Monday, 31 December 2018

Poem : साल 2018 अलविदा

साल 2018 अलविदा



था नवीन, जो कभी
अब हुआ पुराना है
स्वागत किया था, जिसका
वो अब जाने वाला है
सृष्टि की  नियति यही है
चिरकाल तक यहां पर
कौन, रुकने वाला है
था जब, आज वो
स्वपन थे कितने पिरोये
कुछ टूटे, कुछ रहे अधूरे
पर कितने पूरे भी हुए
उन पूरे हुए स्वप्न में
तुमने फ़र्ज़ था, किया अदा
जाते जाते देख तुझको
निकले दिल से ये सदा
याद बनकर, तुम रहोगे
साल 2018 अलविदा
आए थे तो, किया स्वागत
जाते हो तो, लो नमन
खिलेंगी नयी कलियां
महकेगा फिर से चमन

Sunday, 30 December 2018

Special Remedial Tip : Tongue Bite

We all experience the problem of tongue bite, once and more in a life time. Sometimes, it happens while talking and while chewing.
As our teeth are very sharp it causes pain and sometimes blood, too. So, here's a tip for you, which will give you an instant relief.

Melting chocolate

To get an instant relief in case of tongue bite, keep a small block of Cadbury Dairy Milk or any similar tasting chocolate (without nuts, caramel, etc.).
Now, don't chew the chocolate but let it melt. In this tip, do remember that the chocolate shouldn't be white chocolate, dark chocolate or of coffee taste.

If the flow of blood still persists, seek some medical help.

Friday, 28 December 2018

Story Of Life : कोख (भाग- २)


अब तक आपने पढ़ा कि.....  रधिया की माँ कैसे मासूम लड़कियों को अपना शिकार बनाती  थी, पर एक दिन उसे पुलिस पकड़ के ले गयी, माँ के जेल जाने से शातिर रधिया युक्ति सोचने लगती है........  

कोख (भाग- २)

अगले दिन भगवा वस्त्र पहन कर वो उस दंपति के घर पहुँच गयी। और उस स्त्री से मिल कर पूछने लगी, क्या हुआ? आपको बच्चे नहीं हुए हैं। वो बोली नहीं, कोख में तो आ जाते हैं, पर फिर संभाल नहीं पाते हैं। रधिया बोली, तो आपने किसी और की कोख क्यों नहीं ली? किस की लूँ? ये सब क्या इतना आसान है? रधिया बोली, मैं आपका दुख दूर करने ही आई हूँ। पर इन सब में कुछ पैसे खर्च होंगे। पर आपके पास पैसे की क्या कमी है। आपको अपना वारिस मिल जाएगा। रधिया की ऐसी बातें सुन कर वो तैयार हो गयी। रधिया बोली, मैं एक हफ्ते बाद आऊँगी। वहाँ से निकलते ही वो एक गरीब बस्ती में गयी। जहाँ औरतों के बच्चे तो थेपर उन्हें खिलाने को कुछ नहीं था।
रधिया ने रूपा को बोला, तेरे दो दो बच्चे हैं, पर तू उन्हें कुछ खिला तो पाती नहीं है। मेरे संग चल तुझे अमीर बना दूँगी। 
धंधा करवाएगी? रूपा बोली। अरे चल, कैसी गंदी बात कर रही है, तू? रधिया बोली। नहीं रे मैं तो पुण्य का काम करवाउंगी।
अच्छा वो क्या है, रूपा ने पूछा? तेरी कोख किराए पर चाहिए, बस।
फिर तू भी मालामाल, और वो भी खुश। पर सुन तू उनसे कुछ नहीं बोलेगी। मैं ही सारी बात करूंगी। रूपा अनपढ़ थी, फिर उसे पैसों की बहुत जरूरत भी थी। उसने हाँ कर दी।
रधिया दंपति से मिली, फिर उसने सौदा 10 लाख में तय किया। दस लाख उस दंपति के लिए कोई ज्यादा नहीं थे, इसलिए वो तुरंत मान गए।
रधिया ने पाँच लाख, डिलीवेरी के पहले रूपा के रख-रखाव के लिए ले लिए। उसमें से उसने रूपा को हर महीने के 8,000 देने शुरू कर दिये। जिससे रूपा और उसके बच्चों का पेट भरने लगा। और उसे कहा कि 2 लाख डिलिवरी होने के बाद दूँगी। रूपा के लिए 8हजार ही काफी थे। 2 लाख तो वो कभी सोच भी नहीं सकती थी। उसे रधिया भगवान लगने लगी। यही हाल उस दंपति का था। बच्चा मिलने की चाह में उन्होंने रधिया को 2 लाख और भी दे दिये, अब रधिया रूपा को 10,000 देने लगी। बहुत ही सफलता पूर्वक डिलिवरी हो गयी। दंपति बच्चा पा कर खुश थे। और रूपा अपने बच्चों की भूख मिटा कर।
दंपति की खुशियों की खबर जब उनके जानने वालों को लगी, तो उन्हें भी अपने दुख दूर करने का रास्ता मिल गया। रधिया के पास वैसी ही 4 दंपति और आ गयी उधर रूपा की बस्ती में भी रूपा के सुख का कारण पता चला, तो वहाँ से और औरतें भी आ गयीं।
अब तो रधिया का बिजनेस चल पड़ा। वो सभी को अच्छा पैसा देती। और खुद भी अच्छा कमाने लगी। अब तो उसने वारिस नाम से एक  अस्पताल भी खोल लिया, जिसमे प्रेग्नेंट लेडिज को सब सुविधा प्रदान होती थी। डॉक्टर भी रख लिए, तो डिलिवरी के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ता था। वो किसी भी औरत को 2 बार से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करने देती थी।
5 साल बाद जब उसकी माँ जेल से वापिस आई। तब तक तो रधिया का खूब नाम हो चुका था। सब बड़े लोगों में उसका उठना बैठना था। और पुलिस भी कभी उसे पकड़ने नहीं आई। रधिया की माँ उसके गले लग के बोली, बेटा मैं तो इतना बड़ा सोच ही नहीं पायी। तू तो मुझसे भी आगे निकल गयी। और सबमें तेरा नाम भी हो गया। मैं सोच ही नहीं पायी, औरत से महंगी तो उसकी कोख है। इसमें सम्मान भी है, और जो तेरे जैसा हो, वो पैसे भी कमा ले।

Thursday, 27 December 2018

Story Of Life : कोख

कोख


आज कल के लड़के-लड़कियां बहुत ही जल्दी तुनक जाते हैं, जिसका फायदा रधिया की माँ को उठाना खूब आता था। वो ऐसी ही लड़कियों की तलाश में रहा करती थी। वो ऐसी लड़कियों को जब पा जाती, तो उन्हें उनके माँ-पापा के खिलाफ खूब भड़काती। और साथ ही उनके खूब मज़े भी कराती जिसमें उन्हें खूब फिल्म दिखाना, होटलबाजीराना शामिल था
और जब वे अपने घर वालों से पूरी तरह से चि जातीं, और उसके चंगुल में पूरी तरह आ जातीं। तब उनसे धंधे का काम करवाती। उसके कर्जे में डूबी वो बेबस हो जातीं, उसकी बात मानने के लिए। कोई पुलिस कम्प्लेंट भी ना कर पाती। कोई कुछ बोलता भी तो, वो यही बोलती, मैई बोलीच क्या तुमसे, अपनी मर्ज़ी से आई थी ना तू। एक तो मैं तेरे काम आई, और तू मुझ कू ही बोलेगी। अपुन भी तो करती ना। फिर उसमें लगता कुछ नहीं है, खाली मिलताईच है। तेरे को नहीं मांगता तो मत कर। बस मेरे पैसे चुका दे। मेरे को क्या करना तेरे से। अपने पैसे मांगती है मैं तो बस। पैसा चुका दे, और निकल ले।
पर एक दिन पुलिस वालों को पता चल ही गया। और उसे पुलिस पकड़ के ले ही गयी। माँ के जेल जाने से धिया को पैसे की कमी पड़ने लगी। पर वो माँ से भी ज्यादा शातिर थी।
उसने सोचा, कोई ऐसा काम किया जाए जिसमें एक पैसे भी ना लगे, सबको पता भी रहे, पर ना पुलिस का लफड़ा हो ना ही शरम की बात हो।
एक दिन वो मंदिर में बैठी यही सब सोच ही रही थी, कि एक बड़ी सी गाड़ी से एक दंपति उतरे। प्रसाद, फूल- माला आदि ले कर भगवान से प्रार्थना करने लगे, हे प्रभु, इतना दिया है, तो एक संतान भी दे दें। उसके बिना सब अधूरा है।
ये प्रार्थना करके वे चले गए। तो राधिया ने पुजारी से पूछा ये कौन थे बाबा ? वे बोले, बहुत बड़े आदमी हैं। और ऐसे ही लोगों की संख्या बढ़ती भी जा रही है। बड़े घरों में हम लोगों के यहाँ जैसे जल्दी शादी तो होती नहीं है। फिर शादी करके भी 5-6 साल निकाल देंगे। इन सब में बच्चे पैदा करने की उम्र निकल जाती है। फिर भगवान के द्वार आएंगे, कि हे प्रभु एक बच्चा दे दें। अब इसमें भगवान क्या करें? देरी खुद करो, फिर भगवान को कोसो। यही करते हैं आजकल तो। पुजारी जी अपना बोलने में लगे थे, पर इससे रधिया को युक्ति मिल गयी कि कैसे बिना खर्चे के सम्मान का काम मिल सकता है।
वो बोली आप इनका पता जानते हैं, बाबा? अरे इन्हें कौन नहीं जानता? वो पीछे ही तो विशाल कोठी है। अच्छा बाबा, आपको पता है, मुझे भगवान जी ने कहा है, कि ऐसे जितने भी लोग हैं, मुझे सबका दुख दूर करना है। तो ऐसी कोई भी दंपति आए, तो मेरे पास भेज देना। सब के कष्ट दूर हो जाएँ शायद। और हाँ भेजना भूलना नहीं, आपके मंदिर का भी नाम होगा, ये कहते कहते वो चली गयी।
अगले दिन भगवा वस्त्र पहन कर वो उस दंपति के घर पहुँच गयी.....
आखिर रधिया को क्या युक्ति सूझी, जिससे वो उस दम्पति के घर पहुँच गयी, जानते हैं कोख के भाग-२ में.....  

Tuesday, 25 December 2018

Article : Christmas


Christmas

Christmas एक ऐसा त्योहार, जिसे देश-विदेश हर जगह मनाया जाता है। Christmas, God Jesus की birthday है।
25 December की कड़कती ठंड में Bethlehem की गौशाला में ईश्वर रूप Jesus का जन्म हुआ था। Christmas हमें ये सिखाता है, जिस तरह mother Merry और God Jesus ने सारी कठनाइयों को सहन करते हुए, सच और सभी प्राणियों से प्रेम करना कभी भी नहीं छोड़ा, वैसे ही हमे भी सत्य और प्रेम का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि इन पर चलते हुए ही हम ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं। 
साथ ही Christmas प्रेम का, उत्साह का और सबसे बढ़कर ये त्योहार है, उम्मीद का। मासूम बच्चों को Christmas का कितना ज्यादा इंतज़ार रहता है, वो कितने दिन पहले से अपनी wish list बनाने लगते हैं।
सेंटा क्लॉज़ आएंगे, और उनकी wish के according उनको बहुत सारी चीज़े दे जाएंगे।
उन्हे पता ही नहीं होता है, कि असल में सेंटा कभी आते ही नहीं हैं। बल्कि ये कोई, और नहीं उनके अपने ही माँ-पापा, दादा-दादी, भाई-बहन या उन्हें कोई बहुत ज्यादा चाहने वाला ही होता है, जो उनके लिए सेंटा बन जाता है।   
पर जब वे बड़े होने लगते हैं। तब वे जान पाते हैं, कि उनके Mumma Papa या कोई अपना ही उनके सेंटा क्लॉज़ थे।
पर उनके जानने के पहले तक के वो मासूमियत से भरे साल, अगर आपके बच्चे बड़े भी हो गये हों, तो भी शायद आप नहीं भूले होंगे। वो साल हर बच्चे और उनके Mumma-Papa दोनों के लिए ही यादगार रहा करते हैं।
उस समय बच्चों की wish list तो होती ही है, साथ ही उनके अंदर एक curiosity ये भी होती है, कि सेंटा कभी दिखते क्यों नहीं हैं?
कभी सामने से आकर कोई gift क्यों नहीं देते हैं? वो कैसे दिखते हैं? उनका कैसा चेहरा होता है, आदि बहुत सारी बातें उनके मन में चलती रहती है। जो कि बड़े होने पर सब पता चल जाती हैं।
Christmas में कितनी सारी shops, malls में carnivals लगते हैं। जिसमे बच्चे-बड़े सभी बहुत मस्ती करते हैं। और Cakes को हम कैसे भूल सकते हैं, उसका तो नाम आते ही कोई अपने मुँह में पानी आने से कैसे रोक सकता है? कितने सारे flavor! सच cake, chocolate, ice-cream ये सब तो बच्चों की दुनिया की सबसे yummy चीज़ें हैं। और बच्चों के लिए तो Christmas-means lots of Gifts, Cakes, Cookies, Chocolate, Candies, Fun and love
तो चलिये हम भी इस Christmas में बच्चों की ही दुनिया में चलते हैं। और उन्हीं की तरह मासूमियत भरे पल को जी के आते हैं। Santa Clause से hello करते हैं, उनके साथ selfie लेते हैं। और खूब सारे Cakes, Cookies, Chocolate, Candies खाते हैं, खूब सारा Fun करते हैं।
Merry Christmas

Friday, 21 December 2018

Kids Story: मिनी


मिनी


शादी होकर आई, तो सबमें बहुत जल्दी घुलमिल गयी। कब मैं अपनी ससुराल में बहू से बेटी बन गयी, पता ही नहीं चला। मेरा पूरा ससुराल बहुत ही अच्छा था। मिनी और मनीष मेरे दो प्यारे बच्चे थे। उनके होने के बाद तो मेरे जीवन का जैसे मकसद ही बदल गया।
मेरे ज़िंदगी की धुरी बच्चों के इर्द-गिर्द ही घूमने लगी। पर बाप रे! बच्चों को पालने को अगर त्रिदेव को भी बोल दिया जाए, तो शायद वो भी यही सोचेंगे कि किसी स्त्री का निर्माण कर दिया जाए। जी हाँ, बच्चों को अच्छे संस्कारों के साथ बड़ा करना हो तो स्त्री के धैर्य के बिना वो संभव ही नहीं है।
मिनी जब स्कूल से लौटती, तो मैं उसे खाना खाने को दे दिया करती थी, पर मजाल है, कि जब तक 20 से 25 बार ना बोल दूँ मिनी खाना खत्म करो” और उसका खाना खत्म हो जाए। पर उसके बाद भी वो पूरे 2 घंटे में खाना खत्म करती। कितनी ही बार ऐसा होता था, कि मेरा धैर्य जवाब दे जाता, कि इसका खाना तो दिन भर में खत्म नहीं होने वाला, और मैं खुद खिलाने बैठ जाती। यही हाल मनीष का भी रहा।
जब मिनी बड़ी हुई, सब बोले उससे अपने काम में हाथ बँटवा लिया करो सब की सुन के मैंने उसे कुछ काम देने शुरू किए, तो हे मेरे भगवान! जो काम मैं चार मिनट में खत्म कर लेती थी, उसे मेरी लाडो रानी 40 मिनट में भी खत्म नहीं कर पाती थी। जितनी थकान मुझे काम कर के नहीं होती थी, उससे ज्यादा उसे देख कर होने लगती थी, कि काम ना जाने कब खत्म होगा।  और फिर मैं खीज़ कर सारे काम खुद ही खत्म कर दिया करती थी। मिनी को तो काम के लिए तब ही आवाज़े लगती थी, जब मैं बीमार हुआ करती थी।

मिनी के पिता और बाकी सब के कहने से मिनी काम तो करना सीख गयी थी, पर काम को खत्म करने की स्पीड उसकी बड़ी स्लो थी।
मेरी ज़िंदगी में वो दिन भी आया, जब मिनी का विवाह सम्पन्न हो गया, और वो अपने घर चली गयी। कुछ ऐसा रहा, कि शादी के बाद मैं कभी उसके घर नहीं जा पाई। जब भी आई, मिनी ही आई।   
पर आज उसके बेटे की पहली सालगिरह थी। उसका व दामाद जी दोनों का फोन आया था। माँ आप आज नहीं आयीं तो हम भी कभी नहीं आएंगे। आपकी, ऋषिता के पहले जन्मदिन पर तबीयत ठीक नहीं थी, इसीलिए हम मान गए थे, पर अगर आप इस बार नहीं आयीं, तो हम हमेशा के लिए गुस्सा हो जायेंगे याद रखियेगा माँ, फोन रखते रखते मिनी बोली।
मिनी के पापा ने वादा किया कि इस बार सब आएंगे। आज पहली बार मैं मिनी के घर गयी थी। देखा वो भी मेरी ही तरह चकरघिन्नी बनी घूम रही थी। और मैं साथ में ये देखकर दंग रह गयी, कि मेरी मिनी तो मुझ से भी ज्यादा तेज़ी से सारे काम निपटा रही थी। तभी वो नन्ही ऋषिता को मेरे पास बैठा गयी, और बोली माँ इसे- "खाना खाओ,खाना खाओ", बोलती रहिएगा, तभी इसका खाना 2 घंटे में खत्म होगा। माँ, ये मुझे खाना खाने में रुलवा, खिजवा देती है। आप इसे देखिएगा, मैं तब तक सारे काम निपटा दूँगी
मिनी को देख कर लगा, जैसे मेरा सारा अतीत घूम गया था। और मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया, सभी बच्चे सब कुछ धीमे- धीमे ही करते हैं, स्पीड तो अभ्यास से आती है। हमारी भी ऐसी ही आई होगी, और हमारे बच्चों में भी वैसे ही आएगी। कहीं भी जादू नहीं होता है, धैर्य रखें, खीजें नहीं, बल्कि बच्चों को प्रोत्साहित करेंउन्हें कार्य समय से कैसे किया जाए वो करना सिखाएँ, वो भी बहुत ही प्यार से
सच आज मेरी मिनी बड़ी हो गयी थी, और मुझसे ज्यादा होनहार भी     

Wednesday, 19 December 2018

Poem : हमसफ़र का साथ

हमसफ़र का साथ 


ज़िंदगी की राह
टेड़ी-मेड़ी हो मगर
साथ हो गर हमसफर,
तो रास्ता कट जाता है,
कठनाईयाँ कब पड़ी
ये समझ नहीं आता है
इसलिए ही खुदा ने
अकेला ना भेजा हमें  
   हमसफर का साथ दिया     
   ना घिरे परेशानियों में     
हाथों में उसका हाथ दिया
और कोई साथ दे ना दे
संग चलेगा हमसफर
चाहे कितनी भी हो लंबी
हो कठिन चाहे डगर
जो हमसफर है तुम्हारा  
उसका मान करो सम्मान करो
है धरोहर वो खुदा की
भूल से भी कभी भी
उसका ना अपमान करो