Saturday, 25 August 2018

Story Of Life : ये दूरी

ये दूरी


स्नेहा विहान माँ पापा के साथ हंसी खुशी जीवन बिता रहे थे, पापा की बहुत अच्छी job थी। अत: घर में किसी चीज़ का कोई अभाव नहीं था।
दोनों भाई बहन पढ़ने में अच्छे थे। स्नेहा की पिता की तरह ही अच्छी job करने की इच्छा थी, वहीं विहान विदेश जाने की इच्छा रखता था।
एक दिन पापा जब घर आए तो वो कुछ बेचैन से लग रहे थे। पर उसकी वजह क्या थी कोई नहीं जानता था। रात होते होते तबीयत अत्यधिक खराब हो गयी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। पर तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।
स्नेहा बड़ी थी, तो उसकी ज़िम्मेदारी भी बढ़ गयी थी। ये सोचा जाने लगा कि पापा की जगह अब कौन नौकरी ले।
माँ की अवस्था, पापा के नहीं रहने से बहुत अधिक खराब हो चुकी थी। नौकरी क्लर्क वाली, मिल रही थी। जबकि दोनों बहन-भाई officer बनने के सपने देख रहे थे।
स्नेहा अपने भाई को बेइंतहाँ चाहती थी, उसने अपने सपनों को दरकिनार करके job join कर ली। उधर भाई का भी America जाने का offer आ गया।
विहान पशोपेश में था। स्नेहा ने उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ सहलाते हुए कहा, भाई तुम किसी चीज़ की चिंता मत करो, मैं हूँ ना। मेरा सपना तो पूरा नहीं हो सका, तुम्हारा सपना पूरा हो जाएगा, तो मुझे लगेगा, मेरा भी सपना पूरा हो गया।
विहान चला गया। घर में अब केवल स्नेहा व माँ ही बचे थे। सभी बोलने लगे अब स्नेहा का विवाह कर देना चाहिए। पिता हैं नहीं, भाई बाहर रहता है। वक़्त का कुछ भरोसा नहीं है, कब क्या हो जाए?
स्नेहा की शादी degree college के teacher से तय हो गयी, और विहान के लिए भी एक लड़की पसंद कर ली गयी। विहान आया, तो दोनों की शादी एक ही मंडप के नीचे कर दी गयी।  
विहान दस दिन रुक कर अपनी माँ से बोला, माँ अब आप भी हमारे साथ America चलें। माँ बोली, मैं कहाँ चलूँगी, तुम अपने संग रिया को ले जाओ। नहीं माँ मैंने और रिया दोनों ने ये decide किया है, कि आपको साथ ले कर ही हम जाएंगे। फिर दीदी भी तो अब यहाँ नहीं हैं। पर माँ कैसे भी नहीं मान रहीं थीं।
विहान ने स्नेहा को फोन लगाया, बोला दीदी अब आप ही माँ को चलने को बोलिए। स्नेहा के कहने से माँ चली तो गयी। पर उनका वहाँ मन नहीं रमा। वो 2 महीने में ही वापस आ गईं।
माँ के वापस आ जाने से स्नेहा परेशान रहने लगी। क्योंकि अब माँ एकदम अकेले रह रहीं थीं। उधर उसके साथ उसके सास ससुर भी रहते थे, तो उसका वहाँ से निकालना बहुत मुश्किल होता था।
एक दिन खबर आई कि विहान का accident हो गया है, वो ICU में admit है। ये सुनकर माँ और स्नेहा बुरी तरह घबरा गए, पर अत्यधिक दूरी ने उनके हाथ-पैर बांध दिये थे। वो दिन रात ईश्वर से प्रार्थना करते, कि विहान ठीक हो जाए। उनकी ईश्वर ने सुन ली, विहान तो ठीक हो गया। पर उसकी नौकरी छूट गयी। दूसरी job के लिए विहान हाथ-पैर मारने लगा। उसकी ऐसी अवस्था सुन कर माँ और स्नेहा तड़प के रह जाते। दूरी इतनी अधिक थी कि, वो विहान की किसी तरह की कोई भी मदद नहीं कर पा रहे थे।
2 साल के अथक प्रयासों से विहान को फिर अच्छी जॉब मिल गयी।
स्नेहा के एक प्यारा सा बेटा हुआ। बहुत बड़ी party हुई, सब आए, बस नहीं आ पाया, तो वो था विहान। उसने बहुत सारे gifts भेजे। पर स्नेहा को तो उसके आने की आस थी। पर दूरी का सोच के मन मार लिया।
विहान के भी बेटा हुआ, माँ को तो विहान ने बुला लिया। पर पति, बच्चा, सास ससुर सब के चलते, वो भी केवल gifts ही भिजवा पायी।
आज वो सोच रही थी, अगर विहान यहीं होता, तो दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल हो पाते, क्या उसने अपने भाई का सपना पूरा करवा के कोई भूल कर दी?

काश उसके भाई ने इतनी दूरी का सपना ना देखा होता।     

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