Tuesday, 27 November 2018

Poem : मानों तो अपना है


मानों तो अपना है


मानों तो अपना है
वरना ससुराल एक
बुरा सपना है


जब नववधू

मायके से आती है
ससुर को ही
पिता रूप में पाती है
आशीष से उनके 
नया घर बसाती है


मानों तो अपना है
वरना ससुराल एक
बुरा सपना है


जब नववधू

मायके से आती है
सास में माँ की 
झलक पाती है
आँचल में उनकी 
नई दुनिया समाती है


मानों तो अपना है
वरना ससुराल एक
बुरा सपना है


जब नववधू 

मायके से आती है
देवर के रूप में 
भाई पा जाती है
उसको सुरक्षा की नयी
ढाल मिल जाती है 

मानों तो अपना है
वरना ससुराल एक
बुरा सपना है


जब नववधू 

मायके से आती है
ननद ही बहन, 
सहेली बन जाती है
जिसके संग दिनभर
खिलखिलाती है

मानों तो अपना है
वरना ससुराल एक
बुरा सपना है


जब नववधू

मायके से आती है
उसकी ज़िंदगी 
सँवर जाती है
पिया के साथ से
पूर्ण हो पाती है

मानों तो अपना है
वरना ससुराल एक
बुरा सपना है