Friday 26 August 2022

Stories of Life : अपने भरोसे

 अपने भरोसे


नीमा, हम लोग निकल रहें हैं, तुम अभिमन्यु को, दाल-rice खिलाकर सुला देना।

दीदी, आप अभि बाबा की चिंता नहीं करना, मैं बहुत प्यार से उसका सब कर दूंगी।

सच्ची नीमा, तेरे प्यार के आगे, अभि हमें भी कुछ नहीं समझती है, उसे खाना-पीना, सोना सबसे तुम से ही रहता है।

दीदी, अभि बाबा है ही इतना प्यारा... उसका मैं सब देख लूंगी, आप बस मेरी पगार का...

पगार का क्या नीमा? रोनित ने कड़क आवाज़ में पूछा..

दीदी को पता है भैया, नीमा ने बेफिक्री से बोला..

रंजना ने कहा, पर नीमा हमने अभी 2 महीने पहले ही तो..

दीदी, आप तो जानती ही हैं कि कितनी मंहगाई बढ़ गई है, फिर अभी मेरे मर्द का भी काम छूट गया है।

रंजना को आफिस जाने की जल्दी थी, उसने पगार बढ़ाने का आश्वासन दिया और चली गई।

नीमा बहुत खुश थी, तभी उसके पति का फोन आया, क्या हुआ रे नीमा, पगार बढ़ी क्या?

हाँ रे, पहले मचमच कर रहे थे वो लोग, फिर बढ़ाने का बोल कर गए हैं।

सत्या बोला, बस ऐसे ही इनकी दुखती रग दबा कर रख,अभि बाबा का सारा काम अपने हाथ में लेती चल कि अभि बाबा सब कुछ तेरे से कराए..

तू चिंता मत कर, मैं सब कुछ बराबर देख लेगी।

अभी चंद महीने भी नहीं गुजरे थे कि एक दिन नीमा, रंजना से बोली- दीदी मुझे छुट्टी चाहिए।

कितने दिन की नीमा? रंजना ने file पलटते हुए पूछा...

दीदी, एक महीने की...

एक महीने की!... क्या बोल रही हो? 

दीदी, गांव में ननद की शादी है, आप तो जानती हैं, गांव जाने का मतलब 1 महीना तो लगेगा ही...

अरे नीमा, इतने दिन कैसे manage होंगे? अभी रोनित पर भी work load बहुत ज्यादा है... फिर अभि, तो तेरे ही हाथों से, सब करता है

दीदी, आप तो जानती हैं, मेरा मर्द गाली बकने लगेगा, काम छुड़वा देगा, वो अलग... 

नीमा काम छोड़ देगी, इस सोच से ही रंजना कांप गई, अच्छा जा, पर जल्दी आने की कोशिश करना..

नीमा अपना सारा सामान समेट रही थी कि सत्या का फोन आ गया कि जा अपनी दीदी से बोल कि बीस हजार दें नहीं तो काम छोड़ देगी, और सुन देने में आनाकानी करें तो काम छोड़कर निकल आना, नाक रगड़ती आएंगी, तुझे बुलाने...

नीमा ने जाकर, रंजना से बोला, दीदी मैं आपका काम छोड़कर जा रही है...

क्यों अब क्या हुआ नीमा? मैंने 1 महीने की छुट्टी दे तो दी।

नहीं दीदी, पूरा नहीं पड़ता पैसा, मुझे दूसरी जगह पूरे 20 हजार मिल रहे हैं और आप तो 15 हजार भी नहीं दे रही हैं...

नीमा तुमने जितना कहा, हमने दिया, फिर ऐसे क्यों बोल रही हो? फिर अभि का भी तो सोचो, उसका तो तुम्हारे बिना चलेगा भी नहीं...

दीदी मैं अपना फायदा सोचूं कि आपका देखूं... आप बीस हजार दे सकती हो तो बोलो, वरना मैं चली..

अच्छा कुछ दिन तो दे, मैं तब तक दूसरी देख लूं।

दूसरी, चौथी, आप को जितनी देखनी हो देखो, मेरी सी नहीं मिलनी है, मुझे मेरा बताओ, रुकूं या जाऊं?

पर नीमा, बीस तो बहुत... अच्छा भैया को आने दो...

रहने दो दीदी, तुमसे नहीं होने का, मैं चली, कहकर, नीमा ऐसी निकली कि फिर उसने पलट कर भी नहीं देखा।

इस बात को तीन महीने गुजर गए...

एक दिन रंजना ने देखा, नीमा बहुत दुःखी सी चली जा रही थी।

क्या हुआ नीमा? रंजना ने उसे रोकते हुए कहा, सब ठीक है ना?

नहीं दीदी, कुछ ठीक नहीं है, कहकर नीमा फूट-फूटकर रोने लगी।

क्या हुआ नीमा? बताओ तो..

दीदी मेरे मर्द का आक्सीडेंट हो गया है, city अस्पताल में भर्ती है। मैंने बहुत लोगों से मदद मांगी, पर कोई भी पैसा देने को तैयार नहीं है।

अरे पगली, तो मेरे पास आ जाती..

किस मुंह से आती दीदी? मैंने कितना बुरा किया था, आप के साथ।

वो छोड़, यह बता कितना रुपया चाहिए।

1 लाख दीदी 

1 लाख...! रंजना सुनकर स्तब्ध रह गयी 

अच्छा तुम चलो अस्पताल, मैं पैसे का इंतजाम कर के आती हूंँ। 

दीदी आप...

हाँ आती हूँ।

एक हफ्ते बाद

Sunday की शाम थी, रोनित, अभि और रंजना तीनों बैठे मस्ती कर रहे थे। तभी नीमा आती है।

अरे नीमा तुम! क्या हुआ सब ठीक है? और रुपए चाहिए?

नहीं दीदी, सब ठीक है, मेरा मर्द घर आ गया है और यह सिर्फ आपके कारण हुआ है।

ऐसे तो मैं आपका पैसा और एहसान  कभी नहीं चुका पाऊंगी, इसलिए मैंने सोचा है कि अब हमेशा के लिए आप के घर में मुफ्त में काम करूंगी और कभी परेशान नहीं करुंगी।

तुमने यह सोचा, हमारे लिए इतना ही बहुत है, पर नीमा  इसकी कोई जरूरत नहीं है, पैसे जब तुम्हारे पास हों दे देना, हमने तो इन्सानियत के नाते किया था।

जब तुम गई थीं, तब हमें बहुत परेशानी हुई थी, हम दूसरी लगा सकते थे, फिर हमने सोचा कि, हम लोग बच्चे तो पैदा कर लेते हैं पर पालन-पोषण दूसरे के भरोसे करते हैं।

उसके बाद हमने यह decide किया कि हमारा बेटा, हम उसे अपने भरोसे पालेंगे। तब से मै छुट्टी ले लेती हूँ या work from home करती हूँ और कभी भैया कर लेते हैं। 

सब अच्छे से manage हो जा रहा है। जब हमें जरूरत होगी, हम तुम्हें बुला लेंगे। 

सच कह रही है, तुम्हारी दीदी, हमने बहुत मुश्किल से सीखा है कि अपने बच्चों को अपने भरोसे ही पालना चाहिए, तभी बच्चों से proper bonding भी होती है और यही सही भी है। रोनित ने बहुत प्यार से अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा...

नीमा, जल्दी ही पैसे वापस करने की बात कहकर निकल गई ।