Sunday 23 September 2018

Story Of Life : डर

डर


निहारिका का computer  based job था। आए दिन उसे घंटों computer  के साथ ही गुजारने होते थे। एक दिन अचानक से उसे कुछ धुंधला सा दिखाई देने लगा, वो ऐसे में भी अपना काम खत्म करने में लगी रही। चंद दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, पर कुछ दिनों के बाद से उसके सिर में बहुत तेज़ दर्द रहने लगा। जिसका नतीजा ये हुआ कि, अब उससे कुछ भी काम नहीं हो पा रहा था।

एक दिन lunch time में उसने अपने colleagues से अपनी problem share की। सब बोलने लगे, तेरी eye sight week हो गयी होगी। बॉस से half day की छुट्टी लो, और किसी अच्छे Dr. को दिखा ले।

वो शहर में अकेली रहती थी, तो उसे किसी  specialist के बारे में नहीं पता था। colleagues भी सभी young थे, अतः कोई भी glasses use नहीं करता था। बस माथेराम, जो की एक peon  था, बस वही glasses use करता था।
उसने उन्हीं से पूछ लिया, भैया यहाँ कोई अच्छा Dr. है? उसने उन्हीं को बता दिया, जिन्हें वो दिखाता था। वो भी वहीं चली गयी, clinic  ठीक-ठाक ही था। Dr. ने देखा, तो बोले आपकी eye sight week  हो गयी है। आपको glasses  लगेंगे। आपको हमारे यहाँ ही glasses  भी मिल जाएंगे।   
उसके eye glasses भी लग गए। पर रिज़ल्ट वहीं का वहीं। उसे अभी भी धुंधला ही दिख रहा था। उसने जब colleagues को बताया। तो उनमें से एक बोला, तेरे retina  में तो problem  नहीं है।
अब क्या था, उसने उन्हीं Dr. को दिखाया, और दवाइयाँ भी शुरू हो गयी। पर आलम अब भी वही, उसे साफ नही दिखाई दे रहा था। अब उसे brain के Dr. को suggest  कर दिया गया। वहाँ उस दिन बहुत ही भीड़ हो रही थी। उसी आपाधापी में निहारिका ने Dr. को दिखा दिया। Dr. ने उसे तुरंत test करवाने को बोल दिया। test  करवाने वालों की भीड़ का तो क्या ही कहना, कब कौन अंदर जा रहा है, कौन निकल रहा है, किसी को समझ नहीं आ रहा था।
जैसे-तैसे निहारिका अपनी report ले कर पहुंची। reports देखते ही Dr. ने बोल दिया आको brain cancer  है। अब आप अपनी life में जो अच्छा लगता है, वो कर लें। सुन कर उसे काटो तो खून नहीं था।
अभी उसकी उम्र ही क्या थी, मात्र 25 साल की ही थी। अभी तो वो ठीक से जी भी नहीं पायी थी, और Dr. ने उसके मरने का फरमान निकाल दिया था। उसे तो अभी सभी कुछ अच्छा लगता था, उनमें से क्या नहीं करे, और क्या क्या करे?
दिन भर हँसती खेलती निहारिका, के अब हर समय ही दर्द रहने लगा था। उसने अपनी बहुत ही अच्छी job छोड़ दी। दिन पर दिन वो पीली पड़ती जा रही थी, हमेशा वो इसी डर के साये में जी रही थी, कि ना जाने वो कितने दिन के लिए है। job छोड़ने से उसके सिर में दर्द तो कम हो गया था, पर अब तक डर उसमे इस हद तक समा गया था, कि वो अपने आप को अब कभी healthy feel नहीं करती थी।
America से उसका बहुत ही पक्का दोस्त यश आया। तो वो सबसे पहले अपनी दोस्त निहारिका से मिलने चला आया। पर निहारिका को यूँ पीला पड़ा देख कर उसे बहुत दुख हुआ। जब उसे पता चला, कि निहारिका को brain cancer है, तो वो बोला, ओह, फिर कुछ सोचने लगा। उसने कहा, मेरा दोस्त रचित brain surgeon  है। मैं भी एक brain specialist  ही हूँ। तो तुम कल उसके ही clinic में आ जाना। वहीं तुझे पूरा ठीक कर दूंगा, मुझसे brain की सारी बीमारियाँ बहुत ही डरती हैं, उसने निहारिका को हंसाने के लिए बोल दिया। पर निहारिका पर इस बात का कोई भी असर नहीं हुआ।.........
यश ने ऐसा सिर्फ निहारिका को हंसाने के लिए बोल दिया था या वो, वाकई निहारिका को ठीक कर पायेगा .......

जानते हैं डर ( भाग - २ ) में