Wednesday 4 May 2022

Article : North Indian movies Vs South Indian movies

North Indian movies Vs South Indian movies..


आज कल, एक नये मुद्दे पर चर्चा चल रही है, कि which movies are better? North Indian movies or South Indian movies...

और इस के साथ ही एक और व्यर्थ की चर्चा कि हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय भाषा समझा जाए या नहीं?...

पहले तो हिंदी भाषा की राष्ट्रीयता पर जो प्रश्न उठाया गया है, उस पर चर्चा कर लेते हैं...

भारत देश की स्वतंत्रता के पश्चात ही, हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकारा जाना था। पर तब यह समस्या उत्पन्न हो गई कि अभी भारत के प्रत्येक राज्य को हिंदी पूर्णतः नहीं आती है, अतः यह प्रावधान रखा गया कि कुछ समय दिया जाए, जिससे सभी हिंदी भाषा सीख लें।

उसके बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया जाएगा, तब तक के लिए क्षेत्रीय भाषाओं व English भाषा का प्रयोग, सभी तरह के कार्यों व शिक्षा के लिए किया जाए।

यह हमारे देश की त्रासदी है कि, पूरे भारत में सबने विदेशी भाषा English को ज़्यादा महत्व दिया और आज सभी जगह english भाषा को सर्वाधिक उपयोग में लाया जा रहा है और जिसे सम्मान मिलना चाहिए, उसे क्षेत्रीय भाषा बनाकर दरकिनार कर दिया गया है।

जो यह कह रहे हैं कि दक्षिण भारतीय फिल्में, उत्तर भारतीय फिल्मों से बेहतर हैं, अतः हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय भाषा नहीं समझना चाहिए, तो उनको यह समझ आना चाहिए कि फिल्म, किस भाषा की श्रेष्ठ हैं, इससे भाषा की राष्ट्रीयता सिद्ध करना, बेहद बचकाना है। अतः यह बात कहना ही पूर्णतः निराधार है।

अब बात करते हैं कि, कौन सी फिल्म श्रेष्ठ है तो उसके लिए तो यही कहना है कि, जिस भी फिल्म की कहानी श्रेष्ठ होगी, वो फिल्म श्रेष्ठ है।

जिसमें, किसी भी धर्म, संस्कृति और समाज को नीचा ना दिखाया जाए,वो फिल्म श्रेष्ठ है। जिस फिल्म को हर वर्ग के (बच्चे, जवान और वृद्ध) लोग एक साथ देख सकें, वो फिल्म श्रेष्ठ है। जिसमें दृश्य की मांग है, कहकर अश्लीलता ना दिखाई जाए, वो फिल्म श्रेष्ठ है।

अभी तीन-चार लगातार South Indian movies के hit हो जाने से किसी भी एक को श्रेष्ठ और दूसरे को निम्न श्रेणी में रखना उचित नहीं है।

दोनों ही को श्रेष्ठ फिल्मों का निर्माण करना चाहिए।

साउथ की फ़िल्में इन दिनों हर तरफ चर्चा में बनी हुई हैं। पुष्पा से शुरू हुआ यह सफ़र KGF 2 तक आ गया है। सभी फ़िल्में बेशुमार कमाई कर बड़े-बड़े रिकॉर्ड अपने नाम कर रही हैं। इसमें 3 फ़िल्में तो खास बन गई हैं जिसमें RRR भी शामिल है।

वैसे अभी इन चार South Indian movies को hit कराने में हिंदी भाषा का पूर्ण सहयोग है।

कैसे?

क्योंकि, क्या अपने कभी यह सोचा है कि यह साउथ के सितारे हिंदी तो बोल नहीं पाते हैं, या बोलते हैं तो उतना अच्छी नहीं जिससे दर्शक को फिल्म देखने में मज़ा आये और वह दीवाना हो जाए। 

तो इसके पीछे जो लोग हैं आज हम आपको उनके बारे में बताते हैं जिनकी वजह से साउथ की फ़िल्में सुपर-डुपर हिट हो रही हैं। जाहिर है किसी भी फिल्म में हीरो के dialogue और उनकी आवाज़ सुनकर, लोग उनसे प्रभावित होते हैं।

ऐसे में कई साउथ स्टार्स की हिंदी में फिल्मों की अपार सफलता के पीछे कुछ डबिंग आर्टिस्ट हैं। इनमे तो कुछ हिंदी फिल्मों के चर्चित नाम भी हैं।

ज़ाहिर है दक्षिण भारतीय फिल्मों की हिंदी डबिंग का प्रचलन शुरू होने के बाद बिहार-यूपी जैसे हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोग भी इन फिल्मों के दीवाने हो गए।

लेकिन साउथ की फिल्मों को नॉर्थ में लोकप्रिय बनाने में इन फिल्मों के हिंदी डबिंग आर्टिस्ट का भी बड़ा योगदान होता है। इन्हीं की बदौलत साउथ की फिल्में साउथ के साथ-साथ पूरे देशभर में लोकप्रिय हैं।

महेश बाबू, अल्लू अर्जुन, रामचरण और यश की आवाज समझकर आप किसे सुनते आए हैं? आपमें में से हो सकता है कुछ लोग जानते भी हों की इन साउथ फिल्मों में अभिनेता ने खुद अपनी आवाज नहीं दी है। इसके लिए डबिंग आर्टिस्ट की मदद ली गई जिन्होंने आज फिल्मों को देश भर में सुपरहिट करा दिया।

शरद केलकर

डबिंग आर्टिस्ट की बात हो और सिनेमा इतिहास की सबसे बड़ी फिल्म बाहुबली का जिक्र न हो तो कैसे हो सकता है। जी हां Bahubali में प्रभास के dialogue और उनको आवाज़ देने वाले अभिनेता शरद केलकर ही थे।

शरद की ही दमदार आवाज़ ने प्रभास के राजा वाले लुक में जान डाली थी जिसको सुनकर बिलकुल भी इस बात का अहसास नहीं हुआ था। बाद में जब इस बात का खुलासा हुआ तो लोग हैरान रह गए थे।

श्रेयस तलपड़े

इस अभिनेता और आर्टिस्ट का नाम तो भुला ही नहीं जा सकता। जी हां दुनिया भर में धूम मचाने वाले पुष्पा राज को फिल्म में श्रेयस ने ही आवाज़ दी है। मैं फ्लॉवर नहीं फायर है.. झुकेगा नहीं साला, यह डायलॉग जब आपने सुना होगा तो आपको लगा होगा कि अल्लू अर्जुन ने क्या डायलॉग मारा ।

लेकिन असल में इस दमदार आवाज़ और जादू के पीछे तो श्रेयस तलपड़े की आवाज थी। श्रेयस ने पुष्पा में अल्लू अर्जुन की आवाज़ डब की थी जो आज बच्चे बच्चे की जुबान पर चढ़ गई है।

संकेत म्हात्रे

इस लिस्ट में हम शुरुआत करते हैं उस कलाकार के नाम से जिन्होंने साउथ के कई स्टार्स को अपनी आवाज़ देने का काम किया है। जी हां संकेत म्हात्रे जो केवल साउथ की ही नहीं बल्कि हॉलीवुड फिल्मों की भी डबिंग करते हैं।

वो देश के सबसे मशहूर डबिंग आर्टिस्ट हैं। संकेत साउथ की हिंदी डबिंग फिल्मों को सबसे ज्यादा आवाज़ देते हैं। इनकी आवाज को अल्लु अर्जुन, N.T. Rama Rao Jr. और महेश बाबू की आवाज़ माना जाता है।

इनकी आवाज़ अल्लू अर्जुन पर सबसे अधिक suit करती है। यही नहीं संकेत कई एनिमेटेड फिल्मों को भी अपनी आवाज़ दे चुके हैं, संकेत ने हाल ही में आई फिल्म ‘मास्टर’ में thalapathy vijay को अपनी आवाज़ दी है।

सचिन गोले 

इसके बाद नाम आता है उस मशहूर आर्टिस्ट का जिनकी आवाज़ ने इस वक्त पूरे देश का दिल जीत रखा है। जी हां सचिन गोले जिन्होंने रॉकी भाई यश की फिल्म KGF में अपनी आवाज दी है।

यही नहीं उन्होंने कई साउथ फिल्मों को अपनी आवाज़ से सजाया है। उनकी आवाज़ सबसे अधिक KGF स्टार यश पर suit करती है।

उन्होंने यश की कई फिल्मों को अपनी आवाज दी है। इसमें सबसे चर्चित KGF है जो इन दिनों दुनिया भर में धूम मचा रही है।

ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर साउथ फिल्म की सही डबिंग न हो तो क्या दर्शक फिल्म को इतना प्यार दे पाएंगे? जाहिर है हर फिल्म के साथ यह एक महत्वपूर्ण भाग होता है और फिल्म की अपार सफलता में आवाज़ और dialogue का भी काफी अहम रोल होता है।

तो अब आप खुद अच्छे से समझ गये होंगे कि सफलता प्राप्त करने के लिए मिलजुल, एक-दूसरे को सहयोग देना होता है। 

कभी किसी को कमतर आंकने से नहीं बल्कि दूसरों को सम्मानित करने से आप सर्वश्रेष्ठ कहलाते हैं।

फिर क्या फर्क पड़ता है कि movie, North Indian हो या South Indian.

 दोनों ही india हैं, और किसी की भी सफलता India की सफलता है। हमें अगर अपने भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना है तो एक होना आवश्यक है। 

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳