Monday, 22 September 2025

Mata Rani ke Bhajan : माँ के आने से

शारदीय नवरात्र में मां के आगमन से पूरी दुनिया में धूम मच गई है, हर ओर सुख सम्पन्नता और सौभाग्य बरस रहा है। आइए हम भी इस पावन अवसर पर माँ की असीम कृपा में सराबोर होकर माँ का जयकारा लगाते हैं।

माँ के आने से 




अंगना में आएगी बहार 

माँ के आने से 

भक्तों की लगेगी कतार 

माँ के आने से 


माँ का है गोरा गोरा 

मुखड़ा सुहाना 

दर्शन करने को उनके 

उमड़ा ज़माना 

भक्ति होगी स्वीकार 

माँ के आने से 

भक्तों की लगेगी है कतार 

माँ के आने से 


लाल लाल जोड़ा 

मेरी माँ ने है पहना 

सिर से पांव तक 

सजा है गहना 

खुशियां मिलेंगी अपार 

माँ के आने से 

भक्तों की लगेगी है कतार

 माँ के आने से 


हरी हरी चूड़ी 

माँ ने हाथों में सजाई 

सुंदर सलोनी है

 मेहंदी लगाई

होगा बेड़ा पार 

माँ के आने से 

भक्तों की लगेगी है कतार 

माँ के आने से 


छम छम पायल 

माँ के पैरों में बजेगी 

शेर पर सवार 

मैय्या खूब जंचेगी

सबका ही होगा उद्धार 

माँ के आने से 

भक्तों की लगेगी कतार 

माँ के आने से 


अंगना में आएगी बहार 

माँ के आने से 

भक्तों की लगेगी कतार 

माँ के आने से 




बोलो सांचे दरबार की जय 🙏🏻

जयकारा शेरावाली दा 🚩


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माता रानी के भजन 

Sunday, 21 September 2025

Article : सर्वपितृ अमावस्या

आज सर्वपितृ अमावस्या है। अपने पूर्वजों की अर्चना-आराधना करने का विशेष दिन...

क्या होता है सर्वपितृ अमावस्या, और क्यों होता है यह विशेष?

पितृपक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या कहलाता है। सर्वपितृ इसलिए क्योंकि इस दिन हम अपने सभी पितरों का श्राद्ध-तर्पण आदि क्रिया विधि कर सकते हैं, हमें जिनकी तिथि पता हो या न हो।

सर्वपितृ अमावस्या


• Date (Vikram Samvat) :

हिन्दी calendar के अनुसार हर महीना 15-15 दिनों के 2 पक्षों (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) में बंटा होता है।पितृपक्ष भी 16 दिनों में विभाजित होता है।

अगर आप के पूर्वजों की तिथि, इन 15 दिनों में से किसी एक दिन होती है और आपको ज्ञात है तो श्राद्ध तर्पण आदि क्रिया विधि उस दिन विशेष में होती है।

पर अगर तिथि नहीं ज्ञात है, तो क्या पूर्वजों की पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं?

कर सकते हैं, और उसी स्थिति के प्रावधान (व्यवस्था) के लिए सर्वपितृ अमावस्या रखी गई है, जिसमें आप अपने सभी पूर्वजों की पूजा-अर्चना कर सकें।

सभी तिथियों से सर्वपितृ अमावस्या को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह एक ऐसी तिथि है, जिस दिन आप अपने सभी पूर्वजों की पूजा, अर्चना, श्राद्ध तर्पण आदि क्रिया विधि कर सकते हैं। फिर चाहे वो पूर्वज पुरुष हों या स्त्री... वैसी स्त्री पूर्वजों के लिए मातृ नवमी तिथि का भी प्रावधान है। 

यूँ ही नहीं हिन्दू धर्म को सत्य-सनातन और सर्वश्रेष्ठ कहते हैं, अपितु यह है क्योंकि सिर्फ और सिर्फ हिन्दू धर्म ही है, जहाँ सब को पूजा जाता है, सम्मान दिया जाता है।


• Why these ‘16’ days?

अब एक सवाल और आता होगा आपके मन में, कि यह 16 दिन श्राद्ध पक्ष के लिए क्यों चुने जाते हैं।

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष वह अवधि है जब पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं। और सर्व पितृ अमावस्या पर पितृ पृथ्वी छोड़कर अपने लोक लौट जाते हैं। अतः यह दिन, हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।


• More about Garud Puran :

अब यह गरुड़ पुराण क्या है और किसने लिखी है?

गरुड़ पुराण वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित एक महापुराण है। इसकी रचना गुरु वेदव्यास जी ने की है।

यह सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। अतः सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण (सुनने) का प्रावधान है।

इस पुराण के अध्भयक्ष भगवान विष्णु हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त (तत्पर) करने के लिये अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। 

इसके अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णन के साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किये जाने वाले कार्यों का विस्तार से व्यवस्थित वर्णन किया गया है। आत्मज्ञान का interpretation भी इसका मुख्य विषय है।


• Summary :

तो आप को ज्ञात हो गया होगा कि सर्वपितृ अमावस्या क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है तो अपने सभी पूर्वजों की पूजा अर्चना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। आपकी कर्मकांड करने की इच्छा न हो तो 10-15 minutes के लिए उनका मनन ध्यान तो कर सकते हैं, उनके नाम से प्रसाद तो चढ़ा सकते हैं, जैसे ईश्वर को चढ़ाते हैं।

जैसे ईश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं, वैसे ही अपने पितरों की भी अवश्य कीजिए। ईश्वर के लिए हम सभी समान हैं, इसलिए उनकी कृपा भी सब पर एक समान होगी। किन्तु पितर आपके अपने पूर्वज हैं, इसलिए आप पर उनकी विशेष कृपा रहेगी।

सभी पूर्वजों को ह्रदय से आभार, दंडवत प्रणाम... आप सभी का आशीर्वाद सदैव बना रहे 🙏🏻 

Saturday, 20 September 2025

Recipe : Arbi ka Jhol

पितृपक्ष चल रहा है, कल सर्वपितृ अमावस्या है और उसके बाद नवरात्र आरंभ हो जाएंगे।

दोनों ही अवसरों में भोग-प्रसाद के भोजन में बिना प्याज़-लहसुन का खाना बनाया जाता है।

ऐसे में अधिकतर लोग आलू टमाटर या आलू मसाला की सब्जी ही बनाते हैं। पर हमेशा एक ही तरह की सब्जी खाते-खाते बोरियत महसूस होती है।

तो जिस चीज़ से हम लोगों को बोरियत महसूस होती है, वैसा भोग भी क्यों बनाएं, बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए आगरा की famous अरबी के झोल की recipe share कर रहे हैं। अब आगरा से हैं तो उसकी delicacy share करना तो बनता है।

शुद्ध देसी घी में बना अरबी का झोल, बाह्मण, बनिया आदि की शादी और party की शान होती है। उसके बिना party अधूरी है। अरबी को घुंइया, taro, taro root, colocasia और eddoe भी कहते हैं।

यह जितनी स्वादिष्ठ सब्जी है, उतनी ही healthy भी। साथ-ही-साथ easily and instantly बन भी जाती है।

Arbi ka Jhol


(I) Ingredients :

  • Colocasia - 250 gm.
  • Clarified butter (ghee) - 150 gm.
  • Curd - 100 gm./as per taste
  • Turmeric powder - ½ tsp. 
  • Ginger powder - 1 tsp.
  • Salt - as per taste 
  • Carom seeds - ½ tsp.
  • Asafoetida - ½ tsp.
  • Kasoori Methi - ½ tsp.
  • Coriander powder - 1 tsp.
  • Kashmiri Lal Mirch - ½ tsp.
  • Coriander leaves - handful 


(II) Method :

  1. अरबी को छीलकर उसके पतले और लम्बे-लम्बे टुकड़े काट लें।
  2. एक pressure cooker में घी डालकर गर्म करें।
  3. इसमें अरबी के टुकड़े डालकर हल्का सुनहरा तलकर निकाल लें।
  4. बचे हुए घी में हींग और अजवायन डालकर चटका लें।
  5. अब इसमें कसूरी मेथी, कश्मीर लाल मिर्च, धनिया powder डालकर हल्का-सा चला लें। 
  6. फिर इस मसाले में सुनहरे तले हुए अरबी के टुकड़े व नमक डालकर अच्छे से भून लें।
  7. अब इसमें 2 glass पानी डालकर ढक्कन बन्द कर दीजिए।
  8. 2 whistle high flame पर और 2 whistle slow flame पर लगा दीजिए।
  9. दही को फेंट लीजिए।
  10. Pressure down हो जाने पर फेंटा हुआ दही सब्जी में मिलाकर अच्छे से चला लें।
  11. फिर high flame पर एक उबाल आने दें।
  12. उसके बाद slow flame पर 5 minutes तक पका लीजिए।
  13. अब इसे बारीक-कटी हरी धनिया से garnish कीजिए।

Appetizing Arbi Jhol is ready to have. Relish it with poori, paratha, roti or rice. 

वैसे अरबी का झोल बिना किसी के साथ अगर आप खाली भी खाएंगे, तो भी बहुत अच्छा लगता है। बिल्कुल किसी soup की तरह।


(III) Tips and Tricks :

  • अरबी को छीलकर पतले और लम्बे-लम्बे टुकड़े में ही काटिए, तभी अच्छा taste आएगा। 
  • इसका key ingredient घी है, तो उसको डालने में कंजूसी न करें।
  • Authentic flavour में अरबी को तलकर सुनहरा लाल कर लेते हैं, और इसे बड़े से भगौने में बनाते हैं। हमने pressure cooker लिया है, इसलिए हल्का सुनहरा तला था।
  • दही थोड़ा खट्टा होने से स्वाद में चार चांद लग जाते हैं।ऐसा इसलिए क्योंकि इसे खाली भी पिया जाता है, अतः बहुत तीखा नहीं रखते हैं। पर अगर आप को तीखा पसंद है, तो आप लाल मिर्च powder या हरी मिर्च को काटकर डाल सकते हैं। 
  • अरबी, की cutting कैसी होनी है, यह दिखाने के लिए ही plate वाली pic डाली है 
  • इसमें घी, हींग, अजवायन, अदरक powder और दही होता है, फिर इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है। तो कुल मिलाकर यह एक healthy option बनाता है।
  • अगर heavy खाना खा-खाकर acidity लग रही है, तो इसको खाने से आपको पेट में आराम मिलेगा। शायद इसीलिए ही उन heavy party dishes में अरबी का झोल अपनी अलग शान रखता है। 
  • अगर आप इसे fast के लिए बना रही हैं तो नमक की जगह सेंधा नमक use कीजिएगा।

तो आप भी, अपने भोग-प्रसाद भोजन में इसे बनाएँ और ईश्वर के साथ अपने परिवार को भी खुश कीजिए।

अगर आप बिना प्याज़ लहसुन की और सब्जियों की recipe देखना चाहते हैं तो click कीजिए... 

Aloo sabji without onion and tomato 

Samak rice & Sabudana Poori with Paneer Navratn

Aloo Tinda


For Fast Recipes 

Recipes - Fast 


Wednesday, 17 September 2025

Poem : मोदी जी की Diamond Jubilee

हमारे राष्ट्र, भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी को 75वें जन्मदिवस की अनेकानेक शुभकामनाएँ।

मोदी जी की Diamond Jubilee


भारत में एक तपस्वी आए,

जो भारत को चरम पर लाए। 

भारत सर्वोच्च पर रहे, 

यह ही बस उनके मन भाए।। 


योग, साधना, ध्यान और ज्ञान,

भारतीयता जिनकी पहचान।

भारत को हर एक क्षेत्र में, 

दिला रहा हैं जो सम्मान।।


हो चाहे ज्ञान विज्ञान, 

या हो खेल का मैदान।

जीता हो, या कोई गया हार,

सबको वो देते हैं मान ।।


हम सब सन्तानें उनकी,

वो लगते हैं पिता समान। 

भारत विश्व पर छा जाएगा, 

हो रहा है इसका भान।।


आज है वो दिन विशेष,

बधाईयां उनको मिलें अशेष। 

उनका नेतृत्व मिलता रहे,

बने रहें दिन वो शेष।।

Tuesday, 16 September 2025

Recipe : Kadhi Pakori

श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और यह 15 दिन हम अपने पूर्वजों को समर्पित करते हैं। इन दिनों श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मण भोज की पुरानी परंपरा चली आ रही है। 

ब्राम्हण भोज में मुख्यतः पक्का खाना खिलाया जाता है, अतः पूड़ी-कचौड़ी और विभिन्न पाक-पकवान आदि serve किए जाते हैं। पर अब पहले-सी लोगों की diet नहीं रही। रोज़-रोज़ पूड़ी-कचौड़ी लोगों को नहीं भाता है। ऐसे में क्या किया जाए?

इसी का solution है कढ़ी पकौड़ी, आज की recipe।

Recipe बताने से पहले आपको बता दें कि कढ़ी पकौड़ी को पक्के खाने में ही शामिल मानते हैं और इसे शुभ कार्यों में और दुःख से संबंधित कार्यों में भी शामिल मानते हैं। 

कढ़ी पकौड़ी बनाने से तले हुए खाने से बच जाते हैं, साथ ही कढ़ी पकौड़ी का स्वाद तो बेमिसाल होता ही है, चाहे रोटी से खाएँ या चावल के साथ...

कढ़ी के तो बहुत से variant भी होते हैं, पर हम आपको authentic flavour की बता रहे हैं।

Kadhi Pakori


(I) Ingredients :

For Kadhi Pakori -

  • Gram flour  - 150 gm.
  • Curd - 100 gm./as per taste 
  • Turmeric powder - ½ tsp.
  • Salt - as per taste 
  • Cumin seeds - ½ tsp 
  • Fenugreek - 8 to 10 seeds
  • Asafoetida - ½ tsp.
  • Kasoori Methi - 1 tsp.
  • Coriander powder - 1 tsp.
  • Kashmiri Lal Mirch - ½ tsp.
  • Coriander leaves - handful
  • Green chilli - as per taste 
  • Baking powder - ½ tsp.
  • Oil - for frying purpose 


For garnishing -

  • Ghee - 100 gm.
  • Onion - 1 (big)
  • Garlic - 4 to 6 cloves
  • Salt - ¼ tsp./as per taste 


(II) Method :

For Kadhi Pakori -

  1. एक wok (कड़ाही) में तेल डालकर तेज़ गर्म कर लें।
  2. बेसन में नमक और पानी डालें और ribbon-like pouring consistency आने तक फेंटे।
  3. अब उसमें baking powder डाल दें और थोड़ा पानी baking powder के ऊपर डाल दें। फिर एक बार फेंट लें। 
  4. Medium-slow flame पर गर्म तेल में उंगली की सहायता से पकौड़ी के shape में बेसन का घोल डाल दें।
  5. थोड़ा तेल पकौड़ी के ऊपर भी डालते रहें।
  6. जब पकौड़ी एक तरफ से हल्की सुनहरी हो जाए, तो पलट दें और दोनों तरफ़ से हल्की सुनहरी होने तक तल लें।
  7. बचे हुए बेसन के घोल में दही मिला कर एक बार फेंट लें।
  8. अब इसमें दो गिलास पानी और हल्दी powder डालकर मिला दें। 
  9. Wok से तेल कम करके फिर उसे slow flame पर चढ़ाएँ।
  10. अब इसमें हींग, जीरा, मेथी दाना डालकर हल्का सा चटका लीजिए। उसके बाद इसमें कसूरी मेथी और कश्मीरी लाल मिर्च powder डालकर हल्का-सा चला लें।
  11. बराबर चलाते हुए बेसन-दही का घोल डाल दें और high flame कर के कढ़ी में उबाल आने दें। एक उबाल आने पर slow flame कर दीजिए।
  12. नमक और हरी मिर्च डाल दें। एक और उबाल high flame पर लाएं।
  13. अब हर पकौड़ी को हल्के हाथों से दबाकर उबलते हुए घोल में डाल दीजिए।
  14. Slow flame पर कढ़ी के proper consistency आने तक पका लें (लगभग 15 minutes)।
  15. अंत में धनिया powder और बारीक कटी हरी धनिया डाल दें।


For garnishing -

  1. एक अलग wok में घी गर्म कीजिए।
  2. अब उसमें नमक finely chopped प्याज़ और लहसुन को डालकर सुनहरा होने तक भून लें।
  3. कढ़ी serve करते समय हर कटोरी में कढ़ी के ऊपर roasted onion-garlic-घी से garnish करें। 


Now, scrumptious Kadhi Pakori is ready to relish. Savour it with roti or rice. However, the combination of Kadhi & rice is unbreakable, and the most tempting for us.


चलिए कुछ tips and tricks भी देख लीजिए।

(III) Tips and Tricks :

For Kadhi Pakori -

  • बेसन में धीरे-धीरे पानी डालकर फेंटे, क्योंकि बेसन बहुत जल्दी गीला हो जाता है।
  • बेसन फेंटते समय हाथों का movement circular न करके oval रखें और वो भी नीचे से ऊपर की ओर। इस movement से कोई भी फेंटने वाली चीज जल्दी और बहुत अच्छी फिटती है।
  • जब बेसन फिट जाए तब उसमें baking powder डालें। Baking powder में पानी डालने से वो activate हो जाता है और बेहतर result देता है।
  • Baking powder डालकर फेंटने से पकौड़ी ज्यादा soft बनती है और उसमें बहुत अच्छी जाली बनती है।इसके कारण जब पकौड़ी बेसन-दही के घोल में डालते हैं तो वो बहुत अच्छे से घोल को absorb करती है और कढ़ी पकौड़ी का स्वाद बहुत अच्छा आता है।
  • Baking powder ही डालें, उसकी जगह baking soda (sodium bicarbonate) या Eno न डालें, क्योंकि baking powder डालने से उसका कोई specific taste नहीं आता है। पकौड़ी भी बहुत ज्यादा तेल या घी नहीं खींचती हैं। 
  • बेसन के घोल में दही का amount सही होना चाहिए, न कम न ज्यादा, उससे ही कढ़ी का स्वाद बहुत अच्छा आता है।
  • जब घोल कड़ाही में डालें तो लगातार चलाते हुए डालें, नहीं तो घोल smooth न बनकर lumpy बन जाएगा।
  • घोल बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए, वरना पकौड़ी उसे absorb नहीं कर पाती है और hard रह जाती है। 
  • कढ़ी में नमक एक उबाल आने के बाद ही डालें, नहीं तो दही फट जाएगा और बेसन और दही seperate हो जाएगा। इससे creamy कढ़ी नहीं बनेगी। 
  • पकौड़ी दबाकर डालने से पकौड़ी घोल अच्छे से absorb करती है, उससे वो juicy बनती है। 
  • ठंडी होने से कढ़ी की consistency और thick हो जाती है, इसका ध्यान रखिएगा। 
  • अगर serve करते समय कढ़ी ज्यादा thick हो गई है, तो थोड़ा गुनगुना पानी डाल दें।


For garnishing -

  • कढ़ी को spicy बनाना है तो हरी मिर्च काटकर डालें और अगर spicy न बनाना हो तो हरी मिर्च साबुत डालें और बाद में उसे निकाल दें। इससे हरी मिर्च flavour वाली हो जाएगी और बाद में जिसको spicy चाहिए, उसकी कटोरी में काटकर डाल दें।
  • घी में onion और garlic roast करते समय नमक डाल दें। ऐसा करने से roasting भी जल्दी आती है और taste भी enhance हो जाता है।
  • कढ़ी में roasted onion and garlic का घी डालने से taste चौगुना हो जाता है। वैसे अगर आप onion और garlic नहीं खाते हैं तो आप घी में जीरा और सूखी लाल मिर्च का तड़का भी बना सकते हैं। इस तरह से हर कटोरी में flavoured-घी डालने से taste बहुत बढ़ जाता है।


अगर आप को कढ़ी बनानी आती है, तब भी एक बार ऐसे भी बना कर देखें। Taste next level हो आएगा। तो अब देर किस बात की, आज ही बनाएँ और ईश्वर को भी स्वादिष्ट भोग चढ़ाएं।

श्राद्ध पक्ष में हमारे पूर्वज हमसे प्रसन्न हों और हम सब पर अपना स्नेह और कृपादृष्टि बनाए रखें 🙏🏻😊

Sunday, 14 September 2025

Article : त्रासदी हिन्दी भाषा की

आज हिन्दी दिवस है और पूरे सप्ताह हिन्दी भाषा पर बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

पर सिर्फ एक हफ्ते तक, उसके बाद, फिर वही, सब जगह English का बोलबाला और हिंदी का तिरस्कार।

क्या त्रासदी है हिन्दी भाषा की, न कोई पढ़ना चाहता है, न कोई पढ़ाना चाहता है। और अब तो आलम यह है कि कोई पढ़ना चाहे भी तो सटीक और सार्थक हिंदी पढ़ाने वाले कोई दो-चार बड़ी मुश्किल से मिलेंगे।

पर इसका कारण क्या है?

अंग्रेजों का आधिपत्य, और उनके द्वारा शिक्षा पद्धति को बदल देना...

उन्होंने बहुत चालाकी से पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा से अधिक महत्व अंग्रेजी भाषा को दे दिया। किसी को भी अपनी योग्यता सिद्ध करनी होती, तो उसके लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य कर दिया।

देश को आजादी तो बहुत पहले मिल गई थी, पर हम गुलाम अभी तक हैं, पहले अंग्रेजों के, अब अंग्रेजी भाषा के।

यह कैसे हुआ, कभी सोचा है आपने?

त्रासदी हिन्दी भाषा की


उसकी वजह है, अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही।

और उन्होंने कभी चाहा ही नहीं कि हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम में मुख्य भाषा के रूप में पुनः स्थापित किया जाए।

नतीजन आज भी अंग्रेजी भाषा को मुख्य और हिंदी भाषा को गौण भाषा का स्थान प्राप्त है। 

अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की अनिवार्यता इतनी अधिक कर दी है कि कोई चाहकर भी उससे अछूता नहीं रह सकता है।

आजकल और एक त्रासदी देखी जा रही है हिंदी भाषा में, कि हिंदी भाषा को पढ़ाने और समझाने के लिए अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्ण हिंदी, अब शिक्षकों को ही नहीं आती है, तो वह बच्चों को क्या ही बताएंगे।

जैसे हिंदी भाषा की पुस्तिका में संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, आदि noun, pronoun और verb के माध्यम से पढ़ाएंगे। 

जबकि अंग्रेजी भाषा की पुस्तिका में समझाने के लिए दिए गए शब्दार्थ भी अंग्रेजी भाषा में ही सरल करके समझाएंगे।

आखिर क्यों हिंदी भाषा को अपना वास्तविक स्थान नहीं मिल रहा है? आखिर कब तक हिंदी भाषा राष्ट्रभाषा या मुख्य भाषा के स्तर को प्राप्त करेगी? 

हम नहीं कहते हैं कि अंग्रेजी भाषा न पढ़ाएं, बल्कि अन्य विदेशी भाषाएं भी पढ़ाएं, पर सभी केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा हों, न कि कोई मुख्य भाषा।

बच्चों को अन्य विदेशी भाषाएं भी पढ़ाएं पर उनके दिल में उसे उतारने या अपनी भाषा को परिवर्तित करने पर जोर न दें।

दिल की भाषा हिन्दी भाषा को ही रहने दें। बहुत मीठी, बहुत सरल, बहुत अपनत्व को लिए, बहुत-सी उपभाषा को अपने में समाहित की हुई दिलों को छू लेने वाली, सबको अपना-अपना स्थान देने वाली भाषा है। एक बार पूरे दिल से अपनाएं, जीवन का सुकून निहित है इसमें।

साथ ही हिंदी भाषा को मान केवल इस एक हफ्ते या दस दिन के लिए न दें, अपितु सम्पूर्ण जिंदगी में दें।

चलिए, हिन्दी की त्रासदी का अंत करें और उसे उस स्तर तक ऊपर उठाएं, जब तक 1 दबाने पर हिन्दी विकल्प देना प्रारंभ न हो जाए।


हिन्दी है दिलों की भाषा,

हिन्दी प्रेम की है आशा,

हिन्दी की विशेषता को,

हृदय में बसाइये…

पूरे छंद का आनंद लेने के लिए दिए गए link पर click करें -

https://shadesoflife18.blogspot.com/2020/09/poem_14.html?m=1

आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻 💐 

जय हिन्द, जय हिन्दी 🇮🇳

Thursday, 11 September 2025

Article : Home Remedies for Fatty Liver

कल आपके साथ Fatty Liver के article में liver के function and fatty liver के विषय में बताया था।

चलिए आज fatty liver होने पर कौन-कौन सी home remedies है, क्या routine follow करना है, वो देख लेते हैं।

Home Remedies for Fatty Liver


(I) Causes of Fatty Liver :

नीचे दी गईं चीजें fatty liver के main causes हैं -

  • Excessive usage of liquor
  • Excessive fat consumption
  • Obesity
  • High sugar intake
  • Lazy lifestyle


1. Excessive usage of Liquor -

शराब तो आप सभी को पता है कि वह पूरी ही body को नष्ट करती जाती है। इसलिए शराब, cigarette तो जितनी जल्दी हो सके, सभी को छोड़ देनी चाहिए, चाहे fatty liver की problem हो या नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि आज नहीं तो कल शराब-सिगरेट पीने से कोई-न-कोई organ खराब होना निश्चित है।


2. Excessive fat intake -

बहुत अधिक तला-भुना और हमेशा बाहर का खाना खाते रहने से भी बहुत-सी problems हो जाती हैं, जिनमें fatty liver की problem होना but-obvious है।


3. Obesity or highly overweight -

बहुत अधिक मोटापा, specially belly fat, बहुत-सी बीमारियों को invitation देना होता है, specially fatty liver को।


4. High sugar intake -

अधिक sugar intake diabetes को invite करता ही है, लेकिन उसके साथ-साथ cholesterol & fatty liver की problem होने की भी बहुत संभावना रहती है। कारण जब आप बहुत अधिक चीनी या carbohydrates खाते हैं, तो शरीर उस अतिरिक्त ऊर्जा को fat के रूप में संग्रहित करता है, जो शरीर के fat tissue में जमा हो जाता है।


5. Lazy lifestyle -

आलस से बड़ा दुश्मन तो वैसे भी कोई नहीं, आलस तन-मन दोनों को ही बर्बाद कर देता है। इसलिए अगर आप को healthy रहना है तो आलस्य तो छोड़ना ही पड़ेगा।


(II) Remedies for Fatty Liver :

1. Changes in lifestyle -

अब आप को बता दें कि जब तक steatosis (normal/mild fatty liver) है, मतलब fatty liver की first stage, तभी home remedies से cure हो सकता है। अगर problem stage-2 या उस के ऊपर पहुंच गयी है, तब doctor के consultation में ही जाना होगा।

जिन कारणों से fatty liver होता है, उनका ध्यान सबसे पहले रखना है। 

जैसे liquor, sugar and fat को avoid करें।

घर का बना खाना prefer कीजिए, बाहर का खाना avoid करें (mainly oily, spicy, junk and fast foods को)।

दिन में atleast दो बार ½ hours की exercise करें। Starting में 5 minutes से start करें और समय बीतने के साथ exercise का time duration 30 minutes तक ले जाएं।

Fibrous fruits और vegetables लीजिए जैसे सेब, banana, Citrus fruits like, (orange, lemon, musambi etc.) sugarcane, avocado, broccoli, carrot, cabbage, bitter gourd, green leafy vegetables (जैसे पालक) etc.

Excess sugar नहीं लेनी है, लेकिन sugarcane healthy option ही है, क्योंकि सभी fruits की मिठास (fructose - C₆H₁₂O₆) healthy option ही होता है।

Wholegrains जैसे gram, millet, wheat, ragi, oats, corn, sprouts, सलाद आदि को अपनी diet plan में शामिल कीजिए। 

In short, ऐसी चीजें खानी है, जिसे खाने में (चबाने में) time लगे।


2. Consumption of vitamins -

Vitamin E liver को healthy रखने का सबसे अच्छा source है। बादाम और अखरोट में vitamin E बहुतायत में होता है। तो 8-10 almonds और 2-4 walnuts को अपने diet plan में शामिल करें। Walnuts diabetic और cholesterol के patients के लिए भी कारगर सिद्ध होता है। Sunflower seeds और मेथी दाना भी इसके लिए बहुत उपयोगी हैं।


3. Beverages -

Green tea, lemon tea और black coffee भी fatty liver की problem को solve करने में असरदार है।


Stay healthy, stay happy…


Disclaimer -

Readers must take the home remedies mentioned above only on their stake. Though they shall not make any harm, it is advised to consult a doctor before starting any kind of medication, exercise or home-remedy.

Wednesday, 10 September 2025

Article : Fatty Liver

कुछ बिमारियाँ आजकल की lifestyle के कारण बहुत तेजी से बढ़ रही हैं, जिनमें से एक कोई ऐसी है जो आजकल हर दूसरे की medical report में देखने को मिल रही है। सही पहचाना, fatty liver.

आज समझने की कोशिश करेंगे कि liver का क्या function है, वो कितना important organ है,  fatty liver क्या है, fatty liver की कब alarming situation आ जाती है और भी कई सारे questions.

Fatty Liver


सबसे पहले समझ लेते हैं कि हमारी body में liver की functioning क्या है?


(I) Functions of Liver :

Liver 100 से अधिक vital functions करता है जिसमें शामिल हैं -

  • Harmful substances को detoxify करना।
  • Glucose को store और release करके blood sugar को regulate करना। 
  • Fat के digestion में सहायता के लिए bile का production करना, 
  • Albumin जैसे essential proteins और clotting को synthesize करना।
  • Fats, carbohydrates और proteins की metabolic process करना। 
  • Vitamins and minerals (जैसे iron) को store करना।
  • Blood में से waste products को clear करना।
  • Bacteria and viruses को combat करके immune response में major role play करना।

Liver के functions देखकर आपको समझ आ गया होगा कि liver का human body में major role है। आपको एक बात और बता दें कि human body में liver सबसे बड़ा internal organ है। 


(II) Fatty Liver :

Fatty liver मतलब, liver पर extra fat deposit हो गया है। 


(III) Stages of Fatty Liver :

Fatty Liver की 4 stages होती हैं। 

  1. Steatosis
  2. Steatohepatitis
  3. Fibrosis
  4. Cirrhosis


1. Steatosis (normal/mild fatty liver) -

यह fatty liver की stage-1 है, जिसमें liver में fat deposit हो जाता है, लेकिन swelling नहीं होती है।

Mostly लोग इस stage में ही होते हैं, और आमतौर पर इससे कोई गंभीर समस्या नहीं होती है। सिवाय थकान और कभी-कभी पेट दर्द...


2. Steatohepatitis (non-alcoholic) -

यह एक ऐसी stage है जिसमें liver में fat deposit होने के साथ-साथ swelling भी आ जाती है।

इस stage में liver cells damage होने लगते हैं।

मतलब इस stage से problem alarming हो चुकी है, doctor के consultation में treatment लें।


3. Fibrosis -

Continuous swelling and damages के कारण liver में wound बनने लगते हैं।

Liver स्वयं अपने tissue को repair करने का प्रयास करता है, जिससे scar tissue बन जाते हैं और उसके सामान्य कार्यों में बाधा आने लगती है।

हालांकि इस stage में liver को काफ़ी नुकसान पहुंचता है, लेकिन वह अभी भी ठीक से काम कर रहा होता है, बशर्ते आगे के damage को रोका जा सके।


4. Cirrhosis -

यह fatty liver का सबसे advanced या last stage है, जिसमें liver में extensive and irreversible scar हो जाते हैं।

Cirrhosis होने पर liver अपना काम ठीक से नहीं कर पाता और liver failure या cancer का खतरा बढ़ जाता है।


Fatty liver का रोग धीरे-धीरे develop होता है, और lifestyle में change करके शुरुआती stage में इसे रोका या ठीक किया जा सकता है। यदि इसको समय पर manage न किया जाए, तो यह dengerous भी हो सकता है।

हम अगले article में आपको बताएंगे कि ऐसी कौन-सी home remedies की जाएँ कि fatty liver की problem होने से stage-1 पर ही cure हो जाए।

So stay tuned…


Disclaimer :

The information or details mentioned in this article have been taken from reliable sources.

Monday, 8 September 2025

Article : World Physiotherapy Day

World Physiotherapy Day 




आज World Physiotherapy Day है, जिसे PT Day भी कहते हैं। 

Physiotherapy, जो कि अभी तक paramedical profession समझा जाता था, इसे अब independent profession के रूप में समझा जाने लगा है।

इसका कारण है physiotherapy की बढ़ती popularity and requirements।

Physiotherapy field में भी different fields में specialization होते हैं।

जैसे orthopedics/musculoskeletal, neurology, cardiopulmonary, sports, pediatrics, और geriatrics.

आज कल की lifestyle ऐसी होती जा रही है कि इतनी सारी fields में से लोगों को किसी न किसी तरह की problem होने ही लगी है, जिसके कारण आजकल लोग बहुतायत से physiotherapy कराने लगे हैं। 

पर धन्य होते हैं physiotherapist कि आठ-आठ घंटे हंसते-मुस्कुराते हुए लोगों के दर्द को दूर करा के उन्हें मुस्कान प्रदान करते हैं।

जबकि लोगों की physiotherapy करने में इनके खुद के बैंड-बाजे बज जाते हैं।

वैसे रिश्ता दोनों तरफ़ से अच्छा होना चाहिए, patient and physiotherapist दोनों का। 

वैसे physiotherapy कराने आए बहुत से लोगों को लगता है कि physiotherapy करने से उनका दर्द पलभर में छू-मंतर हो जाएगा।

हालांकि physiotherapist केवल excercise ही नहीं कराते हैं, बल्कि बहुत से electrical equipments and different tools भी use करते हैं, पर यहां कोई जादू नहीं होता है। Pain relieving process में time तो लगता ही है।

इसलिए problem होने पर physiotherapy कराने तो जाएं, पर साथ-साथ में खुद भी प्रयास करें, excercise करें, positive सोच रखें और पूरा ठीक हो जाएंगे, यह मान कर चलिए।

स्वस्थ रहें, सुखी रहें…

Saturday, 6 September 2025

Article : गणपति विसर्जन

आज अनंत चतुर्दशी है। एक विशेष चतुर्दशी...

यूँ तो हर महीने में दो चतुर्दशी आती हैं, फिर भी जो महत्व पूर्णमासी और अमावस्या का होता है, वो चतुर्दशी का नहीं।

लेकिन अनंत चतुर्दशी का अपना विशेष महत्व है, कारण यही दिन गणपति बप्पा जी के विसर्जन का दिन है।

किसी का भी विसर्जन मन को आहत करता है, और शुभ भी नहीं प्रतीत होता है। किन्तु देवी, देवताओं का विसर्जन शुभ ही मानते हैं क्योंकि वो सर्वशक्तिमान है और उनका विसर्जन होने के बाद वो अगले वर्ष फिर से आते हैं।

अतः उनका विसर्जन पूरे हर्षोल्लास के साथ किया जाता है, इस कामना के साथ कि हे देव और हे देवी, अगले वर्ष भी जल्दी आइएगा और अपने भक्तों पर कृपा बरसाइएगा।

पर आज का यह article एक सोच को और एक परंपरा को बदलने के लिए लिख रहे हैं।

एक सुख के लिए लिख रहे हैं, जो धीरे-धीरे हमारी जिंदगी से विलुप्त होता जा रहा है।

और हमारे सुख के विलुप्त होने का बहुत बड़ा कारण है हमारा mobile के साथ obsession…

गणपति विसर्जन


जी हाँ, जबसे हमारी जिंदगी में mobile आया है, हम बहुत से सुखों से वंचित होते जा रहे हैं। 

और इसका साक्षात् उदाहरण आज देखने को मिला।

Actually आज hospital गए थे तो वहाँ भी गणेश चतुर्थी में गणेश जी की स्थापना की गई थी और आज अनंत चतुर्दशी है, अतः आज गणेश जी का विसर्जन होना था।

गणेश जी की अति विशाल और बेहद खूबसूरत प्रतिमा को स्थापित किया गया था और आज जब विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था, तो hospital वालों ने तय किया कि hospital के पूरे परिसर में से ले जाते हुए विसर्जन के लिए ले जाया जाए।

जिससे जिस किसी भी भक्त को उनके दर्शन करने हैं या कोई कामना करनी हो, वह कर सके, अतः वो प्रतिमा को हर परिसर में ले कर गए।

पर आपको पता है, हुआ क्या?

वही जो हमेशा होता है...

लोगों ने जैसे ही गणपति बप्पा जी को देखा तो बहुत से लोगों ने दर्शन करने और कामना मांगने के बजाय अपने-अपने mobile उठाए और लगे photo खींचने और video बनाने…

इसका मतलब समझ रहें हैं, जहाँ पहले गणपति बप्पा जी की प्रतिमा को निहार कर मन-मंदिर में बसाकर ईश्वर भक्ति की जाती है, आज वहीं क्षणिक सुख की photo और video बनाना प्रमुख हो गया है।

मत दीजिए, photo और video को इतना महत्व कि जो परम सुख है, उसी से वंचित हो जाएं।

जब भी किसी मंदिर में जाएँ या विशेष स्थान पर हों तो सारा समय photo और video बनाने और उसे social media पर post करने में ही waste मत करें। 

सच्चा सुख उस पल को जीने में है, न कि उन पलों को बस camera में कैद करने में।


गणपति बप्पा जी को नमन करते हैं इसी कामना से कि :

गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या (अगले बरस तू जल्दी आ)।


हे गणपति महाराज, हम सब पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखिएगा 🙏🏻

Friday, 5 September 2025

Poem : Teacher - A Gift of God

On this occasion of Teacher's Day, a little girl, Kashika Srivastava has expressed her feelings towards her teachers through this poem. Let's see what are the emotions of the young generation towards its teachers…

Teacher - A Gift of God


This poem is dedicated, to the teacher god gifted.

The Teacher is a creature, who designs our future.


They want us to be focused and disciplined,

So that each topic of life can be explained.


Two people are always happy on our success,

Our parents and the teacher already addressed.


The teachers' efforts are responsible,

To design our future best suitable.


Teachers are constant in pursuit,

For shaping our future best suit.


On this teacher's day I owe,

The way of teaching they do.


Happy Teacher's Day 🎉🎉

Tuesday, 2 September 2025

Article : वाह रे भारत!

आज कल जो news सबसे ज्यादा चल रही है, क्या वो आपको कुछ सोचने को मजबूर नहीं कर रही है?

कौन-सी news?

भारत पर USA द्वारा लगाए गए trade tariffs की news... 

वाह रे भारत!



आप सोचिए, कभी वो दौर था कि भारत पाकिस्तान और आतंकवाद के डर के साए में रहता था।

आए दिन पाकिस्तानी हमलों का डर बना ही रहता था। भारत में blackout कर दिया जाता था।

साथ ही आतंकवादी हमलों के कारण कभी यहां bomb blast, कभी वहां bomb blast...

बुरा मत मानिएगा, पर यही सच्चाई है कि जब से BJP सरकार ने भारत पर अपने सशक्त कदम रखें हैं, तब से भारत के सुर कुछ बदले-बदले से हैं।

मतलब?

अब भारत में न तो आतंकवादी हमले उतने हो रहे हैं, न ही पाकिस्तानी हमले...

क्या कह रहे हैं हम? 

उरी, पुलवामा, पहलगाम... यह सब attacks हम भूल गए हैं क्या?

नहीं जी, बिल्कुल नहीं भूले...

पहले तो आप इस बात पर ध्यान दें कि पिछले ग्यारह सालों में number of attacks कितने कम हो गये हैं, जबकि उससे पहले, हर साल दो से तीन attack हो ही जाते थे।

और साथ ही आप यह भी देखिए, कि किस तरह से पाकिस्तान के सभी नापाक इरादों को हर बार मुंहतोड़ जवाब दिया है।

हर जवाबी कार्रवाई एक से बढ़कर एक...

Operation Sindoor तो आप सबको खूब अच्छे से ही याद होगा।

इस operation के द्वारा आतंकवादी, पाकिस्तान, चीन सहित संपूर्ण विश्व ने भारत का सशक्त सैन्य बल व अचूक attack देख लिया।

जिसके बाद संपूर्ण विश्व यह समझ चुका है कि अब भारत सशक्त है, अखंड है।

इसके साथ ही पहले कभी जो भारत, आतंकवाद, पाकिस्तान और चीन से डर कर रहता है, आज वही भारत पाकिस्तान को धूल चटाकर, आतंकवाद को पछाड़ कर, चीन को झुकाकर, “so called” सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले देश अमेरिका से सीधी टक्कर ले रहा है।

अमेरिका ने अपने कुछ फैसले भारत पर थोपने चाहे, जिन्हें भारत ने एक सिरे से इंकार कर दिया। जवाब में अमेरिका ने भारत पर tariff का दबाव डाला, लेकिन भारत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा, बल्कि उसने अपने आप को और सशक्त बनाने के लिए अन्य देशों के साथ business deal शुरू कर दी।

और बात यहां पर ही खत्म नहीं हुई, भारत ने हर international deal में USD (United States Dollar - $) का होना compulsory है, इस को भी खत्म करना शुरू कर दिया है।

आपकी जानकारी के लिए यह बता दें कि इस तरह का नियम था, कि दो देश किसी भी तरह की international business deal करेंगे तो उनका सारा लेन-देन USD में होगा, deal कर रहे उन देशों की currency में नहीं। इसके कारण ही USD और अमेरिका का दबदबा पूरे विश्व में छाया हुआ है।

पर मोदी जी ने यह नयी परिपाटी शुरू कर दी है। वो अभी जिस भी देश के साथ international business deal कर रहे हैं, सबसे उनकी और अपनी currency में ही deal final कर रहे हैं।

इससे होगा यह कि अपना देश सशक्त होगा, साथ ही अमेरिका भी बेमतलब की दादागिरी नहीं दिखा पाएगा।

भारत के इस तरह से सभी क्षेत्रों में सुदृढ़ और सशक्त होते हुए देख कर एक ही बात समझ आती है कि वो दिन दूर नहीं, जब भारत सर्वोच्च स्थान पर होगा, एक बार फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगा, और हर कोई यह कहेगा, वाह रे भारत, क्या बात है!

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Thursday, 28 August 2025

Poem : तुम प्रीत, तुम मीत

तुम प्रीत, तुम मीत 


तुम प्रीत, तुम मीत,

तुम जीवन के संगीत।

हर स्वर की तुम आवाज, 

हर झंकृत तार के साज।।


हर ओर तुम, हर छोर तुम, 

तुम हर पल दिल के साथ।

एहसास तुम, हर श्वास तुम, 

थामे हर पल मेरा हाथ।। 


तुम्हारे जन्म का अर्थ,

मेरा जीवन सार्थक।

अस्तित्व हों अलग-अलग, 

पर मन से नहीं पृथक्।।


जन्मदिवस पर अनेकानेक बधाइयाँ 💐🎉

Wednesday, 27 August 2025

India's Heritage : महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रधानता क्यों?

गणपति महाराज जी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे, उनकी अनुकंपा से सम्पूर्ण जगत में शुभ हो।

प्रथम-पूज्य देव गणपति बप्पा जी के शुभागमन से सम्पूर्ण भारत में आज से गणेशोत्सव का शुभारंभ हो रहा है।

हालांकि उत्साह, भक्ति और उमंग की लहर सम्पूर्ण भारत में छाई हुई है, पर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की उमंग चरम सीमा पर विद्यमान रहती है।

पर ऐसा क्या कारण है कि महाराष्ट्र में सर्वोपरि उत्सव गणेशोत्सव है?

आज अपने India's Heritage में इसी विषय में विचार करेंगे।

महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रधानता क्यों?


छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा पेशवाओं के समय से गणेश पूजा का सांस्कृतिक महत्व रहा है।

पर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से प्रसिद्धि दिलाने का सारा श्रेय बाल गंगाधर तिलक को जाता है।

विस्तृत रूप से भी देख लेते हैं।


ऐतिहासिक कारण :

• छत्रपति शिवाजी महाराज -

भारत में समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न साम्राज्यों की स्थापना हुई थी।

सन् 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। 

शिवाजी महाराज अपनी मां जीजाबाई के सशक्त, सक्षम और आज्ञाकारी पुत्र थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय मुगलों का लगभग पूरे भारत पर आधिपत्य था। पर छत्रपति शिवाजी महाराज की कोशिश रहती थी कि मुगलों को महाराष्ट्र से उखाड़ फेंकें। बस उसी कड़ी में शामिल हैं, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का आरंभ...

मान्यता है कि शिवाजी महाराज ने अपनी मां जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी, जो मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने का एक तरीका था। इसके बाद मराठा पेशवाओं के युग में भी गणेश पूजा का बड़े भव्य रूप से उत्सव मनाया जाने लगा।


• बाल गंगाधर तिलक -

बात भारत की पराधीनता के समय की है। अंग्रेजों ने सार्वजनिक रूप से लोगों के एकजुट होने पर पाबंदी लगा दी थी। पर उत्सव, विवाह और तीज-त्योहार पर एकत्रित होने पर कोई पाबंदी नहीं थी।

बस इसी बात का लाभ बाल गंगाधर तिलक जी ने उठाया और उन्होंने British शासन के खिलाफ राष्ट्रीय एकता और विद्रोह को बढ़ावा देने के लिए 1893 में गणेश उत्सव को पुणे में सार्वजनिक उत्सव के रूप में पुनर्जीवित कर दिया।

यह अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का एक विशिष्ट तरीका था, क्योंकि तिलक जानते थे कि भारतीय आस्था के नाम पर एक हो सकते हैं। इस उत्सव के माध्यम से उन्होंने हिंदू राष्ट्रवादी एकता को बढ़ावा दिया।


सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व :

• सामाजिक समरसता -

धीरे-धीरे इस उत्सव की प्रसिद्धि बढ़ती गई, जिससे वह धार्मिक होने के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी प्रतीक बन गया था, जिससे विभिन्न वर्गों के लोग एक साथ आने लगे थे।


• आस्था का केंद्र -

ऐसा क्या था कि गणेशोत्सव की प्रसिद्धि, दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही गई। दरअसल, गणपतिजी को बुद्धि, समृद्धि और भाग्य का देवता माना जाता है, जिसकी कामना हर प्राणी को रहती है। साथ ही नई शुरुआत के लिए भी उनकी पूजा करते हैं। यह आस्था ही महाराष्ट्र में गणेश जी की लोकप्रियता का मुख्य कारण है।


• गणेश मंडल -

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के दौरान बड़े सार्वजनिक मंडल बनाए जाते हैं, जहाँ गणेश जी की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव बहुत ही बड़े scale पर आयोजित किया जाता है। अतः इस उत्सव में दिव्यता और भव्यता दोनों शामिल है। और जहां दोनों शामिल हो, वहां प्रसिद्धि तो अवश्यंभावी है।


गणपति बप्पा मोरया....

गणपति महाराज जी की जय🙏🏻🎉💐

Tuesday, 26 August 2025

Poem: हरतालिका तीज निराली

शिव शम्भू और मां पार्वती की कृपा सदैव बनी रहे 🙏🏻 🙏🏻 

सभी को हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐


हरतालिका तीज निराली

 



आई हरतालिका तीज निराली 

सुहागिनों का शुभ करने वाली 

हरा श्रृंगार, हर ओर हरियाली 

मन-मस्तिष्क में सुख भरने वाली 


कठिन तप, अटूट विश्वास 

शिव पार्वती की कृपा अपार 

सभी सुहागन व्रतों में इसको

सबसे अधिक बनाए खास 


प्रेम, भक्ति और तपस्या का

सजनी करती इसमें श्रृंगार 

अलौकिक प्रदीप्ति से 

दमके उसका घर संसार 


काले मेघ, घनघोर घटाएं 

मन में प्रेम प्रीत जगाएं 

साजन के संग मिलकर 

आओ यह शुभ पर्व मनाएं 

Wednesday, 20 August 2025

Short Story : इंसान की कीमत

इंसान की कीमत

एक लड़का था रजत, जो कि रोज एक आश्रम में जाता था, वहां के गुरु जी लोगों को बहुत-सी गूढ़ बातें बताते थे।

एक दिन रजत ने गुरु जी से पूछा, “एक बात बताइए कि कुछ मनुष्य महलों में रहते हैं तो कुछ झोंपड़ी में, कुछ के पास खाने को इतना है कि वो खाकर फेंक देते हैं तो कुछ के पास दोनों समय खाने के लिए भी नहीं है। ऐसा क्यों है? और दुनिया में इंसान की क्या कीमत है? साथ ही ज्यादा कीमती क्या है पैसा या काम?”

गुरु जी ने कहा, “बेटा, पैसा सबके पास होता है, कम या ज्यादा और काम भी सब के पास होता है, छोटा या बड़ा। पर कीमत सबसे ज्यादा होती है, स्थान की…”

“स्थान की? मतलब?”

वो बोले, “एक काम करो कि तुम मेरा यह कड़ा ले जाओ और इसकी कीमत पता करके आओ, पर इसे बेच कर मत आना, सिर्फ कीमत पूछकर आना और हां, कोई जब इसकी कीमत पूछे तो तुम्हें कुछ बोलना नहीं है, केवल दो उंगली दिखा देना।”

“इससे क्या होगा?”

“वो तुम्हें खुद पता चलेगा…”

कड़ा इतना सुन्दर था कि कोई भी उसे आसानी से खरीदने को तैयार हो जाता।
रजत कड़ा लेकर एक bus stand में गया।

उसने कड़ा बेचने के लिए एक आदमी को कड़ा दिया, कड़े की सुंदरता देखकर आदमी कड़ा खरीदने को तैयार हो गया, उसने रजत से कड़े की कीमत पूछी। उसने बिना कुछ कहे, दो उंगलियाँ दिखा दीं।

आदमी बोला, “₹200?”

“हाँ जी, धन्यवाद। माफ़ कीजियेगा, दरअसल मुझे केवल इसकी कीमत पता करनी थी, इसे बेचना नहीं है।” कहकर रजत ने कड़ा लिया और बहुत तेज़ी से आश्रम की ओर बढ़ गया।

“गुरू जी! गुरु जी! मुझे कीमत पता चल गई, इसकी कीमत ₹200 है।”

“अच्छा! बढ़िया, अब तुम एक बार फिर से किसी और जगह जाओ और फिर वही प्रकिया दोहराओ।”

रजत अबकी बार एक बड़े से mall में गया, उसने कड़ा बेचने के लिए एक आदमी को कड़ा दिखाया। वह खरीदने के लिए तैयार होकर उसने रजत से उस की कीमत पूछी। रजत ने बिना कुछ कहे, फिर से दो उंगलियाँ दिखा दीं।

आदमी ने पूछा, “₹2000?”

अपनी स्थिति को समझाकर और उस आदमी को धन्यवाद देकर रजत कड़ा वापस ले लेता है। वह खुशी से भर कर आश्रम की ओर चलने लगा।

“गुरु जी! इसकी कीमत तो बढ़ गई, इसकी कीमत दो हज़ार रुपए है।”

गुरु जी एक बार पुनः उसे किसी दूसरी जगह पर जाने को और वही प्रक्रिया वापस दोहराने को बोलते हैं।

इस बार रजत एक jeweller के showroom में जाता है। जब रजत उसे कड़ा दिखाता है, तो jeweller की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। Jeweller सोचता है, ‘वाह! यह कड़ा तो खरे सोने से बना हुआ है। कितने नग और हीरे भी तो जड़े हुए हैं इसमें। लड़के से कीमत पूछी जाए।’

कीमत पूछी जाने पर रजत एक बार फिर दो उंगलियां दिखा देता है। Jeweller पूछता है, “₹200000?”

2 लाख की कीमत सुनकर तो रजत को भी भरोसा नहीं होता। Jeweller से रजत कहता है कि वो कड़ा उसके गुरु की आखिरी निशानी है और वो उसे बेचना नहीं चाहता। Jeweller और महंगे भाव पर भी उसे खरीदने को तैयार हो जाता है, पर रजत नहीं मानता है।

चमकती आँखों के साथ वह आश्रम में वापस लौटता है। हैरानी और खुशी के मिले हुए भावों के साथ वह गुरु जी से बोलता है, “कितना कीमती है यह कड़ा! जोहरी तो ढाई (2.5) लाख रुपए में भी उसे खरीदने को तैयार हो गया था।”

“महंगा तो होगा ही। शुद्ध सोने से बना और इतने हीरे-जवाहरात से जो जड़ा हुआ है। वैसे तुमने एक बात देखी क्या?”

“कौन-सी बात?”

“Bus stand पर उस कड़े की कीमत दो सौ रुपए थी। लोग वहाँ से अक्सर इसी मूल्य के सामान लेते हैं। आदमी को कड़ा सुन्दर लगा, इसलिए अपने हिसाब से कीमत बता दी।

फिर जब तुम mall में गए, तो उसकी कीमत बढ़ के दो हज़ार रुपए हो गई। वहां से लोग दस-बीस हज़ार के सामान ले लेते हैं, और उस आदमी को नग कीमती लगे होंगे। इससे कड़े की कीमत बढ़ गई।

आखिर में तुम गए जोहरी के पास। वो जानता था कि कड़े की असली कीमत क्या है। इसलिए उसने उसकी कीमत ढाई लाख रुपए बताई, जो वास्तव में इस कड़े की कीमत है।

जिस प्रकार इस कड़े की कीमत बिकने वाली जगह पर आधारित थी, उसी प्रकार से मनुष्य की असली कीमत भी तब ही होती है, जब वह अपने उचित स्थान पर हो। अतः, मनुष्य को सदैव अच्छी संगत में रहना चाहिए और ऐसी जगहों पर ही रहना चाहिए जहाँ उसका आदर हो।”

“समझ गया गुरु जी। आप सच में महान हैं, एक कड़े के माध्यम से आप ने जीवन की अनमोल सीख दे दी मुझे।” रजत मुस्कुराते हुए आश्रम से बाहर निकलता है।

Saturday, 16 August 2025

Poem : The Story of Giridhar

This is the first time Advay has expressed a story in the form of a poem (written a ballad). Please motivate him if you do like it.

Happy Janmashtami 🎉

The Story of Giridhar


After scorching heat, comes pleasant rain,
When nature itself, waters the grain.
This monsoon season, has many folklores,
Full of lessons, worth several crores.


They are one of the earliest creations,
Passed along many several generations.
Let me narrate, one of the folktales,
Where arrogance, fury and anger fails.


The auspicious and holy place of Mathura,
Acted as the residence of Lord Krishna.
The villagers were farmers by occupation,
And revered Lord Indra, for apt irrigation.


One fine day, with a question in his head,
In an innocent voice, Lord Krishna said,
“Why worship Indra? What does he do,”
As if attempting, to get a small clue.


Maa Yashoda replied, “There’s a reason,
He is the god of the monsoon season.”
Krishna understood, but was dissatisfied.
To share his view, he moved a bit aside.


“Why not worship Mount Govardhan?
For our cattle, it is the grass garden.”
Everyone agreed, and did the same.
For Indra, it became a matter of shame.


As a result, he started raining exceedingly.
For seven days, it rained increasingly.
Nothing was harmed, he was surprised,
The savior’s God himself, he had realized.


He came down, in order to apologize,
But he couldn’t simply believe his eyes.
A boy held a mountain on his li’l finger,
None other than Shri Krishna, or Giridhar.

Friday, 15 August 2025

Poem : कहानी स्वतंत्रता की

79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर शहीदों को श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हुए आज की यह कविता प्रस्तुत करते हैं…

कहानी स्वतंत्रता की


मंगल पांडे, तात्या टोपे,

या फिर झांसी की रानी। 

स्वतंत्रता दिलाई किस-किस ने,

है यह बड़ी लंबी कहानी।।

 

शहीद यहाँ हुए अनेकों, 

कुछ जाने, कुछ अनजाने भी। 

हंसते-हंसते खून बहा दिए,

आजादी के परवानों ने ही।।

 

वीर सावरकर, और भगत सिंह,

हो या चंद्रशेखर आजाद।

नाम अनेकों जुड़े हुए हैं,

जिन्होंने देश को किया आबाद।।


गांधीजी हो, सरदार पटेल,

या हो सुभाष चन्द्र बोस। 

अंग्रेजों की कुटिल चाल को,

सदा के लिए किया ख़ामोश।।


हर भारतीय ने किया विरोध,

 गूंज उठा हर एक इलाका।

पराजित फिरंगी देख हैरान थे,

लहराता हुआ विजय पताका।।


सन् सत्तावन से भड़की चिंगारी,

सन् सैंतालीस में शांत हुई।

फिरंगियों की सेना हारी, 

बेचैन और क्लान्त हुई।।


शत्-शत् नमन उन सभी को,

जो थे अमर‌ वीर बलिदानी।

सदियों तक याद की जाएगी,

स्वतंत्रता की अमिट कहानी।।



🇮🇳🙏🏻 भारत माता की जय 🙏🏻🇮🇳

Thursday, 14 August 2025

Poem : बारिश की नन्हीं बूंदें

रिमझिम बारिश को देख मन स्वतः ही काव्य-रस में भीगकर नन्हीं बूंदों संग अठखेलियां करता हुआ यह कविता गढ़ता चला गया। आइए इसका आनन्द लें और बारिश के मनभावन मौसम का लुत्फ उठाएं…

बारिश की नन्हीं बूंदें


बारिश की नन्हीं बूंदें, 

इठलाती-बलखाती सी।

नभ से उतरकर जो,

धरा की अंक में समाती हैं।

सौंधी खुशबू से हर एक के

तन-मन को महकाती हैं।।

तरुणी को आया नवयौवन, 

भाता उनका चंचल चितवन।

क्षणिक मनोहर-सी वो आभा,

 नैनों को तृप्ति दिलाती है।

विटप नहाए, पपीहा गाए,

प्रकृति में हरियाली छाए।।

देखकर ऐसी छवि निराली, 

जन-जन को हर्षाती है। 

बारिश की नन्हीं बूंदें, 

इठलाती-बलखाती सी।

नभ से उतरकर जो,

धरा की अंक में समाती हैं।।

Tuesday, 12 August 2025

Article : गर्व राखी पर

दो दिन से medical related problems के लिए hospital जाना हो रहा था।

तो आने-जाने और hospital में एक बात notice की, उसे बताने से पहले हिन्दू त्यौहार के विषय में जान लेते हैं।

गर्व राखी पर 


हिन्दू धर्म, एक ऐसा धर्म है, जहां हर धर्म से अधिक देवी-देवता हैं और हर धर्म से अधिक इसमें तीज-त्योहार मनाए जाते हैं।

पर सर्वाधिक देवी-देवता, हिन्दू धर्म में ही क्यों हैं? ऐसा कभी आपने सोचा?

अगर नहीं, तो चलिए साथ में विचार करते हैं...

एकमात्र हिन्दू धर्म में ही हर एक को ईश्वरीय स्थान प्राप्त है, फिर वो पेड़-पौधे हों, पशु-पक्षी हों, चाहे प्रकृति हो, या रिश्ते हों, जैसे पूर्वज, पति, भाई, संतान इत्यादि...

जब हर कुछ पूजनीय है तो देवी-देवता भी बहुत सारे होंगे और तीज-त्योहार भी...

और जितने अधिक देवी-देवता और तीज-त्योहार होंगे, उतना ही अधिक उत्साह, उमंग, प्रेम, अपनत्व, सुख और आनंद...

और जीवन में जिसे यह सब प्राप्त हो, वो ही मोक्ष प्राप्ति कर ईश्वर में समा पाएगा।

दीपावली, होली, रामनवमी, दशहरा, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, नवरात्रि, राखी, करवाचौथ, तीज, छठ, सकट, गणेशोत्सव, रथयात्रा, नागपंचमी इत्यादि... इतने अधिक तीज-त्योहार हैं कि बस लिखते ही जाएं...

इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है राखी...

भाई-बहन के प्यार को प्रेम के मजबूत बंधन में बांधती रेशम की डोर... 

जितना यह अनोखा बंधन है उतना ही गर्व से भरा हुआ...

हमने देखा कि जिन कलाइयों में राखी बंधी हुई थी, उन लोगों के चेहरे पर एक अलग ही सुख और गर्व की आभा थी।

और यह आभा, उतनी अधिक थी, जितनी ज्यादा राखी बंधी हुई थी कलाई पर...

उम्र, फिर चाहे कुछ भी हो, बच्चा, जवान या वृद्ध, सभी अपने हाथों में बंधी राखी से प्रसन्न होकर उसे बार-बार उसे ठीक करते रह रहे थे।

कौन कहता है कि केवल पुत्र प्राप्ति की कामना है, पूछिए भाइयों से कि उन्हें कितना इंतजार रहता है अपनी कलाइयों को सजवाने का, या जानिए, उन भाइयों से कि वो कितने दुखी रहते हैं, जिनकी कलाई सूनी रहती है...

कितने ही लोग तो ऐसे होते हैं, जो अपने हाथों में राखी एक-दो दिन नहीं बल्कि महीनों तक या अगली राखी तक बांधे रहते हैं।

इन गर्वित चेहरों को देख कर यह ही प्रतीत हुआ कि लोगों को लगता होगा होली, दीपावाली बड़ा त्योहार होगा, पर राखी से सजी हुई कलाइयां और गर्व से भरे हुए चेहरे, कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे थे।

इससे यह एहसास होता है कि भारत देवी-देवताओं और तीज-त्योहारों का देश है, जहां प्रेम, सुख, आनंद, श्रद्धा और विश्वास है। जहां यह सब है, वहीं ईश्वरीय वास है और जहां ईश्वर है, वहीं जीवन भी है और मोक्ष भी...

इसलिए अगर आप भारतीय है और भारत में ही रह रहे हैं तो अपने आप को सम्मानित महसूस कीजिए और गर्व से कहें,

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳