Wednesday, 26 July 2023

Story of Life: माँ का साथ

 माँ का साथ




कार्तिक अपनी माँ, सिया का एकलौता व लाडला बेटा था। बचपन में ही उसके पिता का साया उसके सिर से उठ गया था।

मां ने पिता की जगह, बैंक में नौकरी कर ली थी। साथ ही रात में छोटे बच्चों को tuition भी पढ़ाती थी, जिससे कार्तिक को किसी तरह की कोई कमी नहीं रहे।

कार्तिक भी अपनी माँ के कहे बिना कुछ नहीं करता था। हर बात, वो मां से ही पूछता था। 

जब कार्तिक छोटा था, तब तो सिया भी यही चाहती थी कि, कार्तिक सिर्फ उसी से जुड़ा रहे, पर जब वो बड़ा हो गया तो, सिया उससे हमेशा यही कहती कि, कार्तिक अब तुम बड़े हो गए हो, अब तुम खुद समझा करो कि तुम्हें क्या करना है...

पर कार्तिक, हमेशा यही कहता, आप से बड़ा तो कभी नहीं होऊंगा, तो कैसे बड़ा हो गया? और मां को गले लग जाता... मां-बेटे के प्यार को पूरा मोहल्ला जानता था। 

कार्तिक पढ़ने में बहुत होशियार था, हमेशा अव्वल आता था, पहली ही बार में उसने entrance exam clear कर लिया और बड़ी government company में officer बन गया। 

कार्तिक गोरा, ऊंचे-लम्बे डील-डौल वाला बहुत ही smart लड़का था, फिर government officer... उसके लिए रिश्तों की लाइन लग गई।

सिया ने बड़ी धूमधाम से अपने बेटे की शादी आशना से कर दी।

आशना, जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही नकचढ़ी और आलसी भी। 

कुछ ही दिनों में उसे, सिया और कार्तिक का रिश्ता खटकने लगा। उसनेे अलग रहने का मन बनाना शुरू कर दिया। 

वो आए दिन, कार्तिक से अलग घर लेने को कहा करती, पर कार्तिक, एक कान से सुनता और दूसरे से निकाल देता.. 

आशना ने घर में रहना कम और social parties में रहना ज़्यादा शुरू कर दिया...

एक दिन वो किटी पार्टी में गयी थी, वहां उसकी ज्यादातर सहेली, अपने ससुराल से अलग रहती थीं। उन्हीं में से एक रंजना भी थी, जिसके घर आज की kitty party थी...

आगे पढ़े, माँ का साथ (भाग -2) में...