Sunday, 9 November 2025

Shaadi-Vivah Song : रात को आ गये चोर

शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत है- बन्नी तेरी हल्दी में

दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है- मेरे भैया चले आना 

तीसरा गीत, दुल्हन की मनमोहक रूप को पूर्ण करती हुई, मेंहदी पर आधारित है-मेंहदी रचने लगी हाथों में

शादी-विवाह में बन्ना, बन्नी और चुहलबाज़ी वाले गीत बहुत पसंद किए जाते हैं, और वैसा एक गाना हमने कल डाला भी था- बन्ना जी जरा जमके कमाना

तो प्रस्तुत है, चुहलबाज़ी और हंसीं मज़ाक़ से परिपूर्ण एक और गीत, जो पूरे माहौल को खुशनुमा बना देगा।

रात को आ गये चोर


रात को आ गये चोर 

बन्ने की दादी ले गए रे - 2

बन्ने की दादी बड़ी लड़ाकू 

डर गये सारे चोर डाकू 

सर को पकड़, रोए चोर

बन्ने की दादी दे गए रे


रात को आ गये चोर 

बन्ने की मम्मी ले गए रे - 2

बन्ने की मम्मी तगड़ी मोटी 

खा गई उनकी सारी रोटी 

भूखे मर गये चोर 

बन्ने की मम्मी दे गए रे 


रात को आ गये चोर 

बन्ने की ताई ले गए रे - 2

बन्ने की ताई बड़ी खर्चीली 

चोरों की हो गई जेबें ढीली 

कंगाल हो गये चोर 

बन्ने की ताई दे गए रे 


रात को आ गये चोर 

बन्ने की बहना ले गए रे - 2

बन्ने की बहना डिस्को नाचे

नाच नाच कर धरती को हिला दे

चक्कर खा गए चोर 

बन्ने की बहना दे गए रे 




Note : बन्ना-बन्नी के परिवार से नोंकझोंक गीत, आप जिस भी पक्ष के हैं, उसके अनुसार यह गीत गाया जा सकता है, जैसे अगर बन्नी पक्ष में हैं तो ऐसे ही और बन्ना पक्ष में हैं तो इसमें बन्ना की जगह बन्नी लगाकर गाया जाएगा।

Saturday, 8 November 2025

Shaadi-Vivah Song : बन्ना जी जरा जमके कमाना

शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत है- बन्नी तेरी हल्दी में

दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है- मेरे भैया चले आना 

तीसरा गीत, दुल्हन की मनमोहक रुप को पूर्ण करती हुई, मेंहदी पर आधारित है- मेंहदी रचने लगी हाथों में

शादी-विवाह में बन्ना, बन्नी और चुहलबाज़ी वाले गीत बहुत पसंद किए जाते हैं।

तो चलिए कुछ गीत बन्ना-बन्नी के नाम… 

आज की बन्नी की क्या demand है बन्ना जी से, आज गीत द्वारा उसी को साझा कर रहे हैं।

तो सारे कुंवारे, इस गाने को ध्यानपूर्वक सुनें, और प्रयास करें, अपनी होने वाली वधू को प्रसन्न रखने का...

बन्ना जी जरा जमके कमाना


आया महंगाई का ज़माना,

बन्ना जी जरा जमके कमाना।


दाल और रोटी का गुजारा जमाना,

पिज्जा-बर्गर है खाना।

बन्ना जी जरा जमके कमाना।


आया महंगाई का जमाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना 


हल्दी और उबटन का गुजारा जमाना 

ब्यूटी पार्लर हैं जाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना 


आया महंगाई का जमाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना 


साड़ी और कुर्ते का गुजारा जमाना 

जीन्स टी-शर्ट ही पहनना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना 


आया महंगाई का जमाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना

 

बाइक और कार का गुजारा जमाना 

ऐरोप्लेन में बैठाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना 


आया महंगाई का जमाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना


चिठ्ठी और तार का गुजारा जमाना 

आइफोन दिलाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना 


आया महंगाई का जमाना 

बन्ना जी जरा जमके कमाना


Friday, 7 November 2025

Shaadi-Vivah Songs : मेहंदी रचने लगी हाथों में

शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत था- बन्नी तेरी हल्दी में

दूसरा गीत भात मांगने पर आधारित है, मेरे भैया चले आना

शादी के शुभ कार्य में मेंहदी का विशेष महत्व है, या यूं कहें कि मेंहदी से सजे हुए हाथ पैर, वधू के सौंदर्य को पूर्ण करते हैं।

आज का यह खूबसूरत गीत मेहंदी रचने वाली शाम में गाया व बजाया जाए, तो रौनक दोगुनी हो जाएगी।

मेहंदी रचने लगी हाथों में



मेहंदी रचने लगी हाथों में, बन्ने के नाम की

मेहंदी रचने लगी हाथों में, बन्ने के नाम की 


आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी


बाजे-बाजे रे शहनाई, पिया तेरे नाम की

बाजे-बाजे रे शहनाई, पिया तेरे नाम की


आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी


मेहंदी रचेगी गहरी, प्यार गहरा होगा

मेहंदी रचेगी गहरी, प्यार गहरा होगा

लाल-ख़ुशहाल रंग, संग तेरे होगा

लाल-ख़ुशहाल रंग, संग तेरे होगा


मेहंदी रची है गहरी सी, बन्ना तेरे नाम की 

मेहंदी रची है गहरी सी, बन्ना तेरे नाम की 


आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी


भूल ना जाना हमें, जा के ससुराल तू

भूल ना जाना हमें, जा के ससुराल तू

तड़पेगी ममता मेरी, आएगी याद तू

तड़पेगी ममता मेरी, आएगी याद तू

बिछिया बाजे, पायल छनकी, बन्ना के नाम की

बिछिया बाजे, पायल छनकी, बन्ना के नाम की


आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी


मेहंदी में नाम, हमने जिसका लिखा है

मेहंदी में नाम, हमने जिसका लिखा है

पढ़ के बताओ जी, किसका लिखा है

पढ़ के बताओ जी, किसका लिखा है

गोरे हाथों में रची है, प्रीत तेरे नाम की

गोरे हाथों में रची है, प्रीत तेरे नाम की


आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी

आई शुभ घड़ी देखो, मेरे आँगन आज जी


Thursday, 6 November 2025

Shaadi-Vivah Song : मेरे भैया चले आना

शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत था- बन्नी तेरी हल्दी में

आज दूसरा गीत साझा कर रहे हैं।

शादी के शुभ कार्यों में भात मांगने की शुभ प्रथा होती है, इस गीत द्वारा उसी को प्रस्तुत किया है।

देखिए, कैसे बहन भाई से सभी भौतिक वस्तुओं के बदले कुछ और लाने को कहा रही है।

भाई-बहन के अटूट प्रेम को प्रदर्शित करता गीत... 

मेरे भैया चले आना



मेरे भैया चले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 

समय पर भात ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 


न लाना कान‌‌ के झुमके 

न लाना माथे का टीका 

मेरी भाभी को ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 


मेरे भैया चले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 

समय पर भात ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 


न लाना हाथ के कंगना

न लाना कोई भी गहना 

तुम बच्चों को ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है  


मेरे भैया चले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 

समय पर भात ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 


न लाना महंगी-सी साड़ी 

न लाना चुनरी और लहंगा 

 परिवार संग ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है  


मेरे भैया चले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है 

समय पर भात ले आना 

तुम्हें बहना बुलाती है




Wednesday, 5 November 2025

Shaadi-Vivah Songs : बन्नी तेरी हल्दी में

आज से शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में यह पहला गीत है।

बन्नी, बन्ना के हल्दी चढ़ने की रस्म, विवाह में एक विशेष रस्म होती है, जो जितना विवाह से जुड़ी होती है, उतनी ही ईश्वर व घर से जुड़े सभी लोगों से मिलने वाला आशीर्वाद भी होती है।

आज उसी पर यह गीत साझा कर रहे हैं।

बन्नी तेरी हल्दी में


आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

ओ बन्नी तेरी हल्दी में, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।


पहली हल्दी दादी ने पिसाई। 

दादी ने पिसाई, श्री गणेश को चढ़ाई।

सफल हो गए सब काम, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।


दूजी हल्दी नानी ने पिसाई।

नानी ने पिसाई, लक्ष्मी मैया को चढ़ाई।

अरे अन्न-धन भरे भंडार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।


तीजी हल्दी मम्मी ने पिसाई, 

मम्मी ने पिसाई, गोरा मैया को चढ़ाई।

दे दिया अमर सुहाग, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।


चौथी हल्दी चाची ने पिसाई। 

चाची ने पिसाई, सीता मैया को चढ़ाई।

दे दिया धर्म का ज्ञान, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।


पांचवी हल्दी बुआ ने पिसाई,

बुआ ने पिसाई, राधा रानी को चढ़ाई।

दे दिया प्रेम का ज्ञान, तो बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।


आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

ओ बन्नी तेरी हल्दी में, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।

आया है सारा परिवार, ओ बन्नी तेरी हल्दी में।




हमने यह गीत बन्नी (वधू या लड़की) पर आधारित बनाया है, अगर आप बन्ने (वर या लड़के) के पक्ष से हैं तो जहां बन्नी है, आप वहां बन्ने लगा लीजिएगा।

Tuesday, 4 November 2025

Article : विवाह के शुभ मुहूर्त

अब जब भगवान श्रीहरि अपनी चार महीने की निद्रा से जाग गये हैं, तो सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।

तो सबसे पहले यह देख लेते हैं, कि कौन-सी वो शुभ तिथियां या मुहूर्त हैं, जिनमें शुभ कार्य संभव हो सकते हैं।

2025 में दो महीने बचे हैं तो उनके शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं। 

विवाह के शुभ मुहूर्त



नवंबर और दिसंबर 2025 में शादी के कई शुभ मुहूर्त हैं, जो देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हो रहे हैं।

नवंबर 2025: 18, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29, और 30।

दिसंबर 2025: 4, 10, और 11। 

इसके पश्चात् 2026 में शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।


2026 के शुभ मुहूर्त :

जनवरी में शुक्र तारा अस्त है, अतः कोई शुभ मुहूर्त नहीं है।

फरवरी 2026: 3, 5, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25, 26

मार्च 2026: 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 11, 12

अप्रैल 2026: 15, 20, 21, 25, 26, 27, 28, 29, 30

मई 2026: 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13, 23, 25, 26, 28, 29

जून 2026: 1, 2, 4, 5, 11, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29

जुलाई 2026: 1, 6, 7, 11, 16

नवंबर 2026: 20, 21, 24, 25, 26

दिसंबर 2026: 2, 3, 4, 5, 6, 11, 12


हमारे कुछ viewers की demand थी कि आजकल वो पहले जैसा शादी-विवाह के शुभ गीत सुनने और सुनाने को नहीं मिलते हैं, तो अगर कुछ ऐसे गीत भी blog में हो, तो ऐसे अवसरों पर गाने का मौका मिल जाए, जिससे शुभ मुहूर्त और शुभ हो जाए।

तो चलिए, अब जब शुभ मुहूर्त ज्ञात हो गये हैं तो आप को एक और अच्छी बात बताते हैं कि अपने viewers की demand पर हम शादी-विवाह इत्यादि से जुड़े भात, हल्दी, बन्ना-बन्नी के कुछ गीतों को इन दिनों साझा करेंगे। सब एक से बढ़कर एक हैं।

जिसे पढ़कर, सुनकर और देखकर आपको आनंद आ जाएगा।

इन गीतों द्वारा, आप अपनी शादी-विवाह की शुभ parties में चार चांद लगा सकेंगी, रंग जमा देंगीं। 

So stay tuned…


Disclaimer : 

सभी तिथियां, reliable sources से ली है, फिर भी आप अपने शुभ कार्य की तिथि निर्धारित करने से पहले अपने पंडित जी या ज्योतिष महाराज से तिथि confirm अवश्य करें।

Monday, 3 November 2025

Article : भारतीय नारी, विश्व पर भारी

कल की रात एक ऐसी रात थी, जो भारत के लिए चांद-तारों से भरी जगमगाती रात साबित हुई।

भारत की बेटियों ने कमाल कर दिखाया, पहले semi-finals में ‘7-time Champion’ Australia को हराकर final में अपनी जगह बना ली, और कल (3 नवंबर 2025) South Africa को 52 रनों से हराकर ICC Women's World Cup 2025 अपने नाम कर सम्पूर्ण विश्व में तिरंगा लहराया, और भारत को गौरवान्वित किया। 

यूँ तो World Cup जीतना पूरी team का effort होता है, फिर भी Deepti Sharma और Shafali Varma के शानदार all-rounder performance की बदौलत भारत ने रविवार को South Africa पर 52 runs की जीत के साथ पहली बार ICC Women's Cricket World Cup जीता।

भारतीय नारी, विश्व पर भारी


(A) Finals Overview :

Final में Pratika Rawal को चोट लग गई थी और वो final match खेलने की अवस्था में नहीं थी। अतः final match में opening batter के रूप में खेलने के लिए Shafali Varma को वापस बुलाया गया था।‌ Shafali ने 78 balls पर अपने career की सर्वश्रेष्ठ 87 runs की पारी खेली, जिससे tournament के co-host ने toss हारने और बल्लेबाजी के लिए भेजे जाने के बाद 50 overs में 298-7 का विशाल score बनाया।

जवाब में South Africa की team 45.3 overs में 246 runs पर all-out हो गई।

 Spinner Deepti ने match का अंतिम wicket लिया और 9.3 overs में 5/39 का bowling figure हासिल किया। 


(B) Captain's Words :

भारतीय captain Harmanpreet Kaur ने पिछले दो finals में मिली हार के बाद मिली जीत पर विचार करते हुए कहा, “हम इस पल का इंतज़ार कर रहे थे, और अब यह पल आ गया है। अब हम इसे अपनी आदत बनाना चाहते हैं।”


(C) Semi-finals Overview :

भारत semi-finals के लिए qualify करने वाली चार teams में से आखिरी team थी, लेकिन फिर उसने defending champion Australia (जो कि 7-time champion  रह चुकी है) को 5-wickets से हराकर finals में जगह बनाई। South Africa ने भी 4-time champion England को 125 runs से हराकर पहली बार finals में जगह बनाई।

Home ground पर जीत ने भारत को अपना पहला बड़ा woman cricket title दिलाया।


(D) Player of the Match :

Shafali Varma (जिन्हें पिछले सप्ताह चोटिल Pratika Rawal की जगह team में शामिल किया गया था) ने 36 runs देकर 2 wickets लिए और  78 balls पर 87 runs बनाए। उन्हें Player of the Match चुना गया।

21-वर्षीय Shafali ने कहा, “भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा था, और आज उसकी झलक दिखी। मैंने आज सिर्फ़ runs बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। मेरा मन साफ़ था।”


(E) Player of the Series :

Five wickets लेने से पहले, Deepti ने tournament की 3rd fifty बनाई, जिससे भारत 2022 में England के खिलाफ Australia के 356/5 के बाद World Cup Final में दूसरे सबसे बड़े score तक पहुंच गया।


(F) Other Achievements :

दी गई list भारत के बाकी players की कुछ achievements को दिखाती है, जिससे देखकर मुझे भी गर्व हुआ, और आपको भी होगा।


Smriti Mandhana

  • 2nd Highest Runs (434)
  • 4th Most Hundreds (1)
  • 3rd Most Fifties (2)
  • 3rd Highest Sixes (9)
  • 2nd Highest Fours (50)
  • 2nd Highest Boundaries (59)

Pratika Rawal

  • 4th Highest Runs (308)
  • 4th Highest Score (122)
  • 3rd Lowest Bowling Average (12.5)
  • 4th Most Hundreds (1)
  • 4th Most Economical Bowler (3.75)

Deepti Sharma 

  • Most Wickets (22)
  • 3rd Best Bowling Figure (5/39)
  • Most Fifties (3)
  • Most Five Wicket Hauls (1)

Jemimah Rodrigues

  • 3rd Highest Score (127)
  • 4th Highest Batting Average (58.4)
  • 4th Most Hundreds (1)

Nallapureddy Charani

  • 4th Highest Wickets (14)

Harmanpreet Kaur (C)

  • 3rd Most Fifties (2)

Richa Ghosh

  • Most Sixes (12)


इस world cup को जीतने के साथ ही एक बार फिर हमारी बेटियों ने यह सिद्ध कर दिया कि वो हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कन्धा मिला सकती हैं, और हर क्षेत्र में भारत को गौरवान्वित करा सकती हैं।

हमें गर्व है अपनी बेटियों पर, ईश्वर से प्रार्थना है कि हर क्षेत्र में भारत को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो और ऐसे ही हमारा तिंरगा सर्वोपरि लहराए।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳

Saturday, 1 November 2025

Article : देव‌उठनी एकादशी

आज देवउठनी एकादशी व्रत है, देवउठनी एकादशी व देवशयनी एकादशी श्रेष्ठ या सबसे बड़ी एकादशी समझी जाती हैं, पर विशेषतः देवउठनी एकादशी का महत्व अधिक है।

कारण है, कि इस दिन प्रभु श्रीहरि अपनी चार महीने की निद्रा से उठते हैं। हम हिन्दुओं में सभी शुभ कार्य, शुभ मुहूर्त व लग्न देखकर किए जाते हैं। अतः जब प्रभु श्रीहरि जाग्रत होंगे, सभी शुभ कार्य तो तभी आरंभ होंगे। इसलिए देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है।

देवउठनी एकादशी व्रत से जुड़ी अन्य बातों को जानने के लिए click करें -

देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह

https://shadesoflife18.blogspot.com/2018/11/blog-post.html?m=1

देवशयनी एकादशी

https://shadesoflife18.blogspot.com/2023/06/article_29.html?m=1

देव उठनी एकादशी व एकादशी का उद्यापन

https://shadesoflife18.blogspot.com/2023/11/article_23.html?m=1

आज हम आपको बताते हैं, कि देवउठनी एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है तथा आज पूजा का क्या मुहूर्त है।

देवउठनी एकादशी


पूजा विधि :

देवउठनी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जागें, स्नान करके अपने मन, शरीर और घर-परिवार को शुद्ध करें। इसके बाद स्वच्छ एवं सम्भव हो तो पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजन से पहले आचमन करें और शुद्ध आसन पर बैठकर श्रीहरि के समक्ष पीले पुष्प, पीला चंदन, तुलसी दल और पुष्पमाला अर्पित करें। प्रसाद में पीली मिठाई, गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल और शुद्ध जल का भोग लगाएँ। फिर घी का दीपक एवं धूप प्रज्वलित कर भगवान विष्णु की मंत्रोच्चार के साथ आराधना करें। इस दिन विष्णु चालीसा, देवउठनी एकादशी व्रत कथा, श्रीहरि स्तुति और विष्णु मंत्रों का जप विशेष पुण्यदायी माना जाता है। पूजा के उपरांत विष्णु जी की आरती करें और किसी भी भूल या कमी के लिए क्षमा याचना करें। दिनभर व्रत का पालन करते हुए संयम और सात्त्विकता बनाए रखें। शाम के समय पुनः पूजा करें और घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं, जिससे शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। अगली सुबह द्वादशी तिथि में शुभ समय देखकर व्रत का पारण करें और भगवान विष्णु को धन्यवाद देकर प्रसाद ग्रहण करें।


लोकप्रिय भजन :

उठो देव, बैठो देव, पाटकली चटकाओ देव।

आषाढ़ में सोए देव, कार्तिक में जागे देव।

कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी।

हाथ पैर फटकारी देव, आंगुलिया चटकाओ देव।

कुवारी के ब्याह कराओ देव, ब्याह के गौने कराओ।

तुम पर फूल चढ़ाए देव, घी का दीया जलाये देव।

आओ देव, पधारो देव, तुमको हम मनाएँ देव।


मुहूर्त :

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि - 1 नवंबर को सुबह के 9:12 पर शुरू होगी, जो 2 नवंबर को शाम के 7:32 पर समाप्त हो जाएगाी। ऐसे में गृहस्थ लोग 1 नवंबर को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे। दरअसल, गृहस्थ लोग पंचांग के अनुसार और वैष्णव परंपरा के साधक व्रत का पारण हरिवासर करते हैं।


शुभ मुहूर्त :

  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह के 4:50 से सुबह के 5:41 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त- सुबह के 11:42 से दोपहर के 12:27 तक
  • अमृत काल- सुबह के 11:17 से दोपहर के 12:51 तक
  • रवि योग- सुबह के 6:33 से शाम के 6:20 तक
  • ध्रुव योग- 1 नवंबर को सुबह के 4:31 से 2 नवंबर को सुबह 2:09 तक


जपे जाने वाले मंत्र :

  • ॐ अं वासुदेवाय नम:
  • ॐ आं संकर्षणाय नम:
  • ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
  • ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
  • ॐ नारायणाय नम:
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ विष्णवे नम:
  • ॐ हूं विष्णवे नम:


आखिर में “ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे” की आरती के साथ प्रथम दिन की पूजा पूर्ण करें।


पारण का समय :

1 नवंबर को व्रत रखने वाले जातक 2 नवंबर को व्रत का पारण करेंगे। इस दिन दोपहर के 1:11 से 3:23 तक पारण करना सबसे शुभ है।


हरि वासर समाप्त होने का समय :

दोपहर के 12:55 बजे।


हे श्रीहरि, देवउठनी एकादशी में सभी के घर शुभ करें, सभी के दुःख संकट हरें, सभी के घरों में सुख-समृद्धि बनी रहे, सभी निरोगी रहें 🙏🏻

Friday, 31 October 2025

Article : National Unity Day

आज राष्ट्रीय एकता दिवस है।

राष्ट्रीय एकता दिवस, यह किस उपलक्ष्य में आयोजित किया गया है?

2014 से government offices में तो लगभग सभी जानते हैं, किन्तु अभी भी बहुत से लोग नहीं जानते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेषतः सतर्कता पर ही कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। Slogan, essay, debate, drawing competition etc.

आज सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का जन्मदिवस है और आज उनकी 150वीं जयंती है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी से कौन नहीं परिचित होगा, लेकिन शायद पूरी तरह से नहीं, मतलब उनकी उपलब्धियों से या यूं कहें उनके द्वारा किए गए महान कार्यों से...

National Unity Day


सरदार वल्लभ भाई पटेल आजादी की लड़ाई से जुड़े एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी थे। 

पर जितने सक्रिय यह देश को आजादी दिलाने के लिए थे, उसके अधिक उनका विशेष योगदान, आज़ादी के बाद रहा।

देश के आजाद होने के बाद यह decide होना था कि देश का प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए, तब सर्व सम्मति से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम ही चुना गया था।

लेकिन नेहरू की महत्वाकांक्षा के कारण गांधी जी ने नहेरू जी को प्रधानमंत्री और पटेल जी को उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री बना दिया।

देशभक्त पटेल जी ने देशभक्ति और गांधी जी को सम्मान देते हुए इस पद को भी सहर्ष स्वीकार कर लिया।

अब शुरू होता है उनका विशेष योगदान...

अंग्रेजों ने भारत को आज़ाद करते हुए एक षड्यंत्र रचा, उन्होंने भारत को 562 रियासतों में बांट दिया, तथा भारत-पाकिस्तान का विभाजन इस तरह से किया कि भारत के बीच-बीच में पाकिस्तान का हिस्सा था। जिससे भारत और पाकिस्तान, दोनों में से कोई भी पनप न पाए, उनका विकास न हो पाए।

उस समय आज़ादी के मिलने से जितनी प्रसन्नता थी, विभाजन होने से उतना ही अवसाद...

पूरा भारत भूखमरी, गरीबी और असंतोष की भावना से जल रहा था। ऐसे में देश का नेतृत्व आसान नहीं था और 562 रियासतों को जोड़कर एक करना उससे भी कठिन।

ऐसे समय में बहुत ही सतर्क, सुदृढ़, दूरदर्शी और सशक्त व्यक्ति की आवश्यकता थी और उसी महती भूमिका को निभाया था, हमारे सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने।

पटेल जी की दूरदर्शिता, सुदृढ़ता, सतर्कता ने सशक्त रूप से निर्णय लेना आरंभ कर दिया।

उन्होंने न केवल सारी रियासतों को जोड़कर एक भारत किया, बल्कि पाकिस्तान के जो भाग भारत के बीच-बीच में थे, उन्हें सम्पूर्ण भारत बना दिया। 

उनकी ही कोशिश से कश्मीर भी भारत मे मिल पाया था।

तो अगर इसे संक्षेप में समझें तो खंड-खंड भारत का अखंड भारत बनना, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अथक प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है। 

पर इसे त्रासदी ही कहेंगे कि उनके इतने बड़े योगदान को यूं ही धूमिल कर दिया गया, कि हमें अपने बचपन में कभी इससे अवगत ही नहीं कराया गया। जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल एक कांग्रेसी नेता ही थे। उसके पश्चात भी यह पक्षपात, केवल परिवार वाद को आगे बढ़ाने के लिए...

आप मानें या न मानें, पर धन्य है BJP government, जिसने 2014 में आकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अमूल्य योगदान को धन्यवाद देने के लिए, उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ कर दिया। 

उन्होंने 2013 में गुजरात के केवड़िया में, महान भारतीय राजनेता सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा बनवाने का कार्य आरंभ किया, जो 2018 में पूरा हुआ। इसे statue of unity का नाम दिया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है। इससे प्रतिवर्ष करोड़ों का revenue आता है।

आज जब उनकी 150वीं जयंती थी, तो केवड़िया में प्रधानमंत्री मोदी जी ने सरदार पटेल जी को श्रद्धांजलि प्रदान की।

उसमें आयोजित होने वाला programme इतना भव्य था, मानो 26 January में होने वाले आयोजन का छोटा-सा प्रतिरूप।

इस एकता parade में शौर्य शक्ति और अखंडता का संदेश दिया गया, जिसमें BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB, NSG, NDRS, विभिन्न राज्यों की पुलिस टुकड़ी आदि की parade शामिल थी।

विभिन्न राज्यों की झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनसे प्रदर्शित हो रहा था, मैं शक्ति भी सुरक्षा भी।

शौर्य शक्ति, एकता, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति, एकता में अनेकता, सामंजस्य शक्ति, दूरदर्शिता आदि का अनूठा संगम था।

अब से हम National Unity Day को सिर्फ government offices तक सीमित नहीं रहने देंगे, बल्कि हम सब भारतीय, उनके सामने नतमस्तक होकर उनके अमूल्य योगदान को धन्यवाद देंगे।

आइए, आज सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के सपने को साकार करने का संकल्प लेते हैं।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत 🇮🇳 

और साथ ही संकल्प लें, भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Wednesday, 29 October 2025

Article : ढलते सूर्य को प्रणाम

कल लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का सूर्य देव को अर्घ्य कर समापन हो गया।

छठ पूजा, मुख्यतः बिहारी लोग करते हैं, और 2014 से पहले यह लगभग बिहार तक ही सीमित था।

शायद कुछ लोगों को यह अच्छा न लगे, पर सच्चाई यही है कि 2014 के बाद से भारतीय संस्कृति, तीज-त्यौहार इत्यादि, किसी एक राज्य तक सीमित नहीं रह गये हैं बल्कि हर राज्य में सभी भारतीय तीज-त्यौहार अपनी छटा बिखेर रहे हैं।

अभी हाल में छठ पूजा में वही माहौल दिल्ली व अन्य राज्यों में देखने को मिला। 

ढलते सूर्य को प्रणाम


ऐसा नहीं है कि इस साल जब दिल्ली में BJP government आई है, तब ही छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया है। उससे पहले आप सरकार के समय भी धूमधाम थी, पर इस साल धूमधाम थोड़ी और बढ़ गई है।

और यदि BJP government centre में रही, और जिस तरह का जोश लोगों में देखने को मिल रहा है, सभी तरह के त्यौहारों को प्राथमिकता मिलती ही रहेगी। 

छठ पर्व बहुत सालों से मनाया जा रहा है‌ और इसमें सूर्यदेव की हर समय की पूजा की जाती है। 

लेकिन शायद ही किसी का ध्यान, इस ओर गया हो, जिस ओर मोदी जी का ध्यान गया और वो कि सिर्फ और सिर्फ छठ पर्व में ही ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है।

सूरज की दो अवस्थाएं होती हैं, उगता सूरज और ढलता सूरज।

उगते सूरज को भाग्योदय, सफलता और समृद्धि से संदर्भित किया जाता है, जबकि वहीं ढलते हुए सूरज को जीवन के ढलान‌ से, जीवन के आखिरी पड़ाव आदि से संदर्भित किया जाता है।

इस तरह से हमेशा उगते सूर्य को प्रणाम किया जाता है, उसे ही मान देते हैं।

तो जो अगर डूबते हुए सूरज को भी अर्घ्य दे रहा है, तो उसमें ऐसा क्या विशेष है?

वो विशेषता है, संस्कार की...

संस्कार की! इसमें संस्कार वाली बात कहां से आ गई?

जी बिल्कुल, संस्कार ही होते हैं। उन मनुष्यों में, जो सामने वाले को उसका पद, समृद्धि और वैभव देखकर नहीं, अपितु उसको हर स्थिति में सम्मान देता है।

यहाँ यह सम्मान, किसी गरीब को देना, किसी retired बुजुर्ग को देना, जो महिलाएँ नौकरी पेशा नहीं हैं, उन्हें देना, इत्यादि। एक तरह से देखा जाए तो सबको हर स्थिति में सम्मान प्रदान करना।

और छठ पूजा, सूर्य देव की हर स्थिति में पूजा करना उसी सम्मान को दर्शाता है।

इसके साथ ही एक और बात है, जो बिहारियों को बाकी राज्यों के हिन्दूओं से श्रेष्ठ बनाता है और वो कि छठ पर्व का बहुत कठिन नियम होता है। पर आज भी वो सारे कठिन नियमों का विधिवत न केवल पालन कर रहे हैं, बल्कि पूरा परिवार एकजुट होकर कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में एक दूसरे का साथ देते हैं।

मुस्लिमों में पांच वक्त के नमाज़ी को विशेष सम्मान दिया जाता है। उसी प्रकार हिन्दुओं को भी छठ पूजा करने वाले को विशेष सम्मान प्रदान करना चाहिए। 

बल्कि इसके इतर, बिहारियों को वो सम्मान नहीं मिलता है, जो उन्हें मिलना चाहिए।

एक कहावत है, एक बिहारी, सब पर भारी और देखा जाए तो यह कुछ हद तक सही भी है।

बिहारियों के सभी व्रत-त्यौहार सबसे कठिन होते हैं, फिर भी वो वैसे ही विधिवत पूजन करते आ रहे हैं, उनके अंदर आज भी ईश्वर के प्रति आस्था सबसे अधिक है।

अगर अपने से बड़ों को सम्मान देने की बात कहें तो वो भी सबसे अधिक इनमें मिलता है।

अगर संस्कार कहें तो वो भी बहुत कुछ पहले जैसा ही है, पहनने-ओढ़ने में, रखरखाव में, बातचीत में, खाना-पीना बनाने इत्यादि में।

और अगर शिक्षा की बात करें तो सबसे ज़्यादा IAS, PCS officer बिहार से ही select होते हैं। 

छठ व्रत रखने वाले सभी व्रतियों को सम्पूर्ण सम्मान के साथ प्रणाम।

हमें आधुनिकता के साथ-साथ अपने संस्कारों से भी सदैव जुड़े रहना चाहिए। जहां दोनों हैं, सही अर्थों में वही सफल से, समृद्ध है, भाग्यवान है।

जय छठी मैया, जय भारत 🙏🏻 

Tuesday, 28 October 2025

Song : पहिले पहिल छठी मइया

आधुनिकता के इस दौर के बावजूद भी लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर ना ही परंपराओं में कोई बदलाव हुआ, ना ही लोगों की आस्था कम हुई है। यही वजह है की सैकड़ों वर्षों से आस्था और विश्वास से लोग, लोक आस्था का महापर्व छठ मानते आए हैं।

इस पर्व में गाए जाने वाले गीतों की विशेषता यह होती है कि इसे भोजपुरी, मैथिली या मगही भाषा में गाया जाता है।

यह बहुत कर्णप्रिय होते हैं, और अपने तीज़-त्यौहार और संस्कृति से जुड़े हुए होते हैं।

पिछली छठ पर्व पर कांच ही बांस की बहंगिया गीत का हिंदी में भावार्थ किया था, जो लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया था, तथा हमारे पाठकों की यह मांग थी कि कुछ अन्य लोकप्रिय गीतों को भी हिंदी में भाव के साथ अनुवादित कर दें, जिससे आने वाली पीढ़ी इन गीतों के भावार्थ के साथ इनसे जुड़ सकें।

आज पहिले पहिल छठी मइया गीत का भावार्थ करने का प्रयास किया है, आशा है यह भी आप लोगों की कसौटी पर खरा उतरेगा।

पहिले पहिल छठी मइया


यह गीत, तब के संदर्भ में रचित किया गया है, जब कोई व्रती, पहली बार छठी मैया का व्रत आरंभ कर रही है, इस गीत के द्वारा छठी मैया को रिझाने, उन्हें अपने द्वारा किए गए पहले व्रत में हुई त्रुटि को माफ़ करने और व्रत से प्रसन्न होकर आशीष देने की कामना कर रही है।

जिसमें पति से स्नेह मिलने की कामना, पुत्र की मंगल कामना, कुल-परिवार की सुख-सम्पन्नता की कामना की गई है।

साथ ही वो घाट पर अति मनोहारी दृश्य को देखकर अति प्रसन्न होकर, छठी मैया से आए हुए उनके अनेकों भक्तों के भी सुख की कामना कर रही है। 

छठी मैया से मिलने वाली हजारों असीस की कामना कर रही है।

इस भजन के बोल इस प्रकार हैं, एक बार इन बोल को ऊपर दिए गए भावार्थ के साथ मिलाकर समझेंगे तो यह गीत आपके मन-मस्तिष्क पर छपता चला जाएगा, और आप स्वतः छठी मैया के असीम स्नेह और कृपादृष्टि से जुड़ते चले जाएंगे।


पहिले पहिल छठी मइया 

पहिले-पहिल हम कइनी

छठी मइया, बरत तोहार

छठी मइया, बरत तोहार

करीहा क्षमा, छठी मइया

भूल-चूक, गलती हमार

भूल-चूक, गलती हमार

गोदी के बालकवा के दीहऽ

छठी मइया, ममता, दुलार

छठी मइया, ममता, दुलार

पिया के सनेहिया बनइहा

मइया, दीहऽ सुख सार

मइया, दीहऽ सुख सार

नारियर, केरवा, गउदवा

साजल नदिया किनार

साजल नदिया किनार

सूनीहा अरज, छठी मइया

बढ़े कुल-परिवार

बढ़े कुल-परिवार

घाट सजवली मनोहर

मइया, तोर भगती अपार

मइया, तोर भगती अपार

लीही न अरगिया, हे मइया

दीहीं आसीस हजार

दीहीं आसीस हजार

पहिले-पहिल हम कइनी

छठी मइया, बरत तोहार

छठी मइया, बरत तोहार

करीहा क्षमा, छठी मइया

भूल-चूक, गलती हमार

भूल-चूक, गलती हमार

भूल-चूक, गलती हमार


बोलो छठी मैया की जय 🙏🏻 

छठी मैया, आप अपने भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि, अनुकंपा और स्नेह सदैव बनाए रखियेगा 🙏🏻  

छठी पर्व से जुड़ी अन्य post, कृपया इन्हें भी देखें और छठी मैया से पूर्ण रूप से जुड़ जाएं और उनकी हजारों-हजार असीस पाएं।

Sunday, 26 October 2025

Bhajan (Devotional Song) : है चच्चा जी का साथ

आज चच्चा जी महाराज के पावन जन्मोत्सव, कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी पर यह भजन उनके श्री चरणों में समर्पित है।

चच्चा जी महाराज, हम सब पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें 🙏🏻 

है चच्चा जी का साथ


कितनी हो कठिन डगर,

मुझको लगता नहीं है डर।

है उनका आशीर्वाद तो,

किस बात की फ़िक्र?

है चच्चा जी का साथ,

तो किस बात की फ़िक्र॥


वो हैं अपने रखवाले,

दुःख-दर्द मिटाने वाले।

है उनका सिर पर हाथ तो,

किस बात की फ़िक्र?

है चच्चा जी का साथ,

तो किस बात की फ़िक्र॥


हों कितनी काली रातें,

कट जाएंगी मुस्काते।

है संतों का साथ तो,

किस बात की फ़िक्र?

है चच्चा जी का साथ,

तो किस बात की फ़िक्र॥


सद्काम तू किए जा,

चच्चा का नाम लिए जा।

है उनसे ही हर बात तो,

किस बात की फ़िक्र?

है चच्चा जी का साथ,

तो किस बात की फ़िक्र॥


कर्म सभी कट जाएंगे,

वो हमको लेने आएंगे।

है उन पर यह विश्वास तो,

किस बात की फ़िक्र?

है चच्चा जी का साथ,

तो किस बात की फ़िक्र॥ 


कितनी हो कठिन डगर,

मुझको लगता नहीं है डर।

है उनका आशीर्वाद तो,

किस बात की फ़िक्र?

है उनका सिर पर हाथ तो,

किस बात की फ़िक्र?

है संतों का साथ तो,

किस बात की फ़िक्र?

है उनसे ही हर बात तो,

किस बात की फ़िक्र?

है उन पर यह विश्वास तो,

किस बात की फ़िक्र?

है चच्चा जी का साथ,

तो...

किस बात की फ़िक्र?



चच्चा जी महाराज व सभी संतों का हृदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻🙏🏻

Friday, 24 October 2025

Poem : काला मच्छर मोटा

जब भी मौसम बदलता है, ठंड से गर्मी या गर्मी से ठंड, ऐसे समय के आते ही मच्छरों की भरमार हो जाती है, साथ ही उनका काटना और हमारा उन्हें मारना, रोज का काम हो जाता है।

ऐसे ही माहौल में, हमारे छुटकू महाराज, मतलब अद्वय ने एक कटाक्ष( हास्य व्यंग) लिखा है ,आज उसे ही share कर रहे हैं। 

पसंद आने पर उसकी प्रशंसा तो बनती है...

काला मच्छर मोटा


छत पर बैठा,

ताक रहा था,

काला मच्छर मोटा!

खून पीकर, 

हो गया तगड़ा,

पहले था, जो छोटा।


पहले था, जो छोटा,

उसने मुझको,

खूब भगाया!

थक कर जब मैं,

बैठ गया तो, 

उसने काट खाया।


उसने काट खाया,

तब मैं चिल्लाया,

"मम्मी!"

वो मोटा ताक कर मुझको

बोल रहा था

"Your blood is so yummy…"


"Your blood is so yummy…"

यह सुनकर आया,

मस्त विचार!

Mosquito bat को,

पकड़ा मैंने,

कर दिया प्रहार। 


कर दिया प्रहार,

पर मच्छर,

निकला ज़्यादा फुर्तीला!

यह देखकर,

गुस्से से मैं,

हो गया लाल-पीला।


हो गया लाल-पीला,

पर हाथ में, 

कुछ न आया! 

फिर सोचा, है तो अब

वो भी अपना ही,

उसमें मेरा ही खून समाया।


उसमें मेरा ही खून समाया,

आज बन गई है,

 लोगों की यही पहचान!

खून चूसकर आपका,

वो दिखलाते हैं,

कुटिल मुस्कान।।

Thursday, 23 October 2025

Article : यम द्वितीया - शुरुआत भाई दूज की

आज भाई दूज, यम द्वितीया और चित्रगुप्त पूजन का दिन है।

भाई-बहन के प्यार पर बहुत कुछ लिखा है। पर आज सोचा, उस पर लिखें, जिस प्रसंग के होने के बाद से दीपावली के पंचदिवसीय पर्व में भाई-दूज भी शामिल हो गया। 

तो उस प्रसंग को प्रारम्भ करने से पहले आपको बता दें कि भाई-दूज को यम द्वितीया भी कहकर पुकारा जाता है, बल्कि यह कहना ज़्यादा उचित है कि यम द्वितीया को ही कालांतर में भाई-दूज कहा जाने लगा है।

यम द्वितीया - शुरुआत भाई दूज की


यह त्यौहार यमराज जी और उनकी बहन यमुना जी से जुड़ा हुआ है। इस त्यौहार को संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है, जिनके अलग-अलग नाम है।

भाई दूज को संस्कृत में “भगिनी हस्ता भोजना” कहते हैं। कर्नाटक में इसे “सौदरा बिदिगे” के नाम से जानते हैं, तो वहीं बंगाल में भाई दूज को “भाई फोटा” के नाम से जाना जाता है। गुजरात में “भौ” या “भै-बीज”, महाराष्ट्र में “भाऊ बीज” कहते हैं, तो अधिकतर प्रांतों में भाई दूज। भारत के बाहर नेपाल में इसे “भाई टीका” कहते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है। 

यमराज जी और उनकी बहन यमुना जी से जुड़ी एक पौराणिक कथा है, जो यह दर्शाती है कि कैसे यह प्रसंग ही भाई-दूज के पवित्र पर्व में बदल गया।


यम द्वितीया की पौराणिक कथा :

सूर्यदेव की पत्नी छाया के गर्भ से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेह वश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।

तब बहन यमुना ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहाँ भोजन करने आया करेंगे, तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए। 

इसीलिए ऐसी मान्यता प्रचलित हुई कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता। 

कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। 

इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद भाई को पान खिलाने का ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।

भाई-दूज के साथ ही इस दिन चित्रगुप्त पूजन भी होता है, जिसके विषय में अगले चित्रगुप्त पूजन वाले दिन बताएंगे…

Wednesday, 22 October 2025

Article : गिरिराज परिक्रमा

दीपावली पर्व हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार पंच-दिवसीय होता है।

धनतेरस पर्व से लेकर भाईदूज या चित्रगुप्त पूजन तक।

इस पांच-दिवसीय उत्सव की एक विशेषता और है, कि प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा का प्रावधान है।

धनतेरस पर्व पर धनवंतरी जी व कुबेर जी का पूजन, छोटी दीपावली/नरक चौदस/रूप चतुर्दशी पर हनुमानजी का पूजन, दीपावली पर्व पर लक्ष्मी जी व गणेश जी का पूजन, गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत का पूजन, व पांचवें दिन यमद्वितीया/भाई-दूज/चित्रगुप्त पूजन वाले दिन यमराज व चित्रगुप्त महाराज का पूजन किया जाता है।

इस तरह से पांच दिनों तक लगातार, विभिन्न पूजा अर्चना की जाती है।

गिरिराज परिक्रमा


• Areas of celebration :

आज गोवर्धन पूजा का दिन है। इस दिन की विशेषता संपूर्ण भारत में नहीं है। गोवर्धन पूजा का महत्व मुख्य रूप से ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव), आगरा, दिल्ली, मेरठ, हापुड़, मुरादाबाद आदि सभी उत्तर-प्रदेश के शहरों में, साथ ही गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी इसका भव्य आयोजन होता है। 

इन क्षेत्रों में इसका इतना अधिक महत्व है कि एक बार को दीपावली पर घर न पहुंचे, पर गोवर्धन पूजा में घर अवश्य पहुंचेंगे।


• Mt. Govardhan location :

गोवर्धन पर्वत, मथुरा जिले में स्थित है, जो कि वृन्दावन से 21 km दूर स्थित है। यह गिरिराज पर्वत के नाम से भी प्रसिद्ध है।

जिस तरह से वैष्णो देवी, बाला जी, खाटूश्यामजी, शिर्डी जाने के लिए लोग लालयित रहते हैं, वैसे ही गिरिराज जी की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। 

ब्रज क्षेत्रों के आसपास के लोग का तो साल में एक से दो बार परिक्रमा लगाने का नियम ही रहता है। 

आज गोवर्धन पूजा है, तो आपको गिरिराज पर्वत की परिक्रमा के विषय में ही बताते हैं।


• Parikrama (clockwise rotation) :

गिरिराज जी की परिक्रमा लगाने के लिए, आपको गोवर्धन पर्वत को दाईं ओर रखते हुए पैदल चलना होगा, जिसमें नंगे पैर रहना एक आम नियम है, हालांकि कमजोर लोगों के लिए चप्पल या जूते की अनुमति है। परिक्रमा मानसी गंगा से शुरू होकर वहीं समाप्त होनी चाहिए, जहाँ आप इसे शुरू करते हैं, और इसे अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। परिक्रमा के दौरान मानसिक पवित्रता, शांत मन और भगवान के नाम का जाप करना महत्वपूर्ण है।


• How to do Parikrama :

Initiation Rites - परिक्रमा शुरू करने से पहले, मानसी गंगा में स्नान करें, फिर गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करें।

Path & Direction - परिक्रमा गोवर्धन पर्वत के चारों ओर दक्षिणावर्त (दाईं ओर) लगाएं, जैसे घड़ी की सुई घूमती है। 

Rules for Footwear - अधिकांश भक्त नंगे पैर परिक्रमा करते हैं। यदि आप कमजोर हैं या बच्चे साथ हैं, तो रबड़ की चप्पल या कपड़े के जूते पहन सकते हैं। 

Physical & Mental State - परिक्रमा के दौरान शांत रहें, सांसारिक बातों से बचें और हरिनाम या भजन-कीर्तन करें। क्रोध या अपशब्द बोलने से बचें। 

Closing Rites - परिक्रमा समाप्त करने के बाद, गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करें और वहीं समाप्त करें जहाँ से आपने शुरू किया था।


• Types of Parikrama :

Whole Parikrama (21 km) - यह सबसे लोकप्रिय परिक्रमा है और इसे एक ही दिन में पूरा किया जाता है।

Small Parikrama (9 km) - इसमें गोवर्धन से उद्धव कुंड, राधाकुंड, कुसुम सरोवर होते हुए वापस गोवर्धन आना शामिल है। 

Big Parikrama (12 km) - इसमें गोवर्धन से आन्यौर, पुछरी, जतीपुरा होते हुए वापस गोवर्धन आना शामिल है। 

Obeisance (Dandvat) Parikrama - यह बहुत कठिन है और इसमें भक्त शरीर के आठों अंगों (दोनों भुजाएँ, दोनों पैर, दोनों घुटने, सीना, मस्तक) को जमीन पर छूते हुए आगे बढ़ते हैं।


• Govardhan Puja at home :

यदि आप घर पर रहकर गोवर्धन पूजा कर रहे हैं, तो गोबर से या ऐपन से चौक बनाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाए जातें हैं।

यदि छप्पन भोग न बना पाएँ तो विभिन्न फल, मेवा, मिठाई व खाने में कढ़ी, चावल, रोटी, अन्नकूट सब्जी (mix veg, बिना प्याज़-लहसुन की) का भोग लगाकर भी छप्पन भोग का प्रावधान मान लिया जाता है।

दरअसल, अन्नकूट सब्जी का विशेष महत्व है। अगर आप को इसकी विधि चाहिए, तो आप इस link पर click कर सकते हैं -

https://shadesoflife18.blogspot.com/2020/11/recipe.html?m=1


जय प्रभु श्रीकृष्ण की, जय गोवर्धन पर्वत की, जय गिरिराज महाराज की 🙏🏻

आपकी कृपा सभी भक्तों पर अवश्य बनी रहे 🙏🏻 

Tuesday, 21 October 2025

Article : दिल्ली में लौटा हिन्दुत्व

हिन्दूओं के सबसे बड़े पर्व, दीपावली पर कल की छटा अनुपम थी, अद्भुत थी। 

India Gate के सामने कर्तव्य पथ पर अलग ही मनोहारी दृश्य था। ऐसा लग रहा था मानो साक्षात् त्रेतायुग में विचरण कर रहे हैं।

कर्तव्य पथ पर दो लाख दीये जगमगा उठे और रामायण theme पर lazer व drone show आयोजित किया गया। यह उत्सव दीपावली मनाने के लिए आयोजित किया जा रहा था, और आज  भी इतने ही दीये जलाए जाएंगे। कर्तव्य पथ का कल का वर्णन इस प्रकार है…

दिल्ली में लौटा हिन्दुत्व


• Main Attraction :

कर्तव्य पथ को दो लाख दीयों से रोशन किया गया, जो एक भव्य दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।


• Cultural Programme :

इस अवसर पर रामायण की thems पर आधारित एक विशेष lazer और drone show आयोजित किया गया।


• Opportunity :

यह उत्सव दीपावली के उत्सव का हिस्सा है, जिसे कर्तव्य पथ पर भव्य तरीके से मनाया जा रहा था।


• Cultural Importance :

कर्तव्य पथ, जो भारत की विरासत और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है, कल भव्य प्रकाश और drone show के साथ सांस्कृतिक उत्सवों का केंद्र बना।


• Extension :

कर्तव्य पथ की सजावट के लिए केवल एक दिन नहीं, बल्कि अगले दिन भी दो लाख दीये जलाए जाएंगे, जिससे उत्सव की भव्यता बनी रहेगी। 

खाली कर्तव्य पथ में ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण दिल्ली में कल अलग ही स्वर्णिम दीपावली प्रतीत हुई।

स्वर्णिम मतलब? 

मतलब बचपन वाली...

जब सुबह के पांच बजे तक पटाखों की आवाज सुनाई देती थी। ऐसा नहीं है कि जब AAP की सरकार थी, और उसने दीपावली पर पटाखों पर ban लगा दिया, तब दिल्ली में पटाखे नहीं फोड़े जाते हों, पर तब लुकेछिपे पटाखे खरीदे जाते थे। 

कोई क्यों कर अपने धर्म में किसी की तानाशाही दख़ल अंदाजी सहन करेगा।

पर अब जब दिल्ली में BJP सरकार आ गई है, तो उन्होंने दिल्ली में green पटाखे allow करा दिए हैं, तो इस साल पटाखों की धूम ही अलग रही।

So called sophisticated लोग, जिनके घरों में 2-2, 4-4 AC लगें हैं, जितने घर में प्राणी हैं, उससे ज्यादा कारें घर में मौजूद हैं। सब अकेले-अकेले कार लेकर निकलते हैं। उन्हें उससे बढ़ता pollution level नहीं दिखेगा, लेकिन कल दीपावली पर्व पर पटाखे फोड़े गए हैं, इससे भयंकर pollution level बढ़ गया है - इसका बेहद हंगामा मचा देंगे। अगर pollution level की इतनी ही चिंता है तो क्यों नहीं केवल cooler और पंखा use करते हैं, cars की जगह cycles क्यों नहीं use करते हैं। वो नहीं करेंगे, क्योंकि उससे उनके आराम में खलल पड़ेगा। 

पर पटाखों को, और वो सिर्फ और सिर्फ दीपावली पर्व पर फोड़े जाने पर हंगामा मचाया जाएगा, क्यों? आखिर क्यों?

क्योंकि, सिर्फ हिन्दूओं के ही पर्व पर कुठाराघात करना है। पर अब से ऐसा नहीं होगा, इस दीपावली पर्व से यह समझ में आ चुका है।

दूसरी बात, यकीन मानिए, pollution level सिर्फ उतना ही बढ़ा है, जितना हमारे, आपके बचपन में बढ़ता था। मतलब नाममात्र का, और एक-दो दिन में उसका असर ख़त्म भी हो जाएगा।

पर एक चीज़ पर अच्छा असर पड़ा है, और वो हैं - मच्छर, मक्खी, कीड़े-मकोड़े का। उनकी संख्या कम होने में गज़ब का अंतर आया है। 

अगर आप ढंग से समझेंगे तो हिन्दू त्यौहारों में होने वाले रीति-रिवाज बहुत सोच समझ कर बनाए गए हैं, जिनमें जनमानस का हित शामिल है। 

कैसे, देखिए।

होली में होलिका दहन, केवल लकड़ियां इकट्ठी करके जलाना नहीं होता है, बल्कि उसमें अक्षत (चावल), ताजे फूल, गुलाल, हल्दी, गुड़, बताशे, सूखा नारियल, उपले, और गाय के गोबर से बनी माला जैसी चीजें डाली जाती है। इनके अतिरिक्त, अच्छे स्वास्थ्य के लिए नीम के पत्ते और कपूर डालना भी शुभ माना जाते हैं।

और ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि जब होली आती है, तब मौसम बदल रहा होता है, मतलब ठंड से गर्मी आ रही होती है। उस समय में मच्छर-मक्खी, कीड़े-मकौड़े सबसे अधिक बढ़ जाते हैं, लेकिन होलिका दहन से उठने वाला धुआं कीटनाशक का काम करता है, जिससे कुछ दिनों तक मच्छर, मक्खी, कीड़े-मकौड़े से राहत मिल जाती है।

वही दीपावली पर्व के समय होता है, गर्मी जाकर ठंड आ रही होती है, तो जो काम होलिका दहन से होता है, वही इस समय, पटाखे फोड़ने से होता, पटाखों के धुंए से मच्छर, मक्खी, कीड़े-मकौड़े कम हो जाते हैं। साथ ही पटाखे फोड़ने से दीपावली के उत्सव पर चार चांद लग जाते हैं। विशेषकर बच्चों और युवाओं के लिए..

हां, पटाखे फोड़ते समय, किसी भी तरह की कोई दुर्घटना न हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।

तो आज सुबह तक आती हुई पटाखों की आवाज यह सिद्ध कर रही है कि दिल्ली में हिंदुत्व बढ़ रहा है, लोग BJP government के आने से खुश हैं। उन्हें लग रहा है कि कोई तो ऐसा आया, जिसे एहसास है कि हिन्दू त्यौहारों के रीति-रिवाज पर तानाशाही दख़ल नहीं देना चाहिए।

उन्हें अपने त्यौहार को वैसे ही मनाने का पूरा हक़ है, जैसा स्वरूप उसका सदियों से चला आ रहा है और दिल्ली छोड़कर, बाकी प्रदेश में आज भी चल रहा है। 

जय श्रीराम 🚩 

शुभ दीपावली 🪔🎉

Monday, 20 October 2025

Poem : नन्हा-सा दीपक

क्यों कहते हैं दीपोत्सव को दीपावली, कभी सोचा है आपने?

दीपावली का संधि विच्छेद करेंगे, तो आएगा, दीप + आवली, जिसमें दीप का अर्थ है, दीपक और आवली का अर्थ है एक पंक्ति में, अर्थात् दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। 

भगवान श्रीराम के अयोध्या वापस आने पर लोगों ने दीपों की पंक्तियां सजाकर उनका स्वागत किया था।

बस तब से दीपावली पर्व आरंभ हुआ और सतत् चलता जा रहा है।

आज दीपोत्सव में टिमटिमाते, जगमगाते दीपक को यह कविता समर्पित है, उसके द्वारा दिए गए संदेश के साथ…

नन्हा-सा दीपक


अमावस्या के घने तिमिर को,

जब नन्हा-सा दीपक हरता है।

सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ में वो,

दीपावली का संदेशा धरता है।। 


तनिक न ठहर जाना जीवन में, 

देखकर किसी कठिनाई को। 

हार न मानना कभी भी तुम,

जीवन की छोटी-बड़ी लड़ाई को।। 


कहता है वो उम्र और कद,

तनिक नहीं अड़ता है। 

सफलता के कठिन मार्ग पर, 

धैर्य से चलना पड़ता है।। 


जिसने है यह ठान लिया कि,

वो कुछ कर जाएगा।

कर्म के प्रति अडिगता,

सफल उसे बनाएगा।। 


मंजिल पाने तक, तुमको, 

अनवरत चलना होगा। 

कर्म रूपी तेल की तपिश से,

घंटों-घंटों जलना होगा।।


घना तिमिर हो कितना भी, 

सुख का आलोक छाएगा।

अथक परिश्रम तेरा, तुझको,

सफल अवश्य बनाएगा।। 


अमावस्या के घने तिमिर को,

जब नन्हा-सा दीपक हरता है।

सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ में वो, 

दीपावली का संदेशा धरता है।। 


आप सभी को पंचवर्षीय दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ। लक्ष्मी माता व गणेश जी हम सब पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें 🙏🏻

शुभ दीपावली!