Thursday 16 May 2024

Article: Taste or poison

स्वाद या ज़हर



आज के इस article को लिखने का मुख्य उद्देश्य है, हमारे देश के बच्चे..

आप कहेंगे क्या हो गया जी बच्चों को...

बच्चों में बढ़ता fast food का हद का craze.

Momos, Chowmein, Manchurian etc. यह सारे ही, उतने ही घातक हैं, जितना घातक मीठा जहर। 

यह सब खाने में जितने स्वादिष्ट है, health के point of view से उतने ही जहरीले। 

यह सब तब और घातक हो जाते हैं, जब इन्हें रेहड़ी पटरी से लिया जाए।

आप कहेंगे कि हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं? 

क्योंकि इनका craze सिर चढ़कर बोल रहा है। 

Indian street food, जैसे पकौड़ी-कचौड़ी, चाट, गोल-गप्पे, लिट्टी चोखा, ढोकला, फाफड़ा, इडली, डोसा, छोले-भटूरे, आदि से मुकाबले momos, chowmein, manchurian, pizza, sandwich, burger etc. की stalls ज्यादा नजर आने लगी है।

और पहले लगने वाले ठेले जिनमें,फालसे, फलों की चाट, मूली, खीरा, भुट्टा, आदि... वो तो अब यदा-कदा ही देखने को मिलते हैं।

आप देखेंगे तो पाएंगे कि Indian foods, most healthy foods है। किसी-किसी में आपको oil content ज्यादा मिल सकता है लेकिन harmful chemicals आपको नहीं मिलेंगे।

इसलिए अच्छा यही होगा कि Indian food items ही खाए जाएं...

जबकि fast food में harmful chemicals होने की संभावना बहुत अधिक होती है। 

किसी में preservatives, किसी में emulsifier, किसी में different chemicals like ajinomoto, किसी में colour etc...

इनमें से mostly DNA या blood cells पर attack करते हैं, जिनसे cancer, heart disease, nerves disorder, bones में weakness, obesity, diabetes, blood pressure etc की problem हो जाती है।

हमने रेहड़ी पटरी वालों के items ज्यादा खतरनाक इसलिए कहे, क्योंकि उन्हें कम पैसों में food items ज्यादा स्वादिष्ट बनना है तो वो ज्यादा chemicals use करते हैं।

पर ऐसा नहीं कि सारे रेहड़ी पटरी वालों के items ख़राब ही होंगे, उनके अच्छे भी हो सकते हैं और बड़ी-बड़ी eateries में भी ज्यादा chemicals use हो सकते हैं।

पर अगर आप fast food खाना ही चाहते हैं तो उन्हें घर पर ही बनाएं, हो सकता है कि वो taste में थोड़ा कम tasty लगे, पर healthy 100% होंगे।

और अगर आप बाहर ही खाने में interested हैं तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें।

1. अगर food items, colour डालकर बनाया है तो उसे avoid करें। जैसे honey chilli potato, paneer, chicken, gobhi etc.

2. Chinese items में Ajinomoto डालने को मना कर दें। 

3. Momos में monosodium glutamate (MSG) डालने को मना कर दें। 

हमने आपको जो बताया है, उस पर एक बार विचार अवश्य करिए। क्योंकि आपकी व आपके परिवार की सेहत आपके ही हाथों में है।

एक बार फिर कहेंगे कि घर पर बने खाने से ज्यादा tasty and healthy कोई खाना नहीं है। आप को fast food बहुत ज्यादा पसन्द हो तो उन्हें भी healthy version में कर के बनाएं।

Be healthy, be happy 🫶🏻❤️😊🙏🏻

Tuesday 14 May 2024

Article: सरकारी नौकरी के बदलते स्वरूप

सरकारी नौकरी के बदलते स्वरूप 


हमेशा से ही एक चीज है, जिसका craze रहा है, फिर चाहे वो हमारे बाप-दादाओं के ज़माने की बात हो या हमारे, वो है सरकारी नौकरी... 

हां, पर धीरे-धीरे अब कुछ craze कम हो चला है। 

पर साथ ही सरकारी नौकरी का स्वरूप भी बहुत कुछ बदल गया है। 

चलिए देखते हैं कैसे…

जैसा पहले के जमाने में teacher को फटीचर कहा जाता है, जो सरकारी स्कूलों में नौकरी में करता था, क्योंकि उनकी ना तो आमदनी थी, ना ही कुछ काम...

पर अब स्वरुप बदल गया है, अब government school teachers की salary अच्छी-खासी बढ़ गई है कि उनके सामने private school teachers की salary कहीं नहीं टिकती है। पर साथ ही अब काम भी बहुत बढ़ गया है। 

पर government का कहना है कि जब salary बढ़ी है तो काम का बढ़ना, औचित्यपूर्ण है। वैसे आप ठीक से सोचेंगे तो उतना ग़लत भी नहीं है।

मतलब अगर आप government school teachers की बढ़ी हुई salary देखकर इसे join करना चाह रहे हैं तो साथ में यह भी सोचकर आइए कि काम भी आपको करना पड़ेगा, आराम या कामचोरी नहीं चलेगी।

दूसरे और भी सरकारी नौकरियों में भी बदलाव आया है, फिर वो चाहे bank हो, railway हो, airlines हो, electricity department हो, जज हो, IAS, PCS officers हो, police service हो, SAIL, BHEL, ONGC, या अन्य सरकारी महकमे हो, सबमें ही काम और salary दोनों ही बढ़ी है।

पर बढ़ने के साथ कुछ घटा भी है और वो है, छुट्टियां और मिलने वाली सुविधाएं...

पहले सरकारी नौकरियों में कामचोरी भी बहुत थी और छुट्टियों की भरमार भी, पर अब ऐसा नहीं है।

बहुत सी सरकारी नौकरियों में गाड़ी, बंगला, नौकर-चाकर सब मिलता था, मतलब एक बार आप ने मेहनत करके यदि सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली, तो बस फिर तो आपके शाही ठाठ-बाट...

घर अब भी मिलता है, पर उतना बड़ा नहीं, गाड़ी मिलती है, पर ऊंचे ओहदे पर पहुंचने के बाद। और नौकर-चाकर, वो लगभग नहीं ही समझिए... 

आज लगभग सभी सरकारी नौकरी में private companies की तरह ही काम करना पड़ता है। ऐसे में बहुत से लोगों को लगता है कि जब काम ही करना है तो private companies ही join किया जाए, वहां पैसा तो ज्यादा होगा।

ऐसे हर नौकरी में नहीं कहा जा सकता है क्योंकि बहुत सी government job में भी salary अच्छी कर दी गई है। चलिए मान भी लिया कि private companies ज्यादा अच्छी salary देती है, फिर भी एक बात में आज भी government job ज्यादा अच्छी है और वो है security में...

Government job में work load हद का बढ़ा है, छुट्टियां जमकर कंट्रोल कर दी गई हैं।

लेकिन security आज भी वैसी ही है, आज भी जितना मुश्किल government job पाना है, उतना ही मुश्किल किसी भी employee को terminate करना। यही वजह है कि अभी भी government job का craze पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।

हालांकि young age में जब job join करते हैं शायद, उस समय security की value कुछ ‌लोग ना समझ पाए पर work experience के साथ बहुत अच्छे से समझ आने लगता है।

इसलिए अगर आप government job में हैं तो बढ़े हुए काम और घटी हुई छुट्टियों को लेकर गरियाते और कोसते नहीं रहें, बल्कि बढ़ी हुई salary भी देखें और सुचारू रूप से खुशी-खुशी काम करें।

अगर हर government employee सुचारू रूप से खुशी खुशी काम करेगा, तभी देश का विकास होगा। और यह भी याद रखिए, जब हम भी किसी government system में अपने काम से जाते हैं तो सुचारू रूप से होते हुए काम को देख कर प्रसन्न होते हैं।

तो अगर कोई हमारे system में अपने काम से आए तो उसे भी तो खुशी मिलनी चाहिए। और खुशी सुचारू रूप से होते हुए काम से ही मिलती है। तो अगर काम का load बढ़ा है और छुट्टियां घटी है तो चिढ़ना क्यों?

आप यह सोच कर काम कीजिए कि हमारे कार्यालय में कोई आएगा तो खुश होकर ही जाएगा, फिर अधिक काम करना खलेगा नहीं।

मेरे पति भी सरकारी नौकरी ही करते हैं, काम की बढ़ोत्तरी और छुट्टियों में कमी उनके office में भी हुई है। 

पर हम लोगों के लिए personal problem से बड़ा है देश का विकास...

और देश के विकास के लिए अधिक काम और कम छुट्टियां बर्दाश्त है हमें 🙏🏻

हमने उनकी job का‌ जिक्र सिर्फ इसलिए किया है कि government job में होने वाली problem हम लोग भी face कर रहे हैं। 

आप को यह ना लगे कि हम या हमारे पति होते government job में, तब तो हम परेशानियां समझते... 

सब देख परख के, परेशानियों से रुबरू होने के बाद ही हमने यह article लिखा है।

फिर जिस देश का मुखिया, बिना छुट्टियां लिए, बिना काम चोरी किए देश के विकास के लिए अनवरत कार्य कर रहा है, वहां के देशवासियों को भी कार्य करते हुए देश के विकास में सहायक बनना चाहिए ...

आप का क्या सोचना है?

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳🙏🏻

Sunday 12 May 2024

Story of Life: आज मैं माँ

मेरे बेटे अद्वय ने आज, बहुत ही मार्मिक कहानी हमें Mother's day के उपलक्ष्य में तोहफ़े के रूप में दी। जब उसे पढ़ा, तो उसने मेरे दिल को छू लिया।

एक ऐसी कहानी, जो हर मां से जुड़ी हुई है‌ और अगर सभी बच्चे इसे समझ सकें तो हर मां को गर्व होगा।

आज उसे ही साझा कर रहे हैं, शायद आपके दिल को भी छू ले...

Happy Mother's Day 

आज मैं माँ



एक दिन मैं अपनी माँ से बोला, “आपका जीवन कितना सरल और आनंददायक है। घर में ही तो रहना है, जब चाहो तब टेलीविज़न देख लो, जब चाहो तब सो जाओ, जो मन में आए वह कर लो। आपको न पढ़ाई-लिखाई करनी होती है, न ही आपको परीक्षा का डर है। आपके जीवन में तो आनंद ही आनंद है।”

यह सुनकर माँ बोलीं, “बेटा, मैं इस पड़ाव से गुज़र चुकी हूँ। फिर भी तुम्हें ऐसा महसूस होता है, तो चलो, एक दिन के लिए तुम माँ और मैं बेटा बन जाती हूँ। कल मैं विद्यालय जाऊँगी, और तुम गृह के सभी कार्य करना।”

मैं मन ही मन आनंदित हो उठा। मुझे लगा कि एक दिवस के लिए ही सही, परंतु मौज-मस्ती करने को तो मिलेगी।

मैं अलार्म से सुबह पाँच बजे उठा। इतनी जल्दी उठने का मन तो नहीं कर रहा था, परंतु जानता था, कि माँ के विद्यालय जाने के बाद खूब विश्राम कर लूँगा। 

फिर मैं चला माँ को उठाने, परंतु “पाँच मिनट बाद, दस मिनट बाद” कह-कह के पूरे बीस मिनट उन्होनें ऐसे ही काट दिए। मैं क्रोधित हो गया, और मैंने पानी के तीन-चार छींटे उनके चेहरे पर मारे, और वे झल्लाते हुए उठ गईं।

तभी मुझे नाश्ते की चिंता हुई। मुझे कुछ भी बनाना नहीं आता था, मैंने सोचा कि इन्हें आज दूध-ब्रेड दे देता हूँ। जैसे ही मैंने नाश्ता परोसा, वे चिल्लाने लगीं, “यह कैसा नाश्ता है? छिः! मैं इसे बिलकुल भी नहीं खाऊँगी।”

मुझे कुछ भी बनाना नहीं आता था, इसलिए मैंने उन्हें डाँटते हुए कहा, “चुपचाप इस नाश्ते को खा लो, वरना बहुत मारूँगा।” यह सुनकर रोते हुए उन्होनें सारा नाश्ता अपने मुँह में जल्दी-जल्दी ठूस लिया।

मैंने उनके टिफ़िन में चिप्स और बिस्कुट रख दिए, परंतु देखकर वे ज़िद पर अड़ गईं, “यह क्या है! मुझे पोहा चाहिए, केवल पोहा, और कुछ नहीं।” मैंने गुस्साते हुए कहा, “जो दिया है, वह ले जाओ।”

हम नीचे उतरे, परंतु तब तक बस निकल चुकी थी। उसके पश्चात मैंने उन्हें कैसे विद्यालय पहुंचाया, यह केवल मैं ही जानता हूँ।

घर पहुँच कर ए.सी. चला कर मैं अपने बिस्तर पर लेट गया, पर तभी आँधी आ गई और बिजली चली गई। चंद मिनटों में पूरा घर धूल-धूसरित हो गया। मुझे ध्यान आया कि मैंने खिड़की तो बंद ही नहीं की थी। लो जी, हो गया आराम, अब करो सफाई। बहुत मेहनत लगी, पर आखिरकार पूरा घर साफ हो गया।

मैं थक कर चूर हो चुका था, और मुझे बहुत नींद आ रही थी। मैं लेटा ही था, कि तभी कामवाली आ गई। मुझे लगा सारे कार्य स्वयं करके चले जाएगी, परंतु उससे भी काम कराना किसी सिर-दर्द से कम नहीं था। हर पाँच मिनट में तो वह मुझे बुला रही थी।

तभी चाची का फोन आ गया। फोन पर बात करते-करते मुझे सामने दूध के पैकेट दिखे, तभी लगा कि दूध भी तो उबालना है, इसलिए बात करते-करते मैंने दूध चढ़ा दिया।

बिस्तर पर लेट के बातों में मगन हो गया। तभी कुछ जलने की महक आने लगी, मैं रसोईघर की ओर दौड़ा, मैंने देखा दूध उफन के फैल चुका था। मैंने तुरंत गैस बंद की।

आह! माँ का जीवन कितना कठिन होता है। तभी मुझे माँ कि आवाज़ आई, “उठो बेटा, विद्यालय नहीं जाना।”

मैं भड़भड़ाकर उठा और माँ से कस के चिपक गया।

माँ ने पूछा, “क्या हुआ? कोई डरावना सपना देखा?”

मैंने ना में सिर हिलाते हुए कहा, “माँ, आप बहुत अच्छी हैं।”

माँ ने मेरा सिर सहलाते हुए मुझसे पूछा,"क्यों रे?”

मैंने मुसकुराते हुए कहा, “क्योंकि आप माँ हो....


मातृत्व दिवस पर विशेष....