Thursday, 9 March 2023

Memories: त्यौहार सिमट गये

त्यौहार सिमट गये 

आज सुबह जब खिड़की खोली, तो आसमान का रंग कुछ ऐसा था, जो बरबस ही यादों के झरोखे में ले गया।

यूं तो हर त्यौहार की अपनी अलग ही विशेषता होती है, पर हम हिन्दुओं में होली और दीवाली की अधिक महत्ता होती है।

बात बचपन की है। तब हम चारों भाई-बहनों को होली कुछ ज्यादा ही आकर्षित होती थी। आप कहेंगे कि बच्चों में रंग खेलने की इच्छा बलवती ही होती है।

जी, बिल्कुल सही कहा आपने, पर इसके साथ इससे भी बड़ा कारण था, हम लोगों के बड़े चाचा-चाची और छोटी बहन का आना होता है।

उन लोगों के आने से त्यौहार में चार चांद लग जाते थे। और हम सब बच्चे चले जाते थे, अपने dreamland में...

उसका भी एक कारण था, चाचा की बेटी की सारी इच्छा पापा-मम्मी पूरी करते थे। और हम लोग की चाचा-चाची.. तो अगर देखें तो हम पांचों भाई बहन के वो दिन स्वप्निल हो जाते थे। 

मतलब अपने-तुम्हारे की भावना से ऊपर हमारे के भाव में रहा करते थे हम लोग...

होलिका दहन के दो दिन पहले से लेकर, होली खेलने और उसके बाद दूज के और दो दिन बाद तक बस मस्ती मज़ा और धमाल..

मम्मी और चाची का मिलकर होली के पकवान बनाना, चाचा का कलात्मक तरीके से गुजिया गोंठना... कभी भूलेगा ही नहीं..

फिर दूज के दिन, रूचना-टीका के बाद चाचा-चाची का हम लोगों का फिल्म दिखाने ले जाना, वो तो जैसे सोने पर सुहागा ही हो जाता था...

उन लोगों ने हम लोगों को खूब फिल्में दिखाईं, सब बहुत अच्छी थी, लेकिन जो सबसे अच्छी लगी थी, वो थी मैंने प्यार किया

Undoubtedly वो फिल्म बहुत अच्छी थी, पर उसमें भी एक खास कारण था, जो वो विशेष पसंद थी।

हुआ यह था कि जब हम लोग पहुंचे थे तो, फिल्म शुरू हो चुकी थी। जैसे ही हम लोग picture hall  में पहुंचे, उसमें आलोकनाथ कहता है सुमन, और भाग्यश्री पलटती है, सुमन नाम सुनकर, हम सब चाची की तरफ देखने लगे और चाची ने मीठी सी मुस्कान दे दी।

दरअसल हमारी सुंदर सी चाची का नाम भी सुमन है, तो समझे आप क्यों वो फिल्म special थी?

नहीं समझे? अरे भाई heroine के साथ फिल्म देखने वाली feeling आ रही थी।

ऐसी ही बहुत सी मीठी यादों के साथ होती थी, हमारी होलिका दहन के दो दिन पहले से दूज के दो दिन बाद तक की होली

तो यह तो रहा, बचपन का हमारा होली का त्यौहार

फिर शादी हो गई, बंगाल में पहुंच गए, सबसे दूर, किसी का आना-जाना नहीं, सारे त्यौहार सूने से ही जाने लगे, क्योंकि पतिदेव की कभी भी छुट्टी नहीं होती थी ..

बहुत प्रयास के बाद, ईश्वर की कृपा, बड़ों के आशीर्वाद, मामा और बड़े भाई के सहयोग से दिल्ली आ गए।

यहां छोटा भाई भी था। एक बार फिर से त्यौहारों का अस्तित्व में आना शुरू हो गया। फिर से होली का त्यौहार, सिर्फ रंगोत्सव के रूप में सिमट कर नहीं रह गया था, बल्कि फिर से दूज का इंतज़ार रहने लगा था। 

भाई-भाभी और बिटिया रानी के आने से दूज में फिर से रौनक लौट आई थी। जैसे चाचा-चाची के आने से हम भाई-बहन स्वप्निल संसार में होते थे, वैसे ही भाई-भाभी और बिटिया के आने से बच्चे dreamland में होते, वो सबके लिए बहुत कुछ लेकर आते, हम भी खूब सारे पकवानों के साथ तैयार रहते...

बहुत ही सुखद अनुभव रहता था, त्यौहार, त्यौहार लगता था। 

पर अभी कुछ साल पहले ही वो लोग Bombay चले गए।त्यौहार की रौनक धूमिल लगने लगी। अब ना दूज में इंतज़ार रहता, ना उस दिन किसी पकवान को बनाने की इच्छा।

पर रही सही कसर, इस बार की होली में निकल गई, बच्चों के exam का schedule ऐसा था कि होली के कुछ दिन पहले से शुरू होकर होली के कुछ दिन बाद तक exams हैं और हद तो यह है कि होली के एक दिन पहले भी और एक दिन बाद भी..

जब बच्चों को हर समय पढ़ते ही रहना होगा तो क्या होली?

फिर किस तरह से बच्चों में उमंग और उत्साह रहेगा?..

क्या इस तरह से बच्चों के जीवन से उत्साह, उल्लास, उमंग और जोश या यूं कहें कि बचपन ही ख़त्म नहीं हो जाएगा?

अब तो होली की छुट्टी, school हो, college हो या office हो, मात्र एक दिन की ही होती है। इतना बड़ा त्यौहार और छुट्टी बस एक दिन..

Board के exam तो जब हमारा बचपन था और आज जब हमारे बच्चों के board हैं, होली के त्यौहार की रौनक तो हमेशा से ही तहस-नहस कर दी जाती है।

पर अब जब सरकार हिन्दुत्व की ओर बढ़ावा दे रही है तो उनसे अपील है कि अगर हिन्दुत्व को महत्व देना है, तो यह सम्भव तो तभी होगा ना, जब त्यौहार, संस्कृति और संस्कार को बढ़ावा मिलेगा।

ऐसे में बड़े त्यौहार में दो या तीन दिन की छुट्टियां रहे, atleast बच्चों की तो रहे ही, साथ ही उनके final exam की date ऐसे हों कि या तो होली आने के पहले ख़त्म हो जाए या होली के 4 से 6 दिन बाद start ह़ो... 

आप कहेंगे कि आज कल schools and colleges तो, ज्यादातर private ही होते हैं तो उसमें सरकार से appeal से क्या होगा? 

तो उसका जवाब यह है कि अगर government order रहेगा तो private हो या government, rules तो सबको follow करने ही होंगे।

अगर यह बात, सरकार तक पहुंच जाए और त्यौहारों पर ज्यादा दिनों की छुट्टी मिल जाए, तो त्यौहार जो सिमट कर रह गये हैं, वो अपना अस्तित्व वापस पा लेंगे और कुछ हद तक बच्चों को भी अपना बचपन वापस मिल जाएगा...

तो बच्चों और धर्म के लिए इतना तो बनता है।


भाई-दूज पर्व पर सभी भाइयों व बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं 💐 🙏🏻