प्रसाद दे दिया।

बालक ने धीरे-धीरे कर के बना हुआ पूरा प्रसाद लें लिया।

सुधा के बच्चे उसका मुंह देखते रहे, पर उसने उनकी परवाह किए बिना उस छोटे से बालक को सारा प्रसाद दे दिया...

उस बालक ने पूरा प्रसाद ख़त्म करने के बाद कहा कि अब मुझे पोटी आई है, कहां करूं? 

सुधा को कुछ न सूझा, क्योंकि वो तो घर के बाहर बहुत दूर खेतों पर जाते थे, पर इस नन्हे बालक को रात में कहां ले जाएं... 

उसने घर के एक कोने में उसे पोटी करने को कहा, थोड़ी ही देर में बच्चे ने घर के चारों कोनों में पोटी कर दी।

जब पोटी पोंछने की बात आई तो उसने अपने साड़ी के एक कोने से उसकी पोटी पोंछ दी। 

उस बालक के जाने के बाद सब भूखे पेट सो गए।

सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि उनका घर का वो हर कोना जहां उस छोटे से बालक ने पोटी की थी और साड़ी का वो हिस्सा, सोने, चांदी हीरे-जवाहरात की तरह चमक रहे थे।

यह सब देखकर, सभी हर्षित हुए कि कल जो बालक आया था, वो कोई और नहीं, स्वयं गणेश जी थे और वो अपने भक्तों की परीक्षा लेने और अपनी कृपा बरसाने आए थे।

अब सुधा को घर-घर जाकर काम करने की आवश्यकता नहीं थी। जब माला को यह पता चला तो वह सुधा के घर दौड़ी चली आई और सम्पूर्ण जानकारी ली।

उसने अगले वर्ष, अपने घर में संकष्टी चतुर्थी व्रत की बहुत बड़ी व्यवस्था की, तिलकुट प्रसाद के आलावा, बहुत सारी मिठाई पकवान बनवाए। घर का बड़ा हिस्सा खाली कर दिया।

सुबह व्रत रखकर, रात में पूजा अर्चना आरंभ कर दी। पर उसका ध्यान पूजा में ना लगकर पूर्ण रूप से दरवाज़े पर लगा हुआ था।

पूजा आरंभ कर के एक घंटा बीत चुका था, पर दरवाजे पर दस्तक ही नहीं हो रही थी। माला के सब्र का बांध टूट रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।

देखा, सामने एक छोटा सा बालक खड़ा था।

आह! आ गये गणेश जी... वो ख़ुशी से झूम उठी

उसने तुरंत उसे अंदर खींच लिया और इसके पहले कि वो कुछ बोलता, ढेरों पकवान उस बालक के मुंह में डालना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में बालक ने कहा कि मेरा पेट भर गया...

पर माला को इतने कम में संतोष नहीं था, उसने सोचा कि ज्यादा खाएगा तो सोना, चांदी , हीरे-जवाहरात सब भी बहुत अधिक बनेंगे।

उसने अब ज़ोर‌ जबरदस्ती के साथ बालक को खिलाना शुरू कर दिया, जब तक बालक ने यह नहीं कह दिया कि उसे पोटी आई है।

माला ने उस बालक से पूरे घर भर में पोटी करवा दी और पोंछने की बात पर अपने माथे और हाथ में पोंछ ली।

जब वो बालक चला गया तो सब सो गए।

सुबह उठकर माला ने देखा, उसका पूरा घर पोटी की बदबू से भर गया था, सब ओर मक्खियां भिनभिना रही थीं। उसके पास से भी बदबू आ रही थी।

उसने पूरे दिन परिवार के साथ घर साफ़ किया, घर तो साफ़ हो गया, पर बदबू थी कि जाने का नाम ही नहीं ले रही थी।

वो उस बदबू से इतनी परेशान हो गयी कि दिनभर पागलों की तरह सफाई करती रहती, पर निजात नहीं मिलती।


इस पूजा को बच्चों के लिए रखा जाता है और इस पूजा के दौरान इस कहानी को सुनाने के पीछे का आशय यह है कि सरलता से बच्चों के मन-मस्तिष्क में यह बात पहुंचाई जाए कि ईश्वर की प्राप्ति उन्हें होती है, जो सरल ह्रदय वाले होते हैं, सच्चे भक्त होते हैं, जिनका ध्यान ईश्वर आराधना में होता है, न कि मोह-माया में, जो ईमानदार और निष्पक्ष होते हैं, जो लालची नहीं होते हैं, जो दूसरे के दुःख, भूख और परेशानी को अपने से पहले हल करते हैं। 

सुधा में वो सारे सद्गुण थे, जिससे गणेश जी प्रसन्न हो गए थे, अतः उन्होंने उसे सब तरह के सुख दे दिए थे। जबकि माला के गुण उसके विपरीत थे, अतः उसके पास सब होते हुए भी छिन गया।

हे श्री गणेश जी महाराज, हम सब से प्रसन्न रहें। हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बना कर रखें🙏🏻 

जय संकष्टी गणेश चतुर्थी 🙏🏻

Thursday, 16 January 2025

Article : महाकुंभ से अर्थव्यवस्था

लोग कहते हैं कि क्या लाभ है, मंदिर बनाने और महोत्सव कराने से? इतने ही रुपए खर्च करने के लिए उपलब्ध हैं, तो hospitals, schools and colleges खुलवा देने चाहिए।

बस व्यर्थ का धन व्यय करना आता है सरकार को...

चलिए, जो लोग यह मानते हैं, उनके साथ हिसाब-किताब लगा लेते हैं कि क्यों hospitals, schools and colleges के साथ ही मंदिर निर्माण और महोत्सव भी किए जाने चाहिए।

Article शुरू करने से पहले, आप को बता दें कि, इस सरकार के आने से न केवल मंदिर निर्माण और महोत्सव को प्रोत्साहन मिला है, अपितु educational institute and medical field में भी बढ़ोतरी हुई है।

लेकिन अभी, जब हमारे भारत देश में इतना बड़ा महोत्सव प्रयागराज में चल रहा है तो, उसका ही उदाहरण लेते हैं और देखते हैं कि महाकुंभ महोत्सव से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा कि नहीं, उसकी गणना कर लेते हैं।

महाकुंभ से अर्थव्यवस्था


महाकुंभ महोत्सव में लगने वाली धन राशि है, 12 हजार करोड़ रुपए या 120 billion रुपए (₹1,20,00,00,00,000)...

हे भगवान! इतना अधिक... 

वही तो, इतने में तो न जाने कितने hospitals, school college खुल जाते, सड़कों का निर्माण हो जाता, बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता आदि...

बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप।

अब ज़रा यह भी सुन लीजिए कि इससे मिलना वाला profit है, 20 लाख करोड़ रुपए...

सुना आपने, 20 लाख करोड़ रुपए या 20 trillion रुपए (₹2,00,00,00,00,00,000)...

अब सोचिएगा, इससे क्या-क्या होगा?

अब आगे चलते हैं।

12 हजार करोड़ रुपए, पूरी तरह से केवल महाकुंभ महोत्सव में ही नहीं लग गये हैं, बल्कि इसमें से बहुत सारा व्यय, प्रयागराज के कायाकल्प में भी ख़र्च किया गया है।

फिर महाकुंभ महोत्सव तो केवल 45 दिनों के लिए है, 13 January से आरंभ हुआ था और 26 February के बाद समाप्त हो जाएगा, लेकिन उससे प्रयागराज में जो कायाकल्प हुआ है, वो कितने सालों के लिए सुव्यवस्थित हो गया है, यह वहां पर रहने वाले नागरिकों पर निर्भर करता है। 

यह expenditure and profit तो वो हुआ, जो सरकार ने खर्च किया है और जो उन्हें लाभ मिलेगा...

अब और सुनिए।

महाकुंभ महोत्सव की ख्याति, केवल भारत तक सीमित नहीं है अपितु देश-विदेश तक पहुंच गई है, जिसके फलस्वरूप देश-विदेश के लाखों-करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं और महाकुंभ में आने की‌ तैयारी कर रहे हैं।

इससे दो लाभ हैं, पहला विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और दूसरा भारत देश की सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार... 

चलिए, अब ज़रा, इस ओर भी सोच लेते हैं कि, केवल व्यय हो रहा है या लोगों के लिए रोज़गार के सुनहरे अवसर भी मिले हैं...

आपको लगता है कि यह बताने की जरूरत है?

चलिए, फिर भी बता देते हैं...

महोत्सव की तैयारियों के साथ ही शुरू हो गये थे, रोजगार के अवसर मिलने..

न जाने कितने ही मजदूरों ने रोजगार पाया, कितने ही चित्रकारों की तूलिकाएं रोजगार पा गयी, न जाने कितने architect को यह proof करने का मौका मिला, कि उनकी प्रतिभा न केवल उन्हें धन-धान्य दे सकती है, अपितु गर्व करने का अवसर भी दे सकती है, कितने ही पुजारियों को संगम का अत्यधिक आशीर्वाद प्राप्त हुआ, आध्यात्मिक और धन-धान्य दोनों रूपों में, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी, जिनके food business है, ऐसे ही न जाने कितने लोगों के सपने पूरे कर दिए महाकुंभ ने...

और जब से महाकुंभ महोत्सव आरंभ हुआ है, जिनमें भी धनार्जन करने की चाह है, वो मालामाल हुआ जा रहा है...

आप सुनकर हैरान हो जाएंगे, जब आपको पता चलेगा कि वहां अपनी stalls लगाने के लिए लोग, 45 दिन के लिए 48 लाख रुपए दे रहे हैं, अर्थात् एक दिन का एक लाख रुपए तक दे रहे हैं।

चाय जैसी छोटी 10/10 की stall के लिए भी 45 दिन के 12 लाख की demand है और लोग दे भी रहे हैं। 

वो Businessman कोई बेवकूफ तो हैं नहीं, क्योंकि वो जानते हैं 10 लगाएंगे तो सौ मिलेंगे, और मिल भी रहा है...

40 करोड़ भक्तों (visitors) के आने का अनुमान है, जिसमें देश विदेश के लोग भी शामिल हैं। 

जितनी संख्या में visitors आ रहे हैं, उतनी ही संख्या में वो लोग भी आ रहे हैं, जो महाकुंभ महोत्सव से जुड़कर धनार्जन करना चाहते हैं। 

जो वहां पर आने वाले व्यापारी हैं, चाहे वो किसी भी level के हों, चाय-कॉफी बेचने वाले, खाने-पीने की चीजें बेचने वाले, वस्त्र, मालाएं, पूजा सामग्री, अलग तरह के सामान बेचने वाले, technical support करने वाले, महाकुंभ महोत्सव की व्यवस्था में लगने वाले सामानों की मालिकाना companies, हर एक यही कह रहा है कि economy बढ़ाने का इसे अच्छा सुअवसर नहीं मिल सकता है। 

अब आप खुद सोचिएगा कि क्या मंदिर निर्माण और महोत्सव को प्रोत्साहन मिलना चाहिए? क्योंकि उसके कारण आर्थिक व्यवस्था और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, यह निश्चित है...

शायद आपकी सोच बदल गई हो, और आप भी इनके प्रोत्साहन में शामिल हो जाएं।

वैसे अगर आप बिना किसी स्वार्थ और निन्दा के भाव से देखें तो आपको भी यह ज्ञात होगा, कि ये ही वो सुअवसर हैं, जो भारत को एक बार फिर से सोने की चिड़िया बना देंगे।

जहां धन-धान्य, संस्कृति और परंपरा का वास होगा, वही देश सफल बन पाएगा, और यही करने से भारत विश्व विजयी बनेगा।

जय संस्कृति, जय सनातन, जय भारत 🇮🇳 

Wednesday, 15 January 2025

Article : महाकुंभ के अमृत स्नान

आप को महाकुंभ महोत्सव Heritage segment में महाकुंभ से जुड़े तथ्य, आस्था और वैज्ञानिक रूप में share किया था।

अमृत स्नान क्यों किया जाता है, उसका विवरण विस्तार से share करते हैं....

प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर महाकुंभ महोत्सव आरंभ हो गया है।

आप ने सुना होगा कि महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। पर क्या होता है शाही स्नान? कब-कब है शाही स्नान? और क्या महत्व है इसका? 

हालांकि, इस बार से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने शाही स्नान का नाम, अमृत स्नान और पेशवाई का नाम कुंभ मेला छावनी प्रवेश कर दिया है। 

तो जब नाम बदल ही दिया गया ,है तो शाही स्नान को हमने भी आगे अमृत स्नान ही लिखा है...

आइए जानते हैं, सब कुछ विस्तार से...

महाकुंभ के अमृत स्नान


महाकुंभ के दौरान कुल तीन अमृत स्नान होंगे, जिसमें से पहला मकर संक्रांति के दिन, 14 जनवरी को होगा। दूसरा, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर और तीसरा 3 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन किया जाएगा।

इसके अलावा माघी पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन भी स्नान किया जाएगा, लेकिन इन्हें अमृत स्नान नहीं माना जाता है।

क्यों कहा जाता था इन्हें शाही स्नान?


1) अमृत स्नान (शाही स्नान) :

महाकुंभ के दौरान कुछ विशेष तिथियों पर होने वाले स्नान को "शाही स्नान" कहा जाता था। इस नाम के पीछे विशेष महत्व और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है। माना जाता है कि नागा-साधुओं को उनकी धार्मिक निष्ठा के कारण सबसे पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर राजसी ठाट-बाट के साथ स्नान करने आते हैं। इसी भव्यता के कारण इसे शाही स्नान नाम दिया गया था। 

एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में राजा-महाराज भी साधु-संतों के साथ भव्य जुलूस लेकर स्नान के लिए निकलते थे। इसी परंपरा ने शाही स्नान की शुरुआत की।

इसके अलावा यह भी मान्यता है कि महाकुंभ का आयोजन सूर्य और बृहस्पति जैसे ग्रहों की विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है, इसलिए इसे "राजसी स्नान" भी कहा जाता है। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।

ऐसा माना जाता है कि ये पवित्र स्नान अनुष्ठान, या शाही स्नान, आत्मा को शुद्ध करते हैं और पापों को धो देते हैं, जिससे ये इस आयोजन का आध्यात्मिक आकर्षण बन जाते हैं। 


2) महाकुंभ में स्नान करने के नियम :

स्नान करते समय 5 डुबकी ज़रूर लगाएं, तभी स्नान पूरा माना जाता है। स्नान के समय साबुन या shampoo का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इसे पवित्र जल को अशुद्ध करने वाला माना जाता है।


3) यहाँ ज़रूर करें दर्शन :

महाकुंभ में कुंभ अमृत स्नान-दान के बाद बड़े हनुमान और नागवासुकी का दर्शन जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि कुंभ अमृत स्नान के बाद इन दोनों में से किसी एक मंदिर के दर्शन न करने से महाकुंभ की धार्मिक यात्रा अधूरी मानी जाती है।


4) महाकुंभ 2025 अमृत स्नान की तिथियां :

I. पौष पूर्णिमा - 13 जनवरी (सोमवार); स्नान

II. मकर सक्रांति - 14 जनवरी (मंगलवार); अमृत स्नान 

III. मौनी अमावस्या - 29 जनवरी (बुधवार); अमृत स्नान

IV. बसंत पंचमी - 3 फरवरी (सोमवार); अमृत स्नान 

V. माघी पूर्णिमा - 12 फरवरी (बुधवार);  स्नान

VI. महाशिवरात्रि - 26 फरवरी (बुधवार);  स्नान 


5) अमृत स्नान का समय :

अमृत स्नान के लिए 13 अखाड़ों के बीच समय आवंटित किया जाता है, जिसमें शिविर छोड़ने, घाट पर अनुष्ठान स्नान करने और वापस लौटने के लिए आवश्यक समय शामिल होता है। महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा सबसे पहले अमृत स्नान शुरू करेंगे, जो सुबह 5:15 बजे से सुबह 7:55 बजे तक निर्धारित है, जिसमें अनुष्ठान के लिए 40 मिनट निर्धारित हैं। उनके बाद, निरंजनी और आनंद अखाड़ों को सुबह 6:05 बजे से सुबह 8:45 बजे तक का समय आवंटित किया गया है, जिसमें प्रस्थान, स्नान करने और वापस लौटने की पूरी प्रक्रिया शामिल है।


6) अमृत स्नान के मुख्य आकर्षण : 

कुंभ मेले के दौरान, कई समारोह होते हैं; हाथी, घोड़े और रथों पर अखाड़ों का पारंपरिक जुलूस जिसे 'पेशवाई' कहा जाता था, अब इसका भी नाम बदलकर कुंभ मेला छावनी प्रवेश यात्रा कर दिया गया है। 

'अमृत स्नान' के दौरान नागा-साधुओं की चमचमाती तलवारें और अनुष्ठान, और कई अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ जो कुंभ मेले में भाग लेने के लिए लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती हैं।


7) अमृत स्नान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व :

I. धार्मिक महत्व -

इस दिन सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं। उनके बाद आम लोग स्नान कर सकते हैं। शाही स्नान को बेहद खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से न सिर्फ इस जन्म के, बल्कि पिछले जन्म के पाप भी खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।


II. सांस्कृतिक महत्व -

महाकुंभ भारतीय समाज के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें अमृत स्नान के साथ मंदिर दर्शन, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। 


महाकुंभ में भाग लेने वाले नागा साधु, अघोरी और सन्यासी हिंदू धर्म की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं। महाकुंभ का यह आयोजन धार्मिक आस्था, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। 

Tuesday, 14 January 2025

Poem : मकर संक्रांति

मकर संक्रांति


मकर संक्रांति के पर्व से,

हर्षित हुआ है देश।

आज सूर्य कर रहा,

धनु से मकर में प्रवेश।।


सबके जीवन से मिटे,

दुःख, कठिनाई और क्लेश। 

खरमास के दिन नहीं,

रह गए हैं शेष।।


जप, तप और पूजा के,

आ गये हैं दिन विशेष।

शुभ कार्य हों सम्पन्न,

करिए श्री गणेश।।


खिचड़ी, तिल गुड़ का,

भोजन में हो समावेश।

आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें,

दे रहीं सुख का संदेश।।


आप सभी को उत्तरायण (मकर संक्रांति) एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Monday, 13 January 2025

India's Heritage : महाकुंभ महोत्सव

महाकुंभ, एक ऐसा महोत्सव, एक ऐसा पर्व, एक ऐसा मेला, जो आस्था और उपासना का सबसे बड़ा प्रयोजन होता है। 13 January (पौष पूर्णिमा) से इस महोत्सव का प्रारंभ हो रहा है, जो कि 26 February (महाशिवरात्रि) तक चलेगा।

और इस बार के महाकुंभ का महोत्सव प्रयागराज के त्रिवेणी (गंगा, यमुना, सरस्वती) संगम पर सम्पन्न होने जा रहा है।

ईश्वर के सामीप्य और उनके श्री चरणों के अमृतपान का सुखद अवसर हैं यह... 

इस समय प्रयागराज पहुंचने वालों को जो आलोकिक अनुभूति होनी है, वो अवर्णनीय है।

हमारे लिए इसका विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इस बार महाकुंभ, हमारी जन्मभूमि प्रयागराज पर होने जा रहा है। 

हे जन्मभूमि, अगर आप की पावन धरती पर माथा टेकने का सुअवसर न भी मिले, तो भी मेरा दंडवत प्रणाम स्वीकार कीजिएगा। 

चलिए आप को बताते हैं कि क्यों महाकुंभ का आयोजन किया जाता है? 

क्या है इसका महत्व? और किन चार शहरों को इस आयोजन को कराने का सौभाग्य प्राप्त है? 

महाकुंभ महोत्सव


ईश्वर ने मुझे अपनी भक्ति में लीन होने के लिए दो रूपों में जोड़ा है, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप में...

तो आज, हम आपको दोनों तरह से महाकुंभ की विशेषता का वर्णन करेंगे। आस्था और पौराणिक रुप में और वैज्ञानिक और तथ्यों के रूप में भी...

ईश्वर की आस्था और उपासना ही जीवन का मुख्य उद्देश्य है तो आपको पहले महाकुंभ का पौराणिक महत्व ही बताते हैं।


1) पौराणिक कथा के अनुसार :

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, देव और दानवों के मध्य समुद्र मंथन का आयोजन किया गया था, जिसमें समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे, जो कुछ इस प्रकार हैं...

सबसे पहले निकला कालकूट (या हलाहल), फिर ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा अप्सरा, महालक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चंद्रमा, शारंग धनुष, पांचजन्य शंख, धन्वंतरि, और सबसे अंत में अमृत से भरा हुआ कुंभ (कलश, घड़ा)...

कालकूट या हलाहल, बेहद ज़हरीला विष था, जिसके निकलने पर सब इधर-उधर हटने लगे, किन्तु यह तय था कि जो भी निकलेगा, उसे देवता या दानव में से किसी एक को लेना ही होगा...

ऐसे में महादेव, सामने आए और उन्होंने विषपान किया और उसे अपने कंठ में ही रोक लिया, नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया, तब से ही देवों के देव महादेव, नीलकंठ कहलाए। 

आगे निकलने वाली चीजें, कुछ देवों के और कुछ दानवों के हिस्से में आई।

अंत में अमृत कुंभ को पाकर देवता और दानव आपस में लड़ने लगे। इस बीच, दानवों से बचाने के लिए इंद्र के पुत्र जयंत अमृत कुंभ लेकर भागने लगे। दानवों ने भी उनका पीछा किया। भागते-भागते जयंत के हाथ से अमृत कलश से कुछ बूंदें पृथ्वी की तीन नदियों और चार स्थानों पर गिर गईं।

 

2) तीन नदियां और चार शहर :

समुद्र मंथन के पश्चात् अमृत कुंभ द्वारा जिन तीन नदियों और शहरों में अमृत की बूंदें गिरी थी, वो थी गंगा नदी, क्षिप्रा नदी, और गोदावरी नदी और वो चार शहर हैं, प्रयागराज और हरिद्वार, गंगा नदी के तट पर, उज्जैन क्षिप्रा नदी के तट पर और नासिक गोदावरी नदी के तट पर...

बस उसी कुंभ को symbolic मानकर कुंभ मेले का आयोजन होने लगा, जो अमरता और आध्यात्मिक पोषण का प्रतीक है...

अब प्रश्न उठता है कि नदी में स्नान क्यों?


3) नदी में स्नान का महत्व :

तो पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाकुंभ आता है तो उस नदी विशेष का पूर्ण जल, अमृत में परिवर्तित हो जाता है, तो उसमें स्नान करना, अर्थात् साक्षात अमृत जल का सानिध्य प्राप्त करना है।

अब आपको महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व बताते हैं कि क्यों इन चार शहरों में ही महाकुंभ का आयोजन करते हैं, क्यों नदी का स्नान शुभ फलदाई होता है। और क्यों लाखों-करोड़ों लोग इस समय प्रयागराज पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं?


4) महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व :

पूरे world के map को देखेंगे तो 0° से लेकर 33° latitude तक जो भी part है, उसमें centrifugal force सबसे ज्यादा होता है।

Centrifugal force ऐसा force होता है, जो कि gravitational force से दूर रहकर भी घूमने की क्षमता रखता है। 

हमारे संस्कृति बहुत वैज्ञानिक है, अगर आप सार खोज पाएं तो भारतीय संस्कृति के हर क्षेत्र में विज्ञान मिलेगा। 

और इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है महाकुंभ, 

आइए देखते हैं कैसे?

हमारे ऋषि-मुनियों ने देखा कि भारत इसी latitude में आता है। तो उन्होंने चार ऐसी जगह और खोजी, जिसमें centrifugal force और ज्यादा होता है, जो है प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक...

पर centrifugal force ज्यादा होने से क्या लाभ है? और यह spiritually किस तरह से helpful है?

देखिए आप को spiritually strong होना है, तो उसके लिए ऊर्जा चक्रों को जाग्रत करना होता है। और इन चक्रों को जाग्रत करने के लिए वो स्थान उत्तम होता है, जहां centrifugal force अधिक हो। क्योंकि वो gravitational force के against ऊर्जा के ऊपर उठने में सहयोग करता है। 

इसलिए ही इन जगहों पर महाकुंभ महोत्सव होता है।

अब बात करते हैं, डुबकी लगाने का क्या औचित्य है? 


5) डुबकी का औचित्य :

उसका कारण यह है कि पानी में डुबकी लगाने से cosmic energy लेने की क्षमता बढ़ जाती है। क्योंकि गीले रहने से receptivity बढ़ जाती है, अर्थात् ईश्वरीय ध्यान केन्द्रित करना पूर्ण रूप से सक्षम होता है।

कुंभ तो समझ आया, पर यह महाकुंभ क्या है?

और वो 12 सालों में ही क्यों लगता है?


6) 12 साल में महाकुंभ का आयोजन :


पौराणिक कथा के अनुसार 

अमृत कुंभ को पाने के लिए देवों और दानवों में 12 दिन युद्ध चला था और किंवदंती है कि देवों का 1 दिन, मनुष्यों के 1 वर्ष का होता है।

यही कारण है कि महाकुंभ महोत्सव हर 12 वर्ष के पश्चात् आता है। 

ज्योतिषीय गणना के अनुसार 

महाकुंभ के आयोजन में अमृत के साथ ही तीन और celestial bodies का महत्व है, और वो है, बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, means Jupiter, Sun and Moon की postion का...

ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, बृहस्पति ग्रह हर 12 साल में 12 राशियों का चक्कर लगाता है। इसलिए, कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है।

महाकुंभ मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में लगता है।

कुंभ मेला हर साल और महाकुंभ मेला हर 12 साल में लगता है।

साल 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में लग रहा है।

आइए जानते हैं, कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ग्रहों की स्थिति के आधार पर महाकुंभ मेले का आयोजन कब किस जगहों पर होता है...


7) प्रयागराज में लगने की स्थिति :

जब बृहस्पति ग्रह वृषभ (Taurus) राशि में हों, सूर्य देव और चंद्र देव दोनों ही मकर (Capricorn) राशि में हों, तो महाकुंभ मेला प्रयागराज में लगता है।

2025 में ऐसी स्थिति ही बनी है, इसलिए महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में सम्पन्न हो रहा है।


8) हरिद्वार में लगने की स्थिति :

जब बृहस्पति ग्रह कुंभ (Aquarius) राशि में हों, सूर्य देव मेष (Aries) राशि में हों, और चन्द्र देव धनु (Sagittarius) राशि में हो, तो महाकुंभ मेला हरिद्वार में लगता है।


9) नासिक में लगने की स्थिति :

जब सूर्य और बृहस्पति सिंह (Leo) राशि में हों, और चन्द्र देव कर्क (cancer) राशि में हो, तो महाकुंभ मेला नासिक में लगता है। 


10) उज्जैन में लगने की स्थिति :

जब बृहस्पति ग्रह सिंह (Leo) राशि में हो, सूर्य देव और चंद्र देव दोनों मेष (Aries) राशि में हों, तो महाकुंभ मेला उज्जैन में लगता है।

महाकुंभ, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और भव्य आयोजनों में से एक है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु और संत शामिल होते हैं। ये लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।


महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है, वो किस-किस दिन है, क्यों कहते हैं इसे शाही स्नान, आपको अगले के article में बताएंगे...

महाकुंभ के अमृत स्नान 

So stay tuned...

Saturday, 11 January 2025

Recipe : Pizza Pockets

आज आपके लिए एक ऐसी recipe share कर रहे हैं, जो बहुत ही yummy है। साथ ही एक interesting factor यह भी है, कि उसके base से हम बहुत variety की dishes prepare कर सकते हैं।  

और वो base है, bread pocket की...

यह बहुत easily घर पर रखे हुए सामानों से ही prepare हो जाती है। 

हम bread pocket से pizza pocket बना रहे हैं, पर आपको इसके और variants भी बता देंगे।

Pizza Pocket की speciality यह है, कि इसमें crispy and crunchy flavour भी आएगा, और soft and creamy flavour भी आएगा।

Pizza Pockets


A) Ingredients :

I. For stuffing -

  • Salt - as per taste
  • Onion - 1 (big)
  • Sweet corn - 1 tbsp.
  • Capsicum - 1 (big)
  • Paneer - 50 gm.
  • Mushroom - 50 gm. 
  • Baby corn - 50 gm.
  • Cheese slice - 10 number 
  • Mix herbs - for garnishing
  • Tomato ketchup - as per taste
  • Hung curd - 2 tbsp.


II. For base -

  • White bread - 10 slices
  • Cornflour - 1 tbsp. 
  • All purpose flour (Maida) - 1 tbsp. 
  • Clarified butter (ghee) - for frying 


B) Method :

I. For stuffing -

  • Sweet corn, baby corn को boil कर लीजिए, जिससे वो soft हो जाएं।
  • एक wok लीजिए, उसमें एक tbsp. घी डाल दीजिए।
  • इसमें प्याज और नमक डालकर sauté कर लीजिए।
  • अब इसमें सारी veggies, sweet corn and baby corn डालकर slightly पका लीजिए। 
  • जब filling थोड़ी ठंडी हो जाए तो उसमें, Hung curd and Mix herbs डालकर अच्छे से mix कर दीजिए।

Stuffing/filling is ready.


II. For base -

  1. दो bread slices को एक साथ रखकर rolling pin से बेल लें।
  2. फिर cookie cutter से ring काट लें।
  3. Side की बची हुई bread को mixer grinder jar में डालकर महीन पीसकर bread crumbs बना लें। 
  4. Cornflour और all purpose flour में ¼ tsp. salt डालकर अच्छे से mix करें। इसमें पानी डालकर slurry बना लें। 
  5. Bread ring को slurry में dip कर लें।फिर इसे bread crumbs से coat कर लीजिए। 
  6. इसी तरह से सारी bread rings को ready कर लीजिए।
  7. एक wok में घी डालकर अच्छे से गर्म कर लीजिए। गर्म घी में bread rings डालकर उस पर घी डालते हुए fry कर लीजिए।
  8. इससे bread ring फूल कर पूड़ी जैसी बन जाएगी।
  9. जब सारी ring ready हो जाए, तो उन्हें half कर दें, जिससे pocket create हो जाएगी।

Base (bread pockets) is ready.



III. For assembling -

  1. अब bread pockets में tomato ketchup लगा दीजिए।
  2. फिर उसमें cheese slice fit कर लीजिए।
  3. अब इसमें filling को bread pockets के अंदर stuff कर दीजिए।
  4. Pocket में ऊपर से भी sauce डालकर serve कर दीजिए।

Your delicious and nutritious Pizza Pockets are ready to serve. Relish them with some mixed herbs, oregano or chilli flakes.


C) Tips and Tricks :

  • Bread fresh होनी चाहिए, वरना बेलने में वह straight नहीं होगी, बल्कि टूट टूट जाएगी।
  • दो breads को एकसाथ ही बेलें, इससे वो आपस में अच्छे से चिपक कर ऐसी हो जाती हैं, मानो एक हो गयी हों। इसी से pocket create होती है। 
  • Fresh bread और एक साथ बेलना, यही इसका key point है, इसे ज़रूर से follow करना है।
  • आप healthy variant चाहें तो, brown bread use कर सकते हैं।
  • अगर आप के पास cookie cutter न हो तो, glass या कटोरी से भी ring काट सकते हैं।
  • Veggies, slightly ही पकाएं, जिससे उसमें crunchy texture बना रहे। तभी अच्छा taste आता है।
  • हमने pizza pocket बनाया है, इसलिए stuffing के लिए pizza topping वाले ingredients लिए हैं। अगर आपको और variants के options देखने हैं, तो वो आपको इस post में सबसे नीचे मिलेंगे।
  • आप sauce भी different flavours के लें सकते हैं। Hung curd की जगह hummus की filling भी use कर सकते हैं।
  • Stuffing prepare करते हुए ध्यान रखिएगा कि नमक slurry में भी है, और cheese slice में भी, तो filling में salt ऐसा पड़ना चाहिए, जो assembling के बाद भी salt balanced रहे। 
  • जितनी बार भी bread pockets, fry करने के लिए डालें, ध्यान रखिएगा कि घी तेज गर्म रहे, नहीं तो bread ज़्यादा घी soak कर लेगी।
  • घी की जगह, olive oil or refined oil भी ले सकते हैं, पर घी में fry करने से taste enhance हो जाता है। 
  • Bread pockets एक बार पलट देने के बाद ही फूलती है। तो बिल्कुल भी panic न करें कि आप की ring पूड़ी जैसी फूल नहीं रही है।
  • Bread pockets के नहीं फूलने के दो ही कारण हो सकते हैं, या तो वो proper बनी न हो, कहीं से खुली रह गई हो, या ठंडे घी या तेल में डाल दी गई हो।
  • आप bread pockets बना कर fridge में रखकर store कर सकते हैं, और serving से पहले fry कर लें।
  • एक बात याद रखिएगा, कि filling pockets fry करने से पहले ready होनी चाहिए, जिससे pocket का crispy and crunchy texture, serve करने तक intact रहे। 
  • इसे बनाने में चटनी, sauce or dips की coating, pocket wall में कर देते हैं, इसलिए यह complete dish होती है।


D) Flavours/Variants :

  • Aloo masala (like samosa & kachori)
  • Matar masala
  • Paneer masala
  • Mushroom masala
  • Chocolate filling
  • Khoa/Mawa filling
  • Paneer filling (sweet)
  • Custard filling
  • Cream filling


फिर सोच क्या रहे हैं, अपने मनपसंद flavour की pocket create कीजिए, और गर्मागर्म coffeeके साथ इसका लुत्फ उठाएं... 

आज pizza pocket बताया है,अगर आप की demand होगी तो full ingredients and method के साथ और filling की pockets की recipe भी share कर देंगे...

Thursday, 9 January 2025

Poem : हर ओर धुंध

हर ओर धुंध


हर ओर धुंध, और

कोहरा-सा है।


शरद की

कंपकंपाती शीत में,

एक अनभिज्ञ

पहरा-सा है।


हाथ को हाथ

नहीं सुहाता है,

प्रभात हो चुका है,

फिर भी अंधेरा-सा है।


रवि अपनी रश्मि संग,

है अभ्र में आया,

पर तिमिर ढलेगा कब,

रहस्य यह गहरा-सा है।


न पक्षी का कलरव,

न वृक्षों में हलचल,

न नदियों में कल-कल, 

प्रकृति में मौन ठहरा-सा है।


हर ओर धुंध, और

कोहरा-सा है।

Tuesday, 7 January 2025

Short Story : खाली हाथ

खाली हाथ


एक बहुत ही सिद्ध गुरु जी थे। वो शहर-शहर, गांव-गांव जाकर लोगों में ईश्वर भक्ति का प्रचार-प्रसार किया करते थे। 

क्योंकि वो बहुत ज्ञानी भी थे, तो उनके पास लोग अपने कई तरह के प्रश्न भी पूछने के लिए आया करते थे। गुरु जी बड़े मनोयोग से उनके पूछे हुए प्रश्नों के उत्तर दिया करते थे।

एक दिन उनके पास एक दस साल का बच्चा आया, और उसने बहुत ही सहज, किन्तु क्लिष्ट प्रश्न पूछे...

गुरु जी, मनुष्य खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही लौट जाता है, क्यों?

और दूसरा प्रश्न यह है, कि जब खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना है तो इतना परिश्रम करके धनार्जन क्यों करना है?

प्रश्न तो बहुत सहज थे, पर उसके उत्तर में गूढ़ रहस्य था, अतः गुरु जी ने कहा कि मैं तुम्हें बताता हूं, पर उसके पहले तुम यह समझो कि ईश्वर स्वयं नहीं आते हैं, किन्तु उन्होंने धरती को सुरक्षित और सम्पन्न करने के लिए एक रिश्ता बनाया है और वो रिश्ता है माता-पिता का....

तो तुम्हारा पहला प्रश्न कि हम खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ जाते हैं, क्यों?

तो उसका जवाब यह है, कि हमारे जन्म लेने से पहले ही हमारे मां-पापा, हमारे जीवन से जुड़े सभी कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए धनार्जन करते हैं। अत: हमें कुछ भी लेकर आने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ईश्वर ने हमारे जन्म लेने से पहले ही हमें सुरक्षित हाथों में सौंप दिया होता है, सब तरह की व्यवस्था के साथ...

और खाली हाथ इसलिए जाते हैं, क्योंकि ईश्वर के पास पहुंचने के पश्चात् हमें किसी भी तरह की व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके पास हर चीज़ के इतने साधन है कि किसी भी और को कुछ लाने की जरूरत ही नहीं है।

अब बात दूसरी है कि जब खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ ही जाते हैं, तो इतनी मेहनत करके धनार्जन क्यों करना है?

तो उसका जवाब यह है, कि जिस तरह से तुम्हारे मां-पापा ने तुम्हारे जन्म से पहले मेहनत से धनार्जन करके जीवन को सुरक्षित किया था, वैसे ही तुम अपनी संतान के लिए करो।

जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी कुल सुचारू रूप से चल सके, धरती पर भी जीवन सुगमता पूर्वक व्यतीत किया जा सके।

ईश्वर के द्वारा बनाई गई सृष्टि सुचारु रूप से चल सके। 

बाकी इंसान आता खाली हाथ है, पर जाता खाली हाथ नहीं है, जो मेहनत और ईमानदारी से कर्म करता है, वो अपने संग अपनों की संतुष्टि और प्रेम लेकर जाता है।

और जो जीवन पर्यन्त कामचोरी करता है, नकारा रहता है, वो अपने संग अपनों की असंतुष्टी और घृणा लेकर जाता है।

और यह बात भी पूर्णत: सत्य है कि जो मनुष्य अपने कर्म पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ करता है, बस वही ईश्वर के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त करता है।

इसीलिए, यह सोच कर कि खाली हाथ ही तो जाना है, इतनी मेहनत क्यों करनी... ऐसा बिल्कुल न करना, बल्कि मेहनत और ईमानदारी से कर्म करना, वही मोक्ष का द्वार है, बस इतना ध्यान जरूर रखना चाहिए कि धनार्जन करने में झूठ, छल, कपट, आदि नहीं होना चाहिए, ऐसा कोई कार्य नहीं होना चाहिए, जिससे किसी और की कुछ हानि हो या दिल दुखे...

Monday, 6 January 2025

Superstition : आँखों का फड़कना

आज एक ऐसे topic पर लिख रहे हैं, जिसको अधिकतर लोग superstition के रूप में न लेकर वास्तविक रूप में अधिक लेते हैं।

और वो बात है, आँखों का फड़कना (twitching)... आपका क्या सोचना है, इस बात को लेकर...

अच्छा, एक बात और है कि आंख कौन सी फड़क रही है, और किस की, मसलन gents की या ladies की, इससे पूरी बात ही बदल जाती है।‌

धारणा के मुताबिक, left अंग फड़कना ladies का और right अंग फड़कना gents का अच्छा माना जाता है।

तो चलिए, जो धारणा चली आ रही है, आँखों के फड़कने की, पहले उसे ही देख लेते हैं।

आँखों का फड़कना



1) पुरुषों की बाईं आँख फड़कना :

पुरुषों में left आँख का फड़कना अशुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि किसी दुश्मन से लड़ाई हो सकती है या फिर future में कोई परेशानी बढ़ सकती है।

बाईं आँख फड़कने का मतलब tension, fear, शोक, लड़ाई आदि की ओर इशारा भी होता है।


2) महिलाओं की बाईं आँख फड़कना :

स्त्रियों में left आँख का फड़कना शुभ माना जाता है।

इसे शुभ समाचार, सुख, सौभाग्य, और धन लाभ का संकेत माना जाता है। इसके अलावा यह किसी नई चीज़ की शुरुआत, कोई नया सामान मिलना, किसी नए मेहमान का आना, present पर focus करना और past के बारे में बहुत ज़्यादा न सोचना जैसी बातों का भी संकेत हो सकता है।


3) महिलाओं की दाईं आँख फड़कना :

Right आँख का फड़कना महिलाओं के लिए अशुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि उन्हें mental तनाव या health-related problem हो सकती है।


4) पुरुषों की बाईं आँख फड़कना :

पुरुषों के लिए right आँख का फड़कना अति शुभ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि भविष्य में आपको धन लाभ होने वाला है। अगर पुरुषों की right आँख की upper eyelashes और eyebrows फड़कती हैं, तो माना जाता है कि उनके मन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और promotion व धन लाभ भी होता है।


यह तो हुई धारणा की बात...

अब जान लेते हैं, कि medically or scientifically, आँखों के फड़कने का क्या कारण है...


5) आँख फड़कने के वैज्ञानिक कारण :

  • Excessive screen time.
  • Lack of sleep.
  • Tension or anxiety.
  • Overconsumption of caffeine (coffee and tea).
  • Deficiency of vitamin B12 and D.
  • Fatigue.


आइए अब आप को बताते हैं कि अगर आंख फड़क रही है और आप उससे बहुत ज्यादा परेशान हैं तो क्या किया जाए, जिससे आप को आराम मिल‌ जाए...


6) आँख के फड़कने से आराम पाना : 

  • Resting the eyes.
  • Massaging the eyes.
  • Going for a walk.
  • Exercising.
  • Talking with relatives/friends.
  • Having a good sleep.
  • Reducing consumption of caffeine.
  • Stopping the consumption of alcohol, tobacco and cigarette.
  • Keeping the eyes half open.


आपको धारणा और scientific reason दोनों ही बता दिया है, अब आप को जो भी अच्छा लगे, उसके अनुसार करें 🙏🏻 

सुखी रहें, स्वस्थ रहें...


Note : अगर आंखें जोर-जोर से फड़क रही हैं, लाल हो रही हैं, या सूजन या पानी गिरने की शिकायत है, तो doctor से सलाह लें।

Saturday, 4 January 2025

Recipe : Oil-Free Mayonnaise

आजकल dining table पर breakfast से लेकर dinner तक, Indian dishes कम, और विदेशी dishes की भरमार हो गई है। 

ख़ासतौर पर बच्चे तो बस burger, sandwich, rolls, pizza etc. ही खाना चाहते हैं। 

और इन सबको खिलाने में भी health factor देखना है, तो इसे घर पर बनाना ज्यादा appropriate है। 

पर बात वही है कि, सबमें mayo लगता है और वो खुद oil से ही बनता है। 

तो लीजिए, आप के लिए oil-free mayonnaise की recipe share कर रहे हैं, जिससे आप carefree होकर बच्चों से बड़ों तक, सबको खिला सकें।

Oil-Free Mayonnaise


A) Ingredients :

  • Almonds - 10 gm.
  • Cashews - 20 gm.
  • Paneer - 50 gm.
  • Lemon juice - ¾ tsp.
  • Table salt - ⅓ tsp. 
  • Black pepper - ¼ tsp.
  • Milk - ¾ cup 
  • Honey - ¼ tsp.


B) Method :

  1. Cashews and almonds को 2-3 hours के लिए पानी में soak करने के लिए रख दीजिए। 
  2. Soak होने के बाद Almond का छिलका उतार दीजिए।
  3. अब jar में काजू, बादाम, और थोड़ा सा दूध डालकर महीन पीस लीजिए।
  4. अब इसमें पनीर, बचा हुआ दूध, नमक, काली मिर्च, शहद डालकर महीन पीस लें। 

Your tasty and healthy Oil-Free Mayonnaise is ready to serve. You can use it in making or enhancing any dish, of your wish. 


C) Tips and Tricks :

  • काजू-बादाम को भिगोकर ही पीसें, जिससे महीन paste बन सके। अगर आप भिगाना भूल गए हैं, तो काजू-बादाम को 10 minutes के लिए गर्म पानी में भिगोकर रख दें।
  • काजू बादाम को पीसते समय, थोड़ा-सा ही दूध डालें, वरना paste महीन नहीं पिसेगा।
  • ध्यान रखिएगा, काजू-बादाम का paste, और पनीर डालकर grind करने के बाद भी smooth paste ही बनना चाहिए। 
  • Nutty या coarse paste नहीं होना चाहिए, वरना mayonnaise का न तो proper texture आएगा, न ही proper taste आएगा।


D) Storage : This mayonnaise must be kept under dry and hygienic conditions, preferably in a refrigerator. It should be consumed within a day or two. 


हमने eggless mayonnaise की recipe भी share की थी, जैसी market में मिलती है, इसलिए उसमें oil use किया था। पर उसमें आपको चार flavour कैसे create किए जाते हैं, वो भी share किया है। उस recipe के लिए इस link पर click करें - Eggless Mayonnaise in four flavours. इसमें आप Oil-Free Mayonnaise को different flavours का कैसे बना सकते हैं, वो भी देख सकते हैं।

Friday, 3 January 2025

Tip : Getting rid of rats

घर में अगर चूहे आ जाएँ तो बहुत परेशानी बढ़ जाती है, ऐसे में अगर कोई इन से छुटकारा दिला दे, तो बहुत राहत मिल जाती है। 

चूहे आपके घर में एक अवांछित मेहमान की तरह होते हैं। देखने में अप्रिय होने के अलावा, चूहे बीमारियों को लेकर आते हैं और उन लोगों के लिए स्वास्थ्य-जोखिम पैदा करते हैं, जो आपके अपने हैं।

बिजली के तारों को चबाने के माध्यम से वे अविश्वसनीय रूप से विनाशकारी भी हो सकते हैं। इसलिए अपने घर को साफ रखने का एकमात्र विकल्प यह पता लगाना है कि चूहों से हमेशा के लिए कैसे छुटकारा पाया जाए।

लेकिन, चिंता न करें - इसे सुरक्षित और प्रभावी ढंग से करना संभव है।

तो चलिए, आज आपको चूहों से कैसे बचें, इसके बारे में ही कुछ तरीके share कर देते हैं, जिसकी सभी सामग्री आपको अपने घर पर, या कहीं पास की दुकानों में सरलता से मिल जाएँगी।

इससे आपके अपनों को भी हानि नहीं पहुंचेंगी, और चूहे भी आपके घर से तुरंत नौ दो ग्यारह हो जाएँगे। साथ ही, यह प्रकृति के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इससे चूहों की मृत्यु भी नहीं होगी।

 Getting rid of rats


1) Peppermint oil :

इस उपाय का सबसे बड़ा फायदा यह है, कि न केवल आपके घर से हर समय ताज़ी महक आएगी, बल्कि यह चूहों से छुटकारा दिलाने में भी आपकी मदद करेगा। पुदीने की महक चूहों को पसंद नहीं होती है। आप cotton की balls पर पुदीने का तेल डालकर इसे घर के प्रवेश द्वार या ऐसी जगहों पर रख सकते हैं, जो आपके अनुसार इन छोटे जीवों के आरामदायक निवास हो सकते हैं। चूहों को दूर रखने के लिए हर कुछ दिनों में दोहराएँ।


2) Onion :

सिर्फ आपको ही नहीं, बल्कि चूहों को भी प्याज की तीखी गंध से नफरत होती है। एक चम्मच प्याज के रस में cotton को भिगाकर चूहों के बिलों या उनके entry point के पास रख दीजिए। इस process को periodically repeat करें।


3) Ammonia :

अब तक आप इस बात से अवगत हो चुके होंगे कि चूहों को तेज गंध से नफरत होती है। Ammonia (Nh4) को छोटे प्यालों में डालकर उनकी मनपसंद जगहों के पास रखें। इसकी गंध से चूहे आपके घर से हमेशा के लिए भाग जाएंगे।


4) Garlic :

कटे हुए लहसुन को पानी के साथ मिलाकर आप घर पर खुद का anti-mice solution तैयार करें। आप लहसुन की कलियों को अपने घर के प्रवेश द्वार पर भी छोड़ सकते हैं। इससे भी चूहे घर से भाग जाते हैं।


5) Black pepper :

अपने घर से चूहों को दूर रखने का यह सबसे सस्ता तरीका है। घर से चूहों को दूर रखने के लिए काली मिर्च छिड़कना सदियों पुराना तरीका है। घर के प्रवेश मार्ग और अन्य कोनों पर काली मिर्च फैलाएँ और चूहों को दूर रखें।


6) Clove / clove oil :

चूहों को लौंग पसंद नहीं होती है। लौंग का एक गुच्छा pantihose या चूहे के छेद के पास एक मलमल के कपड़े में बांधकर रखें। इससे भी चूहों से छुटकारा पाने में काफी मदद मिलती है।


तो आज ही अपने घर से चूहों को भगाएँ, और अपने प्रियजनों व परिवार वालों को बीमारियों से मुक्त बनाएँ।

May you have a rat-free day!


Note : 

“ यह कुछ domestic remedies हैं, जिनसे चूहों से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन सही विकल्प घर पर साफ-सफाई है, साथ ही खाने-पीने की चीजें ढककर रखनी होती है। In short, cleanliness & hygiene each day, keeps the rats away.

हम भी ऐसा ही करते हैं और हमारे घर पर एक भी चूहा नहीं रहता है।


Disclaimer :

The remedies stated above are not used by me, but based on a real-life situation of somebody else, for whom these were quite useful. Also, we do not assure/guarantee the vanishment of rats, but these ways can possibly be useful. These remedies show the best results when used with the least number of rats possible.

Thursday, 2 January 2025

Recipe : Malai Soya Chaap

शरद ऋतु के आते ही, आ जाता है party-time... 

आजकल लोग बहुत ज्यादा health conscious हो गये थे तो, सोया चाप, हर party की शान बन गया है। 

क्योंकि, यह जितना tasty होता है, उतना ही healthy भी..

Soya chaap में बहुत variety होती है। हम आज उसमें से एक ऐसी recipe लाए हैं, जो कि आज-कल बच्चों से लेकर बड़ों तक, सब को ही बहुत पसंद आ रही है। और वो है - मलाई सोया चाॅप...

इसका flavour थोड़ा मिठास लिए हुए होता है, इसलिए बच्चे, इसके ज़्यादा दीवाने होते हैं। तो चलिए, ingredients and recipe note कर लीजिए।

Malai Soya Chaap


A. Ingredients :

  • Soya sticks - 4 
  • Capsicum - 1 (big)
  • Onion - 1 (big)
  • Ginger garlic paste - 2 tsp.
  • Hung curd - 4 tsp.
  • Olive oil - for frying, shallow frying
  • Salt - as per taste 
  • Sugar - 2 tsp.
  • Kashmiri lal mirch powder - 1 tsp.
  • Kasuri methi  - 1 tsp 
  • Cashew nuts - 15 to 20
  • Green cardamom - 2 
  • Green chilli - 2
  • Fresh cream or 'malai' - 1 bowl 
  • Turmeric powder - ½ tsp.
  • Garam masala - ½ tsp.


B. Method :

  1. Onion and capsicum के broad blocks काट लीजिए।
  2. काजू को ½ an hour के लिए भिगा दीजिए।
  3. Soya sticks को अच्छे से wash कर लीजिए।
  4. अब इससे sticks निकाल दें।
  5. Soya chaap को vertical काटकर उसकी ring तैयार कर लें।
  6. अब एक wok लीजिए। उसमें olive oil डालकर, high flame पर रखकर smoky-hot तक गर्म होने रख दीजिए।
  7. जब oil से धुआं उठने लगे, उसमें उतनी soya rings डाल दीजिए, जितनी easily fry हो पाएँ।
  8. अब medium flame पर golden brown होने तक fry कर लीजिए।
  9. अब इसमें हरी मिर्च, ginger-garlic paste और नमक डालकर ½ an hour के लिए marinate करने के लिए रख दीजिए।
  10. काजू में थोड़ा दूध डालकर पीस लीजिए, फिर इसमें छोटी इलायची डालकर महीन पीस कर smooth paste बना लीजिए।
  11. ½ an hour बाद, सोया चाॅप में दूसरा marination करेंगे।
  12. सोया चाॅप में, आधा काजू paste, आधी क्रीम/मलाई (जो भी आप use कर रहे हों), कसूरी मेथी, onion, capsicum के broad blocks, कश्मीरी लाल मिर्च, हल्दी powder, थोड़ी चीनी, गर्म मसाला और 2 tsp. olive oil डालकर, हल्के हाथों से अच्छे से mix कर लीजिए।
  13. अब इसे ½ an hour के लिए छोड़ दीजिए।
  14. अब pan में 2 tsp. oil डालकर smoky-hot होने तक गर्म कर दीजिए।
  15. अब marinated चाॅप, onion और capsicum को pan में डालकर golden brown सेक कर अलग plate में रख दीजिए।
  16. अब बची हुई cream और काजू paste, pan में डालकर थोड़ा-सा stir कर लीजिए।
  17. अब इसमें थोड़ी कसूरी मेथी, ½ tsp. salt, 1 tsp. sugar, और ¼ tsp. गर्म मसाला डालकर अच्छे से चला लीजिए।
  18. 2 minutes के लिए धीमी आंच पर पकने दीजिए, ध्यान रखिएगा, लगातार चलाते रहना है।
  19. अब mixer grinder jar, जिसमें आपने काजू पीसा था, उसमें थोड़ा पानी डालकर अच्छे से हिला कर एक कटोरी में काजू का पानी डाल दीजिए।
  20. अब इस पानी को pan में डाल दीजिए, medium flame पर दो-से-तीन boil आने दीजिए।
  21. अब इस gravy को चाॅप में डाल दीजिए।
  22. Coriander leaves से garnish कर दीजिए।


Yummy and tasty Malai Soya Chaap is ready to serve. You can serve it with chapati, naan or parantha, else, you can also serve it as a starter.

Perfect Soya Chaap के लिए tips and tricks भी note कर लें।


C. Tips and tricks :

  • सोया चाॅप खरीदते समय ध्यान रखिएगा कि वो fresh हो। Fresh नहीं होने पर, उससे smell आएगी और वो थोड़े खट्टे भी हो सकते हैं।
  • सोया चाॅप के रिंग काटकर, boil भी कर सकते हैं, लेकिन याद रखिएगा, fry करने से सोया चाॅप की सारी layer खुल जाती हैं, जो कि taste को enhance कर देती है। और यही उसे restaurant जैसा texture and taste देती है।
  • सोया चाॅप खौलते हुए तेल में ही डालें। यह उसके texture को enhance करने में help करता है। उसके बाद medium flame पर golden brown होने तक fry कर लें।
  • अगर आप onion and garlic नहीं खाते हैं तो उसके बिना भी आप सोया चाॅप बना सकते हैं, ginger and capsicum का taste भी बहुत अच्छा आता है। 
  • हरी मिर्च भी पूरी तरह optional है। 
  • आप fresh cream या घर के दूध में पड़ने वाली मलाई, दोनों में से कुछ भी ले सकते हैं। हमने घर की मलाई ही use की है, और उसी मलाई के दूध से काजू paste बनाया है।
  • काजू paste ज़रूर डालें, उसी से proper restaurant जैसा flavour आता है।
  • छोटी इलायची, इसका key ingredient है, उसे ‌miss मत कीजिएगा। अगर आपको उसका taste पसंद है तो आप उसे दरदरा पीस कर भी डाल सकते हैं। Actually हमने थोड़ा महीन, इसलिए पीसा है, जिससे taste and flavour तो आए, पर इलायची दाना, दांतों के नीचे ना आए, क्योंकि हमारे घर में सब ऐसा ही पसंद करते हैं।
  • Pan में soya chaap, onion and capsicum के टुकड़े डालते समय ध्यान रखिएगा कि pan में सिर्फ उतने ही टुकड़े डालें, जितने कि pan की surface पर directly touch में रहें, तभी वो अच्छे से crispy होंगे। एक के ऊपर एक चढ़े होने पर proper texture नहीं आएगा। 
  • अगर आप का pan छोटा है तो आप धीरे-धीरे डालकर दो से तीन बार में भी सेक सकते हैं। हमने भी ऐसा ही किया था।
  • आप इसे सीक में लगाकर भी बना सकते हैं। 
  • Smoky flavour देना हो तो बन जाने पर जलते हुए कोयले में घी डालकर उस कटोरी को सोया चाॅप के bowl में रखकर 2 minutes के लिए ढककर रख दीजिए।
  • मलाई gravy, serving के just पहले डालें। क्योंकि ज्यादा पहले gravy में डालने से सोया चाॅप gravy को soak कर के dry हो‌ जाएगा। 
  • आप को एक secret tip बताते हैं, अगर आप के पास time है तो marinated soya chaap को सीक में लगाकर थोड़ा सूखने तक छोड़ दीजिए। इससे सोया चाॅप और भी flavourful होगा। इसलिए जहां भी सोया चाॅप बेचा जाता है, वहां सीक में लगाकर सोया चाॅप उल्टा करके लटका देते हैं। इससे extra मसाला निकल जाता है और जितना ज़रूरी है, वो चिपका रहता है, जो soya chaap को flavourful बनाता है।


तो बस गर्म-गर्म  मलाई सोया चाॅप बनाएँ, और शरद ऋतु की ठंडक का लुत्फ उठाएँ…



Wednesday, 1 January 2025

Poem : हे ईश्वर, इस नववर्ष में

हे ईश्वर, इस नववर्ष में 




नवरंग की उमंग में,

खुशियों की तरंग में,

एक वर्ष और जुड़ गया,

सुख का पर्याय मिल गया।


नभ को छूने की आस को,

सफलता की तलाश को,

एक वर्ष और जुड़ गया,

सुअवसर मिल गया।


अपनों के साथ का,

सपनों की रात का,

एक वर्ष और जुड़ गया,

सानिध्य सबका मिल गया। 


हे ईश्वर, इस नववर्ष में 

खुशियां ही खुशियां आएं 

सपने सबके पूरे हो जाएं 

अपनों का सानिध्य पाएं 


हे ईश्वर इस नववर्ष में 

सुख संपन्नता सब पर बरसाएं 

प्रकृति पर हरियाली छाए

भारत विश्व विजयी कहलाए