Monday, 29 May 2023

Article : विरासत और आधुनिकता साथ साथ

 विरासत और आधुनिकता साथ-साथ


कल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नये संसद भवन, का उद्घाटन किया था। 

बहुत से लोगों ने इस उद्धाटन का प्रसारण देखा होगा, उन्हें गर्व और हर्ष की अनुभूति भी हुई होगी, जबकि वहीं बहुत से ऐसे लोग भी होंगे, जिन्हें पता भी नहीं होगा कि कल भारत के लिए विशेष और सम्मान से परिपूर्ण दिन था।

साथ ही, कुछ ऐसे लोग भी होंगे, जिन्हें यह पता होगा, पर उनके लिए, यह कोई सम्मान का विषय ना होकर, विवाद का, व्यर्थ के व्यय और भर्त्सना का विषय मात्र ही होगा।

उनका कहना होगा कि क्यों व्यर्थ का खर्च करना? देश में कितने गरीब लोग हैं, उनके लिए सोचना चाहिए था, रुपए पैसों से उनकी सहायता करनी चाहिए थी...

आप को इसके लिए, सिर्फ इतनी ही कहना चाहेंगे कि आप अपनी सुविधा का ध्यान रखने से पहले कितनी बार किसी जरुरतमंद के लिए सोचते हैं? 

जो अपनी गरीबी को दूर करने के लिए, कठिन परिश्रम और प्रयास करते हैं, उनकी ही गरीबी दूर होती है पर जो पुरुषार्थ का त्याग करके, मात्र दूसरों पर ही आश्रित रहते हैं, वो सदैव गरीबी के दुःख में अपनी जिंदगी गुजार देते हैं।

तो किसी एक के सोचने से या सरकार के करने से ग़रीबी दूर नहीं होगी, बल्कि सभी को इस विषय में सोचना होगा और सर्वाधिक उसे जो गरीब है, क्योंकि उसके स्वयं के मेहनत और प्रयास बिना कुछ संभव नहीं है। 

सरकार का कार्य, वैसे भी हर क्षेत्र में सोचना है, किसी एक क्षेत्र में नहीं। उसे देश की आर्थिक व्यवस्था, सुरक्षा, विस्तार, विरासत, आधुनिकता, आदि सभी विषयों में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

और उन सभी का मिश्रित संगम है, नया संसद भवन...

जिसमें विस्तार भी है, विरासत भी और आधुनिकता भी और उसके साथ ही आत्मनिर्भरता और सम्मान भी.. 

आत्मनिर्भरता और सम्मान की पहले बात कर लेते हैं। देश की आजादी के 70 साल बाद, हमारे देश की सरकार अपने निर्णय, अपने द्वारा स्थापित संसद भवन में लिया करेगी। अर्थात, अब हम इतने सक्षम हो चुके हैं, जो यह निर्धारित कर सकते हैं कि हमारी क्या आवश्यकता है, और उसे हमें किस तरह से पूर्ण कर सकते हैं।

अब बात करते हैं, विरासत और आधुनिकता की.. 

विरासत

भारत में जब चोल साम्राज्य था, यह बात तब की है। तब एक राजा, सत्ता को दूसरे राजा को सौंपते समय सेंगोल दिया करता था। सेंगोल सदैव उस राजा के पास रहता  था, जो राज्य करता था। वह देश से संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय सेंगोल अपने पास ही रखता था।

अब जानते हैं सेंगोल है क्या? जानते हैं उसकी कहानी, उसी की जुबानी

मैं सेंगोल हूं... निष्पक्ष, न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक सेंगोल। मैं हिंदुस्तान के इतिहास का हिस्सा हूं, वर्तमान का किस्सा हूं, और एक बार फिर हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक भविष्य का हिस्सा बनने पर रोमांचित हूं।

मैं उस स्वतंत्रता का प्रतीक हूं, जिसे पाने के लिए भारत के ना जाने कितने वीर हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। और ना जाने कितने मतवालों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भारत की आज़ादी की पहली अनूठी सूरत हूं मैं। मैं सेंगोल हूं...

सेंगोल एक राजदंड(राजा के हाथ में रहता है) के रुप में होता है, जो कि चांदी की एक छड़ है, जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है, उस छड़ के शीर्ष पर न्याय पूर्ण, निष्पक्ष नन्दी बैल स्थापित है। 

देश की आजादी के समय भी, अंग्रेजों से सत्ता स्थानांतरण का कार्य, नेहरू जी ने इसी सेंगोल को धारण करके किया था।

अतः हमारे विरासत से देश की आजादी तक के साक्षी सेंगोल को 11 धर्मों के गुरुओं ने विधि-विधान, पूजा-पाठ के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को सौंप दिया था।  जिसे मोदी जी ने, नये संसद भवन में speaker के स्थान से एकदम नजदीक में स्थापित किया।

आधुनिकता 

भारत को मिला नया संसद भवन कई खूबियां लिए हुए है। अगले 150 सालों की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए इस भवन में सांसदों, संसदीय कार्यों और आयोजनों की आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा गया है। इसमें सुरक्षा के साथ-साथ इस भूकंपरोधी इमारत को पर्यावरण के अनुकूल भी बनाया गया है। इसकी डिजाइन और इसके निर्माण के उपयोग में लाई गई सामग्री तक लोगों के लिए कौतूहल है। 

इस इमारत की खास बात है इसका विशाल क्षेत्रफल जो कि कुल 64500 वर्ग मीटर है। इसमें लोकसभा के लिए 888 सीटें हैं, जबकि राज्यसभा की 384 सीटें हैं। जबकि अभी तक जो संसद भवन था, उसमें लोकसभा की 543 सीटें और राज्यसभा की केवल 250 सीटें ही हैं। सेंट्रल विस्टा में लोकसभा के कक्ष में सीटों की संख्या 1272 तक बढ़ाने का विकल्प है। लोकसभा का कक्ष संसद के संयुक्त अधिवेशन चलाया जा सके इसके लिए भी तैयार किया गया है। 

नए भवन की design में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि वह पर्यावरण के अनुकूल हो। इसके निर्माण में ग्रीन तकनीकों का उपयोग किया गया है। पुरानी संसद से बड़ी होने के बाद भी इसमें बिजली की खपत में करीब 30% की कमी आ जाएगी। इसके साथ ही इसमें Rainwater harvesting, and water recycling system लगाए गए है और इसे अगले 150 साल की जरूरतों के मुताबिक design किया गया है। 

नया संसद भवन, जितना सुरक्षित है, अंदर से उतना ही खूबसूरत भी। लोकसभा का कक्ष मोर की theme पर आधारित है जसकी दीवारों और छत पर मोर के पंखों की design है। वहीं राज्यसभा का कक्ष कमल की theme पर बनाया गया है जिसमे लाल कालीन हैं। दोनों सदनों में एक बेंच पर दो सांसद बैठ सकेंगे और उनकी डेस्क touch screen रहेगी। 

इमारत में धौलपुर का बलुआ पत्थर, जैसलमैर राजस्थान का ग्रेनाइट, नागपुर की खास लकड़ी का उपयोग कर मुंबई के काष्ठ कारों ने लड़की की आकृतियों का आकर दिया है। 

खूबसूरती के साथ ही इसकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

इमारत में तीन तरफ से प्रवेश द्वार हैं, जहां से अवसरों के अनुसार राष्ट्रपति, स्पीकर, प्रधानमंत्री जैसे गणमान्य व्यक्ति विशेष तौर पर आवागमन कर सकें। 

जहां सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया है, वहीं जनसामान्य और संसद भवन की सैर करने वाले दर्शकों के लिए भी प्रवेश, parliament street के जरिए दिया जाएगा। सभी प्रवेश द्वारों पर कई जानवरों की मूर्तियां रक्षकों की तरह लगाई गई है जिसमें हाथी, घोड़े, चील, हंस, मगर आदि शामिल हैं, जो कि, एक अलग ही आकर्षण पैदा करते हैं।

इस तरह से विरासत और आधुनिकता की मिली-जुली इमारत, भारत को नये संसद भवन सेन्ट्रल विस्टा के रूप में मिली है।

अगर आपको, अपने साथ-साथ, अपने देश के विकास, विस्तार, विरासत से प्यार है, तो नये संसद भवन के उद्घाटन से आपको गर्व महसूस हुआ होगा, अन्यथा यह आपके लिए सामान्य दिवस भर रह गया होगा या विपक्ष की तरह अवसाद और विवाद का विषय बन गया होगा... खैर जिसकी जैसी सोच...

मुझे गर्व है, इस नए भारत पर, जहां विरासत और आधुनिकता साथ साथ विकास कर रही है...

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳🙏🏻😊

Thursday, 25 May 2023

Short Story : बहुमूल्य रत्न

 बहुमूल्य रत्न 




बहुत पुरानी बात है, एक सौदागर था विक्रम, जिसे पूरी दुनिया से नायाब चीजें एकत्रित करने का शौक था।

उसके खजाने में एक से एक नायाब रत्न थे। तिजोरियों में सोने चांदी का अंबार लगा हुआ था।  उसके अस्तबल में एक से बढ़कर एक घोड़े, ऊंट और गाय थी। बहुत से गोदाम मेवा, अनाज, फल, सब्जियों से भरे हुए थे। 

देखा जाए तो वो बस नाम का ही सौदागर था, वरना उसकी धन-दौलत, किसी बादशाह से कम नहीं थी।

पर इतना सब होने के बाद भी जब भी वो कोई सौदा करता था, तो बहुत तोल-मोल कर के, एक नये पैसे की भी कमी उसे बर्दाश्त नहीं थी। इसलिए ही सब उसे उसके नाम से कम और सौदागर नाम से ज्यादा जानते थे।

एक बार की बात है, वो एक पशु मेले में पहुंचा। वहां उसे एक ऊंचे कद का आकर्षक सा अरबी घोड़ा दिखाई दिया।

वो घोड़ा, लंबा, ऊंचा, हट्टा-कट्टा, तगड़ा, काले रंग का चिकना घोड़ा था। धूप की किरण, उस पर कुछ इस तरह से पड़ रही थी कि, उसके अलावा मेलें में कोई जानवर दिख ही नहीं रहा था।

सौदागर भी अपने को रोक नहीं पाया और घोड़े के मालिक के पास पहुंच गया। 

उसने घोड़े के मालिक मंगलू से उस घोड़े के दाम पूछे - मंगलू ने बहुत गर्व से अपने घोड़े के बहुत ऊंचे दाम बताएं।

सौदागर ने कुछ पल सोचा, फिर बोला, तुम ज़्यादा ही उम्मीद नहीं कर रहे हो? सही सही बताओ..

मंगलू, उसी गर्वीली आवाज़ में बोला, साहेब दाम तो कम ही बताया है, वरना आप को इतने में, बादल को कोई नहीं देगा। 

अच्छा, इसमें ऐसा भी क्या है?

साहेब, यह हमारी जान है, हम आप को गारंटी दे सकते हैं इसकी, पसंद नहीं आए तो हम से दुगने पैसे ले जाना।

विक्रम ने घोड़ा खरीद लिया। मंगलू, अच्छे दाम में घोड़ा बेच कर खुश था और विक्रम बहुत ही बेहतरीन घोड़ा खरीद कर खुश था।

घर पहुंच कर विक्रम ने अपने नौकर हरिया से कहा, घोड़े की काठी बदल कर, मखमली काठी लगा दो, फिर इसे अस्तबल में ले जाकर चने खिला देना। 

हरिया बोला- साहब,आप घोड़ा बहुत बढ़िया लाए हैं, मंगलू से लिया है क्या?

हाँ, विक्रम ने सिर हिला दिया। 

अच्छा, उसके पास बहुत अच्छे घोड़े हैं और यह कहकर हरिया, घोड़े की काठी बदलने लगा।

जैसे ही उसने काठी बदलने के लिए पुरानी काठी निकाली, तो काठी के साथ एक थैली भी गिर गई और उसमें से बहुमूल्य रत्न बिखर गए। 

उन्हें लेकर हरिया, सौदागर के पास गया और थैली के विषय में बताया।

सौदागर बोला, जाओ बादल को ले आओ, मैं अभी मंगलू को उसकी थैली दे आऊं। 

हरिया बोला, क्या साहब? जब घोड़ा आपका तो थैली भी आपकी, कौन किसी को पता चलेगा, वैसे भी मंगलू ने कौन कम पैसों में इसे बेचा होगा... 

(हरिया, मंगलू के गांव का ही था और अपने पास अच्छे घोड़े होने के कारण वो सबसे बहुत अकड़ कर बात करत  था। जिसके कारण हरिया को मंगलू एक आंख ना भाता था )

हीं हरिया, मैंने सिर्फ घोड़ा खरीदा है यह रत्न नहीं, फिर कैसे वो मेरे हुए? मैं अभी इन्हें वापस कर के आता हूं। 

हरिया ने अनमने मन से थैली पकड़ा दी।

विक्रम उल्टे पांव, मेले में लौट गया। 

विक्रम को आया देखकर, मंगलू सोच में पड़ गया, कि ना जाने बादल ने क्या किया? जो इसे वापस करने आ गये... और बड़ी परेशानी उसकी यह थी कि वो दुगने पैसे कहां से लाएगा?

क्या हुआ साहेब? बादल पसंद नहीं आया?

अरे नहीं मंगलू, तुमने सही कहा था, बादल सच में बहुत अच्छा है, मुझे बहुत पसंद आया...

फिर! फिर क्या हुआ, मंगलू ने असमंजस में पड़ कर पूछा...

तुमने बादल की काठी में यह थैली रखी थी, वही वापस लौटाने आया था...

मंगलू के थैली देखकर, खुशी के आंसू निकल आए, उसने विक्रम से कहा, साहेब आप धन्य हो, जो मेरे रत्न लौटाने आ गए।

फिर वो बोला, आप, मेरे इतने सारे रत्न वापस करने आए हैं, मैं आपको धन्यवाद के रूप में दो रत्न देना चाहता हूं, कृपया अपने पसंद का कोई दो रत्न ले लीजिए।

विक्रम मना करता रहा और मंगलू देने का आग्रह करता रहता।

बहुत ना-नुकुर के बाद विक्रम ने मंगलू से सकुचाते हुए कहा, मैंने आने से पहले ही दो बहुमूल्य रत्न अपने पास रख लिए थे।

सुनकर मंगलू, सकपका गया,उसने पूरी थैली पलट दी‌ और उसको अच्छे से देखने लगा, फिर बोला सब कुछ तो है, तो आप ने ऐसे कौन से दो बहुमूल्य रत्न ले लिए?

अपनी ईमानदारी और अपना स्वाभिमान...

मंगलू ने विक्रम के पैर छुए और कहा, आपने आज मुझे सबसे बहुमूल्य रत्न के विषय में बता दिया, आप सचमुच सबसे बड़े सौदागर हो...

विक्रम ने घर आकर, हरिया को दस सोने की अशर्फियां दीं और कहा कि मेरे पास तो अथाह है, तब मैंने ईमानदारी और स्वाभिमान रखा। पर तुम्हारे पास, उतना नहीं है, तुम मुझे बिना बताए, वो थैली रख सकते थे, पर तुमने वो थैली मुझे दे दी।

हरिया बोला, साहब कहते हैं कि जैसा अन्न खाओ, वैसी ही बुद्धि हो जाती है। तो आप का दिया अन्न खाते हैं तो आप के साथ गलत कैसे कर सकते थे। ना वो घोड़ा मेरा, ना उसमें मिले रत्न मेरे। तो मैं कैसे रख सकता था,उस पर आपका या मंगलू का ही अधिकार था। 

यह कहकर उसने अशर्फियां वापस कर दी।


जिसके पास भी स्वाभिमान और ईमानदारी जैसे बहुमूल्य रत्न हैं, वो संसार का सबसे सुखी इंसान हैं..

Wednesday, 24 May 2023

Article : अभाव जिंदगी का

 अभाव जिंदगी का  

किसकी ज़िन्दगी कैसी है? इस विषय में बरसों से बातें होती आई है। सोचा आज हम भी इसी पर मनन करें।

किसकी ज़िन्दगी कितने सुख से भरी है और कितने अभाव से... जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि कौन सबसे बेहतर जिंदगी जी रहा है।

 खान-पान 

जो निर्धन है, वो तो अभाव में है ही, उसके पास तो जो रुखा सूखा हो, उससे ही भोजन बनाता है। कभी उसकी किस्मत चमक गई तो दान के रूप में लोग उन्हें बढ़िया पकवान दे जाते हैं। 

जो धनाढ्य हैं, वो भी अभाव में हैं, आप कहेंगे वो कैसे?

तो पहला तो यह कि उन्हें आधी चीज़ मना होगी और आधे का उन्होंने कभी स्वाद ही नहीं चखा होगा, साथ ही उनके घर में बनता तो बहुत कुछ होगा, पर उसमें स्वाद नहीं होगा, क्योंकि उनके घर खाना बनाने वाली कोई घर की स्त्री (माँ, बहन और पत्नी, आदि) नहीं होगी, बल्कि अपनी जीविका चलाने वाला कोई स्त्री या पुरुष होगा। जो खाना इसलिए नहीं बनाता है कि उसे घर वालों से प्रेम है, बल्कि इसलिए बनाता है क्योंकि यही उसकी जीविका का साधन है।

जो मध्यम वर्गीय है, उसके पास सब खाने-पीने की व्यवस्था भी होती है, उन्हें बहुत कुछ मना भी नहीं होगा और उन्होंने सब कुछ चखा भी होगा साथ ही उनके घर के बने खाने में स्वाद भी बहुत होगा, क्योंकि उनके घर पर खाना घर की स्त्री (माँ, बहन और पत्नी आदि) बनाती है। जो सिर्फ इसलिए खाना बनाती है, क्योंकि उसे घर वालों से प्रेम है, उनकी चिंता है। 

मतलब एक सुचारू जीवन जीने के लिए, ना अर्थव्यवस्था का अभाव, ना प्रेम का अभाव ना समय का। 

त्यौहार

जो निर्धन है, उसके तो क्या त्यौहार... रोज़ की ही रोटी की व्यवस्था होना मुश्किल होता है, फिर त्यौहार तो उन्हें सिर्फ अपनी गरीबी पर उड़ाया हुआ मज़ाक ही प्रतीत होता है।

धनाढ्य वर्ग के लिए सब त्यौहार wine and dine party से ज्यादा कुछ नहीं होता है। त्यौहार कोई भी हो, खुशी कोई भी हो, होली दीवाली, जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि, सभी में वही होगा wine and dine... ना होली में रंगों की बौछार होगी ना दीपावली में पटाखों की बहार, ना ही किसी त्यौहार का बेसब्री से इंतजार, ना ही हर त्यौहार की अलग छटा..

वहीं मध्यम वर्ग के लिए, हर त्यौहार, हर ख़ुशी का अपना अलग रंग अपनी अलग छटा होती है। होली के आने के एक महीने पहले से ही उसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है, ना जाने कितने पकवान बनाए जाते हैं। यही पापड़, गुझिया, रंग-गुलाल, खील-बताशे ही तो होली की द्योतक है। ऐसे ही दीपावली आने के एक महीने पहले से ही साफ-सफाई, रंगाई-पुताई, साज-सजावट शुरू कर दी जाती है। साज-सजावट, दीप, पटाखे, मेवा-मिठाई यही तो द्योतक हैं, दीपावली के। ऐसे ही सभी त्यौहार, पूजा पाठ, खुशी के विशेष अवसर, हर एक की अलग छटा, अलग रंग है मध्यम वर्ग में। 

ना विविधता का अभाव, ना खुशियों का अभाव 

विविध रूप 

निर्धन वर्ग के पास ना तो इतनी सुविधा होती हैं ना इतना ज्ञान कि, वो विविध रूप रख सकें।

धनाढ्य वर्ग के पास तो बहुत अधिक सुविधाएं होती है, पर उन सुविधाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए, उससे भी ज्यादा लोग होते हैं अतः उनमें विविध रूप का सदैव अभाव रहता है।  

पर मध्यम वर्ग में जितनी सुविधाएं रहती हैं, उनको सुचारू रूप से चलाने के लिए उनके पास उतने लोग नहीं रहते हैं, अतः अपनी सभी सुविधाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए उन्हें विविध रूप धारण करना पड़ता है। जैसे वो office में जिस भी job में हो, पर घर में वो electrician, carpenter, plumber, mechanic सब रुप में रहता है। इससे ही उनके घर की जहां सब सुविधाएं सुचारू रूप से चलती है, वहीं विविध रूप के कारण सर्वगुणसंपन्न की जो feelings होती है, वो तो अतुलनीय है। 

ना विविध रूप का अभाव ना ही सर्वगुणसंपन्न होने का अभाव..

आज के article में इतना ही वर्णन कर रहे हैं, आगे फिर कभी... पर आप इसे पढ़कर मनन कीजिएगा कि 

मध्यम वर्ग में एक सुचारू जीवन जीने के लिए ना अभाव है अर्थव्यवस्था का, ना प्रेम का, ना समय का, ना विविधता का, ना खुशियों का, ना विविध रूप का, ना ही सर्वगुणसंपन्न होने का अभाव.. 

मतलब, सच्चा और सुखद जीवन के लिए जो चाहिए, वो सब है, उनके पास.. 

इसलिए आज से यह कहना बंद कीजिए कि मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है, उन्हें ही सबसे अधिक कष्ट है, उनकी ही जिन्दगी नर्क है।

क्योंकि दूसरे अर्थों में कहें तो, मध्यम वर्ग ने ही जीवन को, समाज को, त्यौहारों को, हंसी-खुशी को, सपनों को, अपनों को, सार्थकता प्रदान की है। वो है, इसलिए ही दुनिया हसीन है...

सोच positive रखें तो हर ओर सुख है हर ओर प्रसन्नता है 🙏🏻😊

Monday, 22 May 2023

Recipe : Potato Casserole

Summer vacations, start हो गए हैं, साथ ही बच्चों की बहुत सारी demands भी...

और Shades of Life ने अपने cute viewers का हमेशा से ही ध्यान रखा है.. 

तो चलिए, आज एक ऐसी recipe share करते हैं, जो कि sureshot, सारे ही बच्चों को बहुत पसंद आएगी,  साथ ही बहुत easily prepare भी हो जाएगी और healthy food भी है।

Potato casserole



Ingredients :

  • Potato - 3 (medium sized)
  • Bell pepper - Red, green, yellow
  • Onion - 2 (medium sized)
  • Paneer / Cottage Cheese - 150 grams
  • Spinach leaves - 50 grams
  • American corn - 1 tablespoon
  • Butter - 1 tablespoon
  • Cheese - 1 cup
  • Milk powder - 1 tablespoon
  • Milk - 1 cup
  • Salt - as per taste 
  • Mix harbs - as per taste


Method :

  1. आलू को parboil कर लीजिए। 
  2. Corn को soft होने तक boil कर लीजिए।
  3. सभी veggies (potato, bell pepper, onion, paneer) के thick blocks काट लीजिए।
  4. एक bowl लीजिए, उसमें milk, milk powder, cheese, butter, salt सब डालकर mix कर लीजिए।
  5. अब सारी veggies, paneer और corn को इसमें डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  6. अब इसे tray में या casserole में डाल दीजिए। एक side में हाथ से तोड़कर पालक के पत्ते डाल दीजिए।
  7. 180°C में half-an-hour के लिए bake कर लीजिए।

Now your crunchy, crispy and juicy Potato Casserole is ready to serve. You can have it with toasted garlic bread or you can serve as it is, in the form of a starter.

चलिए कुछ tips and tricks भी बता देते हैं for perfect potato casserole.


Tips and Tricks :

  • आलू को Al denté होने तक ज़रूर से boil कर लीजिए। ना इससे कम, वरना आलू कच्चे रह जाएंगे ना ही इससे ज्यादा, क्योंकि ज्यादा boil होने से आलू फूट जाएंगे और अपना shape contain नहीं कर पाएंगे।
  • आलू और corn को छोड़, बाकी सभी veggies ऐसी हैं, जिन्हें slightly cook करने से ही delicious taste आता है। इसलिए ही आलू और corn को boil कर के dish में डालें।
  • आप इसमें अपने taste के according और veggies भी add कर सकते हैं, जैसे pea, cabbage, cauliflower, mint leaves, salad leaves, etc.
  • आप चाहें तो microwave and grill combination से भी इसे बना सकते हैं। उसके लिए 4 minutes or cheese melt होने तक microwave कीजिए फिर 5 minutes or browning आने तक grill कीजिए।
  • इसमें base potato है, इसलिए kids की favourite dish है।
  • आप चाहें तो potato avoid भी कर सकते हैं और उसकी जगह green veggies भी base कर सकते हैं।

Saturday, 20 May 2023

Story of Life : रिश्तों की हद (भाग -4)

 रिश्तों की हद (भाग - 1)..

रिश्तों की हद (भाग -2) और

रिश्तों की हद (भाग -3) के आगे...


रिश्तों की हद (भाग -4)



रितिका, तुमने मुझे जो आज समझाया है, ऐसा ना मैंने कभी सोचा, ना ही समझा..

मैं आज ही अपने ससुराल और मायके दोनों तरफ, सबको बता देती हूँ।

जैसे ही श्यामली ने बताया, उसके सास-ससुर तुरंत चल दिए। श्यामली के मां-पापा ने भी शाम तक चलने के लिए कह दिया।

तरुण के बड़े भाई, अरुण एक pharmaceutical company में GM थे, उन्होंंने डाक्टर से बात कर के condition की seriousness समझी, फिर श्यामली को फोन करके कहा, मैंने डाक्टर से बात कर ली है। तुम घबराना नहीं, situation, under control है। मां-पापा रात तक और मैं कल सुबह तक आ जाऊंगा। Operation कल दोपहर का plan हुआ है।

Operation के पहले दोनों परिवारों से लोग पहुंच गए थे। अरुण के बात कर लेने से doctor and hospital ने personal attention दी। Operation, sucessful रहा। 

परिवार और दोस्त सब थे। परिवार के लोगों के आने के बाद, ज्यादातर सारे काम वो लोग ही निपटा दे रहे थे। दोस्तों से कुछ कहने की जरूरत ही नहीं हो रही थी।

सब कुछ इतना smoothly हो गया कि श्यामली और तरुण का कठिन समय बहुत आसानी से कट गया। 

सबका साथ पाकर, घर में जल्दी ही खुशी की लहर दौड़ गई। श्यामली, तरुण और परिवार वाले सभी खुश थे।

श्यामली और तरुण इसलिए कि उनका कठिन समय गुजर गया था और परिवार वाले इसलिए कि उनके बच्चे उनके साथ थे।

तरुण के घर आने के बाद से, सभी दोस्तों ने धीरे धीरे आना बंद कर दिया, चार दिन बाद श्यामली के मां-पापा भी चले गए, क्योंकि श्यामली की भाभी भी job करती थी और उसके मां-पापा के पास ही बच्चे रुकते थे। एक हफ्ते बाद अरुण भैय्या भी सारी व्यवस्था बनाकर चलें गये। पर उसके सास-ससुर, तरुण के plaster खुलने से उसके चलने तक रुके रहे और बराबर से तरुण का ध्यान रखते रहे, साथ ही श्यामली का भी सभी कामों में हाथ बंटाते थे।

जब वो लोग जा रहे थे तो तरुण दुखी था पर श्यामली बहुत रो रही थी।

उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? तो वो बोली आप 

मत जाइए, अब जाकर तो मुझे समझ आया है कि मुझे कितनी अच्छी ससुराल मिली है और शादी के बाद, सबसे अपने आप के सास-ससुर ही होते हैं। 

हमें भी तुम्हारे साथ बहुत अच्छा लगा श्यामली, पर अभी हमें जाना होगा, क्योंकि तरुण की खबर सुनकर हम आनन-फानन में आ गए थे, वहां की सारी व्यवस्था ख़राब हो चुकी है।

हमें जाने दो, हम फिर आ जाएंगे, अपने बच्चों को देखे, मिले बिना किस का मन लगता है.. और तुम लोग भी आओगे तो और अच्छा लगेगा।

तरुण कुछ बोलता, उससे पहले ही श्यामली बोली, तरुण के पूरा ठीक होते ही हम आएंगे।

उन लोगों के जाने के बाद, श्यामली का मन बहुत भारी हो रहा था, तो उसने रितिका को घर बुला लिया।

रितिका के आते ही श्यामली उसके गले लग गई और बोली, रितिका मुझे तुम्हारे कारण ही पता चला कि मुझे कितनी अच्छी ससुराल मिली है और इतने सालों से मैं  कितने बड़े सुख से वंचित रह रही थी।

तुम्हारी कहीं बात को, मेरे जीवन की इस घटना ने सत्य साबित कर दिया।

सच में सभी रिश्तों की कद्र करनी चाहिए क्योंकि हर रिश्ता जरुरी है और हर रिश्ते की हद होती है, जो इसे समझ जाएगा, वो हमेशा सुखी रहेगा।

जिसके पास ससुराल, मायका और दोस्तों का प्यार और साथ हैं, उसी के दिल को पूर्णतः मिलती है।‌‌ 💓😊

कोई एक भी अगर साथ नहीं है तो दिल टूटा ही रहेगा  💔

Friday, 19 May 2023

Story of Life : रिश्तों की हद (भाग -3)

रिश्तों की हद (भाग - 1) और

रिश्तों की हद (भाग -2) के आगे..


रिश्तों की हद (भाग -3) 


कितनी खूबसूरत है यह दुनिया!

नहीं श्यामली, तुम ग़लत सोच रही हो..

क्या ग़लत? बताओ तो, क्या तुम सारे दोस्त,  हमारे अपने नहीं हो? क्या तुम हमारी जरूरत में काम नहीं आओगे? 

बिल्कुल अपने हैं, मैंने कब मना किया?

फिर भी मैं तुम से यह कहूंगी कि तुम्हारी सोच ग़लत है।

हम सारे तुम्हारे अपने हैं, पर मैं फिर repeat करुंगी, सारे!  मतलब तुम्हारा मायका, ससुराल और हम दोस्त भी...

और जिस sequence में कहा है, उसी sequence में..

सबसे पहले मायका, फिर ससुराल, फिर दोस्त... 

पर सभी रिश्तों की अपनी एक हद होती है...

मायका भी सबसे पहले इसलिए है, क्योंकि हम उनके ही ज्यादा नजदीक होते हैं और उनसे ही अपने दिल की कहने में संकोच नहीं करते हैं।

पर अगर हम अपने ससुराल वालों के साथ भी उतने ही जुड़ जाएं, जितने मायके वालों के साथ हैं तो नजदीकी उनसे भी हो जाएगी और संकोच भी ख़त्म हो जाएगा। और फिर वो ही सबसे पहले होंगे।

अब तुम कहोगी श्यामली, कि मायके वालों से जुड़ने के लिए तुमने कोई मेहनत, कोई प्रयास नहीं किया, पर यहां तो...

बिल्कुल रितिका, तुमने मेरे मन की बात बोल दी, श्यामली ने जिज्ञासा पूर्वक कहा.. 

करते हैं, हम तब भी मेहनत और प्रयास दोनों कर रहे होते हैं, और वो भी दोनों तरफ से, (हम भी और हमारे मां-पापा भी) पर तब वो इतनी slow and continuous process में चल रहा होता है कि हम समझ ही नहीं पाते हैं। दूसरा उस समय हमारे बुद्धि का विकास भी हो रहा होता है। तो सब मिलकर बहुत smoothly conditioning हो जाती है। 

जबकि जब हम ससुराल आते हैं, बुद्धि विकसित हो चुकी होती है और कम समय में ज्यादा प्रयास करने पड़ते हैं और वो भी दोनों तरफ से कोई भी करना नहीं चाहता हैं। बस इसलिए ही कभी भी दूरी नहीं पटती है और एक gape पूरी जिंदगी बना ही रहता है।

इसलिए दोनों की ही अपनी एक हद बनी रहती है।

यह तो हुई ससुराल और मायके के लोगों से बनने और ना बनने की बात...  

पर जब बात होती है, दोस्तों की, तो उनकी भी हद होती है, पर कुछ अलग..

वो तब ही ज्यादा helpful रहेंगे, जब तक नजदीकी रहेगी, फिर वो चाहे तब हो, जब आप उनके साथ एक ही पढ़ाई करते हों, या एक ही जगह job करते हो या एक ही जगह रहते हों या आपको ऐसी जगह help की जरूरत हो, जहां वो हों, और help भी ऐसी हो कि वो बहुत अधिक दिनों की ना हो... दोस्ती का रिश्ता, तो वैसे भी तब तक ही ज्यादा सशक्त होता है, जब तक नजदीकी ज्यादा रहती है। 

जबकि तुम्हें दूर की या बहुत दिनों की help चाहिए तो उसके लिए अपने means तुम्हारे अपने मां-पापा, भाई-बहन, सास-ससुर जेठ,ननद-देवर ही काम आएंगे। 

दूसरा तुम्हारी हर ख़ुशी और दुःख में दोस्त तब तक ही खड़े रहते हैं, जब तक घर से कोई ना आए, उनके आते से ही दोस्त पीछे हट जाते हैं।

पूरी जिंदगी में ना जाने कितने दोस्त बनते हैं, मिलते हैं, छूटते हैं, पर हमारे घर परिवार के लोग, सारी जिंदगी के लिए एक ही रहते हैं। इसलिए ही उनका फ़र्ज़ भी ज्यादा होता है और हक भी और हद भी... 

हर रिश्ते की अपनी हद होती है और सब उस हद तक ही सहायक होते हैं।

इसलिए दोस्त बनाओ, दोस्ती भी निभाओ, पर अपनों से रिश्ता बनाकर, उनसे जुड़े रहकर, मायके से भी और ससुराल से भी..

रितिका, तुमने मुझे जो आज समझाया है, ऐसा ना मैंने कभी सोचा, ना ही समझा..

मैं आज ही अपने ससुराल और मायके दोनों तरफ, सबको बता देती हूँ।

आगे पढ़ें, रिश्तों की हद (भाग- 4) अंतिम भाग 

Thursday, 18 May 2023

Story of Life : रिश्तों की हद (भाग -2)

रिश्तों की हद (भाग -1) के आगे...

रिश्तों की हद (भाग -2)




कौन इतना झंझट पाले?..

जरुरत में तो हम भी एक दूसरे के काम आते हैं, वो क्या यह झंझट है श्यामली, रितिका ने प्रश्न किया? 

नहीं रितिका मेरे कहने का मतलब तुम समझी नहीं...

क्या मतलब है तुम्हारा श्यामली? 

जब तक शादी नहीं होती है, तब तक ही घर और परिवार होता है। एक बार शादी हो जाए, उसके बाद तो...

उसके बाद क्या?

ससुराल वालों के लिए तो कितना ही कर लो, वो कभी अपने नहीं होते...

तुम्हारे जैसा ही अगर तरूण भी सोचे, तब तो तुम्हारा भी परिवार छूट जाएगा।

हाँ... तभी तो हम लोगों ने अब सब से मतलब रखना ही छोड़ दिया है, श्यामली ने बड़ी ही लापरवाही से कहा..

अपने मां-पापा, भाई-बहनों को भूला पाना, इतना आसान है क्या? 

वो तो हम लड़कियों को पीछे छोड़ कर आना ही होता है, कौन सा ससुराल वाले, यह पसंद करते हैं कि हम मायके से जुड़े रहें।

और जब उनसे नहीं जुड़कर रहना, तो इनसे जुड़कर क्या करना।

इनसे जुड़ो, फिर दुनिया भर के इनके नियम कानून मानों, इनके कहे जैसे, उठो-बैठो, यह सब,बस झंझट ही पालना है...

तो क्या तुम्हारे ससुराल वाले, बहुत ख़राब है?

ख़राब... वो तो मैंने कभी जानने की कोशिश ही नहीं की...

क्या?

जानकर करना ही क्या है? जब हमें उनसे कुछ मतलब ही नहीं है...

जब जरुरत पड़ेगी, तब साथ कौन देगा?

साथ देने के लिए ही तो हो, तुम सारे दोस्त.. हमारे अपने, हम जैसी सोच वाले, दुनिया के दकियानूसी नियम कानून से परे...

कितनी खूबसूरत है यह दुनिया!

नहीं श्यामली, तुम ग़लत सोच रही हो..

क्या ग़लत? बताओ तो, क्या तुम सारे दोस्त, हमारे अपने नहीं हो? क्या तुम हमारी जरूरत में काम नहीं आओगे?

आगे पढ़े रिश्तों की हद (भाग -3) में...

Wednesday, 17 May 2023

Story of Life: रिश्तों की हद

रिश्तों की हद 


श्यामली और तरुण की नई-नई शादी हुई थी। दोनों को ही एक दूसरे का साथ बेहद पसंद था।

शादी के बाद दोनों एक-दूसरे में ऐसे खोए कि दोनों को ही घर-परिवार से कोई मतलब नहीं रहता। ना किसी से मिलना, ना किसी से फोन पर बात करना। दिन भर मौज-मस्ती, बस यही ध्येय बना लिया था उन दोनों ने।

और इस बात में इजाफा तब से और ज्यादा हो गया, जबसे अपने जैसे ही दोस्त बना लिए। पहले तीज़-त्यौहार, Birthday-Anniversary में तो घर-परिवार में बात कर भी लेते थे। पर अब तो मिलना तो दूर, महीनों हो जाते थे, किसी से फोन पर बात करें हुए भी। 

पर इस बात का, श्यामली और तरुण को लेश मात्र भी दुःख नहीं था।

जिंदगी सुकून से कट भी रही थी। 

एक दिन तरुण का road accident हो गया, श्यामली और दोस्त लोग उसे लेकर अस्पताल पहुंच गए। 

Knee fracture हो गया था। Doctor ने तुरंत operation बोल दिया था। सुनकर श्यामली के हाथ-पांव फूल गए।

श्यामली की दोस्त रितिका बोली, श्यामली, तुम घर में सबको बता दो, कोई घर से आ जाएगा... 

और हाँ घबराना नहीं, उनके आने तक हम सभी दोस्त तुम्हारे साथ हैं, तुम्हें कभी अकेला नहीं लगने देंगे। 

श्यामली बोली, रितिका जब तुम लोग हो तो, किसी और की क्या जरूरत?

तुम लोगों से अच्छा हमारे लिए क्या कोई और होगा? 

फिर हमारी सोच भी मिलती है। हम कितने sort and cool हैं... कौन उन लोगों को बुला कर झंझट ले। फिर आज वो आएंगे तो कल उनको जब जरुरत हो, तो उनके में हमें जाना होगा... 

कौन इतना झंझट पाले?..

जरुरत में तो हम भी एक दूसरे के काम आते हैं, वो क्या यह झंझट है श्यामली, रितिका ने प्रश्न किया? 

नहीं रितिका मेरे कहने का मतलब तुम समझी नहीं...

क्या मतलब है तुम्हारा श्यामली?

आगे पढ़ें, रिश्तों की हद (भाग -2) में..

Tuesday, 16 May 2023

Short story: सुकून

सुकून



रवि का मन, आज कुछ खिन्न सा था, राधा ने मिलने का वादा किया था, पर ना जाने क्यों नहीं आई थी, फिर फोन भी तो नहीं उठा रही थी कि ना आने की वजह पता चलती...

सड़क पर अपनी ही धुन में सुस्त सा चला जा रहा था, कि सामने से एक कार बड़ी तेजी से उसके पास आकर रुकी।

उसमें से बहुत शोर मचाते हुए, तीन लड़के और एक लड़की बाहर निकली। 

ऐ राधा...

राधा!.. नाम सुनते ही जैसे रवि अपनी तंद्रा से जागा.. 

पर यह उसकी राधा नहीं थी..

Actually, उनमें से एक लड़के का Birthday था, इसलिए ही बाकी दोस्तों जोश में जश्न मनाते हुए खुश हो रहे थे। 

सड़क किनारे कुछ गरीब बच्चे सो रहे थे, उस शोर से वो उठ गए।

वहीं सड़क पर ही मस्ती में उन लोगों ने cake, cut किया और लगे सब Birthday boy के मुंह में केक मलने, फिर उसके कपड़े में केक मल रहे थे। 

केक मलना, ख़त्म हुआ तो सब एक दूसरे पर केक फेंकने लगे, इस तरह से पूरे एक किलो केक को उन लोगों ने बर्बाद कर दिया। 

फिर जिस तरह से वो शोर-शराबा करते हुए आए थे, वैसे ही चले भी गए। 

सड़क पर ना जाने कितना केक बिखरा पड़ा था और पसरी हुई थी बच्चों के चेहरे पर मायूसी, साथ ही केक को देखकर उनके मुंह में आया पानी, जिसे वो गरीबी और बेबसी का कड़वा घूंट समझकर पी गए थे। 

रवि वहीं खड़ा सब देख रहा था, यह दुखदाई दृश्य देखकर उसके अंदर कुछ टूट गया और कुछ टूटन...

कुछ देर बाद, वो उन बच्चों के पास खड़ा था, अपने हाथ में कुछ लिया हुआ। उसको अपने नजदीक खड़ा देखकर बच्चे फिर से जाग गये।

उसने बोला, आज मेरा Birthday है, क्या तुम लोग मेरी केक पार्टी में शामिल होंगे?

बच्चे एक दूसरे का मुंह देख रहे थे, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वो केक पार्टी में शामिल हो सकते हैं। साथ ही अभी थोड़ी देर पहले हुई केक बर्बादी पार्टी का वो हिस्सा भी नहीं बनना चाह रहे थे।

बच्चों की भूख, मायूसी, डर और दुःख को रवि ने भांप लिया, उनका दिल रखते हुए उसने बात बनाई और बच्चों से कहा, अरे यह वो वाला केक नहीं है, जो तुम लोगों ने अभी देखा था, वो तो ख़राब था, इसलिए ही तो वो लोग फेंक गए।

इसके साथ ही वो बच्चों के पास बैठ गया, उसने केक का डिब्बा खोल दिया। 

केक और उसकी खुशबू से बच्चे और ललचाने लगे, पर कदम आगे बढ़ाने के असमंजस में वो अभी भी वहीं खड़े थे। 

रवि ने हंसते हुए, बड़े प्यार से कहा, बच्चों मेरे पेट में चूहे धमा-चौकड़ी कर रहे हैं, तुम लोग जल्दी से मेरे पास नहीं आए तो मैं सारा केक खा जाऊंगा। 

रवि का इतना कहना था कि बच्चों ने उसे घेर लिया। रवि ने केक काटा और सारे बच्चों में केक बांट दिया।

वो बच्चे, ऐसे केक खा रहे थे, मानो उन्हें ऐसा कुछ मिल गया हो, जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी।

उनके चेहरे की खुशी, देखते ही बनती थी। उनकी उस खुशी को देखकर रवि को आत्मिक शांति मिली। 

उसके इस झूठ-मूठ की Birthday ने उसे असीम सुख प्रदान किया। उसके मन की खिन्नता जाती रही, और जो टूटन थी...वो जैसे कहीं जुड़ सी गई थी...

उसने अपने आप से वादा किया कि अब से अपनी सारी Birthday, ऐसे ही लोगों के साथ celebrate किया करेगा, जिन्हें ऐसी अच्छी चीजें खाने को नहीं मिलती।

साथ ही जब भी दुःखी होगा, इन बच्चों की हसरतें पूरी करने आ जाएगा, जो उसे बहुत सुकून देगी।

वो, बच्चों से फिर मिलने का वादा करके, वहां से चला गया। बच्चे बहुत प्यार और कृतज्ञता से रवि को जाते हुए ऐसे देख रहे थे, जैसे कोई फरिश्ता उनसे मिलकर जा रहा हो।

बच्चों को तृप्ति और रवि को सुकून मिल था, जो दोनों के लिए अनमोल था...

बहुमूल्य अन्न बर्बाद करने से नहीं, भूखे लोगों को खिलाने से सुकून मिलता है...

Sunday, 14 May 2023

Poem: Thank you Mother

इस Mother's day, मेरे बेटे Advay ने मुझे एक yellow envelope दिया, जिसके cover में छोटे छोटे hearts बने थे और उस envelope को खोलने के लिए एक बड़ा सा heart 💖 था। जब हमने उसे खोला तो उसने उसमें अपनी feelings को express करते हुए बहुत ही impressive Poem लिखी थी। जो मेरे दिल को छू गई। 

आज उसे ही share कर रहे हैं। 

Poem बहुत ही संवेदनशील है, एक एक शब्द को मन लगाकर पढ़िएगा, poem आपके दिल को भीतर तक छू जाएगी। 

हो सकता है, अभी तक आपके बच्चे ने express ना किया हो पर feeling उसकी भी यही होंगी और आपकी भी अपनी माँ के लिए यही होंगी... 

Advay ने अपनी cute voice में इसे recite भी किया है... 

So let's enjoy...  


Thank you Mother




Without this lady, 

The world can't be imagined. 

With this thought, 

I started writing and grinned.


She is the one,

Who joins all the families. 

She is the root, 

And we are her trees.


She sacrificed and made:

The pretty world for me.

She left her passion,

So that I can laugh with glee.

 

You are the world for me,

 My dear mother.

 If you are with me,

 Then why be tense and bother. 


You are the fuel,

To this brand new car. 

You forgot your dreams,

And made me a superstar. 


You helped me

Overcome my tremendous fear. 

I am the motorcycle

And you're my full speed gear. 


Thank you mother;

For doing such a great job. 

Thank you mother; 


For being my joy's doorknob.

Thank you mother;

For giving me a joyful birth. 

Thank you mother;

For making my life worth. 




पसंद आने पर, अपने thoughts, comment box में जरुर लिखिएगा। Your words are precious for us.

Thank you 



Happy mother's day to all Sweet and Beautiful Mothers 💖

Saturday, 13 May 2023

Article : क्यों निर्धारित हो एक दिन

क्यों निर्धारित हो एक दिन 


Mother's day, father's day, daughter's day, valentine's day etc... 

बहुत से special days, decide कर दिए गए हैं, जिनमें days से related, celebration किए जाते हैं.. 

कुछ लोगों का कहना रहता है, क्या आवश्यकता है इस तरह से एक दिन निर्धारित कर देने के?

क्या सिर्फ एक दिन ही इनसे जुड़े प्रेम को अभिव्यक्त करने के होने चाहिए? यह तो रोज होना चाहिए, किसी दिन विशेष क्यों?

बिल्कुल रोज़ होना चाहिए, सिर्फ उस विशेष दिन नहीं..

पर एक बात बताएं, फिर यह नियम, बाकी निर्धारित किए गए दिन पर नहीं लागू होना चाहिए?

फिर त्यौहार के निर्धारित दिन क्यों? 

होली,दीवाली,राखी, ईद, मोहर्रम, क्रिसमस, ईस्टर, लोहड़ी, बैसाखी, गुरुनानक जयंती, बुद्ध जयंती, महावीर जयंती आदि ... 

इन सबको भी हम एक दिन ही निर्धारित करके celebrate करते हैं। 

फिर हमारा जन्मदिन, शादी की सालगिरह, आदि का भी एक दिन निर्धारित होता है, हर साल के लिए... 

त्यौहार और यह सब भी तो आप एक विशेष दिन, विशेष तरह से ही celebrate करते हैं ना? 

क्यों नहीं हम इन्हें रोज़ celebrate कर लेते हैं?

दरअसल यह विशेष दिन इसलिए होते हैं, जिससे हमारी भागदौड़ से भरी मशीनी जिंदगी कुछ पल अलग तरह से जी ले, जो सुकून और सुख से भरें हैं..

फिर Mother's day, father's day, friendship day, valentine's day etc... के लिए विरोध क्यों?

Actually किसी एक दिन को दिन विशेष के रूप में निर्धारित करने का purpose सिर्फ इतना होता है कि आप बाकी दिन तो अपनों को स्नेह और साथ दें ही, पर दिन विशेष को पूर्णतया उन पर समर्पित कर दें।

उनके त्याग के लिए, उनके आशीर्वाद के लिए, उनके स्नेह के लिए, उनके सानिध्य के लिए, सबसे बड़ी बात उनके unconditional support के लिए...

अगर आप ने ऐसा किया तो, क्या बड़ा किया? और क्यों नहीं करना चाहिए? इतना तो वो deserve करता ही है जो हमसे किसी भी रिश्ते से जुड़ा है... 

ग़लत यह नहीं है, इनके लिए विशेष दिन क्यों? ग़लत है होड़ करना, कि फलां व्यक्ति इस दिन विशेष को कितना विशेष तरह से, बहुत सारा खर्चा करके celebrate कर रहा है। तो हमें भी वैसा ही करना है...

क्योंकि इन विशेष दिन को निर्धारित करने का purpose ही यह था कि उस पूरे दिन को अपनों के लिए समर्पित कर दिया जाए, पर उसका बाजारीकरण ना किया जाए...

उसको विशेष तरह से मनाने के लिए कलह नहीं किया जाए, जिसके पास जितना धन, समय या सामर्थ्य है उसका ही प्रयोग करके जो best हो वो किया जाए। बस हो ऐसा की, जिसके लिए किया जाए, उसे special feel हो। 

साथ ही जिसके लिए किया जा रहा है, वो भी हद से ज्यादा की इच्छा ना करें, ना ही करने वाले को, किसी भी तरह की हीन भावना से ग्रस्त कराएं ,कि क्या बेकार सा किया है...

सबसे बड़ी बात यह होती है कि आप उसके लिए विशेष हैं और वो आप को खुश रखना चाहता है। 

कल Mother's day है और 18 June को Father's day, अपने माँ-पापा के संग, इन दिनों को खुशियों से भर दीजिए। उन्हें अपना भरपूर समय दीजिए, उनके लिए खुशियों से भरा यादगार दिन बना दीजिएगा 🙏🏻

जब हो बाकी दिन, daughter's day, valentine's day, women's day, children day तब वो दिन भी जिसका दिन है, उसके लिए खुशनुमा और यादगार बना दीजिएगा 😊

हर दिन को भरपूर जीएं, विशेष दिन को विशेष तरह से जिएं। मत पड़े इस विवाद में कि क्या होना चाहिए और क्यों होना चाहिए बस जिंदगी भरपूर जीएं... 


चंद हसीं लम्हों से 

जिंदगी संवार लें

दो पल की जिंदगी है 

तेरे क्या और क्यों में 

कहीं जिंदगी की

शाम ना हो जाए...


खुश रहें, खुश रखें, बस यही जिंदगी है...

Tips : Home Remedies for Skin Allergy

अभी कुछ दिन पहले मेरी एक friend की request आई कि उसे skin allergy हो गई है तो उससे related कुछ home remedies बता दें। 

सोचा, उसको बता रहे हैं तो आप सबको भी बता दें, इसलिए आज वही share कर रहे हैं। 

Home remedies बताने से पहले आपको बता दें कि Skin Allergy के mostly symptoms क्या होते हैं:

  • Allergy होने से skin में redness आ सकती है।
  • Red दाने निकल सकते हैं।
  • खुजली हो सकती है।
  • ऐसा भी हो सकता है कि खुजली ना हो।
  • दर्द हो सकता है। 
  • ऐसा भी हो सकता है कि दर्द ना हो।

Allopathic treatment में Allergy होने से avil tablet ही suggest की जाती है। पर tablet आप doctor के prescribe करने पर ही लीजिए। 

Cosmetics में Vicco turmeric cream भी एक अच्छा option है।

अब home remedies की बात करते हैं तो, home remedies हमेशा से ही भारतीय घरों का हिस्‍सा रही हैं। पेट में दर्द हो या फिर कहीं चोट-खरोंच लग गई हो, घर वाले doctor के पास जाने से पहले home remedies try करने की नसीहत देंगे। इन घरेलू उपचारों में काफी दम होता है, इसलिए यह skin में होने वाली छोटी-मोटी allergy को भी ठीक कर सकते हैं।

Skin Allergy आज-कल हर किसी के लिए समस्या बनी हुई है। कभी किसी खाने के चलते तो कभी किसी cream or cosmetic के चलते हो जाती है। जो कई बार चेहरे और शरीर पर कई तरह के निशान भी छोड़ जाती है। Skin Allergy, food allergy से काफी different होती है और काफी परेशान भी करती है। 

कुछ Allergy पुरानी होती हैं, जिन्हें दवाओं से ही दूर किया जा सकता है। लेकिन, अगर आपको कुछ हल्की allergy है, तो कुछ शानदार घरेलू उपचारों के जरिए इससे आसानी से निपटा जा सकता है।

चलिए जान लेते हैं, उन Home remedies को...

Home Remedies for Skin Allergy 




Tea tree oil :

Tea tree oil मुंहासों और pimples से छुटकारा पाने का बेहतरीन तरीका है। Skin allergy में भी Tea tree oil काफी helpful होता है। इसमें antimicrobial and anti-inflammatory properties होती हैं, जो कई तरह की skin allergy से छुटकारा दिलाती हैं। Skin में होने वाली redness and itching से छुटकारा पाने के लिए Tea tree oil एक better option है। 


Apple cider vinegar :

Apple cider vinegar को normally लोग weight loss करने और digestion related problems को दूर करने के लिए use करते हैं। लेकिन, यह सिर्फ weight loss करने या digestion को ठीक करने में ही नहीं, बल्कि शानदार skin care agent भी है। इसमें acetic acid होता है जो त्वचा में होने वाली खुजली और allergy के effect को कम करता है। हालांकि, sensitive skin पर इसके इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती है। 

एक cup गर्म पानी में एक tbsp. Vinegar मिलाएं और फिर इस solution में रूई को डुबाकर, allergy वाली जगह पर लगाएं। जब solution सूख जाए तो इसे ठंडे पानी से धो लीजिए। यह process, दिन में दो बार दोहराएं।


Coconut oil :

Coconut oil, skin care के लिए सबसे बेहतरीन तेल है। इसमें moisturizing properties होते हैं जो allergy होने की स्थिति में skin को protect करता है। यही नहीं, नारियल का तेल allergy के कारण होने वाली खुजली को भी कम करता है।

Coconut oil को हल्का गुनगुना कर लें, अब इसे allergy वाली जगह पर लगाएं पर rub ना करें। फिर oil को absorb हो जाने दें। यह process, दिन में तीन से चार बार repeat कर सकते हैं। 

Coconut oil, food grade वाला, ज्यादा effective रहता है।


Aloe vera :

Aloe vera के medicinal property से हम सभी वाकिफ हैं। Aloe vera को कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग juice के तौर पर भी इसका इस्तेमाल करते हैं। Skin allergy से छुटकारा पाने का भी यह सबसे बेहतरीन उपाय है। अगर आपको allergy के कारण शरीर में खुजली और त्वचा के सूखने की समस्या हो रही है तो एलोवेरा के औषधीय गुणों से जल्दी ही जलन और खुजली से राहत मिलती है।

Fresh aloe vera, हो तो वही अच्छा है, वरना gel, use कर सकते हैं। 30 to 40 min. के लिए लगाकर wash कर लीजिए।


Honey :

Honey भी skin allergy को ठीक करने में बहुत फायदेमंद है, इसे medicinal properties भी मानी जाता है।

जहां-जहां भी दाने हों, उन पर शहद लगा दें। 20 to 30 min. के लिए लगाकर, wash कर लीजिए। 3 to 4 days में allergy ठीक हो जाएगी।


Olive oil :

Olive oil, vitamin e का rich source है। Olive oil को दाने में लगाने से 3 to 4 days Allergy से relief आ जाएगा।

रात में Olive oil लगाकर सोने से ज्यादा अच्छा effect आएगा। 


Sandalwood oil :

Sandalwood powder or sandalwood oil भी बहुत अच्छा option है। 

इससे भी मिलने वाली ठंडक, allergy, remove करने में helpful होती है।

आप चाहें तो, चंदन पाउडर और मुल्तानी मिट्टी मिलाकर पेस्ट बनाकर भी allergy की जगह apply कर सकते हैं। यह भी बहुत कारगर उपाय है। 


Note: Allergy होने पर धूप में निकलना avoid करें। ठंडा-गर्म होने से, allergy problem increases हो जाती है। 


Disclaimer: यह सभी home remedies, वैसे तो कारगर है, पर अगर आप की skin बहुत sensitive है तो doctor की सलाह से ही treatment लीजिए।

Wednesday, 10 May 2023

Memories : वो दिन

वो दिन  


कल गाज़ियाबाद में निकाय का election होना है, इसलिए अलग अलग पार्टी के नेता अपने चुनाव का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

सभी नेताओं के आदमी, लाउडस्पीकर ले, जीप में बैठ कर उनके नाम व उनके चुनाव चिह्न के विषय में सबको बताते हुए जा रहे थे।

उनके प्रचार प्रसार को देखकर, हम पहुंच गए अपने बचपन में...

तो इस बात का किस्सा कुछ यूं है कि..

हमारे पापा जी,  Allahabad (Prayagraj)  University से PhD करने आए थे।

इलाहाबाद में ही हमारा ननिहाल है, तो हम लोग वहीं रह रहे थे।

नाना जी का घर, allahabad university के science department के एकदम पास है। 

और जैसा कि आप सब जानते हैं कि Allahabad University, नेताओं की जन्मस्थली या गण है। दूसरे शब्दों में कहें तो allahabad university की सरजमीं से बहुत से नेताओं का उद्भव हुआ है।

तो बस आए दिन चुनाव के प्रचार प्रसार होते ही रहते थे। पर उन दिनों के प्रचार-प्रसार ही अलग थे।

निकलते तो वो लोग भी जीप में या ट्रक में होते थे, पर उनमें एक खासियत थी। 

वो लोग जब सड़क से गुजरते थे तो वो 5 or 10 रुपए के नोट के जैसे बहुत सारे रंगीन कागज़ उड़ाया करते थे।

वो कागज़, पीले, गुलाबी, हरे, नीले बहुत से रंगों के light shade के होते थे। 

जिसमें बहुत भीनी-भीनी, और तेज खुशबू होती थी। यह खुशबू, हर कागज़ में अलग तरह की होती थी। 

उस कागज़ में नेता का नाम और उसका चिन्ह अंकित रहता था, फिर भी कागज़ के रंग और खुशबू से‌ भी यह निर्धारित रहता था कि फलां कागज़, फलां नेता का है। 

पर हम बच्चे, हमें क्या कि कौन से नेता का कौन सा कागज़ है। 

अब आप कहेंगे कि, तो इस याद का जिक्र क्यों? 

क्योंकि हमें इससे बात से तो कोई मतलब नहीं रहता था, कि किस नेता का कौन से रंग का कागज़ का टुकड़ा है। पर कागज़ के टुकड़े!..

उन कागज़ के टुकड़ों के तो हम सब दीवाने थे। जैसे ही प्रचार प्रसार की आवाज़ आती, हम सब बच्चे दौड़कर घर से बाहर होते थे।

क्योंकि हमें वो कागज़ के टुकड़े चाहिए होते थे, वो भी ज़मीन में गिरने से पहले...

तो बस, वो लोग उड़ाते थे और हम लोग लपकते थे। वो एक बार में ही 50-60 के करीब कागज़ के टुकड़े उड़ा दिया करते थे और उनमें से 5- 10 हमारे हाथ लग जाया करते थे। बाकी जमीन पर गिर जाया करते थे, जिन्हें कुछ और लोग उठा लिया करते थे।

पुष्पा में तो यह dailog बहुत बाद में आया, पर हमारा तो बचपन से ही यही उसूल था " झुकेगा नहीं...

अब आप को बताते हैं कि आखिर क्यों था, इतना craze, उन रंगीन कागज़ के टुकड़ों का? 

जब हम छोटे थे तब, हम सभी बच्चों को अपनी कापियों में बहुत कुछ रखने का बड़ा शौक हुआ करता था। शायद आप को भी याद होगा, अपने बचपन का वो शौक...

उन दिनों चिड़ियों के रंगीन पंख अगर मिल जाते थे, तो उनका तो कहना ही क्या... उनको हम विद्या कहते थे और बहुत जतन से रखते थे, याद आया?..

हाँ तो, उन रंगीन कागज़ के खुशबूदार टुकड़े, हम लोग अपनी कापियों में ही रखते थे। इस बात का विशेष ध्यान रखकर कि, एक काॅपी में, एक ही तरह के खुशबू के कागज़ रखें।

उससे होता यह था कि हमारी सारी कापियां अलग-अलग खुशबू से महकती थीं। 

जब हम स्कूल जाते थे तो जिन बच्चों के घर की तरफ यह कागज़ नहीं उड़ाए जाते थे, वो हमारी खुशबूदार कापियों की बहुत तारीफ करते, तो हमें उससे बहुत गर्वानुभूति होती थी।

आज भी बहुत याद आते हैं, वो दिन... रंगीन और खुशबूदार, खुबसूरत बचपन के वो दिन...

आपको भी याद आ गए होंगे, अपने बचपन के रंगीन और खुबसूरत वो दिन...

याद आ गये ना?

Tuesday, 9 May 2023

Article : बड़ा मंगल

 बड़ा मंगल  



ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सभी मंगल की लखनऊ में अलग ही विशेषता है। इस मास में पड़ने वाले सभी मंगल को बड़ा मंगल कहते हैं। इन सभी मंगल में पूरे शहर में, अलग ही धूम रहती है, अलग ही रौनक रहती है। 

क्या शहर, क्या मंदिर, क्या गली, क्या कोई घर, हर एक जगह आपको, घंटे-घड़ियाल, पूजा-पाठ, भंडारे देखने और सुनने को मिलेंगे।

इन दिनों एक अलग सी शांति, एक अलग सी शक्ति मिलती है। 

बड़ा मंगल, ऐसे विशेष मंगल जो विशिष्ट है, अलग है, सिद्ध हैं। 

पर क्यों? 

ऐसी क्या विशेषता है? और क्या है बड़ा मंगल? 

हिन्दू धर्म में, प्रकृति से जुड़े सभी, महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। फिर वो चाहे सूर्य हो चंद्र हो, नदी हो, , पर्वत हों, वृक्ष हो, या वो दिन ही क्यों ना...हर एक का विशेष स्थान है।

सनातन धर्म में प्रत्येक दिन विशिष्ट देवता को समर्पित होता है। सोमवार महादेव को, मंगल बजरंगबली को, बुध गणेशजी को, बृहस्पति श्रीहरि को, शुक्र माता रानी को, शनिवार शनि देव को और रविवार सूर्य देव को समर्पित है।

जैसा कि सबको विदित ही है कि मंगल का दिन, संकट मोचन हनुमान जी को समर्पित है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। 

पर सभी मंगल में, ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को विशेष माना गया हैं। इसलिए इसे बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। 

इस साल मई महीने में 4 बड़ा मंगल पड़ रहा है। जिसमें प्रथम बड़ा मंगल आज 9 मई को है। यह चारों बुढ़वा मंगलवार बजरंगबली को समर्पित करने के लिए अधिक विशेष हैं।

जानते हैं, क्यों कहते हैं ज्येष्ठ मास के मंगल को बड़ा मंगल

बड़ा मंगल 

हिन्दू धर्म में त्रेतायुग और द्वापरयुग का विशेष महत्व है, और बड़ा मंगल, दोनों युगों से जुड़ा है।

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगलवार को बुढ़वा मंगल या फिर बड़ा मंगल कहे जाने के पीछे दो धार्मिक कथा का जिक्र मिलता है।

मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास के मंगलवार को भगवान हनुमान पहली बार भगवान श्री राम से मिले थे।

जिस देवता को समर्पित है मंगल, जब उस देवता के लिए ही, यह दिन बड़ा है, जिसमें वो अपने ईष्ट देव से मिले हों, तो वो मंगल तो बड़ा मंगल हुआ ना? इसलिए तब से, इस महीने के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल के नाम से जाना जाता है। 

वहीं महाभारत काल में भी इस ज्येष्ठ मास के मंगलवार को बजरंगबली ने बूढ़े वानर का रूप धारण करके भीम के अभिमान को दूर किया था, तभी से इस मंगल को बुढ़वा मंगल कहा जाने लगा। 

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बड़ा मंगल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और माना जाता है कि इसकी शुरुआत भी यहीं से हुई थी। इस पावन पर्व पर बड़ी विधि-विधान से बजरंगी की पूजा का विधान है। 

अब जान लेते हैं कि इस बड़ा मंगल का महत्व क्या है।

महत्व

मान्यता है कि इस दिन बजरंगबली को चोला चढ़ाने, दान पुण्य करने से हर तरह की बाधा दूर हो जाती है। हनुमान जी को चिरंजीवी कहा जाता है, बड़ा मंगल के दिन भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ उन्हें याद करता है तो वे उसे बचाने के लिए दौड़े चले आते हैं। आर्थिक, मानसिक और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए इस दिन संकटमोचन की व्रत-पूजा अचूक मानी गई है। 

बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा करने वाले लोगों की रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा-पाठ करने से भक्तों के दुख-दर्द तो दूर होते ही हैं, साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। बड़ा मंगल को बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। 

इस दिन, हनुमान मंदिर में जाएं और हनुमान जी के दर्शन करें। हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ करें।

लाल रंग का पुष्प, लाल रंग के वस्त्र, लाल रंग के फल, बूंदी, सिंदूर आदि चढ़ाएं। 

अगर आप लखनऊ में हैं तो कोशिश करें कि हनुमान सेतु मंदिर अवश्य जाएं। यहां के मंदिर की विशेष मान्यता है 🙏🏻🙏🏻

आप सभी को ज्येष्ठ मास के प्रथम बड़ा मंगल पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐 

संकटमोचन, हम सब के संकट हरे, और अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें🙏🏻🙏🏻

Monday, 8 May 2023

Short story: शोर

 शोर  



रुपल, क्या कर रहे हो बेटा?

माँ, क्रिकेट खेल रहा हूं।

आय हाय! बड़ी मुश्किल से नींबू का अचार डाला है, बरनी कहीं फूट ना जाए...

रिशिता, देखो ना, वहां से बरनी उठा लाओ, वरना आज अचार डाला है और आज ही मिट्टी में मिल जाएगा...

माँ, वो खेल रहा है ना, उसी से बोल दीजिए...

अरे मेरी रानी बिटिया! उसके गंदे हाथ हैं, उससे कैसे उठवा लूं बरनी? तू ही जा ना ... 

क्या माँ! आप हमेशा यही करती हैं... रिशिता भुनभुनाती हुई जाने लगी‌...

झनाक!... 

हाय रे! तोड़ डाला रे... रुपल, तू कब सुधरेगा? सब बर्बाद कर दिया, मेरी मेहनत का तो तूने कभी मोल समझा नहीं, फिर कितनी मुश्किलों से रामू काका ने, गांव से कागज़ी नींबू मंगाएं थे, उनका ही मोल समझ लेता...

माँ, बड़बड़ाती रही, पर रुपल पर इस का लेश मात्र भी असर नहीं पड़ा।

हर दूसरे दिन माँ बच्चों पर चिल्लाती रहतीं, कभी चादर बर्बाद करने के लिए, कभी पर्दा पकड़कर झूलने के लिए, कभी टूट-फूट के लिए, कभी पूरे घर को अस्त-व्यस्त करने के लिए तो कभी धमा-चौकड़ी और आपसी लड़ाई के लिए...

माँ का कहना- चिल्लाना, बच्चों पर क्षण भर ही असर डालता, और फिर थोड़ी देर बाद वही, बच्चों की मस्ती और मां की रोक-टोक.... 

बस ऐसे ही दिन कट रहे थे।

रिशिता के 11th में आने से बच्चों के झगड़े थोड़े कम हो गए थे, क्योंकि रिशिता को पढ़ाई से ही फुर्सत नहीं थी।फिर उसका engineering में selection हो गया और वो दूसरे शहर चली गई।

रिशिता के जाने और रुपल के 11th में आ जाने से झगड़े तो पूरे ही बंद हो गए, पर चादर बर्बाद करना, कमरा अस्त-व्यस्त होना अभी भी बरकरार था और माँ का टोकना भी...

पर रुपल के भी engineering में selection के बाद तो घर में जैसे जान ही नहीं बची।

चादर, पर्दे, कमरा, सब व्यवस्थित, ना कोई शोर-शराबा, ना कोई टूट-फूट, ना मां का कहना- चिल्लाना, सब एकदम शांत या यूं कहें वीरान हो गया था सब कुछ...

सब व्यवस्थित था, नहीं था तो, बस माँ का मन..

उसके कान अब बच्चों का शोर सुनने को तरस जाते थे...

बच्चों को थोड़ा धमा-चौकड़ी और शोर भी मचाने देना चाहिए, क्योंकि यही ज़िंदगी है, यही यादें...

एक बार, यह पल गुज़र जाते हैं तो जिंदगी में वीराना ही रह जाता है।

Friday, 5 May 2023

Article: Hospital - A whole world

 अस्पताल - एक दुनिया  


अपने backache के कारण, hospital आना हुआ... 

अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि hospital में एक announcement हुई, जिसमें उन्होंने blue alert की बात कही और उसके साथ ही पूरे hospital के इस portion में भगदड़ सी मच गई, जहां हम बैठे, doctor का wait कर रहे थे।

Hospital staff इस ओर से ही दौड़ते हुए जा रहे थे। जहां वे सब इकठ्ठा हो रहे थे, उस ओर से बहुत तेज कुछ लोगों के रोने की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी। रोने की आवाज़ और staff को दौड़ता देख, वहां बैठे हम सब भी उस ओर चल दिए, क्योंकि blue alert क्या mean करता था, वो किसी को समझ नहीं आया था। 

थोड़ी देर देखने पर पता चला कि किसी patient की death हो गई थी और उसके family members, इस बात से दुखी होकर रो रहे थे। उन्हीं में से एक बेहोश होकर गिर भी गया था। जिस कारण से blue alert किया गया था।

थोड़ी देर तक सब family members को सम्हालते रहे, कुछ लोग सांत्वना भी दे रहे थे। फिर उस patient के घर वालों में से कुछ घर चले गए, कुछ formalities पूरी करने चले गए।

Hospital का माहौल यथावत हो गया, सभी अपनी अपनी परेशानियों से परेशान अपने-अपने doctor का wait करने लगे।

थोड़ी देर और समय बीता, और हर तरफ खुशियों की लहर दौड़ गई। एक family को सालों बाद संतान प्राप्ति का सुख मिला था। उनके family members खुशी से झूम रहे थे। सब उन्हें बधाई दे रहे थे। कुछ मिठाई खिलाने की बात भी कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद फिर सब यथावत, सब अपनी-अपनी उलझन में व्यस्त...

कुछ दर्द से कराह रहे थे, किसी के fracture था, किसी के plaster, वहीं कोई fever से तड़प रहा था, किसी के खून बह रहा था, तो कोई किसी अन्य परेशानी, आदि से परेशान था... Hospital था तो बहुत से लोग परेशानी में होंगे ही...

पर कुछ लोग बहुत प्रसन्न भी थे, वो लोग जो पूर्णतया ठीक होकर hospital से निकल रहे थे साथ ही उनके family members भी और वो भी जिनके घर किलकारी गूंजी थी...

वहीं कुछ लोग एकदम शांत भी थे, जबकि वो भी अपनी दर्द और परेशानियों से जूझ रहे थे। वे शायद ऐसे लोग थे, जो बहुत संयमी और सहनशील थे। जो यह जानते थे कि problem आई है तो दर्द तो सहना ही पड़ेगा। पर यह समय कुछ पल बाद गुज़र जाएगा।

एक साथ, कुछ ही पलों में जन्म-मरण, सुख-दुख, कष्ट और निवारण सब देख लिया और साथ ही यह भी देख लिया कि हर क्षण कुछ पल का ही है। सुख या दुःख, कुछ क्षण ही अपना प्रभाव डालता है, फिर समय के साथ सब यथावत हो जाता है।

उन पलों को जी कर लगा, यही तो जिंदगी भी है, बिल्कुल ऐसी ही...

जहां जन्म-मरण, सुख-दुःख, कष्ट और उसके निवारण सब कुछ ही तो है, सबको अपने-अपने दुःख कष्ट परेशानियां सब झेलनी है, जैसे खुशी, सुख, सफलता का भोग भी खुद ही करते हैं।

साथ ही सुख आए या दुःख, कुछ समय पश्चात् जिंदगी यथावत हो जाती है। 

शायद आगे आने वाले पलों के लिए या शायद इसलिए यथावत हो जाती है, जिससे जिंदगी एक जगह थम कर ना रह जाए, आगे बढ़ती जाए।

एक नदी की तरह, जिसका जल, पल प्रति पल बहता रहता है। 

आपको पता है, तालाब से नदी को ज्यादा श्रेष्ठ माना जाता है।

जानते हैं क्यों? क्योंकि नदी का जल प्रति पल बहता रहता है, तालाब की तरह ठहरा हुआ नहीं है।

एक बच्चा जब पहला कदम रखता है तो वो और पूरा परिवार बहुत खुश होते हैं। लेकिन अगर उस खुशी को समेट कर रख लिया जाए, या यह सोचकर कि आज पहला कदम रखा है, कल को चलने लगेगा, उसके बाद दौड़ने लगेगा, दौड़ेगा तो गिरेगा भी... तो यह ना गिरे, इसके लिए उसे दूसरा कदम रखने ही ना दें, तो यह ठहराव कहां तक उचित है?

ऐसे ही बच्चा अगर एक बार गिर जाए, तो इस दुःख में, कि अब इसे चलने ही नहीं देंगे तो गिरेगा भी नहीं, तो भी यह ठहराव कहां तक उचित है? 

दोनों ही सूरत में बच्चे का चलना रोक देना, जीवन को निष्क्रिय कर देना है। चलना, दौड़ना, गिरना, गिरकर उठना फिर चलना, दौड़ना, यही जिंदगी है।

ऐसे ही बहुत बड़े दुःख या सुख के साथ ठहराव, जिंदगी को ख़त्म कर देता है। इसलिए मत रोकिए, इस जीवन को, सब यथावत चलने दीजिए। 

आप को जब भी लगे कि आप सबसे ज्यादा दुखी हैं या हिम्मत जवाब दे जाए कि अब कुछ नहीं हो सकता, तो एक बार hospital जरूर से जाइए, और वहां हो रहे क्रिया कलापों को जीने की कोशिश कीजिएगा... 

एक hospital आप के अंदर नयी स्फूर्ति भर देगा...

hospital, एक सम्पूर्ण जिंदगी है, जहां आपको जिंदगी को समझने और यथावत चलाने की प्रेरणा मिलेगी।

वैसे ही जैसे hospital में हो रहा होता है, कुछ भी घटना होने के पश्चात्, क्षण भर रुकना, फिर सब यथावत हो जाना..


Disclaimer  : यह article किसी विशेष व्यक्ति या घटना को ध्यान में रखकर नहीं लिखा है। यह hospital में बीते हुए कुछ पलों का अनुभव है जो share किया है..

Wednesday, 3 May 2023

Recipe: Maggi Bhel

आज कल रोज़ बारिश हो रही है, जिससे गर्मी के मौसम में भी ठंडी का मौसम बना हुआ है,  ऐसे में कुछ गर्मागर्म, चटपटा खाने को मिल जाए तो क्या बात है...

इसलिए आज हम आप लोगों के लिए एक fusion recipe लेकर आए हैं, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको ही बहुत पसंद आएगी...

यहां हमने जिन दो dishes का fusion किया है, वो जितनी अलग-अलग tasty लगती है, fusion होकर भी उतनी ही tasty लगती है।

हम बात कर रहे हैं Maggi Bhel की .. 

Maggi और भेलपूरी तो अपने आप में complete हैं तो फिर fusion की क्या ज़रूरत... यही सोच रहें होंगे ना आप? 

तो हम आप को बता दें कि, हम best out of waste बना रहे हैं...

यह recipe, Maggi के उन छोटे-छोटे टुकड़ों से बनती है, जो Maggi से टूट टूटकर, उसके packet में इकठ्ठा हो जाते हैं, जिन्हें हम Maggi का चूरा भी कहते हैं। मैगी नूडल्स को बनाते समय चूरा मिला देने से पूरे Maggi का taste बेकार हो जाता है

तो बस इसलिए ही हम आपके लिए यह recipe लाएं हैं, जिससे आप के Maggi Noodles का taste भी अच्छा बना रहे और साथ ही tasty Maggi Bhel का लुत्फ भी उठा लें।

Maggi Bhel 


Ingredients 

Chura Maggi noodles - 1 cup 

Maggi taste maker - 1 pouch

Roasted ground nut - 1 tbsp

Sev - 1 tbsp

Onion  - 1 big

Tomato - 1 big 

Salt - as per taste

Green chillies - as per taste

Lemon juice - 1 tsp

Fresh coriander leaves - 1 tbsp


Method

  1. प्याज, टमाटर, धनिया, मिर्च सबको finely chop कर लीजिए।
  2. एक wok लीजिए।
  3. चूरा Maggi को slightly dry roasted कर लीजिए। 
  4. अब मैगी में सिर्फ़ इतना पानी डालिए कि मैगी just डूबे।
  5. इसमें मैगी मसाला का ½ pouch masala डालकर mix कर लीजिए।
  6. Wok को lid से ढक दीजिए और slow flame पर पानी सूखने तक पकाएं।
  7. अब maggi noodles में, chopped onion, tomato, green chilli and coriander leaves, lemon juice, salt, rest Maggi masala, डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  8. अब इसे, मूंगफली और सेव से garnish कीजिए। 

Now spicy, tasty, crunchy, hot Maggi Bhel is ready to serve.


बिना tips and tricks के perfect dish नहीं बन सकती है तो चलिए tips and tricks भी देख लेते हैं- 


Tips and Tricks -

  • Dry roast जरूर से कीजिए, जिससे चूरा noodles crispy हो जाए। 
  • Maggi में सिर्फ़ थोड़ा ही पानी डालें, जिससे मैगी नूडल्स पक जाए और उसमें crunch भी बना रहे।
  • अगर आप के पास, Maggi masala powder (taste maker) नहीं बचा हैं तो आप मैगी नूडल्स को पकाते समय उसमें ¼ tsp. डाल दीजिए।
  • और जब भेल बनाएं, तब इसमें, काला नमक, नमक और चाट मसाला डालकर अच्छे से mix कर लीजिए। 
  • आप चाहें तो अपने taste के according भेल में मटर, पापड़ी,  chips, corn, mixture, etc. भी मिला सकते हैं। 
  • अपने taste के according आप इसमें खट्टी मीठी चटनी भी डाल सकते हैं।
  • भेल बनाने के लिए Maggi के छोटे-छोटे टुकड़े चाहिए, अगर आप पास Maggi noodles का चूरा नहीं है, तो आप मैगी नूडल्स को तोड़कर छोटा-छोटा कर लें।
तो बस अब सोचना क्या है, बना डालिए मैगी भेल और लीजिए गर्मागर्म चटपटी dish का मज़ा 😊

Monday, 1 May 2023

Article; May Day

 May Day 



क्या है, यह May day?

यह 1 May को होता है, इसलिए इसका नाम May day या  Labor day  हैं

इसका दूसरा नाम मजदूर दिवस या श्रमिक दिवस भी है।

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह क्या है? पर यह श्रमिक दिवस के रूप में कम और मजदूर दिवस के नाम से ज्यादा प्रचलित है।

जबकि यह प्रचलित, श्रमिक दिवस के रूप में होना चाहिए।

क्योंकि मजदूर से तात्पर्य होता है कि वो जो घर, पुल इमारत आदि बनाता है। 

पर यह दिवस सभी तरह के श्रमिक वर्ग को धन्यवाद देने के लिए निर्धारित किया गया है। 

इस श्रमिक वर्ग में, वो आते हैं, जो factory में काम करते हैं, फिर वो चूड़ियां बनाने का कारखाना हो या, steel plant वाले, बिस्कुट, केक, बनाने वाले हों या साबुन शैंपू बनाने वाले हो, या mine वाले, घर, पुल, इमारत वाले हो या, सुनार, लोहार आदि का काम करने वाले हो, restaurant में काम करने वाले हो या hospital में काम करने वाले हो, आदि.. ऐसे बहुत से लोग आते हैं। 

दूसरे शब्दों में जो base work करते हैं या नींव की ईंट का काम करते हैं, जिनके काम किए बिना, कुछ भी पूरा नहीं हो सकता, पर उन्हें ना तो कभी इसका कोई श्रेय दिया जाता है ना ही अच्छा पारश्रमिक (pay) दिया जाता है, वो हैं श्रमिक...

और इसी बात को आधार बनाकर यह निर्धारित किया गया कि कम से कम, एक दिन तो ऐसा रखा जाए, जिसमें उनको धन्यवाद किया जाए, जिनके बिना जीवन संभव नहीं है।

May Day, उन सभी को धन्यवाद देने का दिवस है।

बहुत से plants में workers के लिए एक program, organised किया जाता है, जिसमें उनके लिए रंगारंग कार्यक्रम, dinner, gifts और insensitive भी दिया जाता है। ऐसा सभी organization में होना चाहिए।

May Day के उपलक्ष्य में सभी श्रमिकों को सादर नमन, साथ ही उन सभी को प्रणाम, जो इनके उज्जवल भविष्य के लिए नित नए प्रयास करते रहते हैं। 

आपको भी कहीं कंगूरे की ईंट अच्छी लगे तो एक बार नींव की ईंट पर भी ध्यान दीजिएगा और यदि उस श्रमिक का पता चले, जिसने बनाया हो, तो एक बार उसकी प्रशंसा भी अवश्य कीजियेगा। 

आपके प्ररेणा से भरे हुए शब्द, किसी को अपने जीवन की सार्थकता प्रदान करेगा।