Wednesday, 21 April 2021

Poem : श्री राम जय राम जय जय राम

 आज आप सब के साथ मुझे आगरा की उत्कृष्ट साहित्यकार व संस्कृत और हिन्दी की प्रकांड विद्वान श्रीमती गीता लाल जी की कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

प्रभु श्रीराम जी के जन्मोत्सव, रामनवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻🌹💐🕉️

प्रभु श्रीराम जी, कोरोना रूपी महामारी से हम सभी की रक्षा करें।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत....🙏🏻🕉️


अपनी कविता के माध्यम से गीता जी ने, भगवान श्रीराम जी के अवतरण व प्रभु श्रीराम जी की महानता से जुड़े कुछ क्षणों का बखूबी वर्णन किया है। आइए, हम सब उनके साथ प्रभु श्रीराम जी की भक्ति में लीन होकर, कविता का आनन्द लें।


श्री राम जय राम जय जय राम




दिग् दिगंत में गुंजारित 

हो रहा राम का यशगान,

श्री दशरथ, माँ कौशल्या के, 

राजप्रसाद में, अवतरित हुए श्री राम।


तिथि थी नवमी, मास था

 मधुमास का, प्रकृति का वरदान।

सहज सुन्दर सुभग श्यामल 

अति सौन्दर्यवान थे, प्रभु श्रीराम।


थे पूर्ण पुरुष, सत्य सनातन, 

परम मर्यादित, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम।

अति करुणावान थे प्रभु, 

परम कृपा निधान, 


तभी तो जग में, 

कहलाए 

भक्त वत्सल, 

शरणागत वत्सल श्री राम।


शबरी के उच्छिष्ट बेर, 

खाकर दिया था, 

भक्ति मुक्ति का दान।


पति से शापित अहिल्या का, 

चरण कमल स्पर्शित करा, 

किया कल्याण।


रावण प्रताड़ित विभीषण को 

शरण देकर, दिया अभय दान।

राजतिलक कर, लंकेश संबोधित कर,

 उसका बढ़ाया मान।


आदर्श पुत्र थे, शासक आदर्श, 

न्याय प्रिय थे परम महान,

 श्री राम के न्याय का 

करते सभी बखान।


राम नाम है अति पावन, 

अभिमत फलदाता, 

उल्टा राम नाम जपते जपते, 

वाल्मीकि बने, आदि कवि महान।


सकल सुमंगल दायक,

 श्री रधुनायक श्री राम।

जय श्री राम जय श्री राम, 

नहीं उनके कोई समान।


जय श्री राम जय श्री राम, 

राम राम श्री राम।