Thursday 11 April 2024

Poem : शीतलता है सर्वोपरि

शीतलता है सर्वोपरि

आसमां में देखकर,

पूछा हमने उनसे,

किस नाम से पुकारूं,

क्या नाम है तुम्हारा?

क्यों तुमको इस जहां में

पूजे संसार सारा?

वो बोले मुस्कुरा के,

चंद्र देव, चंद्रमा,

या कहो चांद,

संसार ने कई नामों से,

हमें है पुकारा।। 

रुप, तेज, गुण,

सब है मुझमें,

पर शीतलता है सर्वोपरि,

उसके ही कारण,

पूजे जहां सारा।।

सच ही तो है,

हो चंद्रमा करवाचौथ का,

या चांद हो ईद का,

खूबसूरत दोनों ही हैं,

पर रुप के ऊपर

शीतलता है भारी,

उसके कारण ही

दुनिया जुड़ी है सारी।।

तो गर, उनके जैसी ही शीतलता,

हम सभी में आ जाए,

तो इस जहां में

प्रेम ही प्रेम छा जाए।।

पर यह उम्मीद,

किसी एक इंसान,

या एक वर्ग से ही,

ना की जाए।।

सम्पूर्ण सृष्टि ही

इस गुण को अपनाए,

तब यह धरा ही,

स्वर्ग बन जाए।।


आप सभी को नवरात्रि व ईद की हार्दिक शुभकामनाएं 💐