Wednesday, 24 February 2021

Story of Life : प्यार

 प्यार


आज इस बात को घटे हुए चार साल हो गए थे। पर अब भी उसके गेसू में लगे बेला के फूलों की खुशबू मेरी सांसों में रची-बसी थी।

ना जाने क्यों कोई भी रात उसके पायलों की झंकार की आवाज़ के बिना पूरी नहीं होती थी।

क्यों उसकी यादें, रह रह कर मुझे सताती थी।

वो थी ही इतनी मासूम, बिल्कुल छोटे बच्चे जैसी।

 कभी दुःख तो उसकी आंखों में दिखा ही नहीं। 

हिरनी सी चंचल आंखें, दूध सा उजला उसका चेहरा, तीखी सी नाक, सुर्ख लाल होंठ।

उस पर उसकी अदाएं, उफ्फ कैसे किसी का मन काबू में रहेगा।

फिर मैं भी अदना सा इंसान ही हूँ, उसकी एक झलक, कब मेरा दिल ले गयी, जान ही नहीं सका।

मैं एक MNC company में job करता था। Sales के promotion के regarding, हम लोगों को market का survey करना था।

उसके लिए ही call Bell press की थी।

जब दरवाजा खुला तो वो ही सामने थी।

कानों में रस घोलती, आवाज़ में उसने पूछा, किस से मिलना है, आप को?

जी!..... आप के पापा जी हैं क्या?

वो कुछ बोलती, उसके पहले ही उसका doggy दरवाजे से निकल कर भाग गया।

और वो यह कहती हुई भाग गयी कि आप बैठिए, पापा जी आ रहे हैं।

थोड़ी देर में उसके पापा जी आ गये, और वो भी अपने doggy के साथ।

Doggy को पकड़ने के कारण उसकी जुल्फ़ें बिखर गई थीं।

उसका नैसर्गिक सौंदर्य देखकर, मैं ऐसा मंत्र मुग्ध हो गया, कि मैं क्यों आया था, वो ही भूल गया।

उसके पापा जी ने पूछा, आप क्यों आये हैं?

मैंने कहा, जी..... वही याद करने की कोशिश कर रहा हूँ।

मेरी इस बात पर उसका खिलखिलाना, मुझे ग़ज़ब का दीवाना कर गया।

आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था, पर आज ना जाने क्या हो गया था मुझे?

फिर थोड़ा सम्हलते हुए मैंने कहा, जी.... आज कुछ papers नहीं हैं, file में। 

एक दो दिन में आता हूँ।

यह ना जाने उससे मिलने की कशिश थी, या मेरा दीवानापन? पर मैं दो दिन बाद फिर उसकी चौखट पर खड़ा था।

आगे पढ़ें, प्यार (भाग - 2) में.....