Monday, 16 September 2019

Story of Life: एहसास (भाग - 4)


एहसास (भाग - 4)

मालिनी बोली, Sorry Sir...
पर ऐसा ही treatment हम patient को देते हैं। जिसकी permission तो आप ने ही दी है।

डॉ मालिनी की ऐसी बात सुनकर डॉ नितीश कुछ क्षण चुप रहे, फिर बोले, डॉ मालिनी आप मुझ से इन सब बातों की हमेशा शिकायत करती रहीं, पर मैं, धन के लोभ में अंधा, कभी  patient की तकलीफ समझ ही नहीं सका। पर आप ने जब मेरे साथ भी वैसा किया, तो एक एक बात को समझ पा रहा हूँ।

आज से ये hospital फिर से वैसे ही चलेगा, जैसा डॉ अमर के सामने चलता था। सारे  doctors और staff को बता दें, जो ठीक से अपना काम नहीं करेगा, उसे निकाल दिया जाएगा। अब सभी ठीक से अपना काम करने लगे, और जो नहीं सुधरे उन्हें निकाल दिया गया।

डॉ नितीश को तुरंत अच्छे room में shift कर दिया गया, अच्छे से treatment भी शुरू हो गया। जिससे डॉ. नितीश जल्दी ही ठीक हो गए‌। 

अब से उन्होंने दो heads की post कर दी, एक वो खुद थे, और दूसरी head डॉ मालिनी थीं।

त्रिवेणी hospital फिर पहले-सा अच्छा हो गया। क्योंकि डॉ नितीश पर जब खुद पर पड़ी थी, तो उन्हें सबके दर्द का एहसास हो गया था। अब वो बहुत अच्छे से जान चुके थे, कि doctor सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं वरन समाज सेवा के लिए भी बनते हैं।