Sunday, 25 October 2020

Poem : शुभ विजय पर्व

 🕉️💐दशहरे के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ💐 🕉️

शुभ विजय पर्व 


रावण के जिस पुतले को, 

त्रेता से आज तक जलाते हैं।

चलिए आज हम आपको,

रावण की विशेषता बताते हैं।।


था राजा सफल, उसकी प्रजा,

सुख से जीवन बिताती थी।

तभी तो रावण की लंका,

सोने की कहलाती थी।।


भक्त प्रबल था महादेव का,

उन्हें चढाए, शीष पर शीष।

प्रसन्न हो महादेव ने,

दिया उसे दशानन का आशीष ।।


वो विद्वान था अपार,  

शिव तांडव स्तोत्र,

अरुण संहिता, रावण संहिता, आदि,

थे उसकी रचनाओं के भंडार।।


मायावी शक्ति का था भान,

त्रिकाल दर्शीता का भी ज्ञान।

प्रभू श्रीराम द्वारा होगा अंत,

पहले से ही गया था जान।।


आयुर्वेद, तंत्र आदि का भी,

रावण था, परम ज्ञाता।

बहुत से घातक रोगों को,

नष्ट करना, उसको था आता।।


रावण के आंगन में भी,

रहकर माता सीता का।

सतीत्व ना हुआ था भंग,

रहीं, 435 दिन रावण के संग।।

 

अपहरण किया था उसने,

माता सीता थी, निर्बल।

फिर भी एक क्षण भी उसने,

दिखाया ना अपना पौरूष बल।।


युद्ध आरंभ होने से पहले,

प्रभू श्रीराम ने हवन कराया।

कोई बाह्मण नहीं मिला, उनको,

तो रावण ही पूजन कराने आया।।


पूजन विधि कराकर उसने,

दिया था, विजेता का आशीष।

वो ऐसा महान बाह्मण था, 

ब्राह्मणवाद को रखा शीर्ष।।


मानवता भी उसके ह्रदय में,

कूट कूट कर समाई थी।

दे अनुमति, सुषेण वैद्य को,

लक्ष्मण की जान बचाई थी।।


ऐसे महान ज्ञानी ध्यानी से,

आखिर फिर क्या हुई धृष्टता।

क्यों त्रेता से आज तक?

उसका है पुतला जलता।।


रावण के होने पर भी महान

डूबा ले गया उसको अभिमान।

पर स्त्री संग किया था छल,

विनाश का यही कारण प्रबल।।


अभिमान का त्याग कर,

हर स्त्री को दो सम्मान।

तभी रावण के वध का,

पा सकते हो तुम मान।।


लोभ, मोह, द्वेष, राग को,

जब अपने भीतर से हटाओगे।

सही अर्थों में उसी दिन, तुम,

शुभ विजय पर्व मनाओगे।।


🕉️💐आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ, स्वयं पर नियंत्रण रखें और सब ओर सुख व सम्पन्नता बरसाएं💐🕉️