Monday 12 February 2024

Article: सफ़र है सुहाना

सफ़र है सुहाना 



बहुत दिनों से मन था कि भारत को उसके border पर जाकर नतमस्तक करें, उन शहीदों को नमन करें, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया और उन वीर सैनानियों को प्रणाम करें, जो देश के आज़ाद हो जाने के बाद से निरंतर देश की सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। 

साथ ही, बाबा जी की मेहर भी लेनी थी। 

दोनों इच्छाएं एक जगह पूरी हो सकती थीं, वो है अमृतसर.. 

इस 26 जनवरी के दिन वो इच्छा पूर्ण हो गई, तो हमने वहां क्या अनुभव किया, वो तो हम आपको share कर चुके हैं। 

हमारा वो सफ़र बहुत सुहाना रहा...

पर क्यों रहा?

उसे जानने और समझने की कोशिश करते हैं।

क्या अमृतसर बहुत अच्छा शहर है?

बिल्कुल है... 

बल्कि हम तो यही कहेंगे कि भारत के सभी शहर बहुत अच्छे हैं, हर शहर में कुछ विशेष मंदिर, fort और monuments हैं, जो आपके दिल को छू जाएंगे...

पर क्या इन से ही सफ़र सुहाना हो जाता है? 

नहीं, बिल्कुल नहीं... 

जब भी कोई किसी जगह घूमने जाता है, तो वो केवल सिर्फ घूमने नहीं जाता है बल्कि वो अपनी जिंदगी के कुछ हसीन लम्हों को जीने जाता है, एक अविस्मरणीय यादों को संजोने जाता है।

और वो पल, वो यादें केवल, मंदिर, monuments and fort से ही नहीं जुड़ती है, बल्कि उसे जोड़ने के लिए वहां मिलने वाले लोग भी शामिल होते हैं।

वो hotel जहां आप रुके हैं, वहां का staff, उस जगह को घुमाने के लिए ले जाने वाले cab driver, auto driver, rickshaw वाले, दुकानदार, वहां रहने वाले local लोग आदि सभी शामिल होते हैं।

हर एक को सोचना चाहिए कि आप के शहर में जब कोई मेहमान आया हो, चाहे वो देश का हो या विदेशी... वो आपके व्यवहार से ही आपके शहर की छवि लेकर जाएगा। 

हम सभी को अपना शहर प्यारा होता है, तो हमें ऐसा करना चाहिए कि आने वाला भी हमारे शहर की तारीफ करे...

और अगर मेहमान विदेशी है तो, वो तो शहर के साथ हमारे देश की छवि भी लेकर जाएगा। 

तो उनका ध्यान अवश्य रखें...

आज इस article द्वारा दो लोगों को धन्यवाद देना है, साथ ही एक अनुरोध भी करना है।

पहला अपने hotel के manager, Tony Ji को, दूसरा हमारी Hyundai Etios (cab) के owner cum driver, Sonu Ji को...

हमारी शताब्दी train, late हो गई थी, और वो रात को 1:30 बजे अमृतसर पहुंच रही थी, जो कि 10:10 पर पहुंचती थी। अंजान शहर, आधी रात और बच्चों का साथ, हम दोनों पति-पत्नी सोच नहीं पा रहे थे कि क्या करें?

फिर सोचा कि Tony Ji से ही बात की जाए, unknown तो वो भी थे, पर क्योंकि वो hotel के manager थे तो उनसे best option और कुछ नहीं लगा। 

हमने उनसे बात की, तो वो बोले, आप बिल्कुल चिंता मत करिए, मैं खुद लेने पहुंच जाऊंगा, बस आप गाड़ी लगने लगे, तब हमें call कर लीजिएगा। और platform number 7 पर आ जाना...

उनका यह कहना, मानों हम लोगो को अंदर तक confidence दे गया। लगने लगा था कि किसी ऐसे शहर में जा रहे हैं, जहां कोई अपना है। जो आधी रात को भी हम लोगों को लेने पहुंच जाएगा!..

Station पहुंच कर, पता चला कि Platform number 7 तो बहुत सुनसान है। हमने phone किया कि हम तो platform number 1 पर ही आएंगे। 

वो बोले कि, आप आ जाओ, कोई डर नहीं है, मैं आ गया हूं। पर हम अपने आपको राज़ी नहीं कर पा रहे थे और हम platform number 1 पर ही रहना चाह रहे थे। 

वो बोले, फिर आपको अपने आप आना पड़ेगा। बाकी डर की कोई बात नही है, आप किसी के भी साथ आओ।

हमने station के बाहर आकर देखा, सिवाय एक auto के अलावा कुछ नहीं था। हमारी मजबूरी देखकर उसने हम से दुगुना पैसा मांगा, हमारे पास कोई दूसरा option नहीं था, अतः हम उसी से hotel पहुंचे।

वहां जब हम पहुंचे तो Tony Ji हमारा इंतज़ार कर रहे थे, बिना किसी शिकन के, कि हमने इतनी रात को उन्हें station बुला लिया था, फिर उनके साथ नहीं आए। 

हमारा room उन्होंने ready कर रखा था। क्योंकि हमारे room के बाहर, open area था, तो ठंड ज्यादा लग रही थी, हमने extra blankets मांगें, उन्होंने वो भी दे दिया।

साथ ही उन्होंने geyser भी on करके रखा था कि अगर, नहाना हो या हाथ मुंह धोना हो तो गर्म पानी तैयार मिले...

Room में पहुंचने के साथ ही चाय-कॉफी, खाना देने के लिए भी पूछा। हमारे मना करने के बाद, वो इस हिदायत के साथ गये कि किसी भी तरह की कोई भी आवश्यकता हो तो, बिना झिझके बोल दें। और यह भी कि अगली सुबह जल्दी उठ जाएं, जिससे सब जगह अच्छे से घूम लें। 

वो चले गए, और ऐसा लगा, जैसे घर में ही आए हों, जहां हमारा इंतज़ार, एक परिवार के सदस्य जैसे, किया जा रहा हो। 

अगले दिन, सुबह 7 बजे हमने जब phone किया कि हमें घूमने के लिए कोई car मिल जाएगी? 

उन्होंने कहा कि अगर आप चाहें तो hotel से बाहर निकलते ही आपको बहुत सारे auto मिल जाएंगे। वो काफी सस्ते होंगे और आप सुविधापूर्वक घूम भी लेंगे।‌ मतलब हम घूमने आए हैं तो, वो हमें जबरदस्ती महंगा option बताएं, वो ऐसा हरगिज नहीं कर रहे थे।

हमने कहा कि, हमें पूरे दो दिन के लिए एक car चाहिए।  तो उन्होंने हमें अपने जानकार car वाले, Sonu ji से परिचय करा दिया। 

सारी बात हो गई। समय 8 बजे का निर्धारित हुआ। हमने breakfast का order, hotel में ही किया और नहा-धोकर तैयार होने लगे। पर समय ज्यादा लग रहा था, क्योंकि रात में बहुत देर से आए थे। तो कोई जल्दी उठना नहीं चाह रहा था।

पर Tony Ji, वो जितने रात में 1: 30 बजे active थे, उतने ही सुबह भी.. साथ ही बीच-बीच में आकर हम लोगों को झकझोर जाते कि जल्दी तैयार हों, जिससे सब जगह समय से पहुंच सके।

उनका इस तरह का व्यवहार हम लोगों के मन में अपनत्व भर रहा था, मानो जैसे कोई बड़ा भाई, हम लोगों के साथ हो। 

घूमने जाने से पहले हमने रात की ठंड का जिक्र किया तो उन्होंने कहा, आप लोगों घूम कर लौट आएं, हम room' change कर देंगे। और उन्होंने वैसा किया भी, पहले हमारा  three beds का room था, पर अब उन्होंने 2 double bed room दें दिया था, पर charge, same ही रहने दिया। हम से extra पैसे नहीं लिए...

जब हम घूमने जाने के लिए, car में बैठे तो Sonu ji बोले, Sir आपको जैसे-जैसे जहां जाना हो, हमें बता दीजिए। हर जगह आप सही समय से पहुंच जाएं और आपको बहुत ज्यादा भीड़ का सामना भी नहीं करना पड़े और जरूरत से ज्यादा चलना भी ना पड़े, मैं वैसी कोशिश करुंगा।

उसके बाद हम जहां के लिए कहते, वो वहां ले चलते, साथ ही जो अन्य देखने की जगह होती, वो भी बता देते और हमारे कहने पर वहां भी चल देते। किसी जगह का टिकट अगर ज्यादा महंगा था तो वो भी अगाह कर दे रहे थे और हमारे कहने पर वहां भी ले जा रहे थे। 

कुल मिलाकर दो दिन में उन्होंने हमें सभी दूर और पास की जगहें घूमा दी थी। जैसा उन्होंने कहा था, वैसा ही किया, सब जगह बहुत अच्छे से घुमायीं। दूसरे दिन हमें golden temple के नज़दीक छोड़ कर वो चले गए...

सब जगह वो हमें ले गए थे, बस जलियांवाला बाग और partition museum छोड़कर, क्योंकि वहां हमें तीसरे दिन जाना था। साथ ही हम golden temple भी गये थे, जाने से पहले एक बार फिर से पवित्र स्थान पर माथा टेकने....

हमारे अमृतसर के सुहाने सफ़र में इन दोनों का ही हाथ है, दोनों को ही धन्यवाद। साथ ही उन local citizens को भी, जिन्होंने हमें बीच-बीच में सहायता प्रदान की थी, जब हमें अमृतसर से जुड़ी बातें समझनी थी। 

साथ ही गुज़ारिश है, बाकी उन सभी लोगों से जो कि tourism से किसी भी तरह से जुड़े हों, वो सब भी अपने अतिथि का ऐसे ही ध्यान रखें। अपने चंद रुपयों के margin के लिए, लोगों के सुखद पल, सुहाने सफ़र और अपने शहर की छवि को धूमिल ना करें। 

अपने चंद रुपयों के margin के लिए लोगों को ग़लत जगहों पर ले जाना, गलत सामान दिलवाना, या किसी जगह पर जबरदस्ती ले जाना या उनसे उनकी इच्छा के विपरीत सामान खरीदने को कहना और उनके मना करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार करना, उसे भला-बुरा कहना, किसी भी तरह से उचित नहीं है।

आप के ऐसा करने से ज्यादा लाभ, आपके अच्छे से व्यवहार करने से होगा, क्योंकि जब कोई खुश होकर जाता है तो वो आपकी चार जगह तारीफ करता है, चार लोगों को आपके पास आने को कहेगा तो आप को अपने आप लाभ मिल जाएगा।

और एक बात, जब लोग खुश होते हैं तो ईश्वर से भी आपके लिए अच्छा करने की कामना करते हैं। और उससे जो आपको लाभ होता है वो स्थाई और शुभ फलदाई होता है, क्योंकि उसमें ईश्वर भी आपके साथ होते हैं।

किसी का सुहाना सफर और आप का सुख, एक-दूसरे के पूरक हैं। सुख दीजिए, सुख पाइए... 

आज इस article को लिखने का मुख्य उद्देश्य सबके सुख की कामना है...

सर्वे भवन्तु सुखिन: 🙏🏻😊