Sunday, 27 September 2020

Short Stories : बेटी भी हो आत्मनिर्भर

 बेटी भी हो आत्मनिर्भर



आज बेटी दिवस पर, सबसे पहले यह विचार आया कि, बेटी का आत्मनिर्भर होना कितना आवश्यक, कितना सार्थक?

यह आत्ममंथन चल ही रहा था कि माला आ गई।

सोचा लो हो गया, विचार-मंथन.......

अब यह आ गई है तो, पहले इसे काम बताएं, फिर इससे पूरे मोहल्ले के समाचार सुनें।

वो जब भी आती, बिना यह देखे कि मैं क्या कर रही हूँ, सुन रही हूँ, नहीं सुन रही हूँ, उसका मोहल्ला समाचार शुरू हो जाता।

पर आज सोचा, वो कुछ बोले, उससे पहले, मैं ही पूछ लेती हूँ।

क्यों माला, तेरे सूरज और चंदा कैसे हैं?

दोनों अच्छे हैं दीदी। आज मेरे बच्चों की याद कैसे आ गई?....

अरे, कुछ नहीं..... बस वैसे ही सोचा। 

अब तो दोनों बड़े हो चुके हैं। 

क्या सोचा है?

किस बारे में?.......

चंदा के बारे में। बड़ी हो गई है तो क्या ब्याह के बारे में नहीं सोच रही हो?

नहीं दीदी, मेरी बेटी बड़ी होशियार है। सोच रहीं हूँ, उसे कालेज भेज दूँ, पढी-लिखी होगी तो कोई अच्छी नौकरी कर लेगी, अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी।

शादी का क्या है, आज नहीं तो दो चार साल में कर ही दूंगी।

पर आत्मनिर्भर रहेगी तो शान से रहेगी, वरना मेरी तरह ही चौके-चूल्हे  में खो जाएगी।

बस मेरे पास जमा पूंजी कम है,  तो कैसे बेटा-बेटी दोनों को योग्य बनाऊँ, वही समझ नहीं आ रहा।

सारे रिश्तेदार कह रहे हैं, बेटे पर पैसा लगा, बुढ़ापा सुधर जाएगा।

तब क्या करने का सोचा है?......

दीदी, सोचती हूँ, पहले बेटी का भविष्य ही सुधार लूँ।

जो मेरे पास ना रहेगी, उसको मजबूत बनाना ज्यादा जरूरी है।

मेरे बुढ़ापे के कारण मेरी बेटी का जीवन गर्त में नहीं जाना चाहिए।

फिर बेटे का क्या?

उसे तो मेरे पास ही रहना है, जल्दी ही उसके लिए भी पैसे जमा कर लूंगी।

यह कह कर वो काम में लग गयी, साथ मेरी सोच को सुदृढ़ कर गयी, कि बेटी को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक भी है और सार्थक भी।

जब वो अनपढ़ होकर इस दिशा में इतनी दृढ़ है।

तो हम क्यों सोचते हैं, बेटी को आत्मनिर्भर बनाते समय होने वाले खर्च के विषय में?

जैसे study loan लेकर बेटा भविष्य बना सकता है, बेटी भी।

जिसे अपनों से दूर होकर, एक नयी दुनिया बसानी है, गैरों को अपना बनाना है, उसका आत्मनिर्भर होना, उसके जीवन के लिए बहुत आवश्यक है।

जैसे एक पढ़ी लिखी लड़की दो परिवार को सुदृढ़ बनाती है, वैसे ही आत्मनिर्भर लड़की पूरे समाज में दोनों परिवारों को मान दिलाती है।