Sunday, 5 July 2020

Article : हैं आपकी ऐसी गुरु?

हैं आपकी ऐसी गुरु?

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आज अपनी माँ की बात कर रहे हैं।

मेरी माँ बहुत ही सफ़ाई पसंद है।

वो कब से ऐसी हैं, नहीं पता, पर जब से हमने होश संभाला है, तब से वो ऐसी ही हैं।

हर रोज़ नहाना, चाहे कोई भी मौसम हो, या कैसा भी स्वास्थ्य।

कोई भी चीज, बिना धुले-पुछे तो use ही नहीं होती थी।

यहाँ तक अगर Newspaper  वाला किसी दिन paper जल्दी में जमीन पर डाल जाता तो Newspaper भी धुलकर लटक जाता था।

घर के बाहर जातीं तो उनकी मदद दरवाजे के साथ लगी, घनी झाड़ियां करती, लोहे  के दरवाज़े को खोलने और बन्द करने के लिए उसकी ही पत्ती का use होता था।

धुले बर्तन भी बिना पानी से धोएं, प्रयोग में नहीं लेतीं, और ज़रा कुछ काम किया और हाथ भी धुल जाते, दिनभर में ना जाने कितने बार।

सफ़र में भी बिना हाथ धोए, कुछ नहीं छुआ जाता था। 

और पूरे सफर में हममें से किसी को उनकी गोद नसीब हो कि ना हो, पर एक बैग सदैव वो सम्मान पाता था, जिसमें खाने-पीने का सामान होता था। वो पूरे रास्ते उनकी गोद में रहता, किसी कारण वश वो कुछ करने जाती, तो हम सब में से किसी एक की गोद में रहता, इस सख्त हिदायत से कि ज़मीन तो क्या बर्थ में भी नहीं रखा जाएगा।

घर लौटकर एक एक समान पोंछती, बिना पुछे कोई समान अपनी जगह पर नहीं पहुंचता।

बिस्तर भी खाली झाड़ती नहीं, बल्कि गीले हाथों से भी पोंछतीं,  जिससे धूल का एक भी कण ना रहे।

किसी दुकानदार से सामान खरीदतीं तो रुपए पूरे खोलकर देतीं कि उसकी ऊंगली का सिरा भी नहीं छू जाए।

उनके उठने- बैठने का तौर तरीका हमेशा ऐसा रहा, कि कभी किसी से ना छू जाएं, यहाँ तक कि जब सोती भी हैं, तो भी इस तरह से सोती हैं, कि कभी किसी से नहीं छूती हैं।

पापा कभी उनको, उनकी इतनी अधिक सफाई के लिए नहीं टोकते थे।

हाँ, बाकियों को उनकी इतनी सफाई रास नहीं आती है, सब उन्हें बोला करते, कि इतनी ज्यादा की कोई आवश्यकता नहीं है। 

आज जब कोरोना काल चल रहा है तो सबको उतनी ही सफाई करनी पड़ रही है।
  • बिना धोए-पोछें कुछ प्रयोग ना करें।
  • हाथ, दिन में कई बार साबुन से धोएं।
  • लोगों से दूरी बना कर रहें। 
  • सावधानी बरतें कि किसी से ना छू जाएं।
  • Lift व दरवाजे को हाथों से ना छूएं, बल्कि उसे खोलने और बन्द करने के लिए tissue paper या toothpick अपने साथ रखें और उन्हीं का प्रयोग करें।
यही सब तो है, जो वो करतीं आई हैं।

पर लोगों ने ना कभी इतनी सफाई की है , ना देखी है, तो लोगों की हालत ख़राब हो रही है। उलझन हो
रही है

पर वो इस उम्र में भी बहुत आराम से उतनी सफाई कर लें रहीं हैं। 

हम भाइयों-बहनों को भी औरों के बनिस्बत कम मेहनत पड़ रही है, कम उलझन हो रही है, क्योंकि इतनी सफाई की शिक्षा तो हमें बचपन से मिली है। हम ने की भी है और देखी भी है।

आप ने कभी इस बात पर ध्यान दिया, जो आज कल हम लोग कर रहे हैं, उसका नतीजा क्या हो रहा है।
  • सब्जियों की shelf-life बढ़ गई है।
  • बर्तन व घर का कोना-कोना चमक रहा है।
  • घरों में मक्खी, मच्छर, चूहे तो क्या जीवाणु-कीटाणु भी कम हो गये हैं।
  • जिससे लोगों को कोरोना तो दूर बुखार, खांसी-जुकाम तक नहीं हो रहा है।
  • लोग अधिक स्वस्थ रहने लगे हैं।
  • लोग independent रहने लगे हैं।
 हम चारों भाई-बहन के स्वस्थ रहने का कुछ भी कारण था, तो उनकी बेइंतहा सफाई।

उनकी शिक्षा ने हमें बचपन में भी स्वस्थ रखा, और इस कठिन समय में भी रख रही
 है।

सच्चाई, अच्छाई, और सफाई आज नहीं तो कल, लोगों को उसकी कीमत समझ में अवश्य आती है।

आज उनकी सफाई की कीमत भी सबको समझ आने लगी है।

मेरे आज़ का गुरु पूर्णिमा का दिन, उनकी उसी सच्चाई, अच्छाई और सफाई को समर्पित, जिसने हमारे लिए कोई दिन कठिन नहीं बनाएं।

जीवन में गुरु अनमोल हैं,
बात सभी यह जानें।
जीवन के पड़ाव पर गुरु बहुत,
पर माँ को सर्वप्रथम मानें।।

हमें गर्व है, कि हमें ऐसी माँ मिलीं। ऐसी गुरु मिलीं हैं🙏🏻🙏🏻

क्या आप के पास हैं, आपकी ऐसी गुरु? 

तो उनका मान कीजिए व सम्मान दीजिए। 🙏🏻🙏🏻