Wednesday, 30 September 2020

Stories of Life : रोटी

 रोटी



आज हरिया, फिर से ठेकेदार के पास आया।

हजूर कुछ काम मिल जाता तो बच्चे दो वक्त की रोटी खा लेते।

ठेकेदार बड़ा भला इन्सान था। उसके पास जितने भी मजदूर काम करते थे, वो सभी को बहुत दिनों तक हर दिन के 50 रुपए देता रहा था।

पर स्थिती सम्भल ही नहीं रही थी, तो उसने सबको 200 रुपए देकर गांव लौट जाने को कहा था। इस बात को एक हफ्ता हो चुका था।

हरिया को अपने समाने खड़ा देखकर, ठेकेदार बोला- तू गांव नहीं गया?

पैसे कम पड़ गये थे या कोई बीमार पड़ गया?

नहीं हजूर, आप की किरपा से सब ठीक है।

तो गांव काहे नहीं गये?

का करते हजूर, गांव जाकर? वहां कौन से खड़े खेत हमारी बांट जोह रहे हैं।

हम तो जैसे यहाँ कंगाल, वैसे ही वहाँ भी। वैसे भी वहाँ बहुत सुविधा होती, तो आते ही काहे।

यहां, आप हो हमारे अन्नदाता। जिसने कभी हमें भूखे नहीं सोने दिया, आप को छोड़ कर कैसे चले जाते, माई-बाप?

सब तो चले गए, तुम ही काहे रुके पड़े हो?

कोई नहीं गया हजूर।

क्या कह रहे हो?

सच कह रहा हूं हजूर।

तो इतने दिनों से तुम लोग कर क्या रहे थे, कोई मेरे पास आया क्यों नहीं? तुम लोगों का खाना पीना कैसे हो रहा था?

हजूर, हम में हर रोज़ कोई एक आता था। छुपकर आप को देखकर, आसपास से टोह लेकर जाता था कि कोई काम मिला। क्योंकि बिना काम मिले, हम आप से और ज्यादा पैसा मांगकर आप को नाहक दुःखी नहीं करना चाहते थे।

आज हमाई बारी थी। 

तो तुम आज सामने क्यों आ गये?

हजूर, अभी तक तो आप के दिए पैसों से जैसे तैसे गुजारा कर रहे थे, पर अब बच्चे और बूढ़े भूख से बिलख रहें हैं।

पर हरिया, अब सच में तुम लोगों को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है।

तुम लोगों को गांव जाने के पैसे भी, तुम लोगों की मालकिन के गहने बेचकर दिए थे।

नहीं हजूर, पैसे नहीं, काम चाहिए।

कहाँ से लाऊं काम?

हजूर पता चला है कि बहुत सी buliding में मजदूरी का काम चाहिए।

वहाँ औने पौने दाम में काम ले रहे हैं।

हजूर अभी सब चलेगा, दो रोटी, रुखी सूखी भी छप्पन भोग है अभी।

सोच लो, अभी दाम कम करना, हमेशा के लिए का रेट बन सकता है।

हजूर जब सब भूखे मर जाएंगे तो भी तो कुछ हाथ नहीं आएगा। दो रोटी ही सही खाने को तो मिलेगी फिर आगे का आगे देखेंगे।

 ठीक है हरिया, जैसी सबकी इच्छा। मैं बात करता हूं शायद कहीं कुछ मिल जाए।

 4 दिन बाद ठेकेदार ने सबको बुलाया, बोला बड़ा काम मिला है, और पैसा भी ठीक मिल जाएगा। पर सुबह से रात तक काम करना होगा। एक भी छुट्टी नहीं मिलेगी। थककर चूर हो जाओगे।

सब बोले हजूर, अभी बैठकर ज्यादा थकान हो रही है, जब सबको भूख से बिलखता देखते हैं।

काम शुरू हो गया, दिन रात काम चलने लगा। रोज़ रात तक सब थककर चूर हो जाते।

पर अगले दिन, फिर सबको रोटी खाने को मिल जाएगी, यह सोच कर ही रातभर में सब थकान दूर हो जाती।

सबका पूरा-पूरा परिवार काम करता, किसी को भी जल्दी जाने के लिए, कोई बहाना नहीं सूझता।

कुछ महीनों ने सबको रोटी का मोल और काम की महत्ता समझा दी थी।

ठेकेदार को अपने मजदूरों से बहुत प्यार था, इसलिए वो अपनी कमाई के बड़े भाग से आए दिन सबके लिए पूड़ी सब्जी, हलवा बनवाकर बांट देता।

सब बहुत खुश रहने लगे, उनको रोज़ रोटी मिलने की चिंता जो नहीं करनी पड़ रही थी।

Tuesday, 29 September 2020

Articles : World Heart Day ❤️

 World Heart Day ❤️



हमने आज तक ना जाने कितने Days, celebrate किए हैं, तो चलिए आज एक दिन अपने लिए मनाते हैं, आज world Heart Day ❤️ celebrate करते हैं।

आज हम, किसी और की इच्छा से नहीं बल्कि हमारे दिमाग की भी इच्छा से नहीं, बस केवल दिल की इच्छा वाले काम को करते हैं।

फिर वो चाहे पूरे दिन सोने का हो या दिनभर TV देखने का।

पेट भरकर दोस्तों से गप्पे लड़ाने का या yummy yummy खाना खाने का, या ऐसा ही कुछ और करने का.........

आज का दिन बिंदास, अपने दिल के नाम करने का।

साल के 364 दिन तो दिमाग अपनी चलाता है, आज उसकी छुट्टी कर के दिल को गुलजार करने का दिन है।

पर साथ ही इस नाजुक से दिल को लोगों की चुभने वाली बातों से बचाना है, इसको मस्त मगन हो खेलने देते हैं या इसे, इश्क से रुबरु कराते हैं। इश्क केवल साथी से नहीं होता है। वो हर उस से होता है, जो हमें पसंद हो, फिर चाहे वो कोई शख्स, रिश्ता या शौक ही क्यों ना हो।

क्योंकि यह दिल तभी खुश रहता है, जब यह बच्चा हो या अल्हड़ जवानी पर दस्तक देता है। 

तो इसको इससे ज्यादा बड़ा होने ही क्यों दें? वैसे भी संजीदा होने से मिला क्या है, तन्हाई के सिवा।

पर इसको बचाना है, उन निर्मोही BP, Sugar and Cholesterol जैसी कई बिमारियों से भी, जिनके होने से यह हमारे जानदार, शानदार दिल को इस कदर कमजोर कर देता है, कि वो कब अपनों को अलविदा कह देता है, पता ही नहीं चलता है।

 आज world Heart Day ❤️ के celebration में हम अपने दिल को मजबूत करने की राह में ले जाते हैैं, चलिए उसे सशक्त बनाते हैं।

Stay Fit, Stay Healthy.

Monday, 28 September 2020

Kids story : दीदी

दीदी



कुसुम की दो बेटियां थी, सरला और चंचला। दोनों ही अपने नाम के अनुरूप थीं।

कुसुम लोगों के घरों में घर बर्तन का काम करती थी। उसने सभी बड़े बड़े घरों में काम पकड़ा था।

तो आए दिन, नये से कपड़े और अच्छा अच्छा खाना उसे मिलता रहता था।

कुसुम ऐसे कपड़े ज्यादा लेती थी, जो सरला को आ जाएं, क्योंकि जब वो छोटे होते, तो चंचला के आ जाते थे। इससे होता यह था कि एक बार के एहसान से उसकी दोनों बेटियों के कपड़े हो जाते थे।

पर यह बात चंचला को बिल्कुल नहीं भाती थी। वो नहीं जानती थी कि माँ दूसरे घरों से कपड़े लाती है, वो सोचती माँ, सिर्फ दीदी के लिए नए कपड़े लाती है, मुझे तो हमेशा दीदी के पुराने कपड़े मिलते हैं। वो अपनी दीदी से बहुत चिढ़ती।

जब सरला  16 साल की हो गई, तो उसके मन में इच्छा हुई, वो कुछ ऐसा करें, कि माँ को घर घर काम ना करना पड़े।

उसने पता किया, कि एक पार्लर में 5 हजार का course कराने के बाद वहीं काम करने का मौका भी मिल जाता है।

सरला के सपने बड़े थे, उसने सोचा पार्लर का काम सीख कर वो खुद का पार्लर खोल लेगी।

पर माँ के पास इतने पैसे नहीं थे। तो सरला की माँ ने कहा, कुछ महीने का दिनभर का काम कर लो। पैसे जोड़ लेना, तो अपने सपने भी पूरे कर लेना।

सपना ने दो महीने के लिए काम पकड़ लिया, अब वो घर में नहीं रहती थी।

चंचला इस बात से बहुत खुश थी, अब माँ सब मेरे लिए ही लाएगी।

इधर कुसुम को कपड़े नहीं मिल रहे थे।

दिन गुजरते गये, चंचला की Birthday आने वाली थी, वो माँ से बोली, एक हफ्ते पहले ही बता दें रही हूँ, मुझे नयी frock चाहिए। हमेशा ही दीदी के छोड़े कपड़े पहने हैं, उस दिन नहीं पहन सकती।

माँ ने एक घर से अच्छी सी frock मांग ली। Frock देखकर चंचला बहुत खुश हुई।

वो अपनी birthday वाले दिन, इतराती हुई frock पहन कर उसी appartment में चली गई, जहाँ से माँ वो frock लायी थी।

सारे बच्चों ने उसका बहुत मज़ाक उड़ाया, और कहा, यह तो birthday में भी दूसरों के दिए हुए कपड़े पहनती है।

उसे आज पहली बार पता चला कि दीदी भी कभी नये कपड़े नहीं पहनती थी, उसका दिल टूट गया,वो रोती रोती घर आ गई।

सरला दो महीने बाद, आज वापस आ गई थी। चंचला को रोता देखकर  सरला बोली, माँ जहाँ जहाँ भी काम करती हो, उन सारे बच्चों को बोल देना आज़ हम शाम को चंचला की Birthday करेंगे, सब आ जाएं।

क्या बोल रही हो सरला, वो सब बहुत अमीर हैं, कोई नहीं आएगा। और अगर आ गये, तो हमारी गरीबी का बहुत मज़ाक उड़ाएंगे।

कोई नहीं उड़ाएगा, बस बुला लेना सबको, यह कहकर वो, चंचला को लेकर घर से निकल गई।

2 घंटे बाद दोनों लौटे तो उनके हाथ में बहुत सारे packets थे।

शाम को सारे बच्चे आ गये। चंचला बहुत सुन्दर red frock, red shoes और सब पहनकर बिल्कुल लाल परी लग रही थी।


Party में cake, pizza, burger and cold drink सब थे। सारे बच्चे चंचला और party की बहुत तारीफ करते हुए चले गए। चंचला बहुत खुश थी।

जब सब चले गए, चंचला अपनी dress change करने चली गई।

माँ, सरला से बोल रही थी, बेटा तुमने कितनी मेहनत से पैसे कमाए थे, अपने सपने के लिए, वो सब टूट गए।

सरला बोली, माँ सपने की टूटन से दिल की टूटन ज्यादा चुभती है। आज जो चुभन चंचला को हुई है, वही चुभन मैंने बहुत बार महसूस की है।

सपने के लिए,  मैं कल से फिर चली जाऊंगी, पैसे भी आ जाएंगे। पर मेरी छोटी का दिल आज ही जुड़ना ज़रुरी था।

चंचला, सब अन्दर से सुन रही थी, उसकी दीदी उसे कितना प्यार करती है, उसके लिए उसने अपना सपना तोड़ दिया। 

जबकि चंचला उससे हमेशा चिढ़ती थी,  सरला का उसे छोटी बोलना..... तो उसे बर्दाश्त ही नहीं था।

पर आज उसे अपनी दीदी, माँ से भी ज्यादा अच्छी लग रही थी। वो रोती हुई सरला से चिपक गई।

क्या हुआ छोटी? अब क्यों रो रही है?

दीदी आप बहुत अच्छी हैं, मुझे बहुत प्यार करती हैं, अब मैं कभी किसी बात की जिद्द नहीं करुंगी, आप का सपना जल्दी पूरा होगा। पर मैं अब आप से दूर नहीं रहना चाहती हूँ। आप को अपने काम से हर रविवार की छुट्टी लेनी होगी।

सरला ने कहा, बिल्कुल छोटी। पहले रोना बन्द करो, मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकती।

चंचला बोली, मेरी दीदी सबसे best. फिर दोनों खिलखिलाने लगीं।

Sunday, 27 September 2020

Short Stories : बेटी भी हो आत्मनिर्भर

 बेटी भी हो आत्मनिर्भर



आज बेटी दिवस पर, सबसे पहले यह विचार आया कि, बेटी का आत्मनिर्भर होना कितना आवश्यक, कितना सार्थक?

यह आत्ममंथन चल ही रहा था कि माला आ गई।

सोचा लो हो गया, विचार-मंथन.......

अब यह आ गई है तो, पहले इसे काम बताएं, फिर इससे पूरे मोहल्ले के समाचार सुनें।

वो जब भी आती, बिना यह देखे कि मैं क्या कर रही हूँ, सुन रही हूँ, नहीं सुन रही हूँ, उसका मोहल्ला समाचार शुरू हो जाता।

पर आज सोचा, वो कुछ बोले, उससे पहले, मैं ही पूछ लेती हूँ।

क्यों माला, तेरे सूरज और चंदा कैसे हैं?

दोनों अच्छे हैं दीदी। आज मेरे बच्चों की याद कैसे आ गई?....

अरे, कुछ नहीं..... बस वैसे ही सोचा। 

अब तो दोनों बड़े हो चुके हैं। 

क्या सोचा है?

किस बारे में?.......

चंदा के बारे में। बड़ी हो गई है तो क्या ब्याह के बारे में नहीं सोच रही हो?

नहीं दीदी, मेरी बेटी बड़ी होशियार है। सोच रहीं हूँ, उसे कालेज भेज दूँ, पढी-लिखी होगी तो कोई अच्छी नौकरी कर लेगी, अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी।

शादी का क्या है, आज नहीं तो दो चार साल में कर ही दूंगी।

पर आत्मनिर्भर रहेगी तो शान से रहेगी, वरना मेरी तरह ही चौके-चूल्हे  में खो जाएगी।

बस मेरे पास जमा पूंजी कम है,  तो कैसे बेटा-बेटी दोनों को योग्य बनाऊँ, वही समझ नहीं आ रहा।

सारे रिश्तेदार कह रहे हैं, बेटे पर पैसा लगा, बुढ़ापा सुधर जाएगा।

तब क्या करने का सोचा है?......

दीदी, सोचती हूँ, पहले बेटी का भविष्य ही सुधार लूँ।

जो मेरे पास ना रहेगी, उसको मजबूत बनाना ज्यादा जरूरी है।

मेरे बुढ़ापे के कारण मेरी बेटी का जीवन गर्त में नहीं जाना चाहिए।

फिर बेटे का क्या?

उसे तो मेरे पास ही रहना है, जल्दी ही उसके लिए भी पैसे जमा कर लूंगी।

यह कह कर वो काम में लग गयी, साथ मेरी सोच को सुदृढ़ कर गयी, कि बेटी को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक भी है और सार्थक भी।

जब वो अनपढ़ होकर इस दिशा में इतनी दृढ़ है।

तो हम क्यों सोचते हैं, बेटी को आत्मनिर्भर बनाते समय होने वाले खर्च के विषय में?

जैसे study loan लेकर बेटा भविष्य बना सकता है, बेटी भी।

जिसे अपनों से दूर होकर, एक नयी दुनिया बसानी है, गैरों को अपना बनाना है, उसका आत्मनिर्भर होना, उसके जीवन के लिए बहुत आवश्यक है।

जैसे एक पढ़ी लिखी लड़की दो परिवार को सुदृढ़ बनाती है, वैसे ही आत्मनिर्भर लड़की पूरे समाज में दोनों परिवारों को मान दिलाती है।

Friday, 25 September 2020

Short Stories : विदाई

आज आप सब के साथ मुझे रायपुर छत्तीसगढ़ की श्रीमती मंजू सरावगी मंजरी जी  द्वारा भेजी हुई लघुकथा को साझा हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

विदाई के मार्मिक क्षणों को समेटे हुए लघुकथा का आप सब भी अनुभव करें।

विदाई

    


         *"""" दामिनी!! दामिनी!! जल्दी आओ बेटी, बैड बाजा,कार तैयार खड़ी है. विदाई का वक्त हो गया है """*

          चाचा जी आवाज लगा रहे थे विदाई के लिए

     अपनी आँखों के आंसू,,,,,समेटते हुए वह बोली,,,,,,,, 

     *""" बस चाचा जी दो मिनट में "पापा जी" को प्रणाम करके आती हूँ ""*

             दामिनी कमरे में लगी पापा की तस्वीर के सामने खडी़ हो गई और हाथजोड़कर रोते हुए बोली *"" पापा ये कैसी विदाई है. आपको विदाई का इंतजार था और स्वयं विदाई लेकर चले गये पापा,,, पापा,,,,,, ""*

         आँसू भरी आँखों में पुरानी बातें चलचित्र की तरह आने जाने लगी. जबसे वह समझदार हुई थी तब से पापा के सपने सुनते आ रही थी मेरी प्यारी बिटिया रानी दुल्हन बनेगी, दूल्हा राजा के साथ विदा होकर चली जायेगी मेरी लाड़ली दामिनी,,,,,, मैं और तुम्हारी मम्मी,,,,,, तुम्हें याद करके रोया करेंगे. पर पापा का यह सपना पूरा न हुआ और मम्मी दामिनी और उसके पापा को रोता छोड़ कर,,,,,, विदाई लेकर सदा के लिए दूसरी दुनिया में चली गई. पापा ने अपने को संभाला साथ ही दामिनी की देख रेख में कोई कमी नहीं की. बल्कि और जिम्मेदारी से सपना संजोते और याद भी करते की *दया* ,,,,क्या क्या,,,,,करना चाहती थी दामिनी की शादी में,,,,,,,,. 

            विजय कुमार को अपनी दामिनी के लिए उनकी  इच्छा के अनुरूप लड़का व परिवार मिल गया. *सौरभ* को देखकर,,,,,,,,, दया के दुख को भूल,,,,,,,, नये उत्साह से शादी की तैयारी में जुट गए. शादी की तारीख तय होते ही होटल, विवाह स्थान, कैटर्स, सजावट बैड बाजा सब की व्यवस्था कर डाली. साथ ही साथ दामिनी को दिनभर हिदायत देते जल्दी जेवर, लहगांँ साड़ी, कपड़े सूटकेस  ले लो पूरी तैयारी कर लो. कभी कभी दामिनी नाराज हो जाती *"""पापा आपको कितनी जल्दी है मेरी विदाई की,,,, आप मुझे घर से भागना चाहते हैं """"*

          विजय कुमार  कहते *""नही बेटी,,,भागना नही चाहता,,, तुझे दुल्हन के रूप में देखना चाहता हूँ,,,,,,,, तुम्हारी विदाई करना है मुझे, यही एक काम जरूरी है,,,,,,,,, ""*

           आज से बीस दिन पहले विजय कुमार का सपना टूट गया, बेटी की विदाई की जगह उन्होंने इस दुनिया से विदाई ले ली.

            दामिनी अपने पापा से विदाई नही करा पाई,,,,,, पर  अपने पापा को हमेशा के लिए विदा कर दिया,,,,,,,,,,.

              एक्सीडेंट में कार एक खड़ी जीप से टकराई और विजय कुमार की स्टेरिंग से सिर  टकरा गया. तत्काल ही मौत ने बाहों में समेट लिया, 

           सबके समझाने पर आज बीस दिन बाद ही तय तारीख पर दामिनी की शादी और विदाई हो रही है सारी तैयारी पापा ने की,,,,,,, बस वही नहीं है विदाई के लिए,,,,,,,, हाँ पापा,,,,,,, आप नहीं हो,,,,,,,, पर विदाई हो रही है,,,,,,,,, ये,,, कैसी विदाई पापा,,,,, कैसी पापा,,,, विदाई,,, 


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।



Wednesday, 23 September 2020

Recipe : Coconut Milk Shake

आज कल कोरोना बहुत तेजी से फैल रहा है, ऐसे में कुछ natural resources हैं जो रामबाण सिद्ध होते हैं, उनमें से एक है coconut.

Coconut water, stomach के लिए बहुत ही गुणकारी होता है। वो केवल कोरोना के लिए ही नहीं बल्कि बहुत सी बीमारी में औषधि के जैसा कारगर सिद्ध होता है। 

पर जब कोई बीमार होता है तो मुंह का स्वाद बहुत बेकार हो जाता है और उसे उस समय वही खाने की इच्छा होती है, जो tasty हो।

इसलिए आज coconut milk shake की recipe post कर रहे हैं, जो healthy होने के साथ ही बहुत tasty भी होता है।

Coconut Milk Shake


Ingredients

Fresh coconut -100 gm.

Milk - 2cup 

Sugar - 2 to 4 tsp or as per taste

Green Cardamom powder-1tsp.(optional)

Ice cube - optional

Dry fruits for decoration (optional)


Method

  1. आप fresh coconut लीजिए।
  2. Coconut से उसकी brown layer हटा दीजिए।
  3. Coconut की thin slices काट लीजिए।
  4. Mixer jar लीजिए, उसमें coconut slices, नारियल का पानी और ¼cup milk डालकर fine grind कर लीजिए।
  5. अब इसे छान लीजिए।
  6. बचे हुए Coconut को वापस jar में डाल दीजिए। उसमें चीनी, इलायची और ½ cup दूध डालकर grind कर लीजिए।
  7. फिर उसे छान लीजिए।
  8. बचे नारियल में ½ cup दूध डालकर एक बार और jar में grind कर के छान लीजिए।
  9. हमारे पास smooth coconut milk solution है, इसे 1litre वाले jar में डाल दीजिए, ½ cup दूध व ice cube add कर के थोड़ी देर चला लीजिए।
  10. Coconut milk shake ready है, इसे finely chopped dry fruits से decorate कर के serve कीजिए।

Note

  • इसके लिए best option, tender coconut (green coconut) है: उसे बार-बार छानना नहीं पड़ता है। एक बार की  grinding से ही smooth texture आ जाता है।
  • Tender coconut का पानी भी जरुर से use कीजिएगा।
  • अगर आप milk avoid करना चाहते हैं, तो पानी भी use कर सकते हैं।

  • बहुत से शहरों में जल्दी tender coconut नहीं मिलता है, इसलिए पानी वाले भूरे नारियल से  recipe बताई है।
  • Coconut की thin slice काटने से नारियल ज्यादा जल्दी smooth होती है। 
  • बचे हुए नारियल को आप चटनी बनाने में use कर सकते हैं। 
  • Sugar, dry fruits and ice cube आप taste and health के according use कीजिए। आप चाहें तो avoid भी कर सकते हैं।
  • Coconut water, pregnant women व उनके baby के लिए भी बहुत उपयोगी है।

Tuesday, 22 September 2020

Poem : भाषा की आशा

आज आप सब के साथ मुझे कटनी की किरण मोर जी की कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है

अपनी कविता के माध्यम से वो हम सबके समक्ष, हमारी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी की आशा को व्यक्त कर रहीं हैं।

भाषा की आशा



आज हमारी हिन्दी हमसे,

करती है ये आशा

कब वो पूरा मान मिले,

कि ये भारत की भाषा।


हम रखवाले बन न सके,

हमने ही मखौल उड़ाया

आधी छोड़ एक को झपटे,

अधकचरा कहलाया।


इतनी सुघड़,सरल बोली है 

सरस लगे परिभाषा

कब वो पूरा मान मिले 

कि ये भारत की भाषा।


हम अज्ञानी कैसे हैं, 

इतना भी समझ न पाए।

हिन्दुस्तान में जन्में 

खुद हम हिन्दी का मान घटाएं


रची बसी जो इस भूमि में 

संस्कृति की अभिलाषा

कब वो पूरा मान मिले 

कि ये भारत की भाषा।


जितना भी तुम ज्ञान पाओगे 

वो उतना ही कम है

अपनी बोली भाषा को भूले हैं

 बस ये गम है


दूजे को दो मान मगर 

अपने को दो न हताशा

कब वो पूरा मान मिले 

कि है भारत की भाषा।



Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।


Monday, 21 September 2020

Tips : Perfect boiling for pasta /noodles

आज कल बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को pasta and noodles बहुत पसंद आते हैं।

Restaurants style pasta and noodles बनें, इसका key ingredient इसकी perfect boiling है।

तो आइए आज आपको यही बताते हैं।

Perfect boiling for pasta /noodles



  1. आप को जितना भी pasta/noodles boil करना है, दोनों में जिस किसी एक को आप बना रहे हैं,  उससे दो गुना बड़ा sauce pan ले लीजिए। 
  2. Sauce pan में इतना पानी लीजिए कि sauce pan में 2 inch की जगह रह जाए। इतनी जगह पानी boil होने के लिए छोड़नी चाहिए। जिससे proper boiling हो सके।
  3. पानी में 2tsp salt & 1tsp. Olive Oil  डालकर boil होने रख दीजिए।
  4. जब एक boil आ जाए तब उसमें pasta/ noddles को डाल दीजिएगा।
  5. Pasta/ noddles डालने के बाद 3 times slow and high flame करके 3 times boil कर लें।
  6. अब इसे 5 to 10 minutes के लिए ढककर रख दीजिए।
  7. 10 minutes बाद आप एक बार अच्छे से pasta/noddles को चला लीजिए।
  8. फिर pasta/noddles को छन्नी से छान ठंडे पानी से अच्छे से धो लीजिए।
  9. अब इसमें 1tbsp. Olive oil डालकर toss कर लीजिए।
  10. आप के खिले-खिले pasta/ noddles ready हैं।
  11. अब आप अपने taste के according इसका flavour ready कर लीजिए।
अगर आप white sauce pasta बनाना चाहते हैं तो यह link click करें।

और varities के pasta and noodles की recipes भी जल्दी post करेंगे।

So stay tuned.....

Friday, 18 September 2020

Article : जिन्दगी कैसी है, पहेली हाय!

 

जिन्दगी कैसी है, पहेली हाय!



एक पुराना गीत आज याद आ गया। 

जिन्दगी कैसी है, पहेली हाय!.....

जब अपनी शांत रहने वाली, प्रेम से भरी मामी जी से हमेशा के लिए बिछोह हो गया। तो मन वेदना से भर गया।

सच, समझ ही नहीं आता है, कि जीवन क्या है?

ईश्वर के द्वारा हमें दिये हुए कर्तव्यों से भरे पल, जिनका हमें निर्वाह करना है और कर्तव्यों की पूर्ति के बाद एक दिन फिर ईश्वर में समा जाना है।

कहाँ से आए थे हम, ना जाने कितने रिश्तों से जुड़ने के लिए, और दिन अचानक सब कुछ छोड़ कर हमेशा के लिए ना जाने कहाँ चले जाते हैं।

ना आने से पहले का ठिकाना, ना जाने के बाद की मंजिल का पता।

फिर भी हम सब ना जाने क्या और कितना बेवजह जोड़ते जाते हैं।

क्यों है इतनी चिंता? घर की, पैसों की, भविष्य की, बच्चों की, समाज की, नाम की......

जबकि कर्म भी सभी निश्चित और फल भी।

सब जानते हैं कि सब नश्वर है, फिर भी सब को चिंता है।

कोई ऐसा है ही नहीं, जो ईश्वर को यह दिखा सके कि, मैं परे हूँ, दीन-दुनिया से।

कभी तो लगता है, जिंदगी क्या है, सब पता है, इसका प्रारम्भ जन्म है और अंत मृत्यु।

पर अगले ही पल लगता है, जिंदगी अनबुझ पहेली है, क्योंकि,  ना आरम्भ का पता है, ना अंत का ठिकाना।‌

फिर किया क्या जाए?

शायद कर्तव्य निभाते हुए जीते जाएं, पर खुशी खुशी, साथ ही जो सत्य है उसे स्वीकार करते हुए।

वैसे भी जब सब निर्धारित है तो खुशी किसकी और ग़म भी किसका।

पर खुशी खुशी जीवन व्यतीत कर के, हम ईश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं। 

शाश्वत सत्य यही है कि अंततः सभी  आवागमन से मुक्त हो कर ईश्वर में समा कर मोक्ष प्राप्त करते हैं।

Wednesday, 16 September 2020

Short Stories : निवाला

आज आप सब के साथ मुझे डेहरी ऑन सोन,रोहतास बिहार के कहानीकार श्री विनय कुमार मिश्रा जी की कहानी साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

विनय जी ने अपनी कहानी के माध्यम से बताया है कि कठिन समय में साथ कैसे दिया जाता है।


निवाला



बड़ी बेचैनी से रात कटी। बमुश्किल सुबह एक रोटी खाकर, घर से अपने शोरूम के लिए निकला। आज किसी के पेट पर पहली बार लात मारने जा रहा हूँ। ये बात अंदर ही अंदर कचोट रही है।

ज़िंदगी में यही फ़लसफ़ा रहा मेरा कि, अपने आस पास किसी को, रोटी के लिए तरसना ना पड़े। पर इस विकट काल मे अपने पेट पर ही आन पड़ी है। दो साल पहले ही अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर कपड़े का शोरूम खोला था।

मगर दुकान के सामान की बिक्री, अब आधी हो गई है।अपने कपड़े के शोरूम में, दो लड़के और दो लड़कियों को रखा है मैंने। ग्राहकों को कपड़े दिखाने के लिए। लेडीज डिपार्टमेंट की दोनों लड़कियों को निकाल नहीं सकता। एक तो कपड़ो की बिक्री उन्हीं की ज्यादा है। दूसरे वो दोनों बहुत गरीब हैं।

 दो लड़कों में से एक पुराना है, और वो घर में इकलौता कमाने वाला है। जो नया वाला लड़का है दीपक, मैंने विचार उसी पर किया है। शायद उसका एक भाई भी है, जो अच्छी जगह नौकरी करता है। और वो खुद, तेजतर्रार और हँसमुख भी है। उसे कहीं और भी काम मिल सकता है। 

इन सात महीनों में, मैं बिलकुल टूट चुका हूँ। स्थिति को देखते हुए एक वर्कर कम करना मेरी मजबूरी है। यही सब सोचता दुकान पर पहुंचा। चारो आ चुके थे। मैंने चारो को बुलाया और बड़ी उदास हो बोल पड़ा..

"देखो, दुकान की अभी की स्थिति तुम सब को पता है, मैं तुमसब को काम पर नहीं रख सकता"

उन चारों के माथे पर चिंता की लकीरें, मेरी बातों के साथ गहरी होती चली गईं। मैंने बोतल  के पानी से अपने गले को तर किया

"किसी एक का..हिसाब आज.. कर देता हूँ!दीपक तुम्हें कहीं और काम ढूंढना होगा"

"जी अंकल"  उसे पहली बार इतना उदास देखा। बाकियों के चेहरे पर भी कोई खास प्रसन्नता नहीं थी। एक लड़की जो शायद उसी के मोहल्ले से आती है, कुछ कहते कहते रुक गई। 

"क्या बात है, बेटी? तुम कुछ कह रही थी?

"अंकल जी, इसके भाई का..भी काम कुछ एक महीने पहले छूट गया है, इसकी मम्मी बीमार रहती है"

नज़र दीपक के चेहरे पर गई। आँखों में ज़िम्मेदारी के आँसू थे। जो वो अपने हँसमुख चेहरे से छुपा रहा था। मैं कुछ बोलता कि तभी एक और दूसरी लड़की बोल पड़ी

"अंकल! बुरा ना माने तो एक बात बोलूं?"

"हाँ..हाँ बोलो ना!" 

"किसी को निकालने से अच्छा है, हमारे पैसे कम कर दो..बारह हजार की जगह नौ हजार कर दो आप" 

मैंने बाकियों की तरफ देखा

"हाँ साहब! हम इतने से ही काम चला लेंगे"

बच्चों ने मेरी परेशानी को, आपस में बांटने का सोच, मेरे मन के बोझ को कम जरूर कर दिया था।

"पर तुमलोगों को ये कम तो नहीं पड़ेगा न?"

"नहीं साहब! कोई साथी भूखा रहे..इससे अच्छा है, हमसब अपना निवाला थोड़ा कम कर दें"

मेरी आँखों में आंसू छोड़,ये बच्चे अपने काम पर लग गए, मेरी नज़रों में, मुझसे कहीं ज्यादा बड़े बनकर..!


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Tuesday, 15 September 2020

Recipes : Aloo sabji without onion and tomato

आज कल पितृपक्ष चल रहा है, जिसमें onion, garlic डालकर सब्जी नहीं बनाई जाती है, और टमाटर के भाव भी आसमान छू रहे हैं। फिर ऐसे में tasty सब्जी कैसे बनायी जाए।

आज आप को आलू की instant and easily prepare होने वाली बहुत tasty सब्जी बता रहे हैं।

इसका स्वाद बिल्कुल हलवाईयों जैसी बनी सब्जी जैसा होता है।

इसको आप पूड़ी, कचौड़ी, खस्ता, पुलाव और चावल के साथ खा सकते हैं।

 Aloo sabji without onion and tomato






Ingredients

Boiled potatoes - 5 medium

Water - 2 glass

Amchur powder -1 tsp

Turmeric powder -½ tsp

Red chilli powder -½ tsp

Coriander powder-½ tsp

Salt- as per taste

Sugar - ½tsp

Garam masala -¼tsp

Black salt - ¼ tsp

Kasuri methi - ¼tsp

Wheat flour - 2tsp

Ginger julin -½ tsp

Green chillies- 2

Chilli flakes- ¼tsp

Whole red chilli -2

Fennel powder -¼ tsp

Fenugreek seeds - 6 to 8

Clarified butter (Ghee) -1 tbsp

Fresh coriander leaves for garnishing

Cumin - ½ tsp

Asafoetida - ¼ tsp

Method 

  1. एक wok लीजिए।
  2. उसमें Boiled potatoes को crossley(मोटा मोटा) mash कर के डाल दीजिए।
  3. इसमें हल्दी, नमक, धनिया पाउडर,  लाल मिर्च पाउडर, चीनी, अमचूर पाउडर, कसूरी मेथी, गर्म मसाला, काला नमक, पानी डालकर high flame पर boil होने के लिए रख दीजिए।
  4. 2 boil आ जाने के बाद flame slow कर दीजिए।
  5. आटे में पानी डालकर thick solution बना लीजिए।
  6. इस solution को धीरे धीरे सब्जी में मिलाते जाइए।
  7. 5 to 7 minutes और boil होने दीजिए।
  8. एक laddle लीजिए, उसमें घी डालकर गरम कीजिए।
  9. हरी मिर्च को slit(चीर) कर लीजिए
  10. इसमें जीरा, हींग, मेथी दाना, सौंफ पाउडर, अदरक के लच्छे, लम्बी कटी हरी मिर्च, सूखी लाल मिर्च और chilli flakes डालकर कड़का लीजिए।
  11. यह छौंक सब्जी में मिला दीजिए।
  12. इसे fresh coriander leaves से garnish कर लीजिए।

Note

  • आप अगर rice के साथ serve कर रहे हैं तो, पानी 3 glass डलेगा।
  • आटे का solution, मिलाते समय सब्जी बराबर चलाते जाइएगा, वरना आटे की गुठलियाँ पड़ सकती हैं।
  • आटा झटपट गाढ़ा करने के लिए डालते हैं, आप चाहें तो इसे avoid कर के slow flame पर गाढ़ा होने तक पका सकते हैं।
  • अगर आप को काली मिर्च का flavour पसन्द है तो, छौंक के समय मोटी कुटी 8 to 10 काली मिर्च डाल दीजिए।
  • काली मिर्च की खुशबू और flavour बहुत अच्छा आता है।
  • हलवाईयों की बनी सब्जी बहुत चटपटी होती है, क्योंकि हमने उसी के according बताया है, इसलिए इतनी chilli डाली है, आप अपने taste के according मिर्ची की quantity कम कर सकते हैं।
इस सब्जी की छौंक इसका key ingredient है, जो साधारण सी सब्जी को लाजवाब बना देता है। 

जिससे सब आप की तारीफ करने से अपने को रोक नहीं पाएंगे।

तो आज ही बनाएं और सबको खुश कर दीजिए और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लीजिए।

Monday, 14 September 2020

Poem : हिन्दी - दिलों की भाषा

 !! हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएंँ !! 

आज के इस पावन उपलक्ष्य पर मैं मनहरण घनाक्षरी छंद में लिखी अपनी दो रचनाएँ  प्रस्तुत कर रही हूँ। कविता का रस आप पठन और श्रवण दोनों तरह से ले सकते हैं। 


हिन्दी-दिलों की भाषा


हिन्दी है दिलों की भाषा

हिन्दी प्रेम की है आशा

हिन्दी की विशेषता को

उर में जगाइए


हिन्दी में विविध रंग 

रस अलंकार छंद

इसकी विविधता के

मान को बढ़ाइए


हिन्दी वैज्ञानिक भाषा

शब्द  शब्द परिभाषा

इतनी सटीकता ना

और कहीं पाइए


हिन्दी को मिले सम्मान

भारत भाषा का मान

हर कार्य में इसको

अग्रणी बनाइए

***********************

हिन्दी का करो विकास

हिन्दी को बनाओ खास

जन जन में इसका 

संदेश फैलाइए 


हिन्दी है भाषा सरल

इसका ना है विकल्प

इसका प्रचार सब

करते ही जाइए


हृदय में बसा है जो

माँ भारती का सम्मान

हिन्दी को भी वही मान

मिल के दिलाइए


हिन्दी है हमारी आन

हिन्दी से हमारी शान

हिन्दी की महानता को

सबको बताइए

**********************



Friday, 11 September 2020

Poem : श्राद्ध पक्ष में काकः ही क्यों ?

आज आप सब के साथ मुझे इंदौर से श्रीमती उर्मिला मेहता जी की श्राद्ध पक्ष पर विशेष रचना को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।  

उर्मिला जी ने श्राद्ध पक्ष पर काक ही क्यों विशेष होते हैं, इसकी विवेचना की है। आईए हम भी उनकी विवेचना का आनन्द लें।

श्राद्ध पक्ष में काकः ही क्यों ?




विद्यालय में हमने पढ़ा था

'कौआ कोयल दोनों काले 

पर दोनों के बोल निराले,

काँव -काँव कौआ करता है

कोयल मीठी तान सुनाती'

'काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदो पिक काकयोः

वसंत समय प्राप्ते ,काकः काक:,पिकः पिक: '

पर  मुझको यह नहीं भाया कुछ सोचा और विचार किया

श्राद्ध पक्ष में काकः ही क्यों  ?,

फिर कोयल को न निमंत्रण है !

मैंने समझी काक व्यथा

और साझा सबसे करती हूँ 

कर्कश बय के कृष्णल पाखी

एकाक्षी हे जुगुप्सित  प्राणी

श्राद्ध कर्म  के आयोजन में

प्राप्य तुम्हें क्यों षट् रस व्यंजन  

कोकिल वंशज रक्षक हो तुम

तुम सम जीव न पर उपकारी

कोकिल मात्र गवैया  स्वार्थी

ममत्व भाव से वंचित जननी

तुम महान हो क्षुद्र जीव से

चुप क्यों हो कुछ बोलो तो!


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Thursday, 10 September 2020

Recipe : Instant Milk Sandesh

कल, बूंदी का प्रसाद की Recipe को try करने के बाद, viewers की demand है कि कुछ और instant and easily prepare होने वाली मिठाई बता दें।

तो आज आपको और भी easily prepare होने वाली non fire मिठाई बता रहे हैं। क्योंकि यह Non Fire Recipe है, इसलिए इसे kids भी बना सकते हैं, और इसे बनाने में वो enjoy भी करेंगे।

Diet conscious लोगों के लिए यह best Recipe है।

इसके लिए बस 2 ingredients ही चाहिए।

Instant Milk Sandesh



Ingredients


Milk powder - 1cup

Thick मलाई - ½ cup

Dry fruits for decoration


Method


Milk powder और मलाई को mix कर के soft dough बना लीजिए।

अब इस dough से छोटे छोटे पेड़े बना लीजिए।

Almonds को half काटकर पेड़े पर लगा दीजिए।

Yummy tasty instant Milk Sandesh is ready.

Note

संदेश बहुत हल्की मीठी मिठाई होती है, उतनी मिठास milk powder में होती है। इसलिए additional sugar add करने की कोई requirements नहीं है।

आप अगर authentic taste चाहते हैं तो इसे ऐसे ही बनाएं, या अगर आप को ज्यादा मीठा पसन्द है, तब आप sugar powder add कर सकते हैं।

अगर आप sugar powder add कर रहे हैं तो, मलाई की quantity कम कर दीजिएगा।

Milk powder और मलाई मिलाकर, soft dough बनना चाहिए, तभी संदेश tasty बनेगा।

आप अपनी पसंद के dry fruits से decorate कर सकते हैं, dry fruits decoration avoid भी कर सकते हैं।

संदेश मिठाई का shape आप अपनी पसंद का कुछ भी बना सकते हैं।

संदेश मिठाई बहुत सारे shape and flavour की होती है, तो बस अपने imagination को add करते जाएं और बहुत तरह के संदेश बनाते जाएं।

हम से जुड़े रहिए और tasty dishes बनाते रहिए।

Keep visiting.....

Wednesday, 9 September 2020

Recipe : Boondi ka Prasad


 आज कल पितृपक्ष चल रहे हैं, जो कि 15 दिवसीय होते हैं। जिसमें हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनकी पूजा अर्चना करते हैं।

उनकी पसंद का खाना व मिठाई, प्रसाद में चढ़ाते हैं।

पर कोरोना काल के चलते, मिठाई बाहर से लाने में असमर्थ हैं।

जब आप हैं "Shades of Life के साथ, तो आप को दुखी होने की क्या है बात" हम आपके लिए घर में ही easily बनने वाली sweet dish बता रहे हैं। "बूंदी का प्रसाद"

बूंदी, खाने में जितनी tasty होती है, बनाने में उतनी ही easy.

तो आज ही बूंदी का प्रसाद बनाएं, घर में सबको खुश कीजिए और पूर्वजों का आशीर्वाद भी लीजिए😊


Boondi ka Prasad





Ingredients


For Boondi

Gram flour - 1cup

Rice flour - 2tsp

Turmeric powder - 1 pinch

Or 

Food colour -  2 to 3 drops

Baking powder - ¼ tsp.

Water - 1 Cup

Clarified butter (Ghee) for frying


For sugar syrup


Sugar - 1½ cup

Water - 1cup


Method for sugar syrup


पानी में चीनी डालकर 1 तार की चाशनी बना लीजिए।


Method for Boondi


  1. बेसन में चावल का आटा अच्छे से mix कर लीजिए।
  2. उसमें धीरे धीरे पानी मिलाते हुए mix करते जाइए।
  3. इसे अच्छे से फेंटते हुए smooth paste बना लीजिए।
  4. अब उसमें baking powder and turmeric powder डालकर अच्छे से फेंट लीजिए।
  5. Heavy bottom frying pan लीजिए।
  6. उसमें घी डालकर, small burner पर High flame पर रख दीजिए।
  7. जब घी गर्म हो जाए तो एक skimmer or strainer ( करछुल) पर बेसन का paste रख लीजिए।
  8. अब strainer को pan के ऊपर ले जाकर tap कीजिए।
  9. छोटी छोटी बूंदी झड़ने लगेंगी।
  10. High flame पर ही उन्हें उलट-पुलट कर लीजिए।
  11. जैसे ही बूंदी bottom को छोड़कर, ऊपर तैरने लगे।
  12. Flame slow कर लीजिए और सारी बूंदी निकाल लें।
  13. इन बूंदी को sugar syrup में डाल दीजिए।
  14. 15 से 20 minutes के लिए छोड़ दीजिए, जिससे बूंदी चाशनी को अच्छे से soak कर लें।
  15. आप का बूंदी का प्रसाद तैयार है।


Note 


  • Paste की consistency, जिस बर्तन में paste बनाया है, उसमें check कर लीजिए।
  • Paste की consistency ऐसी होनी चाहिए कि tap करने से छोटी छोटी बूंदी झड़नी चाहिए।
  • Consistency ना तो ऐसी होनी चाहिए कि strainer पर डालते ही paste बहने लगे। क्योंकि इससे बूंदी नहीं चीला बनेगा।
  • ना consistency ऐसी होनी चाहिए कि tap करने पर भी ना झड़े। इससे बूंदी ठोस और कड़ी बनेगी।
  • हमारी बताई गई quantity से बनाएंगे, तो proper consistency आएगी।
  • पानी धीरे-धीरे मिलाएं, जिससे proper consistency का smooth paste बनें। पानी की  2 to 4 drops भी ज्यादा होने से बेसन का paste गीला हो जाता है।
  • अच्छी बूंदी बनाने के लिए proper consistency ही key है।
  • हम artificial colours नहीं use करते हैं, इसलिए turmeric powder use किया है आप चाहें तो colour use कर सकते हैं।
  • आप को crispy बूंदी पसन्द हो तो जब चाशनी थोड़ी ठंडी हो जाए, तब बूंदी डालिए। हमने crispy बूंदी ही बनाई है। 
  • अगर आप को soft बूंदी पसन्द है तो गर्म गर्म चाशनी में बूंदी डालकर ढक कर रख दीजिए।
  • आप को crispy बूंदी पसन्द ना हो तो आप rice flour को drop भी कर सकते हैं।
  • बूंदी बनाने के लिए strainer ही use  कीजिए, छन्नी मत use कीजिए। उससे बूंदी नहीं बनेगी।

      
  • हर बार skimmer को नीचे से जरुर साफ़ कर लीजिए, जिससे छोटी और सुंदर आकार की बूंदी बने।
  • आप का skimmer जितने छोटे छेद का होगा, बूंदी उतनी महीन बनेगी।
  • Small burner and high flame ही रखिएगा। तभी बूंदी अच्छी बनेगी।
  • ½ से 1min में एक बार की बूंदी बन जाती है।
  • बूंदी के तैरने के बाद तुरंत gas slow कर दीजिए, और बूंदी निकालना start कर दीजिए, वरना बूंदी जल जाएगी।
  • बेसन का paste बनाने के साथ ही बूंदी बना लीजिए, वरना रखा रहने से बेसन का paste पतला होने लगता है, तो बूंदी अच्छी नहीं बनेगी।

Tuesday, 8 September 2020

Tip : Removing hair from your upper lip naturally


आज कल parlour ना जा पाना भी लोगों की बड़ी समस्या हो गई है, ऐसे में upper lip hair को लेकर लोग ज्यादा परेशान हैं।

तो आज हम यही tip लेकर आए हैं कि कैसे home remedies से इस problem का solution किया जाए।


Removing hair from your upper lip naturally



आज हम आपको तीन Home remedies बता रहे हैं-

Turmeric and milk : 

Turmeric powder - 1 tbsp.

Milk - 2 tsp.

Method

  1. Turmeric powder and milk का thick paste बना लीजिए।
  2. इसे upper lip में apply कर के 20 minutes के लिए छोड़ दीजिए।
  3. Dry होने पर hair growth के opposite direction में wet finger से gently rub कर के paste remove कर दीजिए।
  4. अब upper lip को cold water से ‌rinse कर लीजिए

All purpose flour

All purpose flour - 1 tbsp.

Milk - 4 tsp.

Turmeric powder - 1 pinch

Method

  1. All purpose flour,  turmeric powder and milk का thick paste बना लीजिए।
  2. इसे upper lip में apply कर के 20 minutes के लिए छोड़ दीजिए।
  3. Dry होने पर hair growth के opposite direction में gently rub कर के remove कर दीजिए।
  4. अब upper lip को cold water से ‌rinse कर लीजिए।

Honey

Honey - 1 tbsp.

Lemon juice - 1 tsp.

Method

  1. Lemon and honey का paste बना लीजिए।
  2. इसे upper lip में apply कर के 20 minutes के लिए छोड़ दीजिए, जिससे वो dry हो जाए।
  3. एक साफ cloth को warm water में भीगोकर, अच्छे से निचोड़ लें, जिससे excess water निकल जाए।
  4. उस कपड़े से opposite direction में gently Whip off कर के paste remove कर दीजिए।
  5. अब upper lip को cold water से ‌rinse कर लीजिए।
  6. Lemon juice डालने से, बचे हुए hair भी light colour के हो जाते हैं।

Monday, 7 September 2020

Recipe : Instant curd cake

आज कल पूरी दुनिया Veg options पर ही switch करती जा रही है, क्योंकि वो more healthy होते हैं। यह बात बढ़ती हुई eggless cake  की demand से पता चलता है।

Rainy season चल रहा है, ऐसे में जब eggless cake  बनाते हैं तो उसमें proper softness  नहीं आती है।

तो अपनी viewers की demand पर आप को आज जो cake बनाना बता रहे हैं, उस cake की preparation के लिए ना मलाई चाहिए ना pure ghee, ना ही oil.

हम इसको बनाएंगे दही से।

So it's more healthy version for Diet concious person.

इस की सबसे अच्छी speciality यह है कि यह fridge में रखने पर भी hard नहीं होता है।

तो किसी की Birthday आने का wait मत कीजिए, आज ही try कीजिए, इस soft and yummy cake को।


Instant curd cake






Ingredients 

All purpose flour (Maida) - 1 Cup

Fresh Curd - ¾ Cup

Fresh मलाई - 2 tsp

Sugar - ¾ Cup

Milk - 1 tbsp.

Baking powder - 1 heap tsp


Method

For Cake preparation 

  1. Cake container में घी लगाकर, मैदा को Dust कर के  ready कर लेंगे।
  2. मैदा और baking powder डालकर अच्छे से mix कर लीजिए और इसे 2 to 3 times छानकर cake flour ready कर लें। 
  3. दही में चीनी डालकर अच्छे से mix कर लीजिए, कि वो उसमें घुल जाए।
  4. दूध में पड़ी ताजी मलाई  2tsp. add करें और अच्छे से mix करें।
  5. इसमें थोड़ा थोड़ा करके cake flour डालते हुए mix करें।
  6. इसमें दूध डालकर mix कर लीजिए।
  7. Microwave oven को preheat करने के लिए  1cup पानी, 1 min के लिए microwave करने के लिए रख दीजिए। 
  8. Meanwhile, cake container में cake mix डाल दीजिए। 
  9. Cup को निकाल कर container को microwave में रख दीजिए और full temperature पर 4min के लिए microwave कर लीजिए।
  10. Cake container को बाहर निकाल लीजिए, उसे ढक कर ठंडा होने तक, रख दीजिए।
  11. जब वो पूरा ठंडा हो जाएगा, तो  वो container की wall को छोड़ देगा।
  12. अब cake को de-mould कर लीजिए।
  13. उसको तीन जगह से horizontally cut कर लीजिए।

For Cake decoration


  1. Whipped cream को Whip कर लीजिए।
  2. Or Amul Fresh Cream में icing sugar whip कर लीजिए।
  3. या thick मलाई में पिसी हुई चीनी डालकर whip कर लीजिए।
  4. Horizontal slices में whip cream लगा कर एक के ऊपर एक रखते जाएं।
  5. सबसे ऊपर whip cream की thick layer लगा दीजिए।
  6. बची हुई whip cream से cake की side wall cover कर दीजिए।
  7. इसको fridge में 2hour के लिए set होने  के लिए रख दीजिए।
  8. अब cake को chocolate, shots, gems, dry fruits जिससे भी आप चाहें decorate कर लीजिए।
  9. Spongy, yummy cake ready है। 


एक बार ऐसे भी बनाएं, फिर bakery वाला cake कभी याद नहीं आएगा।


Note 

  • Dahi बिल्कुल fresh होना चाहिए। 
  • एकदम भी खट्टा नहीं होना चाहिए, वरना cake का taste खराब हो जाएगा।
  • Cake को ढक कर ही ठंडा कीजिए, जिससे cake की steam उसमें lock हो जाए। 
  • इससे cake ठंडा होने पर भी, ज्यादा spongy and moist रहता है।
  • Cake की horizontal layer में cream लगाने से cake ज्यादा tasty and soft बनता है।
  • Whipped cream, use करने से cake का taste, बिल्कुल bakery के cake जैसा आता है।
  • पर अगर आप को Whipped cream, available ना हो तो, fresh cream या thick मलाई भी ले सकते हैं। Taste थोड़ा सा different आता है, पर वो भी बहुत tasty लगता है।
  • Decoration के लिए, आप different varient रख सकते हैं।
  • Baking powder, 1tsp heaped रखिएगा।
  • Cake mix, इडली के घोल जैसा रहेगा, अगर सारे ingredients डालने पर घोल ऐसा ना बने तो, थोड़ा milk add करके अच्छे से mix कर लीजिए।
  • Microwave को preheat जरुर से कीजिएगा। वरना cake hard बनेगा।
  •  इसमें, मलाई, घी, oil use नहीं किया है, इसलिए यह fridge में रखने पर भी soft ही रहता है।
  • दही डालने से यह ज्यादा healthy भी होता है। अगर आप more Diet concious हैं तो cake बनाते समय ही उसमें dry fruits, cherry etc डालकर बना सकते हैं और cream का decoration, avoid कर सकते हैं।
  • Final decoration, cake cutting से ½ hours  पहले ही कीजिए, वरना decoration fade हो जाती है।
  • तो बस रखिए, इन छोटी छोटी बातों का ख्याल और cake बनाएं बेमिसाल।
  • आप cake की preparation में दही नहीं use कर रहे हैं, तब भी यह Tips, useful है।
  • हमने Diet cake term, सिर्फ cake preparation के लिए use किया है।
  • After decoration, cake आप के ingredients पर depend करेगा, कि वो Diet cake है और normal.

Saturday, 5 September 2020

Poem : शिक्षक हीं हैं वो आधार

शिक्षक हीं हैं वो आधार




अर्जुन ना होता, धनुर्धर महान

गर द्रोणाचार्य ना देते ज्ञान


चन्द्रगुप्त का ना फैलता साम्राज्य

गर चाणक्य ना बताते राजनीति के राज़


मिलता ना विवेकानंद को सम्मान

गर परमहंस का ना जुड़ता नाम


सचिन को ना कोई जानता

गर आचरेकर को गुरु ना मानता


पी वी सिंधु की ना होती बात

गर गोपीचंद ना देते साथ


शिक्षक हीं हैं वो आधार

जो करा दे सपने साकार


जो देता शिक्षक को मान

उसका ही जग में होता नाम


सभी श्रद्धेय शिक्षकों को 

शिक्षक दिवस पर बारंबार प्रणाम


आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻💐

Friday, 4 September 2020

Stories of Life : कौआ बनने से बचा लिया (भाग -2)

कौआ बनने से बचा लिया (भाग -1)  के  आगे.......


कौआ बनने से बचा लिया (भाग -2) 

 



चूंकि मेरे आफिस के रास्ते में एम पी नगर न पड़ने और घर लेट पहुँचने की वजह से मैंने मना कर दिया कि मै नहीं मिल पाऊँगा यार घर जाना है जल्दी आज मुझे पर वो न माना जिद करने लगा। 


तो मैंने कहा कि ठीक है तू हबीबगंज नाके पर मिल,मै वही मिलता हूँ।तो सहमत हो गया और फिर हमारी मुलाकात हुई,तो नाके की सारी चाय की होटल   बंद होने के कारण हम लोग उसकी बाईक से एक पास के रेस्टोरेंट जो कि कस्तुरबा मार्केट में था तो वही चल दिए।


 दोस्तों विधाता ने जो लेख हम लोगो के लिए लिखा था,शायद उसका समय आ गया था।हम गप्पे मारते हुए गंतव्य स्थान पर जा ही रहे थे कि,अचानक सामने से तीव्र गति से आ रही मिनी बस ने एक जोर दार हमारी बाईक को सामने से  टक्कर मारी,जिसके चलते वो और मै बुरी तरह से घायल हो गये। 


उस समय मै अपने पुरे होशो हवास में था तो उठकर फौरन उस को उठाने की कोशिश की किंतु उसको अंदरूनी चोट व सिर में बहुत गहरी चोट लगने के कारण वो अचेत हो गया था। 


तब तक लोगों की भीड़ में किसी सज्जन व्यक्ति ने एम्बुलेंस और पुलिस को सूचित कर दिया जिसके चलते उसे और मुझे फौरन हास्पिटल ले जाकर उपचार शुरू कर दिया गया,मुझे तो ज्यादा कुछ न हुआ ,सिर्फ मेरे सिर मे,सात टांके आये। 


किंतु उसकी हालत बहुत नाजुक थी। अंदरूनी हिस्से बहुत बुरी तरह डेमेज हो चुके थे। डाँ साहब अपना काम कर रहे थे, और घर वाले और मैंं ऊपर वाले से उसके सुरक्षित जीवन की भीख मांग रहे थे। आज उसको अचेत हुए पूरे दो दिन हो चुके थे,किंतु वो टस से मस न हो रहा था। 


वक्त का पहिया ऐसे मोड़ पर आ खड़ा हुआ कि तीसरे दिन उसके शरीर में कुछ हलचल हुई। हम सभी की दो मिनट की खुशी का ठिकाना न रहा,सभी बहुत खुश हो रहे थे किंतु पता नहीं मेरी आँखों से अश्रु धारा का बहना बंद ही नहीं हो रहा था। उसकी आँखों से भी अश्रु धार प्रवाहित हो रही थी। 


कुछ न कुछ    कहना चाह रहा था, मै अपने आपको नार्मल करके उसके बैड के नजदीक पहुँचा ,और उसके बहते हुए आंखों से आंसुओं को पोंछा, और कहा चल अब  जल्दी ठीक हो जा फिर अपन ब्रेड पकोडा खाने और चाय पीने चलेंगे।


 हम जब भी मिलते थे,उसका ब्रेड पकोडा फेवरेट होने की वजह से हम ब्रेड पकोडा जरूर आर्डर करते थे। मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराया और बोला कि तु ठीक है ज्यादा तो नहीं लगी, मैंने कहा खुद देख ले तेरे से उम्दा हूँ। हल्की फुल्की खरोंचे आई है।  


आगे बोलता है कि, चल ब्रेड पकोडा मंगवाले ,मैंने कहा ठीक तो हो जा पहले,फिर चलेगें, तू मंगवा तो ले, अब ठीक होना मुश्किल है।तू मंगवा ले  नहीं तो कडवे दिन वैसे ही चल रहें हैं, मेरी श्राद्ध मे ब्रेड पकोडा खिलायेगा तो कौआ बनकर आना पड़ेगा तेरे ब्रेड पकोडा खाने 😭😭😭


उसके द्वारा कही गई इस बात ने मुझे हिला दिया । और मैने उसे डांटते हुए कहा चलवे बकवास न कर,वैसे ही दो दिन वाद होस में आया, एक कान के नीचे बोक्सिंग पडेगी तो फिर पता नहीं कित्ते दिन बाद मुझे और तुझे साथ मे ब्रेड पकोडा खाने का अवसर मिलेगा और पुनः न चाहते हुए भी,आंखों ने अपना काम करना शुरू कर दिया।


मैंने यथा शीघ्र जेब से पेसे निकाल कर उसके छोटे भाई को दिये और कहा जाकर ब्रेड पकोडा ले आ।कुछ समय बाद ब्रेड पकोडा मेरे हाथ में था तो मैंने जरा सा टुकड़ा लेकर उसको खिलाया। टुकडा उसके हलक तक पहुँचा ही था कि बोला बचा लिया तूने कौआ बनने से ,अब श्राद्ध करने की तुम सबको कोई जरूरत नही। और सुन तू कुछ दिनों बाद  बाप बनने वाला है, बेटा होगा तो उसका नाम ध्रुव ही रखना। 


आज मेरे बेटे का नाम उसका दिया हुआ ही है,    "ध्रुव तिवारी "


इतना बोलकर उसके शरीर पर लगीं मशीन के डिसप्ले में सीधी लाईन आकर आगे बढने से रूक गई। वो मुझे एकटक बिना पलकें झपकाए देखता रहा। और मै उसे....... तभी डाँ.साहब की आवाज मेरे कानो में गूंज रही थी। sorry sir he is no more😭😢😥😭

✍🏻


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Thursday, 3 September 2020

Stories of Life : कौआ बनने से बचा लिया

 आज आप सब के साथ मुझे भोपाल के श्रेष्ठ  कहानीकार मेज़र नितिन तिवारी जी की कहानी को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

हम सोचते हैं कि हमारे भारतीय सैनिक, सिर्फ सरहद पर युद्ध करना बखूबी जानते हैं, और यह बहुत सख्त स्वभाव के होते हैं। 

पर हमारे भारतीय सैनानी भी हम सा ही दिल और हम जैसी ही योग्यता भी रखते हैं।

 नितिन जी की लेखनी ने सिद्ध कर दिया है कि वो जितनी वीरता से सरहद पर युद्ध लड़ते हैं, उतने ही बखूबी लेखनी भी चला सकते हैं।

आज कल पितृपक्ष चल रहा है, और नितिन जी ने अपनी यादों को कहानी के जरिए बखूबी प्रदर्शित किया है। आप सभी कहानी का आनन्द लीजिए।


🌟सत्य घटना 🌟

कौआ बनने से बचा लिया 

😢😢



जैसा कि हम सभी को विदित है कि,वर्तमान समय श्राद्ध पक्ष या सरल शब्दों में कहें तो कडवे दिन का चल रहा है। आज अचानक मुझे न जाने क्यों उसकी छवि मेरी आँखों के सामने आकर व उसके द्वारा कहे कथनों ने मेरी आँखों को नम कर दिया।और न चाहते हुए भी मेरी आँखों से अश्रु धारा प्रवाहित होने लगी।जिसको देखकर मेरे तमाम साथियों ने जो कि उस समय हम सभी अपने कार्यलय में बैठे अपना अपना कार्य कर रहे थे। उन्होंने मेरा हाल देखकर सभी सहकर्मी हतप्रभ रह गये ,व कारण जानने की कोशिश करने लगे की अचानक तिवारी जी को हो क्या गया?


मैंने अपने आप को नोर्मल करते हुए बताया कि, यार उक्त घटना जो कि न तो काल्पनिक हैं,और न ही किसी अन्य पात्रों के ऊपर घटित है। यह हादसा मेरे व मेरे लंगोटिया यार के साथ सन् 2016 में सितम्बर माह में हुआ।


मै जब अपनी छ:वर्ष की आयु में बीना से भोपाल शिफ्ट हुआ तो सबसे पहले मेरी माँ एंव मामाजी ने माँ के कार्यलय के नजदीक लगभग दो कि.मी.की दूरी पर उसका ही घर जो कि दो मंजिला का था। जिसमें उसके माता पिता और वो नीचे रहते थे और ऊपर वाले हिस्से को किराये पर दे देते थे। तो माँ ने उस ऊपर वाले हिस्से को किराये से ले लिया,और हम सब उसी में रहने लगे।


समय के पहिये के साथ हम सभी घूमते हुए, न जाने कब एक दूसरे के इतने करीब आ गये कि, उठने~बैठने सोने,खाने, पढने लिखने, खेलने~कूदने इत्यादि समस्त कार्य हम दोनों के एक साथ व एक जैसे ही होते थे और सबसे बढ़िया बात ये रही कि उसके माता पिता और मेरी माँ एवं मामाजी का सपोर्ट हम दोनों के ऊपर बराबर का होता था।चूंकि हम दोनों हम उम्र के थे। तो एक साथ एक ही स्कूल में, व एक ही कक्षा में और एक ही सेक्सन में कक्षा पहली से बारवीं तक रहें।और तो और कालेज मे भी तीन साल तक साथ रहें।


वो मेरे जीवन का शायद पहला और आखरी शख्स ही था। जिसको स्कूल में ध्रुव के नाम से और घर में शेंकी के नाम से जानते थे। हम दोनों की एक दाँत काटी रोटी थी। यदि किसी दूसरे से लडना तो साथ लडना,जो भी करना तो साथ ही करना अब चाहे वो उचित कार्य हो या अनुचित कार्य हो, किंतु कुछ भी व कैसा भी कार्य करके हम दोनों की खासियत यह थी कि बाद में घर वालो के द्वारा मिलने वाले फल(कुटाई) की चिंता न वो करता था और न ही मै। यदि घर वाले चाहे मेरे हों या उसके कूटते थे तो दोनों को ही, और यदि शाबाशी मिलती तो भी दोनों को ही।और शाबाशी के रूप में हम दोनों को टीबी मे विडियो गेम एक घंटे खेलने की खुली आजादी मिल जाया करती थी चूंकि हम दोनों का फेवरेट मारियो गेम था। 😁😁😁


समय का पहिया चलते चलते अब शायद कुछ लडखडाने की कगार तक आ पहुँचा था ,शायद हम लोगों की किस्मत में यही तक का साथ था। समय के साथ बढे हुए ,अब हम दोनों की चुनौती अपने अपने पैरों पर खड़े होने की थी। तो हम दोनों ने सोचा कि नौकरी भी हम लोगो की ऐसी लगे कि साथ ही रहें।


 पर हम जो सोचते हैं, अक्सर ऐसा बहुत ही कम होता है। या होता ही नहीं है। 


हमारे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। कालेज में टेलीकॉम कंपनी का केम्पस आया,और उसको चयनित कर लिया गया और मुझे वेटिंग मे डाल दिया गया। जिसके कारण मुझे और उसको एक दूसरे से न चाहते हुए भी दूर होना पड़ा, फिर भी मैंने और उसने हिम्मत न हारी, और हरसंभव अपनी प्लानिंग के अनुसार रेल्वे मे,और अनेक प्रकार की राज्यस्तरीय शासन  की सेवा के लिए दोनों साथ में फार्म डालते रहे। किंतु परिणाम हमारे पक्ष में न निकल सका। फिर अचानक बिलासपुर में भारतीय सेना मे हम दोनों ने एक साथ भर्ती देखी कुछ हद तक हम दोनों साथ रहे किंतु विधाता ने हम लोगो की किस्मत में कुछ और ही लिखा था सो कुछ न हुआ।और उसको मेडिकल में अनफिट कर दिया गया।और मुझे भारतीय सेना मे, सी.टी./डी.वी.आर. के पद पर चयनित कर लिया गया। जिसके कारण मुझे दु:ख ज्यादा और हर्ष बहुत कम हुआ । किंतु समय की धारा के साथ हम दोनों ने बहते हुए अपने अपने प्रोफेशन को ऊपर वाले की मर्जी मानकर चुन लिया।😔


समय का चक्र चलता रहा, न चाहते हुए भी हम एक दूसरे से दूर हो गये।उपर वाला भी हम दोनों के कढ़े इम्तिहान लेता रहा जब कभी मेरा छुट्टी पर घर आना होता तो वो न आ पाता,और जब वो आता तो मै न आ पाता। इस तरह कई वर्षों तक हम लोगों का मिलना न हो सका। अब हद तो तब और हो गई, जब वो मेरी शादी में सम्मिलित न हो सका।


 किंतु कहते हैं कि ऊपर वाला निर्दयी नहीं बल्कि दयालु होता है। उसने हम दोनों का स्थानांतरण सन् 2014 में मेरा/2015मे उसका , भोपाल में कर दिया। और हम दोनों फिर एक बार मिल गये।चूंकि अब हम लोगो का मिलना पहले की तरह ना हो पाता था,क्योंकि एक तो आर्मी की नौकरी ही ऐसी कि, जो जितना भी थोडा बहुत समय मिलता तो घर की, अपनी माँ एंव श्रीमति जी कि भी जिम्मेदारी रहती चूंकि उनके पैर भारी हो चुके थे,तो बमुश्किल ही यदा कदा मेरा व उसका मिलना हो पाता था। लेकिन जब भी हम लोगो को मौका मिलता तो चाहे 10मिनिट के लिए ही क्यों न मिले पर मिलते जरूर थे।


ऐसे ही एक रोज मै बारिश के चलते अपने घर से आर्मी कैंम्प (अपने आफिस) कार से गया और शाम को वापस आते वक्त उसका फोन आया कि मै तेरा एम पी नगर में वेट कर रहा हूँ कब तक पहुँच रहा है तू.......

आगे पढ़ें, कौआ बनने से बचा लिया (भाग -2).......


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