Wednesday, 13 June 2018

Story Of Life : सच्चाई भाग-3

अब तक आपने भाग-1 और भाग-2 में पढ़ा- माही रमन-राधिका के घर आई है। वहाँ उन दोनों के झगड़ों से माही त्रस्त हो गयी। पर राधिका का समर्पण देख कर वो रमन से तर्क करने को विवश हो गयी। अब आगे...

सच्चाई भाग-3...

रमन, आप राधिका का ध्यान क्यूँ नहीं रखते? रमन की बात सुन कर माही स्तब्ध रह गयी। रमन ने बताया, कि राधिका के अप्पा 2 साल पहले ही नहीं रहे थे, और राधिका ये हीं जानती है, वह दिल की मरीज़ है, और ये सदमा वो बर्दाश्तहीं कर पाएगी, दम तोड़ देगी। क्योंकि वो अपने पिता से अत्यधिक जुड़ी हुई है,लिए वो रोज़ गजरे के बहाने से उसे रोके रखता है।

वो जानता है, कि राधिका के लिए ऑमलेट बनाना सबसे कठिन है इलिए वो मना करता है, जबकि उसके बिना उससे खाना भी नहीं खाया जाएगा।

रात में दवा लेने को भी इलिए ही चिल्लाता है, क्योंकि वो जानता है कि राधिका अपने पैर की परवाह किए बिना ही काम में लगी रहती है, और अपने दर्द के बारे में कभी कुछ नहीं बोलती है

माही सोच रही थी, जिसे सब झगड़ा समझते थे, वो दोनों का unconditional love था, समर्पण था। आज माहि दोनों के प्यार के आगे नतमस्तक हो गयी थी, दोनों को ही एक दूसरे की कमी नहीं दिखती थी, बस गुण ही दिखते थे, और अपने से ज्यादा अपने साथी कि परवाह थी।

माही और मुकुल की जोड़ी तो सर्वत्र प्रसिद्ध थी, बेहद सुंदर माही और बहुत smart मुकुल, उच्च पद पर आसीन, किसी तरह की कोई कमी नहीं, पर उनमें वो प्यार नहीं था।

माही को लगता था प्यार  का अर्थ है- खूबसूरती, व्यतीत किए हुए सुखद पल, प्रशंसा, अपने जीवन-साथी से बस पाते ही रहने की कामना या दूसरे शब्दो में हें तो- सब अच्छा अच्छा। 

किन्तु रमन राधिका के प्यार को देख कर उसकी धारणा बदल गयी। आज माही को एहसास हो गया था, प्यार की गहराई को, वो जान चुकी थी, कि प्यार नाम है समर्पण का और साथ निभाने का, बाकी सब तो उथली बाते हैं।

वो भी राधिका और रमन की तरह अपने जीवन में प्यार की मिठास घोलना चाह रही थी, आज उसको मुकुल के लौटने का बेसब्री से इंतज़ार था, क्योंकि वो समझ गयी थी कि साथ निभाना वो भी समर्पण के साथ, ही प्यार की सच्चाई है।