Tuesday, 14 January 2025

Poem : मकर संक्रांति

मकर संक्रांति


मकर संक्रांति के पर्व से,

हर्षित हुआ है देश।

आज सूर्य कर रहा,

धनु से मकर में प्रवेश।।


सबके जीवन से मिटे,

दुःख, कठिनाई और क्लेश। 

खरमास के दिन नहीं,

रह गए हैं शेष।।


जप, तप और पूजा के,

आ गये हैं दिन विशेष।

शुभ कार्य हों सम्पन्न,

करिए श्री गणेश।।


खिचड़ी, तिल गुड़ का,

भोजन में हो समावेश।

आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें,

दे रहीं सुख का संदेश।।


आप सभी को उत्तरायण (मकर संक्रांति) एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएँ।