Monday, 30 December 2019

Story of Life: ऐसा क्यों - 2

ऐसा क्यों (भाग - 1)  के आगे...

ऐसा क्यों (भाग -२)

उसने जैसे ही air force join की, वह अवसर ढूँढने लगा, कि कैसे वो अपने दादाजी व पिताजी की तरह देश का नाम रोशन कर सके। आखिर एक दिन उसे मौका मिल ही गया, वो round पर निकला हुआ था, तभी उसे कुछ आतंकवादी गतिविधि दिखाई दी। उसने अपने air marshal से कहा मुझे बार्डर पार कुछ आतंकवादी गतिविधियाँ दिखी है, जिसके लिए उसे बार्डर पार जाना पड़ेगा। 



पर साथ ही मैं चाहता हूँ, ये mission top secret रहे, इसकी भनक किसी को भी ना हो, जिससे मैं अपने mission को fulfill कर सकूँ।


Air marshal, बोले इसमे जान का खतरा है, मैं तुम्हें अकेले नहीं भेज सकता।

सुंदर बहुत ही उत्साह और निडरता से बोला, sir आप मेरी चिंता ना करें, मैं mission खत्म करके ज़िंदा वापस ना लौटा तो मैं वीर परिवार का सपूत नहीं।

अच्छा ठीक है, तुम wireless, अपना plane कुछ बमअपनी gun और कारतूस ले जाओ। तुम्हें अगर किसी भी तरह की requirement हो, message भेजना, मैं यहाँ से experts को भेज दूँगा।

उसके बाद सुंदर सब ले कर चला गया। दो दिन तक उसने दूर से ही आतंकवादी खेमे के एक एक movement पर नज़र रखी। फिर उसके बाद उसने वैसी ही वेषभूषा अपना ली, जैसी आतंकवादी खेमे के लोगों की थी। अपने सब समान उसने छिपा दिये। और उनके दल में शामिल होने की प्रतीक्षा करने लगा।

उसने मौका निकाल कर आतंकवादी खेमे में बम लगा दिया, फिर जब बम फटा, तो अपनी जान पर खेल कर मुखिया को बचा भी लिया। मुखिया की जान बचने से सभी बहुत खुश थे। सब सुंदर की बहादुरी से बहुत खुश हुए, और सुंदर बड़ी आसानी से उनके दल में शामिल हो गया।

कुछ ही दिनों में...



क्या हुआ कुछ ही दिनों में? कहीं सुन्दर पकड़ा तो नहीं गया?

जानने के लिए पढ़ें, ऐसा क्यों (भाग - 3)...


Friday, 27 December 2019

Stories of Life :ऐसा क्यों

ऐसा क्यों


सुंदर के दादा जी army में थे, उसके पिता जी navy में थे। तो उससे कोई भी पूछता, सुंदर तुम बड़े होकर क्या बनोगे? उसका हमेशा यही जवाब होता, अब तो बस air force रह गयी है, तो उसी में जाऊंगा। air wing commander ही बनूँगा।

सुंदर का बचपन से यही सपना था, और उसने उसे पूरा भी कर दिखाया। वो air force में wing commander बन गया।

पूरे शहर में उनके परिवार का बहुत नाम था, उनके घर का नाम वीर भवन था।

अब तो सब कहने भी लगे थे, वीर भवन में सारे वीर रहते हैं। force में भी पूरे परिवार का बड़ा नाम था। सभी बहुत ही साहसी, निडर, दिलेर जबांज थे।

दादा जी ने अपने समय में जंग जीतायी थी, वहीं पिता जी ने भी सीने पर गोली खाकर भी ना केवल दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये थे, बल्कि मौत को हरा कर ज़िन्दगी की जंग भी जीती थी।

अब सारे देश को सुंदर से भी बड़ी उम्मीदें थी। सुंदर का बचपन दादा जी के शौर्य व पिता जी की वीरता की गाथा सुनते बिता था, साथ ही कैसे दुश्मनों को चकमा दिया जाए, ये भी वो बहुत अच्छे से जानता था।

उसने जैसे ही air force join की...



क्या हुआ सुंदर के Air Force join करते ही क्या हुआ?
जानने के लिए पढ़ें, ऐसा क्यों (भाग - 2)...






Thursday, 26 December 2019

Kids' Story: Advay the Hero: Blanket

Advay the Hero: Blanket

हर बार की तरह, इस बार भी जब दादा जी, आ रहे थे, तो advay बहुत खुश था। पापा के साथ वो भी station गया था, उन्हें लेने। 

Train के रुकते ही पापा के साथ advay भी दादा जी के compartment में चढ़ गया। पापा और advay दोनों ने दादा जी के पैर छूए, फिर पापा ने उनका सारा समान उठा लिया, एक bag advay ने भी ले लिया।

अरे advay तुमसे ना उठेगा, मैं ले लूँगा उसे, दादा जी बोले।

नहीं दादा जी, मैं उठा लूँगा, अब बड़ा जो हो गया हूँ।  वैसे bag भारी ही था, और उसे उठाने में advay को दिक्कत भी हो रही थी। पर जोश में भरा  advay उसे उठा कर चलता रहा।

जब सब car में बैठने लगे तो advay बोला, दादा जी आप मेरे 
साथ पीछे बैठिएगा।

दादा जी बोले, हाँ-हाँ, अपने लाडले के पास ही बैठेंगे। कार में ही advay पूछने लगा, दादा जी इस बार हम लोग गरीबों को क्या बाटेंगे?

इस बार......! इस बार blanket बाटेंगे। हाँ, दादा जी ठंड भी बहुत पड़ रही है।


दो दिन बाद पापा और दादा जी के साथ advay भी blanket लेने गया।

Blanket वाले ने पूछा, कैसा दिखाऊँ?

कोई कुछ बोलता, उससे पहले ही advay बोला, हमें गरीबों को blanket बाँटने हैं, बहुत सारे दीजिएगा।

Blanket वाला, कड़े-कड़े blanket दिखाने लगा, उन्हें देखकर advay बोला, यह तो बहुत चुभ रहे हैं।

अरे बेटा, उन्हें नहीं चुभेंगे, उनकी ऐसे ही ओड़ने की आदत होती है, blanket वाला बोला।

दादा जी बोले, कुछ अच्छे वाले दिखाओ।

Advay ने अपनी pocket में हाथ डालकर 1000 रुपए, दादा जी को दे दिये, आप मेरे पैसे भी ले लीजिये। पर soft blanket ही लीजिएगा।

दादा जी ने advay को बहुत सारा प्यार किया, और उसके रुपए उसे वापस करके बोले, तुम अपने पैसे जोड़ते रहो, कभी तुम्हारे रुपए से भी समान खरीद लेंगे। आज हम अच्छे blanket अपने रुपए से ही ले लेंगे।

जब वो blanket बाँट रहे थे, तो सब गरीब लोग बहुत खुश हुए, बोले आज तक इतना अच्छा blanket किसी ने नहीं दिया, हमेशा चुभने वाला ही सब देते हैं, कोई कभी यह नहीं सोचता है, कि हमे भी अच्छे की चाह हो सकती है।

दादा जी मन ही मन सोच रहे थे, कि दान तो बहुत लोग देते हैं, पर दान दी हुई चीज अच्छी हो। ये बहुत कम लोग ही सोच पाते हैं, आखिर उसे use करने वाले भी तो इंसान ही होते हैं।

दादा जी ने लौटते समय advay को बहुत सारा प्यार किया, आज उसकी वजह से ही गरीबों को अच्छे blanket मिले थे।


Wednesday, 25 December 2019

Poem : Santa बन जाएंगे

कितने दिनों से हम Christmas में "jingle bell jingle bell, jingle all the waycarol गाते थे, आज बच्चों के लिए उसी तर्ज़ पर यह नया carol बनाया है, जिसमें हम उन्हें मस्ती मस्ती में बहुत कुछ सीखा भी देंगे।   

Santa बन जाएंगे


Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
सेंटा जब आते हैं
वो तोहफा लाते हैं
हम सब बच्चों को
खुशियाँ दे जाते हैं
Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
इस साल हम भी
सेंटा बन जाएंगे
खाने का एक एक
दाना बचाएंगे
Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
इस साल हम भी
सेंटा बन जाएंगे
पानी की एक बूँद भी
ना व्यर्थ बहाएँगे
Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
इस साल हम भी
सेंटा बन जाएंगे
गलत करेगा जो भी
उससे लड़ जाएंगे
Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
इस साल हम भी
सेंटा बन जाएंगे
मिलजुल कर हम
भारत को no. 1 बनाएँगे
Jingle bell jingle bell
घंटी है बजती
हम सब बच्चों को
बहुत प्यारी है लगती
ल ल्ल ला ल ल्ल ला हो हो हा हा ल ल्ल ला  

Merry Christmas 


Tuesday, 24 December 2019

Tip : Bright elbow and knee

जब face shine कर रहा हो, पर  elbow and knee dark हो रहें हों, तो face की  shining भी fade होने लगती है।

पर जब आप shades of life से जुड़े हैं, तो कैसे कुछ fade हो सकता है।
तो चलिए आज की Tip से अपनी elbow and knee को भी bright कर लेते हैं।
Bright elbow and knee





Ingredient

Rice flour - 1tsp
Turmeric - 1 pinch
Curd - 1 tsp
Water - as per requirement

Method :
सारे ingredients को अच्छे से mix कर के thick paste बना लें
अब इसे knee and elbow पर properly apply कर लीजिए।
10 min. के लिए छोड़ दीजिए।
अब इसे clean कर लीजिए।
4 to 6 time use करने से बहुत ही अच्छा result आ जाता है।
यह पूरी तरह natural है, इसलिए  बच्चे भी use  कर सकते हैं।
तो आप जुड़े रहें, हम से, और अपने group सबसे अच्छे दिखें।

Monday, 23 December 2019

Article : यूँ ना करे बरबादी


यूँ ना करे बरबादी


आज देश हिंसा की आग में जल रहा है, पर यह किस हद तक ठीक है?

जो लोग ये कहते हुए  विरोध में जगह-जगह बसें, कारें, ऑफिस, पुलिस-थाने फूँक रहे हैं, कि हम देश में यह bill pass नहीं होने देंगे। तो इसका अर्थ तो ये हुआ ना कि आप देश को अपना मानते हैं? मानते क्या हैं, देश आप का ही है। तो क्या देश की संपत्ति आपकी नहीं है?

अगर यूँ ही तबाही मचाई जाएगी, तो उससे नुकसान देश का ही होगा, मतलब आपका ही होगा।

तो ये कैसा विरोध, जहाँ आप अपना ही नाश करने पर तुले हैं।

और यह बताइये, किस देश में नागरिकता का कानून नहीं है? तो अगर भारत में भी होगा, तो क्या गलत है?

किसी भी देश में नागरिकता कानून होने से यह पता चलता है, कि उसमें कितने नागरिक अपने हैं, और कौन बाहर से आया है। अगर बाहर से आने वालों को easily locate कर सकेंगे, तो देश की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ जाएगी, बेवजह के आतंकवादी हमले नहीं होंगे।

तो क्या आप नहीं चाहते कि देश सुरक्षित रहे?

नागरिकता कानून होने से नागरिकों की सही गणना होगी, उससे देश की अर्थ व्यवस्था ठीक रहेगी। तो क्या आप नहीं चाहते, देश की अर्थ व्यवस्था सुदृन हो?

नागरिकता कानून होने से हर कोई यूँ ही देश में प्रवेश नहीं कर सकेगा, इससे हमारे देश की महत्ता भी बढ़ जाएगी। तो क्या आप नही चाहते, जैसे अमेरिका की नागरिकता मिलना मुश्किल है, तो लोगों में अमेरिका जाने का craze रहता है, जिससे लोगों को वो एक विशेष देश लगता है। ऐसी ही विशेष देश भारत भी बन जाए।

फिर नागरिकता कानून होने से देश में रह रहे किसी भी नागरिक को कोई भी हानि नहीं पहुँच रही है, तो बरबादी क्यों?

हमारे अनुसार तो मोदी जी, आप यह भी एक कानून बना दीजिये, कि जो देश की संपत्ति को हानि पहुँचाए, देश के लिए अपशब्द बोले या उसके राष्ट्रीय संपत्ति का अपमान करे, या देश के लिए मुर्दाबाद के नारे लगाए, या हमारे देश का नाश करने के लिए अन्य देश का साथ दे, उन सब की भी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी। 

देश का विकास और सुरक्षा ही सर्वोपरि है, उसमें सहयोग प्रदान कीजिये, ना कि यूँ बर्बादी कीजिये।

जय हिन्द, जय भारत...

Friday, 20 December 2019

Story Of Life : पड़ाव (भाग-4)

पड़ाव (भाग-1)...
पड़ाव (भाग-2)... और 
पड़ाव (भाग-3)... के आगे  
पड़ाव (भाग-4) 

पति जब अन्दर आए, तो उनके बालों में आई सफेदी मुझे बहुत भा रही थी।

जब मैंने उनकी तरफ पति को इशारे से बताया, तो वो झेंपते हुए बोले, अरे तुम्हारे बेटे की सुनता तो वो इन्हें भी काले कर देता। पर उम्र से इस पड़ाव पर थोड़ी सफेदी अच्छी लगती है, तुम्हें नहीं लगी?

मैं उनके नज़दीक जाकर बोली, मुझे आज सारे प्रोग्राम में सबसे अच्छी यही लगी। उन्होंने ज़ोर से ठहाका लगाया। फिर हम दोनों घंटों जीवन के उतार-चढाव के बारे में बात करते रहे।

बात करते-करते पति नींद के आगोश में चले गए, और मुझे हँसी आ गयी।

मैं अवलोकन करने लगी, कैसे जब मैं अल्हड़ थी, किस सोच की थी। मुझे राजकुमार चाहिए था, पर माँ की पसंद ने जीवन संवार दिया। 

पहली रात भी पति सो गए थे, तब कितना क्रोधित हुई थी, आज हँस रही हूँ।

जो सपने 1st anniversary के थे, वो 25th anniversary में पूरे हुए।

पर खुश तब भी नहीं थी, और आज भी वो खुशी नहीं मिली।

शायद इसलिए क्योंकि आज मन कथा की सोच रहा था। 

फिर लगा, ज़िंदगी के हर पड़ाव की इच्छा भी अलग होती है, और खुशी भी। 

क्योंकि अनुभव तब तक जीवन की हकीकत समझा चुका होता है।

खुशी अपनों के साथ, ईश्वर की कृपा और संतुष्टि में ही है, बाकी तो सब क्षण भंगुर है। आज मैं ऐसे पड़ाव पर आ चुकी हूँ, जहाँ से जीवन क्या है, साफ दिखता है।

Thursday, 19 December 2019

Story Of Life : पड़ाव (भाग-3)

पड़ाव (भाग-1)... और
पड़ाव (भाग-2)... के आगे...
पड़ाव (भाग-3) 

जब बहू मुझे parlour ले गयीतब मुझे समझ नहीं आयासारी जवानी तो बिना parlour के निकाल दीतो आज क्यों? खैर बहू की इच्छा के आगे चुप रही। 

जिस दिन anniversary थीमैं पूजा-पाठ की तैयारी में जुट गयीऔर इंतज़ार करने लगी कि पंडित जी आने वाले होंगे। 

पर मेरी सोच के विपरीत कोई पंडित नहीं आए। मन खिन्न हो गयासास थींतो कम से कम कथा हो जाती थीआज तो वो भी नहीं।


शाम को बहू मुझे फिर parlour ले गयीजहाँ उसने मुझे दुल्हन सा 
सजा दिया। कुछ समझ नहीं आ रहा थाआखिर इतनी साज-सज्जा क्यों?


फिर मैं और बहू उस होटल में पहुँचेजहाँ मेरे पतिबेटा, बेटी, दामाद और बहुत सारे मेहमान थेवो भी जिनकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।



सब उससे भी अच्छा थाजैसा मैंने पहली anniversary में कल्पना की थी।बहुत बड़ा cake, बिल्कुल फिल्मी set जैसी decoration, और सब से मिल रहा VIP treatment, बहुत सारी variety वाला menu, सब कुछ मेरी कल्पना से परेमानों मैं सपनों की दुनिया में पहुँच गईं हूँकुछ पल तो मैं सपनों की दुनिया में ही रही। 

पर जब धरातल में लौटीतो सोचने लगीऐसी 25 anniversary तो नहीं सोची थी मैंने।


पर बच्चों और पति का जोश और मुझे खुश करने की चाह ने चेहरे पर खुशी बरकरार रखी।


घर पहुँचीतो हमारा कमरा तो बेटे-बहू के कमरे से भी ज्यादा सुन्दर सजा था। ऐसा तो तब भी ना सजा थाजब मैं नयी नवेली आई थी। बेटे और बेटी ने कान में धीरे से कहाये सब बहू ने सजाया है।


कब आ कर उसने कियामुझे तो एहसास ही नहीं हुआहाँ याद आयाहमे खाने की table में बैठाकर हम लोगों की ज़िम्मेदारी बेटी को सौंप कर वो आधे घंटे के लिए दिखी नहीं थी। शायद तब यहीं आई होगी।


बच्चों के सामने कमरा सजा देखकर मुझे इतनी लाज आईकि बिना किसी के कहेमैं अन्दर चली गयी।


पति जब अन्दर आएतो...

कहानी का अंतिम भाग पढ़ें पड़ाव(भाग-4) में...