Saturday 10 November 2018

Story Of Life : क्यूँ नहीं वो स्वाद

क्यूँ नहीं वो स्वाद


अनंत और नीति दोनों ही job करते हैं। तो खाना बनाने के काम को manage करना बहुत difficult होता था। तभी पड़ोस की भाभी जी से नीति की बात हुई। वो बोली, कुंता मेरी खाना बनाने वाली अच्छा खाना नाती है, मैं उसे भेज दूँगी।
उन्होंने उसे भेज दिया। साफ-सुथरी सी अच्छे स्वभाव की थीं वो। उम्र में बड़ी थीं, तो हम उन्हें दीदी कह कर बुलाते थे। Time की बड़ी ही पाबंद थीं। खाना भी अच्छा ही बनाती थीं। पर ना जाने क्यूँ, वो स्वाद नहीं आता था।
समय यूं ही कट रहा था। एक दिन माँ ने बताया कि वो आ रही हैं। मैं उन्हें लेने station पहुंच गया। माँ देखते ही गले लग गयी। रास्ते भर माँ से घर की ही बात हो रही थी। वो बोली, बहू बता रही थी, अच्छी cook मिल गयी है। तब क्या हो गया रे? तू क्यूँ दुबला हो रहा है? वो अच्छा खाना नहीं बनाती है?
नहीं माँ, कुंता दीदी तो अच्छा खाना ही बनाती हैं। पर ना जाने क्यूँ वो स्वाद नहीं आता है। मन संतुष्ट नहीं होता है।
अच्छा चल, मैं आ गयी हूँ, मैं ही बना के कुछ दिन खिला दूँगी। अरे, नहीं माँ, आप यहाँ आराम करने के लिए आयीं हैं। मेरी तो छोड़ दीजिये, नीति भी आपको खाना नहीं बनाने देगी। हाँ घर तो चल, मैं बात कर लूँगी बहू से भी।
घर पहुंचे, तो नीति भी जल्दी ही आ गयी थी। उसकी मुझसे भी ज्यादा माँ से पटती थी। जब माँ ने उसे देखा, तो गुस्सा ही हो गईं। नीति तुम लोगों ने क्या हाल बना लिए हैं। कैसे लग रहे हो? अब जब तक मैं हूँ। खाना मैं ही बनाऊँगी। नीति बोली माँ, आप खाना बनाने के लिए हमें जबरदस्ती डांट ना लगाएं। हम बिलकुल ही ठीक हैं। अनंत तो हैं ही ऐसे, आपको देखेंगे और बस आपके हाथ का ही खाना चाहिए।
अच्छा एक दिन छोड़ के बना दूँगी, माँ ने कहा। नीति बोली-अच्छा आप तीन दिन के gap में बनाएँगी। और हाँ वो भी एक दम हल्की-फुलकी चीज़ें। ठीक है मेरी माँ, आराम ही कराती रहा कर मुझे, माँ ने प्यार से नीति के सिर पर हाथ फेरा।
तीन दिन बाद माँ ने रोटी और आलू- टमाटर की सब्जी बनाई। उस दिन अनंत ने दो और नीति ने एक रोटी ज्यादा ही खा ली। और तृप्ति तो ऐसी हुई, कि लगा ये स्वाद तो, 5 स्टार के खाने में भी नहीं आता है।
रात को अनंत माँ के कमरे में आ गया, और उनसे पूछने लगा। माँ आप ने भी तो वही सब डाला था, जो कुंता दीदी डालती है, तो स्वाद में अंतर क्यूँ था?
नहीं बेटा, खाना मसाले से नहीं, भाव,से बनाते हैं। और हम दोनों के खाने में उसी का अंतर था।
माँ मैं कुछ समझा नहीं?

माँ ने अनंत को क्या समझाया, जानते हैं, क्यूँ नहीं वो स्वाद भाग -२  में