Friday, 5 May 2023

Article: Hospital - A whole world

 अस्पताल - एक दुनिया  


अपने backache के कारण, hospital आना हुआ... 

अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि hospital में एक announcement हुई, जिसमें उन्होंने blue alert की बात कही और उसके साथ ही पूरे hospital के इस portion में भगदड़ सी मच गई, जहां हम बैठे, doctor का wait कर रहे थे।

Hospital staff इस ओर से ही दौड़ते हुए जा रहे थे। जहां वे सब इकठ्ठा हो रहे थे, उस ओर से बहुत तेज कुछ लोगों के रोने की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी। रोने की आवाज़ और staff को दौड़ता देख, वहां बैठे हम सब भी उस ओर चल दिए, क्योंकि blue alert क्या mean करता था, वो किसी को समझ नहीं आया था। 

थोड़ी देर देखने पर पता चला कि किसी patient की death हो गई थी और उसके family members, इस बात से दुखी होकर रो रहे थे। उन्हीं में से एक बेहोश होकर गिर भी गया था। जिस कारण से blue alert किया गया था।

थोड़ी देर तक सब family members को सम्हालते रहे, कुछ लोग सांत्वना भी दे रहे थे। फिर उस patient के घर वालों में से कुछ घर चले गए, कुछ formalities पूरी करने चले गए।

Hospital का माहौल यथावत हो गया, सभी अपनी अपनी परेशानियों से परेशान अपने-अपने doctor का wait करने लगे।

थोड़ी देर और समय बीता, और हर तरफ खुशियों की लहर दौड़ गई। एक family को सालों बाद संतान प्राप्ति का सुख मिला था। उनके family members खुशी से झूम रहे थे। सब उन्हें बधाई दे रहे थे। कुछ मिठाई खिलाने की बात भी कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद फिर सब यथावत, सब अपनी-अपनी उलझन में व्यस्त...

कुछ दर्द से कराह रहे थे, किसी के fracture था, किसी के plaster, वहीं कोई fever से तड़प रहा था, किसी के खून बह रहा था, तो कोई किसी अन्य परेशानी, आदि से परेशान था... Hospital था तो बहुत से लोग परेशानी में होंगे ही...

पर कुछ लोग बहुत प्रसन्न भी थे, वो लोग जो पूर्णतया ठीक होकर hospital से निकल रहे थे साथ ही उनके family members भी और वो भी जिनके घर किलकारी गूंजी थी...

वहीं कुछ लोग एकदम शांत भी थे, जबकि वो भी अपनी दर्द और परेशानियों से जूझ रहे थे। वे शायद ऐसे लोग थे, जो बहुत संयमी और सहनशील थे। जो यह जानते थे कि problem आई है तो दर्द तो सहना ही पड़ेगा। पर यह समय कुछ पल बाद गुज़र जाएगा।

एक साथ, कुछ ही पलों में जन्म-मरण, सुख-दुख, कष्ट और निवारण सब देख लिया और साथ ही यह भी देख लिया कि हर क्षण कुछ पल का ही है। सुख या दुःख, कुछ क्षण ही अपना प्रभाव डालता है, फिर समय के साथ सब यथावत हो जाता है।

उन पलों को जी कर लगा, यही तो जिंदगी भी है, बिल्कुल ऐसी ही...

जहां जन्म-मरण, सुख-दुःख, कष्ट और उसके निवारण सब कुछ ही तो है, सबको अपने-अपने दुःख कष्ट परेशानियां सब झेलनी है, जैसे खुशी, सुख, सफलता का भोग भी खुद ही करते हैं।

साथ ही सुख आए या दुःख, कुछ समय पश्चात् जिंदगी यथावत हो जाती है। 

शायद आगे आने वाले पलों के लिए या शायद इसलिए यथावत हो जाती है, जिससे जिंदगी एक जगह थम कर ना रह जाए, आगे बढ़ती जाए।

एक नदी की तरह, जिसका जल, पल प्रति पल बहता रहता है। 

आपको पता है, तालाब से नदी को ज्यादा श्रेष्ठ माना जाता है।

जानते हैं क्यों? क्योंकि नदी का जल प्रति पल बहता रहता है, तालाब की तरह ठहरा हुआ नहीं है।

एक बच्चा जब पहला कदम रखता है तो वो और पूरा परिवार बहुत खुश होते हैं। लेकिन अगर उस खुशी को समेट कर रख लिया जाए, या यह सोचकर कि आज पहला कदम रखा है, कल को चलने लगेगा, उसके बाद दौड़ने लगेगा, दौड़ेगा तो गिरेगा भी... तो यह ना गिरे, इसके लिए उसे दूसरा कदम रखने ही ना दें, तो यह ठहराव कहां तक उचित है?

ऐसे ही बच्चा अगर एक बार गिर जाए, तो इस दुःख में, कि अब इसे चलने ही नहीं देंगे तो गिरेगा भी नहीं, तो भी यह ठहराव कहां तक उचित है? 

दोनों ही सूरत में बच्चे का चलना रोक देना, जीवन को निष्क्रिय कर देना है। चलना, दौड़ना, गिरना, गिरकर उठना फिर चलना, दौड़ना, यही जिंदगी है।

ऐसे ही बहुत बड़े दुःख या सुख के साथ ठहराव, जिंदगी को ख़त्म कर देता है। इसलिए मत रोकिए, इस जीवन को, सब यथावत चलने दीजिए। 

आप को जब भी लगे कि आप सबसे ज्यादा दुखी हैं या हिम्मत जवाब दे जाए कि अब कुछ नहीं हो सकता, तो एक बार hospital जरूर से जाइए, और वहां हो रहे क्रिया कलापों को जीने की कोशिश कीजिएगा... 

एक hospital आप के अंदर नयी स्फूर्ति भर देगा...

hospital, एक सम्पूर्ण जिंदगी है, जहां आपको जिंदगी को समझने और यथावत चलाने की प्रेरणा मिलेगी।

वैसे ही जैसे hospital में हो रहा होता है, कुछ भी घटना होने के पश्चात्, क्षण भर रुकना, फिर सब यथावत हो जाना..


Disclaimer  : यह article किसी विशेष व्यक्ति या घटना को ध्यान में रखकर नहीं लिखा है। यह hospital में बीते हुए कुछ पलों का अनुभव है जो share किया है..