Friday, 28 April 2023

Poem : ख़ामोशी की आवाज

 ख़ामोशी की आवाज




ख़ामोशी भी ख़ामोश नहीं रहती है,

गौर से गर सुनो तो,

ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है।

उसकी भी अपनी एक आवाज़ होती है, 

और गर सुन सके‌ कोई उसे,

तो बस वही जिंदगी होती है।


जब रखता है मासूम मन, 

अपने स्कूल में पहला कदम।

उसकी ख़ामोश निगाहें,

ढूंढती है अपना बचपन।

गर सुन लेता है, 

उनकी ख़ामोशी,

कोई कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक।

वो बन जाता है उनके,

सपनो का रक्षक।

बच्चे उनके सानिध्य में,

उज्जवल भविष्य बनाते हैं।

ऐसे शिक्षक उन्हें,

जिंदगी भर याद आते हैैं।


ख़ामोशी भी ख़ामोश नहीं रहती है,

गौर से गर सुनो तो,

ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है।


जब होती है बेटी विदा, 

तब पिता की आंखों में नमी,

और जुबान पर ख़ामोशी होती है,

वो ख़ामोशी बेटी से जुदा होने की,

सारी व्यथा कहती है।

गर सुन सके बेटी, यह तो,

वो पिता के और नजदीक होती है।


ख़ामोशी भी ख़ामोश नहीं रहती है,

गौर से गर सुनो तो,

ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है।


जब आती है नई नवेली दुल्हन, 

अपने ससुराल की दहलीज पर,

उसकी ख़ामोश नजर पड़ती है घर पर।

वो ख़ामोशी उसके मन में चलती, 

अनेकों उलझन को बंया करती है।

गर सुन सके उसकी सास यह, 

बहू उसके नज़दीक होती है।


ख़ामोशी भी ख़ामोश नहीं रहती है,

गौर से गर सुनो तो,

ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है।  


जब हो साजन या सजनी ख़ामोश,

कह ना सके लब से पर,

आंखें कहना चाहती हों बहुत कुछ,

तब उस ख़ामोशी को पढ़ लेना।

उनकी ख़ामोश व्यथा समझ लेना, 

जो यह समझ पाता है।

उनका जीवन सुख से भर जाता है,

उनकी अमर हो जाती प्रेम गाथा है।


ख़ामोशी भी ख़ामोश नहीं रहती है,

गौर से गर सुनो तो,

ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है।  


जब हो जाते हैं, मां-पापा बुजुर्ग, 

बच्चों के इंतजार में हो जाते ख़ामोश। 

गर सुन सके बच्चे उनकी ख़ामोशी, 

उनके स्नेह और आशीष के साथ,

सफलताओं के शीर्ष पर पहुंच जाते हैं,

जीवन में हर ख़ुशी पाते हैं।


ख़ामोशी भी ख़ामोश नहीं रहती है,

गौर से गर सुनो तो,

ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है। 


आप भी एक बार सुनिएगा, ख़ामोशी अपने माता-पिता, अपने सास-ससुर अपने पति, अपनी पत्नी, अपने बच्चे, अपने दोस्तों की, सच मानिए, जिस दिन से आप ख़ामोशी भी सुनने लगेंगे, आप की bonding उनसे और बढ़ जाएगी क्योंकि


ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है,

उसकी भी अपनी एक आवाज़ होती है।

और गर सुन सके‌ कोई उसे,

तो बस वही जिंदगी होती है।


बहुत सारे प्यार के साथ, अपने सभी viewers के लिए ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके जीवन में सुख शांति और सौहार्द्र बना रहे 🙏🏻


यह अप्रैल की last post है, तो सोचा कि पांच साल के पूरे होने पर यह कोशिश बढ़ा दें कि अपने viewers की ख़ामोशी भी सुन सके।

जिससे हम लोगों की bonding और मजबूत हो जाए, तो आज आपकी नज़र में ख़ामोशी की आवाज साझा की है 🙏🏻🙏🏻

Wednesday, 26 April 2023

Story of Life: अनूठी सोच (भाग -3)

अनूठी सोच (भाग -1)

अनूठी सोच (भाग -2) के आगे...


अनूठी सोच (भाग- 3)


हर्षवर्धन जी की बात सुनकर, अमन ने कहा, यह फ़ैसला तो मेरे मां-पापा ही करेंगे। मैं उन्हें कल भेज दूंगा। 

अगले दिन अमन के मां-पापा नितिन और मालती, हर्षवर्धन जी के घर आ गए।

हवेली की चकाचौंध से दोनों की आंखें चुंधिया गईं। उन लोगों की हर्षवर्धन जी ने बहुत अच्छे से आवभगत की।

उसके बाद वे बोले, आपका बेटा बहुत होनहार है, उसमें सुसंस्कार कूट-कूट कर भरें हैं। अगर आप लोगों अनुमति दें तो मैं उसे अपना दामाद बनाना चाहता हूं।

नितिन और मालती, बिना कुछ कहे बस एकटक एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे।

मैं समझ गया आप की कश्मकश, मैं अमन को घर जमाई नहीं बना रहा हूं, इसके लिए उसने मुझसे पहले ही मना कर दिया है।

नितिन मालती दोनों ही बहुत खुश हो गए, इतने बड़े घर की इकलौती बेटी, बहू बनकर आएगी तो सम्पन्नता तो अपने आप घर आ जाएगी। इससे अच्छा तो कुछ भी नहीं हो सकता, दोनों ने बिना एक पल भी गवांए हां कर दी।

आप पहले श्यामली से तो मिल लेते, फिर...

मालती ने बीच में ही हर्षवर्धन जी की बात काटते हुए कहा, जी जब बच्चों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया तो देखना दिखाना क्या है। जिंदगी तो उन दोनों को एक दूसरे के साथ काटनी है। जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी...

एक महीने के बाद का शुभ मुहूर्त निकला। हर्षवर्धन जी ने बहुत ही भव्य तरीके से शादी के सारे आयोजन किए। 

बारात में शामिल जितने भी लोग थे, सब बोल रहे थे कि अमन की तो लाटरी निकल गई। कुछ ने श्यामली को देख कुछ नाक-भौंह भी सिकोड़े, पर फिर भव्य स्वागत देखकर आपस में इतना ही बोले, जहां करोड़ों मिल रहे हों, वहां इतना compromise तो करना ही पड़ेगा, फिर हमें क्या, हमें कौन सा निभाना है। हमें तो party के मजे लेने चाहिए, कौन ऐसी party फिर मिलनी है...

शादी हो गई, विदा की बेला आ गई। हर्षवर्धन जी ने बहुत सारे सामान और रुपए पैसे दिए।

तभी अमन ने हर्षवर्धन जी से कहा, पापा जी मैं यह सब कुछ नहीं लूंगा, दहेज नहीं जाएगा मेरे साथ... अगर आप को अपनी बेटी, सिर्फ शादी के जोड़े में विदा करनी हो तो ठीक है, अन्यथा आप अपनी बेटी को अपने पास ही रखें।

अरे बेटा जी, यह क्या कह रहे हो? तुमने मुझसे मांगा थोड़ी ना है, फिर यह दहेज कैसे हुआ? यह सब तो तोहफे हैं, जिस पर तुम दोनों का हक़ बनता है। बल्कि मेरी कंपनी पर भी...

आप को मेरी काबिलियत पर शक है?

कैसी बात कर रहे हो अमन? तुम्हारी काबिलियत और संस्कार को देखकर ही तो मैंने अपनी बेटी तुम्हें सौंपी है...

 पर मैं कुछ नहीं दूंगा तो दुनिया क्या कहेगी, कि इतने बड़े घर की लड़की और खाली हाथ विदा हो गयी...

पापा जी, क्या आप ईश्वर से भी बड़े हो गए हैं? 

क्या कह रहे हो अमन!

सोचिए, ईश्वर जिसके पास पूरा जहान है देने के लिए,  उसने हमें खाली हाथ भेजा, तो हम इंसानों की औकात क्या कि किसी को कुछ दें।

ईश्वर ने हमें जन्म के साथ दिया है, तो यह बहुत सारे रिश्ते... जो हमारा ध्यान रखते हैं, आशीर्वाद देते हैं, बहुत सारा स्नेह देते हैं और हमें कभी अकेला नहीं रहने देते हैं। 

आप भी मुझे अपना आशीर्वाद, स्नेह और साथ दीजिए, इनसे अनमोल कुछ भी नहीं... 

ओह अमन, मैंने तुम्हें सोना समझा था, पर तुम तो हीरा निकले.. मुझे तुम पर गर्व है, और इस बात का सुकून की मैंने तुम्हें अपनी बेटी के लिए चुनकर बिल्कुल सही निर्णय लिया है। 

साथ ही गर्व है, तुम्हारी अनूठी सोच पर... तुम चाहते तो रुपए के ढेर पर बैठ सकते थे। पर तुमने उस नश्वर चीज़ को ठुकरा कर अनमोल रिश्तों, आशीर्वाद, स्नेह और साथ को चुना... तुम्हारी जैसी अनूठी सोच अगर सबकी हो जाए तो दहेज प्रथा जैसी समाजिक कुरीति का जड़ मूल से नाश हो जाए...

सब अमन के फैसले से बहुत खुश थे और अमन की अनूठी सोच पर उसे बधाई दे रहे थे। 

बस मां दुःखी थीं कि बेटे ने हाथ आए मौके को गंवा दिया, साथ ही उन्हें इस बात का भी अफसोस था कि उनके इतने खूबसूरत बेटे के लिए कैसी सी बहू मिली है! ... ना माया मिली ना राम...

हर्षवर्धन जी, मालती के मन की बात समझ गये, वो बोले समधन जी, आप अफसोस ना करें, आपने कोई घाटे का सौदा नहीं किया, आप का बेटा होनहार है और मेरी बेटी गुणी...मेरा विश्वास कीजिए, बहुत जल्दी आप मुझसे भी बड़ी हवेली में रहेंगी और साथ ही बहुत सम्मान और प्यार भी मिलेगा आपको जिंदगी भर... फिर मैं तो हूं ही, आप सबका साथ देने के लिए...

हर्षवर्धन जी की बात सुनकर मालती भी बहुत खुश हो गई, उसे भी अपने होनहार बेटे और उसकी अनूठी सोच पर नाज हो गया...

Tuesday, 25 April 2023

Story of Life: अनूठी सोच (भाग - 2)

 अनूठी सोच (भाग -1) के  आगे

अनूठी सोच (भाग - 2) 



एक दिन उसने अमन से अपने प्यार का इज़हार कर दिया... 

इतने दिनों के साथ से अमन भी मन ही मन श्यामली को चाहने लगा था।

पर अचानक से श्यामली का इज़हार सुनकर वो सकपका गया कि इतने बड़े घर की लड़की और मैं... कोई तैयार नहीं होगा। 

उसने बड़े प्यार से श्यामली को समझाया कि जो तुम सोच रही हो, वो नामुमकिन है, कोई तैयार नहीं होगा, यह सोचकर तुम सिर्फ अपने दिल को ही दुखाओगी... 

मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती...

वैसे भी आज तक मुझे किसी ने नज़र उठा के भी देखा है? एक तुम्हीं हो, जिसने मेरे मन को समझा है। 

ऐसा नहीं है श्यामली, तुम इतने बड़े घर की बेटी हो, कोई भी तुम्हें अपना जीवनसाथी बना लेगा...

तो तुम क्यों नहीं? 

तुम समझा करो श्यामली... 

ऐसा कुछ भी तुम्हारे पापा जी को पता चलेगा, तो उन्हें लगेगा कि मैं तुम्हें पढ़ाने नहीं, बल्कि फंसाने आया था...

श्यामली के पिता, हर्षवर्धन जी ने श्यामली और अमन की सारी बातें सुन ली थी...

उन्होंने अमन से कहा, बेटा तुम्हे क्या लगता है, मुझमें इंसान पहचानने की क्षमता नहीं है? 

अरे सर आप!..

बाकी तुम सही कह रहे थे, कि रुपए के बल पर मैं किसी को भी अपना दामाद बना सकता हूं।

पर वो सब मेरे पैसों से शादी करेंगे, कोई मेरी बेटी को प्यार नहीं करेगा और बिन प्यार, जीवन व्यर्थ है।

तुम पहले हो जिसने मेरी बेटी का रंग-रूप नहीं देखा बल्कि इसके गुणों को देखा। वैसे यह कहना ज्यादा उचित होगा कि ना केवल देखा, बल्कि इसके गुणों को निखारा भी है।

मैं बहुत खुश रहूंगा, अगर तुम मेरे दामाद बनोगे। 

श्यामली तो मेरी इकलौती बेटी है, तो मेरी सारी धन-संपत्ति भी उसी की है और तुम्हारे सुरक्षित हाथों में मुझे उसे सौंपते हुए अत्याधिक सुकून मिलेगा।

हर्षवर्धन जी की बात सुनकर, अमन ने कहा, यह फ़ैसला तो मेरे मां-पापा ही करेंगे। मैं उन्हें कल भेज दूंगा।

आगे पढें, अनूठी सोच (भाग- 3) में...

Monday, 24 April 2023

Story of Life: अनूठी सोच

अनूठी सोच  


अमन, बहुत ही होनहार, ऊंचे-लंबे कद का आकर्षक युवक था। उसके पिता बहुत ही साधारण सी नौकरी करते थे अतः घर चलाने के लिए वो tuition करता था। एक दिन उसके दोस्त ने उसे बहुत अमीर घर की लड़की को tuition पढ़ाने को कहा। अमन खुशी-खुशी राज़ी हो गया और अगले दिन उस घर में पहुंच गया।

बहुत ही विशाल और भव्य हवेली थी। कुछ देर अमन वहीं खड़ा रहा और हवेली को निहारता रहा। मानो अपने मन को टोह रहा हो कि क्या वो इस हवेली में जाने लायक है? फिर उसने अपने मन से इस विचार को झटका और अंदर चला गया।

जब घर के मालिक को पता चला कि अमन पढ़ाने आया है, तो उसका बहुत भव्य स्वागत किया गया। 

उसके बाद उन्होंने श्यामली को आवाज़ लगाई। श्यामली बहुत ही साधारण से नैन नक्श वाली सांवली लड़की थी, साथ ही उसके मुख के आधे मुख पर कालिमा (लहसुन) भी छाई  थी, जो उसके रुप को और मधम कर देती थी। 

कोई भी लड़का श्यामली को नहीं देखता था, जिसकी श्यामली को कभी कभी ग्लानि भी होती थी। 

अमन ने श्यामली को एक क्षण देखा, फिर अपना परिचय देकर, उससे काॅपी और किताब निकालने को कहा...

और उसके बाद से ही शिष्या और गुरु का रिश्ता अपनी रफ़्तार से बढ़ चला...

अमन का ज्ञान और श्यामली की लगन काम आई, इस साल श्यामली ने अपने कॉलेज में top किया, साथ ही उसकी कविता की book भी publish हुई, जिसके लिए भी श्यामली को अमन ने ही प्रोत्साहित किया था।

Actually tuition पढ़ाते समय ही अमन ने यह समझ लिया था कि श्यामली बहुत ही अच्छी कविता लिखती है।

उसका एक दोस्त, विनय publication में था, तो उसने श्यामली की कुछ कविताएं दिखाई।

जिन्हें देखकर, विनय बोला, यह बहुत अच्छी कविताएं हैं और अगर ऐसी और मिल जाए तो इन कविताओं की पूरी एक किताब ही छाप दें।

इसके बाद पढ़ाने के साथ साथ, अमन ने श्यामली को कविताएं लिखने को भी प्रेरित किया। 

जिसका ही नतीजा था कि आज श्यामली की कविताओं का संकलन छपा था...

कविताएं इतनी अच्छी थीं कि उसकी धूम मच गई साथ ही श्यामली के मन में अमन के लिए प्रेम के अंकुर फूट गये।

एक दिन उसने अमन से अपने प्यार का इज़हार कर दिया...

आगे पढ़े अनूठी सोच (भाग-2) में...

Saturday, 22 April 2023

India's Heritage: भगवान परशुराम जी के अद्भुत प्रसंग

सृष्टि की रचना के साथ ही त्रिदेवों ने अपने अपने कार्य निर्धारित कर लिए, जिसमें ब्रह्मा जी ने रचना, महादेव ने विध्वंस व श्री हरि ने सृष्टि के पालन का कार्य निर्धारित किया।

श्रीहरि ने जब पालन का कार्य निर्धारित किया है तो सृष्टि में सब सुचारू रूप से चले इसका दारोमदार भी उन पर है। धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य आदि... 

जिसके लिए उन्होंने समय-समय पर अवतार भी लिए और इसका जिक्र उन्होंने गीता में किया है

गीता में चौथे अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है :

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

इसका अर्थ है, हे भारत, जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब मैं स्वयं की रचना करता हूं, अर्थात् जन्म लेता हूं। मानव की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए मैं अलग-अलग युगों (कालों) में अवतरित होता हूं।

इस तरह से भगवान विष्णु के दस अवतार हैं : 

मत्स्य

 वराह अवतार 

 कच्छप अवतार 

नरसिंह

वामन

परशुराम

राम

कृष्ण

बुद्ध

कल्कि 

कल्कि अवतार भगवान विष्णु का आखरी अवतार माना जाता है. कल्कि पुराण के अनुसार श्री हरि का 'कल्कि' अवतार कलियुग के अंत में होगा. उसके बाद धरती से सभी पापों और बुरे कर्मों का विनाश होगा। 

आज अक्षय तृतीया है, जिसमें श्रीहरि के छठें अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।

भगवान परशुराम जी के अद्भुत प्रसंग


भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य पर विरासत के आज के अंक में भगवान परशुराम जी से जुड़े कुछ प्रसंग साझा कर रहे हैं, जिससे हमारे बच्चे भी हमारी धरोहर से जुड़ें... 

भगवान परशुराम ऊंचे- लम्बे कद के, गौर वर्ण के, बलिष्ठ शरीर वाले, आकर्षक पुरुष थे। यह जन्म से ब्राह्मण व कर्म से क्षत्रिय हैं। 

आप सोच रहे होंगे कि थे होना चाहिए, हैं क्यों?

क्योंकि, पौराणिक कथाओं से विदित होता है कि परशुरामजी अमर हैं और सृष्टि के अंत तक वह धरती पर विराजमान रहेंगे

भगवान परशुरामजी को आवेश अवतार माना जाता है, पौराणिक कथाओं में भगवान परशुरामजी की कई ऐसी कथाओं का वर्णन मिलता है जिससे मालूम होता है कि परशुरामजी अत्यंत क्रोधी स्वभाव के हैं। 

वैशाख मास की तृतीया तिथि के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुरामजी का अवतार हुआ। इसलिए हर साल वैशाख मास की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है।

भगवान परशुराम का क्रोधी स्वभाव क्यों

भगवान परशुरामजी ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र हैं। परशुरामजी कुल परंपरा के अनुसार ब्राह्मण हैं लेकिन इनका स्वभाव क्षत्रिय जैसा है। अपने क्रोध से इन्होंने कई बार धरती पर क्षत्रियों का विनाश कर दिया। लेकिन इनका स्वभाव क्रोधी कैसे हुआ इस विषय में एक कथा है कि इनकी दादी सत्यवती ने अपने व अपनी मां के पुत्र की प्राप्ति के लिए भृगु ऋषि की सेवा कर के उन्हें प्रसन्न किया। भृगु ऋषि ने सत्यवती को दो फल दिए थे जिनमें एक सत्यवती के लिए था और दूसरा उनकी माता के लिए था। लेकिन गलती से फलों में अदला बदली हो गई। इससे भृगु ऋषि ने सत्यवती से कहा कि तुम्हरा पुत्र क्षत्रिय स्वभाव का होगा। तो सत्यवती ने भृगु ऋषि से प्रार्थना की और कहा कि ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे कि मेरा पुत्र ब्राह्मण जैसा हो और मेरा पौत्र क्षत्रिय गुणों वाला हो। भृगु ऋषि के आशीर्वाद से ऐसा ही हुआ परशुरामजी ऋषि जमदग्नि की पांचवी संतान हुए जो बाल्यावस्था से ही क्रोधी स्वभाव के थे। 

राम बने परशुराम

भगवान परशुरामजी के माता-पिता ने इनका नाम राम रखा था। इन्हें ऋषि जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्नय भी कहा जाता है। लेकिन यह परशुरामजी के नाम से अधिक विख्यात हैं। 

परशुरामजी भगवान शिव के भक्त और शिष्य भी हैं। इनकी भक्ति, योग्यता को देखते हुए भगवान शिवजी ने इन्हें अपना विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्रदान किया था। सदैव परशु धारण करने के कारण यह जगत में परशुराम नाम से विख्यात हैं। 

पिता के परम भक्त भगवान परशुराम 

हैहय वंश का सम्राट सहस्त्रार्जुन अपने घमंड में चूर होकर धर्म की सभी सीमाओं को लांघ चुका था। उसके अत्याचारों से जनता त्रस्त हो चुकी थी। वेद-पुराण और धार्मिक ग्रंथों को मिथ्या बताकर ब्राह्मण का अपमान करना, ऋषियों के आश्रम को नष्ट करना, उनका अकारण वध करना, प्रजा पर निरंतर अत्याचार करना, यहां तक कि उसने अपने मनोरंजन के लिए मदिरा के नशे में चूर होकर स्त्रियों के सतीत्व को भी नष्ट करना शुरू कर दिया था। 

एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना के साथ जंगलों से होता हुआ जमदग्नि ऋषि के आश्रम में विश्राम करने के लिए पहुंचा। महर्षि जमदग्रि ने भी सहस्त्रार्जुन को अपने आश्रम का मेहमान समझकर खूब स्वागत सत्कार किया। कहते हैं ऋषि जमदग्रि के पास देवराज इंद्र से प्राप्त दिव्य गुणों वाली कामधेनु नामक चमत्कारी गाय थी। 

जमदग्नि ऋषि ने कामधेनु गाय के मदद से देखते ही देखते कुछ ही पलों में सहस्त्रार्जुन की पूरी सेना के लिए भोजन का प्रबंध कर दिया। कामधेनु गाय की ऐसी अद्भुत शक्तियों को देखकर सहस्त्रार्जुन के मन में उसे पाने की इच्छा जाग उठी। उसने ऋषि जमदग्नि से कामधेनु को मांगा, लेकिन उन्होंने ये कहकर उसे देने से इनकार कर दिया कि यह गाय ही उनके जीवन के भरण-पोषण का एकमात्र जरिया है। लेकिन घंमडी सहस्त्रार्जुन कहां मानने वाला था।  

सहस्त्रार्जुन ने क्रोध में आकर ऋषि जमदग्नि के आश्रम को उजाड़ दिया और कामधेनु गाय को अपने साथ ले जाने लगा, लेकिन तभी कामधेनु सहस्त्रार्जुन के हाथों से छूट कर स्वर्ग की ओर चली गई। इसके बाद जब भगवान परशुराम अपने आश्रम पहुंचे तो अपने आश्रम को तहस-नहस देखकर और अपने माता-पिता के अपमान की बातें सुनकर क्रोध में आ गए और उन्होंने उसी वक्त सहस्त्रार्जुन और उसकी सेना का नाश करने का संकल्प लिया। 

परशुराम भगवान शिव द्वारा दिए महाशक्तिशाली फरसे को साथ लेकर सहस्त्रार्जुन के नगर महिष्मती पहुंचे, जहां परशुराम और सहस्त्रार्जुन व उसकी सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें परशुराम ने अपने प्रचण्ड बल से सहस्त्रार्जुन की हजारों भुजाएं और धड़ परशु (फरसा) से काटकर कर उसका वध कर दिया। 

सहस्त्रार्जुन के वध से जमदग्नि ऋषि बहुत दुःखी हुए। उन्होंने कहा कि, पुत्र तुम्हें इस रक्तपात के लिए प्रायश्चित करना चाहिए। परशुराम पिता के परम भक्त थे। अतः ऋषि जमदग्नि के आदेशानुसार प्रायश्चित करने के लिए तीर्थ यात्रा पर चले गए।

लेकिन तभी मौका पाकर सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने अपने सहयोगी क्षत्रियों की मदद से तपस्यारत ऋषि जमदग्रि का उनके ही आश्रम में सिर काटकर वध कर दिया। सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने आश्रम के सभी ऋषियों का भी वध करते हुए, आश्रम को जला दिया। तभी माता रेणुका ने सहायता वश अपने पुत्र परशुराम को विलाप स्वर में पुकारा। 

जब परशुराम माता की पुकार सुनकर आश्रम पहुंचे तो माता को विलाप करते देखा और वहीं पास ही पिता का कटा सिर और उनके शरीर पर 21 घाव देखे। पिता की मृत्यु व शरीर पर 21 घावों को देखकर पिता के परम भक्त परशुराम बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने शपथ ली कि वह हैहय वंश का ही नहीं बल्कि समस्त क्षत्रिय वंशों का 21 बार संहार कर भूमि को क्षत्रिय विहिन कर देंगे और उन्होंने अपने इस संकल्प को पूरा भी किया था, जिसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। 

भगवान श्री राम और भगवान परशुराम प्रसंग

ऐसी कथा है कि सीता स्वयंवर के समय जब भगवान राम ने भगवान शिवजी का धनुष तोड़ा तब पृथ्वी कांप उठी।

परशुरामजी के पता चला कि भगवान शिवजी का धनुष किसी ने तोड़ दिया है। इस पर मन की गति से चलने वाले परशुरामजी तुरंत महाराजा जनक के दरबार में पहुंच गए और भगवान शिवजी का धनुष तोड़ने पर भगवान राम को युद्ध के लिए ललकारने लगे। 

उस समय भगवान राम ने परशुरामजी को यह आभास कराया कि वह भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान राम का रहस्य जानने के बाद परशुरामजी का क्रोध शांत हो गया और भगवान श्रीराम ने उनके अहंकार का नाश कर दिया। 

साथ ही भगवान राम ने परशुरामजी को अमर रहने का वरदान देते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी कि आप मेरे अगले अवतार होने तक मेरा सुदर्शन चक्र संभालकर रखें। अगले अवतार में मुझे इसकी आवश्यकता होगी तब आप मुझे यह लौटा दीजियेगा..

भगवान श्रीकृष्ण व भगवान परशुराम का प्रसंग

भगवान विष्णु ने जब द्वापर में श्रीकृष्ण अवतार लिया तब परशुरामजी और भगवान श्रीकृष्ण की भेंट उस समय हुई जब भगवान श्रीकृष्ण गुरु सांदीपनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर वापस अपने घर लौटने की तैयारी में थे। 

उस समय परशुरामजी ऋषि सांदीपनी के आश्रम में पधारे और भगवान श्रीकृष्ण को उनका सुदर्शन चक्र लौटाते हुए कहा कि अब यह युग आपका है। 

आप अपना यह सुदर्शन चक्र संभालिए और धरती पर पाप का भार बहुत बढ़ गया है उस भार को कम कीजिए।

ऐसे ही और भी अनेकों अद्भुत प्रसंगों से परिपूर्ण हैं श्रीहरि के छठे अवतार भगवान परशुराम जी...

 भगवान परशुराम जी ने हमें प्रेरित किया कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए, विलाप करने या दूसरों पर आश्रित रहने के बजाय, खुद को सशक्त करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उनके इस गुण को जो भी अपनाएगा, उसे सफलता अवश्य मिलेगी।

साथ ही अपने माता-पिता के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करना चाहिए, क्योंकि जिसके साथ माता-पिता का आशीर्वाद रहता है, उसे सर्वस्व मिल जाता है, ईश्वर कृपा, सफलता, समृद्धि, ऐश्वर्य और अमरता भी..

आप सभी को अक्षय तृतीया व परशुराम जन्मोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻

Friday, 21 April 2023

Superstition: छींकना : शकुन- अपशकुन

आज Superstition segment में एक और ऐसी धारणा को साझा कर रहे हैं, जिसको बहुत लोग मानते हैं।

वो है किसी व्यक्ति का छींकना...

वैसे अब इसके प्रभाव को बहुत से लोगों ने मानना बंद कर दिया है, फिर भी अभी भी बहुत से लोग छींक का विचार करते हैं।

जैसे किसी काम या यात्रा के समय कोई निकल रहा हो, ऐसे में कोई छींक दे, तो बहुत अपशकुन होता है, लोग मानते हैं कि ऐसे में काम के बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है। 

छींकना : शकुन- अपशकुन 


शकुन अपशकुन जानने से पहले यह जान लेते हैं कि छींक क्यों आती है? 

छींक mostly तब आती है जब हमारी नाक के अंदर, उसकी झिल्ली में कोई ऐसा partical चला गया, (जो कि मुख्यता संक्रामक होते हैैं) जिससे हमारी नाक में irritation हो रही हो। ऐसा में nostrils से तुरंत हमारे brain को message पहुंचता है और brain शरीर की muscles को आदेश देता है कि इस particle को बाहर निकालें।‌‌ 

आप सोच रहे होंगे कि हमें नाक लिखना चाहिए और हमने शरीर लिख दिया।

नहीं जी हमने सही ही लिखा है, आपको पता है, छींक जैसी मामूली सी क्रिया में कितनी muscles काम करती हैं।...

तो गिनती शुरू कीजिए, Stomach, chest, diaphragm, vocal cords, गले के पीछे और यहां तक कि आंखों की भी muscles. 

ये सब मिलकर काम करती हैं और particle बाहर निकाल दिया जाता है। कभी-कभी एक छींक से काम नहीं चलता तो कई छींके आती हैं। 

जब हमें ज़ुकाम होता है तब छींकें इसलिए आती हैं क्योंकि ज़ुकाम की वजह से हमारी नाक के भीतर की झिल्ली में सूजन आ जाती है और उससे ख़ुजलाहट होती है। 

यह तो रहा कि छींक क्यों आती है और उसमें कितनी muscles काम करती हैं।

अब देखते हैं कि जब छींक आ रही हो, और हम उसे इसलिए रोक देते हैं कि अपशकुन ना हो, तो क्या नुकसान हो सकता है...

छींक रोकना बेहद खतरनाक हो सकता है, हो सकता है कि आपके छींक रोकने से आपके शरीर के दूसरे अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। 

दरअसल, छींक बहुत तेज गति के साथ आती है, ऐसे में जब हम छींक रोकते हैं तो वो pressure हमारे नाक या गले की कोशिकाओं पर दबाव डालकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. कई बार इसका असर दिमाग पर भी हो जाता है।

तो आप समझ लीजिए, कोई छींक रहा हो, और उसे किसी तरह का कोई infection हो, तब वो आप के लिए अपशकुन हो सकता है, क्योंकि तब उसके छींकने के साथ संक्रामक particles की droplets, आप पर गिर कर आपको भी बीमार बना सकते हैं। इसलिेए अगर कोई बीमार है और बार बार छींक रहा हो, तो आप precautions के साथ रहें।

रही बात और तरह के अपशकुन की तो, छींक प्राकृतिक प्रक्रिया है, उसे रोकने से अपशकुन हो सकता है, नहीं रोकने से नहीं... इसलिए किसी भी कारण से नाक दबा कर छींक रोकने का प्रयास ना करें

ऐसी बातों पर विश्वास कीजिए, जो आपके लिए लाभप्रद हो, घिसी-पिटी बातों पर ध्यान ना दें

स्वस्थ रहें, सुखी रहें...

Thursday, 20 April 2023

Article : शब्दों का प्रयोग

 शब्दों का प्रयोग


छोटी सी टिंवकल, ऐसी बड़ी बड़ी बाते कर रही थी कि, घर आए सभी लोग उसकी बातें सुन-सुन कर हैरान रह जा रहे थे। 

जब तक वो अच्छी, समझदारी और बुद्धिमानी से भरी बातें कर रही थी, हम बहुत आनंदित और गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।

हम लोगों के उत्साहित होने से वो और खुलकर बोलने लगी। बातों का सिलसिला बढ़ता गया, साथ ही टिंवकल की बेबाकी भी...

अब तो वो कुछ ऐसी बातें भी बोलने लगी कि लोगों की त्यौरियां चढ़ने लगी और हमने भी बगलें झांकनी शुरू कर दी...

ऐसा ही होता है ना? हम सब के साथ कभी कभी... 

दरअसल बच्चे तो मासूम और सच्चे होते हैं, उन्हें तो कुछ मालूम होता नहीं है, क्या सही है और क्या ग़लत?..

पर हम तो सब जानते हैं, अच्छा-बुरा, सही-गलत...

और सही मानिए, बच्चे आस-पास या हमारे द्वारा ही बोली गई बातों को ही दोहराते है। कुछ भी नया नहीं होता है... 

बस जब वो कुछ बोल रहे होते हैं, वहीं से शुरू होता है,  हमारे मां-पापा होने का फ़र्ज़...

कैसे?

बताते हैं आपको...

सबसे पहले कभी भी उनके ग़लत शब्दों के प्रयोग, उनके ग़लत व्यहवार को प्रोत्साहन मत दीजिए। क्योंकि आपकी शह उन्हें ग़लत करने को प्रेरित करता है।

उनके द्वारा बोले गए ग़लत शब्द या व्यवहार को उनकी मासूमियत भरी हुई हरकत समझ कर कभी नज़र अंदाज़ मत कीजिए...

और ना कभी, इसका इंतजार कीजिए कि कौन हमारे साथ किया है, जब तक बात दूसरों तक है, हमें क्या? जब अपने पर पड़ेगी, तब सोचेंगे कि क्या करना है... ऐसा सोचकर इंतज़ार मत कीजिए...

क्योंकि पहली बात तो यह है कि बच्चा तो आपका ही है ना? तो वो अगर बिगड़ेगा तो भी आपका रहेगा और सुधरा हुआ रहा तो भी आपका...तो सुधरा हुआ ही क्यों ना हो...

 दूसरा ग़लती को जितनी जल्दी रोका या टोका जाए, उतनी जल्दी ही वो जड़ से खत्म होती है।

पर इससे भी बड़ी बात है कि आप का ख़ुद का सही शब्दों का प्रयोग... 

जी हां, हमारे द्वारा बोले गए शब्दों का सही होना सबसे बड़ी बात है, क्योंकि जब हम खुद सही नहीं होंगे, बच्चों को किस हक से रोकेंगे ? 

इसलिए हमारा सही होना सबसे पहली सीढ़ी है। उसके बाद सही-गलत पर रोकना-टोकना...

क्योंकि हमारे द्वारा लिया गया सही निर्णय ही,  हमारे बच्चों के व्यक्तित्व को निखारता है। वही यह निर्धारित करता है कि बच्चा भविष्य में कितना अच्छा होगा... 

तो जब भी बोलिए, सही शब्दों का ही प्रयोग कीजिए, उससे आप भी सबको पसंद होंगे और आप का लाडला और लाडली भी...


तेरी छाया है वो 

तुझ सा ही होगा

अच्छा या बुरा 

जैसा भी होगा 

गर थोड़ा सा

ध्यान दिया गया

तो वो ही 

सबसे सर्वश्रेष्ठ होगा

सही शब्दों का प्रयोग ही जिन्दगी है, और आपके बच्चे के भविष्य की सुनहरी धूप... 

खुश रहें, 

खुशियां फैलाएं, 

सबके दिल में 

बस जाएं 😊💕

Tuesday, 18 April 2023

Article: Thanks a lot..

 Thanks a lot..


18th April, a day which became our identity, also because from this day I started recognizing the world by coming in mother's lap, and from this day I started making identity in the field of writing.

Or in other words, both birth and karma got existence on 18th April only.

Didn't think that pen would have so much importance in our life.. 

Every art of writing will inspire us, I didn't think...

I didn't think that I would write on every day, every moment, every occasion...

But this has become possible only because of the infinite grace of God, countless blessings of all the elders and immense love from all of you...

Which is continuous, infinite, unfathomable, which we cannot collect even if we want to by spreading both arms. And no matter how much I give thanks for this, it is insignificant...

However, many thanks to all of you from the bottom of my heart.

Thanks to those who blessed, appreciated... Without them we could not have taken even a single step.


Thanks a lot!

Your blessings and appreciation,

Taught me how to fly high in the sky.

I am not at all alone,

You are with me,

Advising me every moment,

Never stop to try...


Thanks to even those who pointed out my mistakes and disregarded it, because they are the ones who also play a major role in improving my writing skills.


Doesn't matter, how deep to fall,

It won't be possible at all.

Will keep proving that,

Every moment, every time.

Won't stop writing at all,


Even if we became the most prime...

Today is the fifth anniversary of Shades of Life. In these five years, the love received from the country and abroad is innumerable, however, their calculation is as follows. 


 


Once again, a gigantic thanks to all of you, expecting blessings, support, guidance and affection forever.

Article : कोटि कोटि धन्यवाद 🙏🏻

कोटि कोटि धन्यवाद 🙏🏻


18 April, एक ऐसा दिन जो हमारी पहचान बन गया, इसलिए भी कि इस दिन से ही माँ की अंक में आकर दुनिया को पहचानना आरंभ किया था, और इस दिन से ही लेखन के क्षेत्र में पहचान बनानी शुरू की।

या दूसरे शब्दों में कहें तो जन्म और कर्म दोनों को ही अस्तित्व 18 अप्रैल में ही मिला।

हमारी जिंदगी में pen की इतनी importance होगी, सोचा ना था... 

लेखन की हर कला, हमें प्रेरित करेगी, सोचा ना था... 

हर दिन पर, हर पल पर, हर occasions पर लेखनी चलेगी, सोचा ना था... 

पर यह संभव हो पाया है, तो सिर्फ और सिर्फ ईश्वर की असीम कृपा, सभी बड़ों की अनगिनत आशीषों व आप लोगों के बेइंतहा प्यार के कारण ही...

जो सतत् है, अथाह है, अनंत है, जिसे हम दोनों बाहें फैला कर समेटना चाहें तो भी समेट नहीं सकते हैं। और इसके लिए जितना भी धन्यवाद दें, वो तुच्छ है...

तथापि आप सबका ह्रदय से कोटि-कोटि आभार 🙏🏻 

धन्यवाद उनका जिन्होंने आशीर्वाद दिया, सराहना की... उनके बिना तो एक कदम भी नहीं चल सकते थे। 

धन्यवाद आपका!

आपके आशीर्वाद और सराहना ने 

आगे बढ़ना सिखाया,

नहीं हैं अकेले, 

साथ हैं आपका

इसने हरपल संभलना सिखाया 🙏🏻😊


धन्यवाद उनका भी जिन्होंने त्रुटि निकाली, अवहेलना की, क्योंकि उनके कारण ही लेखनी उत्कृष्ट होती गई 

गिराना चाहो, चाहे जितना

हम नहीं गिरेंगे

हर पल, हर क्षण 

साबित करेंगे 

खुद को

मंजिल के शिखर पर

पहुंचा कर भी

ना रुकेंगे 🙏🏻😊 

आज Shades of Life के पांचवीं सालगिरह है। इन पांच सालों में देश, विदेशों से मिलने वाले प्यार, अगणित है, तथापि उनकी गणना इस प्रकार है





आप का, प्यार, साथ और सराहना सदैव मिलता रहे, इसी कामना से अनेकानेक आभार 🙏🏻

Friday, 14 April 2023

Article : Dr. Bhimrao Ambedkar ( एक गहरी सोच)

 Dr. Bhimrao Ambedkar (एक गहरी सोच)


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डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर, एक ऐसा सशक्त नाम जो भारत के संविधान का निर्माता है, जबकि वो निम्न जाति के थे।

तो फिर यह कैसे संभव हो सका? 

उनकी कुशाग्रबुद्धि, धैर्य और गहरी सोच से...

बात उस दौर की है, जब भारत, जात-पात के भंवर में फंसा हुआ था। जब ऊंच-नीच, छूत-अछूत का बोलाबाला था। 

उसी समय भीमराव अम्बेडकर भी अपना कठिनाईयों भरा जीवन व्यतीत कर रहे थे। क्योंकि उनका जन्म महार जाति में हुआ था, जो कि एक नीच जाति के अंतर्गत आती थी।

भीमराव को भी उन वेदनाओं को झेलना पड़ रहा था, जो उस समय निम्न जाति के लोगों को झेलनी पड़ती थी। पर भीमराव, भीड़ से अलग थे।

वो बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के धैर्यवान व्यक्ति थे। उन्होंने देखा कि जो गरीब है, अनपढ़ है, नीच जाति का है, वो कमजोर है, उसकी कोई नहीं सुनता है।

उनका परिवार भी ऐसा ही था। भीमराव ने सोचा, ऐसा क्या किया जाए कि उनकी आवाज़ सशक्त हो जाए, उसे लोग सुनें। उस समय उन्हें ज्ञान से सशक्त कोई और हथियार नहीं दिखा।

बस फिर क्या था, उन्होंने अपना तन, मन और धन, सब विद्यार्जन में लगाना प्रारंभ कर दिया, जिसमें उन्हें बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, पर वो जुटे रहे।

पढ़ाई-लिखाई के साथ धनोपार्जन करते और उसे अपनी पढ़ाई में लगा देते।

उनका ध्येय, सिर्फ अपना विकास नहीं था, वो समस्त निम्न जाति का उद्धार करने के इच्छुक थे। वो जानते थे कि हर निम्न जाति का व्यक्ति, अपनी लड़ाई स्वयं नहीं लड़ पाएगा।

उन दिनों विदेश में जाकर वकालत पढ़कर आना, और भारत में आकर मजबूत पकड़ बनाने का दौर था, अतः भीमराव ने भी विदेश जाकर वकालत की पढ़ाई की।

जब वह लौटे तो उन्होंने देखा, गांधी जी ने अछूतों का नया नाम हरिजन कर दिया है और उनके सहयोग से भारत में अच्छी खासी पैठ बना ली है।

भीमराव ने तो वकालत पढ़ी ही इसलिए थी, कि हर निम्न जाति के व्यक्ति को इस तरह से ऊपर उठाएं कि सदियां बीत जाए, पर उन्हें अपनी जगह से कोई हिला ना पाए। इस के लिए उन्हें गांधी जी जुड़ना हितकर लगा।

उनकी लड़ाई, देश को आजाद कराने की नहीं थी, इसलिए वो स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लेते थे, क्योंकि उनका लक्ष्य तो अलग ही था।

साथ ही स्वतंत्रता सेनानी ना होने के कारण वो अंग्रेजों के विरोधी नहीं थे। अतः भारत के स्वतंत्र होने पर जब संविधान निमार्ण कार्य की शुरुआत हुई, तो अन्य वकील नेताओं के साथ उनका नाम भी शामिल हो गया।

बस भीम राव इसी अवसर की तलाश में थे। उनके वकालत के अच्छे ज्ञान, कुशाग्र बुद्धि और समय अनुकुलता ने उन्हें, अपने सपने साकार करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।

उन्होंने संविधान निमार्ण में, ऐसे ऐसे एक्ट और धाराओं का निर्माण किया कि निम्न जाति को समाज में उच्च अधिकार प्राप्त होने लगे।

पर बात को सिर्फ एक्ट और धाराओं तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि reservation का प्रावधान भी बना दिया, जिससे कम क्षमताओं वालों को भी उच्च स्थान प्राप्त हो सके।

उनकी जो सोच थी कि केवल अपने उद्धार से केवल एक निम्न जाति के व्यक्ति का विकास होगा, पर विकास ऐसा होना चाहिए कि सदियां गुजर जाए, पर निम्न को कोई अपनी जगह से हिला ना सके। उसमें वो पूर्णतः सफल सिद्ध हुए। 

सदियां गुजर गई पर आज भी reservation यथावत जारी है, दूर दूर तक कहीं कोई नहीं है, जो इसे चुनौती दे सके। 

जबकि आज reservation की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अब छूआछूत का बोलबाला पूर्णतः समाप्त हो चुका है, बल्कि देखा जाए तो, यह कहीं ना कहीं देश को खोखला कर के विनाश की ओर ले जा रहा है।

आज बाबा भीमराव अम्बेडकर जीवित होते तो वह अवश्य देश के विकास के लिए, reservation को खत्म कर देते। क्योंकि जहां उनका यह अछूतोद्धार का कार्य पूर्ण हो चुका है वहीं दूसरी ओर उससे भी बड़ा सपना देश विकास का था। भारत के सशक्तिकरण का था, उसे पूर्ण करना अभी बाकी है

क्या, कहीं है कोई, उनके सबसे बड़े सपने को साकार करने वाला?...

देश से reservation को ख़त्म कर, देश को खोखला होने से बचाने वाला या बाबा साहेब को एक और जन्म लेना होगा, देश को सशक्त करने के लिए...

क्योंकि देश को सशक्त वही कर सकते हैं, जिनका सपना, सिर्फ अपने विकास तक सीमित ना हो, जिनकी सोच गहरी हो, जिन्हें सम्पूर्ण जाति, सम्पूर्ण देश को सशक्त करना हो 

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Thursday, 13 April 2023

Article: बजते 36 alarm

बजते 36 alarm 



हम पापा-मम्मी के सुबह उठने के पहले से alarm बजना शुरू हो जाता है‌ और उसके बाद बस बजता ही जाता है। एक, एक के बाद दूसरा, फिर तीसरा, चौथा... ना जाने कितने...

पूरा घर उठ जाता है, नहीं उठता है तो बस वो, जिसने alarm लगाया है... माने हमारे लाडले... 

यही है ना, आज कल के youngsters का morning schedule... 

पर क्यों? यह नहीं समझ आता है.. 

वो बोलेंगे, हम देर रात तक पढ़ते हैं।

हम भी देर रात तक ही पढ़ते थे। पर सुबह उठने के लिए एक भी alarm नहीं लगाते थे।

हम क्या, हमारे घर में ना पापा जी, ना मम्मी, ना हम चारों भाई-बहनों में से कोई भी alarm लगाता था पर सब समय से ही उठ जाते थे।

शादी करके आए तो, पतिदेव alarm लगाते थे, तो हम ने उनसे पूछा, alarm क्यों!

तो उन्होंने जवाब दिया कि एक बार alarm लगा दो, फिर चैन से सो.. बार-बार यह नहीं देखना होता है कि उठने का समय हुआ या नहीं और ना ही यह डर रहता है कि यदि नींद सही समय से नहीं खुली, तो क्या होगा... 

उनकी बातें कुछ हद तक समझ आ गई कि चलो निश्चिंत होने के लिए और भरपूर नींद लेने के लिए एक बार alarm लगाया जा सकता है..

पर आज कल के यह 36 alarm क्यों?

जब पहली बार alarm बजेगा, तो वो आप की नींद को disturb कर देगा, और फिर वो हर थोड़ी देर में बजकर आप को सोने भी नहीं देगा। 

और अगर आप को सोने नहीं देगा तो आप सोने की असफल कोशिश क्यों कर रहे हैं? उठ जाइए...

आप बोलेंगे कि नहीं पहला alarm जब बजा था, तब नहीं उठना था, बल्कि तब उठना था, जब last alarm बजा था...

अरे भाई तो ठीक से सो ही लेते, और जिस समय का आखिरी alarm लगाया था, उसी समय पर पहला alarm लगाया होता, कम से कम चैन से नींद तो आती..

अगर हमें उठने के लिए ही छत्तीसों alarm चाहिए तो, दिन भर की दिनचर्या के लिए, कितने चाहिए होंगे? 

इतने alarm लगा कर आप अपनी और अपने परिवार के सभी लोगों की नींद ही disturb कर रहे हैं बस...

चलिए सोचते हैं कि एक alarm और वो भी सही समय पर लगाएंगे तो क्या होगा...

अगर आप सही समय पर और सिर्फ एक ही alarm लगाएंगे तो आप की नींद पूरी होगी।

नींद पूरी होगी तो आप और आपका mind दोनों ही ज्यादा active रहेंगे।

जितने ज्यादा आप active रहेंगे, आप अपने काम उतने ही अच्छे से कर पाएंगे।

जितने अच्छे से आप काम करेंगे, उतना ही ज्यादा आप सफल होंगे। 

साथ ही नींद पूरी होने से आप fresh उठेंगे, तो आप के अंदर सुकून होगा, चिड़चिड़ापन नहीं..

और अगर आपके अंदर सुकून होगा तो आप कम समय में ही अधिक और सटीक काम कर सकेंगे.. 

अधिक काम कम समय में वो भी सटीक.. यही तो है सफलता की key..

तो आपको समझ आया कि अगर आप एक alarm और वो भी सही समय पर लगाएंगे तो क्या होगा?..

36 alarm, एक बात और दर्शाता है कि आप की अपनी life, अपने future को लेकर जो भी planning है, वो भी सशक्त नहींं है। 

एक बार सोचिएगा जरुर, और कर के भी देखिएगा, आप को खुद महसूस होगा कि एक अलार्म और वो भी सही समय पर लगाने से जिंदगी ज्यादा सफल और सुकून से भरी हुई होती है, ना कि 36 alarm बजाने से...

Be Active,  Be Happy...

Tuesday, 11 April 2023

Recipe : Tacos Indiana

HOSTEL, PG Special

 इस segment की Mug cake, recipe को बहुत पसंद करने के बाद, आज आप के लिए इस segment की एक और dish, share कर रहे हैं।

जो आप सभी के लिए बहुत useful है। इस dish की एक खासियत और है कि इसका flavour filling के according change हो जाएगा। 

इसमें एक twist भी है, इसकी filling क्या होगी, यह आप नहीं बल्कि आपका hostel या PG decide करेगा...

चलिए और पहेली नहीं बुझाते हैं, इस dish का नाम है Tacos Indiana.

यह बहुत आसानी से आपके hostel or pg में बन जाएगी...

Tacos Indiana 




Ingredients :

  • Roti or Paratha - 1
  • Sauce - 2 teaspoon 
  • Butter - 2 teaspoon
  • Onion capcicum - 1 teaspoon (Finely chopped)
  • Cheese - 1 tablespoon
  • Veggies - 2 teaspoon


Method :

आप के पास, रोटी या पराठा जो कुछ भी है, उसे चौतरफा ऐसे fold कर लीजिए कि triangular shape बन जाए। 


इस तरह से आप को रोटी की four layer मिल जाएगी। 



एक layer में cut लगा लेंगे, जिससे जब हम filling लगाएं तो easily fold कर सकें।



अब हम हर ¼ layer पर कुछ ना कुछ ingredients रखते जाएंगे और fold करते जाएंगे। 


सबसे पहले ¼ पर sauce spread करें, उस पर आप के hostel or pg में जो भी सब्जी बनी हो, उसे spread करके layer को fold कर दीजिए।‌

Next layer पर butter spread कर दीजिए फिर उस पर onion, capsicum mix spread करके layer को fold कर दीजिए।

Last layer पर cheese लगा कर fold कर दीजिए।

यह तो रही Tacos Indiana की preparation..

अब अगर आप के पास microwave है तो इसे कांच की plate पर रखकर 2 minutes के लिए grill कर लीजिए।

अगर, आप के पास induction plate है तो taccos Indiana की बाहर की दोनों layers पर butter लगा कर तवे पर दोनों तरफ से कुरकुरा होने तक सेक लें।

पर अगर आप के पास, कोई भी cooking equipment नहीं है तो आप के पास iron तो होगी ही? तो बस हम इसी press से tacos Indiana बनाएंगे।

उसके लिए हमें एक aluminium foil भी चाहिए। 

Tacos Indiana के बाहर की तरफ की दोनों layer पर butter लगाकर उसे aluminium foil में लपेट दीजिए।

अब इस tacos Indiana को दोनो तरफ से iron कर लीजिए। 

Now crispy, juicy, crunchy tacos Indiana is ready to have...

चलिए कुछ tips and tricks भी साझा कर देते हैं for perfect tacos Indiana...


Tips and Tricks :

आप hostel or pg में जो सब्जी बनी हो, उसी की filling बनानी है, तो अगर सब्जी gravy है तो उसमें से gravy हटा कर सब्जी लेनी है। सूखी सब्जी आप ऐसे ही use कर सकते हैं। 

अगर आप चाहें तो सब्जी को हल्के हाथों से पानी डालकर wash भी कर सकते हैं। इससे सब्जी के मसाले थोड़े हट जाएंगे और tacos का more snacky taste होगा।

आप इसकी filling के लिए Veg, nonveg कोई भी सब्जी use कर सकते हैं जो भी hostel or pg में बनी हो।

अगर आप के पास onion capsicum mix नहीं है तो आप जो भी salad, आप के पास available हो, आप उसे use कर सकते हैं। 

अगर आप के पास mayonnaise है तो आप, butter or cheese को इससे replace भी कर सकते हैं। 

आप tacos Indiana बन जाने के बाद उसके ऊपरी तरफ, chips, mixture आदि को fill कर सकते हैं, इससे यह और ज्यादा crunchy हो जाएगा। 

आप sauce का flavour, अपने taste के according रख सकते हैं, जैसे tomato, hot and sweet tomato chilli, Schezwan etc.

आप चाहें तो, दो अलग-अलग तरह की sauce भी use कर सकते हैं। 

आप चाहें तो sauces की जगह, अचार भी लगा सकते हैं, उससे भी बहुत बढ़िया flavour आता है।

Basically आप के hostel or pg की बनी सब्जी रोटी ही है, बस combination and process से taste में चार चांद लग जाते हैं और बहुत yummy tasty tacos Indiana बन जाता है।

तो बस, जब bore हो जाएं, hostel or pg का खाना खाकर, तो tacos Indiana बना लीजिए...

अगर आप को ऐसी ही और recipes चाहिए तो जुड़े रहें, Shades of Life से 

और हाँ comments जरुर से कीजिए, जिससे हम ऐसे ही और tasty recipes share करें, साथ ही अगर आप को कोई specific recipe चाहिए तो वो भी comment box में डाल दीजिए, जिससे हम उसे भी डाल दें... 

Friday, 7 April 2023

Article: भंडारा बजरंगबली का

भंडारा बजरंगबली का


कल हनुमान जन्मोत्सव पर दिल्ली में अलग ही रौनक थी। हम अपनी खिड़की पर खड़े होकर प्रकृति के नज़ारे देख रहे थे। 

इस खिड़की पर खड़े होकर, प्रकृति को निहारते हुए हमारी अनेकों कृतियों ने जन्म लिया, फिर चाहें वो कहानियां हों, कविता हो या लेख, या कोई नई सोच या नया विचार, सभी ही तो...

अभी हम बाहर देख ही रहे थे तो, देखते क्या हैं, बहुत सारे लोग, जिसमें आदमी, औरतें और बच्चे सब ही तो शामिल थे। 

सज-धज कर जा रहे थे, उनमें एक अलग सा ही उत्साह और उल्लास दिख रहा था। 

समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा भी क्या है? जो लोगों का रेला उमड़ पड़ा है... 

पति office, बिटिया college और बेटा school गए थे, इसलिए और कुछ समझ नहीं आ रहा था।

हमारा first floor पर ही flat है और नीचे ground floor पर एक press वाला खड़ा होता है, जो apartment के सभी लोगों के कपड़े press करता है।दिन भर उसका पूरा परिवार यहीं रहता है।

उसके पास एक आदमी आया और बोला कि, यहां क्यों बैठे हो भाई? तैयार हो जाओ सब लोग..

पर किस लिए? Press वाले की पत्नी बोली, फिर अभी खाना खाने का समय भी हो रहा है..

अरे भाभी, खाना रख दो रात के लिए, अभी तो भंडारे में चलो..

भंडारा कहां चल रहा है? और किस लिए चल रहा है?

अरे भाभी सवाल बहुत करती हो, अपने बजरंग बली का जन्मोत्सव है और आज तो दिल्ली में कहीं भी चले जाओ, भंडारे की बहार है।

उनकी बातें सुनकर एहसास हुआ कि भगवान हनुमानजी के जन्मोत्सव का जश्न चल रहा था, जिसमें सारे बढ़े-चले जा रहे थे।

कुछ ही देर में भजन गाते हुए कुछ लोग जाते हुए दिखे। 

उनके जाने के थोड़ी देर बाद, हनुमान लला की जय व जय श्री राम के नारे लगाते हुए जुलूस निकाला। उस जुलूस के सभी लोग भक्ति और प्रेम से ओतप्रोत थे.. 

एक अलग सा भक्तिमय वातावरण था, बहुत ही सुखद अनुभव था।

शाम तक पति, बिटिया और बेटा भी आ गए थे, वो लोग बता रहे थे कि पूरी दिल्ली में जगह-जगह पर भंडारे व भजन कीर्तन का आयोजन किया गया था। 

उन लोगों की बातों को सुनकर यही प्रतीत हुआ कि कल पूरी दिल्ली ही हनुमानजी की भक्ति में लीन थी।

माता रानी के भंडारे, राम नवमी का भंडारा तो बचपन से देखते आ रहे हैं, लखनऊ में जेठ में बड़े मंगल के हनुमानजी के भी बहुत से भंडारे होते हैं।

पर चैत्र में बजरंगबली के इतने भंडारे कि पूरी दिल्ली ही भक्तिमय हो जाए, यह इस साल ही हुआ... 

और ऐसा सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि भारत के बहुत सारे शहरों में हुआ है..

ऐसा क्यों हुआ? इसका कारण तो आप सब जानते ही हैं..

है ना?

बहुत से लोग कहते हैं, क्या होता है हिन्दुत्व को बढ़ाने से?

तो इसका एक बहुत बड़ा effect तो यह दिखा कि बहुत से लोगों ने भंडारा करके ईश्वर की कृपा, भक्ति, बहुतों का आशीर्वाद, स्नेह और तृप्ति के असीम सुख की प्राप्ति की। वहीं जिन्होंने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया, उन्होंने भी ईश्वर की कृपा, भक्ति और असीम सुख प्राप्त किया। यह तो रहा आध्यात्मिक लाभ...

अब monetory benefit देखा जाए तो कल बहुत से गरीब लोगों ने भरपेट खाना खाया। भंडारे में प्रसाद देते समय किसी से भी उसका धर्म, जात-पात, अमीरी-गरीबी, कुछ नहीं पूछा जा रहा था।

जिन्होंने भंडारा किया, उनके पास से भी कुछ बहुत ज्यादा खर्च नहीं हुआ, क्योंकि किसी एक ने नहीं, बल्कि बहुत से लोगों ने यह पुन्य कार्य किया।

उन्होंने भंडारा करवाते समय यह नहीं सोचा कि हमारा कितना खर्च हो जाएगा, बल्कि उन्होंने यह कार्य सहर्ष इस भावना से किया कि...

हरि का पैसा, 

हरि का काम, 

मैं तो सेवक

तेरा हनुमान 

जय श्री राम

जय श्री राम

यही है हिन्दुत्व, जहां पुन्य कार्य करते समय मन में स्वार्थ नहीं परमार्थ रहता है। जहां यह पुनीत कार्य करते समय घमंड नहीं गर्व रहता है कि हे प्रभु आप ने मुझे चुना, यह शुभ कार्य करने के लिए। मुझमें सदैव इतना सामर्थ्य रखना कि मैं आजीवन आपकी सेवा कर सकूं🙏🏻 

हिन्दुत्व का अर्थ, मात्र हिन्दू धर्म नहीं है, उसमें मानवता, आपसी प्रेम और विश्वास निहित रहता है।

विश्वास परमात्मा पर भी और खुद पर भी...

और अगर इस हिन्दुत्व को बढ़ावा मिल रहा है तो मिलना ही चाहिए, क्योंकि यही है जो राम राज्य लाएगा। 

क्योंकि, दुनिया चले ना श्री राम के बिना,. राम जी चले ना हनुमान के बिना। 

हे ईश्वर! सदैव मेरी भक्ति स्वीकार कीजिएगा और उन सब की भी जो आपके अनन्य भक्त हैं 🙏🏻🙏🏻

जय श्री राम, जय हनुमान 🙏🏻🙏🏻🚩

Thursday, 6 April 2023

India's Heritage : भगवान हनुमान - प्रेरणा स्त्रोत

आज हनुमान जन्मोत्सव है। कहते हैं कलयुग में अभी भी जीवित देवता के रूप में संकटमोचन हनुमान जी विराजमान हैं।

चैत्र शुक्ल पक्ष ईश्वर के आशीष से परिपूर्ण है,  क्योंकि इसकी नवमी पर प्रभू श्रीराम जी का जन्म हुआ और पूर्णिमा पर संकटमोचन रामभक्त हनुमान जी का। 

भगवान हनुमान जी के जीवन से जुड़ी हुई बहुत सी बातें हमें सफलतापूर्वक जीवन संचालित करने की प्रेरणा देती है, जैसे, प्रभू श्रीराम की अनन्य भक्ति, निर्भय रहने की कला, विश्वास, बुद्धि, संयम, सही निर्णय लेने की क्षमता, इन जैसे और भी अनेकों गुण हैं जो इस बात को सिद्ध करते हैं।

हनुमान जी विश्वास के देवता हैं, इसका तात्पर्य है कि विश्वास दोनों तरह से हो, परमात्मा पर भी, स्वयं पर भी, बाहर भी, भीतर भी। 

उनके जीवन से प्रेरणा लें तो, उन्होंने बाल्यकाल से जीवनपर्यंत तक यही सिद्ध किया, कि भरोसा ही एकमात्र चीज है जो सूर्य को मुंह में रख लेने से लेकर समुद्र लांघने तक जैसे अनेक कार्यों को करवा लेता है। 

इंसान के जीवन की धुरी तीन भाव में निहित होती है, पहला हर्ष, दूसरा शोक और तीसरा भय। हर्ष यानी खुशी, शोक यानी दुःख, भय का मतलब डर। 

देखा जाए तो तीसरा भाव, भय ही यह निर्धारित करता है कि हर्ष मिलेगा या शोक..

क्योंकि डर ही सफलता के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट है। जहां एक ओर डर असफलता का भी होता है, वहीं दूसरी ओर सफलता को बरकरार रखने का भी होता है, भय बाहरी भी होता है, भीतर का भी होता है। डर कोई भी हो, ये हमें जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकता है। 

आज के विरासत के इस अंक में भगवान हनुमान जी के जन्मोत्सव पर उनके जीवन से जुड़ी हुई कुछ कहानियों को साझा कर रहे हैं, जो कि रामायण में वर्णित हैं। 

प्रसंग त्रेतायुग के हैं, लेकिन इसके अर्थ को पूर्णतया समझने का प्रयास करेंगे तो यह हर युग कि समस्याओं का समाधान हैं

इन कहानियों के माध्यम से आप समझिएगा कि अपने ऊपर डर को हावी होने से कैसे रोका जा सकता है और कैसे अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं..

भगवान हनुमान - प्रेरणा स्त्रोत



कहानी-1ः समस्या या समाधान : 

यह कहानी संयम की है...

प्रसंग तब का है, जब रावण ने सीता का हरण कर लिया था, तो उनकी खोज में भगवान राम व लक्ष्मण जंगल में भटक रहे थे, शबरी के कहने पर, वे सुग्रीव से सहायता मांगने की दिशा में आगे बढ़ चले। 

इधर सुग्रीव अपने भाई बाली से बचने के लिए ऋष्यमूक नाम के पर्वत पर रहते थे क्योंकि बाली एक शाप के कारण इस पर्वत पर नहीं आ सकता था।

खोज करते करते, प्रभू श्रीराम और लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत तक आ गए।

ऋष्यमूक पर्वत के पास दोनों को देखकर सुग्रीव घबरा गए। उन्हें लगा कि बाली खुद नहीं आ सकता है तो उसने मुझे मारने के लिए योद्धा भेज दिए हैं। 

सुग्रीव ने हनुमान जी से कहा कि वो उनकी रक्षा करें। हनुमान जी ने जवाब दिया कि बिना ये समझे कि वो लोग कौन हैं, कोई फैसला नहीं करना चाहिए। पहले उनके पास जाकर ये पता करना चाहिए कि ये दो लोग कौन हैं?

हनुमान जी ने अपना रूप बदला और ब्राह्मण बनकर पहुंच गए, प्रभू श्रीराम व लक्ष्मण के पास...  जब बात की तो पता चला ये वो ही राम हैं, जिनका नाम हनुमान दिन-रात जपा करते हैं। यह कोई दुश्मन नहीं हैं , यह तो सुग्रीव से मदद मांगने आए हैं। दूर से जो समस्या दिख रही थी, वो दरअसल समाधान थी। 

हनुमानजी सिखाते हैं, किसी भी परिस्थिति से डरें नहीं, उसे समझने की कोशिश करें। हो सकता है, जिसे आप समस्या समझ रहे हों वो आपके लिए मददगार साबित हो।


कहानी-2ः  सही निर्णय

डर को जीतने की कला में हनुमानजी निपुण हैं। कई घटनाएं हैं, जिन्होंने उनके मन में भय पैदा करने की कोशिश की होंगी, लेकिन वे बुद्धि और शक्ति के बल पर उनको हरा कर आगे बढ़ गए।

डर को जीतने का पहला management funda, यहीं से निकला है कि अगर आप विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ना चाहते हैं तो बल और बुद्धि दोनों से काम लेना आना चाहिए। जहां बुद्धि से काम चल जाए वहां बल का उपयोग नहीं करना।

यह कहानी, बुद्धि और सही निर्णय की है...

रामचरित मानस के सुंदरकांड का यह प्रसंग है, जब माता सीता की खोज में हनुमान जी समुद्र लांघना था। 

जब वह समुद्र लांघ रहे थे, तो उनको बीच रास्ते में सुरसा नाम की राक्षसी ने रोक लिया और हनुमान जी को खाने की जिद करने लगी।

हनुमान जी ने बहुत मनाया, लेकिन वो नहीं मानी। वचन भी दे दिया, राम का काम करके आने दो, माता सीता का संदेश उनको सुना दूं फिर खुद ही आकर आपका आहार बन जाऊंगा, पर सुरसा फिर भी नहीं मानी।

वो हनुमान को खाने के लिए अपना मुंह बड़ा करती, हनुमान उससे भी बड़े हो जाते। वो खाने की जिद पर अड़ी रही, लेकिन उसने हनुमानजी पर कोई आक्रमण नहीं किया।

इससे हनुमानजी समझ गये कि मामला मुझे खाने का नहीं है, यहां सिर्फ ego की समस्या है। उन्होंने तत्काल सुरसा के विराट स्वरूप के आगे खुद को लघु रूप में कर लिया। फिर उसके मुंह में से घूमकर निकल आए।

सुरसा अपने आगे उनका लघु रूप देखकर प्रसन्न हो गई। उसने हनुमानजी को अनेकों आशीर्वाद दिए और लंका के लिए जाने दिया।

जहां मामला ego satisfaction का हो, वहां बल नहीं, बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए, यह हनुमानजी ने सिखाया है, कि बड़े लक्ष्य को पाने के लिए अगर कहीं झुकना भी पड़े, झुक जाइए। 

कहानी-3ः समय और काम का तालमेल 

इस कहानी का प्रसंग भी उसी रास्ते में घटा। समुद्र लांघकर हनुमानजी लंका पहुंच गए। 

लंका के मुख्यद्वार पर लंकिनी नाम की राक्षसी मिली। रात्रि के समय हनुमानजी लघु रूप में ही लंका में प्रवेश कर रहे थे, उसी समय, उन पर लंकिनी की नजर पड़ गई,  उसने हनुमानजी को रोक लिया। यहां परिस्थिति दूसरी थी, समय कम और काम ज्यादा था। लंका में रात के समय ही चुपके से घुसा जा सकता था।  हनुमान ने लंकिनी से कोई वाद-विवाद नहीं किया। सीधे ही उस पर प्रहार कर दिया। लंकिनी ने रास्ता छोड़ दिया।

जब मंजिल के करीब हों, समय का अभाव हो और परिस्थितियों की मांग हो, तब बल का प्रयोग अनुचित नहीं है। 

हनुमान ने एक ही रास्ते में आने वाली दो समस्याओं को अलग-अलग तरीके से निपटाया। जहां झुकना था वहां झुके, जहां बल का प्रयोग करना था, वहां वो भी किया। सफलता का पहला सूत्र ही ये है कि बल और बुद्धि का हमेशा संतुलन होना चाहिए। समय और काम का सही तालमेल होना चाहिए,  इसी से सफलता मिलेगी


कहानी-4ः प्रभावित ना होना : 

यह प्रसंग, हनुमानजी का माता सीता से लंका की अशोक वाटिका में मिलने के पश्चात् का है, जब हनुमानजी ने पूरी वाटिका को उजाड़ दिया था और रावण के सबसे छोटे बेटे अक्षयकुमार को भी मार दिया। मेघनाद ने उन्हें नागपाश में बांधकर रावण की सभा में प्रस्तुत किया।  लंकापति रावण की सभा का ऐसा प्रताप व वैभव था कि जिसका बखान संभव नहीं। वहां देवता और दिग्पाल हाथ जोड़े, डरे हुए केवल रावण की भृकुटियों को ही देख रहे हैं।

रावण के वैभव और बल को देखकर भी हनुमानजी तनिक विचलित नहीं हुए। 

दुश्मन और बुरे लोगों के वैभव को देखकर उससे प्रभावित ना होना, ये बहुत कठिन काम है। शत्रु के सामने बिना भय के रहें। उसकी ताकत और सामर्थ्य से प्रभावित ना हों। यही हनुमानजी सिखाते हैं। 

आपकी पहली जीत वहीं हो जाती है, जब आप उसके प्रभाव में नहीं आते। अगर उसके वैभव का लेश मात्र भी असर आपके मन पर हुआ तो फिर जीत की राहें मुश्किल हो जाती हैं। रावण की पहली हार उसी समय हो गई, जब हनुमानजी ने उसके सामने बिना किसी संकोच के उसकी गलतियों को गिना दिया।

अक्सर लोग यहां चूक जाते हैं। दुश्मन के सामने जाते ही आधे तो उसकी शक्ति के आगे झुक जाते हैं। हनुमान के मन में ये बात दृढ़ थी कि रावण का जो भी वैभव है वो अधर्म से पाया हुआ है, पाप की कमाई है। इसलिए यह बहुत कीमती होते हुए भी बेकार ही है।

कहानी-5ः कुशल नीति 

आज के co-operate culture में भगवान हनुमानजी से यह गुण सीखना काफी जरूरी है।

यह प्रसंग तब का है, जब हनुमानजी ने रात्रि में लंका में प्रवेश कर माता सीता की खोज आरंभ कर दी थी, उसी के साथ ही वो लंका की स्थिति का अवलोकन भी कर रहे थे।

हनुमान ने जब विभीषण के घर के बाहर तुलसी का पौधा, स्वस्तिक और धनुष बाण के चिह्न देखे तो समझ लिया, राक्षसों के शहर में यह किसी सज्जन व्यक्ति का घर है।

हनुमानजी ने, लंका के सशक्तिकरण को देखकर समझ लिया था कि अगर लंका को जीतना है तो किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ेगी जो इस जगह और यहां के लोगों के बारे में अच्छे से जानता हो। 

उन्होंने विभीषण से दोस्ती की और बातों-बातों में उन्हें भगवान श्रीराम के गुणों के बारे में बताया। सीधे ये नहीं कहा कि तुम हमारे खेमे में शामिल हो जाओ, बस विभीषण के मन में उत्सुकता का एक बीज बो दिया। 

उन्होंने बिना सीधे कोई बात कहे, विभीषण को राम की शरण में आने का संकेत दे दिया था।

जब लंकापति रावण ने विभीषण का अपमान कर उसे लंका से निकाला तो विभीषण को हनुमान की कही बात याद आई कि श्रीराम अपनी शरण में आए हर व्यक्ति की रक्षा करते हैं। वो सीधा प्रभू श्रीराम की शरण में पहुंच गया। 

ये कहानी सिखाती है कि जब भी आप अपने दुश्मन के खेमे में जाएं तो वहां भी अपने लिए ऐसे लोगों को चुनें जो जीतने में आपकी मदद कर सकते हों। 

भगवान हनुमान जी के जीवन से जुड़े अनेकानेक प्रेरणा प्रसंग हैं, जो हमें जीवन को सही अर्थों में जीने की प्रेरणा देते हैं...

यह चंद प्रसंग हैं, जिन्हें आप के सामने प्रस्तुत किया है, जिससे आप सफलता की राह पर चलें।

पर विश्वास सदैव दोनों पर रखकर, परमात्मा पर भी और अपने पर भी, और हाँ, यह अटल सत्य है कि सद्कार्यों को करेंगे, तभी ईश्वर साथ देंगे।

भगवान हनुमान जी जन्मोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐 

संकटमोचन हम सब के संकटों को दूर करें हम सब पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻🙏🏻

हनुमानजी के जन्म दिवस को क्या और क्यों कहते हैं जानने के लिए पढ़ें हनुमान जन्मोत्सव या जयंती 

Tuesday, 4 April 2023

Recipe: Mug Cake

HOSTEL, PG Special

हमने बहुत सी recipes डाली है, जिसे आप लोगों के द्वारा बहुत पसंद भी किया गया है। Corona के समय तो हर रोज ही recipes डाली थी। जिसमें हर variety की dishes थीं।

जिसको देखते हुए हमारे youngsters की demand है कि हम कुछ recipes ऐसी भी डाल दें, जो hostel या PG में भी बनायी जा सके। जिससे वो भी tasty खाना खा सकें।

Hostel या PG में कुछ भी ऐसी चीजें नहीं होती है कि cooking easy हो, but no फिक्र, जब आप जुड़ें हैं shades of Life से...

अभी हम कुछ dishes आपको ऐसी भी बताते रहेंगे।

अगर आप की भी यही requirements है तो जुड़े रहिएगा, shades of Life से

आज की dish है Mug Cake...

आप कहेंगे कि एक Hostel और PG में कहां से हम microwave oven लाएं है mug cake बनाने के लिए?

अरे, अरे! Microwave oven लाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

आप प्रश्न करेंगे फिर संभव ही कैसे होगा mug cake बनाना?

बनेगा जी, बिल्कुल बनेगा, और बिना microwave oven के भी, बस आप पूरी recipe ठीक से पढ़िएगा और tips and tricks ठीक से follow कीजिएगा...

Mug cake



Ingredients :

  • Dark fantasy vanilla crème sandwich biscuits - 2 packets (100 grams x 2)
  • Milk - 1 cup 
  • Eno - 1 sachet


Method :

  1. आप normal size के 4 cups ले लीजिए। (Tea cups)
  2. सबमें एक बराबर quantity (4-5 in each cup) के बिस्कुट तोड़ कर डाल दीजिए।
  3. अब सबमें ¼ cup lukewarm milk डाल दीजिए। 1-2 minute में ही biscuit dissolve हो जाएगा, अब इसे spoon की सहायता से अच्छे से mix कर दीजिए। जिससे smooth solution बन जाए..
  4. अब eno sachet से ¼ powder हर cup में डालकर mix कर लीजिए। 
  5. अब इसे preheated equipment में डालकर cake prepare कर लीजिए।
  6. अब इसमें melted chocolate, crushed chocolate, cream और crushed gems से top-up कर लीजिए। अपने taste के according topping कर लीजिए।

Now your exceedingly mouthwatering Mug Cake is ready to serve... 

Perfect mug cake के लिए, इन tips and tricks‌ को ज़रूर से follow कीजिएगा..


Tips & Tricks :

  • आप कहेंगे कि equipment से क्या मतलब है? आखिर किस में हमने cake बना लिया? तो आपका equipment वो होगा जो आपके पास है। तो अब आते हैं कि आप के पास है क्या?
  • अगर आप के पास microwave oven है तो आप चारों cup एक साथ 2 minutes  के लिए microwave mode में रख दें, Cake ready हो जाएगा। 
  • आप convection mode में भी रख सकते हैं, पर उसमें time लगेगा।
  • अगर आप के पास induction plate है, तो sauce pan में पानी भर कर उसे boil होने रख दीजिए।
  • जब पानी उबल जाए तो सारे cup इसमें रख कर 5  minutes के लिए medium to slow flame पर ढककर रख दीजिए। Cake ready हो जाएगा...
  • पानी का amount ऐसा होना चाहिए कि सिर्फ आधा कप ही पानी में डूबे, जिससे पानी अंदर ना आए।
  • अगर आप के पास electrical kettle है तो पहले उसमें पानी boil कर लीजिए। फिर biscuits का घोल steel के glass में डाल दें। 
  • अब 2 to 4 min के लिए glass को केतली में रखकर glass cake बना ले। 
  • इसमें भी पानी का amount ऐसा होना चाहिए कि सिर्फ आधा गिलास ही पानी में डूबे, जिससे पानी अंदर ना आए।
  • अगर आप steel utensils use करेंगे तो, cake जल्दी बनता है। ऐसा इसलिए क्योंकि steel, heat का good conductor है।
  • दूसरा अगर आप एक बड़ा सा mug में cake बना रहे हैं तो आप को time ज़्यादा लगेगा। क्योंकि ceramic heat का good conductor नहीं है दूसरा बड़ा mug होने से उसके side wall भी ज्यादा thick होगी। तो cooking process में time लगेगा..
  • हमने dark fantasy cream biscuit लिया है, आप चाहें तो Bourbon, Oreo या और कोई भी अपनी पसंद के cream flavour biscuits, जैसे orange, mango, strawberry etc. ले सकते हैं। 
  • आप चाहें तो बिना cream वाले biscuits भी ले सकते हैं, पर फिर उसमें एक चम्मच fresh cream or 2 चम्मच दूध वाली मलाई डालनी होगी। इससे cake moist बनता है। साथ ही 1tsp sugar भी add करनी होगी..
  • अगर आप को coffee flavour पसंद है तो आप biscuits के solution में थोड़ा सा coffee powder भी add कर सकते हैं। 
  • आप eno की जगह baking powder भी डाल सकते हैं, वो हर mug में ½ tsp डलेगा। 
  • Biscuit solution ¾ cup से ज़्यादा मत रखियेगा, वरना cake overflow हो जाएगा।
  • Cake के ऊपर, अपनी पसंद की topping भी ज़रूर डालिएगा, वो cake के taste में चार चांद लगा देती है।
  • Dark fantasy cream biscuits का mug cake सबसे tasty बनता है।
  • हमने mug and glass दोनों में ही ½ portion solution ही लिया है, क्योंकि हमें Clear pics चाहिए थी।
  • आप ¾ portion solution लीजिएगा तो cake, full mug तक बनेगा.. 


बहुत ही tasty, easily and instantly बनने वाली dish है। बच्चे भी इसे बहुत आसानी से बना लेते हैं।

एक बार try ज़रूर करें। बाकी यह ‌हमारा दावा है कि अगर आप ने एक बार बना लिया, तो बार-बार बनाएंगे 😊