Thursday, 21 November 2024

Article: बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक

पहले कभी हुआ करती थी दिन की शुरुआत मुर्गे की बांग या चिड़ियों की चहचहाहट के साथ... 

पर अब तो दिन की शुरुआत आवारा कुत्तों के भौंकने और लड़ने की आवाज से ही होती है...

ऐसा इसलिए क्योंकि, आज कल लोगों में आवारा जानवरों को लेकर बहुत अधिक दया और प्रेम भाव आ गया है, जिसके चलते आवारा कुत्ते, बिल्लियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ती जा रही है।

जिनके अंदर यह भावना बहुत बलवती है, उन्हें मेरा इस topic पर article लिखना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा होगा।

लेकिन इस article को लिखने की वजह है एक छोटी बच्ची के संग हुआ भयानक हादसा..

इस बात को बिना किसी भूमिका में बांधे हुए इस सच्ची घटना का विवरण दे रहे हैं।

यह एक ऐसी घटना है, जो दिल को दहला देती है और हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है, क्या हमारे बच्चे safe हैं? या ऐसी situation में क्या करें?

बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक  

बात है शाम की, लगभग 5- 5 :30 बजे का समय था। सड़क पर अच्छी-खासी चहल-पहल थी।

मेरा बेटा रोज़ शाम को cycling करने के लिए जाता है। तो वो उसके लिए निकला हुआ था।

उसने देखा, लगभग उसके बराबर (करीब 10-12 साल) की एक लड़की सड़क पर पैदल, अपने घर की ओर जा रही थी। 

तभी एक आवारा कुत्ता उसे परेशान करने लगा।

लड़की, martial art जानती थी। उसने अपने पैर को हवा में ज़ोर से लहराया और कुत्ते के नाक पर ज़ोर से एक kick मारी।

कुत्ता इससे पूरी तरह बिलबिला गया, पर उसने भागने के बजाए ज़ोर-ज़ोर से भौंकना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 6-8 आवारा कुत्तों का समूह आ गया। सबने लड़की को घेर लिया।

इतने कुत्तों को देखकर लड़की घबरा गई और साथ ही मेरा बेटा भी...

वो सभी कुत्ते खतरनाक रूप से लड़की की ओर आगे बढ़ने लगे। अब लड़की को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो क्या करें?

मेरे बेटे ने वहां से गुजर रहे लोगों से उसकी मदद करने को कहा, पर कोई भी ऐसा नहीं था, जो उस लड़की की मदद करता...

कुछ बेपरवाह और लापरवाह से वहां से निकल गये और कुछ कुत्तों के भयानक रूप को देखकर डर गये।

बेटा पास के थाने में जाकर मदद के लिए बोलने गया, पर जब तक वो लोग उस लड़की को बचाने पहुंचते, कुत्ते उस लड़की को बुरी तरह से घायल करके जा चुके थे।

उस लड़की को तुरंत hospital ले जाया गया, पर अब वो कैसी है? नहीं पता...

पर ऐसा दर्दनाक हादसा, जो उसके साथ हुआ, वो किसी भी बच्चे, बुजुर्ग, यहां तक किसी भी जवान मनुष्य के साथ भी हो सकता है।

और इसके जिम्मेदार कौन होंगे?

वो सभी, जो आवारा कुत्ते-बिल्लियों को बेवजह बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी बढ़ती संख्या हद से ज्यादा खतरनाक रूप ले रही है...

सोचिए जो, कुत्ते-बिल्ली पालतू होते हैं, वो साफ-सुथरे होते हैं, उनके vaccination होता है और सबसे बड़ी बात, वो नियंत्रण में रहते हैं, क्योंकि वो हमेशा chain से बंधे हुए रहते हैं। जबकि आवारा कुत्ते-बिल्लियां इसके ठीक विपरीत होते हैं।

आखिर क्यों, बेवजह बढ़ावा देना, ऐसे अनियंत्रित ख़तरे को? 

और अगर सच में आपको आवारा कुत्ते बिल्लियों से इतना स्नेह है तो लीजिए उनकी जिम्मेदारी, पर पूरी तरह से, उनकी साफ-सफाई, vaccination और नियंत्रण में रखने तक, सब कुछ...

जिम्मेदारी उठाइये कि वो व्यर्थ में लोगों को परेशान न करें। किसी को यूं न घेरे, cycle, scooter, bike, car से जा रहे लोगों को खदेड़कर, उन पर बिना वजह भौंक कर उन्हें परेशान न करे, उनके accident होने की वजह न बने...

उनके चक्कर में हम बच्चों और बुजुर्गों को unsafe नहीं कर सकते हैं।

अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो सरकार को अपील करें कि वो आवारा कुत्तों की बढ़ती हुई संख्या पर control करें, उन्हें पकड़ कर लें जाएं और बढ़ते हुए खतरनाक रूप को संभालें।

साथ ही आपको बता दें कि अगर कोई कुत्तों से घिर जाए तो उसे क्या करना चाहिए...

 

बच्चों से कहें कि वो अपने बचाव के लिए तेजी से बिल्कुल न भागें, क्योंकि सभी तरह के जानवर, किसी के भी बहुत तेजी से उनके सामने से भागने को ग़लत ही समझते हैं और न काट रहे हों तो भी काट लेते हैं।

अपने हाथ या पैर से उन्हें न मारें, वरना वो जरूर से काट लेगा। 

उसके बजाय डंडे, पत्थर या belt से मारने से बचाव की उम्मीद बढ़ जाती है 

अगर आप के पास रोशनी का कोई साधन है तो उसकी आंखों पर रोशनी डालने से भी वो भाग जाएगा।

धैर्य से, बिना डरे, शांत खड़े रहने से बचने की संभावना बढ़ जाती है। 

जहां बहुत ज्यादा कुत्ते हों, उस जगह पर जाना avoid कीजिए। क्योंकि आवारा जानवरों का कोई भरोसा नहीं होता है, वो कभी भी बहुत अधिक furious हो जाते हैं। 

आवारा जानवरों पर दया और प्रेम भाव रखिए, पर वहां तक कि उसे व्यर्थ में परेशान न करे, अकारण मारे नहीं, यदि वो घायल हैं तो उन्हें उचित लोगों तक पहुंचा दें। वो भूखे हैं तो उन्हें भोजन दे दीजिए।

पर उनकी बढ़ती हुई संख्या को बढ़ावा देना, municipality वाले पकड़ने आएं तो उनके काम में बाधा उत्पन्न करना, जैसे काम न करें। क्योंकि आवारा जानवरों का society में अनावश्यक रूप से बढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सबके लिए घातक सिद्ध होता है।

Wednesday, 20 November 2024

Article : Pollution; is Diwali responsible?

हर साल, दीपावली के आते ही, दिल्ली सरकार और so called pollution sensitive लोग, उधम मचाने लगते हैं कि पटाखे नहीं चलाने चाहिए। किसानों द्वारा पराली जलाना, बंद करना चाहिए...

उससे बहुत ज्यादा pollution हो जाता है।

पर इस साल, ban लगाने और लोगों के नाटक मचाने के बावजूद, दिल्ली में ठीक-ठाक मात्रा में पटाखे फोड़े गए। और पता है मज़े कि बात क्या है, उसके बावजूद भी pollution level control रहा।

और अब, जब कि दीपावली को गुजरे हुए 15 दिन से भी अधिक दिन बीत चुके हैं, तो pollution level, बेइंतहा बढ़ चुका है...

Pollution; is Diwali responsible?

पर क्या 15 दिन बाद, दीपावली पर फोड़े गए पटाखों का असर हो सकता है? और वो भी तब, जब दीपावली के बाद बढ़े हुए pollution level का कोई जिक्र नहीं किया गया हो...

हमारी समझ से परे है, ऐसा सोचना...

जी हां, बिल्कुल असंभव या पूरी तरह से असत्य बात कही जाएगी।

आज 15 दिन बाद polution level बढ़ने पर school, college बंद कर दिए गए हैं, online classes शुरू कर दी गई है। 

जबकि school, college, दीपावली के पांच-दिवसीय त्यौहार के बीत जाने के अगले दिन, 4 November से सब सुचारू रूप से चल रहे थे।

इस बार, इतनी देर बाद बढ़ा हुआ pollution level, बार-बार यह ही संकेत कर रहा है कि यह बात पूर्णतः सत्य है कि पटाखे फोड़ने से pollution बढ़ता है, लेकिन अत्यधिक polution level बढ़ाने में केवल वही जिम्मेदार नहीं होता है।

साथ ही यह भी सिद्ध होता है कि पटाखे केवल दीपावली पर चलने से polution करेंगे, ऐसा तो सरासर गलत है। वो जब फोड़े जाएंगे, कुछ pollution तो बढ़ेगा ही...

पर इस बात पर जरूर से गौर कीजिए, अगर आप को सच में फर्क पड़ता है, pollution level के बढ़ने से, पहला तो हिन्दू त्यौहारों को बदनाम करने वालों का पुरजोर विरोध कीजिए।

दूसरा pollution level बढ़ाने वाले और regions पर ध्यान देते हुए, उन पर नियंत्रण रखने का प्रयास कीजिए, साथ ही सरकार द्वारा उठाए गए अच्छे कदमों पर उनका समर्थन कीजिए, जैसे specially car pool में...

सच मानिए, बढ़ते हुए vehicle numbers and AC numbers, factories के numbers, pollution level को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या आप उस पर control कर सकते हैं?

पराली जलाना और दीपावली पर पटाखे फोड़ना, तो सदियों से हो रहा है। पर उस पे सारा ठीकरा फोड़ना बंद करें और जो सही और ठोस कदम हैं, उस ओर भी ध्यान केंद्रित करें।

Friday, 15 November 2024

Article : देव दीपावली

हिन्दूओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली है, यह तो बचपन से सुनते हुए ही बड़े हुए हैं और बहुत धूमधाम से इस महापर्व को मनाया भी है।

पर देव दीपावली.. यह क्या है? कब और क्यों मनाई जाती है?

आप को देव दीपावली के विषय में विस्तृत रूप से बताने से पहले, इस पंक्ति से समझिए देव दीपावली का आशय, जो कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन, बनारस के घाट पर नजर आता है...

आस्था के दीप, श्रद्धा की बाती... गंगा तट पर दमकेगी सांस्कृतिक थाती…

अर्थात्, गंगा नदी के तट पर जलने वाले हजारों दीप, जो लोगों में, भगवान विष्णुजी और महादेव जी की आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं, भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रकाशमान कर रहे हैं।

चलिए अब जान लेते हैं, क्यों इतना खास है देव दीपावली का त्यौहार...

देव दीपावली

क) देव दीपावली का महत्व :

देव दीपावली का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन दिन पर दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सुखमय रहता है। कहा जाता है कि इस दिन धरती पर देवतागण आते हैं और सभी के दुखों को दूर करते हैं।

देव दीवाली को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं।

देव दीवाली का त्यौहार, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस, काशी) में मनाया जाता है। जो पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है। इस साल यह पर्व, 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। तो आइए इस पर्व से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।


ख) देव दीपावली का कारण :

1. हयग्रीव का वध :

भगवान विष्णुजी ने भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन, मत्स्यावतार लेकर सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी।

मत्स्यावतार (मत्स्य = मछली का) भगवान विष्णु का अवतार है जो उनके दस अवतारों में से प्रथम है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने इस संसार को भयानक जल प्रलय से बचाया था। साथ ही उन्होंने हयग्रीव नामक दैत्य का भी वध किया था जिसने वेदों को चुराकर सागर की गहराई में छिपा दिया था।


2. त्रिपुरासुर का वध :

सनातन धर्म में देव दीवाली को बेहद शुभ माना जाता है। इसे मनाने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। एक समय की बात है, त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं के सभी अधिकार को उनसे छीनकर स्वर्गलोक पर अपना अधिकार कर लिया था, जिससे परेशान होकर सभी देवता महादेव के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। तब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर उसके आंतक से सभी को मुक्ति दिलाई।

इससे सभी देवगण प्रसन्नता से भर उठे और भगवान शिव के धाम काशी में जाकर गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किए। यह उत्सव पूरी रात चला। ऐसा माना जाता है कि तभी से देव दीपावली की शुरुआत हुई।


प्रकाश के इस त्योहार को मनाने के लिए भक्त विशेष रूप से वाराणसी में गंगा घाटों पर जाते हैं। साथ ही लोग विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं और मंदिरों में दीपदान भी करते हैं।

इस तरह से राक्षसों पर देवों की विजय का प्रतीक है, देव‌ दीपावली...

आइए, हम भी अपने घर-आंगन में दीपों की लड़ी सजाएं, देव दीपावली मनाएं, श्रीहरि विष्णुजी और महादेव जी की कृपा पाएं 🙏🏻

Thursday, 14 November 2024

Poem: कुछ Special है

कुछ Special है



जब हम बच्चे थे,

सच में, तब दिन 

बहुत अच्छे थे

Children's day

बड़ी धूम से 

मनाते थे 

ऐसा नहीं था कि 

कुछ special 

तोहफे पाते थे

न‌ ऐसा था कि 

हम इस दिनों को 

मनाने के लिए 

अपने माता-पिता से 

किसी जिद्द पर 

अड़ जाते थे 

पर यह दिन 

कुछ special है 

ऐसे भाव मन में 

ज़रूर आते थे 

Teachers, उस दिन 

पढ़ाई-लिखाई छोड़कर 

हमें खूब खेल खिलवाते थे

आह! हमारा स्कूल 

हमारे अध्यापक 

सब बड़े अच्छे 

हम इस बात को 

सोच सोचकर 

दिन भर इतराते थे 


कुछ दिन, कुछ पल, ज़िंदगी में ऐसे होते हैं 

जिनका होना, ज़रूर नहीं, पर उनका होना 

ज़िंदगी की जरूरत होती हैं।

क्योंकि यह ही ज़िंदगी को ज़िन्दगी बनाते हैं, हमें हमारे बचपन से मिलवाते हैं।

तो उन्हें, किसी भी कारण से नष्ट मत कीजिए, बल्कि हो सके तो ऐसे और बहुत सारे पल और दिन बच्चों की जिंदगी से जोड़ दीजिए। 

Happy children's day to all my dear children ❤️

Tuesday, 12 November 2024

India's Heritage : बर्बरीक से खाटूश्यामजी

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन विभिन्न पूजाओं का आयोजन किया जाता है।

देव उठनी एकादशी, तुलसी विवाह व बाबा खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव तीनों ही होते हैं। 

अगर आप जानना चाहते हैं कि तुलसा जी और शालीग्राम जी का विवाह क्यों सम्पन्न किया जाता है, देव उठान से जुड़ी बातें, और देव उठनी में चावल क्यों नहीं खाते हैं, व तुलसा जी की आरती जानना चाहते हैं तो यह सब आपको इन तीनों post में मिल जाएगा...

सती वृंदा से तुलसी तक

देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह

तुलसा आरती करहूं तुम्हारी

आज आप को खाटू श्यामजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में उनके ही, विषय में अपने India's Heritage segment में बताते हैं।

यह एक ऐसी कथा है, जो आस्था और विश्वास से परिपूर्ण एक सत्य कथा है, जो सबको पता होनी चाहिए।

बर्बरीक से खाटूश्यामजी




राजस्थान के सीकर में खाटूश्याम बाबा का मंदिर है। जहां दूर-दूर से लोग आते हैं और कभी भी खाली हाथ वापस नहीं जाते। श्याम बाबा को हारे का सहारा माना जाता है। कोई भी परेशानी हो, इस मंदिर में आने वाला कोई भी भक्त निराश नहीं जाता है।

यूं तो पूरे दुनिया में खाटूश्याम बाबा को मानने वाले बसते हैं। लेकिन वैश्य और मारवाड़ी वर्ग के भक्तों की तादात थोड़ी ज्यादा है। लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र खाटूश्याम जी का असली नाम बर्बरीक है। बर्बरीक, बाबा घटोत्कच और मौरवी (नागकन्या) के बेटे हैं। 

बात उस समय कि है जब महाभारत का युद्घ आरंभ होने वाला था। भगवान श्री कृष्ण, युद्घ में पाण्डवों के साथ थे जिससे यह निश्चित जान पड़ रहा था कि कौरव सेना भले ही अधिक शक्तिशाली है लेकिन जीत पाण्डवों की होगी। 

श्याम बाबा के दादा-दादी, भीम और हिडिम्बा थे‌। इसलिए श्याम बाबा भी जन्म से ही शेर के समान थे, और इसी लिए उनका नाम बर्बरीक रख दिया गया था।

शिव उपासना से बर्बरीक ने तीन तीर प्राप्त किए। ये तीर चमत्कारिक थे, जिसे कोई हरा नहीं सकता था। इस लिये श्याम बाबा को तीन बाणधारी भी कहा जाता है। भगवान अग्निदेव ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष दिया था, जिससे वो तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर सकते थे।

ऐसे समय में भीम का पौत्र और घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया कि युद्घ में जो पक्ष कमज़ोर होगा वह उनकी ओर से लड़ेगा, बर्बरीक ने महादेव को प्रसन्न करके उनसे तीन अजेय बाण प्राप्त किये थे। 

एक ब्राह्मण ने, बर्बरीक से सवाल किया कि वे किस पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगें?

बर्बरीक बोले कि जो हार रहा होगा उसकी तरफ से युद्ध लडूंगा। 

श्री कृष्ण ये सुनकर सोच में पड़ गए, क्योंकि बर्बरीक के इस वचन के बारे में कौरव भी जानते थे।

कौरवों ने पहले ही योजना बना ली थी, कि पहले दिन वो कम सेना के साथ लड़ेंगे और हारने लगेंगे। 

ऐसे में बर्बरीक उनकी तरफ से युद्ध कर पांडवों की सेना का नाश कर देंगे।

ऐसे में बिना समय गवाए, ब्राह्मण बने श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से एक दान देने का वचन माँगा। बर्बरीक ने दान देने का वचन दे दिया। ब्राह्मण ने बर्बरीक से कहा कि उसे दान में बर्बरीक का सिर चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण को जब बर्बरीक की योजना का पता चला तब वह ब्राह्मण का वेष धारण करके बर्बरीक के मार्ग में आ गये।

श्री कृष्ण ने बर्बरीक का मजाक उड़ाया कि, वह तीन बाण से भला क्या युद्घ लड़ेगा। कृष्ण की बातों को सुनकर बर्बरीक ने कहा कि उसके पास अजेय बाण है। वह एक बाण से ही पूरी शत्रु सेना का अंत कर सकता है। सेना का अंत करने के बाद उसका बाण वापस अपने स्थान पर लौट आएगा।

इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हम जिस पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हैं अपने बाण से उसके सभी पत्तों को छेद कर दो तो मैं मान जाउंगा कि तुम एक बाण से युद्घ का परिणाम बदल सकते हो। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करके, भगवान का स्मरण किया और बाण चला दिया। पेड़ पर लगे पत्तों के अलावा नीचे गिरे पत्तों में भी छेद हो गया।

इसके बाद बाण भगवान श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा क्योंकि एक पत्ता भगवान ने अपने पैरों के नीचे दबाकर रखा था। 

भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि युद्घ में विजय पाण्डवों की होगी और माता को दिये वचन के अनुसार बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ेगा जिससे अधर्म की जीत हो जाएगी।

इसलिए ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की। बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर मांग लिया। 

बर्बरीक समझ गया कि ऐसा दान मांगने वाला ब्राह्मण नहीं हो सकता है। बर्बरीक ने ब्राह्मण से कहा कि आप अपना वास्तविक परिचय दीजिए। इस पर श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि वह कृष्ण हैं।

सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन, एक शर्त रखी कि, वह उनके विराट रूप को देखना चाहता है तथा महाभारत युद्घ को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है। भगवान ने बर्बरीक की इच्छा पूरी कि, सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सिर काटकर सिर पर अमृत का छिड़काव कर दिया और एक पहाड़ी के ऊंचे टीले पर रख दिया। यहां से बर्बरीक के सिर ने पूरा युद्घ देखा।

युद्घ समाप्त होने के बाद जब पाण्डवों में यह विवाद होने लगा कि किसका योगदान अधिक है तब श्री कृष्ण ने कहा कि इसका निर्णय बर्बरीक करेगा जिसने पूरा युद्घ देखा है। बर्बरीक ने कहा कि इस युद्घ में सबसे बड़ी भूमिका श्री कृष्ण की है। पूरे युद्घ भूमि में मैंने सुदर्शन चक्र को घूमते देखा। श्री कृष्ण ही युद्घ कर रहे थे और श्री कृष्ण ही सेना का संहार कर रहे थे।  

बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण जी ने उनका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है।

तो ऐसे थे, हमारे खाटू श्याम बाबा... 

वीरता और शौर्य में, दान पुण्य में, जिनके आगे स्वयं ईश्वर नतमस्तक हो गये। और उन्हें अपने तुल्य स्थान प्रदान कर दिया।

तब से ही हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा, प्रचलित हो गया।

जय खाटू श्याम बाबा की🙏🏻

आपकी कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻 


Monday, 11 November 2024

Poem: तरन्नुम सी चलती रही...

इस बार उर्दू के चंद लफ़्ज़ों को जोड़कर, एक नज़्म पेश करने का प्रयास किया है, आप पढ़कर बताएं कि प्रयास कितना सफल रहा...

तरन्नुम सी चलती रही...



ज़िंदगी ता उम्र, 

यूं ही चलती रही।

कभी समाई मुठ्ठी में,

कभी रेत सी फिसलती रही।


गोया हम न कर सके, 

नाज़ ज़िंदगी पर कभी।

क्योंकि चार कदम संभली,

कभी किसी लम्हा गिरती रही‌।


मगर शिकायत करें हम,

किस से भी क्या?

रिवायतें, सबकी ज़िंदगी में,

यह ही चलती रही.. 


ज़माने की महफ़िल में,

हैं मेहमां सभी।

मुकम्मल जिंदगी,

किसी को भी मिलती नहीं..


ज़िन्दगी में अश्क,

कभी हमने बहाए नहीं। 

खुशी हो चाहे ग़म,

फ़र्क पड़ता नहीं।


हर ख़ुशी मुझको, 

ग़म पर भारी लगी।

इसलिए जिंदगी अपनी,

तरन्नुम सी चलती रही...

Friday, 8 November 2024

Article : शारदा, तुझे प्रणाम

आज छठ महापर्व, पारण के साथ पूर्ण हुआ। छठी मैया की असीम कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻

हर पर्व खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। पर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मनुष्य यह सोचने पर मजबूर हो जाता है, कि ऐसा क्यों हुआ?

ऐसा ही कुछ छठ पूजा के पहले दिन हुआ...

शारदा, तुझे प्रणाम 


छठ महापर्व के पहले दिन भारतीय लोक संगीत गायिका और बिहार की कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा के निधन ने देशभर में लोगों को झकझोर कर रख दिया।

दरअसल, मंगलवार की देर रात दिल्ली एम्स में 72 साल की शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस ली है। शारदा सिन्हा जी के गाये गए छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं, लेकिन लोगों में मायूसी सी छाई हुई है।

शारदा सिन्हा को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें 1991 में पद्मश्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2006 में राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवार्ड, 2015 में बिहार सरकार पुरस्कार, और 2018 में पद्मभूषण शामिल हैं।

शारदा सिन्हा ने करीब 50 साल पहले यानी साल 1974 में पहला भोजपुरी गाना गाया था। फिर साल 1978 में उन्होंने छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ गाया। इस गाने ने रिकॉर्ड बनाया और यहीं से शारदा सिन्हा और छठ पर्व एक-दूसरे के पूरक हो गए। करीब 46 साल पहले गाए इस गाने को आज भी छठ घाटों पर सुना जा सकता है।

1990 में शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड फिल्म 'मैंने प्यार किया' में 'कहे तो से सजना, ये तोहरी सजनिया'... गीत गाया, जो जबरदस्त hit हुआ। इस गीत ने उन्हें film industry में एक नया मुकाम दिलाया और तब से उनकी पहचान केवल लोक संगीत के गायन तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे bollywood में भी एक प्रमुख गायिका बन गईं।

"मैंने प्यार किया" में सलमान खान और भाग्यश्री पर फिल्माए इस गीत ने दर्शकों से अपार लोकप्रियता हासिल की।

इसके बाद हम आपके हैं कौन का "बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे है पाया, सजन घर ले चली"...

Gang of wasseypur का "तार बिजली से पतले हमारे पिया"...

जैसे hit हिंदी फिल्मों में गाने और अनेकानेक hit भोजपुरी गीत गाए, जिसमें कुछ ऐसे super hit गीत भी हैं, जिनके बिना महापर्व छठ अधूरा लगता है, जैसे,

हे छठी मईया...

छठ के बरतिया... 

पहिले पहिल बानी कईले छठी मैया वरत तोहार...

ऐसे ही और भी बहुत से गीत हैं...

इसके साथ ही, शारदा जी ने लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को कायम रखते हुए अपनी गायकी जारी रखी, लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि वे कभी भी द्विअर्थी गीत न गाएं। उनका संगीत शुद्ध और भावनात्मक रूप से प्रामाणिक रहता था, जो उनके शास्त्रीय और लोक धारा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

शारदा सिन्हा की आवाज से बंधता है छठ का समां, वो आवाज़ आज भी गूंज रही है, शारदा जी को अमरत्व प्रदान करती हुई और हमेशा छठ पर्व पर उनकी याद के रूप में सुनी जाती रहेगी...

छठी मैया की भक्त, उनके श्री चरणों में, उनके ही दिनों में समर्पित हो गई, मां अपनी भक्त पर कृपा करें 🙏🏻

इसके साथ ही स्वर कोकिला शारदा जी को सादर प्रणाम...

Thursday, 7 November 2024

Song : बहंगी लचकत जाय

आज छठ पर्व का तीसरा दिन, कार्तिक शुक्ल षष्ठी है। यह छठ पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, और शाम को अपने सामर्थ्य के अनुसार सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इक्यावन प्रकार के फल-सब्जियों और अन्य पकवानों को बांस की डलिया में लेकर व्रती महिला के पति, देवर या फिर पुत्र नदी या तालाब के किनारे जाते है।

नदी और तालाब की तरफ जाते समय महिलाएं समूह में छठी माता के गीतों का गान करती है। नदी के किनारे पहुंचकर पंडित जी से महिलाएं पूजा करवाती है और कच्चे दूध का अर्ध्य डूबते हुए सूरज को अर्पण करती है।

लोक आस्था के महापर्व छठ के आगमन के साथ ही सभी जगह, छठ से जुड़े लोकगीत, लोग गुनगुनाने लगे हैं।

बहंगी लचकत जाय

इन गीतों की विशेषता यह होती है कि इसे भोजपुरी, मैथिली या मगही भाषा में गाया जाता है।

यह बहुत कर्णप्रिय होते हैं, और अपने तीज़-त्यौहार और संस्कृति से जुड़े हुए होते हैं।

आधुनिकता के इस दौर के बावजूद भी लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर ना ही परंपराओं में कोई बदलाव हुआ, ना ही लोगों की आस्था कम हुई है। यही वजह है की सैकड़ों वर्षों से आस्था और विश्वास से लोग,  लोक आस्था का महापर्व छठ मानते आए हैं।

आज, हम बात कर रहे हैं खास तौर पर छठ में बांस के बने सूप की, जिसका इस पर्व में अपना अलग ही महत्व है। 

छठ पूजा के दौरान आपने हमेशा ये प्रसिद्ध लोकगीत, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, सुना ही होगा।

यह बेहद सुरीला व मधुर गीत है, और इसे अनुराधा पौडवाल जी की आवाज में सुन‌ लें, तो यह मन में एक अलग ही ऊर्जा और उत्साह भर देता है। 

पर अगर इस गीत का अर्थ पता चल जाए, तो यह गीत आपको, अपनी तरफ और अधिक आकर्षित करेगा।

चलिए जानते हैं, इस गीत का वृतांत और अर्थ।

जब भी छठ का त्यौहार आता है, तब एक बांस का बना सूप (बहंगी), जिसे पीले वस्त्र में लपेटकर, उसमें पूजा से जुड़ा सारा सामान-फूल रखकर, घर के पुरुष उसे सर पर उठाकर नजदीक के घाट पर चलते हुए जाते हैं श, तो सूप हिलता-डुलता है, जिसे हमारी भोजपुरी भाषा में (लचकत जाए) शब्द का प्रयोग करते है। इस पूरे वृतांत पर ही आधारित है यह प्रसिद्ध गीत... 

इस गीत की लाइनें इस प्रकार हैं - कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, बहंगी लचकत जाय, होई ना बलम जी कहरिया, बहंगी घाटे पहुंचाय।

इसका अर्थ हुआ कि - कच्चे बांस से बनी बहंगी (दौरी या सूप) को जब घाट पर ले जाया जा रहा है, तो वो लचक (हिल-डुल) रही है। ये बहंगी इस वजह से लचक रही है क्योंकि उसमें व्रत से जुड़ी तमाम सामग्रियां भरी हुई हैं। व्रती महिला अपने पति से कह रही है कि वो अब इस बहंगी को घाट तक पहुंचाए। व्रती महिला इस चीज को देखकर बहुत खुश है कि, बहंगी लचक रही है। कहरिया शब्द का इस्तेमाल इसलिए हुआ है क्योंकि गुजरे जमाने में व्रत, या किसी शुभ कार्य से जुड़ी सामग्री को ले जाने का काम कहार जाति के लोगों को दिया जाता था। जब मायके से लड़की के ससुराल किसी सामान को पहुंचाना होता था, तो भी कहार ही उसे ले जाया करते थे। बस इसी वजह से इस गीत में भी व्रती महिला अपने पति से, अपने देवर से कह रही है कि साजन जी, देवर जी, आप काहर के समान ही सामानों से सुसज्जित सूप को घाट (नदी के किनारे) पर पहुंचा दें।

जब राहगीर, सूप देखकर पूछता है कि यह कहां जा रहा है, तो उसे कहती है कि, तुम तो अंधे हो? (यहां तात्पर्य अक्ल के अंधे से है, जो नहीं देख पा रहा है, कि सूप किसलिए जा रहा है) यह सूप छठ मैया के पास जा रहा है, वो इसमें अपनी कृपा बरसाएंगी। पीले वस्त्र में लिपटा, सामानों से सुसज्जित सूप उनके लिए ही जा रहा है।


ये गीत बेहद लोकप्रिय है।

कांच ही बांस के बहंगिया, यह पूरा गीत इस प्रकार है -


कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय।

बहंगी लचकत जाय।।


होई ना बलम जी कहरिया,

बहंगी घाटे पहुंचाय।

बहंगी घाटे पहुंचाय।। 


ऊंहवे जे बारि छठि मैया,

बहंगी उनका के जाय।

बहंगी उनका के जाय।।


कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय।

बहंगी लचकत जाय।।


बाट जे पूछेला बटोहिया,

बहंगी केकरा के जाय।

बहंगी केकरा के जाय।।


तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,

बहंगी छठ मैया के जाय।

बहंगी छठ मैया के जाय।।


ओहरे जे बारी छठि मैया,

बहंगी उनका के जाय।

बहंगी उनका के जाय।।

 

कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय।

बहंगी लचकत जाय।।


होई ना देवर जी कहरिया,

बहंगी घाटे पहुंचाय।

बहंगी घाटे पहुंचाय।।


ऊंहवे जे बारि छठि मैया,

बहंगी उनका के जाय।

बहंगी उनका के जाय।।


कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय।

बहंगी लचकत जाय।।


आज इस गीत को आप भी सुनें, गुनगुनाएं, और छठी मैया की असीम कृपा पाएं 🙏🏻

🪔🙏🏻 छठ मैय्या की जय 🙏🏻🚩

Sunday, 3 November 2024

Poem : चित्रगुप्त महाराज

चित्रगुप्त महाराज


ब्रह्मा की काया से उपजे,

कलम लिए हुए हाथ।

पाप-पुण्य का लेखा-जोखा,

रहता है जिनके साथ।।


कायस्थ कुल,

के जन्मदाता।

ज्ञान, बुद्धि से,

इनका नाता।।


अति पराक्रमी,

अति तेजस्वी,

वो देव ही कहलाते हैं

।। चित्रगुप्त महाराज ।।


 परम परमेश्वर श्री चित्रगुप्त जी महाराज के श्री चरणों में मेरा सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻

चित्रगुप्त पूजा, भाईदूज, व यमद्वितीया की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🎉

Saturday, 2 November 2024

India's Heritage : गोवर्धन पूजा

दीपोत्सव का पांच दिवसीय त्यौहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है।

जिसका आज चौथा दिन है। इसे कुछ जगहों पर पड़वा या परिवा के रूप में मनाया जाता है। 

वही ब्रज से जुड़े प्रांत और शहरों में जहां-जहां भी श्रीकृष्ण जी की पूजा-अर्चना को प्राथमिकता दी जाती है, वहां इसे गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है, उसके पीछे क्या कारण है? और किस युग से यह प्रारंभ हुई? 

यह सब बहुत ही रोचक और अनुकरणीय है, जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण जी ने सार्थक कर के दिखाया है।

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। 

कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण, जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि (विष्णु) के अवतार हैं, उन्होंने एक लीला रची।

बात द्वापर युग की है, वह युग कृषि प्रधान युग था। लोगों की जीविका का साधन, कृषि, मवेशी पालन, दुग्ध (दूध) उत्पादन इत्यादि था। अतः उस समय इन्द्र देव को देवताओं में विशेष स्थान प्राप्त था।

चलिए, अब देखते हैं, लीलाधर श्री कृष्ण जी की अद्भुत लीला की कथा...

प्रभु की इस लीला में यूं हुआ, कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे हुए हैं।

श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मैया यशोदा से प्रश्न किया, "मैया, यह आप लोग किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं?"

कान्हा की बातें सुनकर मैया बोलीं, "लल्ला, हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं।"

मैया के ऐसा कहने पर कान्हा बोले, "मैया, हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं?"

मैया ने कहा, "वह वर्षा करते हैं, जिससे अन्न की उपज होती है, उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है।"

कान्हा बोले, "हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं, अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।"

लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की।

देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी।

प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी कान्हा को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। 

तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया।

इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए, फलत: वर्षा और तेज हो गयी।

इन्द्र के मान-मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियन्त्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इन्द्र निरन्तर सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे, तब उन्हें लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता।अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया।

ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा, "आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं, वह भगवान विष्णु के साक्षात अवतार हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं।"

ब्रह्मा जी के मुख से यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा, "प्रभु, मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु और कृपालु हैं, इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।"

-----------समाप्त-----------


इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय-बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रङ्ग लगाया जाता है, व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।

इस पूरे वृतांत को हिन्दी के कुछ उच्च कोटि के शब्दों से सहसंबद्ध करके अत्यंत ही संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है :


सबल स्वर्गिक-सत्ता के अकारण अहंकार को सामूहिकता की कनिष्ठिका से परास्त कर भाग्य-लेख को कर्मयोग के विजय वाक्य द्वारा अपदस्थ करने वाले गिरिधर मुरलीधर का पुरुषार्थ-पर्व कहलाता है गोवर्धन पूजा।

अर्थात् इन्द्र देव (जो कि स्वर्ग के राजा हैं) के बिना किसी बात के अहंकार को, भगवान श्रीकृष्ण जी ने अपनी कनिष्ठ (छोटी) उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर भाग्य लेख को कर्म योग द्वारा परास्त कर  विजय प्राप्त की थी। ऐसे गिरिधर मुरलीधर (भगवान श्री कृष्ण जी) के पुरुषार्थ पर्व को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसकी सभी को ढेरों शुभकामनाएँ।

Thursday, 31 October 2024

Poem : दीपों का त्यौहार दीपावली

 दीपों का त्यौहार दीपावली


🪔🎉🪔🪷🪔🎆🪔🎊🪔🕉️🪔


दीपों का त्यौहार दीपावली,

रोशन हो रही है गली-गली।

फूलों से घर-आंगन महके,

खुशियों से हर बच्चा चहके।

 रंगोली से सज गई हैं दहरी,

दीपक हर चौखट का प्रहरी।

मिठाई-पकवानों की मांग बढ़ी है,

 पटाखे की धूम मची है।

हंसी-खुशी हैं जिसकी सहेली, 

वो ही है, त्यौहार दीपावली। 


🪔🎉🪔🪷🪔🎆🪔🎊🪔🕉️🪔


मां लक्ष्मी जी व श्री गणेश जी की कृपा, सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻 

आप सभी को दीपावली के महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🪔

सर्वत्र सुख-समृद्धि, सम्पन्नता व स्वास्थ्य का वास हो 🙏🏻


दीपावली पर लिखी अन्य कविताओं का आनन्द लेने के लिए click करें  :

Poem : शायद तुम्हें याद होगा 

Poem : यादों की दीपावली

Poem : शुभ दीपावली

Poem : इस बरस दीपावली में 

Poem : दोहे दीपावली वाले 

Poem: दीप से दीप जलाकर

Poem : चलो इस बार दिवाली कुछ अलग सी मानते हैं

Wednesday, 30 October 2024

Article : छोटी दीपावली के कई नाम क्यों?

आज दीपावली के पांच-दिवसीय त्यौहार का दूसरा दिन है। इसे बहुत से नामों से जाना जाता है।

जैसे छोटी दीपावली, रुप चौदस/चतुर्दशी, नरक चौदस/चतुर्दशी आदि, साथ ही कहीं-कहीं पर इसे हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

पर क्या कारण हैं इन नामों के? या क्यों छोटी दीपावली को इतने सारे नामों से पुकारते हैं।

छोटी दीपावली के कई नाम क्यों?

1) छोटी दीपावली : 

चौदस या चतुर्दशी को छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिन दीपावली से ठीक एक दिन पहले आता है। 

प्रभू श्री राम के आगमन का समाचार, अयोध्या में पहुंच चुका था, इस दिन से ही लोगों ने घर की उसी तरह साज-सज्जा करनी आरंभ कर दी थी, जैसे दीपावली पर करते हैं। इस दिन पूरे घर में 14 दीप जलाने की परंपरा होती है। 

दीपावली की तरह ही मनाए जाने के कारण इस दिन को छोटी दिवाली कहा जाने लगा है। 


2) रूप चौदस / चतुर्दशी :

दीपोत्सव के दूसरे दिन को रूप चौदस भी कहते हैं। माना जाता है कि महालक्ष्मी उन्हीं लोगों पर कृपा बरसाती हैं, जो साफ-सफाई से रहते हैं, इसी मान्यता की वजह से लक्ष्मी पूजा से पहले रूप चौदस पर भक्त, अपने घर‌ को, खुद को सजाते-संवारते हैं। 

कहा जाता है, कि इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है।


3) नरक चौदस / चतुर्दशी :

धार्मिक मान्यता के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन, अर्थात् चौदस के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी या नरक चौदस भी कहा जाता है।  इस दिन लोग राक्षस पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाते हैं।

एक और मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यह पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक (नर्क) में जाने से बचा जा सकता है। लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है, कि कोई दुनिया भर के दुष्कर्म करे और यमराज जी की पूजा करे तो सब पुन्य में बदल जाएगा। जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल प्राप्त होगा। 

ईश्वर की पूजा अर्चना करने से हमारे पुन्य कर्मों का श्रेष्ठ फल मिलता है। शुभ फल शीघ्र मिलता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से नरक चतुर्दशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। 


4) हनुमान जन्मोत्सव :

रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। उस दिन मंगलवार था, मेष लग्न और स्वाती नक्षत्र था।

महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है और वे प्रभू श्री राम के अनन्य भक्त हैं।

हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानर राज केशरी हैं। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं। 

इसलिए इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।


आप सभी को छोटी दीपावली, नरक चौदस, रूप चौदस व‌ हनुमान जन्मोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

श्री हरि व माता लक्ष्मी की कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻

Tuesday, 29 October 2024

Article : धनतेरस पर क्यों खरीदें झाड़ू

हिन्दुओं का प्रमुख पर्व दीपावली माना जाता है, जो कि पांच दिवसीय त्यौहार है, और आज से प्रारंभ हो रहा है।

हिंदू धर्म में धनतेरस के पर्व को बहुत खास माना जाता है। इस दिन से दिवाली पर्व की शुरुआत होती है, जिसकी रौनक भाई दूज तक रहती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। इस दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि ने अमृत कलश लेकर अवतार लिया था। धनवंतरि धन-वैभव और आयुर्वेद के देवता हैं।

पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 29 अक्टूबर 2024 को धनतेरस है। ज्योतिष गणना के अनुसार धनतेरस के दिन त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, लक्ष्मी नारायण योग, महापुरुष राजयोग, कुल 5 शुभ संयोग बन रहे हैं। 

इस संयोग में भगवान धन्वंतरि, यमराज और कुबेर देव की पूजा अर्चना करना बेहद लाभकारी साबित होगा। 

वहीं इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वस्त्र व झाड़ू खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। 

सोना-चांदी, बर्तन, वस्त्र आदि समझ आता है कि त्यौहार के वैभव और ऐश्वर्य व festivity के लिए खरीदे जाते हैं।

परंतु क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन झाड़ू क्यों खरीदी जाती हैं?

अगर नहीं, तो आइए जान लेते है।

धनतेरस पर क्यों खरीदें झाड़ू

1) Why to buy a broom :

हमारे शास्त्रों में झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि झाडू घर में शुभता और संपन्नता लाती है। सदियों से धनतेरस पर झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है।

साथ ही मत्स्य पुराण में भी इसका जिक्र किया गया है, उसके अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में बरकत बनी रहती हैं। साथ ही साधक की आर्थिक स्थिति पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदी जाती हैं।


2) Which broom to purchase :

आजकल बाजार में फूल झाड़ू और सींक की झाड़ू के साथ-साथ plastic की झाड़ू भी मिल रही है।

पर अगर आप दीपावली के उपलक्ष्य पर झाड़ू खरीद रहे हैं तो, इस दौरान फूल झाड़ू को घर लाना, सबसे ज़्यादा लाभकारी माना जाता है। 

हमेशा फूल वाली और घनी झाड़ू खरीदनी चाहिए, कहा जाता है कि जितनी अधिक घनी झाड़ू होगी, उसका सकारात्मक प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा। 

इसके अलावा, झाड़ू का सींक टूटा नहीं होना चाहिए। टूटी हुई झाड़ू को अशुभ माना जाता है।

इसके अतिरिक्त आप सींक की झाड़ू भी खरीद सकते हैं, लेकिन ध्यान रखिएगा, plastic की झाड़ू भूलकर भी न खरीदें। 

हां, अगर और किसी वक्त झाड़ू खरीद रहे हैं, तो plastic की झाड़ू भी एक अच्छा option है, यह लम्बे समय तक चलती है। पर फूल झाड़ू जितनी अच्छी धूल-धक्कड़ साफ़ नहीं करती है।


3) Tying a thread on broom :

यदि आप धनतेरस पर झाड़ू खरीदकर घर ला रहे हैं, तो पहले उसपर सफेद रंग का धागा बांधें। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।


4) The old (used) broom :

घर में झाड़ू को कभी भी खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। हमेशा झाड़ू को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जहां हर किसी की नजर न पडे़। इस दौरान, घर की पुरानी झाड़ू को किसी साफ व उचित स्थान पर छुपा कर रख देना चाहिए। जिससे अगर आप की पुरानी झाड़ू सही अवस्था में है तो भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर इस्तेमाल की जा सके।

बस एक बात का हो सके तो ध्यान रखिएगा, कि एक साथ दो झाड़ू न रखें, खासकर एक दूसरे पर चढ़ा कर के। 

झाड़ू, एक ऐसी आवश्यक वस्तु है, जिसे अमीर से लेकर गरीब तक सभी खरीद सकते हैं और खरीदते भी हैं। 

शायद इस article को पढ़कर आपके सभी संशय दूर हो गये होंगे... यदि कोई और quary हो तो कृपया comment box पर पूछ लीजिएगा....


आप सभी को दीपावली के पंचदिवसीय त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनाएँ। 

यह पर्व सभी की जिंदगी में सुख-समृद्धि और प्रसन्नता लाए। 

धनतेरस से जुड़ी अन्य  post 

Article: शुभ धनतेरस  

Article: धनतेरस में क्‍यों खरीदते (बर्तन, सोना-चांदी, झाड़ू) 

Stories - Devotional : धनतेरस पर्व का आरंभ व पावन कथा

Article : D for Dhanteras

Monday, 28 October 2024

Article : समर, हिन्दुत्व की रक्षा के लिए...

आज का यह article, एक समर (लड़ाई) है, हिन्दुत्व की रक्षा का...

और इस समर के होने की बहुत ज़्यादा आवश्यकता भी है, क्योंकि बहुत सालों से एक slow poison देते हुए हिन्दुत्व का अंत करते जा रहे हैं, और जाने-अनजाने, हम सब हिन्दू, इसके भागीदार बनते जा रहे हैं....

जानना है कैसे?

समर‌, हिन्दुत्व की रक्षा के लिए…

1) Firecrackers (पटाखे) :

दीपावली के आते ही पटाखों द्वारा फैलने वाले प्रदूषण की दुहाई, बच्चों को school में 10 दिन पहले से दी जानी शुरू कर दी जाती है। उनके कोमल मन-मस्तिष्क में इतने अच्छे से यह बात बैठा दी जाती है कि कोई भी बच्चा अपने माता-पिता से पटाखे लाने की ज़िद ही न करें और अगर कोई उन्हें पटाखे लाकर दे दे, तो भी उन्हें जलाने को वो लालायित न हो।

माना थोड़ा प्रदूषण होता है, पर केवल दीपावली में? Christmas पर, New Year पर, किसी के स्वागत पर, कोई बड़ा event होने पर, जीत का जश्न मनाने पर, पटाखे फोड़ने से प्रदूषण नहीं होता है क्या? 

कमाल है ना? दीपावली पर फोड़े जाने वाले पटाखे ही केवल प्रदूषण फैलाते हैं... 

ईद पर सैकड़ों बकरे-मुर्गे कट जाएँ तो, किसी तरह का कुछ ग़लत नहीं होगा। किसी school में 'बच्चों को जीव-हत्या नहीं करनी चाहिए', यह समझा कर brain wash नहीं किया जाएगा।


2) Traditional lamps (दीए) :

दीपावली पर दीए जलाकर पूजा की जाती है, लेकिन वो दिन दूर नहीं जब उसे भी प्रदूषण फैलाने वाले कहकर पाबंदी लगा दी जाए, वैसे भी lightings तो आती ही हैं बाजार में, electric दीयों की भी खूब धूम है।

Electric दीया भी बाजार में यह कहकर खूब बेचे जा रहे हैं कि, ना तेल फैलने का झंझट और ना धुएं से प्रदूषण....

अब यह छोटे-छोटे दीए भी अपना अस्तित्व कब तक बचा पाएंगे, ईश्वर ही जाने...


3) Food items (पकवान) :

आज कल लोग, मिठाई और पकवान को हिकारत भरी हुई नजरों से देखने लगे हैं, below standard समझने लगे हैं। 

तो वहीं कुछ लोग, कुछ ज्यादा ही diet conscious हो गये हैं, पूड़ी-कचौड़ी, मीठा-मिठाई देखते ही उन्हें उसमें fat and calories दिखने लगती है, 440 volt का current लग जाएगा।

वो उन्हें न अपने घर में बनाएंगे, न लाएंगे, न खाएंगे। मिठाई की जगह dryfruits and chocolates ने ले ली है और पकवान के नाम पर pizza, pasta, burger and dine out ने ले ली है। 

उसमें fat and calories नहीं दिखेगी... यह सब करना high standards में शुमार है। 

दीपावली पर आने वाले, खील-खिलौने, लइया-बताशे, यह तो अब सब जगह से obsolete ही हो गये हैं।


4) Makeup (श्रृंगार) :

उसकी भी दुर्गति हुई रखी है, एक दिन के लिए भी भारतीय वेशभूषा और श्रृंगार नहीं किया जाता है। उस दिन भी छोटे-छोटे, या इधर-उधर से खुले, फटे, कपड़े ही पहनें जाएंगे। Ladies से न मांग में सिंदूर लगाया जाएगा, न माथे पर बिंदी और न gents से माथे पर तिलक लगाया जाएगा।


5) Cleaning (साफ-सफाई) :

दीपावली पर साफ-सफाई केवल घर से जाले, धूल-धक्कड़ साफ़ करना ही नहीं होता है, बल्कि एक जरिया है, साल भर में बिताए गए लम्हों से रूबरू होने का, क्योंकि साफ-सफाई करते हुए न जाने कितनी हसीन यादों से मुलाकात होती है...

आजकल, बहुत सी companies, किराए पर सफाई करने वालों की facilities देती हैं। बस उनको बुलाओ और काम आसान.... 

एक तरह से देखा जाए, तो जो दीपावली का स्वरूप हमारे बचपन में था, वैसा अब कुछ नहीं रह गया है। न वो साफ-सफाई, न वो सजावट, न वो मिठाई-पकवान, न वो श्रृंगार, न वो पूजा-पाठ...


6) Changes (with time) :

धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया और बदलता ही जा भी रहा है, जो कहीं न कहीं, इस बात का द्योतक है कि हिन्दुत्व का अंत होता जा रहा है। जिसके जिम्मेदार भी हम हिन्दू हैं और जिसका कारण भी हम हिन्दू ही हैं।

पर आखिर कब तक और क्यों? 

हम अपने ही अस्तित्व पर प्रहार करते रहेंगे? सोते रहेंगे? Ignore करते रहेंगे? मूर्ख बनते रहेंगे? खोखली आधुनिकता को बढ़ावा देते रहेंगे? 

आखिर कब हमें एहसास होगा कि हमारा एक कर्तव्य, अपने धर्म, अपनी संस्कृति की रक्षा करना भी है।

चलिए, दीपावली से पहले से ही शुरू करें, समर, हिन्दुत्व की रक्षा का...

बहुत तोड़-मरोड़ लिया, हमारे धर्म, आस्था और त्यौहार को, पर बस, अब नहीं...

अब हम वापस से, पांच-दिवसीय दीपोत्सव के त्यौहार को उसी पारम्परिक रूप से, उसी धूम से मनाएंगे, जैसे हम बचपन में मनाया करते थे।

घर को साफ-सुथरा करके, दीप और फूलों से सजा कर, मिठायों और पकवानों की खुशबू से महका कर, खील-खिलौने, लइया-बताशे लाकर,पारंपरिक वस्त्राभूषण धारण कर, सम्पूर्ण रीति-रिवाजों के साथ पूजा-पाठ करके दीपावली मनाएंगे। तभी तो ईश्वर, घर के कोने-कोने में सुख-समृद्धि बरसाएंगे।


सभी को दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 🎉

Saturday, 26 October 2024

Tip : Combination (Part-5)

Combination (Part-1)  ,

Combination (Part-2)  ,

Combination (Part-3) &

Combination (Part-4)

Combination series का आज last part share कर रहे हैं।

यह ऐसा combination है, जो आजकल बहुत popular हो चुका है। Mainly diet conscious लोगों में...

पर यह combination, health factor के लिए किस तरह से helpful है, यह देख लेते हैं...

Combination (Part-5)

चाय और नींबू के फ़ायदे :

चाय के शौक़ीन लोगों को चाय से बढ़कर कुछ नहीं लगता है। फिर अगर यह पता चल जाए कि चाय healthy option है, फिर तो कहना ही क्या...

लेकिन ध्यान रखिएगा कि चाय में, नींबू चाय, सबसे healthy option में आती है, और उसमें चाय की quantity बहुत कम होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो चाय की थोड़ी सी quantity, healthy है, पर ज्यादा चाय पीना सेहत के लिए beneficial नहीं है।

चलिए, नींबू चाय के फायदे देख लेते हैं।


1) Antioxidant -

नींबू और चाय, दोनों में ही antioxidants होते हैं, जो शरीर के harmful free radicals को कम करते हैं।


2) Immunity Booster - 

नींबू में vitamin C होता है, जो immunity को बढ़ाता है।


3) Digestion Improvement -

नींबू की चाय में मौजूद citric acid, digestion process को improve करता है, और indigestion से relief दिलाता है।


4) Blood Pressure Control -

नींबू की चाय में मौजूद potassium, blood pressure को control करने में मदद करता है।


5) Cholesterol Control -

नींबू में मौजूद plant flavonoids जैसे hesperidin and diosmin, cholesterol को कम करने में मदद करते है।


6) Skin Glow -

नींबू की चाय पीने से skin में glow आता है।


आप सभी combinations को अच्छे से पढ़िए और जो भी option आपकी health के लिए helpful हो, उसे follow कीजिए। 

वैसे सभी option, natural therapies ही हैं, फिर भी अगर आप को कोई भी confusion हो तो, अपने doctor से consult करके ही इन्हें follow कीजिए।

Keep fit and healthy 😊


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Friday, 25 October 2024

Tip : Combinations (Part-4)

Combination (Part-1), 

Combination (Part-2) and 

Combination (Part-3) के बाद, अब ऐसा combination share कर रहे हैं, जिसके गांव में आज भी बहुत बोलबाला है, लेकिन शहरों में बहुत कम लोग ही इसे खाते हैं। 

जबकि शहरों में protein and iron rich source बहुत ढूंढें जाते हैं। लेकिन Indian rich sources की उन्हें knowledge ही नहीं है।

तो चलिए आप आज की पूरी post ज़रूर से पढ़िएगा तो आप को पता चलेगा कि आप के पास कितनी सारी problems का  solution घर पर ही है...

Combination (Part-4)

चना और खजूर के फ़ायदे :


1) Bones strengthen - 

चना और खजूर में calcium कैल्शियम मात्रा में होता है, जिससे हड्डियां मज़बूत होती हैं।


2) Iron rich - 

इन दोनों में प्रचुर मात्रा में iron होता है, जिससे शरीर में haemoglobin का level बढ़ता है और खून की कमी दूर होती है।


3) Process of digestion improves - 

चना और खजूर में fibre होता है, जिससे digestion process बेहतर होती है और constipation की समस्या दूर होती है।


4) Immunity booster - 

इन दोनों में vitamin और iron भरपूर मात्रा में होता है, इसलिए यह immunity booster की तरह काम करता है।


5) Weight Gainer - 

चना और खजूर में मौजूद पोषक तत्वों की वजह से वज़न बढ़ाने में मदद मिलती है। इसे as a weight gainer भी लिया जा सकता है। 


6) Instant energy - 

चना और खजूर खाने से शरीर को instant energy मिलती है और थकान महसूस नहीं होती।


7) Piles control -

चना और खजूर खाने से piles की समस्या में भी मदद मिलती है।


8) Cholesterol control - 

High cholesterol के patient को चना और खजूर बहुत फायदा करता है।


9) Sugar control -

Sugar के patient को भी चना और खजूर बहुत फायदा करता हैं। बस यह देख लीजिएगा कि खजूर sugar coated न हो।


10) Heart functioning -

खजूर में Magnesium, potassium, selenium, copper, vitamin A, vitamin B6, vitamin K, calcium, iron और कुछ oxidants आदि के गुण होते हैं। 

चने में protein, fibre, antioxidant, anthocyanin, potassium, magnesium के गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण इसका combination heart functioning को बहुत बेहतर बनाता है।


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Thursday, 24 October 2024

Tip : Combinations (Part-3)

Combination (Part-1), and 

Combination (Part-2) 

के बाद आज आपको बताए गए तीसरे combination के बारे में बताते हैं। 

वैसे यह एक ऐसा combination है, जिसे सब healthy option ही मानते हैं और अपनी diet में easily adopt भी कर लेते हैं।

पर यह combination, आपके health के according, किस-किस तरह से helpful है, वो भी देख लीजिए...

Combinations (Part-3)

केले और दूध के फ़ायदे :

1) Digestion Improvement -

केले और दूध में vitamin C, vitamin B6 and fibre होता है, जो digestion के लिए फ़ायदेमंद होता है। इससे gastric problem, constipation and acidity जैसी problems से relief मिलता है, जिससे digestion process, improve होती है।


2) Sound Sleep -

केले और दूध में tryptophan and carbohydrate होता है, जो melatonin level को बेहतर करता है और mental peace देता है, जिसके कारण आप sound sleep ले सकते हैं।


3) Strong Immunity -

केले और दूध में vitamin C होता है, जो कि strong immunity को develop करता है।


4) Weight Gain -

केला और दूध calories से भरपूर होता है, इसलिए वज़न बढ़ाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए यह बहुत फ़ायदेमंद होता है। Gym जाने वालों के लिए भी यह एक best option है. Banana shake से instant energy मिलती है।


5) Blood Pressure Control -

केले और दूध में potassium होता है, इसलिए यह blood pressure patient के लिए फ़ायदेमंद होता है।


6) Bones Strengthen -

केले और दूध में calcium and protein होता है, इसलिए इससे bones and muscles strengthening बहुत अच्छे से होती है। यही कारण है कि players के diet plan में केला और दूध जरूर से शामिल किए जाते हैं।


तो लीजिए, बहुत सारे फायदों के साथ आपके लिए यह combination, हाज़िर है। इससे aware हों और लाभ उठाएं...


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Wednesday, 23 October 2024

Tip : Combinations (Part-2)

आपको कल‌ Combinations (Part-1) में चावल और दही के combination के बारे में बताया था, जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया, व लोगों की बाकी combination के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई है।

आज जिस combination के बारे में हम बात करने जा रहे हैं, उसे लोगों ने बहुत ज़्यादा नकार दिया है या यूं कहें कि यह जितना healthy option है, इसे उतना ज़्यादा unhealthy समझ लिया है।

आगे बात करने से पहले, एक बार आपको फिर यही कहेंगे कि हमारे बड़े-बूढ़े यही खाकर तंदुरुस्त और सशक्त रहे हैं। 

ध्यान रखिएगा, Indian food और उसके combination, सबसे ज़्यादा healthy option हैं, उन्हें अपनी diet में ज़रूर से शामिल रखिएगा। 

यह ही है जो, आजकल की hactic life में आपको fit and fine रखेगा।

Combinations (Part-2)

चलिए आज हम दूसरे combination, रोटी और घी के विषय में बात कर लेते हैं।


रोटी पर घी लगाने के फ़ायदे :

1. Immunity development -

घी में vitamin A, D, K जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो disease resistant क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।


2. Body fitness -

घी और रोटी के combination से शरीर को carbohydrate and fat दोनों सही मात्रा में मिलते हैं।


3. Bones strengthen -

घी में vitamin D होता है, जो calcium के absorption में मदद करता है। और उसमे मौजूद vitamin K, calcium को body में पहुंचाता है, जिससे bones, strong होती है।


4. Healthy for heart -

घी में healthy fats (Polyunsaturated Fatty Acids - PUFAs) हैं, जो दिल को healthy रखने में मदद करते हैं।


5. Cholesterol control -

घी रोटी खाने से bad cholesterol (Low-Density Lipo-protein : LDL) कम होता है और good cholesterol (High-Density Lipo-protein : HDL) बढ़ता है।


6. Weight control -

घी लगी रोटी खाने से भूख कम लगती है और वज़न नियंत्रित रहता है। 


7. Healthy skin - 

घी में anti oxidants होते हैं, जो त्वचा को चमकाने में मदद करते हैं।


8. Metabolism -

घी limited quantity में लेने से metabolism बढ़ता है और fat burn होता है।


9. Brain function -

घी brain की functioning को बेहतर करता है, जिससे brain की sharpness बढ़ जाती है।


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.

Tuesday, 22 October 2024

Tip : Combinations (Part-1)

आज आप को एक ऐसी tip share कर रहे हैं, जो पहले के जमाने में तो सब जानते थे, पर हम लोग पढ़-लिखकर सब भूल गए हैं।

जबकि इसकी जानकारी होना, हमारे health के point of view से बहुत useful है। चलिए देख लेते हैं, क्या हैं वो...

Combinations (Part-1)

तो हम बात कर रहे हैं, कुछ ऐसे Combinations की, जिनके साथ में होने से बहुत फायदे होते हैं।

इन combinations में हम जो ingredients बता रहे हैं, वो हमारे घर पर easily available है।

तो वो combinations हैं...


  • चावल के साथ दही
  • रोटी के साथ घी
  • केला और दूध
  • चना और खजूर
  • चाय के साथ नींबू


दही चावल (curd rice ) खाने के फ़ायदे :

  1. दही चावल पोषक तत्वों से भरपूर होता है, दही में protein, calcium, magnesium and potassium जैसे तत्व होते हैं, वहीं चावल में carbohydrate होता है। In other words, it is a complete meal in just one bowl.
  2. दही चावल खाने से digestive system मज़बूत होता हैं। दही में मौजूद probiotics, intestine में अच्छे bacteria को बढ़ाते हैं, इससे constipation और पेट दर्द में आराम मिलता है।
  3. दही चावल खाने से immunity बढ़ती है। दही में मौजूद पोषक तत्व immunity को मज़बूत करते हैं, इससे मौसम बदलने पर होने वाले infections से बचाव होता है।
  4. दही चावल खाने से weight control में रहता है। दही खाने के बाद पेट भरा रहता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती।
  5. दही चावल खाने से blood sugar level control रहता है। दही चावल बनाने में करी पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें anti hyperglycemic index होता है। इसका glycemic index 4.4 होता है, जो कि बहुत low होता है, जिससे यह blood sugar level control, करने में बहुत helpful होता है।
  6. दही चावल खाने से menstrual cycle से पहले होने वाले cramps (ऐंठन और पेट दर्द) में आराम मिलता है।


आज आपको दही चावल खाने से होने वाले फायदे बताए हैं।

एक-एक करके बाकी सभी combinations के फायदे भी बताते जाएंगे, जिससे आप समझ सकें कि क्या आपके लिए beneficial होगा। 

और यह भी जान सकें कि पहले जब इतनी varieties नहीं थी, फिर भी लोग इतने healthy कैसे थे...

उसका एक बहुत बड़ा कारण यह था कि उन्हें अच्छे से पता था कि किस के साथ किस का combination बनाया जाए।

So stay tuned...


Disclaimer -

All (five) combinations are entirely a result of research. Do not rely upon these for fighting against any disease, & general medication should not be replaced by any of these. Also, do not consume any of these in an excessive manner, which might lead to unwanted conditions.