Wednesday, 31 March 2021

Tips : Side effects of papaya

Fleshy and juicy golden yellow papaya, nutrition से भरा हुआ फल है। इसमें calories and fats low रहते हैैं, साथ ही यह dietary fibre का rich source है। 

Papaya, vitamin A की deficiency का incidence rate कम कर देता है। Papaya मैं पाए जाने वाला vitamin C, एक powerful antioxidant है, जो आपकी immunity को boost करने का काम भी करता है। साथ ही, papaya आपको cancer, hypertension, blood vessel disorders, premature aging, constipation, etc. से भी बचाता है।

Medium-sized papaya, आप को vitamin C की एक दिन की required value दे देता है।

किसी भी चीज की excess, harmful होती है।

उसी तरह से papaya की excess quantity भी harmful होती है। साथ ही कुछ conditions ऐसी होती हैं, जिसमें papaya के intake से complications* हो जाती हैं।

आज आपके साथ, हम वही share कर रहे हैं।

Side effects of Papaya




1. May Cause Abortion -

Unwanted pregnancy को naturally terminate करने के लिए Raw papaya, use किया जाता है।

Rat पर की गई studies, यह show करती हैं कि Raw या unripe papaya, pregnancy में unsafe होता है। 

Raw papaya से abortion, miscarriage, premature labor, infant में abnormalities & stillbirth जैसी problems develop हो सकती हैं।

जबकि ripe papaya तब भी थोड़ा safe होता है। पर फिर भी pregnancy में papaya avoid करना ही safe है।


2. Can Cause Carotenemia -

अगर papaya काफ़ी ज़्यादा quantity में daily consume किया जाए तो papaya में पाया जाने वाला β-carotene, blood में मौजूद carotenoid levels को बढ़ा देता है, जिससे skin discoloration की problem हो सकती है। इसे medically, Carotenemia कहते हैं। 

इसके चलते eyes की yellowing, soles and palms की whitening जैसी problems हो जाती हैं, जो jaundice के symptoms से मिलते-जुलते हैं।


 3. May Cause Respiratory Allergies -

Papaya में पाए जाने वाला enzyme 'Papain', allergy का बहुत बड़ा कारण है। Papaya का excessive consumption बहुत तरह के respiratory diseases/disorders को trigger कर देता है, जैसे - Obstructed breathing, Wheezing, Nasal passages में continuous congestion, Asthma, etc.

वहीं कुछ लोगों को papaya से dizziness, headaches, जैसी problem भी हो जाती है।


 4. May Upset The Stomach- 

बहुत ज्यादा papaya intake से gastrointestinal tract (GIT) की functioning गड़बड़ हो जाती है। Papaya fibers का rich source होता है, इसलिए इसके excessive intake से stomach irritation, abdominal cramps, bloating, flatulence, और nausea जैसी problem हो जाती है।

5. May cause blood thinning

Studies से यह prove हो चुका है कि papaya में उपस्थित latex में यह potential होता है कि वो  blood-thinning effects को escalate कर देता है।

इसलिए अगर आप medical advise पर blood-thinning medicines या anticoagulants लें रहे हैं तो 'unwanted harsh effects' को avoid, करने के लिए, papaya intake से पहले doctor से advice ले लें।

अगर आप की surgery, few weeks में होने वाली है तो Papaya avoid करें। क्योंकि Papaya anticoagulant nature का होता है।

Conclusion 

Papaya, अपने important ingredient के कारण बहुत healthy fruit है। पर latex and high fiber content के कारण excess intake से complications होने की संभावना रहती है। 

हमारे इस tip को डालने का main reason, यह है कि आप healthy रहें।

आप papaya खाएँ पर excess quantity में नहीं खाएँ।

और अगर आप को कोई भी problem हो तो, आप papaya की consumable quantity के लिए, doctor को advice अवश्य करें।

डिस्क्लेमर: यह tip केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।


*यह Tip किसी medical practitioner द्वारा प्रमाणित नहीं है।

Monday, 29 March 2021

Poem : होली फाग

होली के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

आज आप सब के साथ मुझे इंदौर के श्री लक्ष्मी नारायण वर्मा मानव, जी के द्वारा भेजी गई कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

होली फाग को सटीक अर्थ प्रदान करते हुए बहुत ही सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। 

आइए हम सब इस मनोहारी कविता का हम सभी आनन्द लें।

होली फाग



होली फाग तो मिलने मिलाने को है।

रंग गुलाल दिल खिल खिलाने को है।

ईर्ष्या द्वेष घृणा प्रतिशोध अहम तम,

होली में सदा को जलने जलाने को है।


इंसानियत भाईचारा प्यार मोहब्बत,

शरबत पीने पिलाने को है।

ब्रज मंडल में दो ही धाम,

वृन्दावन बरसाना आने जाने को है।


नर नारी स्वरूप अर्द्धनारीश्वर,

कामदेव आनंद अनुभूति दिलाने को है

भारतीय तीज त्योहार पर्व मानव,

मानवता की अस्मिता बचाने को है। 


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Sunday, 28 March 2021

Poem : होली limited

होली limited




होली के मस्त रंग

पकवानों के संग

भर देते हैं जीवन में

उमंग और तरंग 


साली ही नहीं

जब आएगी हाथ

तो होली में भला 

क्या मज़े की बात


सलहज की चूनर

जो ना कर सकेंगे गीली

तो होली भला कैसे

होगी रंगीली।


पड़ोसन के गोरे गाल

जो नहीं कर सकेंगे लाल 

तो अगली होली तक

रहेगा मलाल


जो नहीं पी सकेंगे

इस बरस भंग 

तो कमर कैसे मटकेगी 

नए गानों के संग


दोस्तों के साथ ही जब 

नहीं कर सकेंगे धमाल 

तो काहे का रंग 

और कैसा गुलाल 


यह सोच सोच क्यों

होली नीरस बनाते हो 

इस बरस क्यों नहीं

बीवी से काम चलाते हो 


छोड़ आए हो जिन्हें बहुत पीछे

उन दोस्त और रिश्तेदारों को 

इस बरस याद कर के

फ़ोन क्यों नहीं घनघनाते हो 


बरसों खेली है होली

जमाने के संग

चलो इस बरस खेलें होली 

अपने परिवार के संग 




होली के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

Saturday, 27 March 2021

Recipe : Besan Papdi

होली आती है, खुशियों के रंग के साथ, जोश और उमंग के साथ, मस्ती की तरंग के साथ।

तो क्या हुआ कि corona के कारण हम रंग नहीं खेल पाएंगे। दोस्तों के गले नहीं मिल पाएंगे।

पर हम पकवान नहीं बनाएं, यह कैसे हो सकता है। 

अब तक आप के लिए गुझिया, मसाला काजू, काली मसूर की दालमोठ और चिवड़ा मिक्सचर की recipe share कर चुके हैं। तो चलिए इसी series को आगे बढ़ाते हुए आज आपको बेसन पापड़ी की recipe share कर रहे हैं।

बेसन पापड़ी बहुत easily and quickly prepare हो जाती है। यह बहुत tasty होती है, साथ ही यह बहुत समय तक बढ़िया बनी रहती है।


बेसन पापड़ी



Ingredients

Gram flour - 250 gm

Rice flour - 50 gm

Salt - as per taste

Red chilli powder - as per taste

Cumin - optional

Herbs - optional

Carom seeds - optional

Mustard oil - for moyan and frying


Method

  1. बेसन में चावल का आटा, नमक, और सारे मसाले डालकर अच्छे से mix कर दीजिए।
  2. अब इसमें mustard oil डालकर, हथेली से rub करके, बेसन में मोयन ready कर लीजिए।
  3. थोड़ा थोड़ा पानी डालते हुए semi tight dough prepare कर लीजिए।
  4. इस dough से छोटी छोटी गोलियां बना लीजिए।
  5. इन गोलियों को पतला बेल लीजिए।
  6. अब इन्हें पंखे की हवा में 5-5 mins. के लिए दोनों तरफ से सुखा लीजिए।
  7. Wok में Oil को तेज गर्म कर लीजिए।
  8. उसमें पापड़ी डालकर, धीमी आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक fry कर लीजिए।
बेसन की खस्ता पापड़ी तैयार है। आप इसे airtight container में रख दीजिए।
यह महीनों तक ख़राब नहीं होती है।
यह evening tea time में खाना अच्छा option है। आप इसे अचार और चटनी के साथ serve कर सकते हैं।
आप इससे पापड़ी चाट भी बना सकते हैं।

Note 

  • बेसन, बहुत जल्दी से गीला हो जाता है, इसलिए पानी धीरे-धीरे ही add कीजिएगा।
  • मोयन के लिए तेल इतना डालना होगा कि, rub करने के बाद आप बेसन को मुट्ठी में दबाएंगे तो लड्डू जैसा बनने लगेगा।
  • आप चाहें तो मैदा भी इसमें add कर सकते हैं।
  • आप अपने taste के according पापड़ी को उतना हल्का या गहरा सुनहरा कर सकते हैं।
  • पापड़ी को हवा में सुखाने से पापड़ी जल्दी सिकती है और oil भी कम soak करती है।

Friday, 26 March 2021

Recipe : Chiwda mixture

होली, हमारा सबसे ज्यादा मस्ती से भरा हुआ त्यौहार है, जिसमें, रंग-उमंग, मस्ती, हुल्लड़, नाच-गाना सब शामिल है। जिसने होली नहीं खेली, उसने ज़िन्दगी नहीं जी।

इन सबके साथ होली, सबको इसलिए भी भाती है, क्योंकि इसमें पकवानों की बहार आ जाती है।

जिसमें गुझिया और मसाला काजू, आपको बता चुके हैं तो इस बार आपके लिए हर दिल अज़ीज़, चिवड़ा-मिक्सचर लेकर आईं हैं, रश्मि श्रीवास्तव जी

इनकी यह recipe लाजवाब है, एक बार इस तरह से बनाइएगा, बाजार का न भूल जाएं, तो कहिएगा।

चिवड़ा-मिक्सचर



Ingredients 

• Flattened rice ( पोहा)- 500gm

• Corn flakes chips - 50 gm.

• Clarified butter ( ghee) for frying

• Ground nut - 200 gm

• Namak para- 50 gm

• Potato Chips- 50 gm

• Besan ka Mota sev - 50 gm

• Curry leaves - 7 to 8

• Salt - as per taste

• Red chili powder - as per taste

• Black pepper powder - as per taste

• Chat masala - 1tsp

• Dry mango powder - 1/2 tsp

• Sugar - 1/2 tsp


Method

सबसे पहले एक wok (कड़ाही) लीजिए, उसमें घी डालकर तेज गरम कीजिए।

जब घी तेज गरम हो जाए तो उसमें थोड़ा-थोड़ा चिवड़ा डालकर तल लीजिए।

ऐसे ही corn flakes, chips भी तल लीजिए।

आलू चिप्स तल लें।

मूंगफली भून लीजिए।

Curry leaves भी तल लें।

अब तले हुए चिवड़े में मूंगफली, बेसन के सेव, corn flakes,आलू के चिप्स और नमक पारा को छोटा छोटा तोड़कर डाल दें।

अब इसमें, sugar, salt, chat masala, red chili powder, black pepper powder, crushed curry leaves डाल दे।



        मस्त मजेदार मिक्सचर तैयार है।


Note:

→ जब आप चिवड़ा और corn flakes chips fry करेंगे, तो वो तलने से lite होकर ऊपर आ जाते हैं, तब उन्हें side से निकालते जाते हैं।

→ Sugar and dry masala आप अपने taste के according कम ज्यादा या avoid कर सकते हैं।

Wednesday, 24 March 2021

Poem : जान है तो...

आज आप सब के साथ मुझे मनावर जिला धार मप्र के श्री राम शर्मा परिंदा जी के द्वारा भेजी गई कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

कोरोना जैसी महामारी के विकट संकट को इन्होंने, अपनी कविता के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने कविता के माध्यम से सभी को यह भी अवगत कराने का प्रयास किया है कि, अभी संकट टला नहीं है। सावधानी बरतें।

आईए उनकी कविता का आनन्द लें व कोरोना की महामारी से मुक्ति प्राप्त करें।

हे ईश्वर आप शीघ्र हमें कोरोना से मुक्त करें 🙏🏻😊


जान है तो......





जान  है  तो  जहान   है

नहीं तो फिर श्मशान है


ठोकर खाकर ना सुधरे

यह   कैसा  इन्सान  है


मास्क  लगा  बाहर जा

शासन करे आव्हान है


बिना काम बाहर न जा

सबसे बड़ा योगदान है


तू सुरक्षित सब सुरक्षित 

सुरक्षित तेरी दुकान है


घर में ही कर ले प्रार्थना

कण-कण में भगवान है


खतरा अभी टला नहीं है

'परिंदा' यह फरमान है ।।


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।


Tuesday, 23 March 2021

Poem: वीर भगतसिंह

वीर भगतसिंह 




वो रणबांकुरा था कमाल,

भारत माता का वो लाल।

अपना रणकौशल दिखा गया,

अंग्रेजी शासन हिला गया।।


बालक जब वो नन्हा था,

तब से आजादी सपना था।

भारत माँ को आज़ाद करना,

उसका लक्ष्य अपना था।।


जब आई जवानी उस पर,

वो काल विकराल बन गया।

वो एक अकेला, करोड़ों सा,

अंग्रेजों के जी का जंजाल बन गया।। 


वो आजादी का मतवाला,

बहुत अधिक विद्वान था।।

उसको अंग्रेजों की कुटिलता का, 

हर चाल का ज्ञान था।।


इंकलाब जिंदाबाद का नारा था,

भगतसिंह उसका नाम था।

भक्ति करना भारत माँ की,

बस यही उसका काम था।।


वो मात्र 23 का था,

23 मार्च को ही चला गया।

पर अपने जाने से पहले,

आजादी की मशाल जला गया।।


आजादी को नववधू बनाकर, 

तरुणाई में ही स्वर्ग गया।

फांसी के फंदे को चूमकर,

नाम अमर वो कर गया।।


चलो हम सब मिलकर,

शहीद दिवस मनाते हैं।

वीर भगतसिंह के गौरव में,

नतमस्तक हो जाते हैं।।


🇮🇳💐शहीद दिवस के पावन पर्व पर हम सभी भारतीय वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं💐🇮🇳🙏🏻


Monday, 22 March 2021

Article : संस्कृति बनाम आधुनिकता

 

संस्कृति बनाम आधुनिकता




उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी का बयान, फटी जीन्स, और ऐसे वस्त्र जो अंग प्रदर्शन करते हैं, वो हमारी संस्कृति नहीं है। उनका यह बयान आज कल बहुत ट्रोल  हो रहा हैै।

रावत जी का यह कथन पूर्णतया सत्य है कि यह हमारी संस्कृति नहीं है। 

भारतीय संस्कृति में पुरुषों के लिए धोती कुर्ता व स्त्रियों के लंहगा, चोली व ओढ़नी या साड़ी ब्लाउज है।

पर आजकल कितने लोग हैं जो केवल भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही वस्त्र धारण करते हैं।

कहीं भी, कोई भी नहीं। ना पुरुष ना स्त्री।

पर हमेशा से ही वस्त्रों पर टिप्पणी स्त्रियों पर ही की जाती है। पुरुषों के किसी भी तरह के पहनावे पर कोई टीका टिप्पणी नहीं की जाती है।

उनको barmooda पहनने पर कोई रोक नहीं है, वो फटी जीन्स पहने, तो भी बर्दाश्त किया जाता है।

अगर विरोध किया जाना है तो दोनों को एक बराबर से करना चाहिए। 

पर सर्वप्रथम जो सबसे ज्यादा आवश्यक है, वह यह है कि सभी लोग एक दूसरे को सम्मान दें। विशेषतः पुरुषों में उन संस्कारों की सीख अवश्य दी जानी चाहिए कि स्त्री का सम्मान करें, उन पर कुदृष्टि ना डालें।

दूसरी बात यह भी सत्य है कि सभी को अपने जीवन को जीने की आजादी मिलनी चाहिए।

पर आजादी के नाम पर कुछ भी करना आप के लिए सही हो सकता है, पर वो सही हो भी, यह आवश्यक नहीं है।

आधुनिकता के नाम पर फटी जीन्स पहनना या ऐसे वस्त्रों को धारण करना, जो अंग को ढके कम और दिखाएं ज्यादा। तो ऐसे वस्त्रों को धारण किसलिए किया जा रहा है?

इसलिए ही ना कि लोग, आप की ओर आकर्षित हों?

जब आप इस तरह से लोगों को आकर्षित करेंगे तो आप को छेड़े जाने वाले लोग ही आकर्षित होंगे, फिर आप के साथ दुर्व्यवहार भी होने की संभावना होगी ही।

अतः वस्त्र जो भी पहने, आधुनिक या भारतीय। बस इतना ध्यान रखिए कि वस्त्र, शरीर को ढकने के लिए होते हैं, दूसरों को 'अनावश्यक रूप से' आकर्षित करने के लिए नहीं। हम पर्दा प्रथा के समर्थन में नहीं है और ना ही ऐसे वस्त्रों के जिसमें आप के उन अंगों का प्रदर्शन हो, जो शालीनता की सीमा से परे हो।

आप उपेक्षित रहें, यह भी पूर्णतया अनुचित है।

आप को लोगों को आकर्षित करना है, तो अपने काम से और ज्ञान से कीजिए, क्योंकि जो आप के ज्ञान और कौशल से आकर्षित होंगे वे आपका सदैव आदर करेंगे और सराहना करेंगे।

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप को कैसे लोग अपने इर्द गिर्द चाहिए।

Saturday, 20 March 2021

Article : कुछ बात तो है

कुछ बात तो है 


कोई कुछ भी बोले, कोई कुछ भी माने, चाहे कोई कितना ही कुछ कहता रहे। पर कुछ बात तो है। 

राहुल गांधी हो, या प्रियंका गांधी, ममता बनर्जी हो, अखिलेश यादव हो, या हो केजरीवाल। सब के सब मंदिरों के चक्कर काटते नज़र आ रहे हैं।

कभी सोचा है आपने कि ऐसा भी क्या हो गया कि सभी नेताओं की, अचानक से मंदिरों में इतनी आस्था बढ़ गई?

पहले तो कभी इतने मंदिर दर्शन नहीं किए जाते थे, बल्कि हिन्दू धर्म का सदैव मज़ाक ही बनाया जाता था।

कभी हिन्दूओं को महत्व नहीं दिया जाता था, ना ही उनको आकर्षित करने का प्रयास किया जाता था।

फिर आखिर ऐसा भी क्या हो गया है?

कारण तो आप सभी जानते हैं, जो प्रत्यक्ष साक्षी भी है।

कि जब से मोदी सरकार आयी है, एक नई लहर ही चल पड़ी है। नेताओं को यह एहसास होने लगा है कि हिन्दू भी जागरूक हो गये हैं।

अब उनके वोट के बिना जीत सुनिश्चित नहीं हो सकती है।

भारत के हर क्षेत्र में हिन्दुओं को आकर्षित करने के लिए नेता यह सिद्ध करने में जुटे हुए हैं कि वह भी हिन्दू हैं।

नेताओं का तो शुरू से यही लक्ष्य रहता है कि येन केन प्रकारेण, कुर्सी मिलनी चाहिए। फिर उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।

भारत एक हिंदू राष्ट्र है, यह सिद्ध कर रही है मोदी सरकार। अब तो आप कहेंगे कि कुछ बात तो है।

बहुत मुश्किल से भारत इस ओर अग्रसित हुआ है।

आप सब से अनुरोध है कि जो अलख जगाई गई है उसे अब बढ़ाते जाना है।

अब यह हमको सोचना है कि, उनको चुनें जो कि हिन्दुत्व को बढ़ा रहे हैं और भारत को उसकी सार्थकता प्रदान कर रहे हैं।

या हम उनको चुनें, जो केवल वोट पाने के लिए ढोंग कर रहे हैं और सत्तारूढ़ होते ही पुनः भारत को उसी ढर्रे पर ले जाएंगे।

वैसे बात खाली मंदिरों की ही नहीं है, चाय वाले से बैर है, पर चाय के बागान और चाय बनाने की प्रक्रिया भी जोर शोर पर है।

क्या कहेंगे आप?

यही ना, कि कुछ बात तो है.....

Thursday, 18 March 2021

Story of Life : तुम बिन (भाग -3)

तुम बिन (भाग - 1) और

तुम बिन (भाग - 2) के आगे...

तुम बिन (भाग -3)



घर में तीनों उनकी सेवा में जुट गए, पर अबकी बार संजना जी ठीक ही नहीं हो रही थीं।

आखिर वही हुआ, जिसका डर था...

वो दिन भी आ गया, जब गरिमा को घर छोड़कर जाना था।

गरिमा, संजना जी के सिरहाने आकर बैठ गई, आज भी उसकी आंखें नम थीं?

क्या हुआ गरिमा? 

माँ जी, आज मेरे इस घर से जाने का दिन आ गया है। मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं बदला।

वो सुबक सुबक कर रोते हुए बोली, आज भी मैं उनके दिल में अपने लिए जगह नहीं बना पायी।

और उसके लिए, तुम्हारे दिल में क्या है? संजना जी ने सधे हुए शब्दों में कहा।

उससे फ़र्क क्या पड़ता है, मैं तो जब इस घर में आयी थी, तब भी उन्हें दिल में बसा कर आयी थी। अब तो केवल सूनापन बचा है।

तो तुम ने क्या सोचा है? संजना जी ने कुछ सोचते हुए पूछा।

पता नहीं माँ जी? ना आप को ऐसे छोड़कर जाना चाहती हूँ, ना अब और रुकना चाहती हूँ।

तो तुम चली जाओ। 

माँ जी....... आप को ऐसी अवस्था में छोड़कर?

मेरी चिंता कब तक करोगी? तुम जब भी जाओगी, मेरे लिए वो दिन, मेरी जिंदगी के आखिरी दिन होंगे।

माँ जी......

हाँ बेटा, पर अब मैं तुम्हें रोक कर तुम्हारी जिन्दगी को और बर्बाद नहीं करना चाहती। 

तुम्हारा सामान मैंने car में रखवा दिया है। तुम्हें driver तुम्हारे मायके छोड़ आएगा।

भारी मन से गरिमा, वहांँ से चली गई।

राहुल सोकर उठा तो सारे घर में गरिमा को ढूंढने लगा। पर गरिमा कहीं नहीं मिली।

वो गरिमा को ढूंढता हुआ माँ के पास आ गया।

माँ, आप ने गरिमा को कहीं देखा है? पूरा घर ढूंढ डाला, कहीं नहीं है। उसकी आवाज़ में गज़ब की बैचेनी थी।

क्यों, तुम्हें क्या काम है गरिमा से? तुम्हें कब से उसकी परवाह होने लगी?

राहुल झेंपते हुए बोला, बस वैसे ही, दिख नहीं रही थी, इसलिए ही.....

वो अपने घर चली गई।

घर...... 

पर क्यों....? 

आप को अकेला छोड़ कर...... 

वो तो बड़ी समझदार है, उसने ऐसा क्यों किया.......?

मैं अकेले कहाँ हूँ? तुम और पापा जी दोनों तो साथ हैं मेरे।

फिर धीमें से बोलीं, अकेली तो बेचारी वो थी।

राहुल, माँ की आखिरी बात सुने बिना ही कमरे से चला गया।

बस दो दिन ही बीते थे, पर राहुल को गरिमा की इतनी याद आने लगी कि वो विरह अग्नि में झुलसने लगा।

वो बैचेनी से अपने कमरे में घूम रहा था कि उसका हाथ अपनी शादी की फोटो पर पड़ी, जिससे photo गिर गई।

राहुल, जब उसे उठा कर रख रहा था तो उसकी नज़र गरिमा की photo पर गई।

राहुल की निगाह वहीं टिक गई।

आह! कितनी खूबसूरत है गरिमा.....

मेरी सोच से भी ज्यादा सुन्दर....। फिर उसकी समझदारी और संस्कारों के तो कहने ही क्या......

राहुल से और रुका ही नहीं गया, वो driver के पास गया और बोला, गरिमा madam को जहाँ छोड़ा था, मुझे वहीं ले चलो।

राहुल, गरिमा के मायके पहुंच गया। 

दरवाजा गरिमा ने ही खोला, वो नहाकर ही निकली थी।

उसकी जुल्फ़ें अभी भी गीली थीं, उससे टपकती पानी की बूंदें, गरिमा को और हसीन बना रही थीं।

राहुल ने उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा कि तुम, मुझे छोड़कर कैसे आ सकती हो?

तुम्हारी अनुपस्थिति ने मुझे बैचेन कर दिया। क्या तुम नहीं तड़प रही थी, मेरे बिना?

गरिमा, विस्मय पूर्वक, राहुल को देख रही थी। उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई थी। आज पहली बार वो राहुल की बाहों में थी।

अपने को संभालते हुए बोली, तड़प....

अब तुम एक पल यहांँ नहीं रुकोगी, अभी चलो।

तभी अन्दर से गरिमा की माँ आ गयीं। बोलीं, जमाई राजा, नाश्ता तो करके ही जाएं, सब तैयार है। आप पहली बार ससुराल आए हैं।

सारी रस्में खत्म करके दोनों घर आ गए।

गरिमा सीधे, संजना जी के कमरे में आ गई, पीछे पीछे राहुल भी आ गया था।

माँ बोल दो अपनी बहू को आगे से ऐसा नहीं चलेगा। यह कहकर राहुल अपने कमरे में चला गया।

माँ हंस दी.... पगला कहीं का.....

जब गरिमा, अपने कमरे में पहुंची तो, कमरा पहली रात सा ही सजा था।

 राहुल ने गरिमा को अपनी बाहों में भरते हुए कहा, मैं नहीं रह सकता तुम बिन..... और उसके माथे को चूम लिया.....

गरिमा ने आंखें बन्द करे हुए कहा, मैं भी नहीं रह सकती, तुम बिन......

उसके साथ ही कमरा बंद हो गया.....

Wednesday, 17 March 2021

Story of Life: तुम बिन (भाग -2)

तुम बिन (भाग -1) के आगे....


तुम बिन (भाग-2)

सामान pack कर के वो कमरे से निकली ही थी, कि तभी, गरिमा की सास आ गईं और गरिमा को सामान के साथ देखकर बोलीं बेटा, आज तुम्हारे पग फेरे का दिन नहीं है।

अपना सामान अंदर रख दो बेटा।

गरिमा के अब तक रुके हुए आंसू झरझरा के गिरने लगे...

माँ, उन्हें मेरी कोई चाह ही नहीं है तो रुकूं किसके लिए?

हमारे लिए बेटा।

आप के लिए? तो क्या आप जानती थीं कि उन्हें मेरी कोई चाह नहीं थी?

बेटा तुम लोगों की love marriage नहीं arrange marriage हुई है। और इस शादी में जुड़ते जुड़ते ही जुड़ पाते हैं।

मैं जानती हूँ कि तुम्हारे case में बात और ज्यादा difficult है, पर मुझे अपनी गरिमा और उसके संस्कारों पर उससे भी ज्यादा भरोसा है।

पर गरिमा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

अच्छा लाओ, मुझे अपना सामान दे दो। आज से ठीक 6 महीने बाद तुम्हें यह सामान लौटा दूंगी। फिर तुम जहाँ कहोगी मैं खुद तुम्हें छोड़ कर आऊंगी।

गरिमा अपना सामान अपनी सास को देकर अंदर चली गई।

थोड़ी देर बाद शादी से सम्बन्धित और रस्में शुरू हो गईं। गरिमा और राहुल अपनी अपनी रस्में निभा रहे थे।

कुछ दिन बाद सब चले गए, घर में सिर्फ सास ससुर, राहुल और गरिमा रह गए थे।

गरिमा में ‌गुणी बहू के सारे लक्षण थे। उसने बहुत जल्दी सबका मन जीत लिया।

राहुल अब भी उसकी तरफ मुखातिब नहीं होता था।

वो अपने दोस्तों में ही रमा रहता।

पर अब गरिमा भी उसकी बेरुखी से खिन्न नहीं होती थी। वो तो बस 6 महीने काट रही थी।

धीरे धीरे वो सास ससुर की सेवा के साथ साथ, कब राहुल की पंसद का ध्यान भी रखने लगी, उसे पता ही नहीं चला।

उधर राहुल अपनी पसंद का सब कुछ देखकर चौंक जाता। 

राहुल अपने दोस्तों के घर में अक्सर देखता था कि लड़ाई-झगड़े हुआ करते थे। उन लोगों की जिन्दगी में कहीं कोई सामंजस्य नहीं था। पति-पत्नी दोनों ही सिर्फ अपने लिए सोचा करते थे।

एक दिन राहुल की माँ संजना जी का accident हो गया।

गरिमा जी जान से उनकी सेवा में जुट गई। उसकी सेवा से संजना जी ठीक होने लगीं।

गरिमा का मौन समर्पण, उस की सादगी, समझदारी और संस्कारों का राहुल कायल होने लगा, साथ ही गरिमा की तरफ कब और कैसे आकर्षित होने लगा, वो भी नहीं समझ पा रहा था।

संजना जी पूरा ठीक होते-होते 5 महीने हो गए। 

यह सोच कर कि अब वो गरिमा को और नहीं रोक सकती हैं, उनकी तबियत बहुत तेजी से बिगड़ने लगी।

घर में तीनों उनकी सेवा में जुट गए, पर अबकी बार संजना जी ठीक ही नहीं हो रही थीं।

आखिर वही हुआ, जिसका डर था...

आगे पढ़ेंअंतिम भाग तुम बिन (भाग-3)...

Tuesday, 16 March 2021

Story of Life : तुम बिन

तुम बिन 



बड़े ही अनमने मन से राहुल, गरिमा से शादी करने को तैयार हुआ था।

गरिमा बहुत सीधी-सादी-सी संस्कारी लड़की थी। जबकि राहुल को शुरू से modern लड़कियांँ ही रास आती थीं।

वो चाहता था कि उसकी शादी, ऐसी लड़की से हो, जो working हो, style में रहे और English fluently बोले।

पर उसकी माँ, को घरेलू और संस्करी लड़की भाती थी। वो हमेशा कहती, मुझे बहू चाहिए किसी movie ya serial बनाने के लिए heroine नहीं चाहिए।

घर में माँ की चलती थी तो यहाँ भी उनकी ही चली।

वो दिन भी आ गया, जब राहुल और गरिमा की धूमधाम से शादी हो गई।

राहुल पूरी शादी में अनमना ही रहा, उसने गरिमा को एक नज़र उठा कर भी नहीं देखा।

सुहागरात की रात, कमरा गुलाब और बेला की खुशबू से ऐसा महक रहा था कि कामदेव का मन भी डोल जाए।

पर उस रात भी राहुल दूसरी तरफ मुंह करके सो गया।

बेचारी गरिमा, उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतनी अच्छी और धनाढ्य ससुराल मिली है, उसके लिए प्रसन्न हो या पति के neglection से दुखी हो।

जिसकी बनकर वो यहाँ आयी थी, उसे तो क्षणभर को भी उसकी परवाह नहीं है।

वो शादी वाले दिन बला की खूबसूरत लग रही थी, सभी उसकी सौंदर्य की खुलकर तारीफ कर रहे थे। कोई उसे परी, कोई अप्सरा कह रहा था।

पर ऐसी खूबसूरती किस काम की, जो पति को ही ना रिझा सके।

जो दिन किसी की भी जिन्दगी का सबसे बड़ा दिन होता है, वो उसके लिए जिन्दगी भर का दुःख लेकर आया था।

और ज़िंदगी की सबसे हसीन रात, उसके लिए सिवाय तन्हाई और मायूसी के कुछ नहीं लायी थी...

अगली सुबह राहुल को सोता छोड़, गरिमा अपने सामानों की packing करने लगी। 

पूरी रात आंखों में काटने के बाद, वो पूरी तरह टूट चुकी थी। अब वो एक पल भी और रुकना नहीं चाह रही थी।

सामान pack कर के वो कमरे से निकली ही थी, कि तभी.......

आगे पढ़ें, तुम बिन (भाग -2) में..

Monday, 15 March 2021

Kids story: मेहनत और मेहनताना

मेहनत और मेहनताना


हमारे घर के पीछे एक बड़ा सा park है, जिसमें पास की बस्ती के लड़के दिन भर खेलते रहते थे।

उन्हें देखकर बेटा आर्यन बोला, माँ इन लड़कों के कितने मजे हैं।

यह दिनभर खेलते रहते हैं, ना तो इन्हें school जाना होता है ना ही कोई homework करना होता है।

काश, ऐसे ही मैं भी दिनभर मस्ती कर पाता! 

माँ, कुछ नहीं बोलीं, बस बेटे की बात सुन ली।

कुछ दिनों बाद, पूरे parking space में tiles लगाने का कार्य आरम्भ हो गया।

बहुत से मज़दूर थे, कुछ मिस्त्री और एक ठेकेदार कार्य में लगे थे।

मज़दूर दूर रखी ईंटा गारा सीमेंट लाकर देते। मिस्त्री, एक बार भी सामान लाने के लिए नहीं उठता, बैठे बैठे ही सारा काम करता।

धूप बहुत तेज थी, पर सब अपना काम तल्लीनता से कर रहे थे। 

हर रोज़ सिर्फ 3 घंटे के लिए ठेकेदार आता, सारे काम को observe करता।

अगला काम कैसे करना है, वो समझाता; क्या क्या सामान और चाहिए, इसकी list बनाता; कुछ देर तक यह देखता कि, काम ठीक से हो रहा है, और फिर चला जाता।

यह सब काम वो, एक छोटे कमरे में बैठ कर करता, जहाँ पंखा लगा हुआ था।

जिस officer ने ठेकेदार को काम दिया था, वो alternate दिन में 10 minutes के लिए आता था। बाकी समय वो अपने AC वाले office में रहता था।

कार्य शुरू हुए मात्र 1 week ही गुज़रा था, कि बहुत ज़ोर से बारिश शुरू हो गई।

मज़दूरों और मिस्त्री ने जो काम किया था वो खराब होने लगा। उन्हें फिर से मेहनत करनी पड़ी, पर भरी बरसात में भी वो लगे रहे।

 चार-पांच दिनों तक बारिश होती रही, उतने दिन में ठेकेदार दो दिन ही आया। और executive तो एक भी दिन नहीं आया।

बारिश बन्द हो गई और चंद दिनों बाद काम भी पूरा हो गया। Parking space बहुत ही सुन्दर लगने लगी।

सभी को उनकी मेहनत का मेहनताना दिया गया। 

सबसे अधिक रुपए executive को मिले, उससे कुछ कम ठेकेदार को, ठेकेदार से कम मिस्त्री को और सबसे कम रुपए मज़दूरों को मिले।

कुछ दिन बाद parking space का inauguration हुआ। सभी लोग executive officer की बहुत तारीफ कर रहे थे कि उसने बहुत अच्छा काम कराया।

चंद लोग उस ठेकेदार के काम की भी तारीफ कर रहे थे।

पर उन मिस्त्रियों और मज़दूरों के काम की प्रशंसा कोई नहीं कर रहा था। एक भी ऐसा नहीं था, जो कह रहा हो कि असली मेहनत तो मिस्त्री और मज़दूरों ने की है।

आर्यन बोला, माँ यह तो ग़लत बात है कि किसी ने भी असली मेहनत करने वालों की तारीफ़ नहीं की और ना ही उन्हें मेहनताना ज्यादा मिला।

माँ ने समझाया, बेटा जिसने ज्यादा मेहनत की है, मेहनताना उसे ही ज्यादा मिली है।

वो कैसे माँ ?

वो ऐसे कि जो बच्चे दिन भर खेलते रहते हैं और अपने बचपन का अनमोल समय व्यर्थ बर्बाद करते हैं। वो बड़े होकर किसी लायक नहीं होते हैं।

उन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। पर ना उन्हें अधिक रुपए मिलते हैं ना ही प्रशंसा। यह वो लोग हैं जो मज़दूर थे।

जो बच्चे दिन भर खेलते हैं, पर बड़े होने से पहले ही मेहनत कर के कुछ विशेष कार्य सीख लेते हैं। उन्हें बड़े होकर मेहनत थोड़ी कम और चंद रुपए ज्यादा मिल जाते हैं। यह वो लोग हैं जो मिस्त्री थे।

जो बच्चे स्कूल तो जाते हैं, पर पढ़ने में मेहनत कम करते हैं। उन्हें बड़े होकर कुछ मेहनत और कम करना पड़ता है और रुपए ज्यादा मिल जाते हैं, कभी कभी लोगों से प्रशंसा भी मिल जाती है और कुछ आदर भी। यह वो लोग हैं जैसे ठेकेदार था।

जो बच्चे स्कूल जाते हैं, अपना home work पूरा करते हैं, मेहनत से पढ़ते हैं। फिर उन्हें बड़े होकर, सबसे कम मेहनत करनी पड़ती है, मेहनताने में सबसे अधिक रुपए और बहुत सारी तारीफ मिलती है, सब लोग उनका सम्मान करते हैं। यह वो लोग हैं जो कि बड़े होकर executive officer बनते हैं।

ओह! मतलब जो बचपन में ज्यादा मेहनत करते हैं, उन्हें ही बड़े होकर कम मेहनत में ज्यादा मेहनताना मिलता है।

एकदम सही!!

उसके बाद आर्यन ने कभी नहीं कहा कि बस्ती वाले लोगों के बहुत मज़े हैं, क्योंकि अब वो उन जैसा कभी नहीं बनना चाहता था।

उसे तो बड़ा होकर कम मेहनत और ज्यादा मेहनताना चाहिए था। 

Thursday, 11 March 2021

Bhajan (Devotional Song) : मेरा भोला है सबसे निराला

भगवान शिव जी, के बहुत सारे नाम हैं-शिव,  शंभू, नटराज, भोलेनाथ, महादेव, आदि.....।

 आज महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर उनके भोले स्वभाव को प्रदर्शित करने की कोशिश करते हुए उन्हें यह भजन समर्पित कर रहें हैं।

आइए हम सब उनकी भक्ति में लीन हो जाएं और अपने आराध्य के श्री चरणों में शीश नवाएं 🙏🏻

मेरा भोला है सबसे निराला 



मेरा भोला है सबसे निराला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।

मेरा भोला, बड़ा भोला भाला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।।


जब भी पूजा करो,

मेवा मिठाई धरो।

उसने पी लिया था,

विष का प्याला।

वो धतूरे से,

खुश होने वाला।।


मेरा भोला है सबसे निराला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।

मेरा भोला, बड़ा भोला भाला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।।


जब भी पूजा करो,

फल और फूल धरो।

वो तो पहने हैं,

मुंडों की माला।

बेलपत्तर से,

खुश होने वाला।।


मेरा भोला है सबसे निराला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।

मेरा भोला, बड़ा भोला भाला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।।


जब भी पूजा करो,

वस्त्र आभूषण धरो।

उसने भभूति को,

तन पे है डाला।

 वो तो भांग से,

खुश होने वाला।।


मेरा भोला है सबसे निराला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।

मेरा भोला, बड़ा भोला भाला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।।


जब भी पूजा करो,

कठिन व्रत को धरो।

वो तो मस्ती में

घूमें है ऐसे,

जैसे सबसे बड़ा

मतवाला।


मेरा भोला है सबसे निराला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।

मेरा भोला, बड़ा भोला भाला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।।


जब भी पूजा करो,

बड़े नियम को धरो।

उसने बराबर का,

सबको है समझा।

अर्द्धनारीश्वर,

कहलाने वाला।


मेरा भोला है सबसे निराला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला।

मेरा भोला, बड़ा भोला भाला,

बड़ी जल्दी से खुश होने वाला ।। 


इस भजन को 8 साल के छोटे बच्चे अद्वय सहाय ने गाया है। आप इसे किसी अन्य धुन में भी गा सकते हैं।

आप सभी को महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ, महादेव हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें🔱🕉️💐🙏🏻

Wednesday, 10 March 2021

Recipe : Sama rice and Sabudane ka Dosa

कल महा शिवरात्रि का महापर्व है, हम सभी उपवास रखेंगे।

उपवास में, निर्जल व्रत या खाली फलों के सहारे व्रत तो साधक ही रख सकते हैं। समान्य लोग, व्रत के लिए फलाहारी व्यंजन बनाते हैं। 

पर आज कल लोग बहुत diet conscious हो गये हैं। उन्हें पूड़ी-कचौड़ी, पकौड़ी जैसी oily dishes पसन्द नहीं आती हैं।

तो व्रत में क्या बनाया जाए, यह बहुत बड़ी समस्या बन जाती है।

पर जब Shades of Life है आप के साथ तो फिक्र की क्या है बात......

हम पहले भी आपको ऐसी recipe बता चुके है, जिसमें बहुत कम ghee or oil use होता है। उन recipes को पढ़ने के लिए, Recipes for Fasts को click करें।

Kuttu ka dosa हम आपको बता चुके हैं,  इसकी recipe आप को Blog में मिल जाएगी,‌ जिसमें perfect dosa बनाने की पूरी recipe मिल जाएगी। 

आज आपको, समा के चावल (फलाहारी चावल) और साबूदाने से डोसा बनाने की recipe share करेंगे।

संस्कृत में समा के चावल को श्रामक कहा जाता है। गुजराती में इसे सामो या मोरियो कहते हैं। मराठी में समा के चावल को भगर और वरी के नाम से जाना जाता है। हिंदी में मोरधन और समा के चावल या व्रत के चावल कहा जाता है।


समा के चावल व साबूदाने का डोसा




Ingredients

• Sama ke rice - 1cup

• Sago (Sabudana) - 4 tsp.

• Sugar - 1tsp.

• Rock Salt (Sendha Namak) - as per taste

Method 

1. समा के चावल, साबूदाना और चीनी को महीन पीसकर powder बना लें।

2. अब इसमें पानी और सेंधा नमक डालकर पतला batter बना लीजिए।

3. Batter को 30 minutes के लिए छोड़ दीजिए।

4. अब जैसे डोसा बनाते, उसी तरह से इस batter से डोसा बना लीजिए।

5. आप इसमें, आलू की या पनीर की मनचाही filling भर लीजिए।

फलाहारी डोसे को आप नारियल या मूंगफली की चटनी के साथ serve कर सकते हैं।

अगर आप पनीर की filling कर रहे हैं तो, आलू टमाटर के पतले झोल के साथ भी serve कर सकते हैं।

इस batter से बने डोसे का taste almost rice dosa जैसा ही है।

कल ही बनाएं। व्रत में tasty dosa भी खा सकते हैं, यह देखकर पूरा परिवार आप के गुणगान करेगा।

आइए कुछ tips and tricks भी बता देते हैं, जिससे आप का dosa perfect बने।

Tips and Tricks

• डोसे का mixture बिल्कुल महीन पीसें। 

• घोल पतला ready कीजिए, जिससे डोसा crispy बने।

• आप चाहें तो चावल व साबूदाने को भिगाकर भी बना सकते हैं।

   → उसके लिए 2 to 4 minutes के लिए soak कीजिएगा; और batter को grind करते समय, उसमें कम पानी डालकर पीसें, वरना पतला batter नहीं बनेगा।

• अगर आप को डोसे का खट्टा (खमीरे/fermentation वाला) taste पसन्द हो तो आप ¼ cup Curd भी use कर सकते हैं।

• Dosa perfect बनाने के लिए temperature सही होना जरूरी होता है।

   →तवा इतना गर्म होना चाहिए कि batter, फैले पर चिपके नहीं।

       ★ उसके लिए हर डोसा बना कर 1 minute के लिए  gas off कर दीजिए। फिर अगला डोसा बनाएं, इससे तवे का perfect temperature रहेगा और आप के सारे डोसे perfect बनेंगा।

• अगर आप व्रत में साबुदाना नहीं खाते हैं तो उसकी जगह 2 tsp कुट्ट का आटा डाल सकते हैं।

Tuesday, 9 March 2021

Article : योगी जी, तुसी ग्रेट हो!

 योगी जी, तुसी ग्रेट हो!



हम थोड़े देर से प्रभावित होते हैं। हमारे संग ऐसा नहीं है कि, जिस तरफ सारी दुनिया चल रही है, हम भी बिना सोचे चल देंगे।

हम यूं ही नहीं किसी के गुणगान गाने लगते हैं, अगले को अपने काम को proof करना पड़ता है।

पर एक बात और भी है कि यदि कोई अपने कथन को ईमानदारी पूर्वक पूर्ण कर रहा है और वह बात देशहित से जुड़ी है।

तब ऐसे व्यक्ति की हम मुक्त कंठ से प्रशंसा करने से पीछे नहीं रहते हैं।

ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा होनी भी चाहिए, क्योंकि प्रशंसा व्यक्ति को प्रोत्साहित करने का कार्य बखूबी करती है।

तो आज उस महान व्यक्ति, जिसके विषय में हम बात कर रहे हैं, वो कोई और नहीं, बल्कि हमारे योगी आदित्यनाथ जी ही हैं।

योगी जी ने उत्तर प्रदेश का कार्य भार सम्हालते हुए कहा था कि वो उत्तर प्रदेश से गुंडाराज ख़त्म कर देंगे। 

योगी जी के कार्यकाल का चौथा साल चल रहा है। 

अब देखते हैं कि उन्होंने अपने कथन को कितना पूर्ण किया।

उन्होंने इन चार सालों में, ना जाने कितने सालों से गुंडागर्दी में धाक जमाएं, गुंडों के शहंशाहों के पैर धरती से उखाड़ फेंके हैं।

फिर वो चाहे कानपुर के विकास दुबे हो, नोएडा के सुन्दर भाटी हो या ऐसे ही और भी....

और गुंडाराज ख़त्म करने की हद तो देखिए, कि अब उत्तर प्रदेश से ना केवल गुंडाराज ख़त्म हो रहा है, बल्कि गुंडे यहांँ आने से भी थर-थर कांपने लगे हैं।

मुख्तार अंसारी इसका जीता जागता उदाहरण है। वो पंजाब की जेल में रहने को तैयार है, दिल्ली आकर पेशी भी कर गया।

पर उत्तर प्रदेश में आने के नाम पर कोर्ट-कचहरी प्रारम्भ करवा दी गई है।

आखिर क्यों? 

जबकि जेल में ही तो पंजाब में भी है।

क्या कहेंगे आप, इसे? 

सालों पहले, जिस राज्य से गुंडों के सरताज बने थे, आज वहीं आने में घिग्गी क्यों बंध गई है?

सीधा सा मतलब है कि योगी जी ने अपनी कथनी पूर्णतया सिद्ध कर दी है। उत्तर प्रदेश में बहुत तेजी से गुंडाराज ख़त्म हो रहा है, साथ ही गुंडे लोग उत्तर प्रदेश में आने से भी कतराने लगे हैं।

गुंडाराज ख़त्म करने के साथ ही योगी जी, उत्तर प्रदेश को उसकी वो पहचान भी दिला रहे हैं, जिसका वो अधिकारी है। इस राज्य में काशी, अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज, जैसे ना जाने कितने पवित्र स्थान हैं।

अर्थात् उत्तर प्रदेश जो कि तीर्थस्थानों का राज्य है, आज यह भी सार्थक होता जा रहा है।

इस बात के प्रत्यक्ष साक्षी हैं, प्रयागराज का अर्ध कुम्भ मेला, राममंदिर निर्माण और काशी, प्रयागराज, अयोध्या का कायाकल्प।

कोरोना जैसे महामारी में योगी जी की व्यवस्था देखते ही बनती है। इतनी बड़ी आबादी वाले राज्य को सम्हलना कोई हंसी-खेल नहीं था।

पर योगी जी ने उत्तर प्रदेश में कोरोना को control में रखा। 

गरीबों का, मजदूरों का और बाकी सब का भी पूर्णतया ध्यान रखा।

जहाँ सख्ती अनिवार्य थी, वहाँ सख़्ती रखी और जहाँ सहयोग आवश्यक था, वहाँ सहयोग।

हाँ, बहुत से सरकारी कर्मचारी, उनसे नाखुश भी हैं, क्योंकि उनकी छुट्टियों पर गाज गिरी है। जिनमें हमारे परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। पर देश हित के लिए हम वह सहन कर लेंगे। 

जिसको नहीं देश प्यारा

उसका भविष्य नहीं उजियारा

देश हित पर सब कुर्बान

छुट्टियों का भी बलिदान

हम तो यही कहेंगे, योगी जी तुसी ग्रेट हो, उत्तर प्रदेश की hope हो। हमें सदैव आप जैसे संरक्षक की आवश्यकता है।

Monday, 8 March 2021

Poem : स्त्री

स्त्री 


टूटती है कई बार,

मगर टूट कर भी।

ना टूटती है जो,

स्त्री है वही तो।।


टूटती है वो, जब 

मायके की दहलीज,

छोड़ आती है।

अपना बचपन, अपने सपने,

जिन्हें अब तक कहती थी अपने,

वो सब बिसराती है।

पति ही नहीं, 

पूरे परिवार को अपनाती है।

एक परिवार की थी,

अब दो-दो को निभाती है।

स्त्री टूट कर भी,

कहाँ टूट पाती है।।


टूटती है वो, जब 

पहली प्रसव पीड़ा होती है,

अपने अन्दर असंख्य,

दर्द के बवंडर सहती है।

पहले सा शरीर फिर ना,

कभी पाती है।।

बन के वो माँ, 

अपने दर्द को।

बच्चे की मुस्कान में,

छिपाती है।

स्त्री टूट कर भी,

कहाँ टूट पाती है।।


टूटती है वो, जब

अपने संसार को बनाने में,

ख़ुद से ही बहुत दूर, 

होती चली जाती है।

अपना अस्तित्व खुद, 

अपने हाथों से मिटाती है।

एक कन्या से वो,

गृहणी बन,

पूरे गृह को,

ऋणी कर जाती है।

स्त्री टूट कर भी,

कहाँ टूट पाती है।।


वो टूटती है, 

बिखरती है,

पर पल भर में,

फिर संवर जाती है।

समेटकर अपनी टूटन,

वो फिर निखर जाती है।

उसमें शक्ति है सृजन की,

तभी तो वह स्त्री,

कहलाती है।।


💐अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

Friday, 5 March 2021

Satire : हमाय पूर्वज

 हमाय पूर्वज 




हाय दईया छिपकली की अपार सफलता के बाद से छिपकली देवी तो बन गई celebrity. 

अब Celebrity लोगों के तो दुश्मन भी हुआ करते हैं, तो आइए, आप को उनके दुश्मन से मिलवाते हैं। 

नाम था लल्लन सिंह, बड़े ही खुंखार हुआ करते थे, खास तौर से अपने कट्टर दुश्मन छिपकली देवी के लिए।

जहांँ कहीं उन्हें छिपकली दिख जाती, फिर तो उनको पास में जो भी अस्त्र दिखता, जैसे जूता-चप्पल , डंडा, झाड़ू या और कुछ भी......

लल्लन सिंह तैनात हो जाते, उसे लेकर, और शामत ही आ जाती, छिपकली देवी की।

आलम तो यह था कि छिपकली देवी को देखते ही वो ठान लेते थे कि आज घर में यह रहेगी या हम रहेंगे।

बस फिर क्या था,  बेचारी हमारी छिपकली देवी आगे आगे, और लल्लन सिंह पीछे पीछे होते। ये सर्र दौड़ती, वो सर्र दौड़ती.....

पर आखिरकार छिपकली देवी को ही घर से बाहर होना पड़ता था, क्योंकि घर तो ragister था लल्लन जी के नाम, और देवी जी थीं, बिन बुलाई मेहमान।

एक बार की बात थी। गांव से लल्लन सिंह की अम्मा आय रहीं। 

उन्हीं दिनों में लल्लन सिंह के घर पुताई भी हो रही थी।

पुताई के कारण, घर में अच्छे से साफ़ सफाई भी हो गई।

सारे मच्छर, कीड़े- मकोड़े सब भाग गए। 

पर नहीं भागी, तो एक छिपकली देवी ।  

एक कमरे में पुताई होती, तो दूसरे में छिप जाती और दूसरे में होती तो तीसरे में छिप जाती। क्योंकि हर कमरे में tube light जो थी ही उसके छिपने के लिए।

Location बदलती रहीं, पर घर छोड़ कर नहीं गयी।

एक दिन वो लल्लन सिंह को दिख ही गयीं।

बस फिर क्या था, लल्लन सिंह तैनात हो गये, उसको भगाने को।

पर वो भगा पाते, उससे पहले ही अम्मा आ गयीं।

जे का कर रय हो लल्ला?

कुछ नहीं अम्मा छिपकली को भगाय रये, खींसे निपौरते हुए लल्लन सिंह बोले।

अम्मा कुछ ज्यादा ही पुराने ख्यालात की थीं और अम्मा के सामने, लल्लन सिंह की कुछ चलती नहीं थी।

अम्मा, पूरा घर साफ़ हो गया। सारे कीड़े-मकोड़े भाज गए, पर एक यह है जो घर ना छोड़ रयी।

अरे, जाय दो बेटा, हमाय घर की पूर्वज होंगी, तबही नहीं गईं।

पूर्वज!!!!! ...गई भैंस पानी में.....

लल्लन सिंह, खिसिया के अम्मा को देख रहे थे और छिपकली देवी, लल्लन सिंह को देख देख मुस्काए रहीं, मानो कह रही हो, जै बात.....

तभी श्रीमती जी ने रेडियो चला दिया, जिसमें गाना आ रहा था

'यह तेरा घर, यह मेरा घर...'

बस अब क्या था, छिपकली देवी की चांदी हो गई। अब तो लल्लन सिंह को देख कर भी चौड़े में रहती छिपकली देवी। 

वो पूर्वज जो ठहरीं, तो अब लल्लन सिंह भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे। तब तक तो कतई भी नहीं, जब तक अम्मा थीं।

एक दिन लल्लन सिंह दफ्तर जाने के लिए तैयार हो कर घर से निकले ही थे, कि लौट कर सीधे फिर बाथरूम में घुस गये।

का हुआ, लल्ला? अबहिं तो स्नान किए थे, फिर क्या भया? जो फिर नहाय रय।

का कहें अम्मा? तुम्हारे पूर्वज हमाय ऊपर ही गिर गये। जाय मारे ‌फिर से नहाय रय।

अब तो आए दिन यही होता, कभी पूर्वज, चौखट पर बैठ जाती और डराकर लोगों को घर के अन्दर आने नहीं देती। और कभी पूर्वज गिर जाती, तो नहाने धोने के कारण घर से बाहर निकलने नहीं देती। 

इस बात से लल्लन सिंह के हाथ तो बहुत सुरसुराते, पर कुछ ना कर पाते, बस मन मसोस के रह जाते।

पर अम्मा के गांव जाते ही लल्लन सिंह ने सबसे पहले छिपकली देवी को घर से निकाल बाहर किया।

लल्लन सिंह का लड़का चिल्लाया भी, पापा जी हमाय पूर्वज!!!