Monday, 25 November 2024

Poem: ऐ मेरे हमसफ़र

ऐ मेरे हमसफ़र 



ज़िन्दगी का यह सफ़र 

ऐ मेरे हमसफ़र 

खुशनुमा हो गया 

जब हम चले थे 

एक डगर 

एक हस्ती थी तुम्हारी 

एक हस्ती थी हमारी 

एक-दूसरे की दुनिया से 

हम दोनों थे बेखबर 

पल पल, लम्हा लम्हा 

जो जो गया गुज़रता 

कब कैसे एक-दूसरे में 

दोनों ही खो गये

दिखते हैं हम सबको 

अब  एक ही नज़र 


Happy anniversary my love 💞