Monday 13 July 2020

Poem : झूमे धरा आकाश रे

आप सभी को सावन के दूसरे सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻🔱🕉️

आज आप सब के साथ मुझे कटनी की बेहतरीन रचनाकार किरण मोर जी की कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है

उन्होंने अपनी कविता के द्वारा पूरे श्रावण मास का बहुत अच्छा चित्रण प्रस्तुत किया है, आप सब इसका आनन्द लें।

झूमे धरा आकाश रे



श्रावण आया श्रावण आया,
 लाया रुत बरसात रे।
रोज छमा छम बरसे, 
झूमे धरा आकाश रे।

आया आया श्रावण मास
शिव की पूजा होती खास
बेलपत्र अरु चंदन चावल
होय आरती कर अरदास
बारह में ये एक महीना
शिव के लिए है खास रे
रोज छमा छम बरसे पानी
झूमे धरा आकाश रे।

श्रावण सोमवार का व्रत कर
राम राम लिख बेलपत्र पर
शिव जप राम,राम जप शिव को
दोनों मिल शिवराम कहाकर
भक्तों के निज त्रास हरें ये
पूरण करते हैं आस रे
रोज छमा छम बरसे पानी
झूमे धरा आकाश रे।

पड़तीं बूंदों की बौछार
लातीं रक्षाबंधन त्यौहार
 वचन बहिन की रक्षा का
बांधे कलाई अनुपम प्यार
बांधे रखता एक दूजे से
दोनों को पर्व है खास रे
रोज छमा छम बरसे पानी
झूमे धरा आकाश रे।

छा जातीं घनघोर घटाएं
ठंडी होने लगतीं हवाएं
विरह रचे गीतों की लड़ियां
प्रेमी गीत युगल नव गाएं
उनकी एक झलक पाने को
मन हो जाता उदास रे।
रोज छमा छम बरसे पानी
झूमे धरा आकाश रे।

बढ़े प्रीत अनुराग पिया से
लगे विरह की आग जिया में
खबर कोई चिठिया आ जाए
सपन पिया आए निंदिया में
तन न सोए मन भी जागे
प्रेम मिलन की आस रे।
रोज छमा छम बरसे पानी
झूमे धरा आकाश रे।

झूला पड़े कदंब की डार
झूल रहे बागों सरकार
राधा रानी झूल रहीं संग
पींग बढ़ाते कृष्ण मुरार
नागपंचमी और बनाए
मल्ल युद्ध को खास रे।
रोज छमा छम बरसे पानी
झूमे धरा आकाश रे।

श्रावण आया श्रावण आया
लाया रुत बरसात रे।
रोज छमा छम बरसे
झूमे धरा आकाश रे।

Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।