Saturday 30 June 2018

Tip : Long-lasting food for a journey

Long-lasting food for a journey

Are you worried that your food gets spoiled very soon when you take it on a journey?

Here are some tips by my mother Dr.Gita Lal Ji on how to long-lasting your food, when taking it on a journey.
  1. Don't pack pooris just after frying (when they are hot). Let them cool down, this would prevent them from getting soggy and would allow the pooris to stay longer.
  2. While cooling and packing pooris, stack them first. This will keep them soft.
  3. Don't cook the vegetables in a hurry, instead start cooking it from one hour before. This would provide you enough time to cook it.
  4. To pack green stuff for a journey, prepare it in more oil as usual. But beware that it's not that much that it would spoil other things kept near it. Roast the stuff till all the oil is absorbed.
  5. When the veggies are prepared, spread it up in a tray or a plate and keep it under the fan. This would hardly take 20-25 minutes.
  6. Prepare any vegetable from raw i.e. don't boil it before cooking.
  7. Don't cook anything in oil used earlier to make anything else.
  8. Whenever you are serving veggies, use a spoon.
  9. Pack pooris and veggies in different containers.

Friday 29 June 2018

Kids Story : Baby baby

समस्या : बच्चा अपनी माँ के हाथ से ही खाना  खाता है।
कहानी : Baby baby

विहान अपनी Mumma का लाडला बच्चा था, बहुत ही intelligent, all rounder, हर काम में perfect
बस एक ही कमी थी उसमें, कि वो आठ साल का हो गया था, पर खाना अभी भी अपनी Mumma  के हाथ से ही खाता था।
विहान को अब उसके friends की  birthday party में अकेले ही बुलाया जाता था, वहाँ उसकी Mumma साथ नहीं जा सकती थी, उसे birthday party बहुत पसंद थीं। वहाँ उसकी पसंद की खाने की बहुत सी चीज़ें होती थीं। पर वो चाह कर भी उन्हें नहीं खा पाता था, क्योंकि वो खाना अपने हाथ से नहीं खाता था। कोई आंटी उसकी प्लेट घर के लिए दे देती तो वो घर आ कर वो खाना अपनी Mumma के हाथ से खा लेता था, नहीं तो घर आ कर घर का खाना ही उसे खाना पड़ता था।
विहान के सारे दोस्त यही समझते थे कि विहान बहुत कम खाता है। एक दिन विहान अपनी ball नीचे ground  में भूल गया था, उसका दोस्त अमन उसकी ball लौटाने विहान के घर गया, वहाँ उसने देखा विहान अपनी Mumma के हाथ से खाना खा रहा था, ये देख कर वो हँसने लगा और उसे baby baby कह कर चिढ़ाते हुए भाग गया। अगले दिन उसने सारे बच्चों को बता दिया कि विहान अभी भी अपनी Mumma के हाथ से ही खाता है। अब तो सारे बच्चे विहान को baby baby कह कर चिढ़ाने लगे, और उसके साथ खेलना भी बंद कर दिया।
इससे विहान बहुत दुखी रहने लगा, उसने अपनी Mumma को बोला अब से वो अपने हाथ से ही खाएगा। ये जानकर उसकी Mumma बहुत खुश हुई। शुरू में कुछ दिन विहान से खाना खाने में गिरता था, और बहुत धीमे भी खाता था, पर बहुत जल्दी ही वो ठीक से खाना खाने लगा।
अमन ने अपनी birthday में विहान को भी बुलाया, उसने सोचा विहान खाना तो खा नहीं पाएगा, तो उसे खूब चिढ़ाएगा, साथ ही free का gift भी मिल जाएगा।
विहान ने उसकी party में अच्छे से सब कुछ खाया। ये देखकर अमन दंग रह गया। सारे दोस्तों ने विहान से फिर से दोस्ती कर ली। आज विहान ने party में बहुत मज़े किए।

घर आ कर वो अपनी Mumma से बोला, मैं आज अच्छे से समझ गया हूँ, Mumma हर जगह नहीं जा सकती हैं, इसलिए खाना अपने हाथों से ही खाना चाहिए। तभी आप अपनी पसंद की सब चीज़ भी खा सकते हैं, कोई आपका मज़ाक भी नहीं उड़ा पाएगा, तभी आप party  भी enjoy कर पाएंगे।

Wednesday 27 June 2018

Kiddo Delight : Fancy Chocolates

Fancy Chocolates

We spend a lot of amount for buying chocolates from malls. The same can be made easily at home much cheaper than that.
It is so easy to make that even kids can prepare it under your supervision and support.

Ingredients:

For Chocolaty Hearts:
  • Dukes dark chocolate
For White Hearts:
  • Dukes white chocolate
For Fruit and Nut:
  • Dukes dark chocolate
  • Raisins
  • Almonds
  • Cashew nuts 
For 2 in 1:
  • Dukes white chocolate
  • Dukes dark chocolate

Method:

  • For Chocolaty Hearts:
  1. Prepare a double boiler.
  2. Grate the chocolate and keep it in the bowl.
  3. Turn on the flame to high.
  4. Keep stirring the chocolate till it attains such consistency that ribbons can be formed.
  5. When such consistency is obtained, pour little amounts of the chocolate into silicon moulds.
  6. Tap it twice on your work station and keep it in the freezer to harden.
  7. After it is hardened, demould the chocolate.
  8. Your chocolaty hearts are ready to consume.
  • For White Hearts:
  1. Grate Dukes white chocolate.
  2. Now, prepare it by the same method as of Chocolaty Hearts.
  • For Fruit & Nut:
  1. Melt the dark chocolate by the same method as of Chocolaty Hearts.
  2. Now, half-fill the moulds and add anyone of the nuts.
  3. Then, cover and fill the moulds completely with chocolate.
  4. Freeze it.
  • For 2 in 1:
  1. Melt both, dark and white chocolates.
  2. Half-fill the moulds with one type of chocolate and complete it with the other one.
  3. Freeze it.

N.B.: 

  1. The chocolates can be decorated with edible colourful sprinkles, glitters or powdered sugar.
  2. After the chocolates are prepared, they can be wrapped in colourful foils beautifully.

~Advika Sahai

Tuesday 26 June 2018

Story Of Life : अकेली भाग ३

                           
अब तक आपने पढ़ा सुमन और राजेश का राघव को नज़र अंदाज़ करना, व राघव और रामू में बढ़ता प्यार ,अब आगे..... 
अकेली भाग ३ 

राघव कब जवान हो गया, ये बात भी सिर्फ रामू काका जानते थे, राघव को America से बहुत बड़ी कंपनी का ऑफर आया, तो वो अपने रामू काका को भी ले गया।
माँ–पापा बोले भी, अब हमारा retirement होने वाला है, इस अनपढ़ गँवार को कहाँ America ले जा रहे हो, हम साथ चलते हैं।
राघव ने बड़ी ही सहजता से कह दिया, आप लोगो को मेरे स्वभाव, पसंद-नापसंद का हाँ पता है, ये सब जानते हैं। और जितना पढे हैं, मेरे लिए उतना ही काफी है। बाकी आप लोग परेशान ना हो, मैंने आपके लिए दो नए नौकर रख दिये हैं। और वहाँ  से हर महीने आपको पैसे भेजता रहूँगा। आप लोगो के लिए ही तो अमेरिका जा रहा हूँ, जिससे आपका बुढ़ापा अच्छे से कटे और आपकी शान भी बनी रहे। और हाँ मेरे लौटने का इंतज़ार मत करिएगा, जब बहुत सारा पैसा कमा लूँगा, तो लौट आऊँगा।
आज दस साल हो गए थे, पर उन्हें अपने बेटे का मुंह देखने को नहीं मिला। हाँ अपने वादे-अनुसार राघव हर महीने मोटी रकम भेज देता था।
सुमन और राजेश ने अपनी झूठी शान में सच्चे रिश्तेदारों और दोस्तों को ना कभी वक़्त दिया, ना नज़दीक आने दिया। हमेशा अपनी व्यस्ता ही दिखाते रहे। और जो social network था, वो भी retirement  होते ही छु-मंतर हो गया।
आज ना अपना बेटा पास था, ना कोई सगा–समबंधी, ना मित्र। नौकर भी बहुत आए, पर राम खिलावन जैसा फिर ना मिला।
पैसे, शान-शौकत तो बहुत कमा ली, पर साथ, सुकून, प्यार सब बहुत पीछे छूट गए।
आज सुमन सोच रही थी, काश घर पर रह कर अपने बेटे पर प्यार-दुलार लुटाया होता, सब अपनों को समय दिया होता, तो वो अकेली ना होती, और उनकी झोली में उदासी, खालीपन और अकेलापन ना होता।                  

Monday 25 June 2018

Poem : That corner of my room

That corner of my room

That corner of my room
Where cool air breezes run,
That corner of my room
Can be compared to none.

That corner of my room
Is where I sit in gloom,
That corner of my room
Is where my ideas zoom.

That corner of my room
Is where blossoms come,
That corner of my room
Is where I usually hum.

That corner of my room
Brings pleasant thoughts to mind,
That corner of my room
Is where new ideas get unwind.

That corner of your room
Now you may also scout,
That corner of your room
Will bring your calibre out.
~ Advika Sahai

Story Of Life : अकेली भाग -२

अब तक आपने पढ़ा सुमन और राजेश का busy schedule और मासूम  राघव को नज़र अंदाज़ करना, अब आगे .....   
 अकेली भाग -२ 

एक दिन राघव बुखार से तड़प रहा था, रामखिलावन ने phone किया, तो जवाब मिला, आज बहुत important meeting है, अभी आना संभव नहीं है, doctor को फोन कर देते हैं, तुम देख लेना।
doctor आकर देख गए, दुनिया की medicine  और माथे में गीली पट्टी हर 15 मिनट में बदलने की बोल गए।
राघव के पास पूरी रात उसके रामू काका बैठे पट्टी बदलते और medicine  देते रहे, उनकी आंखो से बहती अश्रु-धारा उनका राघव के प्रति निश्छल प्रेम दर्शा रहा था, उनकी सेवा से राघव जल्दी ही ठीक हो गया।
क्लास में कविता प्रतियोगिता में उसे first आने पर trophy मिली। जब घर पंहुचा, उस दिन माँ –पापा घर पर थे, बड़े मन से उसने उन्हें अपनी trophy दिखाई। उनके पास शर्मा अंकल भी थे, दोनों ने बड़े गर्व से उन्हें, उसकी trophy दिखा कर उसे showcase में रखवा दी। रामू काका को जब पता चला, तो वो बेहद खुश हुए। उन्होने राघव की पसंद के गुलाब-जामुन बनाए, भगवान को करोड़ों धन्यवाद दिया और राघव की सफलतों की मंगल कामना भी की।
राघव बेहद ही होनहार था, आए दिन उसे trophy मिलने लगी, सुमन और राजेश के लिए वो ट्रॉफियाँ उनके showcase को सजाने और status symbol ढ़ाने का जरिया मात्र बन कर रह गयी थीं। कभी भी ना तो उन्होने राघव की पीठ थपथपाई, और ना ही प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। उनके पास इन सब के लिए फुर्सत ही कहाँ थी? बस एक रामू काका ही थे, जो उसकी हर सफलता पर घी के दिये जलाते, मिठाई बनाते और पूरे मौहल्ले में उसकी सफलता के गीत गाते रहते।
एक दिन राघव ने बड़ी मासूमियत से रामू काका से पूछा– आपने शादी क्यों नहीं की, तो उन्होंने भी बड़ी ही सादगी से कहा, हमार तो पूरी दुनिया आप हो राघव बाबा। शादी करते तो ना जोरु पे ध्यान दे पाते, ना बचवन पर, तो काहे के लिए शादी करते?

उनकी ये बात राघव के दिल में गहरे तक बैठ गयी...... 

राघव के दिल में बैठी गहरी बात का सुमन और राजेश की ज़िन्दगी में क्या प्रभाव पड़ा, जानते हैं अकेली भाग -३ में 

Sunday 24 June 2018

Kids' Story : अच्छी सब्जी

समस्या: हरी सब्जी नहीं खाता।
कहानी: अच्छी सब्जी।

पिया हमेशा खाने से भागती थी, और सब्जी तो एकदम ही नहीं खाती थी। कोई-कोई सब्जी खा भी ले पर अगर कोई हरी सब्जी बनी हो तो उसे देख के ही कमरे से भाग जाती थी। धीरे-धीरे उसे कम दिखने लगा पर उसने अपने माँ-पापा को नहीं बताया।
एक दिन वो बैठी-बैठी रो रही थी। उसकी माँ ने उसे रोता देख तो उससे पूछा क्या हुआ? वो बोली, “मुझे दिखना कम हो गया है। उसकी माँ उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले गई। तब डॉक्टर ने विटामिन के बड़े-बड़े इंजेक्शन दस दिन तक लगाए। उससे पिया को बहुत दर्द होता था, पर अब और कुछ किया भी नहीं जा सकता था। उसके बाद डॉक्टर बोले कि अगर ये रोज हरी सब्जी खाएगी तो इसे ये इंजेक्शन नहीं लगाने पड़ेंगे और इसकी आँखें भी ठीक रहेंगी।
पिया ने उसके बाद से हमेशा पूरा खाना ठीक से खाया, उसे ठीक से दिखने लगा और फिर उसे इंजेक्शन भी नहीं लगे, वो अब अच्छे से समझ गयी थी, सब सब्जियाँ अच्छी होती हैं, और जो बच्चे दाल, रोटी, सब्जी, चावल, सलाद, फल सब अच्छे से खाते हैं, वो ही healthy रहते हैं, और वो खूब मस्ती भी कर पाते हैं

Saturday 23 June 2018

Story Of Life : अकेली

                           अकेली


एकांत कमरे में सुमन आराम कुर्सी में बैठी हुई थी, तभी सन्नाटे को phone की घंटी की आवाज़ ने भंग कर दिया।  
अमेरिका से राम खिलावन का फोन था, मेमसाब, राघव बाबा पुछवाय रही, और पइसा चाही के रही, सुमन ने इंकार कर दिया, पूछा राघव कैसा है? कब तक भारत लौटेगा?
मेमसाब! राघव बाबा एकदमे ठीक हैं, कलही तो उन्हें 1 और तरक्की मिली है, बहुते ही खुश थे। हाँ घर लौटन की तो अबही कछुह ना बोले हैं, बोलेंगे तो बताई, अच्छा प्रणाम मेमसाब।
फोन रखने के साथ ही सुमन ने T.V. खोल लिया, उसमे पुराना गाना- वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी....... आ रहा था।
उसे देखते देखते सुमन भी अपनी पुरानी यादों में खो गयी।
सुमन का विवाह एक धनवान परिवार में हुआ था, राजेश भी उच्च पद पर आसीन था, बस अपनी मानसिक संतुष्टि और सबके बीच अपनी साबनाने के लिए उसने भी job join कर ली थी
राघव उनका एकलौता बेटा था, पर सुमन का मन तो घर-बच्चो में लगता ही नहीं था।
राघव की देखभाल के लिए रामखिलावन को रख लिया गया था, वो भी बहुत मन से राघव का ध्यान  रखता, राघव ने बड़े प्यार से उसका नाम रामू काका रख लिया था।
राघव और रामू काका इस कदर एक दूसरे में घुलमिल गए थे, कि राघव ने भी सबसे पहला शब्द माँ या पा नहीं, का ही बोला था।
सुमन और राजेश दोनों ही अपने काम में इतने busy रहते थे, कि राघव के बचपन की शरारतें, उसका भोलापन कुछ भी वो नहीं जानते थे, जब office से छुट्टी मिलती, तो अपने social network बनाने में लग जाते।
राघव जब थोड़ा बड़ा होकर school जाने लगा, तो उसे, और बच्चों की देखादेखी अपने माँ पापा के साथ की कमी लगने लगी। वो घर पंहुच कर अपने माँ पापा को phone कर के बड़ी मासूमियत से पूछता, घर कब आएंगे तो वे बड़ी बेफिक्री से कह देते, हमें time लगेगा। जब वो जिद्द करता, कि नहीं अभी आओ तो कह देते, तुम्हारे लिए ही तो पैसा कमा रहे हैं, रामू काका हैं ना, उनसे कह दो, तुम्हें जो चाहिए। और हाँ खाना खा के सो जाना, तुम्हें स्कूल जल्दी जाना होता है ना, हम रामू काका से तुम्हारी सारी demands पूछ लेंगें
माता-पिता का साथ, लाड़-प्यार, अपनापन राघव कभी जान ही नहीं पाया।  
एक दिन राघव बुखार से तड़प रहा था........ 

क्या राघव की बीमारी से सुमन और राजेश में कोई बदलाव आया,जानिए अकेली भाग २ में