Friday, 31 May 2019

Poem : मुझको चलते जाना है



मुझको चलते जाना है 




मंजिल मेरी दूर सही,
पर मुझको बढ़ते जाना है
अडिग मेरा है, ये फैसला;
मंजिल तो मुझको पाना है
हों कितनी भी बाधा राहों में,
ये जोश ना कम होने वाला।
रुक कर चलना, चलकर रुकना,
मंजिल मिल जाने से पहले,
यह जिस्म नहीं थकने वाला।
बाहों में भर कर फौलाद
हर हार को, मुझे हराना है
सिद्ध करुंगी, मैं भी हूं सर्वश्रेष्ठ
दुनिया को मुझे दिखाना है
सफलता पाने तक, मुझको
अनवरत चलते जाना है