Monday 31 August 2020

Short Stories : अन्नपूर्णा वाले डॉक्टर बाबू

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)  द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजित हुई थी, जिसमें भारत के सभी नागरिक भाग ले सकते थे।

उसका विषय था " लोगों के जीवन में खुशहाली लाता सेल " और  शब्द सीमा थी - 800 शब्द ।  

आज मुझे गाज़ियाबाद के श्री अभयेश्वर सहाय जी की कहानी को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

इनकी कहानी ने प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया है। 


अन्नपूर्णा वाले डॉक्टर बाबू



किशन घर लौटा तो, उसकी पत्नी रज्जो दुखी बैठी थी।

क्या हुआ रज्जो? आज तेरा फिर मुँह लटका हुआ है। फिर से गाँव की याद आ रही है? या फिर राधा के ससुराल वाले कुछ माँग रहे हैं? राधा की शादी क्या की, हमारा तो गाँव ही छूट गया, सब तो उसकी शादी की भेंट चढ़ गया। फिर भी मुँह ना बंद हुआ राधा की सास का।

अरे नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। राधा का फोन आया था, तुम्हारे नाती सरजू के पैर में लोहे की सरिया घुस गयी थी। घाव हो गया है, गाँव का डॉक्टर पाँव काटने की बात कर रहा है।

हे भगवान! ये कैसे हुआ? ये सरजू भी ना हद का बदमाश है, एक जगह टिक कर बैठ ही नहीं सकता है।

अरे! बच्चे शरारत नहीं करेंगे तो क्या, हम तुम करेंगे? गाँव के और बच्चों के साथ खेल रहा था, उसी में लग गयी।

तो तू क्या सोच रही है? क्या करना चाह रही है? मुझसे पैसे रुपए की उम्मीद ना करना।

हाँ जानती हूँ, हम दोनों मिलकर भी इतना नहीं कमा रहे हैं, कि हमें पूरा पड़े, फिर रुपए पैसे की उम्मीद क्या करूंगी?

वही तो.......  फिर तू सोच क्या रही है, वो बताएगी?

सोच रही हूँ, कुछ दिन के लिए राधा को यहाँ बुलवा लूँ। एक ही तो नाती है अपना, उसका भी पैर कट जाएगा, सोच कर ही कलेजा मुँह को आ रहा है।

सुनकर तो मेरा मन भी, भीतर तक काँप गया था। पर कर क्या सकते हैं? यहाँ बुलवा लेने से क्या हल निकलेगा? कौन किसी डॉक्टर को जानते हैं।

जब राधा का फोन आया था, उस समय अपनी पड़ोसन नन्दा भी यहीं थी। वो बता रही थी, अन्नपूर्णा में बड़े अच्छे डॉक्टर बैठते हैं। कह रही थी, उन्हें दिखवा दूँ।

दिल्ली में डॉक्टर तो कई हैं, पर अपने पास पैसा भी तो होना चाहिए।

अरे मेरी पूरी बात तो सुन लो, वो मुफ़्त में देख लेंगे।

बड़ी आई! मुफ़्त में देख लेंगे!

अरे, वो सेल कंपनी वालों का अपार्टमेंट है। नन्दा बता रही थी, कंपनी हम गरीब लोगों को देखने के लिए ही डॉक्टर साहब को वहाँ बुलाती है, और हमारी फीस के पैसे कंपनी देती है।  

कंपनी देती है? तब तो डॉक्टर भी ऐसे ही होंगे।

अरे नहीं, बोल रही थी, बड़े अच्छे डॉक्टर हैं, बहुत भीड़ रहती है। नंबर लगाना पड़ता है।

तो वहीं काम करने वालों के परिवार वालों को देखते होंगे। तूने वहाँ काम पकड़ लिया है?

अरे नहीं। वो बोल रही थी, ऐसा नहीं है, कि जो वहाँ रहते हैं, या वहाँ काम करते हैं, सिर्फ उनको ही देखते हैं। नन्दा बता रही थी, सेल बड़ी भली कंपनी है, सारे गरीबों को देखने के लिए डॉक्टर आते हैं।  फिर वो चाहे कहीं भी रहता हो, कहीं भी काम करता हो।

अच्छा चल दिखा तो तू लेगी, फिर दवा का क्या होगा? वो कौन सी सस्ती आती है।

वो भी सेल देती है।

अच्छा अगर ऐसा है, तो कहना पड़ेगा, आज भी गरीबों के जीवन की खुशहाली के लिए कोई सोच रहा है। फिर मैं ऐसा करता हूँ, आज ही चला जाता हूँ।

उसकी  सास का कोई भरोसा नहीं है, कब तक उसे आने दे। देर हो गयी, तो डॉक्टर साहब भी ठीक ना कर पाएंगे।

किशन अगले दिन सुबह ही राधा को लेकर आ गया।

राधा के आते ही रज्जो अपने सारे काम छोड़कर राधा और सरजू के साथ अन्नपूर्णा भागी, क्योंकि वह डॉक्टर साहब 12 बजे तक ही बैठते थे।

जब वो लोग वहाँ पहुँचे, पहले से ही बहुत सारे गरीब लोगों की वहाँ भीड़ लगी थी। रज्जो अपने से आगे लगे लोगों से पूछने लगी, कैसे डॉक्टर हैं? सब यही कहने लगे, भगवान हैं,  डॉक्टर साहब।

कुछ देर में रज्जो का नंबर आ गया, उसने जैसा सुना था, डॉक्टर साहब वैसे ही निकले। राधा तो उन्हें देखकर रोने ही लगी, डॉक्टर साहब हमारे बच्चे को बचा लीजिये। बड़ी दूर से आए हैं, गाँव में तो डॉक्टर बोल दिया था, पाँव काट देंगे। डॉक्टर साहब ने पहले राधा को चुप कराया, फिर सरजू के पाँव को ठीक से देखा। देखकर बोले 1 महीना लग जाएगा ठीक होने में।

डॉक्टर साहब पाँव तो नहीं कटेगा, डरते डरते रज्जो बोली। नहीं, नहीं कटेगा। दवा से ही ठीक हो जाएगा। ये सुनकर रज्जो और राधा के जान में जान आई। आपको सारी दवा भी मिल जाएगी, बस सब कुछ समय से देते रहना।

डॉक्टर साहब की दवा ने जादू सा काम किया। सरजू सचमुच पूरा ठीक हो गया। उसके ठीक होने से सारा परिवार खुशी से नाच रहा था । कोई भी पूछता ये चमत्कार कैसे हुआ? तो वे बड़े खुश होकर बोलते, हमारी ज़िंदगी में खुशहली लाने का सारा श्रेय सेल का है। आज सेल के कारण पूरा भोवापुर गाँव खुश है, उसने हमें इतने अच्छे डॉक्टर जो दिये हैं- अन्नपूर्णा वाले डॉक्टर बाबू।