Wednesday 7 June 2023

Article : जिंदगी में खेल या जिंदगी का खेल

जिंदगी में खेल या जिंदगी का खेल  

अभी कल ही ऐसी बात पता चली, जिसने सोचने पर मजबूर कर दिया कि ऐसा भी हो सकता है?

क्या इस हद तक भी सोच जा सकती है?

इस article को साझा करने का एकमात्र उद्देश्य अपने बच्चों को सुरक्षित रखना है...

बात, छोटे-छोटे बच्चों की है, इसलिए इसे साझा करने का मन बना लिया। 

बात कर रहे हैं, online games की...

आप सभी को पता ही होगा कि कुछ सालों पहले एक online game आया था, Blue Whale, जिस game में खेलने वाले को खेल के साथ ही, बहुत से instructions दिए जाते थे, जैसे अपने आप को घायल कर लो, अपने किसी को hurt कर दो, किसी का क़त्ल कर दो, बहुत सारा money transfer कर दो, etc. उस खेल का जुनून, खेलने वाले पर इस हद तक सवार था कि वो हर instructions follow करते थे, खूनी खेल से लेकर, suicide तक कर रहे थे। 

अभी दूसरी बात जो पता चली है, वो यह है कि ऐसे ही online games के through, धर्म परिवर्तन कराने का काम किया जा रहा है...

उस game में level cross नहीं कर पाने पर, खेलने वाले से कुरान की आयतें याद करने को कहा जाता है, जब वो आयतें याद कर लेता है तो वह आसानी से level cross कर लेता है। 

ऐसे ही धीमे-धीमे एक-एक कदम आगे बढ़ते हुए, उसे मस्जिद बुलाया जाता है, फिर धीरे से धर्म परिवर्तित करा दिया जाता है। साथ ही उसके मन में, उसके धर्म के प्रति घृणा भाव भी भर दिया जाता है, उसे यह एहसास कराया जाता है, कि वो जिसे अपना रहा है, वो ही सर्वशक्तिमान है और सभी दुखों का नाश करने की क्षमता रखता है।

जो जिस भी धर्म को मानते हैं, उनसे धर्म परिवर्तन करना ही क्यों है? धर्म तो सभी महान हैं, ईश्वर तो सभी धर्मों में शक्तिशाली हैं। उसके बाद भी अगर कोई अपनी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तित करना चाहे तो उसमें किसी भी तरह का propoganda भी नहीं होना चाहिए।

आप सोच कर देखिए कि online games के जरिए बच्चों से क्या-क्या नहीं कराया जा रहा है और आगे, क्या-क्या कराया जा सकता है?

पर जो बच्चे मासूम हैं, नासमझ हैं, उनका खेल के जरिए, brain wash करना किस हद तक सही है?

Games, entertainment के लिए होने चाहिए, किसी भी तरह के मकसद को पूरा करने के लिए नहीं...

आप सभी parents से अनुरोध है कि, आप के बच्चे क्या कर रहे हैं, इस पर हमेशा नज़र रखें... 

Video games, online games, tablet, laptop and mobile पर उनके busy होने से आप free हो गए, यह सोचकर निश्चिंत मत हो जाएं। 

आप की यह निश्चिंती, आपके बच्चे को आपसे बहुत दूर ले जाएगी, फिर पता चलने पर आपके पास हाथ मलने के सिवा कुछ नहीं बचेगा।

बच्चों को अपना समय दीजिए... क्योंकि समय के पास इतना समय नहीं होता कि वो लौट कर आपको समय दे सके...

हर एक को समय ही चाहिए रहता है, अभी बच्चों को, बाद में आपको.... अभी उनके पास समय है, बाद में आपके पास रहेगा... अगर आप अभी उनके बचपन में समय नहीं देंगे तो जब आप वृद्ध होंगे तब वो भी समय नहीं देंगे..

बच्चे हैं खेलेंगे ही, बस क्या खेल रहे हैं, उसको समय-समय पर देखते रहें, कभी-कभी उनके साथ आप भी खेलें। उन्हें बहुत अच्छा लगेगा और आप को भी... साथ ही bonding अच्छी होगी, वो अलग... 

खेल खेलने चाहिए, खूब खेलिए, खूब enjoy कीजिए, पर ध्यान रखिए, जिंदगी में खेल खेलें, पर जिंदगी का खेल ना हो जाए।

जिंदगी एक बार ही मिलती है, सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, खुश रहें 😊