Sunday 27 August 2023

Story of Life : राखी (भाग - 2)

राखी (भाग -1) के आगे... 

राखी (भाग-2)



जिस दिन मम्मी और राखी, घर पर आए, कार्तिक ने दादी मां के साथ मिलकर बहुत सुन्दर घर सजाया। 

कुछ दिन बाद राखी के पैदा होने का function रखा गया, खूब सारे रिश्तेदार आए थे। सभी राखी के लिए ढेरों उपहार लाए थे। कार्तिक सारे उपहार बड़े करीने से सजा रहा था।

तभी उसके चचेरे भाई कबीर ने उससे कहा, कार्तिक सारे उपहार राखी के लिए आए हैं, तेरे लिए कोई कुछ नहीं लाया है, सिवाय मेरे और यह कहकर उसने कार्तिक की तरफ फुटबॉल उछाल दी।

फुटबॉल कार्तिक को बहुत पसंद थी, पर कबीर का इस तरह का व्यवहार, उसे बहुत खराब लगा। वो कबीर से बोला, मुझे नहीं चाहिए कुछ भी, यह कहते हुए उसने कबीर को फुटबॉल वापस कर दी।

ओय कार्तिक तुझे क्या हो गया है? मैं तो तेरे लिए, तेरी favourite, football लाया हूंँ। 

अब से मेरी सबसे favourite, मेरी बहन राखी है। और हाँ अब मैं बड़ा हो गया हूँ, इसलिए मुझे सारे उपहार अपनी गुड़िया के लिए ही चाहिए, यह कहकर वो बड़े प्यार से अपनी बहन को निहारने लगा। और साथ ही यह गाना गाने लगा 

फूलों का, तारों का सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है, सारी उम्र हमें संग रहना है...

मां-पापा और दादी मां सबने कार्तिक को बहुत प्यार से निहार रहे थे और सोच रहे थे कि उन सबका लाडला, छोटा-सा कार्तिक, अब बड़ा और कितना समझदार हो गया है।

जैसे जैसे राखी बड़ी हो रही थी, वो उतनी ही चंचल और सबकी लाडली होती जा रही थी और साथ ही सबका ध्यान भी सिर्फ उसके ही इर्द गिर्द सिमटता जा रहा था।

पर इससे, कार्तिक पर सबका ध्यान कम होता जा रहा था। 

एक दिन school की तरफ से football team select की जा रही थी, उसमें कार्तिक का नाम सबसे पहले चुना गया था। उसके लिए कार्तिक को दूसरे शहर जाना था।

कार्तिक बहुत खुश था, आज दादी मां, पापा-मम्मी सबको बताऊंगा, सब खुशी से झूम उठेंगे।

पर जब वो घर पहुंचा तो राखी बहुत बीमार थी, पूरा घर उसके लिए परेशान था। कार्तिक के आते ही मम्मी बोली बेटा, राखी बहुत बीमार है, हम उसे लेकर अस्पताल जा रहे हैं। तुझे जो कुछ चाहिए, दादी मां से मांग लेना और हां उनका ध्यान भी रखना...

कार्तिक के मुंह से निकल गया, पर मां फुटबॉल....

पापा, पीछे से बोले क्या फुटबॉल?... तुम्हारी बहन इतनी बीमार है और तुम्हें फुटबॉल चाहिए.. चुपचाप वही करो, जो मां ने कहा है.. यह कहकर मम्मी पापा और राखी, hospital चले गए। 

मैं कभी बतलाता नहीं...

कार्तिक को अपनी आंखों के सामने अपना सबसे बड़ा सपना टूटता दिख रहा था, उसकी आंखें भर आईं और मन उदास हो गया।

दादी मां ने जब कार्तिक को ऐसा देखा तो...


क्या कार्तिक, इस नज़र अंदाजी को सह पाएगा...

पढ़िए अगले भाग, राखी (भाग -3), अंतिम भाग में...