पहले कभी हुआ करती थी दिन की शुरुआत मुर्गे की बांग या चिड़ियों की चहचहाहट के साथ...
पर अब तो दिन की शुरुआत आवारा कुत्तों के भौंकने और लड़ने की आवाज से ही होती है...
ऐसा इसलिए क्योंकि, आज कल लोगों में आवारा जानवरों को लेकर बहुत अधिक दया और प्रेम भाव आ गया है, जिसके चलते आवारा कुत्ते, बिल्लियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ती जा रही है।
जिनके अंदर यह भावना बहुत बलवती है, उन्हें मेरा इस topic पर article लिखना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा होगा।
लेकिन इस article को लिखने की वजह है एक छोटी बच्ची के संग हुआ भयानक हादसा..
इस बात को बिना किसी भूमिका में बांधे हुए इस सच्ची घटना का विवरण दे रहे हैं।
यह एक ऐसी घटना है, जो दिल को दहला देती है और हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है, क्या हमारे बच्चे safe हैं? या ऐसी situation में क्या करें?
बढ़ते आवारा कुत्ते, कितने खतरनाक
बात है शाम की, लगभग 5- 5 :30 बजे का समय था। सड़क पर अच्छी-खासी चहल-पहल थी।
मेरा बेटा रोज़ शाम को cycling करने के लिए जाता है। तो वो उसके लिए निकला हुआ था।
उसने देखा, लगभग उसके बराबर (करीब 10-12 साल) की एक लड़की सड़क पर पैदल, अपने घर की ओर जा रही थी।
तभी एक आवारा कुत्ता उसे परेशान करने लगा।
लड़की, martial art जानती थी। उसने अपने पैर को हवा में ज़ोर से लहराया और कुत्ते के नाक पर ज़ोर से एक kick मारी।
कुत्ता इससे पूरी तरह बिलबिला गया, पर उसने भागने के बजाए ज़ोर-ज़ोर से भौंकना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 6-8 आवारा कुत्तों का समूह आ गया। सबने लड़की को घेर लिया।
इतने कुत्तों को देखकर लड़की घबरा गई और साथ ही मेरा बेटा भी...
वो सभी कुत्ते खतरनाक रूप से लड़की की ओर आगे बढ़ने लगे। अब लड़की को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो क्या करें?
मेरे बेटे ने वहां से गुजर रहे लोगों से उसकी मदद करने को कहा, पर कोई भी ऐसा नहीं था, जो उस लड़की की मदद करता...
कुछ बेपरवाह और लापरवाह से वहां से निकल गये और कुछ कुत्तों के भयानक रूप को देखकर डर गये।
बेटा पास के थाने में जाकर मदद के लिए बोलने गया, पर जब तक वो लोग उस लड़की को बचाने पहुंचते, कुत्ते उस लड़की को बुरी तरह से घायल करके जा चुके थे।
उस लड़की को तुरंत hospital ले जाया गया, पर अब वो कैसी है? नहीं पता...
पर ऐसा दर्दनाक हादसा, जो उसके साथ हुआ, वो किसी भी बच्चे, बुजुर्ग, यहां तक किसी भी जवान मनुष्य के साथ भी हो सकता है।
और इसके जिम्मेदार कौन होंगे?
वो सभी, जो आवारा कुत्ते-बिल्लियों को बेवजह बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी बढ़ती संख्या हद से ज्यादा खतरनाक रूप ले रही है...
सोचिए जो, कुत्ते-बिल्ली पालतू होते हैं, वो साफ-सुथरे होते हैं, उनके vaccination होता है और सबसे बड़ी बात, वो नियंत्रण में रहते हैं, क्योंकि वो हमेशा chain से बंधे हुए रहते हैं। जबकि आवारा कुत्ते-बिल्लियां इसके ठीक विपरीत होते हैं।
आखिर क्यों, बेवजह बढ़ावा देना, ऐसे अनियंत्रित ख़तरे को?
और अगर सच में आपको आवारा कुत्ते बिल्लियों से इतना स्नेह है तो लीजिए उनकी जिम्मेदारी, पर पूरी तरह से, उनकी साफ-सफाई, vaccination और नियंत्रण में रखने तक, सब कुछ...
जिम्मेदारी उठाइये कि वो व्यर्थ में लोगों को परेशान न करें। किसी को यूं न घेरे, cycle, scooter, bike, car से जा रहे लोगों को खदेड़कर, उन पर बिना वजह भौंक कर उन्हें परेशान न करे, उनके accident होने की वजह न बने...
उनके चक्कर में हम बच्चों और बुजुर्गों को unsafe नहीं कर सकते हैं।
अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो सरकार को अपील करें कि वो आवारा कुत्तों की बढ़ती हुई संख्या पर control करें, उन्हें पकड़ कर लें जाएं और बढ़ते हुए खतरनाक रूप को संभालें।
साथ ही आपको बता दें कि अगर कोई कुत्तों से घिर जाए तो उसे क्या करना चाहिए...
बच्चों से कहें कि वो अपने बचाव के लिए तेजी से बिल्कुल न भागें, क्योंकि सभी तरह के जानवर, किसी के भी बहुत तेजी से उनके सामने से भागने को ग़लत ही समझते हैं और न काट रहे हों तो भी काट लेते हैं।
अपने हाथ या पैर से उन्हें न मारें, वरना वो जरूर से काट लेगा।
उसके बजाय डंडे, पत्थर या belt से मारने से बचाव की उम्मीद बढ़ जाती है
अगर आप के पास रोशनी का कोई साधन है तो उसकी आंखों पर रोशनी डालने से भी वो भाग जाएगा।
धैर्य से, बिना डरे, शांत खड़े रहने से बचने की संभावना बढ़ जाती है।
जहां बहुत ज्यादा कुत्ते हों, उस जगह पर जाना avoid कीजिए। क्योंकि आवारा जानवरों का कोई भरोसा नहीं होता है, वो कभी भी बहुत अधिक furious हो जाते हैं।
आवारा जानवरों पर दया और प्रेम भाव रखिए, पर वहां तक कि उसे व्यर्थ में परेशान न करे, अकारण मारे नहीं, यदि वो घायल हैं तो उन्हें उचित लोगों तक पहुंचा दें। वो भूखे हैं तो उन्हें भोजन दे दीजिए।
पर उनकी बढ़ती हुई संख्या को बढ़ावा देना, municipality वाले पकड़ने आएं तो उनके काम में बाधा उत्पन्न करना, जैसे काम न करें। क्योंकि आवारा जानवरों का society में अनावश्यक रूप से बढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सबके लिए घातक सिद्ध होता है।