Saturday, 24 August 2019

Poem : ओ कान्हा मेरे, तुम तो हो गिरिधारी

नन्हे कान्हा के पावन जन्मदिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएँ 

ओ कान्हा मेरे, तुम तो हो गिरिधारी



ओ कान्हा मेरे,
तुम तो हो, गिरिधारी। 
 पर मुझको लगती,
 तेरी, बाल-लीला ही प्यारी
 
ओ कान्हा मेरे,
   तुम तो हो, गिरिधारी 

 कालिया मर्दन किया तुमने,
  पूतना भी मारी। 
     पर मुझको लगती,   
  तेरी, बाल लीला ही प्यारी
 
ओ कान्हा मेरे,
  तुम तो हो, गिरिधारी। 

कंस वध, करके तुमने,
पाप से, दुनिया तारी। 
  पर मुझको लगती,  
तेरी, बाल लीला ही प्यारी
ओ कान्हा मेरे,
   तुम तो हो, गिरिधारी। 

गोवर्धन कनिष्ठा में उठाकर,
की पूरे गोकुल, की रखवारी। 
  पर मुझको लगती,  
तेरी बाल लीला ही प्यारी
 
ओ कान्हा मेरे,
तुम तो हो गिरिधारी। 

जब फोड़कर, मटकी तुमने,
माखन खा ली सारी। 
तब मुझको लगती,
  यही, बाल-लीला ही प्यारी। 
 
  ओ कान्हा मेरे,
   तुम तो हो गिरिधारी

बांसुरी की, मधुर तान पर,
गोपियाँ हो गईं बांवरी सारी। 
तब मुझको लगती,
  यही बाल-लीला ही प्यारी। 
 
ओ कान्हा मेरे,
  तुम तो हो गिरिधारी। 

कुछ ना चाहूँ, तुमसे प्रभुवर,
तेरे चरणों में, दुनिया सारी। 
बस मुझको दे दो,
 इन चरणों की रखवारी। 
 ओ कान्हा मेरे,
 तुम तो हो गिरिधारी। 

बोलो बांके बिहारी की जय 

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