Wednesday 10 June 2020

Story of Life : भय


भय


रंजना बहुत ही सुंदर, सौम्य सी लड़की थी। उसका अधिकतर समय पढ़ाई – लिखाई में ही व्यतीत होता था। उसके शांत स्वभाव के कारण सब उसे दबू समझते थे।

रंजना का मेडिकल में selection हो गया था, उसे झाँसी का institute मिला था। उसकी माँ सोच रही थी, कि बेटी को अपने से दूर कैसे भेजे? रंजना के पिता ने समझाया कि, ऐसे सोचोगी तो बेटी कभी आगे बढ़ नहीं पाएगी।

माँ मान गयी, रंजना झाँसी चली गयी, पढ़ने में तो वो बहुत तेज़ थी, उसने वहाँ top करना शुरू कर दिया। उसकी उन्नति से माँ का सीना गर्व से फूल जाता।


पाँच साल में रंजना का medical का course complete हो गया। अब वो अपने शहर वापस आ गयी थी। वहीं के बड़े hospital में उसने job join कर ली।

अपने अथक परिश्रम से उसने कुछ दिन में ही शाख बना ली, और अपना clinic खोल लिया। माँ उसकी तरक्की से तो खुश थी, पर अपनी बेटी के dedication से थोड़ा दुखी भी थी।

मरीजों को ठीक करने की चाह में यह लड़की खाना-पीना, दिन-रात, कुछ नहीं देखती है। आज-कल जमाना बहुत खराब है, और यह लड़की कुछ सोचती नहीं है।

रंजना हमेशा कहती, मेरी अच्छी माँ मुझे कुछ नहीं होगा।

पर रंजना की माँ का भय सही निकला, एक दिन रात के समय लौटते समय......

क्या हुआ रंजना के साथ जानते हैं, भय (भाग- 2) में.......