Friday 18 May 2018

poem : वो गर्मी के दिन, वो गर्मी की रातें

आज से बच्चों की गर्मियों की छुट्टियाँ प्रारंभ हो गयी हैं ,पर आजकल कहाँ, बच्चों को हम लोगो के जैसी छुट्टियाँ मिलती  हैं।  
छुट्टियों के हमारे वो दिन अविस्मरणीय हैं, उन्हें काव्यबद्ध करने का प्रयास किया है, कदाचित आपको भी अपना बचपन याद आ जाये।

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वो गर्मी के दिन, वो गर्मी की रातें


वो गर्मी के दिन, वो गर्मी की रातें
बहुत खूबसूरत थीं,उनकी बातें
वो,नानी के घर जाके,
गर्मी की छुट्टी बिताना
मामा, मौसी का हम लोगों को खेल खिलाना
वो आइसक्रीम वाले का आवाजें लगाना
चूरन के लिए, कापियां बेच आना
बड़े याद आते हैं
वो गर्मी के दिन, वो गर्मी की रातें
वो छत पे पानी का छिड़काव करना
कहां, कौन सोये, इसका लड़ना झगड़ना
वो, मटके सुराही का ठंडा पानी
कहानी सुनाती, दादी और नानी
बड़े याद आते हैं
वो गर्मी के दिन, वो गर्मी की रातें

वो बचपन कहां खो गया ना जाने
ना मटका सुराही ,ना ठंडा पानी
ना दादी नानी की मीठी कहानी
ना छत पे जाकर वो बिस्तर बिछाना
ना मामा, मौसी का साथ खिलाना
बहुत दिन हुए ,अब ना आतीं हैं वैसी
वो गर्मी के दिन, वो गर्मी की रातें