Thursday, 21 November 2024

Article: बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक

पहले कभी हुआ करती थी दिन की शुरुआत मुर्गे की बांग या चिड़ियों की चहचहाहट के साथ... 

पर अब तो दिन की शुरुआत आवारा कुत्तों के भौंकने और लड़ने की आवाज से ही होती है...

ऐसा इसलिए क्योंकि, आज कल लोगों में आवारा जानवरों को लेकर बहुत अधिक दया और प्रेम भाव आ गया है, जिसके चलते आवारा कुत्ते, बिल्लियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ती जा रही है।

जिनके अंदर यह भावना बहुत बलवती है, उन्हें मेरा इस topic पर article लिखना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा होगा।

लेकिन इस article को लिखने की वजह है एक छोटी बच्ची के संग हुआ भयानक हादसा..

इस बात को बिना किसी भूमिका में बांधे हुए इस सच्ची घटना का विवरण दे रहे हैं।

यह एक ऐसी घटना है, जो दिल को दहला देती है और हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है, क्या हमारे बच्चे safe हैं? या ऐसी situation में क्या करें?

बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक  

बात है शाम की, लगभग 5- 5 :30 बजे का समय था। सड़क पर अच्छी-खासी चहल-पहल थी।

मेरा बेटा रोज़ शाम को cycling करने के लिए जाता है। तो वो उसके लिए निकला हुआ था।

उसने देखा, लगभग उसके बराबर (करीब 10-12 साल) की एक लड़की सड़क पर पैदल, अपने घर की ओर जा रही थी। 

तभी एक आवारा कुत्ता उसे परेशान करने लगा।

लड़की, martial art जानती थी। उसने अपने पैर को हवा में ज़ोर से लहराया और कुत्ते के नाक पर ज़ोर से एक kick मारी।

कुत्ता इससे पूरी तरह बिलबिला गया, पर उसने भागने के बजाए ज़ोर-ज़ोर से भौंकना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 6-8 आवारा कुत्तों का समूह आ गया। सबने लड़की को घेर लिया।

इतने कुत्तों को देखकर लड़की घबरा गई और साथ ही मेरा बेटा भी...

वो सभी कुत्ते खतरनाक रूप से लड़की की ओर आगे बढ़ने लगे। अब लड़की को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो क्या करें?

मेरे बेटे ने वहां से गुजर रहे लोगों से उसकी मदद करने को कहा, पर कोई भी ऐसा नहीं था, जो उस लड़की की मदद करता...

कुछ बेपरवाह और लापरवाह से वहां से निकल गये और कुछ कुत्तों के भयानक रूप को देखकर डर गये।

बेटा पास के थाने में जाकर मदद के लिए बोलने गया, पर जब तक वो लोग उस लड़की को बचाने पहुंचते, कुत्ते उस लड़की को बुरी तरह से घायल करके जा चुके थे।

उस लड़की को तुरंत hospital ले जाया गया, पर अब वो कैसी है? नहीं पता...

पर ऐसा दर्दनाक हादसा, जो उसके साथ हुआ, वो किसी भी बच्चे, बुजुर्ग, यहां तक किसी भी जवान मनुष्य के साथ भी हो सकता है।

और इसके जिम्मेदार कौन होंगे?

वो सभी, जो आवारा कुत्ते-बिल्लियों को बेवजह बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी बढ़ती संख्या हद से ज्यादा खतरनाक रूप ले रही है...

सोचिए जो, कुत्ते-बिल्ली पालतू होते हैं, वो साफ-सुथरे होते हैं, उनके vaccination होता है और सबसे बड़ी बात, वो नियंत्रण में रहते हैं, क्योंकि वो हमेशा chain से बंधे हुए रहते हैं। जबकि आवारा कुत्ते-बिल्लियां इसके ठीक विपरीत होते हैं।

आखिर क्यों, बेवजह बढ़ावा देना, ऐसे अनियंत्रित ख़तरे को? 

और अगर सच में आपको आवारा कुत्ते बिल्लियों से इतना स्नेह है तो लीजिए उनकी जिम्मेदारी, पर पूरी तरह से, उनकी साफ-सफाई, vaccination और नियंत्रण में रखने तक, सब कुछ...

जिम्मेदारी उठाइये कि वो व्यर्थ में लोगों को परेशान न करें। किसी को यूं न घेरे, cycle, scooter, bike, car से जा रहे लोगों को खदेड़कर, उन पर बिना वजह भौंक कर उन्हें परेशान न करे, उनके accident होने की वजह न बने...

उनके चक्कर में हम बच्चों और बुजुर्गों को unsafe नहीं कर सकते हैं।

अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो सरकार को अपील करें कि वो आवारा कुत्तों की बढ़ती हुई संख्या पर control करें, उन्हें पकड़ कर लें जाएं और बढ़ते हुए खतरनाक रूप को संभालें।

साथ ही आपको बता दें कि अगर कोई कुत्तों से घिर जाए तो उसे क्या करना चाहिए...

 

बच्चों से कहें कि वो अपने बचाव के लिए तेजी से बिल्कुल न भागें, क्योंकि सभी तरह के जानवर, किसी के भी बहुत तेजी से उनके सामने से भागने को ग़लत ही समझते हैं और न काट रहे हों तो भी काट लेते हैं।

अपने हाथ या पैर से उन्हें न मारें, वरना वो जरूर से काट लेगा। 

उसके बजाय डंडे, पत्थर या belt से मारने से बचाव की उम्मीद बढ़ जाती है 

अगर आप के पास रोशनी का कोई साधन है तो उसकी आंखों पर रोशनी डालने से भी वो भाग जाएगा।

धैर्य से, बिना डरे, शांत खड़े रहने से बचने की संभावना बढ़ जाती है। 

जहां बहुत ज्यादा कुत्ते हों, उस जगह पर जाना avoid कीजिए। क्योंकि आवारा जानवरों का कोई भरोसा नहीं होता है, वो कभी भी बहुत अधिक furious हो जाते हैं। 

आवारा जानवरों पर दया और प्रेम भाव रखिए, पर वहां तक कि उसे व्यर्थ में परेशान न करे, अकारण मारे नहीं, यदि वो घायल हैं तो उन्हें उचित लोगों तक पहुंचा दें। वो भूखे हैं तो उन्हें भोजन दे दीजिए।

पर उनकी बढ़ती हुई संख्या को बढ़ावा देना, municipality वाले पकड़ने आएं तो उनके काम में बाधा उत्पन्न करना, जैसे काम न करें। क्योंकि आवारा जानवरों का society में अनावश्यक रूप से बढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सबके लिए घातक सिद्ध होता है।

Wednesday, 20 November 2024

Article : Pollution; is Diwali responsible?

हर साल, दीपावली के आते ही, दिल्ली सरकार और so called pollution sensitive लोग, उधम मचाने लगते हैं कि पटाखे नहीं चलाने चाहिए। किसानों द्वारा पराली जलाना, बंद करना चाहिए...

उससे बहुत ज्यादा pollution हो जाता है।

पर इस साल, ban लगाने और लोगों के नाटक मचाने के बावजूद, दिल्ली में ठीक-ठाक मात्रा में पटाखे फोड़े गए। और पता है मज़े कि बात क्या है, उसके बावजूद भी pollution level control रहा।

और अब, जब कि दीपावली को गुजरे हुए 15 दिन से भी अधिक दिन बीत चुके हैं, तो pollution level, बेइंतहा बढ़ चुका है...

Pollution; is Diwali responsible?

पर क्या 15 दिन बाद, दीपावली पर फोड़े गए पटाखों का असर हो सकता है? और वो भी तब, जब दीपावली के बाद बढ़े हुए pollution level का कोई जिक्र नहीं किया गया हो...

हमारी समझ से परे है, ऐसा सोचना...

जी हां, बिल्कुल असंभव या पूरी तरह से असत्य बात कही जाएगी।

आज 15 दिन बाद polution level बढ़ने पर school, college बंद कर दिए गए हैं, online classes शुरू कर दी गई है। 

जबकि school, college, दीपावली के पांच-दिवसीय त्यौहार के बीत जाने के अगले दिन, 4 November से सब सुचारू रूप से चल रहे थे।

इस बार, इतनी देर बाद बढ़ा हुआ pollution level, बार-बार यह ही संकेत कर रहा है कि यह बात पूर्णतः सत्य है कि पटाखे फोड़ने से pollution बढ़ता है, लेकिन अत्यधिक polution level बढ़ाने में केवल वही जिम्मेदार नहीं होता है।

साथ ही यह भी सिद्ध होता है कि पटाखे केवल दीपावली पर चलने से polution करेंगे, ऐसा तो सरासर गलत है। वो जब फोड़े जाएंगे, कुछ pollution तो बढ़ेगा ही...

पर इस बात पर जरूर से गौर कीजिए, अगर आप को सच में फर्क पड़ता है, pollution level के बढ़ने से, पहला तो हिन्दू त्यौहारों को बदनाम करने वालों का पुरजोर विरोध कीजिए।

दूसरा pollution level बढ़ाने वाले और regions पर ध्यान देते हुए, उन पर नियंत्रण रखने का प्रयास कीजिए, साथ ही सरकार द्वारा उठाए गए अच्छे कदमों पर उनका समर्थन कीजिए, जैसे specially car pool में...

सच मानिए, बढ़ते हुए vehicle numbers and AC numbers, factories के numbers, pollution level को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या आप उस पर control कर सकते हैं?

पराली जलाना और दीपावली पर पटाखे फोड़ना, तो सदियों से हो रहा है। पर उस पे सारा ठीकरा फोड़ना बंद करें और जो सही और ठोस कदम हैं, उस ओर भी ध्यान केंद्रित करें।

Friday, 15 November 2024

Article : देव दीपावली

हिन्दूओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली है, यह तो बचपन से सुनते हुए ही बड़े हुए हैं और बहुत धूमधाम से इस महापर्व को मनाया भी है।

पर देव दीपावली.. यह क्या है? कब और क्यों मनाई जाती है?

आप को देव दीपावली के विषय में विस्तृत रूप से बताने से पहले, इस पंक्ति से समझिए देव दीपावली का आशय, जो कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन, बनारस के घाट पर नजर आता है...

आस्था के दीप, श्रद्धा की बाती... गंगा तट पर दमकेगी सांस्कृतिक थाती…

अर्थात्, गंगा नदी के तट पर जलने वाले हजारों दीप, जो लोगों में, भगवान विष्णुजी और महादेव जी की आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं, भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रकाशमान कर रहे हैं।

चलिए अब जान लेते हैं, क्यों इतना खास है देव दीपावली का त्यौहार...

देव दीपावली

क) देव दीपावली का महत्व :

देव दीपावली का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन दिन पर दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सुखमय रहता है। कहा जाता है कि इस दिन धरती पर देवतागण आते हैं और सभी के दुखों को दूर करते हैं।

देव दीवाली को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं।

देव दीवाली का त्यौहार, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस, काशी) में मनाया जाता है। जो पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है। इस साल यह पर्व, 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। तो आइए इस पर्व से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।


ख) देव दीपावली का कारण :

1. हयग्रीव का वध :

भगवान विष्णुजी ने भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन, मत्स्यावतार लेकर सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी।

मत्स्यावतार (मत्स्य = मछली का) भगवान विष्णु का अवतार है जो उनके दस अवतारों में से प्रथम है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने इस संसार को भयानक जल प्रलय से बचाया था। साथ ही उन्होंने हयग्रीव नामक दैत्य का भी वध किया था जिसने वेदों को चुराकर सागर की गहराई में छिपा दिया था।


2. त्रिपुरासुर का वध :

सनातन धर्म में देव दीवाली को बेहद शुभ माना जाता है। इसे मनाने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। एक समय की बात है, त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं के सभी अधिकार को उनसे छीनकर स्वर्गलोक पर अपना अधिकार कर लिया था, जिससे परेशान होकर सभी देवता महादेव के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। तब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर उसके आंतक से सभी को मुक्ति दिलाई।

इससे सभी देवगण प्रसन्नता से भर उठे और भगवान शिव के धाम काशी में जाकर गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किए। यह उत्सव पूरी रात चला। ऐसा माना जाता है कि तभी से देव दीपावली की शुरुआत हुई।


प्रकाश के इस त्योहार को मनाने के लिए भक्त विशेष रूप से वाराणसी में गंगा घाटों पर जाते हैं। साथ ही लोग विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं और मंदिरों में दीपदान भी करते हैं।

इस तरह से राक्षसों पर देवों की विजय का प्रतीक है, देव‌ दीपावली...

आइए, हम भी अपने घर-आंगन में दीपों की लड़ी सजाएं, देव दीपावली मनाएं, श्रीहरि विष्णुजी और महादेव जी की कृपा पाएं 🙏🏻