Thursday, 24 November 2022

Story of Life : ज़िन्दगी का पड़ाव (भाग - 4)

ज़िन्दगी का पड़ाव (भाग -1)...

ज़िन्दगी का पड़ाव (भाग -2) और

ज़िन्दगी का पड़ाव (भाग -3) के आगे...

ज़िन्दगी का पड़ाव (भाग -4) 



बहुत कुछ बदल चुका था जिंदगी में, हम दोनों ही बहुत व्यस्त हो चुके थे, मैं बच्चों में और नीलेश अपने काम में.. 

समय के साथ नीलेश का caring nature बढ़ता ही गया साथ ही उनका romance भी...

मैं ही कभी उन्हें झिड़क देती थी, अब ना हम 18 के रह गए हैं ना आप 21 के, दो बच्चों के माता-पिता हो गये हैं, अब इतना रोमांस अच्छा नहीं लगता...

वो हंसते हुए कहते, जब आप समय के साथ और ज्यादा हसीन होती जा रही हैं तो हम रोमांस कैसे कम कर दें? 

हाय! उनकी बातों से जितनी शर्म आती, उतना ही अपने ऊपर नाज़ भी कि आज भी हम सोलह साल की लड़कियों को मात दे सकते हैं...

पर सच तो यही था कि उम्र के साथ शरीर ढल रहा था। बहुत देर तक बैठे बैठे जब थक जाती तो जब तक मेरा हाथ बढ़ता तकिया उठा कर पीछे लगाने को, नीलेश उसे मेरे पीछे लगा चुके होते... 

मुझे अपनी किसी दवा की कभी चिंता नहीं करनी होती है, क्योंकि नीलेश की first priority थी कि मैं हमेशा healthy रहूं तो, मुझे कब कौन सी दवा खानी है, इसकी परवाह भी वही करते हैं...

जब किसी दिन खाना बनाने को मन नहीं करता, वो मेरे कहने के पहले ही खाना order कर देते... 

उनसे सीख कर मैंने भी उनका बहुत ध्यान रखना शुरू कर दिया था। उन्हें खाने में बारह मासी दही चाहिए होता था, वो भी घर में जमा हुआ। मैं चाहे कितना थकी हूं, मन नहीं कर रहा हो उठने का, पर दही जमाने का काम जरूर करती...

उनकी एक आदत है कि वो अचानक से कहीं भी चलने का प्रोग्राम बना लेते थे, पर मैं ने उनसे कभी नहीं कहा,  कि एकदम से प्रोग्राम ना बनाया करें, अब शरीर में पहले ही चुस्ती नहीं रही... 

ऐसी ही छोटी-बड़ी बहुत सी बातें हैं, ज़िन्दगी की, जिसमें हम दोनों ही कहे बिना एक दूसरे के लिए कुछ भी करने को तत्पर रहते हैं...

अब बच्चे बड़े हो चुके थे, दोनों अपना अपना भविष्य बनाने के लिए घर से दूर निकल चुके थे।

देखते देखते हमारी 25वीं सालगिरह आने में मात्र दस दिन शेष थे...

नीलेश ने पूरे एक हफ्ते का हमारा हनीमून plan किया और मुझे surprise tickets दिए।

यह क्या है, बुढ़ापे में कौन जाता है हनीमून? फिर 25 anniversary आ रही है, बच्चे एक हफ्ते में आते ही होंगे, हमें घर में नहीं देखेंगे तो क्या सोचेंगे?

क्या, क्या सोचेंगे? मैंने उन्हें बता दिया है कि हम हनीमून पर जा रहे हैं...

हे राम! आप को रोमांस के अलावा कुछ सूझता भी है, इस उम्र में लोग पूजा पाठ में लगने की सोचते हैं और आप हैं कि हनीमून plan कर रहे हैं।

वो हंस कर बोले, इस उम्र से क्या मतलब? जब तक हम दोनों का साथ है, जीवन में रोमांस है, फिर क्या फर्क पड़ता है कि anniversary कौन सी है, पहली, पच्चीसवीं या पचासवीं...

यह सब तो नंबर हैं खाली... जीवन को जिंदा दिली से जीना चाहिए तो जीवन के सारे पड़ाव खुशनुमा ही लगते हैं।

सच हमने, sun rise, sun set देखा, horse riding की, ice skating भी की, जवान जोड़ों की तरह एक दूसरे का हाथ थाम कर हसीं वादियां भी देखी। एक दूजे की आंखों में आंखें डालकर घंटों गुजारे।

एक हफ्ते बाद, जब घर पहुंचे तो घर वैसे ही खचाखच भरा था, जैसा हमारी शादी के समय था। बच्चों के अलावा बहुत सारे रिश्तेदार थे। 

मैं सबको देखकर अचकचा गई, सब हम दोनों को देखकर मुस्कुरा रहे थे। जीजा जी ने सबके सामने पूछ भी लिया और भाई, कैसा रहा हनीमून, ज़िन्दगी के इस पड़ाव पर?

यह सुनकर मैं तो शरमा कर अंदर जाने को हुई, तभी नीलेश ने मेरा हाथ थाम लिया, और बोले जीजा जी 

आपकी साली है ही, इतनी खूबसूरत कि इनसे मिलकर किसी और पर नजर टिकी नहीं और इनसे कभी हटी नहीं...

और ज़िन्दगी का पड़ाव तो अभी जवानी की दहलीज पर आया है, 25 साल ही तो हुए हैं अभी... आशीर्वाद दीजिए कि 50 वीं, 75 वीं सब हम ऐसे ही मनाएं।

सब ओर से आवाज़ आ रही थी, क्या बात है... सच है यही जिन्दगी जीने का सही अंदाज़...

शादी की वर्षगांठ के दिन, पुनः हमारा बहुत धूमधाम से  विवाह हुआ... इस बार साक्षी बच्चे भी थे।

हम ज़िन्दगी के इस पड़ाव में फिर से जवां हो चुके थे। नीलेश और मैं फिर से ज़िन्दगी को भरपूर जीने लगे...


अगर आप को यह कहानी पसंद आई हो तो आप भी हमेशा जवां रहिएगा और ज़िन्दगी का पड़ाव, एक दूसरे की care करते हुए प्यार के साथ गुजार दीजिएगा। 

उम्र तो सिर्फ एक संख्या है, उसके बढ़ने से प्यार और रोमांस कम मत कीजिएगा 🙏🏻