मजबूर (भाग -6) के आगे...
मजबूर (भाग -7)
विराज उससे पहले कुछ और पूछता या कहता, उससे पहले सविता जी ने उसे वापस जाने को कह दिया...
फिर अपनी बेटी पर गुस्साते हुए बोली, इसे सिवाय आलस के कुछ और पता भी है।
यह क्या बताएगी कि क्या कहां रखा है, जब इसे अपने mobile का भी होश नहीं है, जिस पर वरुण ने चार घंटे पहले ही सब कुछ whatsapp कर दिया था।
लीजिए पढ़िए, मुकेश जी को फोन पकड़ाते हुए कहा...
वरुण ने लिखा था, सासू मां और ससुर जी आपको लाखों करोड़ों धन्यवाद कि आपने ने मुझे 50 करोड़ रुपए दे दिए। यह उतने ही रुपए हैं, जो आपने राजकुमार के नाम किए थे।
मैं सिर्फ उतने रूपए लेकर ही अपने बेटे के साथ इस देश को छोड़ रहा हूं।
मैं मजबूर था, अपने ही बेटे की kidnapping के लिए, मैं मजबूर हो चुका था, आपकी बिगड़ैल और बद् दिमाग बेटी के साथ रहकर...
वरना शादी से पहले मैं भी सफल business man था, पर आपकी बेटी ने कभी मेरी कीमत नहीं समझी और मुझे बर्बाद करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी।
मेरी तो छोड़िए कभी अपने बेटे की कीमत भी उसने नहीं समझी...
मैंने उससे निभाने की बहुत कोशिश की, सोचा शायद वो मां बनकर सुधर जाएगी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, यह आप लोग भी जानते हैं।
मैंने बहुत मजबूर होकर, यह कदम उठाया है। मैं आपका गुनहगार हूं, आप चाहें तो मुझे जेल करवा सकते हैं या मुझे मेरे बेटे के साथ सुखी रहने दे सकते हैं।
मैं आपसे वादा करता हूं कि जितना जल्दी हो सकेगा, मैं आपके 50 करोड़ रुपए भी वापिस कर दूंगा। और आप भी जानते हैं कि मैं काबिल हूं, सक्षम हूं, यह जल्दी कर दूंगा।
आशा है आप मुझे माफ़ कर देंगे। मेरे लिए नहीं तो राजकुमार के लिए माफ़ कर दीजियेगा। क्योंकि उसे उज्जवल भविष्य जीने का अधिकार है, जो आपकी बेटी के संग संभव नहीं है।
सब कुछ पढ़ने के बाद मुकेश जी और सविता ने सिर झुका लिया, क्योंकि जो कुछ लिखा था, पूर्णतः सत्य ही तो था...
उन्होंने वरुण को जवाब दे दिया कि तुम उन रुपयों को हमेशा के लिए अपने पास रख लो। उस पर राजकुमार का पूरा हक है, उसे अच्छा लालन-पालन देना और हो सके तो कभी-कभी हम से मिलवाने ले आना। उसे यही बताना कि उसके नाना और नानी बहुत अच्छे हैं, उसे बहुत प्यार करते हैं।
हम लोगों को तुम लोगों का इंतजार रहेगा। हम समझ रहे हैं कि तुम कितने मजबूर हो गए थे, ऐसा कदम उठाने के लिए, हमने तुम्हें माफ़ किया।
सब दुखी थे, वरुण और राजकुमार के जाने के बाद, सिवाय अंकिता के... उसे न उन लोगों के जाने का दुःख था, न पैसों के जाने का... बल्कि वो तो खुश थी कि वरुण ने अपनी मजबूरी बता कर उसे आज़ाद कर दिया था। क्योंकि वो हमेशा के लिए मुक्त हो गई थी, अपनी जिंदगी, सिर्फ अपने लिए जीने को। वो खुश थी क्योंकि वो मजबूर थी, ऐसे ही जीने के लिए...